सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

प्रधानमंत्री की बेबसी के मायने


बेबस मनमोहन और शर्मसार देश 
मिस्त्र से सीख लें मनमोहन
 
खुद को निरीह असहाय बताकर जिम्मेदारी से बच नहीं सकते वजीरे आजम
 
(लिमटी खरे)
 
सुप्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर की मशहूर कविता की पंक्तियां हैं ‘‘जब नास मनुस का छाता है, तब विवेक मर जाता है।‘‘ इसी तर्ज पर भारत गणराज्य की कांग्रेसनीत केंद्र सरकार चल रही है। कामन वेल्थ गेम्स में हजारों करोड़ रूपयों की होली खेली गई, प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने इसे राष्ट्रीय पर्व के तहत मनाने का आव्हान किया। टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले पर चिल्लपों मची। संचार मंत्री आदिमत्थु राजा को हटाकर मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल को नया संचार मंत्री बनाया गया। संचार मंत्री ने कैग की कार्यप्रणाली पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया। देश के साथ ही साथ केंद्र और प्रधानमंत्री मूकदर्शक बने सब कुछ देखते सुनते रहे। इतना ही नहीं विश्व की ताकतवर महिलाओं की फेहरिस्त में शामिल कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी ने इस मामले में अपने अपने मुंह सिल रखे हैं। आखिर वे देश वासियों को क्या संदेश देना चाह रहे है? क्या यह कि उनके राज में भ्रष्टाचारियों के लिए सारे दरवाजे खुले हुए हैं?
 
कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह अपने आप को बेहद बेबस, निरीह, असहाय प्रदर्शित करने पर तुले हुए हैं। देखा जाए तो भारत गणराज्य में सबसे ताकतवर पद है प्रधानमंत्री का और उस पद पर वे छः साल से अधिक समय से काबिज हैं। डॉ.सिंह के पिछले कार्यकाल, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा को देखकर देश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताकर दूसरी बार उन्हें प्रधानमंत्री बनाया है। विडम्बना है कि इस बार मनमोहन किसी का भी मन नहीं मोह सके हैं।
 
यक्ष प्रश्न तो यह है कि आखिर वजीरे आजम चाहते क्या हैं? देश के हर राजनेता के मन में प्रधानमंत्री बनने की महात्वाकांक्षा कुलबुलाती रहती है। मन मोहन सिंह तो दूसरी बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं। कांग्रेस में नेहरू गांधी परिवार के प्रधानमंत्री बनने के मिथक को भी वे तोड़ चुके हैं। अब संभवतः उनके मन में और कोई अभिलाषा या महात्वाकांक्षा शेष नहीं रही होगी। इन परिस्थितियों में मनमोहन सिंह अपनी मण्डली या मंत्रीमण्डल पर लगाम कसने से क्यों कतरा रहे हैं? डॉ.मनमोहन सिंह आजाद भारत के प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर आसीन हैं, देश की निगाहें उन पर टिकी हुई हैं, अपने आप को असहाय बताकर वे अपनी जिम्मेदारियों से वे कतई नहीं भाग सकते हैं।
 
अस्सी के दशक में कांग्रेस में इक्कीसवीं सदी के स्वप्न दृष्टा के तौर पर स्थापित हो गए थे, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी, आज इटली मूल की निवासी उनकी अर्धाग्नीं श्रीमति सोनिया गांधी के हाथों है कांग्रेस की कमान वह भी पिछले बारह सालों से। इन बारह सालों में छः साल से अधिक समय से केंद्र में कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबध्ंान की सरकार काबिज है। इसी दौरान भ्रष्टाचार, घपले घोटालों का महाकुंभ आयोजित होता रहा और देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली गरीबों की हिमायती होने का ढोंग करने वाली कांग्रेस चुपचाप सब कुछ देखती, सुनती, सहती रही।
 
प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह कहते हैं कि भ्रष्टाचार के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि धूमिल हुई है, सरकार को शर्मिंदा होना पड़ा है। क्या प्रधानमंत्री यह नहीं जानते कि देश की छवि पर कालिख किसने लगाकर देश को शर्मसार होने पर मजबूर किया है। देश को सरकार चला रही है, और सरकार के मुखिया हैं डॉ.मनमोहन सिंह।
 
जिस तरह किसी घर में घर का कोई सदस्य अगर अनाचार करे तो मुखिया यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता कि वह काबू से बाहर हो गया है, हमें शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है उसके कारण। मुखिया अगर यह देखे की घर का कोई सदस्य गलत व्यवहार कर रहा है, या उसके खिलाफ शिकायतें आ ही हैं, तो सबसे पहले वह उस सदस्य को समझाईश देता है, फिर भी अगर आचरण न सुधरे तो दण्ड देता है, फिर भी अगर नहीं सुधरा तो उसे घर से बाहर निकाल दिया जाता है, ताकि सामाजिक व्यवस्थाओं के अनुरूप एक परिवार को चलाया जा सके।
 
