बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

विवादों में उलझा जिला क्रिकेट संघ!

विवादों में उलझा जिला क्रिकेट संघ!

अस्तित्व में है या भंग हो गया अभी तक नहीं हुआ स्पष्ट

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। जिला क्रिकेट संघ आज भी अस्तित्व में है या भंग हो गया है, यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है। जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राजकुमार खुराना के हवाले से जबलपुर से प्रकाशित एक समाचार पत्र में छपी खबर को अगर सच माना जाए तो जिला क्रिकेट संघ अस्तित्व में है और इसके भंग होने की अफवाहें उड़ाई जा रही हैं।
ज्ञातव्य है कि दैनिक हिन्द गजट द्वारा पूर्व में 10 अक्टूबर को डीसीए का हुआ कांग्रेसीकरणशीर्षक से समाचार प्रकाशित किया गया था। इस समाचार में इस बात का उल्लेख किया गया था कि जिला क्रिकेट संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में, कांग्रेस के नेताओं के स्वागत की अपील कर, खेल प्रेमियों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के सभा स्थल पहुंचने की अपील की गई थी।
हिन्द गजट को ईमेल से प्राप्त समाचार में कहा गया है कि जिला क्रिकेट एॅसोसिएशन के द्वारा नगर में पधार रहे छिन्दवाड़ा सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ, मध्यप्रदेश क्रिकेट एॅसोसिएशन के अध्यक्ष एवं गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, मोहन प्रकाश, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया एवं प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सत्यवृत्त चतुर्वेदी के आगमन पर हार्दिक बधाई प्रेषित करते हुए आभार व्यक्त करता है।
जिला क्रिकेट एॅसोसिएशन की ओर से नीलमणि द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मध्य प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट से जुड़े हुए इन व्यक्तियों के एक साथ सिवनी आगमन पर सिवनी जिला क्रिकेट एॅसाोसिएशन को एक नई दिशा प्रदान होगी जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारी एवं दिशा निर्देशक राजकुमार खुराना (पप्पु भैया) के साथ क्रिकेट एॅसोसिएशन सिवनी के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्य समस्त क्रिकेट प्रेमियों से इस अवसर पर अधिक से अधिक उपस्थिति की अपील की है।
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि क्रिकेट एॅसोसिएशन के द्वारा अपरान्ह 3 बजे मिशन स्कूल मैदान में उक्त अतिथियों का भावभीना स्वागत किया जायेगा। जिला क्रिकेट एॅसोसिएशन के द्वारा इस अवसर पर अधिक से अधिक खेल प्रेमी जनता से सभा स्थल पर पहुंचने की अपील की गई है।
10 अक्टूबर को प्रकाशित इस विज्ञप्ति का डीसीए द्वारा तो कोई खण्डन जारी नहीं किया गया, अलबत्ता 11 अक्टूबर को जिला क्रिकेट संघ के पूर्व उपाध्यक्ष कलाम खान ने दैनिक हिन्द गजट के 10 अक्टूबर के अंक में डीसीए का हुआ कांग्रेसीकरणशीर्षक से प्रकाशित समाचार पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जिला क्रिकेट संघ तीन साल पहले ही भंग हो चुका है, अतः इसके कांग्रेसीकरण का अब सवाल ही नहीं उठता है।
खेल जगत की जानी मानी हस्ती कलाम खान ने आगे कहा कि कुछ सालों पहले जिला क्रिकेट संघ का गठन किया गया था, किन्तु तीन साल तक डीसीए की कोई बैठक का आयोजन ही नहीं किया गया जिससे संघ के संविधान के अनुसार डीसीए स्वतः ही भंग हो गया है।
कलाम खान ने आगे कहा कि जिला क्रिकेट संघ जब भंग ही हो चुका है तो इसके कांग्रेसीकरण का प्रश्न ही नहीं उठता है। और अगर ऐसा हो भी रहा है तो ऐसे राजनीतिकरण करने के प्रयासों को कतई सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि संघ के अस्तित्व में न होने के कारण आधिकारिक तौर पर इसकी गतिविधि जिले में शून्य ही हैं।
जब कलाम खान से पूछा गया कि प्रदेश क्रिकेट एॅसोसिएशन के अध्यक्ष और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही साथ कांग्रेस के अन्य क्षत्रपों के स्वागत की अपील करना, क्या उचित है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है, और वे इसकी निंदा करते हैं।
कलाम खान ने कहा कि संघ के नवीन संगठन के गठन के बाद मीडिया को अवश्य ही सूचित किया जाएगा। साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि संघ की ओर से अगर कोई विज्ञप्ति भी आती है तो पहले इसे सत्यापित अवश्य किया जाए, फिर प्रकाशित किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं करने पर समाचार पत्र पर कानूनी कार्यवाही हेतु वे स्वतंत्र होंगे। चर्चा के साथ ही उन्होंने एक विज्ञप्ति भी हिन्द गजट को दी है, जिसमें कलाम खान के अलावा डीसीए के पूर्व उपाध्यक्ष राकेश जैन, पूर्व सहसचिव शरद खरे, पूर्व मुख्य चयनकर्ता जय श्रीवास्तव के हस्ताक्षर भी हैं।

