गुरुवार, 23 मई 2013

साईपुरम का मंदिर किसकी भूमि पर!


साईपुरम का मंदिर किसकी भूमि पर!

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। शिर्डी के साईं बाबा के पूजन को लेकर उनके भक्तों के तौर-तरीकों पर अभी बातें चल ही रही थीं कि सिवनी के जबलपुर रोड स्थित भव्य साईं मंदिर की भूमि पर किसका अधिकार है... इस बात को लेकर विवाद उठना शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि ओम श्री साईं मंदिर ट्रस्ट को पंजीकृत करने के लिये एक आवेदन ऊधवदास आसवानी व 10 अन्य लोगों द्वारा पंजीयक लोक न्यास के समक्ष दिया गया है।
आवेदन में उक्त भूमि को आवेदकों द्वारा अपने ट्रस्ट की अचल संपत्ति बताया गया है। जबकि इसके दूसरे पक्ष शरद अग्रवाल का दावा है कि ग्राम सिमरिया प.ह.न. 90 रा.नि.मं. सिवनी भाग-दो में स्थित उक्त भूमि जिसका खसरा नंबर 113/3 है, श्री शिरडी साईं संस्थान सिवनी की है।
उल्लेखनीय है कि ऊधवदास आसवानी और 10 अन्य व्यक्तियों द्वारा साईं मंदिर भूमि को ओम श्री साईं मंदिर ट्रस्ट सिवनी की अचल संपत्ति निरूपित करते हुए ट्रस्ट बनाये जाने हेतु एक आवेदन पंजीयक, लोक न्यास एवं अनुविभागीय दंडाधिकारी (राजस्व) के समक्ष प्रस्तुत किया गया है जिस पर प्रमुख रूप से शरद अग्रवाल आ. गोविंदप्रसाद अग्रवाल द्वारा आपत्ति लगायी गयी है।
शरद अग्रवाल की तरफ से लगायी गयी आपत्ति के अनुसार जिस भूमि पर साईं मंदिर बना हुआ है 11 जून 1992 को श्री शिर्डी साईं संस्थान सिवनी के तात्कालीन अध्यक्ष दादू राघवेन्द्रनाथ सिंह द्वारा क्रय की गयी थी, जिसमें आमजन के सहयोग से भव्य साईं मंदिर का निर्माण किया गया था। आपत्तिकर्ता का कहना है कि जिस भूमि पर आमजन के सहयोग से भव्य साईं मंदिर बना है वह कागजों में आज भी श्री शिर्डी संस्थान की है। ऐसे में ओम श्री साईं मंदिर ट्रस्ट कैसे इस भूमि को अपनी अचल संपत्ति निरूपित कर अपने ट्रस्ट के पंजीयन हेतु आवेदन दे रहा है।
आपत्तिकर्ताओं के अनुसार उक्त भूमि शिर्डी के साई बाबा के मंदिर निर्माण के लिये ही खरीदी गयी थी, और उसमें मंदिर ही बना है लेकिन कोई अन्य उक्त भूमि को अपनी निरूपित कर पंजीयक लोक न्यास के समक्ष ट्रस्ट बनाये जाने हेतु आवेदन करेगा तो उसका विरोध तो करना ही पड़ेगा। कुछ लोगों द्वारा दस्तावेजों की कूटरचना कर भूमि को केवल अपने अधिकार में लेने की कोशिश कर ट्रस्ट बनाये जाने की कार्यवाही कर रहे हैं ताकि बाद में इस ट्रस्ट का संचालन व मंदिर में दान के रूप में आने वाली संपत्ति को वे मनमाने ढंग से उपयोग कर सके।

