शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011

यूपी में मुस्लिम कार्ड खेल सकती है कांग्रेस


यूपी में मुस्लिम कार्ड खेल सकती है कांग्रेस

राहुल इफेक्ट को उभार रही है कांग्रेस

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वाले सूबे उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की छवि को एक बार फिर उकेरने का प्रयास किया जा रहा है कांग्रेस द्वारा। इसके साथ ही साथ कांग्रेस द्वारा सर्वाधिक प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश में मुस्लिम कार्ड खेलने का मन बनाया जा रहा है।

पिछले दिनों केंद्रीय कानून और अल्प संख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने इस तरह के संकेत देते हुए कहा कि नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिमों को आरक्षण अनुदान देने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। सलमान खुर्शीद ने इस बारे में इशारों ही इशारों में मुसलमानों के लिए आंध्र माडल की वकालत भी कर डाली।

उत्तर प्रदेश में सत्ता पर काबिज होने की गरज से कांग्रेस द्वारा हर संभव प्रयास करने के संकेत भी मिल रहे हैं। इसके लिए कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल और केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कमर कस ली है।

कहा जा रहा है कि अगर इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन नहीं सुधारा तो आने वाले आम चुनावों में विपक्ष के हाथों में अनजाने में ही सोनिया और राहुल को घर संभालने की नसीहत का मुद्दा मिल सकता है। कांग्रेस विपक्ष को अवसर देने के पक्ष में कतई नहीं दिख रही है।

उधर कांग्रेस का सबसे प्यारा और ब्रम्हास्त्र नंबर दो राहुल गांधी (कांग्रेस के पास पहला ब्रम्हास्त्र प्रियंका वढ़ेरा है) की छवि को एक बार फिर उकेरने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि अभी राहुल इफेक्ट पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। राहुल ब्रांड को एक बार फिर चमकाने की जुगत में जुट चुके हैं कांग्रेस के रणनीतिकार।

ठाकुर लाबी को गोलबंद कर रहे हैं दिग्विजय सिंह


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 11

ठाकुर लाबी को गोलबंद कर रहे हैं दिग्विजय सिंह

मन से मन नहीं बैठ पा रहा है दिग्गी राजा का

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह और कुंवर अर्जुन सिंह के उपरांत कांग्रेस की राजनीति के अघोषित चाणक्य राजा दिग्विजय सिंह के बीच सब कुछ ठीक ठाक नहीं है। दिग्विजय सिंह के कदमों को देखकर लोग भले ही उन्हें भस्मासुर की संज्ञा दे रहे हों किन्तु मनमोहन को रास्ते से हटाने के लिए उनके कदमों को समझ रहे हैं अनेक रणनीतिकार।

कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के सूत्रों का कहना है कि दरअसल दिग्विजय सिंह द्वारा मनमोहन की मुश्किलें बढ़ाने का काम कर रहे हैं। विश्व के खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के शव को समुद्र में दफनाने का विरोध कर दिग्गी राजा ने मनमोहन को संकट में डाल दिया था। साथ ही ओसामा को ओसामा जी कहकर उन्होंने जो चाल चली उससे मनमोहन सिंह को अमेरिका के सामने जवाब देना मुश्किल कर दिया।

इसके अलावा क्षत्रिय नेता राजा दिग्विजय सिंह द्वारा ठाकुर नेताओं को एक छत के नीचे लाने की चाल चली जा रही है। पूर्व सांसद विश्वजीत सिंह, एआईसीसी सचिव जितेंद्र सिंह, अमर सिंह जैसे नेताओं के माध्यम से दिग्विजय सिंह लाबिंग का प्रयास कर रहे हैं। माना जा रहा है कि ठाकुर लाबी के दबाव में मनमोहन सिंह के तख्ता पलट की तैयारियां आरंभ हो चुकी हैं।

(क्रमशः जारी)

बल्ले बल्ले हैं अनंत कुमार


उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 5

बल्ले बल्ले हैं अनंत कुमार

येदियुरप्पा समर्थक फटक भी न पाएंगे रथ यात्रा में

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अपनी पुत्री प्रतिभा को महिमा मण्डित करने के लिए हो रही एल.के.आड़वाणी की रथ यात्रा से अनंत कुमार काफी पुलकित नजर आ रहे हैं। अनंत कुमार के घुर विरोधी कर्नाटक के निर्वतमान मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और उनके समर्थकों को रथ के आसपास न फटकने के पुख्ता इंतजाम भी कर दिए गए हैं।

इस रथ यात्रा में आड़वाणी की पुत्री प्रतिभा के साथ ही साथ रथ के सारथी अनंत कुमार भी पूरे देश में अपने आप को लगे हाथ स्थापित करने की जुगत में हैं। अनंत कुमार वैसे तो भाजपा में जाना पहचाना चेहरा है, पर फिर भी हालात देखकर एसा प्रतीत हो रहा है मानो वे खुद को स्थापित करना चाह रहे हैं।

गौरतलबह है कि आड़वाणी की रथ यात्रा 31 अक्टूबर को कर्नाटक में प्रवेश करने वाली है। अनंत कुमार के करीबी सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक भाजपा के चीफ ई.एस.ईश्वरप्पा ने अनंत कुमार से मंत्रणा कर यह तय कर लिया कि न तो येदियुरप्पा और न ही उनके लग्गू भग्गूओं को रथ के आसपास फटकने दिया जाएगा।