इस तरह का कोई भी कदम प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह द्वारा अब तक नहीं उठाया गया है। केंद्र सरकार के बेलगाम मंत्री दिल खोलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। सरेआम अनाचार, दुराचार, भ्रष्टाचार का नंगा नाच नाचा जा रहा है। कानून और व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। सरकारी कार्यालयों में जनता के पैसे की होली खेली जा रही है। जमाखोर और कालाबाजारियों की मौज है, मंहगाई पुराने सारे रिकार्ड ध्वस्त करती जा रही है। जनता की कमर टूटी पड़ी है। देश में किसान आत्महत्या पर मजबूर हैं। यह सब हो रहा है और कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के मुखिया डॉ.मनमोहन सिंह और सत्ता की चाबी अपने पास रखने वाली कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी दोनों ही नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजा रहे हैं।
 
आज के वर्तमान हालातों को देखकर कांग्रेस महासचिव गठबंधन की मजबूर राजनीति को मंहगाई का कारण बता रहे हैं। ये वही राहुल गांधी हैं, जिनके हवाले कांग्रेस आने वाले समय में देश को सौंपने का सपना देख रही है। राहुल गांधी परोक्ष तौर पर नारा बुलंद कर रहे हैं कि ‘‘गठबंधन की मजबूरी है महंगाई बहुत जरूरी है।‘‘ राहुल गांधी सांसद हैं, वैसे भी पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के वंशज होने के कारण उन्हेें मंहगाई छू भी नहीं पा सकी है, वे आम आदमी की रोज की जरूरतों से वाकिफ कतई नहीं माने जा सकते हैं। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि आजादी के उपरांत कांग्रेस ने देशवासियों के सीने पर जो मूंग दली है उसके मंगौड़े तल रहे हैं आज के समय में कांग्रेस के सरमायादार।
 
हमारी नितांत निजी राय में अगर प्रधानमंत्री खुद को बेबस, असहाय, शर्मसार महसूस कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि वे अपनी पुरानी छवि को बरकरार रखने के लिए नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए त्यागपत्र देकर एक नजीर पेश करें। निचले स्तर पर भ्रष्टाचार की खबरें आम हो चुकी हैं, किन्तु अब तो शीर्ष पर ही भ्रष्टाचार ने अपने आप को बेहतर तरीके से स्थापित कर लिया है। देश के अंतिम आदमी की पेशानी पर परेशानी और बेबस होने की लकीरें साफ दिखाई पड़ने लगी हैं। हालात किस कदर बिगड़ गए हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब देश में भी मिस्त्र जैसी बगावत और क्रांति की चेतावनियां दी जाने लगी हैं। वहां के शासकों के तानाशाह बनने के कारण लोग सड़कों पर उतर आए हैं। हिन्दुस्तान की हुकूमत भी तानाशाहों सा ही बर्ताव करने पर आमदा है। मंहगाई पर नियंत्रण का जिम्मा आखिर किसका है? जाहिर है केंद्र सरकार का। वजीरे आजम या वित्त मंत्री खुद के हाथ में जादू की छड़ी न होने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से बचना चाह रहे हैं।
 
देश में सुबह उठने से रात को सोने तक के दौरान आम आदमी पर हुए करारोपण से इकठ्ठे किए गए राजस्व को नौकरशाहों, जनसेवकों और व्यवसाईयों ने जमकर लूटा है। इसी लूट के धन को उन्होंने विदेशों में जमा कर दिया है। सरकार को पता है कि वे कौन कौन सी सफेद कालर हैं, जिन पर हाथ डालने से देश की अर्थव्यवस्था दुरूस्त की जा सकती है, किन्तु क्या करें हमाम में सब नंगे हैं, की तर्ज पर उनमें से कुछ कालर सरकार में भी शामिल हैं। लोकतंत्र की सबसे बड़ी अनवरत लूट का हिस्सा विदेशों के बैंक में जमा है, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था सुदृढ हो रही है, किन्तु हिन्दुस्तान में अर्थव्यवस्था को घुन चट कर गया है।
 
आज देश जय प्रकाश नारायण की तलाश कर रहा है। युवाओं को एक नेतृत्व की आवश्यक्ता है। इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने देश के प्रदूषित राजनैतिक वातावरण को शुद्ध करने के लिए एक विशेष महायज्ञ करने का आगाज किया है। जन जागरण अभियान के माध्यम से बाबा रामदेव ने इसे आरंभ किया है। बाबा रामदेव के राजनैतिक मंसूबे तो वे ही जाने किन्तु वर्तमान में उनके कदम ताल को देखकर उनका स्वागत किया जाना चाहिए। बाबा रामदेव के इस यज्ञ में हर देश वासी को समिधा डालना होगा, तभी भ्रष्टाचार, घपले, घोटाले, अनाचार, बलात्कार, योनाचार, कदाचार जैसे राक्षसों को देवताओं की इस भारत भूमि से बाहर खदेड़ा जा सकता है।

