बुधवार, 10 अक्टूबर 2012

सेनापति के खिलाफ सेना में विद्रोह


सेनापति के खिलाफ सेना में विद्रोह

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश कांग्रेस के सेनापति पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति लाल भूरिया का शनि भारी होने लगा है। एक तरफ उन पर कलेक्टर के साथ दबंगई करने का आरोप है तो दूसरी तरफ उनके ही कार्यकर्ता, विधायकों ने दिल्ली में उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैै। विधायकों की मांग है कि कांतिलाल भूरिया को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। कांग्रेस के नेशनल ऑफिस के सूत्रों का कहना है कि कांतिलाल भूरिया मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सेनापति हैं और सेना के लोगों ने ही उनके खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है।
2003 में दिसंबर में सत्ता से उतरने के उपरांत प्रदेश के कांग्रेस के अध्यक्षों पर यह आरोप लगता आया है कि वे भारतीय जनता पार्टी पे रोलपर काम कर रहे हैं। भाजपा सरकार के खिलाफ अच्छे अच्छे मौके कांग्रेस संगठन ने गंवा दिए या फिर हीला हवाला करके उनकी हवा ही निकाल दी। चर्चा तो यहां तक है कि शिवराज सरकार प्रतिमाह कांग्रेस के नेताओं को मोटी पगार भी दे रही है।
इन चर्चाओं में कितनी सच्चाई है यह बात तो शिवराज सिंह चौहान जाने और कांग्रेस के नेता किन्तु जिस तरह से कांग्रेस ने भाजपा की दमनकारी और जनविरोधी नीतियों के मामले में अपनी धार बोथरी कर रखी है उससे इन चर्चाओं को बल ही मिलता है, कि कांग्रेस दिल से भाजपा का विरोध नहीं करना चाहती है।
भारतीय वन सेवा के मध्य प्रदेश काडर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि पता नहीं कांग्रेस के नेता किस तरह की राजनीति करते हैं। उन्होंने कहा कि 2003 में महाकौशल के एक जिले में उनकी पदस्थापना के दौरान कांग्रेस के एक आला नेता ने उनसे कहा था कि उनकी विधानसभा को छोड़कर शेष विधानसभाओं में कांग्रेस के प्रत्याशियों को हरवाने में मदद करो।
बहरहाल, कांग्रेस आलाकमान के साथ ही साथ कांग्रेस के भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी की गुटबाजी से दूर रहने की नसीहत पर धूल डालते हुए लगभग डेढ़ दर्जन विधायकों ने दिल्ली में आमद दे दी है। इनका एजेंडा कांतिलाल भूरिया को पदच्युत कर उनके स्थान पर युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया को एमपी की कमान सौंपने का है।
कांग्रेस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अश्विन जोशी, सुरेश चौधरी, विक्रम सिंह नातीराजा, सत्यनारायण पटेल, प्रद्युमन सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, कल्पना परुलेकर, गोविंद सिंह राजपूत, ब्रजराज सिंह चौहान, निषित पटेल, लाखन सिंह यादव, विजेन्द्र सिंह मालाहेड़ा, तुलसी सिलावट, उमंग सिंगार, डॉ प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी इस वक्त दिल्ली में हैं और कांग्रेस के आला नेताओं को सिद्ध करने में लगे हैं। इसके अलावा जल्द ही प्रभुदयाल गहलोत, रामनिवास रावत, जेवियर मेंढ़ा और एनपी प्रजापति के भी दिल्ली पहुंचने की खबरें हैं। इतना ही नहीं भूरिया के खिलाफ लामबंद हो चुके डेढ़ दर्जन वरिष्ठ नेता भी महेश जोशी शुक्रवार को दिल्ली पहुंच सकते हैं।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इन विधायकों ने कांग्रेस के महासचिव जनार्दन द्विवेदी, एमपी कोटे से मंत्री कमल नाथ से भेंट की है। इसके अलावा इन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, महासचिव राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस के ताकतवर नेता अहमद पटेल, एमपी के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद आदि से भेंट का समय भी चाहा है। बताया जाता है कि इन विधायकों ने पूर्व में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव, सांसद सज्जन सिंह वर्मा एवं उदय प्रताप सिंह से इस संबंध में चर्चा की थी। इन तीनों सांसदों ने इस संबंध में अपनी सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी थी।
कहा जा रहा है कि कांति लाल भूरिया को पदच्युत करने के लिए अब ठाकुरों की लाबी भी सक्रिय हो गई है। मध्य प्रदेश के ठाकुर क्षत्रप भूरिया के खिलाफ मामले जुटाने में जुट गए हैं। एक समय में मध्य प्रदेश की राजनीति की धुरी बनने वाले ठाकुर क्षत्रप जो स्व.अर्जुन सिंह, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की आंखों के तारे रहे हैं अब मुख्य धारा में लौटने बेचेन बताए जा रहे हैं। भूरिया की जड़ों में उक्त ठाकुर नेता द्वारा मठ्ठा डालने की बातें भी सियासी फिजां में तैर रही हैं।
कांतिलाल भूरिया के कार्यकाल में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी बाहुल्य विधानसभा लखनादौन का तहसील मुख्यालय लखन कुंवर की नगरी लखनादौन जो सदा से ही कांग्रेस का गढ़ रही है, में नगर पंचायत के चुनावों में जिस नाटकीय तरीके से अध्यक्ष पद के कांग्रेस के प्रत्याशी ने नाम वापसी के अंतिम दिन अपना नामांकन वापस लिया और उसके बाद सिवनी विधानसभा में पिछली बार एक निर्दलीय प्रत्याशी जिसने कांग्रेस की जमानत जप्त करवा दी थी को लाभ पहुंचाने चुनाव तक कोई फैसला नहीं लिया गया का मामला जमकर उछल रहा है। भूरिया पर आरोप लग रहे हैैं कि उक्त शराब व्यवसाई रहे धनकुबेर से भूरिया पूरी तरह सैट हो गए और उन्होंने लखनादौन की ओर रूख भी नहीं किया। वैसे लखनादौन क्षेत्र केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के प्रभाव वाला क्षेत्र है।

