सोमवार, 30 मई 2011

क्या वाकई मर गया ओसामा!


क्या वाकई मर गया ओसामा!!

(लिमटी खरे) 

अमेरिका को दुनिया का चैधरी यूं ही नहीं कहा जाता है, अमेरिका का हर कदम बहुत ही सोचा समझा और दूरंदेशी वाला होता है। कहते हैं कि अमेरिका के महामहिम राष्ट्रपति जब भी विदेश दौरे पर होते हैं तो उनके साथ उनका लाव लश्कर पहले ही जाकर स्थिति को भांपकर उनके मुताबिक सुरक्षा तंत्र मजबूत करता है। इतना ही नहीं महामहिम की विष्ठा (मल मूत्र) तक सुखाकर उनके सुरक्षा कर्मी अपने साथ ले जाते हैं, ताकि महामहिम के बारे मंे ज्यादा पता साजी न की जा सके। अमेरिका ने कहा कि ओसामा मारा गया, उसे समुद्र में कहीं दफन कर दिया गया, उधर ओसामा की कथित बेवा का कहना है कि ओसामा को जिंदा ही पकड़ा गया था। हो सकता है अमेरिका ने ओसामा को जिन्दा ही पकड़ लिया हो और फिर उसे पूछताछ के लिए अपने साथ ले जाया गया हो, बाद में अगर ओसामा को मार दिया जाता है या मर भी जाता है तो विश्व के सामने यही कहानी सामने आएगी कि ओसामा को तो एटमाबाद में ही मार गिराया गया था।


दुनिया भर में आतंक का पर्याय बन चुके ओसामा बिन लादेन की दहशत अब समाप्त हो चुकी है। दुनिया के चैधरी अमेरिका का दावा है कि ओसामा को एटमाबाद में मार गिराया गया है। पाकिस्तान में ओसामा जिस स्थान पर निवासरत था वह पाकिस्तान के एटमाबाद का हाई सिक्यूरिटी जोन है। कोई परिवार एक घर में बिना बिजली पानी फोन कनेक्शन के सालों साल से रह रहा हो और उस देश या उस शहर के निवासियों आस पड़ोस के लोगों को पता भी न चले यह बात गले नहीं उतरती है। हाई सिक्यूरिटी जोन में वैसे भी हर घर पर खुफिया एजेंसी की नजर होती है। बावजूद इसके दहशतगर्दी के सरगना ओसामा बिन लादेन ने वहां सालों साल गुजार दिए।

एक घर को चलाने के लिए पानी और राशन की आवश्यक्ता होती है। कोई तो होगा जो इस घर में पानी और राशन पहुंचाता होगा। मोहल्ले का बनिया हर घर के बारे में जानता है। अगर आप कहीं जाएं और किसी का पता न मिले तो मोहल्ले के धोबी, मोची, परचून की दुकान, पान वाले से पता पूछा जा सकता है। अमूमन होता भी यही है कि एकदम सही और सटीक पता ये ही बता पाते हैं। क्या एटमाबाद में ओसामा के बारे में मोहल्ले के इन जासूसों को पता नहीं होगा?

अगर यह संभव नहीं है तो फिर अमेरिका ने ओसामा का पता आखिर कैसे निकाल लिया। दूसरी सबसे आपत्तिजनक बात तो यह है कि अमेरिका ने पाकिस्तान में जाकर इस तरह की कार्यवाही की। यह तो वही बात हुई कि कोई बाहरी आदमी आपके घर के अंदर आकर धमाल मचाकर किसी को पकड़कर साथ ले जाए और आपको पता भी न चले। यह तो सरासर गुण्डागर्दी हुई। वैसे अमेरिका की कार्यवाही एक तरह से सही ही मानी जाएगी, क्योंकि ओसामा ने कहर ही बरपा रखा था दुनिया भर में। आज पाकिस्तान हाथ मलकर ही रह गया है। वह अमेरिका के सामने कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है। पाकिस्तान की नापाक हरकतों के कारण दुनिया के अन्य देश उसकी मदद को आगे नहीं आ रहे हैं।

इस मामले में सबसे अधिक आश्चर्यजनक पहलू यह है कि पाकिस्तान के साथ अमेरिका ने जबरा मारे रोन न देकी कहावत चरितार्थ की है। अर्थात एक जोरदार झन्नाटेदार झापड़ रसीद करने के बाद ताकीद किया कि रोना नहीं, वरना और पिटोगे। अब पाकिस्तान अंदर ही अंदर कसमसाकर रह गया है। दूसरी तरफ आर्थिक और सैन्य मदद उपलब्ध कराकर अमेरिका पाकिस्तान की पीठ पर हाथ भी फेरता जा रहा है, जिसकी विश्व भर में निंदा होना चाहिए।