धूमा डबल मर्डर में पांच गिरफ्तार


धूमा डबल मर्डर में पांच गिरफ्तार

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। धूमा के डबल मर्डर कांड में पुलिस के हाथ देर से ही सही बड़ी सफलता हाथ लगी है। सिवनी पुलिस ने दो तो नागपुर पुलिस ने तीन आरोपियों को पकड़ने मेें सफलता हासिल की है। आरोपियों में से एक के पास से एक सोने की अंगूठी और 3200 रूपए बरामद किए हैं।
ज्ञातव्य है कि गणतंत्रता दिवस की पूर्व रात्रि 25 जनवरी को धूमा के प्रतिष्ठित व्यवसायई विजय अग्रवाल और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गायत्री अग्रवाल को कुछ लोगों ने धारदार हथियार से मौत के घाट उतार दिया था, जिसकी जानकारी 26 जनवरी को लगी। हाई- प्रोफाइल मर्डर केस होने के कारण यह मामाल विधानसभा में भी गूंजा।
इस मर्डर के मामले में पुलिस ने 02 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जिनमें प्रमुख रूप से सप्पा उर्फ शफीक पिता अजीज सर्वर कालोनी नागपुर एवं दयाराम पिता हक्कू अहिरवार उम्र 36 वर्ष धूमा शामिल है। धूमा थाना प्रभारी आर.के.गुप्ता ने बताया कि सप्पा को पुलिस ने सिवनी में उसके मामा ससुर के घर से दबोचा है। दूसरा आरोपी दयाराम मृतक के घर के सामने ही जूता सुधारने की दुूकान चलाता था।
इस संबंध में धूमा थाना प्रभारी दुबे ने बताया कि इस पूरे घटनाक्रम का मुख्य आरोपी गौसअली उर्फ राजा है, जिसने लूटे हुए माल का बंटवारा किया था, इसलिए अभी तक यह पता नहीं चल पाया कि उक्त लूट में कितने का माल लूटा गया। उन्होंने बताया कि इस मर्डर केसर में धूमा के दयाराम पिता अक्कू अहिरवार को गौसअली ने 10 हजार रू. एवं एक सोने की अंगूठी दिया था।
उधर, नागपुर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से आशीष कौशल ने बताया कि नागपुर पुलिस ने इस संबंध में इमरान खान निवासी बड़ा ताजबाग, शमीम खान निवासी बड़ा ताजबाग एवं लाले उर्फ मुईन खान साकिन नागपुर को पकड़ लिया है, जिन्हें रिमांड पर ले लिया है।
पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया कि इस मामले में अभी नागपुर बड़ा ताजबाग निवासी गौस अली उर्फ राजा एवं सत्येंद्र गुप्ता दोनों फरार हैं जिनकी तलाश पुलिस बड़ी शिद्दत से कर रही है। पुलिस ने इतने बड़े डबल मर्डर के बारे में मीडिया से आखिर दूरी क्यों बनाई है यह बात चर्चा का विषय बनी हुई है।
पुलिस सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि इसमें मुख्य आरोपी सावधान ना हो जाएं इसलिए पुलिस ने इस खबर को दबाए रखा। बावजूद इसके सूत्रों के हवाले से खबर मीडिया को आखिर लग ही गई।

दागी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही से कतराते अधिकारी!