मीनाक्षी की लाल बत्ती पर संकट के बादल


मीनाक्षी की लाल बत्ती पर संकट के बादल

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। केंद्रीय मंत्रीमण्डल विस्तार में सांसद मीनाक्षी नटराजन को टीम राहुल कोटे से लाल बत्ती मिलना तय माना जा रहा था, किन्तु अचानक ही रतलाम में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, सांसद प्रेम चंद गुड्डू और मीनाक्षी नटराजन की उपस्थिति में हुए कलेक्टर के साथ विवाद में मीनाक्षी नटराजन की भूमिका से अब उनकी लाल बत्ती पर प्रश्न चिन्ह लगने आरंभ हो गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया,  सांसद प्रेमचंद गुड्डू  और मीनाक्षी नटराजन सोमवार को एक बैठक के दौरान रतलाम कलेक्टर राजीव दुबे पर जमकर बरसे। पहले गुड्डू ने कहा- भाजपाई कलेक्टर मत बनो। भुला देंगे कलेक्टरी। फिर भूरिया ने भी कहा- पहले भी कई कलेक्टरों को देखा है। आपको प्रोटोकॉल तक की समझ नहीं है। भाजपा के एजेंट बनकर क्यों काम कर रहे हो?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और सांसद प्रेमचंद गुड्डू व मीनाक्षी नटराजन द्वारा रतलाम कलेक्टर राजीव दुबे को फटकार लगाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। नाराज आईएएस एसोसिएशन ने आपात बैठक बुलाकर सांसदों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया और घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उधर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों ने चेतावनी दी है कि दो दिन में यदि सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया तो 12 अक्टूबर को वे सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। उधर तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने मंगलवार से दो दिन की हड़ताल शुरू कर दी है।
श्यामला हिल्स स्थित मुख्यमंत्री निवास के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष उमर फारुख खट्टानी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मुलाकात की और कहा कि 10 और 11 अक्टूबर को वे काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई तो संघ के सभी सदस्य 12 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। आईपीएस-आईएफएस एसोसिएशन, मप्र राजपत्रित अधिकारी संघ, मप्र राज्य वन सेवा संघ और मप्र राजस्व अधिकारी संघ ने भी सांसदों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किए हैं।
उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि घटनाक्रम की उच्च-स्तरीय जांच होगी।  चौहान ने यह घोषणा मंगलवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वन सेवा एसोसिएशन, राज्य प्रशासनिक सेवा तथा तहसीलदार संघ के प्रतिनिधियों के ज्ञापन मिलने के बाद की। उन्होंने सभी को आश्वस्त किया कि सबकी गरिमा की रक्षा की जाएगी। किसी के साथ भी अशोभनीय व्यवहार अनुचित है।
बताया जाता है कि सांसद कांतिलाल भूरिया ने इस संबंध में अपनी सफाई दिल्ली आलाकमान और प्रधानमंत्री को देने का मन बना लिया है। वे 12 अक्टूबर को इस संबंध में दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं।
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है, जब भूरिया, गुड्डू और नटराजन कलेक्टर पर बरसे हों। भोपाल में 4 अक्टूबर की रैली के पहले देर रात एक बजे भूरिया ने भोपाल कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव को खरी-खरी सुनाई थी। अगस्त में एक बैठक में प्रोटोकॉल के मुद्दे पर नटराजन नीमच कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव को विशेषाधिकार हनन का नोटिस भिजवा चुकी हैं। गुड्डू उज्जैन की तत्कालीन कलेक्टर एम गीता के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। हालांकि गीता का उज्जैन से तबादला हो गया है, लेकिन गुड्डू की नाराजगी अब भी बरकरार है।
आला अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक सभी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और सांसद प्रेमचंद गुड्डू व मीनाक्षी नटराजन के व्यवहार की निंदा की है। संभवतः यह पहला मौका है जब किसी कलेक्टर के साथ हुए दुर्व्यवहार के मामले में पूरा कर्मचारी जगत लामबंद हो गया है। कुछ संगठनों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की, जबकि शेष संगठन उनसे एक-दो दिन में मिलने वाले हैं।
मप्र आईएएस एसोसिएशन ने अपनी बैठक में निंदा प्रस्ताव पारित किया। आईपीएस एसोसिएशन के सचिव आदर्श कटियार, आईएफएस एसोसिएशन के सचिव अरुण कुमार,  मप्र राजपत्रित अधिकारी संघ के महासचिव और मप्र राज्य वन सेवा संघ के प्रांताध्यक्ष डीके दुबे ने बताया कि उनकी एसोसिएशन ने भी घटना की निंदा की है। मप्र प्रशासनिक सेवा संघ ने घटना के विरोध में हड़ताल की चेतावनी दी है।

