सोमवार, 23 जुलाई 2012

प्रणव का स्थान लिया अहमद ने!


प्रणव का स्थान लिया अहमद ने!

पटेल बने कांग्रेस के नए संकटमोचक

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी को कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता था। उनके महामहिम राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित और चुने जाने के साथ ही यह चर्चा आरंभ हो गई थी, कि आखिर उनके स्थान पर कांग्रेस को संकट से उबारने में कौन महती भूमिका निभाएगा? पिछले एक माह के प्रदर्शन के आधार पर कहा जाने लगा है कि प्रणव मुखर्जी के वारिस के बतौर अब कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल ने काम करना आरंभ कर दिया है।
अहमद पटेल के सितारे इन दिनों खासे बुलंदी पर हैं। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) में जिस तरह एक समय विसेंट जार्ज की तूती बोला करती थी, वह केंद्र अब पूरी तरह अहमद पटेल मय होता दिख रहा है।
10, जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पिछले एक महीने में प्रणव मुखर्जी की अनुपस्थिति और व्यस्तताओं के चलते उनकी सारी जवाबदारी अहमद पटेल ने बखूबी निभाई है। वे अहमद पटेल ही थे जिन्होंने कांग्रेस को रायसीना हिल्स की जंग में जीत के मार्ग प्रशस्त करवाए।
सूत्रों ने बताया कि संकट के दौरान सियासी नेताओं से बातचीत कर माहौल को कांग्रेस के पक्ष में अहमद पटेल ने ही मोड़ा है। मामला चाहे ममता बनर्जी को मनाने का हो, या मुलायम सिंह यादव को यू टर्न दिलवाने का अथवा सीताराम येचुरी से चर्चा कर उन्हें मनाने का, हर मामले को बखूबी अंजाम दिया है अहमद पटेल ने। ममता बनर्जी को कांग्रेस के पक्ष में लाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।
इतना ही नहीं दिल्ली की निजाम श्रीमति शीला दीक्षित और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच पानी के विवाद को खत्म कराकर बीच का रास्ता निकालने वाले भी कोई और नहीं अहमद पटेल ही थे। अहमद पटेल को अब कांग्रेस में शक्ति पुंज के रूप में देखा जा रहा है।
अहमद पटेल के ताकतवर होते ही यह संभावनाएं भी बलवती हो रही हैं कि टीम अहमद भी जल्द ही फुल फार्म में आ सकती है। इसके चलते पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके सुरेश पचौरी के ताकतवर होकर उभरने के संकेत भी मिलने लगे हैं।