देखा जाए तो आज विश्व की महाशक्ति बनने के लिए अमेरिका और चीन दोनों ही में गलाकाट प्रतिस्पर्धा जारी है। यह बात भी उतनी ही सच है जितनी की दिन और रात कि दोनों ही देशों को भारत के समर्थन की दरकार है। इस बात को पता नहीं भारत के नीति निर्धारक समझ क्यों नहीं पा रहे हैं या फिर समझ कर भी समझना नहीं चाह रहे हैं। एक तरफ अमेरिका अपना दवाब भारत पर बना रहा है। विकीलिक्स के खुलासे मंे साफ हो गया है कि भारत गणराज्य में सरकार किसी की भी बने पर मंत्रीपद का फरमान अमेरिका के द्वारा ही दिया जाता है। अमेरिका की पसंद से ही देश में लाल बत्ती का निर्धारण होता है।

वहीं दूसरी ओर चीन द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के मानिंद देश की अर्थ व्यवस्था में सेंध लगाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। सस्ते और गैर टिकाऊ चीनी उत्पादों की धूम इस समय देश भर में है। चायनीज सामान का जादू लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है। चीन ने सबसे पहले अपनी सोची समझी रणनीति के तहत कुटीर उद्योग पर हलमा कर उसके हाथ काट दिए हैं। आज दिए, खिलोने, झालर, इलेक्ट्रानिक सामान यहां तक कि जूते चप्पल भी चायनीज आ गए हैं।

बहरहाल अमेरिका को दुनिया का चैधरी यूं ही नहीं कहा जाता है, अमेरिका का हर कदम और फैसला बहुत ही सोचा समझा और दूरंदेशी वाला होता है। कहते हैं अमरिका अपनी चालें इस कदर चलता है कि किसी को आने वाले कदमों की आहट तक नहीं मिल पाती है। कहा तो यह भी जाता है कि अमेरिका के महामहिम राष्ट्रपति जब भी विदेश दौरे पर होते हैं तो उनके साथ उनका लाव लश्कर पहले ही जाकर स्थिति को भांपकर उनके मुताबिक सुरक्षा तंत्र मजबूत करता है। इतना ही नहीं महामहिम की विष्ठा (मल मूत्र) तक सुखाकर उनके सुरक्षा कर्मी अपने साथ ले जाते हैं, ताकि महामहिम के स्वास्थ्य आदि के बारे मंे ज्यादा मालुमात न की जा सके।

लादेन को पकड़ने की योजना को गुप्त तौर पर अंजाम दिया गया। यहां तक कि पाकिस्तान की सरजमीं पर हुए इस आपरेशन की भनक पाकिस्तान को भी नहीं लग सकी। अमेरिका ने कहा कि ओसामा मारा गया, अमेरिका का एक हेलीकाप्टर इसमें खराब हो गया। अमरिका ने उस हेलीकाप्टर को नष्ट कर दिया। ओसामा के पास क्या क्या मिला इस बारे में भी कोई ठोस बयान अब तक नहीं आया है।

अमरिका का कहना है कि ओसामा को समुद्र में कहीं दफन कर दिया गया, क्योंकि आशंका थी कि अगर उसे दफनाया गया तो लोग उसकी मझार पर जाकर सजदा करना आरंभ कर देंगे। उधर ओसामा की कथित बेवा का कहना है कि ओसामा को जिंदा ही पकड़ा गया था। हो सकता है अमेरिका ने ओसामा को जिन्दा ही पकड़ लिया हो और फिर उसे पूछताछ के लिए अपने साथ ले जाया गया हो, बाद में अगर ओसामा को मार दिया जाता है या मर भी जाता है तो विश्व के सामने यही कहानी सामने आएगी कि ओसामा को तो एटमाबाद में ही मार गिराया गया था।

अमेरिका कुछ भी कर सकता है। एक किंवदंती के मुताबिक अमरिका में ‘‘एरिया 65‘‘ नामक एक स्थान है, जहां आम नागरिक नहीं पहुंच सकते हैं। वहां काम करने वालों को विशेष विमान हवाई पट्टी से उठाकर एरिया 65 तक ले जाते हैं और साल में एक बार मिलने वाली छुट्टी में वे घर उसी तरह गुमनाम जगह से वापस आते हैं। इस स्थान के बारे में अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों और हवाई जहाज के पायलट्स को ही पता होता है।

इस जगह काम करने वालों को साल भर न तो अपने परिवार से बात करने मिलती है और ना ही वे उस स्थान, वहां के क्रिया कलाप के बारे में ही किसी से कुछ कह सकते हैं। वहां केमरा ले जाना भी मना है। कहते हैं कि एक कर्मचारी ने सालों पहले वहां अपने साथ छुपाकर केमरा ले जाया गया था, अपनी सेवानिवृत्ति के उपरांत उसने वहां खीचीं फोटो को इंटरनेट पर डाल दिया। इसके बाद उसी अधार पर ‘‘इंडिपेंस डे‘‘ नामक चलचित बनाया था लीवुड ने। जिसमें एलियन्स पर अमरीकी शोध को दर्शाया गया था।