सांसदों के त्रिफला ने बनाया कांग्रेस के खिलाफ माहौल

कांतिलाल भूरिया, प्रेम चंद गुड्डू और मीनाक्षी नटराजन के कलेक्‍टर के खिलाफ किए सर्कस से प्रदेश भर में कर्मचारियों में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनना आरंभ हो गया है। इस समूचे प्रकरण से यह संदेश जा रहा है कि दस साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस के नेताओं को अब वापसी की उम्मीद ना के बराबर है इसीलिए हताशा में कांग्रेस के सांसद अब भाईगिरी पर उतर आए हैं। माना जा रहा है कि भाजपा की शिवराज सरकार इस मामले को जितना तूल देगी यह मामला उसके पक्ष में उतनी ही तेजी से माहौल बनवा देगा।

पीएम का लालीपाप: पांच साल बाद सस्ती बिजली


पीएम का लालीपाप: पांच साल बाद सस्ती बिजली

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। आठ साल तक लगातार केंद्र सरकार में घपले, घोटालों को प्रश्रय देने वाले अब तक के सबसे निरीह और कमजोर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने आम चुनावों की आहट के साथ ही अब आश्वासन और लाली पाप का पिटारा खोल दिया है। देश में विशेषकर ग्रामीण अंचलों में बिजली की मारामारी किसी से छिपी नहीं है। इस सबके बाद भी वजीरे आजम ने आठ साल इस ओर ध्यान नहीं दिया अब उन्हें बिजली की चिंता भी सताने लगी है।
सरकार ने कहा है कि किफायती दर पर बिजली उपलब्ध कराना विश्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती है और भारत, अगले पांच वर्ष में देश में सबके लिए बिना किसी रुकावट के सस्ती दर पर बिजली सुनिश्चित करेगा। कल नई दिल्ली में ऊर्जा के बारे में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सभी छह लाख गावों में बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार, गांवों में सभी घरों में रसोई गैस पहुंचाने के प्रयास कर रही है। सभी गांवों की १२ प्रतिशत आबादी इसका इस्तेमाल करती है। उन्होंने बताया कि रसोई गैस का इस्तेमाल करने वाले सभी चौबीस करोड़ घरों को एक वर्ष में सब्सिडी पर छह सिलेन्डर देने से लगभग ढाई करोड़ टन एल पी जी की आवश्यकता होगी और इसकी व्यवस्था की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि वितरण नेटवर्क के विस्तार में कुछ समय लग सकता है। हाल ही में एक लाख से अधिक गांवों में बिजली के कनेक्शन दिए गए हैं और अब केवल कुछ हजार घर ऐसे हैं जहां बिजली नहीं पहुंच पाई है। अक्षय ऊर्जा का जिक्र करते हुए डॉ० मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत ने २०१७ तक ५५ गीगा वॉट, अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि देश की कुल स्थापित बिजली क्षमता का बारह प्रतिशत बिजली सौर ऊर्जा से प्राप्त होती है।
प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि २०२२ तक  गांवों के लगभग दो करोड़ घर सौर ऊर्जा से रोशन हो सकेंगे। डॉ० सिंह ने स्वीकार किया कि गांवों में बिजली और एल पी जी पर सब्सिडी की जरूरत है।  उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार लक्षित लोगों को सब्सिडी देने की व्यवस्था के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सब्सिडी, सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में हस्तांतरित कर दी जाएगी।
सतत ऊर्जा के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान के लिए विश्व समुदाय के सहयोग के बारे में पूछे जाने पर डॉ० सिंह ने कहा कि ऊर्जा की कमी वाले क्षेत्रों में इसके लिए वित्त पोषण के वास्ते बड़े पैमाने पर अंतर्राष्ट्री सहयोग की आवश्यकता है। हमारे संवाददाता ने बताया है कि दो दिन के इस सम्मेलन में पचास से अधिक देशों के मंत्री और प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इसका आयोजन नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और भारतीय उद्योग परिसंघ कर रहा है।
उधर, सरकार ने राज्य सरकारों के स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियों के लिए वित्तीय पुनर्गठन योजना अधिसूचित कर दी है। इसमें उनके अल्पवधि कर्ज के ५० फीसदी हिस्से को बांड में बदलना शामिल है, जिन्हें सम्बद्ध राज्य सरकार का समर्थन होगा। नई दिल्ली में जारी सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि शुक्रवार को अधिसूचित इस योजना का लक्ष्य बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार लाना है।
इस योजना को केंद्र सरकार की अस्थाई वित्तीय व्यवस्था के जरिए सहायता प्रदान की जाएगी। यह योजना इस साल ३१ दिसंबर तक लागू है। योजना के तहत उन सभी सरकारी बिजली वितरण कंपनियों को सहायता मिलेगी, जिन्हें नुकसान उठाना पड़ा है और जो संचालन में वित्तीय घाटे के कारण कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।

चिदम्बरम पहुंचे जापान


चिदम्बरम पहुंचे जापान

(टी.विश्वनाथन)

टोकियो (साई)। वित्त मंत्री पी चिदम्बरम, विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठकों में शामिल होने के लिए जापान पहुंच गए हैं। तोक्यो में अपने प्रवास के दौरान वे ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों तथा जी-२४ देशों के मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा लेंगे। इस दौरान वे बंगलादेश, कनाडा, ईरान, आस्ट्रेलिया, भूटान, ब्रिटेन और मैक्सिको के वित्त मंत्रियों तथा श्रीलंका के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा सहयोग के वरिष्ठ मंत्री से भी मिलेंगे।
वे विश्व बैंक के अध्यक्ष और जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी के अध्यक्ष से मिलेंगे और पूर्वी एशिया के वित्त मंत्रियों की दूसरी अनौपचारिक बैठक में हिस्सा लेंगे। जापान रवाना होने से पहले श्री चिदंबरम ने कहा कि हम यूरो जोन की स्थिति के बारे में विचार-विमर्श करेंगे।
चिदम्बरम ने कहा कि टोकियो में होने वाली बैठक के दौरान हम ये जानना चाहेंगे कि यूरो जोन देश के मंत्री क्या कर रहे हैं और किस तरह से इस समस्या को सुलझाएंगे और जितनी जल्दी इस संकट का समाधान मिलेगा हमें यूरोप में विकास दिखेगा और इससे सभी उभरते हुए बाजारों को फायदा होगा।

सावधान मोबाईल लगाएगा करंट!