क्या टीमें अवैध रूप से भेजी गईं!
अगर डीसीए के पूर्व उपाध्यक्ष कलाम खान की बात को सच माना जाए तो पिछले तीन सालों में डीसीए के बेनर तले जो कुछ भी हुआ या टीमें जो चयनित की गई हैं वे अवैध हैं? इस बारे में तरह तरह की चर्चांए आरंभ हो गई हैं।

क्या भाजपाई भी थे कांग्रेस के नेताओं के स्वागत में शामिल
वहीं दूसरी ओर यह चर्चा भी तेज हो गई है कि गत दिवस परिवर्तन यात्रा में आए केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अन्य कांग्रेस के क्षत्रपों के स्वागत की अपील और स्वागत करने में भाजपा के नेता भी शामिल थे, क्योंकि जिला क्रिकेट संघ में भाजपा के जिला स्तर के अनेक नामचीन लोगों का समोवश है।

तीन साल पहले हुई थी स्मृति लॉन में अंतिम बैठक
डीसीए के उपाध्यक्ष रहे प्रमोद मिश्रा का कहना है कि लगभग तीन साल पहले बारापत्थर स्थित तत्कालीन स्मृति लॉन में डीसीए की अंतिम बैठक हुई थी। इस बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज शर्मा ने जिला क्रिकेट संघ की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए साफ शब्दों में कह दिया था कि संघ की उस समय तक की कार्यप्रणाली से संघ के सदस्य संतुष्ट नहीं हैं, अतः संघ को भंग कर नए संघ के गठन की कार्यवाही की जाए। इसके उपरांत संघ को उस समय भंग कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि इसके बाद संघ की बैठक कब हुई, किसको किसको इसका सदस्य बनाया गया, इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है।

शूल ही शूल बिखरे नजर आ रहे रजनीश की राह में!

शूल ही शूल बिखरे नजर आ रहे रजनीश की राह में!

महामंत्री द्वय के बीच कार्यकर्ता पशोपेश में, शक्ति सिंह से जुड़ रहे हरवंश से नाराज लोग

(महेश रावलानी/पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। केवलारी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के कार्यकर्ता पशोपेश में हैं कि वे हरवंश सिंह के सुपुत्र रजनीश सिंह ठाकुर का साथ दें, या फिर युवा तुर्क शक्ति सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें। इसका कारण यह है कि दोनों ही कांग्रेस के स्थानीय क्षत्रप आज भी जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री हैं, और महामंत्री होने के नाते कार्यकर्ताओं के लिए दोनों ही नेता बराबरी का दर्जा रख रहे हैं।
अब जबकि कांग्रेस की ओर से केवलारी विधानसभा क्षेत्र से किसी को भी अधिकृत प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है, इन परिस्थितियों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का धु्रवीकरण बहुत तेजी से हो रहा है। कार्यकर्ता असमंजस में हैं, कि कांग्रेस की टिकिट आखिर किसे मिलेगी। कुछ लोग मीडिया के जरिए यह प्रचारित करने से नहीं चूक रहे हैं, कि हरवंश ंिसह के पुत्र रजनीश सिंह को ही कांग्रेस द्वारा आधिकारिक उम्मीदवार बनाया जाना तय है। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ इंका नेता बसंत तिवारी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया, कांग्रेस के दिलीप दुबे, अल्प संख्यक कोटे से शमी अंसारी के अलावा सबसे ताकतवर प्रत्याशी के बतौर कुंवर शक्ति सिंह का नाम सामने आ रहा है। सारे के सारे संभावित प्रत्याशी युद्ध स्तर पर क्षेत्र को नापने में लगे हुए हैं।