सी आधार पर यह आशंका उपजती है कि हो सकता है अमेरिका ने आतंक के पर्याय ओसामा बिन लादेन को जिंदा पकड़कर ले जाया गया हो, फिर उससे गहरी पूछताछ की जा रही हो। जो पटकथा इस पूरे नाटक के लेखक ने लिखी होगी वही पटकथा अमेरिका द्वारा दुनिया के सामने लाई जा रही है। हो सकता है ओसामा का समुद्र में अंतिम संस्कार इसी का एक हिस्सा हो। वास्तव में अमेरिका द्वारा ओसामा से गहन पूछताछ जारी हो।
अमेरिका ओसामा को इस कदर जल्दबाजी में मार दे यह बात गले नहीं उतरती। कभी कहा गया कि ओसामा निहत्था था, अगर यह सच है तो अमेरिका को उसे जिन्दा पकड़ लिए जाने की आशंकाएं और बलवती होती हैं। अगर यह बात उजागर कर दी जाती कि उसे जिन्दा पकड़ लिया गया है तो निश्चिित तौर पर जेहादी संगठनों की नालें अपने आका ओसामा को छुड़ाने अमेरिका की ओर मुड़ जाती। अगर वाकई ओसामा बिन लादेन को बराक ओबामा की टीम ने मार गिराया है तो फिर ओसामा के फोटो जारी करने उसे समुद्र में दफनाए जाने के चित्र आखिर सार्वजनिक क्यों नहीं किए जा रहे हैं?

हाल ही में खबर मिली है कि सीआईए की एक टीम ने एटमाबाद में अलकायदा क सरगना ओसामा बिन लादेन की हवेली की गहन तलाशी ली है। पाकिस्तान के अखबार डानके अनुसार सीआईए की टीम हेलीकाप्टर से वहां पहुंची और एटमाबाद में ओसामा की हवेली की छः घंटे से अधिक समय तक तलाशी ली। कहा जा रहा है कि इसमें एक तहखाना भी मिला है जिसमें भविष्य के हमले की योजनाओं के बारे में पता लगाया जा रहा है। ओसामा के कथित तौर पर मरने के लगभग एक माह बाद दुबारा अमेरिका की दिलचस्पी एटमाबाद की ओसामा की हवेली में होना आश्चर्यजनक है। हो सकता है ओसामा के साथ पूछताछ में सीआईए के हाथ कुछ एसे संकेत लगे हों जिससे उसे दुबारा ओसामा की हवेली खंगालना जरूरी लग रहा हो।

9/11 में वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ। इसमें कितनी जाने गईं, अमेरिका द्वारा इसकी सूची तक जारी नहीं की गई। यह है अमेरिका का अपना नेटवर्क और सिस्टम। घर के अंदर क्या हो रहा है यह बात अमेरिका द्वारा कतई सार्वजनिक नहीं की जाती है। यही हादसा अगर किसी और देश में हुआ होता तो मुआवजे के लोभ में मारे गए लोगों की तादाद से तीन चार गुना लोगों की फेहरिस्त जारी हो गई होती, इतना ही नहीं मीडिया भी चीख पुकार कर सूची जारी करने की बात पर आमदा हो जाता। पर अमेरिका का मीडिया देशभक्त है, उसे अपने देश से प्यार है, सो अमेरिकन मीडिया ने सरकार की नीति का ही अनुसरण किया। आखिर क्यों न करे, अमेरिकन सरकार में बैठे लोग भला भारत के जनसेवकों के मानिंद अपनी शाखाओं को थोडे़ ही कुतर कर खा रहे हैं।

ओसामा बिन लादेन ने भारत में भी दहशतगर्द चेहरों को तबाही मचाने पाबंद किया था, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए भारत सहित समूची दुनिया को चाहिए कि वह अमेरिका पर यह दबाव बनाए कि ओसामा के मारे जाने और उसे समुद्र में दफनाए जाने के चित्र और वीडियो जारी करे ताकि दुनिया भर में यह संदेश जा सके कि मानवता के खिलाफ दहशतगर्दी फैलाने के लिए जिम्मेवार लोगों का हश्र कितना भयानक होता है।

मंत्रीमण्डल फेरबदल पहले पखवाड़े में


मंत्रीमण्डल फेरबदल पहले पखवाड़े में

पीएम और सोनिया के बीच जारी है शीत युद्ध

एचआडी जाएगा सिब्बल के हाथ से

परफार्मेंस के आधार पर होगा नया बटवारा

भूरिया से ली जा सकती है लाल बत्ती

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में कैबनेट फेरबदल जून के पहले पखवाड़े में होने की संभावना है, जिसमें अनेक चेहरों को जून की बरसाती आंधी उड़ाकर ले जा सकती है। इस बार की जमावट उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों के चुनावों के मद्देनजर की जाएगी। कपिल सिब्बल, पवन बंसल, वीरप्पा मोईली, कांतिलाल भूरिया आदि इससे प्रभावित हो सकते हैं।

कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डाॅ.मनमोहन सिंह के बीच चल रही अघोषित रार का असर इस फेरबदल में साफ तौर पर दिखाई दे सकता है। घपलों और घोटालों से आहत मनमोहन सिंह अपने आप को मजबूर मानते हैं, उधर भ्रष्टाचार के खिलाफ जेहाद छेड़ने वाले अन्ना हजारे ने मनमोहन को साफ सुथरा तो सोनिया पर परोक्ष वार कर सारे फसाद की जड़ उन्हें ही बताकर मनमोहन के मुंह की बात छीन ली है।

सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी को बताया गया है कि ‘‘इज़ीली मैनेजेबल‘‘ अन्ना हजारे इन दिनांे मनमोहन की गोद में खेल रहे हैं, और सोनिया पर परोक्ष तौर पर वार भी मनमोहन के इशारे पर ही हुआ है। इस फेरबदल में मनमोहन सिंह अपनी पूरी ताकत झोंककर अपने मन माफिक प्यादे बिठाने का प्रयास करेंगे ताकि भ्रष्टाचार से दागदार हुई उनकी छवि को पुनः निखारा जा सके। उधर सोनिया के सलाहकार अपनी पसंद के लोगों को लाल बत्ती से नवाजने पर आतुर दिखाई पड़ रहे हैं।

सूत्रों ने संकेत दिए कि मध्य जून तक होने वाले इस फेरबदल में संचार और मानव संसाधन मंत्रालय का भार उठाने वाले कपिल सिब्बल से एचआरडी मिनिस्ट्री लेकर वीरप्पा मोईली को दी जा सकती है। उधर रेल मंत्री रहीं पश्चिम बंगाल की निजाम ममता बनर्जी चाहती हैं कि रेल मंत्रालय की कमान उन्हीं के पास रहे और मुकुल राय उनके स्थान पर रेल मंत्रालय संभालें, किन्तु कांगे्रस ने उन्हें रेल के बदले में दो कबीना मंत्री का आफर दे दिया है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया पर एक व्यक्ति एक पदकी तलवार गिर सकती है। उनके बदले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचैरी को वापस लाल बत्ती से नवाजा जा सकता है, किन्तु पचैरी की राह में कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरूण यादव शूल बनकर खड़े दिख रहे हैं। उधर विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा के पुअर परफार्मेंस के चलते उन्हें वापस कर्नाटक भेजा जा सकता है। एम.एस.गिल की बर्थ इस बार वेटिंग में ही रहने की उम्मीद है।

कानून मंत्री के पद हेतु तीन नाम पुरजोर तरीके से चल रहे हैं जो हंसराज भारद्वाज, पवन बंसल और सलमान खुर्शीद हैं। इसके अलावा पुअर परफार्मेंस के चलते अनेक मंत्रियों के पर काटे जा सकते हैं या उनका विभाग बदला जा सकता है। गौरतलब होगा कि जनवरी में हुए मंत्री मण्डल फेरबदल के दौरान वजीरे आजम डाॅक्टर मन मोहन सिंह ने कहा था कि अगला विस्तार जल्द ही किया जाएगा।

बीसीसीआई ने नहीं न्योता अजहर को


बीसीसीआई ने नहीं न्योता अजहर को

कपिल को आमंत्रण पर सांसद और पूर्व कप्तान अजहर से बनाई दूरी

मैच फिक्सिंग के दोषी हैं सांसद अजहर

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने विश्व कप 2011 जीतकर सरताज बनी टीम इंडिया के सम्मान समारोह मंे बागी इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) के पूर्व चेयरमैन कपिल देव को तो आमंत्रित कर दिया किन्तु भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और संसद सदस्य अजहरउद्दीन को बुलाने से गुरेज किया है।

31 मई को मुंबई में टीम इंडिया का सम्मान किया जाना है। इस समारोह में भारत के सफलतम कप्तानों में से एक अजहर उद्दीन को न्योता न मिलना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। उल्लेखनीय होगा कि भारत के पूर्व कप्तानों में से अधिकतर को इस समारोह में शिरकत करने का न्योता पूर्व में ही मिल चुका है।

