बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

फोरलेन की आस जगाने दिनेश को साधुवाद

(लिमटी खरे)
सिवनी के निर्दलीय विधायक दिनेश राय के विधायक बनने के उपरांत सिवनी जिले के हित में पहला काम जिसे बतौर विधायक उनके द्वारा अंजाम दिया गया हो वह है फोरलेन के मसले में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री वीरप्पा माईली से भेंट। इस भेंट में प्रदेश के निज़ाम शिवराज सिंह चौहान भी उनके साथ ही थे। प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा गत दिवस इस संबंध में जारी समाचार में मुख्यमंत्री द्वारा सिवनी के फोरलेन, खण्डवा के सिंगाजी पॉवर प्लांट सहित कुछ अन्य परियोजनाओं में केंद्रीय वन मंत्रालय के अनुमति हेतु चर्चा किये जाने का उल्लेख किया गया है। जनसंपर्क विभाग चूंकि सरकारी तंत्र का हिस्सा है अतः इसकी बात पर यकीन न किए जाने का कोई कारण नहीं बनता है। इसमें विधायक के नाम का उल्लेख न किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जाएगा।
सिवनी के फोरलेन को लेकर वर्ष 2009 से लगातार ही संघर्ष होता रहा है। इस संघर्ष में सिवनी जिले की जनता ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। वर्ष 2008 के दिसंबर में विधानसभा चुनावों के दरम्यान ही इसको रोकने का ताना बाना बुना गया था। इस चुनाव में सिवनी में श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मर्सकोले एवं शशि ठाकुर भाजपा के तो स्व.हरवंश सिंह ठाकुर कांग्रेस से विधायक चुने गए थे। इनके बतौर विधायक के कार्यकाल में भी इस मामले को जोर शोर से उठाया जाता रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हुंकार भरी थी कि भले ही सूरज पूरब के बजाए पश्चिम से निकलना आरंभ कर दे, पर फोरलेन सिवनी से ही होकर जाएगी।
समय बीतता गया और खवासा से बरास्ता सिवनी होकर लखनादौन जाने वाले मार्ग पर जर्जर सड़क ने दुर्घटनाओं में खासा इजाफा कर दिया। जिन वन्य जीवों को बचाने की दुहाई दी जा रही थी, वे तो सुरक्षित रहे पर मनुष्य के जीवन पर इस सड़क से होकर गुजरने में प्रश्न चिन्ह लगने लगे। इस मार्ग के न बन पाने के लिए आरोप प्रत्यारोप के कभी न रूकने वाले दौर आज भी बदस्तूर जारी हैं।
इसी बीच अचानक ही सिवनी से खवासा के हिस्से में मोहगांव से खवासा तक के खण्ड में सड़क पर डामरीकरण होना आरंभ हुआ। यह सिवनी वासियों के लिए सुखद अनुभूति से कम नहीं था। इसके पीछे किसी बड़े अधिकारी के पर्दे के पीछे के निर्देश ही प्रमुख माने गए। सड़क बनी और पुनः जर्जरावस्था को प्राप्त हो गई। सड़क का डामरीकरण एक बात तो तय कर गया कि विवादित खण्ड में सड़क निर्माण वर्ष 2009 से अब तक कई बार किया जा सकता था। वस्तुतः सड़क निर्माण या डामरीकरण न करवाकर दुर्घटनाओं को जानबूझकर ही न्यौता दिया गया है। ऐसा किस कारण किया गया? किसके परोक्ष या प्रत्याक्ष निर्देश पर किया गया? इससे किसे लाभ पहुंचा? यह बात तो भविष्य के गर्भ में ही है। फोरलेन में सिवनी में हुई मौतों के लिए असली गुनाहगार आखिर किसे माना जाए?