सावधान मोबाईल लगाएगा करंट!

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। सावधान, मोबाईल पर घंटों बतियाने की आदत में सुधार कर लें क्योंकि जल्द ही मोबाईल पर बतियाना बहुत मंहगा होने वाला है. जल्द ही मोबाइल काल दरों में इजाफा होने वाला है. केंद्र सरकार ने ईजीओएम की बैठक में एक सीमा से ज्यादा स्पेक्ट्रम रखने वाली मौजूदा दूरसंचार कंपनियों से एकमुश्त फीस वसूलने का फैसला लिया है.
इस फैसले के बाद संभावना जताई जा रही है कि एयरटेल और वोडाफोन अपनी काल दरों में इजाफा कर सकते हैं. हालांकि अभी इस फैसले पर कैबिनेट की मुहर लगनी बाकी है. ईजीओएम की बैठक में उन दूरसंचार कंपनियों के लाइसेंस शुल्क को लौटाने का फैसला किया है, जिनके लाइसेंस किसी तरह के आपराधिक मामले में नहीं होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से रद्द हो गए थे.
गौरतलब है कि इससे सिस्टेमा, टाटा टेलीसर्विसेज सहित कई कंपनियों को राहत मिलेगी. क्योंकि इन कंपनियों के खिलाफ कोई मामला अदालत में साबित नहीं हो पाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इनके सहित तमाम कंपनियों 122 लाइसेंस रद कर दिए थे. इस बात का जिक्र नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ था. बाद में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने भी अपनी एक रिपोर्ट में इस बात की सिफारिश की थी कि जिन कंपनियों के पास इस सीमा से ज्यादा स्पेक्ट्रम हैं, उनसे इसकी फीस ली जाए. बहरहाल, एकमुश्त फीस का निर्धारण आगामी नीलामी के आधार पर किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जिन कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए थे, उनके स्पेक्ट्रम की नीलामी शीघ्र की जानी है. नीलामी के लिए पूरे देश में दूरसंचार सेवा शुरू करने के लिए कम से कम 14,000 करोड़ रुपये देने होंगे. अंतिम कीमत इससे काफी ज्यादा भी हो सकती है. जबकि पहले इन कंपनियों ने सिर्फ 1,658 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. जाहिर है कि टेलीकॉम कंपनियों पर काफी बोझ पड़ेगा.
सरकार को उम्मीद है कि इससे कम से कम 27 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा. खबरों के मुताबिक अतिरिक्त शुल्क पिछली तारीख से नहीं देना पड़ेगा, बल्कि जिस दिन इसे लागू किया जाएगा, उस दिन से चुकाना पड़ेगा. इसके बावजूद सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन (सीओएआइ) ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है.

खुर्शीद ने छीना विकलांगों का निवाला


खुर्शीद ने छीना विकलांगों का निवाला

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)।  केंद्रीय कानून और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सलमान खुर्शीद अब फंसते नज़र आ रहे हैं. निजी टीवी चौनल आज तक के स्टिंग ऑपरेशन दुर्याेधनमें यह बात सामने आई है कि डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट, फर्रूखाबाद ने विकलांग कल्याण के नाम पर अफसरों के जाली दस्तखत और मोहर लगाकर करीब 71 लाख रुपयों का घोटाला किया है. यह फंड 2010 में दिया गया था. इस ट्रस्ट पर सरकार की मेहरबानी यहीं नहीं रुकी. सरकार ने अगले ही साल 2011 में उसे 68 लाख रुपए फिर दे दिए.
उल्लेखनीय है कि डॉ. जाकिर हुसैन सलमान खुर्शीद के नाना और देश के पूर्व राष्ट्रपति हैं. उनकी याद में इस ट्रस्ट की स्थापना 1986 में हुई थी. एनजीओ को फंड केंद्र सरकार की ओर से दिए गए थे. निजी न्यूज चौनल ने दावा किया है कि डॉ. जाकिर हुसैन ट्रस्ट फर्रूखाबाद, का कामकाज उत्तरप्रदेश के 17 जिलों में फैला हुआ है. इस एनजीओ का पता सलमान खुर्शीद के दिल्ली में मौजूद स्थायी घर 4, गुलमोहर एवेन्यू, जामिया नगर, नई दिल्ली है.
गौरतलब है कि सलमान खुर्शीद इस ट्रस्ट के अध्यक्ष और उनकी पत्नी लुइस खुर्शीद इसकी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. खबरों के मुताबिक 12 जनवरी 2012 को लिखी गई उत्तर प्रदेश सरकार की एक चिट्ठी से गड़बड़झाला सामने आया. इसके मुताबिक अफसरों के जाली दस्तखत किए गए. जाली सील-मोहरों का इस्तेमाल हुआ और डकार लिए गए लाखों रुपए. ये रुपए भारत सरकार ने विकलांगों की बेहतरी के लिए दिल्ली से भेजे थे.
सरकार द्वारा दिए गए इस रुपए से चलने-फिरने में बेबस महसूस करने वालों को तिपहिया वाहन देना था तो कम सुनाई देने वालों को हियरिंग एड दिए जाने थे. सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद के हस्ताक्षर से जारी हुई चिट्ठी के मुताबिक शिविर भी लगे, उपकरण भी बंटे और अफसरों को इसकी इत्तिला भी दी गई.