मुरादाबाद से कांग्रेस सांसद अजहर को न्योता न मिलने को लोग शरद पवार और कांग्रेस के बीच चल रही रस्साकशी से जोड़कर भी देख रहे हैं। अजहर के दिल्ली, हैदराबाद और मुंबई स्थित आवास में न्योता अब तक नहीं पहुंचा है। उधर अजहर के करीबी सूत्रों का कहना है कि वैसे तो अहजर का 31 मई को लंदन जाने का कार्यक्रम निर्धारित है फिर भी अगर उन्हें आमंत्रण मिलता तो वे अपने कार्यक्रम में फेरबदल कर सकते थे।

होम एग्जाम का रिजल्ट जारी करेगा बोर्ड


होम एग्जाम का रिजल्ट जारी करेगा बोर्ड

सीबीएसई के स्कूल करेंगे ग्रेड का सत्यापन

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा नई प्रणाली के तहत सीसीई सिस्टम में होम एक्जाम (समेटिम मूल्यांकन) की पद्यति अवश्य लागू कर दी गई है किन्तु इन परीक्षाओं का परिणाम सीबीएसई बोर्ड द्वारा ही जारी किया जाएगा। होम एग्जाम का विकल्प चुनने वालांे के गे्रड का सत्यापन उसी शाला द्वारा किया जाएगा जिसके द्वारा यह परीक्षा ली गई है।
सीबीएसई सूत्रों ने बताया कि भले ही दसवीं के होम एग्जाम का रिजल्ट बोर्ड द्वारा जारी किया जाएगा किन्तु गे्रड के सत्यापन के लिए विद्यार्थियों को अपनी शाला से ही संपर्क करना होगा। किसी विद्यार्थी को लगता है कि उसका ग्रेड उसके परफार्मेंस के हिसाब से कम है तो उसे अपनी मातृ शाला से ही संपर्क कर सत्यापन का सहारा लेना होगा।
सूत्रों ने आगे बताया कि दसवीं का परीक्षा परिणाम शाला द्वारा तैयार किया जाकर बोर्ड को भेजा जाएगा, इसलिए यह आवश्यक होगा कि शाला में सत्यापन होने के बाद ग्रेड में अगर परिवर्तन होता है तब इसकी सूचना भी शाला को बोर्ड के पास भेजना होगा। इसके उपरांत ही बोर्ड द्वारा इंप्रूव्ड रिजल्ट जारी किया जाएगा। सत्यापन के उपरांत जब तक रिजल्द बोर्ड द्वारा जारी नहीं किया जाता है तब तक किसी भी कीमत पर शाला द्वारा उसके ग्रेड की जानकारी विद्यार्थी को नहंी दी जा सकेगी। बोर्ड द्वारा सत्यापन के लिए शाला को निर्धारित समय भी प्रदान किया जाएगा।

11 करोड़ी है कसाब!


ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)

11 करोड़ी है कसाब!
26/11 के हमले का इकलौता जीवित आतंकवादी अजमल कसाब की सुरक्षा पर कितना खर्च हुआ है एक साल में क्या आप इस बात से वाकिफ हैं? अगर नहीं तो हम बताते हैं आपको कि मुंबई की आर्थर रोड़ जेल में बंद देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले की सजा काट रहे कसाब की सुरक्षा में लगी इंडो तिब्बत बार्डर पुलिस (आईटीबीपी) ने दस करोड़ 87 लाख रूपए का बिल महाराष्ट्र सरकार को भेजकर उसकी नींद उड़ा दी है। राज्य के गृह मंत्री आर.आर.पाटिल के अनुसार सरकार ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को ताकीद किया है कि कसाब की सुरक्षा मंे लगी आईटीबीपी को हटाकर महाराष्ट्र की पुलिस को सुरक्षा की जवाबदेही सौंपी जाए। सूत्रों की मानें तो आईटीबीपी के महानिदेशक आर.के.भाटिया के हस्ते सरकार को 28 मार्च 2009 से 30 सितंबर 2010 तक की समयावधि के लिए यह देकय भेजा गया है, जिसमें आर्थर रोड़ जेल में चोबीसों घंटे 200 कमांडो की तैनाती दर्शाई गई है। एक सजा पा चुके और साबित हो चुके दुर्दांत आतंकवादी के लिए भारत सरकार द्वारा करोड़ों रूपए पानी मं बहाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश की टेक्स चुकाने वाली जनता मंहगाई के बोझ तले दबी मर रही है, लोग कहने पर मजबूर हैं कि यह तो नेहरू गांधी के सपनों का भारत कतई नहीं है।