2008 से अब तक प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार काबिज है। केंद्र में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार का कब्जा है। 2013 तक सिवनी में भाजपा के तीन विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले ने कभी शिवराज सिंह चौहान को इसके लिए तैयार नहीं किया कि वे उनके साथ दिल्ली जाकर सिवनी के हित वाली फोरलेन के लिए प्रयास करें। इसके लिए गत दिवस सिवनी के निर्दलीय विधायक दिनेश राय ने दिल्ली जाकर मुख्यमंत्री के साथ सामंजस्य बैठाकर केंद्रीय वन मंत्री वीरप्पा मोईली से चर्चा कर सिवनी फोरलेन की उम्मीद जगाई है।
निश्चित तौर पर निर्दलीय विधायक दिनेश राय का यह कदम प्रशंसनीय माना जाएगा। दिनेश राय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोईली के साथ चर्चा के कुछ चित्र सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर भी दिखाई पड़े हैं। अभी लोकसभा की पदचाप सुनाई दे रही है। हो सकता है कि सिवनी में महज एक विधायक कमल मर्सकोले की विजय (वही भी कृपांक यानी ग्रेस माकर््स से) होने पर शिवराज सिंह चौहान, सिवनी को लेकर कुछ चिंतित हों, इसलिए उन्होंने दिनेश राय के प्रस्ताव को गंभीरता से लिया हो। चाहे जो भी हो दिनेश राय के इस प्रयास से फोरलेन के मामले में कुछ उम्मीद तो जागी है।
वैसे देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी के नुमाईंदों या विधायक कमल मर्सकोले को मुख्यमंत्री से चर्चा कर उनके साथ दिल्ली जाकर इस मामले में सिवनी का पक्ष रखा जाना चाहिए था, पर हालात देखकर हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि भाजपा द्वारा इस दिशा में किसी भी तरह के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। रही कांग्रेस की बात तो लगभग नौ माह पूर्व कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के उपरांत कांग्रेस मानों सन्निपात से उबर ही नहीं पा रही है।
देखा जाए तो सिवनी का फोरलेन, लखनादौन में लखनादौन विधानसभा, छपारा में केवलारी विधानसभा (दोनों को मिलाया जाए तो मण्डला सिवनी लोकसभा) के साथ ही साथ सिवनी में सिवनी विधानसभा तथा कुरई में बरघाट विधानसभा (दोनों को अगर मिलाया जाए तो बालाघाट सिवनी लोकसभा) से होकर गुजर रही है। पता नहीं क्यों अब तक के सांसद और विधायकों ने इस ज्वलंत और संवेदनशील मुद्दे पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है।
बहरहाल, एक बार पुनः इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को साथ लेकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोईली से चर्चा कर फोरलेन के निर्माण की दिशा में पहल करने और उम्मीद जगाने के लिए सिवनी के निर्दलीय विधायक दिनेश राय वाकई बधाई के पात्र हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि सिवनी के विकास हेतु सिवनी की इस जीवनरेखा को पुनः पहले जैसी हरी भरी और तंदरूस्त करने हेतु सिवनी में कांग्रेस और भाजपा द्वारा दलगत राजनीति से उपर उठकर दिनेश राय का साथ दिया जाएगा, क्योंकि यह विकास की सोच है, किसी व्यक्ति विशेष के श्रेय लेने की बात इसमें नहीं की जानी चाहिए।

