सोमवार, 16 नवंबर 2009

घर ही नहीं संभाल पा रहे हैं, युवराज


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)




घर ही नहीं संभाल पा रहे हैं, युवराज


कांग्रेस की नजर में देश के युवराज राहुल गांधी के नाम का डंका भले ही देश भर में बज रहा हो पर उनके अपने संसदीय क्षेत्र में ही उनकी हालत बेहद पतली नजर आ रही है। हाल ही में संपन्न हुए उपचुनावों में कांग्रेस को मिली आशातीत सफलता से कांग्रेस के दिग्गज पदाधिकारी बहुत ज्यादा उत्साहित नजर आ रहे हैं। सभी इस जीत का सेहरा राहुल गांधी के सर बांधने से नहीं चूक रहे हैं। राहुल गांधी के महिमा मण्डन के साथ ही कांग्रेसी नेता यह भूल गए हैं कि राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र के इसौली विधानसभा में कांग्रेस अपनी अस्मत नहीं बचा पाई है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने धमाकेदार जीत अर्जित की है। सपा से जुडे विधायक चंद्रभान सिंह के त्यागपत्र के कारण हुए इस उपचुनाव में इस बार वे बसपा के उम्मीदवार थे, जिन्होंने यहां जीत की हेट्रिक बनाई है। राहुल के संसदीय क्षेत्र के इस विधानसभा में हुए चुनावों में बसपा उम्मीदवार को 82,053 तो कांग्रेस के खाते में महज 32,686 मत ही आए हैं। एसा नहीं है कि इस हकीकत से कांग्रेस के युवराज अनजान हों, पर जब देश भर में उनके नाम के जयकारे लग रहे हों तब यह मामूली सी हार किसी कोने में दब ही जाएगी, मगर बडी बात तो यह है कि राहुल अपने घर को ही नहीं सहेज कर रख पा रहे हैं।






हिंसा और अहिंसा का संगम हैं राज ठाकरे


महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के सुप्रीमो और सूबे में कानून और व्यवस्था को हाथ में लेकर घूमने वाले राज ठाकरे मूलत: हिंसा (हिटलर) और अहिंसा (महात्मा गांधी) के विचारों का संगम हैं। यह बात कोई और नहीं वरन मनसे की आधिकारिक वेव साईट कह रही है। मनसे की इस साईट को पढने के बाद लोगों के जेहन में यह बात कौंधना स्वाभाविक ही होगा कि एक शिख्सयत हिंसा और अहिंसा दोनों का संगम कैसे हो सकता है। जानकारों का कहना है कि मनसे चीफ और आतंक फैलाने, हिंसा बरपाने का पर्याय बन चुके राज ठाकरे के अब तक के क्रिया कलापों को देखकर लगता है कि वे महात्मा गांधी के बजाए हिटलर के रास्ते पर ही चल रहे हैं। अब तक राज ने एसा कोई काम करके नहीं दिखाया है, जिससे उन्हें अहिंसा का पुजारी माना जाए। जातीयता, धर्म के नाम पर लोगों को बांटने की सरेआम राजनीति करने वाले राज ठाकरे को नियंत्रित करने में कांग्रेस की सरकारों का दम फूल रहा है।






पैरोल के लिए मर्ज क्या था!


जेसिका लाल हत्याकांड में उमर केद की सजा भुगत रहे मनु शर्मा की पैरोल अब गले की फांस बनती जा रही है। मां की बीमारी के लिए मनु शर्मा को पैरोल पर छोडा गया था। मनु की जो मां बीमार थी, वह वास्तव में बीमार नहीं थी, वह चंडीगढ के पिकाडली होटल में बैठकर मीडिया के साथ क्रिकेट पर चर्चा कर रही थी। यह बात क्या दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को दिखाई नहीं दी। मां की तीमारदारी के लिए जेल से एक माह को छोडा गया था मनु को। इसके बाद यह अवधि 22 नवंबर तक के लिए बढा दी गई थी। मां की तीमारदारी में जेल प्रशासन ने सूबे की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की कथित तौर पर की गई अनुशंसा के उपर यह जानने का प्रयास भी नहीं किया कि आखिर मनु की माता जी को क्या मर्ज है कि उनका श्रवण कुमार उनकी देखरेख के लिए जेल से बाहर आना चाह रहा है। नाईट क्लबों में रात रंगीन करते पकडे जाने पर प्रशासन सक्रिय हुआ और पेरोल की अवधि पूरी होने के पहले ही दुबारा मनु को अंदर भेज दिया गया। यक्ष प्रश्न तो यह है कि मनु की मां और हरियाणा के कांग्रेसी विधायक विनोद शर्मा की पित्न का मर्ज क्या है, यह कोई बताने को राजी नहीं, क्या उस चिकित्सक पर कार्यवाही होगी जिसने मनु की मां का कथित तौर पर फर्जी प्रमाण पत्र जारी किया होगा।