कुटिल राजनैतिक परिपक्वता आ रही है युवराज में!
कल तक अपने रणनीतिकारों और सलाहकारों की बैसाखी पर चलने वाले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी में अब आधुनिक और कुटिल राजनैतिक परिपक्वता आती जा रही है। पिछले दिनों भट्टा परसौला गांव जाकर उन्होंने अन्य सियासी दलों को हलाकान कर दिया। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायधीश वी.आर.कृष्णा के पत्र के जवाब में उन्होंने वर्तमान में चल रही सियासी समझ बूझ का बेहतरीन नमूना पेश किया। राहुल लिखते हैं कि भ्रष्टाचार से वे भी आहत हैं और बिना किसी शोर शराबे के इससे निपटने का उपक्रम कर रहे हैं, क्योंकि हीरो बनने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। जस्टिस कृष्णा ने राहुल का साफ कहा था कि अगर वे वाकई संवेदनशील हैं तो सत्ता में बैठे भ्रष्ट लोगों के खिलाफ उन्हें हल्ला बोलना चाहिए। अब राहुल बाबा क्या जवाब देते! दरअसल आजादी के बाद छः दशकों से अधिक समय बीत चुका है और गैर कांग्रेसी सरकार एक दशक भी नहीं रही, इसका मतलब क्या यह निकाला जाए कि नेहरू गांधी परिवार की नाव के वर्तमान खिवैया ही भ्रष्टाचार के पोषक हैं?

ठाकरे बंधुओं की नजर कलमाड़ी पर!
सियासी करवटों को बेहतर आंकने वाले शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे की नजरें इन दिनों कामन वेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के पूर्व प्रमुख सुरेश कलमाड़ी की हरकतों पर टिकी हुई हैं। महाराष्ट्र की सियासत में सुरेश कलमाड़ी और शरद पवार के बीच की अनबन किसी से छिपी नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस आरंभ से ही पवार की काट के तौर पर कलमाड़ी का कार्ड खेलती आई है। अब कांग्रेस ने कलमाड़ी को निष्कासित कर दिया है, सो ठाकरे एण्ड संस उन पर डोरे डालना चाह रहे हैं। नजर तो राज ठाकरे की भी है इन पर किन्तु राज कलमाड़ी की मटमैली छवि से अपना दामन गंदा करने उतारू नहीं दिख रहे हैं। बाला साहेब चाहते हैं कि कलमाड़ी की पतवार के जरिए वे पुणे संसदीय सीट की वेतरणी पार कर लें, किन्तु कामन वेल्थ गेम्स में उनकी थू थू से अब कलमाड़ी की साख पुणे में भी धूल धुसारित हुई है। अगर ठाकरे एण्ड संस ने कदम आगे बढ़ाए तो हो सकता है कांग्रेस द्वारा कलमाड़ी के अन्य चिट्ठों को भी आम कर दिया जाए।

उमर दराज मांटेक की बढ़ी परेशानी
देश के योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया पिछले कुछ दिनों से मन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रबंध निदेशक बनने के ख्वाब मन में संजोए बैठे होंगे। अब मोंटेक की तंद्रा टूटने ही वाली समझिए। दरअसल विश्व की चुनिंदा प्रमुख संस्थाओं में उमर दराज लोगों को जिम्मेदारी से बचा जाता है, यह तो भारत गणराज्य के नीति निर्धारक हैं जो कब्र में पांव लटकने के बाद भी उनके उमर दराज कांधों पर देश का बोझ डाला करते हैं। आईएफएम में चल रही बयार के अनुसार आईएमएफ के नियमों के अनुसार 65 पार के शख्स को मुद्रा कोष का अध्यक्ष बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। मोंटेक का दुर्भाग्य है कि वे 67 साल के हैं, और आईएमएफ भारत गणराज्य की संस्था नहीं है जिसके नियम कायदे अपनी मन मर्जी के हिसाब से बनाया जा सके। नियम कहते हैं कि इसके मुखिया का कार्यकाल पांच सालों का होता है और कोई भी व्यक्ति सत्तर साल की आयु तक ही इस पद पर रह सकता है, इस लिहाज से मोंटेक दौड़ से आऊट हो गए हैं।

संवेदनहीन है केंद्र सरकार!
कांग्रेस नीत केंद्र सरकार पर देश के सवा करोड़ में से नब्बे फीसदी लोग तो संवेदनहीन होने का आरोप लगाते होंगे, पर पहली मर्तबा एक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार पर संवेदनहीन होने का तमगा जड़ा है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाईड के रसायनिक कचरे के विनिष्टीकरण के मामले में केंद्र के लटकाउ रवैए पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि लोगों की पीड़ा पर केंद्र सरकार संवेदनहीन है। 26 साल से केंद्र सरकार द्वारा इस मामले में बैठक और वैज्ञानिक प्रतिवेदन बुलाने के अलावा कुछ नहीं किया जाना निश्चित तौर पर निंदनीय कहा जाएगा। देश के हृदय प्रदेश की अदालत की फटकार के बाद भी मोटी चमड़ी वाले जनसेवक और प्रधानमंत्री कार्यालय सहित अन्य संबंधित मंत्रालयों की कान में जूं भी नहीं रंेगी है। अब देखना यह है कि मध्य प्रदेश से जनादेश प्राप्त लोक सभा सदस्य और एमपी कोटे वाले मंत्री कमल नाथ, कांति लाल भूरिया, अरूण यादव और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी रियाया के दुखदर्द को लोकसभा में किस संजीदगी से उठाते हैं?