कुल मिलाकर प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे किसी भी शख्स को शर्मसार होने की बात कहना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं माना जा सकता है। अगर प्रधानमंत्री ही बेबस है तो देश किस रास्ते पर चल चुका है, इस बात का अंदाजा लगाकर ही रीढ़ की हड्डी में सिहरन पैदा हो जाती है। सिर्फ नाम के लिए पदों पर चिपके रहने की बजाए शासकों को चाहिए कि वे सत्ता की मलाई का मोह त्याग दें, वरना हालात बेकाबू होते देर नहीं लगेगी और आने वाले समय में भावी पीढ़ी इन नेताओं का नाम बहुत आदर के साथ तो कतई नहीं लेने वाली।

एमपी उपचुनावों के उपरांत बदले जाएंगे संगठन मंत्री


संघ फेंट सकता है संगठन मंत्रियों के पत्ते
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली। सत्ता की मलाई चखने के आदी हो चुके राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संगठन मंत्रियोें के पर जल्द ही कतरे जा सकते हैं। अनेक संगठन मंत्रियों को भाजपा से संघ में वापस बुलाए जाने पर संघ ने गंभीर विचार विमर्श आरंभ कर दिया है। मध्य प्रदेश के संगठन मंत्री माखन सिंह की भी संघ में वापसी के मार्ग प्रशस्त होने की खबरें हैं।
गौरतलब है कि संघ के द्वारा भाजपा में भेजे गए संगठन मंत्रियों का प्रमुख दायित्व संघ और भाजपा के बीच तालमेल बनाने का है। भाजपा शासित राज्यों में संगठन मंत्रियों द्वारा सरकार पर अनावश्यक दबाव बनाए जाने की शिकायतों के उपरांत संघ ने कुरूक्षेत्र के बाद विजयवाड़ा में संगठन मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा की थी। वहीं दूसरी और राज्यों में संभाग और जिलों में तैनात संगठन मंत्रियों की मनमानी के चलते भाजपा में धड़ेबाजी सतह पर आ गई है, जिससे संघ नेतृत्व बुरी तरह खफा नजर आ रहा है।
संघ के झंडेवालान स्थित मुख्यालय ‘केशव कुंज‘ के सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली में संगठन मंत्रियों की तैनाती नए सिरे से की जानी प्रस्तावित है। मध्य प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद बन चुके अरविंद मेनन को माखन सिंह के स्थान पर भेजा जा सकता है। एमपी में यह बदलाव कुक्षी और सोनकच्छ उपचुनाव के एन बाद में किए जाने की आशा है।
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में विजय शर्मा की कार्यप्रणाली से संघ और भाजपा दोनांे ही में असंतोष है। शर्मा के स्थान पर नए नाम को खोजने का काम जारी है। भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी के गृह राज्य महाराष्ट्र में रघुनाथ का चाल चलन गड़करी को नहीं भा रहा है। सूत्रों का कहना है कि रघुनाथ को पृथक कर कुछ दिनों तक सूबा संगठन मंत्री विहीन रखकर ही चलाया जाएगा।

सीबीएसई आरंभ करेगा चार नए कोर्स


मीडिया के गुर सीखेंगे छात्र! 
शालाओं को 5 मार्च तक भेजना होगा सहमति
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आरंभ की योजना
 
नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश में इंटरमीडिएट छात्र अब मीडिया प्रोडक्शन के गुर भी अपने पाठ्यक्रम के साथ सीख पाएंगे। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) इस साल अप्रेल से आरंभ होने वाले वोकेशनल कोर्स के शैक्षणिक सत्र में चार नए कोर्स आरंभ करने जा रहा है, जिनमें मास मीडिया स्टडीज, मीडिया प्रोडक्शन कोर्स के साथ ही साथ फूड प्रोडक्शन, फूड बेवरेज सर्विसेज और जियोस्पेतियल टेक्नोलॉजी शामिल हैं।
गौरतलब होगा कि पिछले साल सीबीएसई ने पायलट प्रोजेक्ट के बतौर इस योजना को आरंभ किया था। इस साल बोर्ड अनेक कंपनियों के साथ मिलकर इसके प्रमाणपत्र भी जारी करेगा। बताया जाता है कि बोर्ड ने अपने संबद्ध स्कूलों को इन नए पाठ्यक्रम आरंभ करने के लिए निर्धारित प्रपत्र भेज दिया है, जिन शालाओं को इस तरह के कोर्स आरंभ कराने में रूचि होगी वे पांच मार्च तक इस प्रपत्र को भरकर बोर्ड को भेज देंगे।
जियोस्पेतियल टेक्नालाजी का कोर्स, मुंबई की रोल्टा इंडिया लिमिटेड, फूड प्रोडक्शन जिसमें हॉस्पिटेलिटी और पर्यटन शामिल है को कोर्स नेशनल काउंसिल फॉर होटल मैनेजमेंट एण्ड केटरिंग, विसलिंग वुड्स इंटरनेशनल के सहयोग से मास कम्यूनिकेशन के कोर्स करवाए जाएंगे।