अब तो कर दिया जाए बिल सार्वजनिक


मंदी के दौर में पांच सितारा होटल में लगभग दो माह विलासिता पूर्ण गुजारने वाले विदेश मंत्री एम.एस.कृष्णा और शशि थुरूर ने यह जरूर कह दिया था कि उसका बिल उन्होंने अपने जेब से दिया है। सवाल यह उठता है कि कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी इन दोनों के लाखों रूपयों के होटल के बिल को सार्वजनिक करने से डर क्यों रहीं हैं, ताकि जनता को कम से कम पता तो चल सके कि चुनाव के वक्त दोनों हाथ जोडकर एक एक वोट के लिए दर दर भटकने वाले उनके ``जनसेवक`` वास्तव में कितनी आकूत संपत्ति के मालिक हैं। मीडिया में मामला उछला, सोनिया गांधी ने हवाई जहाज की इकानामी क्लास में बीस सीटें बुक कराकर खाली रखकर तो युवराज राहुल गांधी ने शताब्दी की एक पूरी की पूरी बोगी ही बुक कराकर यात्रा कर मितव्ययता का अच्छा संदेश दिया है। देश की जनता अब यह जानना चाह रही है कि इन दोनों ही मंत्रियों ने होटल का कितना बिल अपनी जेब से दिया और वह किस खाते से निकाला गया था।






नए स्वरूप में नजर आएंगी ताई


देश की पहली महिला महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल इस माह के अंत में एक नए लुक में नजर आएंगी। अब तक बार्डर वाली सादी किन्तु गरिमापूर्ण साडी पहनने वाली प्रतिभा ताई सुखोई की सवारी करने वालीं हैं, जिसके लिए उन्हें साडी के बजाए पायलट्स द्वारा पहना जाने वाला जी सूट पहनना होगा। महामहिम लगभग बीस मिनिट तक हवा में रहेंगीं। गौरतलब होगा कि भारतीय वायूसेना में वर्तमान में लगभग 780 महिलाएं कार्यरत हैं। इन महिलाओं को अभी तक युद्धक विमान उडाने की अनुमति प्रदान नहीं की गई है। महिला पायलट सिर्फ हेलीकाप्टर और परिवहन के लिए प्रयुक्त होने वाले विमान ही उडा सकतीं हैं। भारत के महामहिम राष्ट्रपति एवं सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर की हैसियत से वे काफी दौरे कर चुकी हैं, यहां तक कि उन्होंने विशाखापट्टनम में नौसैनिक पोत और पनडुिब्बयों का निरीक्षण भी किया है। पूर्व राष्ट्रपति कलाम की तरह वे पनडुब्बी में गहरे पानी की सैर नहीं कर सकीं हैं।






फिर विवादों में आशाराम


स्वयंभू आध्याित्मक संत आशाराम एक बार फिर विवादों में उलझ गए हैं। पिछले साल जुलाई में उनके अहमदाबाद स्थित गुरूकुल में दो चचेरे भाईयों दीपेश और अभिषेक की रहस्यमय मौत के बाद चर्चाओं में आया उनका गुरूकुल फिर सुर्खियों में आ गया है। इस गुरूकुल के सात साधकों के खिलाफ पुलिस ने मामला पंजीबद्ध कर लिया है। हो हल्ला होने पर इस मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी गई थी। पिछले दिनों जैसे ही पुलिस इन साधकों को गिरफ्तार करने गुरूकुल पहुंची ये सातों साधक वहां से फरार हो गए। चर्चा अब यह है कि लगभग डेढ साल पहले घटी इस घटना की जांच सीआईडी कर रही है, वह भी मंथर गति से, दूसरे जब आशाराम बापू अपने आप को एवं गुरूकुल को निर्दोष बता रहे हैं, तो फिर साधकों के फरार होने का क्या ओचित्य! मतलब साफ है कि दाल में कुछ न कुछ काला अवश्य है।