करूणा के रिसते जख्मों पर कांग्रेस का मरहम बेअसर
तमिलनाडू की सियासत में आए भूचाल फिर सत्ता परिवर्तन के बाद एम.करूणानिधि की पुत्री कनिमोरी को जेल की हवा खानी पड़ रही है। करूणानिधि समझ गए हैं कि अब वे पावरलेस हैं अतः उनकी सुनवाई सोनिया दरबार में होने वाली नहीं। पिछले दिनों कांग्रेस के प्रबंधकों ने करूणानिधि के रिसते घावों पर यह कहकर मरहम लगाने का प्रयास किया कि आपकी बेटी कनीमोरी अंदर है तो हमारे सुकुमार सुरेश कलमाड़ी भी तो उसी का दंश झेल रहे हैं। लगता है करूणानिधि को कांग्रेस की इस सफाई से कोई सरोकार नहीं रहा। हाल ही में करूणा की दिल्ली यात्रा पर उन्होंने साफ कह दिया कि उनके पास समय भी था और मौका भी पर उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलना मुनासिब नहीं समझा। इसका कारण साफ है कि उनकी बेटी कनिमोरी जेल में बंद है तो वे सोनिया से कैसे मिलते? इसके दो अर्थ लगाए जा रहे हैं अव्वल तो यह कि यह सब कुछ जयललिता के इशारे पर हुआ, दूसरे सीबीआई स्वतंत्र जांच एजेंसी न होकर अब सोनिया गांधी के घर की लौंडी बन गई है।

करोड़पति मंत्री पर दो लाख का जुर्माना
एक समय था जब देश आजाद हुआ और सांसद विधायकों ने देश की हालत देखकर वेतन तक लेने से इंकार कर दिया था, आज जमाना बदल गया है, जनसेवक विधायक, मंत्री सांसद अपना वेतन बढ़वाने संसद और विधानसभा में असभ्यों के मानिंद चीखते चिल्लाते नजर आते हैं। आज जनसेवकों की संपत्ति दिन दूनी रात चैगनी बढ़ चुकी है। बेहिसाब विदेशी और भारतीय मुद्रा रखने के आरोप में गोवा के शिक्षा मंत्री अतानसियो मोनसेरेट पर सीमा शुल्क कानून और फेमा नियमों के उल्लंघन के आरोप में दो लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया है। गौरतलब है कि मंत्री महोदय दो अप्रेल को जब दुबई जा रहे थे, तब उनके पास से 25 हजार अमेरिकी डालर मूल्य के ट्रेवलर चेक, 70 हजार दिरहम और सवा लाख रूपए नकद मिले थे। मंत्री महोदय के पास यह रकम कहां से आई इस बात से भारत सरकार को लेना देना नहीं बस, मंत्री महोदय दो लाख रूपए का जुर्माना और सीमा शुल्क कानून की धारा 125 के तहत पांच लाख रूपए का जुर्माना अदा कर अपनी राशि वापस पा सकते हैं। होना यह चाहिए कि मंत्री से इस राशि के स्त्रोत पूछे जाने चाहिए।

देश काल परिस्थिति के अनुसार जीना सीखो
जनसेवक और लोकसेवकांे को देश काल और परिस्थििति के अनुसार जीना सीखना चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय मंे राज्य मंत्री रहे वर्तमान में महाराष्ट्र के निजाम पृथ्वीराज चव्हाण जब अपने सूबे महाराष्ट्र में होते हैं तो मराठी को पूरी तवज्जो देते हैं। इसका कारण शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा भाषा और क्षेत्रवाद का बीज बोना है। जब महाराष्ट्र मंे शिवसेना और मनसे द्वारा उत्तर भारतीयों की पिटाई की जा रही थी, तब ये कांग्रेस सरकार खामोशी अख्तियार किए हुए थी। जब महाराष्ट्र के नेता दिल्ली आते हैं तो मराठी को तजकर हिन्दी और अंग्रेजी को पूरी तवज्जो देने लगते हैं। हाल ही में पृथ्वीराज चव्हाण दिल्ली आए और पत्रकारों से मुखातिब हुए। एक पत्रकार मित्र ने जब मराठी में सवाल दागा तो पृथ्वीराज चव्हाण की भवें तन गईं, दो टूक शब्दों में तल्खी के साथ बोल पड़े -‘‘अभी मराठी नहीं, हिन्दी या अंगे्रजी में सवाल पूछा जाए।‘‘ समझ से परे है मराठी, हिन्दी और अंग्रेजी का क्षेत्र से नाता, वस्तुतः यह सब तो गोरे ब्रितानियों के राज में होता था।