25 को संभालेंगे प्रणव देश की कमान


25 को संभालेंगे प्रणव देश की कमान

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रणब मुखर्जी बुधवार को देश के १३वें राष्ट्रपति का कार्यभार संभालेंगे। मुख्य न्यायाधीश संसद भवन के ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष में उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाएंगे। यूपीए उम्मीदवार ७६ वर्षीय श्री मुखर्जी को कल जबर्दस्त बहुमत से निर्वाचित घोषित किया गया।
उन्होंने लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष ६४ वर्षीय पी.ए. संगमा को पराजित किया। देश के इस शीर्ष संवैधानिक पद के लिए श्री मुखर्जी को सात लाख १३ हजार से ज्यादा वोट मिले, जबकि श्री संगमा को तीन लाख १५ हजार वोट मिले। श्री मुखर्जी ने अभूतपूर्व समर्थन व्यक्त करने के लिए जनता का आभार व्यक्त किया।
नवनिर्वाचित महामहिम ने कहा है कि वे सभी निर्वाचन मंडली को बधाई देना चाहते हैं और उनकी मदद से सभी लोगों को जिन लोगों ने प्रणव मुखर्जी को इस मुकाम तक पहुचने में मदद की हैं मुखर्जी ने संक्षेप में कहा कि वे यही कामना करते हैं कि सब कुछ ठीक ठाक ही रहे।
नई दिल्ली में अपने आवास पर आए लोगों को श्री मुखर्जी ने भरोसा दिलाया कि वे देश के संविधान के संरक्षण और सुरक्षा की जिम्मेदारी समुचित ढंग से निभाएंगे। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने श्री मुखर्जी को फोन पर बधाई दी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और कई केन्द्रीय मंत्रियों ने श्री मुखर्जी के आवास पर जाकर उन्हें बधाई दी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई और डीएमके अध्यक्ष एम करूणानिधि ने भी  श्री मुखर्जी को बधाई दी। श्री संगमा ने भी श्री मुखर्जी को देश का राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी है।
भारतीय जनता पार्टी ने श्री मुखर्जी को बधाई दी है। पार्टी प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि श्री मुखर्जी सम्मानित व्यक्ति हैं और राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ायेंगे। उद्योग क्षेत्र ने भी श्री मुखर्जी को बधाई देते हुए नई जिम्मेदारी के लिए उनकी सफलता की कामना की है। बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी सरकार और जनता की तरफ से श्री मुखर्जी को हार्दिक बधाई दी।श्री प्रणब मुखर्जी ने अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में अनेक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के मिराती गांव में ११ दिसम्बर १९३३ को जन्मे श्री प्रणब मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनैतिक विज्ञान में एम. ए. और विधि स्नातक है। श्री मुखर्जी ने अपना कॅरियर कोलकाता में पोस्ट ऐंड टेलीग्राफ डिपाटमेंट में अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में शुरू किया। वे कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे और बाद में उन्होंने पत्रकार के तौर पर भी काम किया।
उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत १९६९ में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के साथ जुड़ने से हुई। वे श्रीमती गांधी के मंत्रीमंडल में पहली बार १९७३ में मंत्री बने। अपने लगभग ५ दशक के राजनीतिक कॅरियर के दौरान उन्होंने सरकार में वाणिज्य, वित्त और विदेश मामलों जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों को संभाला।
वे राज्य सभा और लोक सभा में विपक्ष के नेता भी रहे। श्री मुखर्जी को कई सम्मान और उपाधियां भी दी गईं। १९८४ में यूरोमनी मैंगजीन के सर्वेक्षण में उन्हें विश्व का सबसे बेहतरीन वित्त मंत्री घोषित किया गया। २००८ में उन्हें देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पदमविभूषण प्रदान किया।
इधर, समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील के सम्मान में आज संसद के केन्द्रीय कक्ष में विदाई समारोह आयोजित किया जाएगा। आकाशवाणी दिल्ली से इस आयोजन का सीधा प्रसारण शाम पांच बजकर २५ मिनट से किया जाएगा। यह प्रसारण राष्ट्रीय नेटवर्क पर उपलब्ध होगा।