बाबा की हुंकार से सहमे माननीय

ये है दिल्ली मेरी जान
लिमटी खरे

बाबा की हुंकार से सहमे माननीय
इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने विदेशों में जमा काले धन के बारे में दो सालों से अभियान छेड़ रखा है। बाबा की बातों को पहले देश के माननीय जनसेवकों ने बेहद हल्के में लिया। मामला धीरे धीरे सुलगता गया और अब जब मामला चरम पर है तब बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार पर तीखे प्रहार करना आरंभ कर दिया है। बाबा की एक एक सभा में पचासियों हजार लोगों की भीड़ जुड़ना आम बात है। बाबा की बातें लोगों के दिलो दिमाग पर घर कर रही हैं। बाबा का कहना है कि मिस्त्र में हिंसक क्रांति हो सकती है तो गांधी के देश में अहिंसक क्रांति की जाएगी। सरकार के खिलाफ जनता जनार्दन को खड़ा किया जाएगा। बाबा रामदेव के इन तल्ख तेवरों से केंद्र सरकार सहित विपक्ष में बैठे माननीय जनसेवकों को मानो सांप सूंघ गया है। हसन अली पर पचास हजार करोड़ का कर बकाया होने पर उसे गिरफ्तार न करने के पीछे बाबा का तर्क है कि देश के बेईमान, गद्दार, भ्रष्ट, देशद्रोही लोगों का पैसा हसन के पास है इसलिए उसे पकड़ा नहीं जा सका है। उधर आड़वाणी का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को 2008 में ही अनेक नाम दे दिए थे, जिनका काला धन विदेशों में जमा था। लगने लगा है कि बाबा रामदेव के इस अभिनव जनजागरण अभियान को जनता का अभूतपूर्व, अकल्पीनय समर्थन मिलने ही वाला है। अब देश के माननीयों को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि समय आ चुका है, जनता जाग चुकी है, जनता पर करारोपण कर अर्जित राजस्व में आग लगाने वालों को देशनिकाला दे ही दिया जाना चाहिए।

गरीब गुरबों की सोचो मेरे आका
भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने मंहगाई के लिए जनता को ही जिम्मेवार ठहरा दिया है। उधर देश के वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी भी वजीरे आजम की भाषा बोल रहे हैं। प्रणव दा का कहना है कि उनके पास कोई अलादीन का चिराग नहीं है, उन्होंने मंहगाई पर काबू करने के अनेक उपाय किए, पर असफल रहे। प्रणव दा ने यह नहीं बताया कि उनके प्रयास क्या रहे? देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठने वाले पंच अर्थात सांसद क्या जाने कि गरीब गुरबों पर क्या बीत रही है, कैसे एक गरीब अपना और परिवार का पेट पाल रहा है। सांसदों को मिलने वाली मोटी पगार और सारी सुविधाएं माले मुफ्त पाने वाला क्या जाने जमीनी हकीकत। अगर धोके से वह सांसद केंटीन में चला जाए तो उसे वहां महज बीस रूपए में ही भरपेट खाना मिल जाता है, तो वह सोचेगा ही न कि देश में कितना सस्ता है, खाना फिर भी जनता नाहक ही मंहगाई का रोना रो रही है। अरे मान्यवर पार्लयामेंट की केंटीन में मिलने वाला खाना सब्सीडाईज्ड होता है, जिसका बाकी भोगमान जनता के पैसे से अर्जित राजस्व से ही भुगता जाता है। आप तो रेल में निशुल्क यात्रा कर लेते हैं, गरीब को जब कड़े कड़े नोट देने पड़ते हैं यात्रा के लिए तब उसे आती है याद नानी। मंहगाई कम नहीं कर सकते तो कम से कम इस तरह के बयान देकर जनता के जनोदश का अपमान तो न ही किया जाए।