मरहम लगाने के बजाए रिसते घाव में नमक छिड़क गईं सोनिया


मरहम लगाने के बजाए रिसते घाव में नमक छिड़क गईं सोनिया

(अनेशा वर्मा)

चंडीगढ़ (साई)। हरियाणा के निजाम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बचाने के चक्कर में इस बार किसी और की नहीं वरन् देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली और सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष की। जींद में बलात्कार की शिकार अबला दलित के आंसू पोछंने आई सोनिया ने वहां कुछ और ही कह डाला।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रेप की घटनाओं की वजह से आलोचना झेल रहे हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बचाव किया है। सोनिया गांधी ने कहा है कि रेप के मामले पूरे देश में बढ़ रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मंगलवार सुबह हरियाणा के जींद में रेप की पीड़ित एक दलित लड़की के परिवार से मिलने पहुंचीं। सोनिया गांधी की यह यात्रा राज्य में बलात्कार की दो और घटनाओं की खबर आने के साथ खत्म हुई।
हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ सोनिया गांधी ठीक 10 बजे जींद के उस परिवार से मिलने पहुंचीं। इस परिवार की बेटी ने पिछले हफ्ते गैंग रेप के बाद आत्महत्या कर ली थी। पीडित परिवार के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मुख्यमंत्री हुड्डा अब तक किसी परिवार से नहीं मिले थे। परिवार से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी बलात्कार को घिनौना बताते हुए ऐसी घटनाओं की निंदा की। उन्होंने कहा, कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ हरियाणा में नहीं बल्कि पूरे देश में बढ़ रही हैं। इन्हें रोकने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे।
हरियाणा में पिछले 30 दिन में बलात्कार की 11 घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं से राज्य सरकार की खासी किरकिरी हो रही है। हालांकि राज्य कांग्रेस इसे सरकार की छवि खराब करने की कोशिश बता रही है। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष फूल चंद मुलाना ने कहा, ष्सरकार की छवि खराब करने के लिए बलात्कार की इन घटनाओं को जानबूझ कर सनसनीखेज बनाया जा रहा है। यह राजनीतिक साजिश के तहत हो रहा है।ष्
उधर, बलात्कार के बढ़ते मामलों में एक नया विवाद खाप पंचायतों के रूख ने जोड़ दिया है। मुख्यमंत्री हुड्डा के गृह जिले रोहतक की एक खाप पंचायत ने कहा है कि अगर लड़के-लड़कियों की शादियां जल्दी कर दी जाएं तो बलात्कार की घटनाओं को रोका जा सकता है। इस खाप पंचायत के अध्यक्ष ने कहा, जब लड़के-लड़कियां जवान हो रहे होते हैं तो उनके अंदर काम भावनाएं पैदा होने लगती हैं जो उन्हें गलत काम की ओर ले जाती हैं। ये इच्छाएं बलात्कार तक भी ले जा सकती हैं। इसलिए मुझे लगता है कि शादी की कोई उम्र नहीं होनी चाहिए और कम उम्र में ही लड़के-लड़कियों की शादी कर दी जानी चाहिए।
हरियाणा में बलात्कार की शिकार इन लड़कियों में से कई नाबालिग दलित हैं। कई घटनाओं में तो गैंग रेप का एमएमएस बनाया गया। पिछले महीने हिसार में एक दलित लड़की के साथ 12 लोगों ने बलात्कार किया और उसका एमएमएस बनाकर पूरे गांव में फैला दिया। इस घटना के बाद लड़की के पिता ने खुदकुशी कर ली। पुलिस के मामला न दर्ज करने पर परिवार ने स्थानीय अस्पताल से शव लेने से इनकार कर दिया। इस दबाव में ही पुलिस ने मामला दर्ज किया।
सोनिया के दौरे के वक्त गांव में मंत्रियों और सांसदों का तांता लगा रहा। पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। बलात्कार का शिकार लड़की की आत्महत्या को तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी यहां राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर कोई नहीं आया। जानकार मानते हैं कि राज्य में दलितों के खिलाफ ज्यादातर घटनाएं होने से समाज में एक डर का माहौल है। 35 फीसदी ज्यादा आपराधिक घटनाएं सिर्फ दलितों के खिलाफ हैं। सवाल है क्या सोनिया के दौरे से परेशानी दूर हो सकेगी?
उधर, हरियाणा में एक दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनके पास कांग्रेस शासित राज्यों को दलितों की सुरक्षा के लिए कहने तक का साहस नहीं है।
मोदी ने कहा, हरियाणा में हर दिन बलात्कार की एक घटना सामने आ रही है, एक दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसने आत्मदाह कर लिया। उन्होंने कहा, सोनियाजी आपके पास कांग्रेस की सरकारों को सलाह देने का भी साहस नहीं है जिसमें एक हरियाणा में है जहां दलितों का उत्पीड़न हो रहा है, दलित बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया जा रहा है।
मोदी ने कहा, और आप जब राजकोट आती हैं तो गुजरात राज्य को बदनाम करने का साहस दिखाती हैं। आप गुजरात को कैसे सलाह दे सकती हैं? सोनिया ने पिछले हफ्ते राजकोट में एक रैली में कहा था कि गुजरात में दलितों का उत्पीड़न हो रहा है और जब वे अपने अधिकार मांगते हैं तो गोलियों की बौछार की जाती है। सोनिया गांधी ने आज हरियाणा के जींद में उस दलित लड़की के परिवार से मुलाकात की जिसने कथित तौर पर गैंगरेप का शिकार होने के बाद खुद को आग के हवाले कर दिया था।