दागी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही से कतराते अधिकारी!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। सिवनी में पदस्थ जिला आयुष अधिकारी डॉ.एस.डी.गर्ग के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा होने के बाद भी आला अधिकारी उनके खिलाफ कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं। विभाग के अनेक कर्मचारियों ने संयुक्त रूप से इसकी शिकायत नेता मंत्री अधिकारियों को भी की है पर इसका कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है।
विभागीय सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 31 जुलाई से डॉ.गर्ग द्वारा जमकर अनियमितताएं की जा रही हैं, बावजूद इसके उनके खिलाफ कोई कार्यवाही ना होना आश्चर्य का ही विषय है। इसकी सूचना विभागीय मंत्री महेंद्र हार्डिया, प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण, संचालक, आयुक्त राजस्व जबलपुर के साथ ही साथ जिला कलेक्टर सिवनी को अनेक मर्तबा की जा चुकी है पर इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है।
कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने 15 जनवरी को संयुक्त रूप से इसकी शिकायत जिला कलेक्टर को की थी, पर नतीजा सिफर ही है। बताया जाता है कि वे पिछले साल 31 जुलाई को जिले के आदेगांव औषधालय में अपनी उपस्थिति देने के बाद 1 अगस्त से 18 अगस्त तक लगातार अनुपस्थित रहे हैं। उनका यह अवकाश स्वीकृत नहीं हुआ है पर उन्होंने आहरण वितरण अधिकार होने के चलते अपना वेतन इस अवधि का निकाल लिया है।
आदेगांव निवासी राकेश जैन ने इस संबंध में मुख्यमंत्री आनलाईन पर शिकायत भी की थी। इसकी जांच में डॉ.गर्ग को उक्त आलोच्य अवधि में अनुपस्थित होना पाया गया था। इतना ही नहीं आदेगांव औषधालय में दो हाजिरी पत्रक भी जप्त किए गए जिसमें एक में इन्होंने चिकित्सकीय अवकाश तो दूसरे में कर्तव्यों पर उपस्थिति दर्शाई थी।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि डॉ.गर्ग की सर्विस बुक में भी अनेक अनियमितताएं हैं। आरोपित है कि डॉ.गर्ग ने कटनी के जिला आयुष अधिकारी कार्यालय से स्वयं ही हस्तलिखित पत्र बनाया और हस्ताक्षर कर उसे अपने पास रख लिया है। डॉ.गर्ग कर्मचारी आचरण संहिता का खुला उल्लंघन करते हुए अपनी सेवा पुस्तिका भी अपने ही पास जुलाई 2012 से रखे हुए हैं।
उधर, कटनी से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने खबर दी है कि जिला आयुष अधिकारी के प्रभार में रहते हुए डॉ.गर्ग ने अपने पद का दुरूपयोग कर कर्मचारियों को उपकृत और प्रताड़ित करने की गरज से उनकी पदस्थापना की और इधर उधर कर्तव्यों के आदेश जारी किए।