शाबाश केप्टन अनंत सेठी . . . .


मध्य प्रदेश शासन के विमानन विभाग में कार्यरत सीनियर पायलट केप्टन अनंत सेठी की जितनी तारीफ की जाए कम होगी, जिन्होंने सूबे के लाट साहेब (राज्यपाल) ठाकुर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुरक्षित हवाई पट्टी पर उतार दिया। दरअसल ये दोनों महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के एक कार्यक्रम में शिरकत करने ग्वालियर गए थे। हवाई पट्टी पर लेंडिंग का क्लीयरेंस मिलने के बाद जैसे ही विमान रनवे पर उतरा वैसे ही पायलट अनंत सेठी ने रनवे पर दो वाहन देख वापस टेक ऑफ कर दिया। अतिविशिष्ठ व्यक्तियों के इस विमान को दुबारा आकाश में पहुंचने पर पायलट ने एयर ट्रेफिक कंट्रोल को वास्तविकता बताई और रनवे साफ होने के बाद विमान को उतारा। इसी तरह का एक हादसा पूर्व में महामहिम के महाराष्ट्र दौरे के दौरान हुआ था। सवाल यह उठता है कि अतिविशिष्ट व्यक्तियों के साथ जब एटीसी इस तरह की लापरवाही कर देता है, तब आम जनता की सुरक्षा आखिर किसके हवाले है।






कहां गई गल्र्स हाकी टीम!


केंद्रीय विद्यालय संगठन में पिछले दिनों एक मजेदार वाक्या सामने आया। मध्य प्रदेश के जबलपुर अंचल में खेले जाने वाली प्रतियोगिता में रीजन के अनेक केंद्रीय विद्यालयों की टीम ने हिस्सा लिया। इसमें विजेता टीमों को नेशनल के लिए आगे भेज दिया गया, किन्तु इसमें से बालिकाओं की हाकी टीम गायब थी। खुर्दबीनी करने पर पता चला कि पिछले दो सालो से बालिकाओं की हाकी टीम को भेजा ही नहीं जा रहा है। जबलपुर में पदस्थ सहायक आयुक्त सुश्री बिसारिया का कहना है कि चूंकि बालिका वर्ग की हाकी टीम ने स्तरहीन प्रदर्शन किया था, अत: उसे आगे नहीं भेजा जा सका है। वास्तविकता यह है कि बालिकाओं की हाकी टीम में सिर्फ और सिर्फ सिवनी केंद्रीय विद्यालय की टीम ही भाग लेने पहुंची। पालक आश्चर्यचकित हैं कि जब उसके सामने कोई टीम ही नहीं थी, मैच ही नहीं खेले गए तो प्रदर्शन स्तरहीन कैसे हुआ। चर्चा है कि कुंवर अर्जुन सिंह से सीधी ट्यूनिंग की बात पर गुरूर करने वाली सहायक आयुक्त ने एक अघोषित तुगलकी फरमान जारी कर बालिका वर्ग की हाकी टीम को दो सालों से नेशनल के लिए नहीं भेजने के निर्देश दिए हैं। इसके पीछे के कारण खोजे जा रहे हैं।






संसद सत्र के पहले ही लोकसभाध्यक्ष की टीका टिप्पणी


संसद सत्र अभी आरंभ नहीं हुआ है। अमूमन विधानसभा या लोकसभा के सत्र के पहले विपक्ष द्वारा यह कहा जाता है कि इस बार का सत्र हंगामेदार होगा। इस परंपरा से हटकर पहली महिला लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने ही यह कहकर सभी को चौंका दिया कि इस बार का सत्र हंगामेदार होगा। गुरूवार 19 नवंबर से आरंभ हाने वाले लोकसभा सत्र के पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के उपरांत मीरा कुमार ने इस तरह की टिप्पणी की है। सियासी गलियारों में अब लोकसभाध्यक्ष के इस हंगामेदार सत्र के मायने खोजे जा रहे हैं।