नियम तोड़ने में अव्वल हैं शीला
दिल्ली की कुर्सी पर तीसरी बार काबिज होने वाली कांग्रेस की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित को नियम कायदों की परवाह बचपन से ही नहीं रही है। इतना ही नहीं उनका रूतबा इतना जबर्दस्त है कि दिल्ली सरकार के विभाग भी उन पर जुर्माना ठोंकने का दुस्साहस नहीं कर पा रहे हैं। दिल्ली में आनालाईन ड्राईविंग लाईसेंस बनवाने की प्रक्रिया का श्रीगणेश करते समय शीला दीक्षित ने एक राज उजागर किया कि उन्होंने नियम कायदों को धता बताते हुए महज बारह साल की उमर में ही अपना ड्राईविंग लाईसेंस बनवा लिया था। अब अंदाजा लगाईए कि शीला दीक्षित बचपन से ही कितनी हुनरमंद रही हैं। यह तो हुई उनकी राम कहानी। इसके बाद परिवहन विभाग का चमत्कार देखिए शीला दीक्षित का लाईसेंस साल दर साल नवीनीकृत भी किया जाता रहा वह भी निर्विध्न। अब जबकि शीला दीक्षित ने खुद ही अपने मुंह से नियम तोड़ने की बात कह दी है, तब भी दिल्ली का परिवहन विभाग खामोश है। होना यह चाहिए कि परिवहन विभाग को श्रीमति शीला दीक्षित के उस अवैध और बार बार नवीनीकृत लाईसेंस को रद्द कर उसे नवीनीकृत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच आहूत कर श्रीमति शीला दीक्षित का नया लाईसेंस बनाना चाहिए, पर क्या करें, दिल्ली परिवहन विभाग के आला अधिकारियों में इतना साहस नहीं है, आखिर बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे।

देश की अस्मत से खेलती बाबूशाही
विदेशी घुसपैठिए देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बने हुए हैं, प्रधानमंत्री भले ही सूबों के निजामों को बुलाकर भले ही अपनी चिंता जाहिर करते रहें, किन्तु देश में पैसे के पीछे भागती बाबूशाही को इसकी कतई परवाह नहीं है। देश के मूल बाशिंदों को भले ही भारत का नागरिक होने के लिए मशक्कत करनी पड़े पर ‘‘सुविधा शुल्क‘‘ के रास्ते विदेशी यह प्रमाणपत्र आसानी से हासिल कर लेते हैं। हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर में नेपाली नागरिक सुमित, सुनील थापा और कृष्ण कुमार द्वारा भारतीय मूल का प्रमाण पत्र प्राप्त होने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। कलेक्ट्रेट ने नेपाली नागरिकों को यह प्रमाणपत्र जारी कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय इससे पूरी तरह अनजान ही हैं मजे की बात तो यह है कि इस मामले में प्रमाणपत्र जारी करने के पूर्व कलेक्टर ने गृह विभाग से दिशा निर्देश चाहे थे। मार्गदर्शन तो नहीं मिला किन्तु उक्त युवक ने पैसों के बल पर एकल खिड़की के माध्यम से प्रमाणपत्र अवश्य ही प्राप्त कर लिया। यह पहला और अनोखा मामला नहीं है। देश के हर सूबे में अगर मूल निवास प्रमाण पत्र की बारीकी से जांच कराई जाए तो हैरत अंगेज परिणाम सामने आ सकते हैं।

तमिलनाडू की नब्ज टटोल रहे हैं युवराज
घपला किंग पूर्व संचार मंत्री आदिमुत्थु राजा की गिरफ्तारी के उपरांत तमिलनाडू के सियासी समीकरणों पर कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी बारीक नजर रखे हुए हैं। कांग्रेस महासचिव अपनी कोर कमेटी के साथ राजा की गिरफ्तारी के पहले और उसके बाद के राजनैतिक समीकरणों और घटनाक्रमों के साथ ही साथ सूबे में डीएमके के साथ रिश्तों की समीक्षा कर रहे हैं। डीएमके के नाराज होने पर पीएमके के साथ नई संभावनाओं को भी टटोल रहे हैं युवराज। राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि राजा की गिरफ्तारी के पहले डीएमके चीफ करूणानिधी की सोनिया गांधी से भेंट और चर्चा के दौरान राहुल गांधी वहां मौजूद थे। इसके उपरांत राहुल ने पीएमके नेता अंबुमणि रामदोस से गुफ्तगूं भी की। तमिलनाडू के मसले में राहुल गांधी द्वारा तमिल मूल के जी.के.वासन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नवी आजाद के साथ मिलकर रणनीति तैयार की जा रही है कि चुनावों में गठबंधन किसके साथ ज्यादा उपयुक्त होगा। भले ही कांग्रेस राजा मामले में यह कह रही हो कि इससे उसके और डीएमके के रिश्तों में कोई असर नहीं पड़ने वाला, पर कांग्रेस द्वारा तमिलनाडू में डीएमके के अलावा उपयुक्त दल के साथ गठबंधन की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।