खुद ही शिकायतें करवा रहे आयुष विभाग के उच्चाधिकारी!

आयुष विभाग के आला अधिकारी बंटवा रहे स्वलिखित जन अभिमत प्रपत्र!

(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। लगता है सिवनी जिले में आयुष विभाग में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आयुष चिकित्सा एवं स्टॉफ के कार्य व्यवहार पर जन अभिमत शीर्षक का एक प्रपत्र मिला है जिसमें आयुष विभाग के किसी उच्चाधिकारी के हाथ से अभिमत लिखा हुआ है। इसमें आयुष विभाग के कर्मचारियों और चिकित्सकों को कटघरे में खड़ा किया जा सकता है।
साई न्यूज को मिले इस जन अभिमत में चिकित्सालय या औषधालय का नाम, ग्राम या नगर, जिला, अभिमत देने वाले व्यक्ति का नाम और चिकित्सक का नाम तथा अभिमतदाता एवं निरीक्षण कर्ता अधिकारी के हस्ताक्षर का कॉलम रिक्त ही रखा हुआ है।
इसमें प्रश्न और उत्तर के कालम में प्रश्न तो बकायदा प्रिंटेड हैं। इसमें पहले प्रश्न कि क्या आप इस अस्पताल में कार्यरत को जानते हैं के अभिमत में हाथ से हां लिखा हुआ है। इसके बाद दूसरे प्रश्न में क्या चिकित्सक नियम पूर्वक अस्पताल में उपस्थित होते हैं के अभिमत में चि.समय पर औषधालय में नहीं आते। परन्तु औष.आते हैं।
इसके तीसरे प्रश्न में क्या अस्पताल रोज खुलता है के अभिमत में हां लिखा हुआ है। चौथा प्रश्न कि आपकी जानकारी के अनुसार चिकित्सा ज्ञान कैसा है के जवाब में हाथ से अच्छा लिखा हुआ है। पांचवा प्रश्न क्या चिकित्सक रोगियों का इलाज करने एवं सलाह देने में रूचि रखते हैं का अभिमत हाथ से चिकित्सा करते हैं के बाद कुछ अस्पष्ट लिखा हुआ है।
छटवें प्रश्न कि चिकित्सक का रोगियों एवं आम जनता के साथ व्यवहार कैसा के जवाब में अभिमत में व्यवहार सामान्य लिखा हुआ है। सातवें प्रश्न में क्या चिकित्सक अस्पताल स निशुल्क दवाईयां रोगियों को देते हैं के अभिमत में लिखा गया है कि पैसा भी लेते हैं के बाद कुछ अस्पष्ट है फिर लिखा हुआ है कि निशुल्क भी देते हैं। अंतिम प्रश्न कि अस्पताल स्टाफ के व्यवहार के संबंध में अभिमत में लिखा गया है कि अच्छा है।
देखा जाए तो यह अभिमत ग्राम या नगर के लोगों से भरवाया जाना चाहिए। किन्तु बताया जाता है कि जिला आयुष अधिकारी के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा अपने ही हाथ से जनता के बजाए अभिमत लिखकर उसकी छाया प्रति बंटवाई जा रही है ताकि आयुष विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जा सके।
जिला आयुष अधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विभाग के ही एक आला अधिकारी द्वारा अपनी ही लिखाई में एक प्रपत्र को भरकर इसकी छाया प्रतियां अपने गुर्गों के माध्यम से बंटवाई जा रही है। सूत्रों का दावा है कि अगर इस छाया प्रति में लिखावट की सतही जांच ही कर ली जाए तो आसानी से पता चल सकता है कि किस अधिकारी द्वारा इस काम को अंजाम दिया जा रहा है।
सूत्रों ने आगे बताया कि इस तरह के प्रपत्र जब भरकर उक्त अधिकारी के पास वापस पहुंचते हैं तब उक्त अधिकारी द्वारा मामले की गंभीरता दर्शाकर आपसी रजामंदी से मामले को सुलटा दिया जाता है। इस मामले में कितनी सच्चाई है इस बारे में जब जिला आयुष अधिकारी से संपर्क करने हेतु 07692 220092 पर फोन किया गया तो फोन की घंटी लगातार बजती ही रही, जिसके चलते आयुष विभाग के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया।
संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव से जनापेक्षा है कि इस तरह से अगर कोई अधिकारी अपने ही विभाग के विरूद्ध माहौल बना रहा हो तो उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही सुनिश्चित करें। इसके लिए सबसे पहले निर्धारित जन अभिमत प्रपत्र में लिखवाट का मिलान जिला आयुष अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों की लिखावट से अवश्य करवा लिया जाए ताकि यह पता चल सके कि वह कौन सा जिम्मेदार अधिकारी है जो इस तरह के काम को अंजाम देकर विभाग की छवि पर बट्टा लगाने का कुत्सित प्रयास कर रहा है।