अलग थलग पड़ रहे रजनीश
हरवंश सिंह ठाकुर के शासन काल में जिन कार्यकर्ताओं या नेताओं के आत्म सम्मान को कुचला गया है, उन कार्यकर्ताओं और नेताओं के मन में आज भी कसक बनी ही हुई है। वह तो हरवंश सिंह का आभा मण्डल और कार्यकर्ता को साईज में लाने का माद्दा था कि उनके जीवित रहते, कार्यकर्ता अपमानित होने के बाद भी अपनी जुबान नहीं खोलता था। पर अब हरवंश सिंह के अवसान के उपरांत मामले ने यू टर्न ले लिया है। अब हरवंश सिंह से प्रताड़ित कार्यकर्ताओं के सुर मुखर होते जा रहे हैं।
13 जून को सिवनी में हुई सभा में भले ही केंद्रीय नेताओं ने रजनीश सिंह को दिलासा दी हो, पर उस दिन रजनीश सिंह के भाषण में नाटकीयता देखकर मंचासीन नेता भी कई बार कुटिल मुस्कान के साथ रजनीश को तरेरते नजर आए। इसके उपरांत क्षेत्र में जैसे ही यह संदेश गया कि रजनीश सिंह ठाकुर की टिकिट कांग्रेस की ओर से फायनल हो चुकी है। वैसे ही हरवंश सिंह विरोधी तत्व सक्रिय हो गए। इन सारे लोगों ने लामबंद होकर रजनीश सिंह के विरोध का परचम उठा लिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिलीप दुबे भी शक्ति सिंह के साथ ही भ्रमण करते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष और कान्हीवाड़ा क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले अनिल चौरसिया के साथ, कान्हीवाड़ा में कांग्रेस महामंत्री कुंवर शक्ति सिंह एक कार्यक्रम में एक साथ शिरकत करने वाले हैं।

प्रीता, मुकेश का जाना रजनीश को झटका
हरवंश सिंह अपने समय में सारे समीकरणों को अपने हिसाब से साधकर जिले में कांग्रेस की कठपुतलियों की डोर अपने हाथ में रखा करते थे। उनके अवसान के बाद ये डोर यत्र तत्र बिखरी पड़ी दिख रही है। गत दिवस कांग्रेस की नेत्री और जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष प्रीता तामसिंह ठाकुर ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। यह झटका कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार रजनीश सिंह ठाकुर के लिए असहनीय हो सकता है। वहीं दूसरी ओर धनौरा क्षेत्र से मुकेश जैन का कांग्रेस के प्रति मोहभंग होना भी, रजनीश सिंह ठाकुर के लिए बहुत शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है। मुकेश जैन ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का दामन थामा है।

छोटा है रजनीश का कद
हरवंश सिंह का कद अपने आप में महत्वपूर्ण था। वे हर परिस्थिति से निपटने की क्षमता रखते थे। हरवंश सिंह पर भाजपा की तत्कालीन सांसद और वर्तमान विधायक श्रीमति नीता पटेरिया द्वारा आमानाला काण्ड में जानलेवा हमले का आरोप लगाकर एफआईआर करवाई थी, पर हरवंश सिंह ने अपनी बाजीगरी से वह मामला भी शांत ही करवा दिया था। इधर, एक दुर्गाउत्सव पंडाल में रजनीश सिंह के द्वारा 2100 रूपए दिए जाने की बात उछली, फिर केवलारी एसडीओपी द्वारा उनके काफिले को रोक दिया गया। ये सारी बातें जब क्षेत्र में पहुंचीं तो लोगों को लगने लगा, कि रजनीश सिंह का कद अभी बहुत छोटा है, और रजनीश सिंह शायद ही केवलारी के लोगों के लिए विकास की बातें उपर तक पहुंचा सकें।