पंचतत्व में विलीन पं. नवलकिशोर शर्मा


पंचतत्व में विलीन पं. नवलकिशोर शर्मा

(शैलेन्द्र)

जयपुर (साई)। राजस्थान की राजनीति के पुरोधा रहे गुजरात के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता 87 वर्षीय पं. नवल किशोर शर्मा (बाउजी) मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. उनके बेटे और शिक्षा मंत्री बृजकिशोर शर्मा ने उन्हें मुखाग्नि दी. शर्मा की अंतिम यात्रा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक सहित बड़ी संख्या में पक्ष और विपक्ष के नेता और उनके समर्थक शामिल हुए. शर्मा को अंतिम विदाई देने के लिए उनके निवास स्थान से लेकर आदर्श नगर श्मशान घाट तक लोगों का तांता लगा रहा.
इससे पहले गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल, गुजरात के वित्त मंत्री, राजस्थान की नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे, कांग्रेसी नेता मोहन प्रकाश ने शर्मा को श्रद्धांजली दी. उल्लेखनीय है कि शर्मा का सोमवार रात फोर्टिस एस्कार्ट अस्पताल में निधन हो गया था. मंगलवार सुबह पार्थिव देह को उनके जनता कॉलोनी स्थित आवास पर ले जाया गया, जहां बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ पड़े.  पं शर्मा लंबे समय से फेफड़ों के संक्रमण से ग्रसित थे.
पं. शर्मा के निधन का समाचार सुन कर उनके आवास पर  सुबह से श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा. केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी, पूर्व विदेश मंत्री नटवरसिंह, नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल,चिकित्सा मंत्री एए खान उर्फ दुर्रू मियां, हज कमेटी चेयरमैन सलीम कागजी के अलावा अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर बीजू जार्ज जोसफ,ट्रैफिक पुलिस आयुक्त लता मनोज कुमार ने पं नवल किशोर शर्मा की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित किए.
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शर्मा के निधन को कांग्रेस के लिए ही नहीं पूरे प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति बताया है.  राजे ने कहा कि शर्मा ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम किया. फेफड़ों में संक्रमण से पीड़ित शर्मा करीब 25 दिन से अस्पताल में भर्ती थे. पिछले 15 दिनों से वे जीवन रक्षक उपकरणों पर थे. सोमवार को राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा भी उनका हाल-चाल जानने अस्पताल गई थीं.

रायपुर में चल सकती है मोनो रेल


रायपुर में चल सकती है मोनो रेल

(अभय नायक)

रायपुर (साई)। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मोनोरेल चलाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. फिलहाल सरकार मोनोरेल संचालन की संभावनाओं पर विचार कर रही है.
खबरों के मुताबिक पिछले दिनों मंत्रालय में केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्रालय की इकाई और ई.पी.आई. कम्पनी के अधिकारियों ने मोनोरेल के संचालन के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिया था.
उल्लेखनीय है कि मोनेरेल कम जगह लेती है, इसलिए यह भीड़ वाले स्थानों में कारगर साबित हुई है. सबसे महत्वपूर्ण है कि मोनोरेल की लागत मेट्रो की तुलना में कम है. अत्याधुनिक तकनीक से संचालित मोनोरेल विदेशों में सघन आबादी वाले क्षेत्रों में अत्यंत सफल है. जर्मनी, जापान, कोरिया, अमेरिका, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों में मोनोरेल घने शहरों में परिवहन का सस्ता माध्यम है.
गैरतलब है कि फिलहाल मुंबई में मोनोरेल संचालन का ट्रायल चल रहा है. राज्य सचिवालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कम्पनी के अधिकारियों को राजधानी रायपुर के सघन इलाकों का परीक्षण कर मोनोरेल संचालन की संभावनाओं के संबंध में व्यवहारिकता रिपोर्ट अगले 15 दिनों में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. यह कार्य नगरीय प्रशासन विभाग के समन्वय से किया जाएगा.

आय से अधिक संपत्ति मामले में मायावती को नोटिस


आय से अधिक संपत्ति मामले में मायावती को नोटिस

(प्रियंका)

नई दिल्ली (साई)। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि उसने बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष सुश्री मायावती के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को जांच करने से नहीं रोका है। न्यायालय ने इस मामले को खारिज करने के अपने आदेश के बारे में एक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कल केन्द्र सरकार, सीबीआई और सुश्री मायवती को नोटिस जारी किए।
न्यायालयों की पीठ ने कहा कि उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि सीबीआई को जांच का अधिकार नहीं है, लेकिन इसके लिए उसे राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। इस बीच बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती आज नई दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यूपीए सरकार को समर्थन के मुद्दे पर फैसला करेंगी। इस आशय की घोषणा उन्होंने कल एक रैली में की थीं।

शरद बोबडे मप्र हाई कोर्ट के नये मुख्य न्यायाधीश बने

शरद बोबडे मप्र हाई कोर्ट के नये मुख्य न्यायाधीश बने

(सुरेंद्र जायस्वाल)

नई दिल्ली (साई)। बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद बोबडे को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर पदोन्नति दी गई है. कहा जा रहा है कि न्यायमूर्ति बोबडे (56) भोपाल में 16 अक्टूबर को शपथ ग्रहण करेंगे. गौरतलब है कि बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति बोबडे ने कई महत्वपूर्ण जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. इनमें आदर्श हाउसिंग सोसाइटी, लवासा कॉरपोरेशन, मावल गोलीबारी जैसे मामले शामिल हैं. न्यायमूर्ति बोबडे ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ से वकालत शुरू की थी और उन्हें मार्च 2000 में बंबई उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.