साई न्यूज ब्यूरो ने बताया कि कटनी के कांग्रेस के विधायक संजय पाठक द्वारा इस संबंध में मामला विधानसभा में उठाया। विधानसभा के पटल पर मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा था कि डॉ.एस.डी.गर्ग की जांच आयुक्त जबलपुर संभाग द्वारा करवाई जा रही है। जिला आयुष अधिकारी कार्यालय कटनी के सूत्रों ने साई न्यूज ब्यूरो को बताया कि डॉ.गर्ग को आयुष अधिकारी कटनी का प्रभार 7 नवंबर को दिया गया था, किन्तु इन्होंने गंभीर वित्तीय अनियमितता करते हुए सितम्बर एवं अक्टूबर माह का भी एनपीए एरियर का आहरण कर लिया।
डॉ.गर्ग के खिलाफ विभागीय कर्मचारियों विशेषकर महिला कर्मचारियों ने अभद्र व्यवहार की शिकायत प्रभारी मंत्री से भी की जा चुकी है। संभागीय आयुष अधिकारी डॉ.के.के.मिश्रा से जब साई न्यूज ब्यूरो ने उनके मोबाईल 942464401 पर संपर्क किया गया तो उन्होने बताया कि डॉ.गर्ग के खिलाफ शिकायतों की जांच 30 अप्रेल को पूरी की जा चुकी है, किन्तु वे वर्तमान में अपने पुत्र की शादी के सिलसिले में बाहर हैं, एवं 26 मई को वापस आने पर ही वे इस संबंध में कोई टिप्पणी कर पाएंगे।
उधर, जबलपुर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से सुरेंद्र जायस्वाल ने बताया कि डॉ.गर्ग के खिलाफ शिकायत की जांच पूरी होने के बाद डॉ.मिश्रा ने जानबूझकर उसे रोककर रखा गया है। इस संबंध में वे जांच प्रतिवेदन जान बूझकर उच्चाधिकारियों को भेजने में हीला हवाला कर रहे हैं।
0 कोर्इ्र मुख्यालय नहीं आएगा! देख लूंगा शिकायतकर्ताओं को!
जिला आयुष अधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एक बार फिर जिला आयुष अधिकारी का प्रभार लेने के बाद अब डॉ.गर्ग के तेवर काफी तल्ख हो गए हैं। उन्होंने अब कर्मचारियों को सीधे धमकाना आरंभ कर दिया है। बीते शनिवार लखनादौन और सोमवार तथा मंगलवार को सिवनी में कर्मचारियों के साथ बैठक में डॉ.गर्ग ने कर्मचारियों को जमकर लताड़ा।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में डॉ.गर्ग ने चेतावनी दी है कि उनके खिलाफ शिकायत करने वालों को वे देख लेंगे। अगर किसी ने उनके खिलाफ शिकायत की तो वे उसकी सीआर तक बिगाड़ देंगे। डॉ.गर्ग ने साफ तौर पर कर्मचारियों को हिदायत दे दी है कि अगर किसी को कोई भी काम है तो वह डाक से आवेदन या पत्र भेजे, खुद मुख्यालय उपस्थित होने की कोई आवश्यक्ता नहीं है। इसका अनुपालन नहीं करने पर कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगीं
0 विधायकों ने नजदीकी बताते हैं डॉ.गर्ग
चर्चा है कि जिला आयुष अधिकारी डॉ.एस.डी.गर्ग अपने आप को जिले के भाजपाई विधायकों का करीबी बताने से नहीं चूक रहे हैं। चर्चा तो यहां तक भी है कि आदेगांव पदस्थाना के दौरान वे लखनादौन विधायक श्रीमति शशि ठाकुर के काफी नजदीक आ गए थे। इसी नजदीकी का फायदा उठाकर वे लोगों को धमकाने से नहीं चूक रहे हैं। वहीं शशि ठाकुर ने साई न्यूज से चर्चा के दौरान कहा कि अगर डॉ.गर्ग गलत हैं तो वे स्वयं कलेक्टर से उनके खिलाफ कार्यवाही को कहेंगी।