क्रिकेट को लेकर आमने सामने हैं जोशी और गहलोत


राजस्थान के दो कांग्रेसी दिग्गज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सी.पी.जोशी चाहे राजनैतिक बिसात पर वर्चस्व की लडाई लडते रहे हों पर वे अब आमने सामने हैं। इसका कारण राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव हैं। इन चुनावों में अध्यक्ष पद को लेकर दोनों ही नेता काबिज होना चाह रहे हैं। सात दिसंबर को होने वाले इसके चुनाव में दोनों ही नेता पूरा दमखम लगाए हुए हैं। आरसीए में जबर्दस्त उफान मचा हुआ है। शरद पंवार के बाद सियासत करने वाले लोगों ने अब इस खेल के मैदान में भी जोहर दिखाने का मन बनाया है। यह जरूर कहा जा रहा है कि जोशी और गहलोत मिलकर इस समस्या का हल निकाल लेंगे, किन्तु वर्चस्व की इस लडाई में कौन शतकीय पारी खेल पाएगा इस पर सभी की नजरें टिकी हुईं हैं।






जसवंत का डिमोशन


भले ही भाजपा से निष्काशन के उपरांत पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह लोकसभा की लोक सेवा समिति में अध्यक्ष का पद बरकरार रखने में सफलता पा चुके हों पर अब सदन में उनका डिमोशन तय है। आने वाले सत्र में सदन में विपक्ष की पहली पंक्ति में उनका स्थान सुरक्षित रखने में वे कामयाब नहीं हो सके हैं। लोकसभा में अब जसवंत सिंह को 371 नंबर की सीट अलाट की गई है। सदन में अध्यक्ष के बाईं ओर विपक्ष को आसन दिया जाता है। इस बार लोकसभा में पहली पंक्ति में एल.के.आडवाणी, सुषमा स्वराज, मुरली मनोहर जोशी आदि बैठेंगे, जबकि जसवंत सिंह अब पहली बार प्रथम के स्थान पर तीसरी पंक्ति में बैठे नजर आएंगे।






ममता मिली हैं नक्सलियों से!


पश्चिम बंगाल में एक के बाद एक कामयाबी की पायदान चढने वाली केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी के नक्सलियों से संबंध हैं! जी हां यह बात मनगढंत नहीं वरन सोलह आने सच है। मीडिया से रूबरू ममता ने कहा कि नक्सलवाद का रास्ता छोड चुके बहुत सारे पुराने नक्सलियों ने अब तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। यह पूछे जाने पर कि कब से नक्सली उनके साथ हैं, उन्होंने बडी ही बेबाकी से जवाब दिया कि सिंगूर आंदोलन के साथ ही नक्सलियों ने उनका दामन थाम लिया था। ममता के लिए आने वाले 2011 के पश्चिम बंगाल के चुनाव बहुत ज्यादा अहमियत रखते हैं, उनका मानना है कि इन चुनावों में सरकार पर तृणमूल ही काबिज होगी। ममता की इस बात पर नक्सलियों के खिलाफ जोरदार अभियान छेडने का मन बनाने वाली केंद्र सरकार की चुप्पी आश्चर्य को ही जन्म दे रही है।






पुच्छल तारा


करोडों के घपलों के सरगना मधु कोडा को अस्वस्थ होने पर अस्पताल में दाखिल कराया गया। जहां उन्हें सघन चिकित्सा इकाई अर्थात आई सी यू में भर्ती कराया गया था। दिल्ली में सियासी गलियारों में तभी एक बात तैर गई थी कि अस्पतालों को भृष्ट नौकरशाह और राजनेताओं को आई सी यू के बजाए एक नया वार्ड सी यू यानी करप्शन यूनिट बनाकर उसमें रखा जाना चाहिए!