बाजपेयी का अक्स
देख रहे शिवराज में भाजपाई!
शिवराज बन गए हैं, पीएम मेटेरियल
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
भारतीय जनता पार्टी में प्रधानमंत्री का एक और दावेदार बढ़ गया है। राजग के पीएम इन
वेटिंग एल.के.अड़वाणी के परिदृश्य से बाहर होने के बाद गुजरात के निजाम नरेंद्र
मोदी ही पीएम के तगड़े उम्मीदावार बनकर उभरकर सामने आए। भाजपा का बड़ा वर्ग नरेंद्र
मोदी को भावी प्रधानमंत्री के बतौर देखने लगा, पर संघ को मोदी की
जल्दबाजी रास नहीं आई।
वहीं, दूसरी पारी मिलने
के बाद भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी पीएम के स्वाभाविक उम्मीदवार ही हैं। मोदी और
गड़करी में मोदी की वजनदारी काफी अधिक ही प्रतीत हो रही है। इन परिस्थितियों में
नरेंद्र मोदी का कद कम करने की गरज से कुछ ताना बाना बुनना आरंभ हो गया।
हाल ही में
सूरजकुण्ड अधिवेशन में भरे मंच से नरेंद्र मोदी सहित सात में से छः मुख्यमंत्रियों
की उपस्थिति में गड़करी ने जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान की तारीफों में कशीदे गढ़े
उससे सभी भोंचक्के थे। जब गड़करी द्वारा शिवराज सिंह चौहान को विकास पुरूष निरूपित
किया जा रहा था उस वक्त नरेंद्र मोदी की भाव भंगिमाएं देखकर लग रहा था मानो उनके
मुंह में कुनैन की कड़वी गोली फूट गई हो।
झंडेवालान स्थित
संघ मुख्यालय ‘केशव कुंज‘ के उच्च पदस्थ
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री पद के लिए कछुए की तरह लगातार बढ़ रहे शिवराज
सिंह चौहान भी संघ की पसंद बनकर उभर रहे हैं। संघ के आला नेताओं को शिवराज सिंह
चौहान द्वारा मध्य प्रदेश में आरंभ की गई अनेक योजनाएं भा रही हैं। ये योजनाएं
विशेषकर गरीब और सर्वहारा वर्ग को केंद्रित कर बनाई गई हैं।
संघ के सूत्रों ने
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि संघ के आला नेताओं की आंखों का तारा बनने के
लिए शिवराज सिंह चौहान ने बडे जतन किए हैं। शिवराज हर पखवाड़े नियमित तौर पर संघ के
भोपाल स्थित कार्यालय समिधा जाकर वहां नेताओं के साथ सत्ता और संगठन के मुद्दों पर
गहन विचार विमर्श अवश्य करते हैं।
इसके अलावा शिवराज
ने बाल आप्टे समिति के प्रतिवेदन पर सबसे पहले अमल कर मीडिया से जुड़े शैक्षणिक
संस्थानों में संघ पृष्ठभूमि वाले संघनिष्ठों की भर्ती को पूरी प्राथमिकता दी है।
संघ का एजेंडा लागू करने में शिवराज सिंह चौहान ने अन्य भाजपाई मुख्यमंत्रियों को
मीलों पीछे छोड़ दिया है।
दबे पांव हर
शैक्षणिक संस्था और सरकारी कार्यालयों में सूर्य नमस्कार और वन्दे मातरम अनिवार्य
कर शिवराज सिंह चौहान ने इतिहास लिखा है, यद्यपि इन दोनों ही बातों को पुरजोर विरोध
हुआ फिर भी शिवराज सिंह चौहान अपने इरादों से डिगे कतई नहीं। अपने पुराने संसदीय
क्षेत्र विदिशा में पांव पांव वाले भईया के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान की
खासियत यह है कि वे सहज, सुलभ और मृदुभाषी हैं। उनकी यही विशेषता संघ को भा चुकी है।
संघ की मंशानुसार शिवराज ने बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना भी करवा दी है।
लाडली लक्ष्मी
योजना के जरिए वे राज्य में मामा के नाम से मशहूर हो चुके हैं। तो हाल ही में
किसानों के लिए उन्होंने जीरो फीसदी पर कर्ज मुहैया कराने की योजना शुरू करते हुए
श्श्ब्याज जीरो, किसान हीरो” का नारा दिया। अब
तीर्थदर्शन योजना काफी सफल हो रही है. गांव में जाकर साइकिल से दौरा करना। कहीं भी
अपना काफिला रुकवा कर चौक-चौराहे बैठे लोगों से गपशप करना उनकी आदत में है। गांवों
में उन्हें पांव-पांव वाले भैया’ के नाम से पुकारा जाता है।
मुख्यमंत्री बनने
के उपरांत शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली लक्ष्मी योजना सुपर डुपर हिट हो चुकी है।
हाल ही में उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना
के जरिए सरकारी खर्च पर तीर्थ करवाकर ना केवल बुुजुर्गों का आर्शीवाद लिया है वरन
शिवराज सिंह चौहान ने अनेक हिन्दू परिवारों को अपने साथ जोड़ लिया है।
सीएम तीर्थ दर्शन
योजना में यात्रा के साथ ही साथ खाना पीना यहां तक कि पूजन अर्चन में आने वाले
खर्च को भी मध्य प्रदेश सरकार ही वहन कर ही है। भाजपा से मुस्लिम कम ही जुड़ते हैं, पर शिवराज सिंह
चौहान ने मुस्लिम परिवारों को अजमेर शरीफ की यात्रा करवाकर सिक्सर मार दिया है
जिसकी काट कांग्रेस के पास शायद ही हो।
भारतीय जनता पार्टी
के अंदर अब शिवराज सिंह चौहान में कार्यकर्ता अटल बिहारी बाजपेयी का अक्स देख रहे
हैं। जिस तरह अटल बिहारी बाजपेयी ने बिना किसी की आलोचना प्रशंसा की परवाह किए ही
अपने पथ पर लगातार चला गया, ठीक उसी तरह गांव के आम आदमी की छवि वाले
शिवराज सिंह चौहान द्वारा भी जनहित की योजनाओं को परवान चढ़ाया जा रहा है।
सियासी गलियारों
में यह बात भी तेजी से सामने आ रही है कि अगर राजग में प्रधानमंत्री के लिए शिवराज
सिंह चौहान का नाम आगे किया गया तो उनके नाम पर बिहार के निजाम नितीश कुमार सहित
अन्य घटक दलों यहां तक कि भाजपा और संघ के आला नेताओं को कोई आपत्ति शायद ही हो।