आखिर क्यों लिया रीढ़ विहीन कांग्रेस ने यूटर्न


आखिर क्यों लिया रीढ़ विहीन कांग्रेस ने यूटर्न

महाकौशल के प्रबंधन गुरू की भूमिका संदिग्ध

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। भ्रष्टाचार के मामले में सदन से सड़कों तक संघर्ष का एलान करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के यूटर्न से नेता ही नहीं कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं कि अखिर क्या वजह है कि कांग्रेस को बैकफुट पर जाने को मजबूर होना पड़ा जबकि इस मामले में भाजपा की चूक का फायदा कांग्रेस के पाले में ही चुका था। इस मामले में कांग्रेस के महाकौशल के एक स्थापित स्वयंभू प्रबंधन गुरू राजनेता की भूमिका संदेह के दायरे में आ रही है।
भाजपा के एक पदाधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस के विधायक कल्पना पारूलेकर और राकेश सिंह की बर्खास्तगी के आनन फानन में लिए गए निर्णय से भाजपा के आला नेता बेहद भयाक्रांत थे। भाजपा के नेताओं को इससे यह भय सता रहा था कि कहीं कांग्रेस के विधायक एक साथ त्यागपत्र देकर नया संकट ना खड़ा कर दें।
उक्त पदाधिकारी ने आगे कहा कि भाजपा इस निर्णय से रक्षात्मक मुद्रा में साफ दिखाई दे रही थी। इसके बाद भाजपा के संकट मोचकों ने इस समस्या को हल करने के लिए कांग्रेस के आला नेताओं से भी संपर्क साधा। कांग्रेस के हाथ में आए इस मौके से कांग्रेस के नेताओं ने भी इस मसले पर हाथ ही उठा दिए थे।
उन्होंने कहा कि इसी बीच भाजपा का संपर्क कांग्रेस के एक प्रबंधन गुरू से हुआ। ये प्रबंधन गुरू महाकौशल अंचल से आते हैं। कहा जा रहा है कि इन्हीं की बिछाई बिसात पर कांग्रेस एक बार औंधे मुंह गिर गई है। चर्चा है कि उक्त दोनों ही विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के फैसले के बाद चुनाव आयोग द्वारा अगर दोनों सीट रिक्त घोषित कर दी जातीं तो उनकी बहाली फिर बेहद मुश्किल होती।
कहा जा रहा है कि उक्त दोनों की विधायकों को यह बात समझाई गई कि अगर एसा हुआ तो उनकी सीटों पर होने वाले उपचुनावों में भाजपा पहले की तरह कब्जा जमाने में देरी नहीं करेगी। इन परिस्थितियों में दोनों ही नेताओं ने पार्टी की लाईन से इतर अपना माफीनामा भिजवा दिया है।
कांग्रेस के कार्यकर्ता इन नई उपजी परिस्थितियों से असमंजस में हैं, क्योंकि जिस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी बी.के.हरिप्रसाद, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह जैसे नेता भाजपा को कड़ी चुनौती दे रहे थे, अब इसमें क्या किया जाए। इस मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया की भूमिका भी संदिग्ध ही मानी जा रही है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कल्पना पारूलेकर और चौधरी राकेश सिंह के मामले को लेकर कांग्रेस के तेवर इतने उग्र थे कि विधायकों ने सामूहिक तौर पर आलाकमान से त्यागपत्र देने की पेशकश तक कर डाली थी। इसके बाद अचानक ही दोनों विधायकों ने आसंदी पर चढ़ने पर खेद जता दिया है।
ज्ञातव्य है कि इसके पूर्व विधानसभा स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी ने बुधवार को राज्यपाल रामनरेश यादव से मुलाकात कर उन्हें कांग्रेस विधायकों द्वारा आसंदी के साथ किये गये दुर्व्यवहार की सीडी दिखाई। इस सीडी में सबसे पहले चौधरी राकेश सिंह एवं कल्पना पारुलेकर नारे लगाते हुए सभापति की आसंदी तक पहुंचते हैं। सभापति ज्ञानसिंह आसंदी से खड़े होते हैं तो कल्पना पारुलेकर दोनों हाथ उनके कंधे पर रखकर उन्हें जबरन कुर्सी पर बिठाती हैं। इसके बाद वे उनके सामने खड़े होकर नारे लगाने लगती हैं। ज्ञानसिंह को मार्शल कुर्सी से उठाकर आसंदी के पीछे ले जाते हैं। स्पीकर रोहाणी ने इस संबंध में राज्यपाल रामनरेश यादव को विधानसभा के नियमों संबंधी पुस्तक पढ़ाते हुए बताया कि इन दोनों सदस्यों की बर्खास्तगी नियमानुसार है।
उसी समय विधानसभा के डिप्टी स्पीकर हरवंश सिंह की भूमिका को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं। मंगलवार को सुबह साढ़े बजे जब कांग्रेस विधायक दल ने स्पीकर रोहाणी को उनके कक्ष में बंधक बना लिया था तब सदन के संचालन के लिए डिप्टी स्पीकर हरवंश सिंह को कमान संभालनी थी लेकिन वे विधानसभा ही नहीं पहुंचे।
मजबूरी में ज्ञानसिंह को सभापति के रूप में आसंदी पर बिठाया गया। मंगलवार के पूरे घटनाक्रम को लेकर हरवंश सिंह ने स्वयं को अलग रखा था लेकिन बुधवार को जब विधानसभा ने बहुमत के आधार पर कांग्रेस के दो विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी तब अचानक हरवंश सिंह सक्रिय हुए। बताते हैं कि उन्होंने नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बीच संवाद बहाल करने का प्रयास किया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। विधानसभा सचिवालय दोनों सदस्यों की सदस्यता समाप्त कर उनकी सीट को शून्य घोषित करने की सूचना निर्वाचन आयोग को भेज चुका था।