राजा की सवारी को अलविदा कहा हृदय प्रदेश ने
केंद्र हो या राज्य हर जगह मंत्रियों की पहचान बन चुकी लाल हरी बत्ती लगी एम्बेसेडर कार को देश के हृदय प्रदेश ने अपने कान्वाय से हटाने का मन बना लिया है। कल तक सफेद लकझक एम्बेसेडर कार पर कलगी की जगह जगमगाती लाल बत्ती देखकर ही आम जनता समझ जाती थी कि मंत्री जी आन पधारे हैं। इतना ही नहीं संभागायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, उप पुलिस महानिरीक्षक, जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक भी इस कार पर शान से बैठकर विचरण किया करते थे। मध्य प्रदेश के अनेक जिलों मंे जिला कलेक्टर्स की पहली पसंद बन चुकी है टाटा सफारी। कलेक्टर मंहगी सफारी में और मंत्री बाबा आदम के जमाने की एम्बेसेडर में। मंत्रियों की खास फरमाईश पर मध्य प्रदेश के किसान पुत्र मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने जनता के करों से एकत्र राशि में से ही राज्य सरकार के वाहन बेड़े मंे 24 टाटा सफारी खरीद लीं हैं, जो स्टेट गैराज की शोभा बढ़ाती नजर आ रही हैं। जनता का पैसा जनता के लिए जनता द्वारा का सिद्धांत भी अब पुराना जो पड़ चुका है।

किसके हाथ होगी सैंसर की कैंची!
सैंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) को अब नए मुखिया की तलाश है। निर्वतमान अध्यक्ष शर्मिला टैगोर का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो चुका है। दो कार्यकाल पूरा कर चुकीं शर्मिला के उत्तराधिकारी की खोज महीनों से की जा रही है किन्तु सूचना एवं पर्यावरण मंत्रालय को उपयुक्त शक्सियत मिल ही नहीं सकी है। आई एण्ड बी मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय ने इस मामले मंे गुलजार, मनोज कुमार, शबाना आजमी, मृणाल सेन, वहीदा रहमान, तनूजा, सायरा बानो आदि से संपर्क किया था। गुलजार ने अपनी व्यस्तता के चलते साफ इंकार कर दिया है। बाकी ने ढलती उमर को ढाल बनाते हुए सम्मानजनक तरीके से अपनी ना कह दी है। सूचना प्रसारण मंत्रालय पशोपेश में है कि अब क्या किया जाए? क्योंकि सेंसर बोर्ड की कमान जिसके हाथों सौंपी जाए वह कम से कम फिल्मों में सक्रिय न हो। लिहाजा शर्मिला टैगौर को ही तीसरी बार मनाने की जुगत लगाई जा रही है।

सोनिया को आईना दिखाया वैंकटस्वामी ने
आंध्र प्रदेश के उमर दराज 82 वर्षीय वरिष्ठ नेता जी.वैंकटस्वामी ने कांग्रेस की राजमाता को आखिरकार आईना दिखा ही दिया। 12 साल से लगातार कांग्रेस पर राज करने वाली सोनिया गांधी से उन्होंने कुर्सी छोड़कर किसी नए व्यक्ति को मौका देने को कहा है। वैंकटस्वामी ने कांग्रेस को रसातल में ले जाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को ही पूरी तरह जिम्मेवार ठहराया है। इतना ही नहीं उन्होंने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के होने का मुद्दा भी उठा सबको चौंका दिया है। वैसे भी आंध्र प्रदेश में र्पू मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी के पुत्र और कांग्रेस से नाता तोड़ चुके जगन मोहन रेड्डी के कारण आंध्र में कांग्रेस संकट में ही है। वैंकटस्वामी के बयान के बाद कांग्रेस के अंदरखाने में बासी कढी मंे उबाल आने लगा है। लोगों का कहना है कि स्वामी ने सही कहा है कि नए चेहरे को तवज्जो देना चाहिए। इसका तात्पर्य इस बात से भी लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में सोनिया अपनी राजनैतिक विरासत को अपने पुत्र राहुल गांधी के बजाए किसी नए चेहरे को सौंपे।

मुश्किल में ग्रामीण
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा 19 जनवरी को एक तुगलकी फरमान जारी कर दिल्ली राज्य के ग्रामीणों के साथ ही साथ नगर निगम के अधिकारियों को असमंजस में डाल दिया है। मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दिल्ली के गांवों में किसी भी प्रकार के भवन निर्माण के लिए नक्शा पास करवाना अनिवार्य कर दिया है। नक्शे को दिल्ली नगर निगम द्वारा पास किया जाना प्र्रस्तावित किया गया है। ग्रामीणों और निगम के सामने सबसे बड़ी दुश्वारी यह है कि गांवों के ले आउट प्लान के बिना आखिर नक्शा कैसे पास हो पाएगा। गौरतलब होगा कि दिल्ली में लगभग सात सौ गांव हैं, जिनकी आबादी तीस लाख के करीब है। वैसे भी दिल्ली की 567 अनाधिकृत कालोनियों में से महज चार दर्जन के ही लेआउट प्लान तैयार हो सके हैं। अब समस्या यह है कि गांव सहित इन सभी के लेआउट प्लान तैयार करने में सालों लग जाएंगे, तब यहां होने वाले निर्माण को अपने आप ही अवैध करार दे दिया जाएगा।