शिक्षा का गिरता स्तर, जिम्मेदार कौन?


शिक्षा का गिरता स्तर, जिम्मेदार कौन?

(लिमटी खरे)

सिवनी जिले में माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल के तहत संचालित सरकारी और निजी शालाओं का इस साल का दसवीं और बारहवीं का परीक्षा परिणाम निराशाजनक कहा जा सकता है। दोनों ही कक्षाओं में प्रदेश की प्रावीण्य सूची में सिवनी जिले का नामोनिशान ही नहीं है। इसके साथ ही साथ परीक्षा का परिणाम दसवीं में सरकारी स्कूल में 47.41 तो निजी शालाओं में 15.48 फीसदी रहा है। बारहवीं की परीक्षाओं में सरकारी स्कूल में यह 83.24 तो निजी शालाओं में 73.66 फीसदी है। बाहरवीं का परीक्षा परिणाम कुछ हद तक संतोषप्रद माना जा सकता है।
मध्य प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मण्डल के हाई स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा (दसवीं) के निराशाजनक परीक्षा परिणामों को देखकर लगने लगा है कि अब मध्य प्रदेश सरकार और सिवनी के शिक्षा के क्षेत्र के आलंबरदारों को अपने शिक्षा तंत्र के बारे में सोचना आवश्यक हो गया है। एचएसएस परीक्षा परिणाम वैसे भी अनेक संकेत दे रहे हैं।
कितने आश्चर्य की बात है कि इस बार दसवीं में सरकारी स्कूलों में 47 तो निजी स्कूलों में 15 फीसदी विद्यार्थियों के हाथ सफलता ही लगी है। परिणामों की घोषणा के साथ ही समूचे जिले में मायूसी की लहर व्याप्त हो जाना स्वाभाविक ही है। दुनिया भर में पसरी आर्थिक मंदी से भारत अछूता नहीं है। इस मंहगाई के जमाने में मध्य प्रदेश में निवास करने वाले मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के सामने अपने बच्चों को शिक्षा दिलाना काफी दुष्कर ही प्रतीत हो रहा है। माध्यमिक शिक्षा मण्डल से संबद्ध शालाओं में अध्ययन करने वाले असफल विद्यार्थियों के परिवारों में उदासी और असंतोष के बीज पनपना जाहिर है।
मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को मानो जंग लग चुकी है। शिक्षक के पद पर भर्ती होकर अन्य विभागों में संविलियन के साथ ही साथ सरकारी शिक्षकों से पल्स पोलियो, नसबंदी, चुनाव जैसे कार्यों में बेगार करवाना निश्चित रूप से देश के नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही कहा जाएगा।
कितने आश्चर्य की बात है कि प्रतिबंध के बावजूद भी शिक्षकों का अध्यापन से इतर अन्य कार्यों के निष्पादन के लिए अटेचमेंट आज भी बदस्तूर जारी है। पहुंच संपन्न शिक्षक शहरों की ओर रूख करते नजर आते हैं, गांव के स्कूल शिक्षक विहीन पड़े हुए हैं। न शासन और न प्रशासन यहां तक कि राजनेताओं को भी अपने वोट बैंक की खातिर इस ओर देखने की फुर्सत नहीं है।
ऐसा नहीं कि विभागीय उच्चाधिकारियों अथवा शासन में बैठे प्रमुख सचिव से लेकर सेक्शन के बाबू को इस बारे में माहिति न हो। जानते सभी हैं पर मजबूर हैं मौन रहने को। साल भर शालाओं का निरीक्षण चलता है, किन्तु रीते पद रीते ही रह जाते हैं। निरीक्षक की औपचारिकता कैसे पूरी होती हैं, यह बात सभी बेहतर तरीके से जानते हैं।
यहां आश्चर्यजनक पहलू यह भी है कि मोटी फीस लेकर अध्यापन को पेशा बनाने वाले अशासकीय स्कूलों में परीक्षा परिणाम प्रभावित क्यों हुए? इस तरह की शालाओं को तो चुनाव और अन्य बेगार के कामों से मुक्त रखा गया है। फिर आखिर ऐसी कौन सी वजह है कि इन शालाओं मेें भी विद्यार्थियों का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा।
एक समय था जब शालाओं में शिक्षिकाएं बैठकर स्वेटर बुना करती थीं, पर तब भी उनके द्वारा कराया जाने वाला अध्यापन का काम वास्तव में उचित और करीने वाला होता था। कुछ सालों पहले तक शिक्षा का स्तर संतोषजनक कहा जा सकता था, पर अब यह स्तर तेजी से नीचे गिरा है, जो चिंतनीय ही कहा जाएगा।
सिवनी में निजी स्तर पर माध्यमिक शिक्षा मण्डल से मान्यता प्राप्त ना जाने कितने शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों को गढ़ने के काम में लगे हुए हैं, पर उनके हाथ असफलता ही लगी है। कारण स्पष्ट है कि शिक्षकों ने इस साल मेहनत ना के बराबर ही की है। शिक्षकों के घरों पर ट्यूशन की भीड़ साफ कर देती है कि अब शिक्षा का पेशा धन कमाने का साधन बन चुका है।
जिला प्रशासन को चाहिए कि शिक्षा विभाग के प्रभारी उपजिलाध्यक्ष (ओआईसी) को इसके लिए पाबंद करे कि इस साल परीक्षा परिणाम सुधारे जा सकें। इसके लिए सरकारी और निजी विद्यालयों का औचक निरीक्षण डिप्टी कलेक्टर द्वारा समय समय पर किया जाए यह सुनिश्चित किया जाए। साथ ही साथ शिक्षकों द्वारा घरों पर पढ़ाई जाने वाली ट्यूशन को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए ऐसे कुछ मार्ग निकालने होंगे, वरना इस साल की तरह पालक लुटते रहेंगे और विद्यार्थी पास तो हो जाएंगे पर उनका ज्ञानार्जन का सपना अधूरा ही रह जाएगा।