खेलगांव के अतिरिक्त फ्लेट टूटेंगे!
कामन वेल्थ गेम्स हुए आठ माह से अधिक का समय बीत चुका है, पर उसके सर से विवादों की छाया हटने का नाम ही नहीं ले रही है। कामन वेल्थ गेम्स में हुए आकंठ भ्रष्टाचार के कारण आयोजन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी जेल की हवा खा रहे हैं। अब खिलाडि़यों के लिए बनाए गए मकानों में निर्धारित संख्या से कहीं अधिक संख्या मंे बनाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। खेलगांव में निर्धारित संख्या से ज्यादा बन गए 17 फ्लेट को तोड़ने का मन बना लिया है दिल्ली विकास प्राधिकरण ने। उस वक्त यह माना जा रहा था कि इन 17 में से 6 फ्लेट डीडीए को तो 11 निर्माण करने वाली एम्मार एमजीएफ को दिए जाएंगे। इन मकानांे को अगर बेचा जाता तो उससे 50 करोड़ रूपयों से अधिक की आमदनी होती। दरअसल ये फ्लेट भूतल में हैं और डीडीए इसे पुश्ता बांध की जमीन मानता है। डीडीए ने फैसला ले लिया है इन 17 फ्लेट को नेस्तनाबूत करने का।

परिचालक की बिटिया को सलाम
राजस्थान चमत्कारों की धरा है। छोटे से गांव सोडा की महिला सरपंच बनने वली छवि राजावत ने लोगों की जुबान पर अपनी चर्चा दर्ज करवाई तो जोधपुर के ही एक अन्य गांव की नीतू सिंह ने प्रतिकूल परिस्थियों को हराकर सिविल सेवा की परीक्षा पास कर राजस्थान राज्य सेवा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। राजस्थान के एक परिचालक की पुत्री नीतू सिंह ने सारी व्याधियों को पार कर राजस्थान में राजस्व सेवा में स्थान पाया है। नीतू देश भर के लिए आदर्श मानी जा सकती है, क्योंकि वैसे भी पुत्र और पुत्री में देश में भेद किया जाता है, इस वर्जना को तोड़कर नीतू ने एक नई इबारत लिखी हैै। नीतू का कहना है कि उसके पिता जब उसकी हर इच्छा को पूरा करने के लिए कंडक्टरी कर दिन रात एक कर रहे थे तो उसका भी फर्ज बनता था कि वह अपने पिता के सपनों को साकार करने के लिए हर चंद कोशिश करे। आखिर नीतू ने अपने पिता की आंखों में खुशी के आंसू लाकर उनका चेहरा गर्व से उंचा कर ही दिया।

गर्भवती महिलाओं की तीमारदारी में अभिनव पहल
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नवी आजाद द्वारा गर्भवती महिलाओं और शिश मृत्युदर रोकने की दिशा में ठोस पहल करने की तैयारी की जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को निशुल्क दवाएं और पोषक आहार मुहैया करवाने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि इस योजना को जून माह से ही अमली जामा पहनाया जा सके। केंद्र सरकार द्वारा सूबाई सरकरों से कहा गया है कि वे भी अपने अस्पतालों में प्रसव के लिए भर्ती होने वाली महिलाओं और बीमार नवजात के लिए निशुल्क और कैशलैस अर्थात नकद विहीन सेवाएं मुहैया कराना सुनिश्चित करे। कहा जा रहा है कि इसके तहत निशुल्क दवाएं, निशुल्क आहार और घर तक पहुंचाने की निशुल्क सुविधा शमिल होगी। केंद्र सरकार की योजना तो अभिनव कही जा सकती है, किन्तु इस तरह की योजना परवान चढ़ते चढ़ते गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की बल्ले बल्ले होने लगती है, और वास्तविक जरूतरमंद अंत में जरूरतमंद ही बनकर रह जाता है।

पुच्छल तारा
ओसामा बिन लादेन क्या मारा गया उस पर लतीफों की बारिश सी होने लगी है। पाकिस्तान में हाई सिक्यूरिटी जोन में रह रहे लादेन को दुनिया के चैधरी अमरीका की फौज ने मार गिराया। लादेन की मृत तस्वीरंे आदि अब तक जारी नहीं हुई हैं, इससे संशय ही है कि लादेन को अमरीका कहीं जिंदा तो पकड़कर नहीं ले गया! बहरहाल रूड़की से दिशा कुमारी ने एक ईमेल भेजा है। दिशा लिखती हैं कि पाकिस्तान में इन दिनों ओसामा और ओबामा दोनों ही बर्निंग टापिक हैं। पाकिस्तान के हाई सिक्यूरिटी जोन में एक बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था -‘‘कृपया हार्न न बजाएं, यहां पाकिस्तानी सेना आराम फरमा रही है।‘‘