आदर्श घोटाले की आंच में शिंदे!
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपनी आगोश में ले चुके मुंबई के आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले की आंच अब केंद्रीय उर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे को अपनी जद में लेती दिख रही है। मुंबई उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को निर्देशित किया है कि इस घोटाले में सुशील कुमार शिंदे की भूमिका को भी जांच के दायरे में लाया जाए। कोर्ट का मानना है कि शिंदे ने भी मुख्यमंत्री रहते हुए फर्जी दस्तावेजों के जरिए इस इमारत की नींव बुलंद की थी। याचिकाकर्ता वाई.पी.सिंह का कहना है कि इस मामले की प्राथमिकी में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख, पूर्व मुख्य सचिव डी.शंकरन सहित अनेक लोगों के नाम जोड़े जाने चाहिए। कारगिल के शहीदों की विधवाओं के नाम पर बनी इस सोसायटी में सेना से हटकर अन्य लोगों के नाम शामिल करने के उपरांत इसके निर्माण के मार्ग प्रशस्त हो सके थे। छः मंजिला प्रस्तावित यह इमारत बाद में 31 मंजिल तक पहुंच गई थी। अदालत के ताजा आदेश के बाद राजनेताओं और नौकरशाहों मंे हडकम्प मचना स्वाभावकि ही है।

मुर्गा छोड़ो, मर्द बनो!
आदमियों को अगर अपने बाल और पोरूषत्व को कायम रखना है तो उन्हें फार्म वाले चिकन के मांस को तजना आवश्यक है। यह हमारा नहीं वोलीविया के महामहिम राष्ट्रपति ईवो मोरेल्स का कहना है। एक पर्यावरण सम्मेलन में मोरेल्स ने उक्ताशय की बात कही है। उनका कहना है कि मुर्गी पालन के काम में लगे लोगों द्वारा चिकन में मादा हार्मोंस वाले इंजेक्शन का प्रयोग अधिक किया जाता है, जिससे इसका सेवन करने वाले पुरूषों के पुरूषत्व में दिक्कत आती है। इतना ही नहीं फार्म के चिकन का लंबे समय तक सेवन करने वाले गंजे भी हो सकते हैं। पहले ही बर्ड फ्लू की दहशत के चलते मुर्गी फार्म वाले हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं, फिर अगर मोरेल्स ने इस तरह की अपील कर दी तो बस निकल पड़ी मुर्गी फार्म वालों की।

पुच्छल तारा
देश में एक समय था जब भ्रष्टाचार करना सामाजिक बुराई माना जाता था, लोग भ्रष्टाचार करने से डरा करते थे। अब तो नौकरशाहों और जनसेवकों का प्रिय शगल बन चुका है भ्रष्टाचार। टीकमगढ़ मध्य प्रदेश से अनुराग वर्मा ने एक ईमेल के माध्यम से इसे रेखांकित किया है। अनुराग लिखते हैं कि जेल में दो नए कैदी बतिया रहे थे।
पहला -‘‘तुम यहां क्यों आए?‘‘
दूसरा -‘‘किसी से मारपीट हो गई थी, बस। और तुम यहां कैसे आए?‘‘
पहला -‘‘मैने लोगों को जमकर धोखा दिया। करोड़ों की हेराफेरी की। नियम कायदों को जेब में रखा।. . . .।‘‘
दूसरा -‘‘ओह, माफ कीजिएगा, क्या आप नेता हैं?‘‘

नर्मदा कुंभ में आएंगे देश भर से लाखों श्रद्धालु

नर्मदा कुंभ में आएंगे देश भर से लाखों श्रद्धालु
 
(मनोज मर्दन त्रिवेदी)
 
