मलेरिया रोधी अभियान की निकली हवा!
(पीयूष भार्गव)
सिवनी (साई)। जिले में मलेरिया धीरे धीरे अपने पैर पसार रहा है। शहर के
अलावा कुरई केवलारी एवं अन्य गामीण क्षेत्रों से भी इसके मामले सामने आ रहे हैं।
बारिश के पूर्व मलेरिया विभाग द्वारा मलेरिया या डेंगू जैसी बीमारियों से बचाव के
लिये अभियान जरूर चलाये जाते हैं, पर अन्ततः वे
नाकाफी ही साबित हो रहे हैं।
इस बार बारिश के मौसम में मलेरिया और डायरिया के साथ मिलकर आक्रमण करने के
मामलों को देखकर चिकित्सक हैरान हैं। कॉलरिक प्रकार का यह मलेरिया शुरूआत में
बिल्कुल आंत्रशोथ या डायरिया, गेस्ट्रोइन्ट्राइटिस
जैसा होता है। इसके बाद ही मलेरिया अपने असली रूप में सामने आता है। कालरिक
मलेरिया में प्लेटलेट्स काउंट भी कम हो जाते हैं।
इससे संक्रमित मरीज एकदम परेशान हो जाता है। खून की जांच के लिए बनने वाली
स्लाइड में हमलावर दिखाई नहीं देता है। इसमें मरीज को पेटदर्द, उल्टी दस्त और बुखार होता है। इस तरह वायवेक्स मलेरिया मरीज
को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। शहर के साथ जिले के कई गंदगी वाले क्षेत्रों में
शुरूआती बारिश से उपजे मच्छर अब जान के दुश्मन साबित हो रहे हैं।
चिकित्सक बताते हैं कि घरों के आसपास जगह-जगह इक्ट्ठा होने वाला पानी, मच्छरों के लार्वा को बढ़ावा देने में मददगार साबित होता है।
और यहीं से संक्रमण की शुरूआत होती है। मच्छरों के लार्वा के बढ़ने से, मलेरिया के कई रूप सामने आते हैं। चिकित्सक भी मलेरिया और
डायरिया के साथ आने को लेकर खासे हैरान हैं। इससे पीड़ित मरीज को आरंभ में एक-दो
दिन की दवा की सलाह दी जाती है। खून की जांच में संक्रमण का पता लगाकर फिर उसके
अनुरूप खुराक दी जाती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान मौसम, इस बीमारी को अनुकूलता प्रदान कर रहा है। जिस समय बारिश नहीं
होती है उस वक्त वातावरण में उमस बढ़ जाती है और तापमान में वृद्धि दर्ज की जाती
है। शाम के समय ही घरों में कुछ ठण्डक महसूस की जाती है। इससे मच्छरों को भू-मध्य
रेखा जैसा वातावरण मिलता है जो मच्छरों के हमले के लिए अनुकूलता प्रदान करता है।
इसी कारण डेंगू वायरल बुखार, डायरिया, मलेरिया या अन्य प्रकार के बुखार के मामले सामने आते हैं।
चिंतनीय पहलू तो यह है कि मलेरिया विभाग इस बीमारी से बचाव का जितना
प्रचार-प्रसार कर रहा है, यह बीमारी नित
नये-नये रूप में सामने आ रही है। मजे की बात तो यह है कि सिवनी का मलेरिया विभाग
भी आस-पास पानी इकट्ठा न होने की सलाह देता है लेकिन जिला अस्पताल परिसर में ही
जहां-तहां उभरे बड़े-बड़े गड््ढों में पानी भरा देखा जा सकता है।