हरियाणा, असम यूपी में हिंसा!


हरियाणा, असम यूपी में हिंसा!

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। हरियाणा, असम और उत्तर प्रदेश में हिंसा का दौर जारी है। असम में एक दर्जन लोगों के मारे जाने की खबर है। बरेली में स्थिति बिगडते देख प्रशासन ने सख्त रवैया अपना लिया है। इधर हरियाणा में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में एक दर्जन से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है।
असम के कोकराझार और चिरांग जिलों में जारी हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर १६ हो गई है। कल चिरांग में अज्ञात हमलावरों ने चार लोगों की हत्या कर दी जबकि कोकराझार में अब तक १२ लोगों की मौत हो चुकी है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के गुवहाटी ब्यूरो से जाकिया तस्मिन रहमान ने समाचार दिया है कि जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक का कर्फ्यू लगा दिया है।
बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स-बीटीएडी के पुलिस महानिरीक्षक के कार्यलय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि हिंसा में शामिल होने के संदेह में अब तक ११ लोगों को हिरासत में लिया गया है। उधर, मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं और सभी लोगों से शांति और सदभाव बनाए रखने का आग्रह किया है।
राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल एनडीआरएस और असम वन संरक्षण बल को भी कोकराझार जिले में तैनात किया गया है। जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए और १२ अफसर तैनात किए गए हैं। केंद्र सरकार ने दूसरी जगहों पर हिंसा की वारदात रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल भेजे हैं। जिले की ३१ संवेदनशील जगहों पर सेना के साथ सुरक्षा बल भी तैनात किए गए हैं। लगभग २६ हजार लोग ३८ राहत शिविरों में रह रहे हैं। असम सरकार नियंत्रण कक्ष के जरिए स्थिति पर नजर रख रही है।
इधर, उत्तर प्रदेश में बरेली शहर में परस्पर विरोधी दो गुटों के बीच हिंसक झड़पों के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया है। शहर के सातों थाना क्षेत्रों-कोतवाली, प्रेमनगर, बारादरी, किला, छावनी, इज्जतनगर और सुभाष नगर में कर्फ्यू लागू है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के लखनऊ ब्यूरो से दीपांकर श्रीवास्तव ने खबर दी है कि एक जुलूस में लाउडस्पीकर लेकर चलने पर झड़प के बाद दो गुटों के बीच गोलीबारी और आगजनी शुरू हो गई। झड़पों में पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए।
इसी तरह हरियाणा में पुलिस और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच झड़प में आठ पुलिसकर्मियों सहित १५ लोग घायल हो गए। यह घटना कल दिल्ली-जयपुर राजमार्ग संख्या 8, पर किसानों की महापंचायत के हिंसक रूप धारण कर लेने पर हुई। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के हरियाणा ब्यूरो से अनेशा वर्मा ने समाचार भेजा है कि इसमें कुछ वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया गया है।
ये महापंचायत भिवानी जिले के असावल गांव में उपजाऊ भूमि के अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों की भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति ने बुलाई थी। जब किसानों से राजमार्ग खाली करने को कहा गया, तो उन्होंने रोडवेज की तीन बसों, एक ट्रक और अग्निशमन दस्ते के एक वाहन में आग लगा दी। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने रिवाड़ी जिले के किसानों से शांति बनाए रखने और कानून अपने हाथ में न लेने की अपील की है।