टाईगर रिजर्व में पर्यटन पर 16 को हो सकता है विचार


टाईगर रिजर्व में पर्यटन पर 16 को हो सकता है विचार

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। सुप्रीम कोर्ट ने बाघों के संरक्षण के लिए नए दिशा-निर्देशों की अधिसूचना जारी करने के लिए केंद्र को एक हफ्ते की मोहलत दी है। शीर्ष अदालत ने 24 जुलाई के अपने आदेश में बदलाव कर टाइगर रिजर्व में सीमित पर्यटन गतिविधियों की इजाजत देने का संकेत भी दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह पर्यटन के खिलाफ नहीं है। पर्यटन गतिविधियों पर रोक का अंतरिम आदेश इसे नियंत्रित करने के लिए है।
न्यायमूर्ति एके पटनायक और स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा कि जिन राज्यों को नए दिशा-निर्देशों पर एतराज हो, वह उसे कोर्ट में चुनौती देने के लिए स्वतंत्र हैं। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी। पीठ ने यह भी कहा कि न तो हम किसी दिशा-निर्देश को वैध ठहरा सकते हैं और न ही संविधान विरुद्ध घोषित कर सकते हैं। केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने भरोसा दिलाया कि नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी द्वारा तैयार नए दिशा-निर्देश 24 घंटे में अधिसूचित होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने गत 24 जुलाई को टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में सभी तरह की पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। 29 अगस्त को यह रोक 27 सितंबर तक बढ़ा दी गई थी। अवधि बढ़ाते हुए कोर्ट ने यह संकेत भी दिया था कि वह नियंत्रित पर्यटन गतिविधियों के खिलाफ नहीं है, बशर्ते केंद्र सरकार विलुप्त हो रहे बाघों के संरक्षण के संबंध में समुचित उपायों वाले नए दिशा-निर्देश जारी करें।
इस पर केंद्र सरकार ने 26 सितंबर को बाघ संरक्षण के संबंध में राज्यों के लिए नए दिशा-निर्देश का मसौदा कोर्ट के समक्ष पेश किया था। इसमें केंद्र ने कहा था कि टाइगर रिजर्व में पर्यटन के लिए कोई नया बुनियादी ढांचा नहीं बनाया जाना चाहिए। बाघों के आवास के कोर एरिया के अधिकतम 20 फीसद क्षेत्र में नियंत्रित व सीमित पर्यटकों की आवाजाही हो सकती है। यह भी कहा गया कि बाघ ही नहीं, सभी प्रकार के वन्यजीवों से पर्यटकों की दूरी कम से कम 20 मीटर बनी रहे और जानवरों को ललचाने या कुछ खिलाने पर पूरी तरह पाबंदी रहे।

16 को चिकित्सक करेंगे हड़ताल


16 को चिकित्सक करेंगे हड़ताल

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश सरकारी चिकित्सक और मुख्य सचिव आर. परशुराम से हुई चर्चा विफल रही है। मुख्य सचिव के समझाने के बाद भी सरकारी चिकित्सक अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर 16 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश पर जाने के अपने फैसले पर कायम हैं।
राज्य के सरकार चिकित्सक पिछले काफी अरसे से चार सूत्री मांगों पूरी करने की मांग करते आ रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूर्व में उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उन्हें पूरा करने का भरोसा दिलाया था, उसके बाद भी उनकी मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं।
इसके लिए जलसंसाधन मंत्री जयंत मलैया की अध्यक्षता मे एक समिति भी बनाई गई है। ललित श्रीवास्तव के नेतृत्व में सोमवार को चिकित्सकों का एक दल मुख्य सचिव परशुराम से मिला, मगर बात नहीं बनी। मुख्य सचिव ने चिकित्सकों से अवकाश पर न जाने का आग्रह किया, मगर मांग पर कोई चर्चा नहीं की। इससे चिकित्सक नाराज हैं ओर उन्होंने अवकाश पर जाने के निर्णय पर कायम रहने का फैसला लिया है।

बाजार में जल्द आएगा 375 सीसी का पल्सर


बाजार में जल्द आएगा 375 सीसी का पल्सर

(विनोद मणि गौतम)

नई दिल्ली (साई)। दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी बजाज ऑटो युवाओं की पसंद को ध्यान में रखकर हैवी बाइक पेश करने जा रही है. कंपनी जल्द ही अपने पसंदीदा मॉडल पल्सरके नए मॉडल को पेश करने वाली है. पल्सर का यह नया मॉडल 375 सीसी का होगा. कंपनी ने पल्सर के नये मॉडल के प्रोजेक्घ्ट पर काम करना भी शुरू कर दिया है.
कुछ दिन पहले ही कंपनी ने पल्घ्सर को 200 सीसी की क्षमता के साथ बाजार में पेश किया है. इस बाइक में कंपनी ने अपने सहयोगी केटीएम की तकनीक का भी यूज किया है. बजाज पल्घ्सर 200 एनएस को भारतीय सड़कों पर अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. पल्सर के नए मॉडल के बारें में बात करते हुए कंपनी के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने बताया कि हमारी रिसर्च और डेवलपमेंट टीम ने इस समय पल्सर के नए मॉडल पर काम करना शुरू कर दिया है. हमें उम्घ्मीद है कि जल्घ्द ही यह प्रोजेक्घ्ट पूरा हो जाएगा और पल्घ्सर का यह नया मॉडल सड़कों पर होगा.