सिवनी -: जिस अभूतपूर्व आयोजन के लिए पिछले छ: माह से युद्ध स्तर पर तैयारियां चल रही है वह क्षण अब निकट आ गया है। और आगामी १०,११ एवं १२ फरवरी को  आयोजित होने वाला नर्मदा सामाजिक कुम्भ के पूर्व विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गये हैं, ३ फरवरी को विशाल और ऐतिहासिक अद्भुत नजारा मण्डला में दिखाई दिया और इसी कि साथ नर्मदा सामाजिक कुम्भ का आगाज हुआ है निमित्त कुम्भ स्थल पर वृंदावन से पधारे अतुलकृष्ण भारद्वाज महाराज द्वारा रामकथा की रस धार प्रवाहित की जा रही है तथा रात्रि के समय श्री कृष्णलीला पर आधारित रास लीला का नैनाभिराम चित्रण किया जा रहा है। कुम्भ स्थल पर ९ फरवरी से वंशावली लेखकों को भी आमंत्रित किया गया है। जिनका सम्मेलन ९फरवरी को होगा। नर्मदा कुम्भ आयोजन धार्मिक महत्व बढ़ाने के साथ ही राष्ट्रीय एकता और समरसता जैसे पवित्र उद्देश्य को लेकर आयोजित किया गया है नर्मदा सामाजिक कुम्भ में शामिल होने वाले लगभग ३० लाख श्रद्धालुओं की अनुमानित संख्या को दृष्टिगत रखते हुए  व्यवस्थाएं की गई हैं।
स्नानार्थियों के लिए सुरक्षा:-
लगभग ३० लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की अनुमानित संख्या को दृष्टिगत रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था सहित स्नान करने के लिए घाटों का निर्माण किया गया है। प्रत्येक घाट में लगभग ५० श्रद्धालु प्रति मिनिट स्नान करेंगे। इसके साथ रपटा स्थित घाटों में हजारों श्रद्धालु एक साथ स्नान कर सकते हैं कुम्भ की दृष्टि से नर्मदा का जल स्तर बढ़ाने के लिए एनिकट का निर्माण किया गया है, जिससे नर्मदा का जल स्तर बढ़ा हैं। किसी भी प्रकार की दुर्घटना घटित न हो इसके लिए स्थानीय ६० गोताखोर तैनात किये गये हैं। इसके साथ ही चप्पे - चप्पे पर कड़ी पुलिस व्यवस्था, कुम्भ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए तैनात की गई है।
इसके पूर्व भी आयोजित हुए  हैं ऐसे कुम्भ:-
धर्म ग्रन्थों के आधार पर आयोजित होने वाले कुम्भों के अतिरिक्त पवित्र तीर्थ स्थलों पर अनेक उद्देश्यों को लेकर कुम्भ आयोजित किये गये हैं। राजिम मथुरा एवं पांच साल पूर्व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा सन् २००६ में गुजराज के ढांड़ जिले में साबरी कुम्भ का आयोजन किया जा चुका है जिसमें १० लाख श्रद्धालु शामिल हुए थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निर्देशन में यह दूसरा कुम्भ मण्डला मेंं आयोजित हो रहा है।
व्यापक व्यवस्था:-
कुम्भ के लिए ३५०० एकड़ जमीन पर रानीदुर्गावती पूरम बसाया गया है, इसके साथ ही ठहरने के लिए ५० नगर बसाये गये है, हर नगर की क्षमता ५००० नागरिकों के लिए रहेगा लगभग २.५० लाख श्रद्धालु  यहां हर दिन रूकेंगे ऐसा अनुमान लगाया है शेष श्रद्धालु रात्रि के समय घर लौट जायेंगे भोजन के लिए राजस्थान से विशेष रसोयें बुलाये गये हैं जो लाखों श्रद्धालुओं को सीमित समय में भोजन पकाकर खिलाने की महारत रखते हैं। १५ लाख व्यक्ति यहां भोजन करेगा इसके लिए ८ कम्यूनिटि किचिन बनाये गये हैं प्रत्येक किचिन में २ लाख व्यक्तियों को लिए खाना पकाया जायेगा। सुरक्षा के इंतेजामों का जायजा पुलिस महानिदेशक संतोष राउत ने भी पिछले दिनों लिया है। कुम्भ के दौरान मंडला में व्यापक सुरक्षा व्यवथा रहेगी और क्षेत्र में पुलिस जवान तैनात किये गये हैं।
पहुंचने वाले अतिथि:-
कुम्भ शुभारम्भ के साथ ही अनेक अतिथि और वक्ता कुम्भ में पहुंचेंगे संघ संचालक मोहन भागवत आचार्य गोविंद देव गिरी, अशोक सिंघल, विजय कौशल जी महाराज,महामण्डलेश्वर हरानंद जी बालक दास जी महाराज, परम पूज्य शंकराचार्य, वासुदेवानंद जी महाराज, संत बालक दास जी महाराज, सत्यमित्रानंद जी महाराज, आचार्य किशोर दिलीपसिंह जूदेव, साध्वी ऋतम्भरा, प्रवीण तागोडिय़ा, इंद्रेश पूर्व संघ चालक, कुप्पी सुदर्शन, विष्णु कोकजे, सुरेश सोनी, लक्ष्मीकांत चावला, सहित भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री एवं अन्य राजनैतिक हस्तियां कार्यक्रम में शामिल होंगी।
 
यातायात व्यवस्था:-
 
कुम्भ के दौरान म.प्र. के पड़ोसी राज्यों से श्रद्धालुओं के लिए विशेष यातायाव व्यवस्थाएं  की गई हैं। मण्डला के पड़ोसी जिलों से कुम्भ मेें पहुंचने वालों के लिए यात्री किराये में भी छूट वाहन संचालकों द्वारा प्रदान की जा रही है। कुम्भ को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है।