भारी पड़ रहे हैं शक्ति
उधर, दूसरी ओर क्षेत्र में चल रही चर्चाओं के अनुसार, कांग्रेस के दूसरे महामंत्री और केवलारी से कांग्रेस की टिकिट के प्रबल दावेदार शक्ति सिंह, रजनीश सिंह ठाकुर के उपर भारी पड़ते दिख रहे हैं। रजनीश सिंह के साथ भले ही कांग्रेस के बड़े क्षत्रप खड़े हों पर क्षेत्र में चल रही चर्चाओं के अनुसार वोट तो क्षेत्र की जनता को ही देना है। क्षेत्र में खेलों विशेषकर पारंपरिक कुश्ती को जिंदा कर शक्ति सिंह ने युवाओं का दिल जीता है। इसके साथ ही साथ शक्ति सिंह के साथ सबसे बड़ा प्लस र्प्वाइंंट यह है कि वे जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहे हैं, और उपाध्यक्ष रहते हुए उनका कार्यक्षेत्र संपूर्ण जिला रहा है।

वहीं, दूसरी ओर शक्ति सिंह शिक्षा समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। शिक्षा समिति के अध्यक्ष रहते शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में उन्होंने पारदर्शिता अपनाई, जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है। शक्ति सिंह के साथ वर्तमान जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया भी कंधे से कंधा मिलाए खड़े दिख रहे हैं। अनिल चौरसिया ने हरवंश सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था और लगभग साढ़े छः हजार मत हासिल किए थे, इस लिहाज से शक्ति सिंह की दावेदारी कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है।

असत्य पर सत्य की विजय

असत्य पर सत्य की विजय

(शरद खरे)

असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है विजयदशमी। इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक के स्वरूप में मनाया जाता है। दशहरे में लोग रावण दहन करते हैं। रावण को बुराई का प्रतीक मानकर उसका दहन किया जाता है। वैसे रावण बहुत विद्वान था, किन्तु रावण के द्वारा सीता हरण के चलते उसे बुराई का प्रतीक माना गया है। रावण अपने बल और सत्ता के मद में चूर था। यही कारण था कि उसने अपने अधिकार से बाहर जाकर सीता का हरण किया। उस वक्त नैतिकता का बोलबाला था। रावण ने सीता का हरण अवश्य किया, किन्तु सीता माता की इजाजत के बिना वह उन्हें अंगीकार नहीं कर सका। सीता माता को रावण ने अपने महल के बाहर ही एक वाटिका में रखा था। यह था उस वक्त मानवता और नैतिकता का तकाजा।
आज समय बदल गया है। नैतिकता किस चिड़िया का नाम है यह लोग नहीं जानते हैं, लोगों को यह नहीं पता है कि नैतिकता के मायने क्या होते हैं। रामायण काल से आज तक मानव सभ्यता, सोच विचार, चाल चलन, संस्कृति आदि में अमूल चूल परिवर्तन हुए हैं। भारत वर्ष की परंपराओं और संस्कृति का चहुंओर आदर किया जाता रहा है। भारत की सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा हर कोई करता आया है।
सिवनी जिले की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का गौरवशाली इतिहास रहा है। आजादी के उपरांत का ही इतिहास देखा जाए तो सिवनी जैसे भाईचारे की मिसाल और गंगा जमुनी तहजीब के बारे में सभी बेहतर जानते हैं। सिवनी में सभी धर्म, संप्रदाय के लोग आपस में मिल जुलकर रहते आए हैं। एक दूसरे के दुख-सुख में साथ देना, यहां के लोगों का प्रिय शगल रहा है। हर वर्ग, धर्म, संप्रदाय के त्यौहारों को सभी ने मिलजुलकर मनाया है, इतिहास इस बात का गवाह है।
हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि नब्बे के दशक के आगाज के साथ ही सिवनी जिले के सियासी बियावान में राजनैतिक क्षरण बहुत तेजी से हुआ है। सिवनी में सियासी लोगों के लिए राजनीति मानो साम, दाम, दण्ड और भेदकी बैसाखी पर चलने का नाम हो गया है। मनी पॉवर और मसल पॉवर के दम पर राजनैतिक लोगों ने अपनी जीजिविशा को शांत किया है। लोगों के दुखदर्द से मानो किसी को लेना देना ही नहीं रह गया है।
प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा ने आपस में मिलकर एक सिंडीकेट बना लिया है। दोनों ही दल एक दूसरे का छद्म विरोध कर जनता को भरमा रहे हैं। एक दल के लोग अगर सत्ता में आते हैं, तो वे मनमाफिक काम करके पैसा कमाते हैं, और विपक्ष में बैठा दूसरा दल उसका दिखावटी विरोध करता नजर आता है। इस विरोध के बाद भी ठोस परिणाम सामने कभी नहीं आए। उदहारण के तौर पर कांग्रेस के कद्दावर मंत्री रहे हरवंश सिंह ठाकुर के मंत्री रहते हुए भीमगढ़ जलावर्धन योजना का आगाज हुआ। सिवनी के लोगों को उम्मीद जगी कि कम से कम दो समय तो उन्हें भरपूर पानी मिल सकेगा। दिन में दो बार तो छोड़िए महीने में ही कई कई दिन नल नहीं आते। उस समय विपक्ष में सिवनी से भाजपा विधायक थे नरेश दिवाकर। नरेश दिवाकर ने कभी इस बात को विधानसभा में नहीं उठाया। इसका कारण क्या था, यह बात तो वे ही जानें पर भाजपा द्वारा इस मामले को विधानसभा या नगर पालिका चुनाव तक में कभी मुद्दा नहीं बनाया जाना इस बात का द्योतक है कि समूचे कुएं में ही भांग घुली हुई है।
एक नहीं अनेकों मामले ऐसे हैं, जिनमें कांग्रेस और भाजपा की जुगलबंदी के कारण, सिवनी की जनता आज आज़ादी के साढ़े छः दशकों बाद भी बाबा आदम के जमाने की बैलगाड़ी पर ही यात्रा करने को मजबूर हैं। चुनाव आते ही कांग्रेस भाजपा को तो भाजपा कांग्रेस को कोसने पर अमादा हो जाती है। अरे जनाब जब आप सांसद या विधायक हैं तो उचित मंच यानी विधानसभा या लोकसभा में आखिर प्रश्न पूछने में आपको शर्म कैसी?
क्या हमारे जिले के सांसद और विधायकों के अंदर इतना माद्दा है, कि वे जनता के सामने इस बात को ईमानदारी से रख सकें कि उन्होंने विधानसभा या लोकसभा में सिवनी के हितों को लेकर कितने प्रश्न पूछे? और जो प्रश्न लगाए उनके जवाब के दिन वे सदन में ही बहस के लिए उपस्थित रहे। वस्तुतः होना यह चाहिए कि सांसद या विधायक की जवाबदेही भी निर्धारित होना चाहिए। हर बार सदन के अवसान पर सांसद विधायकों को जनता के सामने एक-एक दिन का हिसाब प्रस्तुत करना चाहिए। अगर सांसद विधायक अपनी दिनचर्या को प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं तो कम से कम विपक्ष में बैठे दलों को तो उनसे इसकी मांग करना चाहिए।
विडम्बना ही कही जाएगी कि आज राजनीति जनसेवा का साधन बनने की बजाए व्यवसाय बन चुकी है। आज ज्यादातर नेता व्यवसाई हैं। वे अपनी विपक्षी पार्टी का विरोध इसलिए नहीं कर पाते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं विपक्षी दल उनके व्यवसाय की शिकायत न कर दे। अगर शिकायत हुई तो उनके व्यवसाय पर बुरा असर पड़ सकता है। संभवतः यही कारण है कि आज नेता एक दूसरे का विरोध नूरा कुश्तीकी तर्ज पर ही करते आ रहे हैं।
दशहरा या विजय दशमी के पर्व पर कम से कम सिवनी के राजनेता यह शपथ ले लें कि वे सिवनी के हित में ही काम करेंगे चाहे उनका व्यवसाय रहे अथवा जाए। अगर उन्हें व्यवसाय करना है तो वे राजनीति को तिलांजली दे दें, या राजनीति करनी है तो व्यवसाय छोड़ दें। दो नावों पर पैर रखकर चलने से सिवनी के वाशिंदों का बंटाधार निश्चित है। इसलिए आज आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने अंदर के बुराई रूपी रावण का दहन करें और दशहरे की परंपरानुसार नए निश्छल स्वरूप को धारण कर सिवनी जिले की उन्नति के मार्ग प्रशस्त करने की सौगंध उठाएं।