संभाग के लिये मीडिया को बनाना होगा दबाव


संभाग के लिये मीडिया को बनाना होगा दबाव

राजनेताओं को जागृत करने का सर्वोत्तम साधन हैं जनसंचार माध्यम

(आमिर खान)

सिवनी (साई)। एक ओर प्रदेश के मुखिया द्वारा जबलपुर संभाग के तीन जिलों को मिलाकर नये संभाग के गठन की घोषणा की जाती है और दूसरी ओर प्रस्तावित संभाग के नागरिकों के मतों के कर्जदार राजनेता अपने कानों में तेल डालकर सोये रहते हैं। एक विधानसभा चुनाव के पूर्व की गई घोषणा के बाद पूरे पांच साल बीत जाने के बाद दूसरे चुनाव सिर पर पंहुच गये किंतु धन्य हैं इस प्रस्तावित संभाग के राजनेता जिन्होंने धोखे से भी इन पाचं सालों में अपने नेताओं के सामने उस विषय में अपना मुंह तक नहीं खोला।
अब समूचा देश इस बात को स्वीकार करने लगा है कि देश की प्रशासनिक व्यवस्था को देश की अदालतें और जनसंचार माध्यम ही संचालित कर रहे हैं वरना राजनेताओं की फौज तो केवल संवैधानिक आवश्यकताओं की विवशता की प्रतीक मात्र बनकर रह गई हैं। आज एक बार फिर समय आ गया है कि नये संभाग के गठन के विषय को लेकर प्रस्तावित संभाग के जनसंचार माध्यम अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर राजनेताओं को जागृत कर उन्हें नये संभाग के गठन के सारे संभावित उपायों की जाकनारी दें ताकि उसको आधार बनाकर प्रस्तावित संभाग के राजनेता नये संभाग के गठन के लिये अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें।
इस बात को भलीभांति समझना होगा कि मुख्यालय की जिद ही नये संभाग के गठन में मुख्य रोड़ा बनी हुई है। उसके निदान के लिये प्रस्तावित संभाग विशेषकर सिवनी जिले के रिाजनेताओं को अपने जिलें के आम नागरिकों में सहमति बनाकर कोई कारगर कदम उठाना चाहिये। यदि इसमें विलंब किया गया तो उसे निश्चित रूप से इस पिछड़े क्षेत्र के साथ राजनेताओं का क्रूरतम व्यवहार ही माना जायेगा।
सिवनी जिले के राजनेताओं का यह दायित्व है कि वे अपने जिले के लोगों को इस बात के लिये तैयार करें कि वे इस सच्चाई को स्वीकार कर सकें कि प्रस्तावित संभाग के तीन जिलों में मध्य में स्थित सिवनी जिला सबसे छोटा जिला है जो किसी समय छिंदवाड़ा जिले की तहसील हुआ करती थी। वर्तमान में प्रस्तावित संभाग के तीन जिलों में स्थित 30 तहसीलों में से दो नवगठित तहसीलों को मिलाकर केवल 08 इस जिले में स्थित हैं सर्वाधिक 12 तहसीलें पड़ौसी छिंदवाड़ा जिले में स्थित हैं जिसकी जनसंख्या भ्ी इस जिले से लगभग दो गुनी है।
यह भी सर्वविदित तथ्य हैं कि सिवनी जिला मुख्यालय से छिंदवाड़ा की दूरी केवल 70 किलोमीटर है जबकि वर्तमान संभाग मुख्यालय जबलपुर की दूरी दोगुनी से भी अधिक हैं। सिवनी और छिंदवाड़ा का सड़क और रेल मार्ग से सीधा सम्पर्क हैं जिसके कारण आवागमन की कोई असुविधा नहीं है। निकटभविष्य में गेजपरिवर्तन के बाद यह सम्पर्क और भी अधिक सुगम हो जायेगा। जबलपुर के लिये जिले के कुछ भूभाग को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र केवल सड़क मार्ग पर निर्भर है यदि रेलमार्ग भविष्य में उपलब्ध भी हो सकता है तो छिंदवाड़ा की तुलना में दुष्कर ही होगा।
इस प्रकार इस सच्चाई को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं होना चाहिये कि मुख्यालय के विवाद को आधार बनाकर तीन जिलों के 56 लाख लोगों को सुगम प्रशासनिक व्यवस्था से वचित रखने के बजाय अपेक्षाकृत सहज मार्ग अपना कर प्रस्तावित संभाग में शामिल जिलों में मुख्यालय बनाने की वरीयता निर्धारित की जाये और शीघ्रातिशीघ्र नये संभाग के गठन का मार्ग प्रशस्त किया जाये। इस हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका जिले की मीडिया को निभाना पड़ेगा जिसने सदैव अपने दायित्वों का कुशल निर्वहन करते हुए राजनेताओं के कान खड़े कर उन्हें सही रास्ता दिखाने का काम किया है।