रविवार, 28 मार्च 2010

कैसे लगी सेफ्टी वेन में आग

कैसे लगी सेफ्टी वेन में आग
भूतल परिवहन मन्त्रालय के ठेकेदार का एक और कारनामा
फोरलेन निर्माण कंपनी `सद्भाव` का वाहन जलकर खाक
नहीं ली थी थिनर के परिवहन की अनुमति!
(लिमटी खरे)

सिवनी 28 मार्च। पाश्र्च में ढकेल दिए गए और कभी भाजपा के चेहरे रहे अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की महात्वाकांक्षी स्विर्णम चतुZभुज परियोजना के अंग और वर्तमान में विवादस्पद हुए उत्तर दक्षिण गलियारे का निर्माण करा रही गुजरात मूल की कंपनी सद्भाव की सेफ्टी वेन 27 मार्च को अपरान्ह उसके बेस केम्प बटवानी में धू धू कर जल उठी। इस वेन में लगभग बीस बैरल थिनर रखा हुआ था।
गौरतलब है कि गुजरात मूल की सद्भाव कंपनी द्वारा उत्तर दक्षिण फोर लेन गलियारे के सिवनी से लेकर खवासा तक के मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है। यहां उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि सिवनी जिले की पश्चिमी सीमा से लगे छिन्दवाडा जिले का प्रतिनिधित्व केन्द्रीय भूतल परिवहन मन्त्री कमल नाथ द्वारा किया जाता है। सिवनी जिले सहित महाकौशल को कमल नाथ की कर्मभूमि ही माना जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार 27 मार्च को सद्भाव कंपनी का 20 बेरल थिनर गुजरात के सूरत से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से सिवनी पहुंचा था। इस थिनर को जिला मुख्यालय सिवनी से दक्षिण दिशा में लगभग 10 किलोमीटर दूर कंपनी के बेस केम्प बटवानी तक पहुंचाने के लिए इस सेफ्टी वेन का उपयोग किया गया था। अपरान्ह जैसे ही सेफ्टी वेन थिनर के कंटेनर लेकर बेस केम्प पहुंची अचानक ही उसमें आग लग गई और वह धू धू कर जल उठी। चन्द मिनिटों में ही सेफ्टी वेन जलकर खाक हो गई।
यह तो अच्छा हुआ कि यह हादसा शहर के अन्दर नहीं हुआ अन्यथा किसी बडी घटना के घटने से इंकार नहीं किया जा सकता था। इस सेफ्टी वेन में आग कैसे लगी इसके कारणों का अभी पता नहीं चल सका है। चूंकि वाहन में चालक या अन्य कोई कर्मचारी उस वक्त नहीं था, इसलिए आग के लगने का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। कंपनी के सूत्र इस हादसे का कारण वेन में शार्ट सिर्कट होना बता रहे हैं। कंपनी ने बदनामी से बचने के लिए आनन फानन मामले को रफा दफा कर दिया है।
सवाल यह उठता है कि कंपनी द्वारा अगर इतनी अधिक मात्रा में थिनर जैसे ज्वलनशील पदार्थ का परिवहन किया जा रहा था तो उसे बाकायदा सम्बंधित विभाग से ज्वलनशील पदार्थ के परिवहन की अनुज्ञा लेना चाहिए थी। बताते हैं कि कंपनी ने एसा कोई भी लाईसेंस नहीं लिया गया था। वैसे भी जिले में फोरलेन के निर्माण में लगी सद्भाव और मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा की जा रही अनियमितताओं के बारे में बार बार चेतान के बाद भी शासन प्रसासन के कानों में जूं न रेंगना, किसी अन्य निहित स्वार्थ की ओर इशारा करने के लिए काफी कहा जा सकता है।

इसका भोगमान कौन भुगतेगा मोहतरमा


इसका भोगमान कौन भुगतेगा मोहतरमा

हिमाचल की लाट साहेब ने आमन्त्रित किया अपने गृह जिले की जनता को

सर्वदलीय प्रोग्राम में दिखी कांग्रेसी छटा

सम्मान समारोह के बहाने सधे विधानसभा उपाध्यक्ष पर निशाने

(लिमटी खरे)