समस्या यह आ रही थी कि अगर मीडिया ने पूछा कि येदियुरप्पा के समर्थक नजर नहीं आ रहे हैं तब यह जवाब दे दिया जाएगा कि यह तो पार्टी की कोर कमेटी को तय करना है कि किसे रथ यात्रा में बुलाया जाए और किसे नहीं।

(क्रमशः जारी)

सिम का गोरखधंधा चल रहा है आईडिया में


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  7

सिम का गोरखधंधा चल रहा है आईडिया में

आकर्षक लुभावने प्रलोभनों से घेरा जा रहा है उपभोक्ताओं को

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। निजी क्षेत्र की सेवा प्रदाता कंपनी आदित्य बिरला सेल्यूलर की आईडिया द्वारा उपभोक्ताओं को लुभाने तरह तरह के लुभावने आकर्षक प्रलोभनों का सहारा लिया जा रहा है। इसमें सबसे अधिक आपत्तिजनक तथ्य यह उभरकर सामने आ रहा है कि सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा इन सिम की वेधानिक जांच के बिना ही कनेक्शन प्रदाय किए जा रहे हैं, जिससे असमाजिक तत्व और जरायमपेशा लोगों द्वारा इसके दुरूपयोग की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आईडिया द्वारा कस्टमर आईडेंटीफिकेशन फार्म में औपचारिकताएं देखे बिना और पर्याप्त दस्तावेज के बिना ही कस्टमर की सिम एक्टीवेट कर दी जाती है। भले ही औपचारिकताओं के अभाव में दो तीन दिन के उपरांत सिम बंद हो जाए पर पहले तीन दिन तो सिम का भरपूर उपयोग उपभोक्ता द्वारा किया जा सकता है।

आरोप तो यहां तक लग रहे हैं कि आईडिया के आउट लेट्स में जब उपभोक्ताओं द्वारा अपने दस्तावेज की छाया प्रति जमा करवाई जाती है तो उनके दस्तावेज की और छाया प्रति कर उनके नाम से छद्म कनेक्शन प्रदाय किए जा रहे हैं। देश भर में आईडिया कंपनी की वेध सिम से ज्यादा अवैध सिम प्रचलन में होना बताया जा रहा है।

(क्रमशः जारी)

चित्रगुप्त जयंती


चित्रगुप्त जयंती


इसके अलावा कायस्थ समाज में इसी दिन अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। कायस्थ लोग स्वर्ग में धर्मराज का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का पूजन सामूहिक रूप से तस्वीरों अथवा मूर्तियों के माध्यम से करते हैं। वे इस दिन कारोबारी बहीखातों की पूजा भी करते हैं। उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में इसी दिन 'गोधन' नामक पर्व मनाया जाता है जो भाईदूज की तरह होता है।


यमद्वितीया पर्व की मान्‍यता






पर्व की मान्यता

भारतीय में जितने भी पर्व त्यौहार होते हैं वे कहीं न कहीं लोकमान्यताओं एवं कथाओं से जुड़ी होती हैं। इस त्यौहार की भी एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार। यमी यमराज की बहन हैं जिनसे यमराज काफी प्रेम व स्नेह रखते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को एक बार जब यमराज यमी के पास पहुंचे तो यमी ने अपने भाई यमराज की खूब सेवा सत्कार की। बहन के सत्कार से यमराज काफी प्रसन्न हुए और उनसे कहा कि बोलो बहन क्या वरदान चाहिए। भाई के ऐसा कहने पर यमी बोली की जो प्राणी यमुना नदी के जल में स्नान करे वह यमपुरी न जाए। यमी की मांग को सुनकर यमराज चिंतित हो गये। यमी भाई की मनोदशा को समझकर यमराज से बोली अगर आप इस वरदान को देने में सक्षम नहीं हैं तो यह वरदान दीजिए कि आज के दिन जो भाई बहन के घर भोजन करे और मथुरा के विश्राम घट पर यमुना के जल में स्नान करे उस व्यक्ति को यमलोक नहीं जाना पड़े। इस पौराणिक कथा के अनुसार आज भी परम्परागत तौर पर भाई बहन के घर जाकर उनके हाथों से बनाया भोजन करते हैं ताकि उनकी आयु बढ़े और यमलोक नहीं जाना पड़े। भाई भी अपने प्रेम व स्नेह को प्रकट करते हुए बहन को आशीर्वाद देते है और उन्हें वस्त्र, आभूषण एवं अन्य उपहार देकर प्रसन्न करते हैं।


अथ चित्रगुप्‍त कथा


भाई दूज (भातृद्वितीया ) की मान्‍यता

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाईदूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। इस त्योहार के पीछे एक किंवदंती यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिया था, जो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उसकी आवभगत की। यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी। इसी कारण इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसके अलावा यमी ने अपने भाई से यह भी वचन लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उसका भाई यम उसके घर आया है, हर भाई अपनी बहन के घर जाए। तभी से भाईदूज मनाने की प्रथा चली आ रही है। जिनकी बहनें दूर रहती हैं, वे भाई अपनी बहनों से मिलने भाईदूज पर अवश्य जाते हैं और उनसे टीका कराकर उपहार आदि देते हैं। बहनें पीढियों पर चावल के घोल से चौक बनाती हैं। इस चौक पर भाई को बैठा कर बहनें उनके हाथों की पूजा करती हैं।