सिवनी 28 मार्च। मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले सिवनी की बेटी एवं सूबे की पूर्व मन्त्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष श्रीमति उर्मिला सिंह को हिमाचल प्रदेश का महामहिम राज्यपाल बनाने पर जिले की जनता फूली नहीं समा रही है। श्रीमति सिंह के राज्यपाल बनने के बाद पहली बार जिले में आगमन पर जिले के कांग्रेसी बहुत ही उत्साहित नज़र आए। इस अवसर पर कांग्रेस के बेनर तले उनका सर्वदलीय सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह में कांग्रेस की छटा साफ तौर पर परिलक्षित हुई। सम्मान समारोह में वक्ताओं द्वारा उर्मिला सिंह की तारीफ में कशीदे गढने के साथ ही साथ विधानसभा उपाध्यक्ष पर निशाने साधे गए।
सम्मान समारोह में श्रीमति उर्मिला सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि सौभाग्य से उन्हें एसे प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है, जो देवताओं की तपोभूमि के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने सिवनी जिले के निवासियों को परिवार के साथ अलग अलग समय पर हिमाचल प्रदेश आने और आनन्द उठाने की बात कही गई। वहां उपस्थित लोग इस तरह की चर्चा में मशगूल दिखे कि हम आ तो जाएं, पर वहां होने वाले खर्च का भोगमान कौन भोगेगा!
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में लाट साहेब रहे महामहिम राज्यपाल बलराम जाखड के कार्यकाल में करोडों रूपए की राशि अतिथि सत्कार में फूंक दी गई है। सूचना के अधिकार में जब इस बात को निकलवाया गया तब पता चला कि न जाने कितने लोग राजभवन के अतिथि बनकर ``एश`` करके चले गए। यक्ष प्रश्न तो यह है कि यह राशि आखिर आई कहां से। उत्तर कमोबेश साफ ही है कि यह राशि जनता के गाढे पसीने की कमाई से ही निकलकर आई थी। जनता के पैसे पर एश करने कराने के इस सिलसिले में मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार भी मौन साधे हुए है, जो अश्चर्य का ही विषय कहा जाएगा।
कहने को तो यह प्रोग्राम सर्वदलीय था। मंच पर कांग्रेसी नेता बहुतायत में दिखे। साथ ही भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष सुदर्शन बाझल, भाजपा के पूर्व मन्त्री डॉ.ढाल सिंह बिसेन और भाजपा के ही पूर्व विधायक नरेश दिवाकर के अलावा और किसी भी दल का कोई नुमाईन्दा मंचासीन नही ंहो सका। साथ ही पूरे पण्डाल में लगे फ्लेक्स में कांग्रेस के नेता ही उर्मिला सिंह को बधाई देते दिखे।
समूचे घटनाक्रम को देखने से एक बात साफ तौर पर समझ में आ रही थी कि यह सम्मान समारोह हिमाचल की राज्यपाल श्रीमति उर्मिला सिंह के सम्मान में कम, वरन् सिवनी जिले के एक और सपूत और सूबे के विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह पर निशाना साधने का अधिक लग रहा था। उर्मिला सिंह सहित समस्त वक्ताओं ने परोक्ष तौर पर हरवंश सिंह को निशाना बनाते हुए ही अपनी बात रखी, जिसकी चर्चा समारोह में मुक्त कंठ से होती रही।
गौरतलब है कि पूर्व केन्द्रीय मन्त्री सुश्री विमला वर्मा के कार्यकाल तक सिवनी जिला कांग्रेस का अभैद्य गढ माना जाता रहा है। उनके सक्रिय राजनीति से विदा लेते ही राजनैतिक नेतृत्व की कमान ठाकुर हरवंश सिंह के हाथों में आ गई। उस दौरान जिले में पांच विधानसभा सीटें हुआ करतीं थीं। जिनमें से परिसीमन के उपरान्त विलोपित हुई आदिवासी बहुल्य घंसौर का प्रतिनिधित्व श्रीमति उर्मिला सिंह के द्वारा ही किया जाता था। कालान्तर में जिले की केवलारी विधानसभा जिसका प्रतिनिधित्व ठाकुर हरवंश सिंह द्वारा किया जाता है को छोडकर शेष भाजपा के अभैद्य दुर्ग में तब्दील हो गई है, जो निश्चित तौर पर शोध का विषय ही कहा जाएगा।
चर्चा तो यहां तक भी है कि घंसौर जिले के ग्राम बिनैकी में लगने वाले मशहूर थापर ग्रुप ऑफ कम्पनीज के प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा लगाए जाने वाले पावर प्लांट के मार्ग में कोई बाधा न आए इस हेतु कम्पनी द्वारा उर्मिला सिंह से कनेक्शन जोडने के लिए जतन किए जा रहे हैं, और सिवनी जिले से हिमाचल दर्शन को पहुंचने वाले पर्यटकों के उपर होने वाले खर्च का भोगमान या तो हिमाचल का राजभवन भोगेगा या फिर पावर प्लांट की स्थापना करने वाली कंपनी।