बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

पुत्र के श्राद्ध कर्म से नरक से मुक्ति पा जाता है जातक


पुत्र के श्राद्ध कर्म से नरक से मुक्ति पा जाता है जातक

(पंडित दयानन्द शास्त्री)

नई दिल्ली (साई)। पुत्र द्वारा किए जाने वाले श्राद्ध कर्म से जीवात्मा को पुत नामक नरक से मुक्ति मिलती है। किसी जातक को पितृदोष का प्रभाव है या नही। इसके बारे में ज्योतिष शास्त्र में प्रश्न कुंडली एवं जन्म कुंडली के आधार पर जाना जा सकता है। पाराशर के अनुसार-

कर्मलोपे पितृणां च प्रेतत्वं तस्य जायते।
तस्य प्रेतस्य शापाच्च पुत्राभारः प्रजायते।।

अर्थात कर्मलोप के कारण जो पुर्वज मृत्यु के प्श्चात प्रेत योनि में चले जाते है, उनके शाप के कारण पुत्र संतान नही होती। अर्थात प्रेत योनि में गए पितर को अनेकानेक कष्टो का सामना करनापडता है। इसलिये उनकी मुक्ति हेतु यदि श्राद्ध कर्म न किया जाए तो उसका वायवीय शरीर हमे नुकसान पहुंचाता रहता है। जब उसकी मुक्ति हेतु श्राद्ध कर्म किया जाता है, तब उसे मुक्ति प्राप्त होने से हमारी उनेक समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जाती है।
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री(मोब.-09024390067 ) के अनुसार   सूर्य को नवग्रहों में से राजा माना जाता है तथा सूर्य हमारी कुंडली में हमारी आत्मा, हमारे पिता, हमारे पूर्वजों, हमारी नर संतान पैदा करने की क्षमता आदि का प्रदर्शन करते हैं जिसके चलते प्रत्येक कुंडली में सूर्य बहुत महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है तथा इसी के कारण सूर्य पर कुंडली में किसी एक या एक से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ने पर जातक के लिए बहुत सीं समस्याएं पैदा हो सकती हैं। कुंडली का नौवां घर हमारे पिता, हमारे दादा, हमारे पूर्वजों आदि को दर्शाता है तथा साथ ही साथ कुंडली का नौवां घर हमारे उस भाग्य को भी दर्शाता है जिसका निर्माण हमारे पूर्व जन्म के अच्छे अथवे बुरे कर्मों के फलस्वरूप हुआ है। इसलिए कुंडली का नौवां घर भी कुंडली के बहुत महत्वपूर्ण घरों में से एक माना जाता है क्योंकि भाग्य के बिना तो कोई भी व्यक्ति कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए किसी कुंडली में सूर्य अथवा कुंडली के नौवें घर के एक अथवा एक से अधिक अशुभ ग्रहों के प्रभाव में आ जाने पर कुंडली में पित्र दोष बन जाता है जो जातक को उसके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के कष्टों से पीड़ित कर सकता है ।
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री(मोब.-09024390067 ) के अनुसार   राहु को बिना सोचे समझे मन में आ जाने वाले विचार, बिना सोचे समझे अचानक मुंह से निकल जाने वाली बात, क्षणों में ही भारी लाभ अथवा हानि देने वाले क्षेत्रों जैसे जुआ, लाटरी, घुड़दौड़ पर पैसा लगाना, इंटरनैट तथा इसके माध्यम से होने वाले व्यवसायों तथा ऐसे ही कई अन्य व्यवसायों तथा क्षेत्रों का कारक माना जाता है। राहु की अन्य कारक वस्तुओं में लाटरी तथा शेयर बाजार जैसे क्षेत्र, वैज्ञानिक तथा विशेष रूप से वे वैज्ञानिक जो अचानक ही अपने किसी नए अविष्कार के माध्यम से दुनिया भर में प्रसिद्ध हो जाते हैं, इंटरनैट से जुड़े हुए व्यवसाय तथा इन्हें करने वाले लोग, साफ्टवेयर क्षेत्र तथा इससे जुड़े लोग, तम्बाकू का व्यापार तथा सेवन, राजनयिक, राजनेता, राजदूत, विमान चालक, विदेशों में जाकर बसने वाले लोग, अजनबी, चोर, कैदी, नशे का व्यापार करने वाले लोग, सफाई कर्मचारी, कंप्यूटर प्रोग्रामर, ठग, धोखेबाज व्यक्ति, पंछी तथा विशेष रूप से कौवा, ससुराल पक्ष के लोग तथा विशेष रूप से ससुर तथा साला, बिजली का काम करने वाले लोग, कूड़ा-कचरा उठाने वाले लोग, एक आंख से ही देख पाने वाले लोग तथा ऐसे ही अन्य कई प्रकार के क्षेत्र तथा लोग आते हैं। किसी कुंडली में अशुभ राहु द्वारा पित्र दोष बनाये जाने का अर्थ यह होता है कि ऐसे जातक तथा उसके पूर्वजों ने पिछ्ले जन्मों में राहु की विशेषताओं से संबंधित अपराध किये होते हैं अथवा इन विशेषताओं का दुरुपयोग किया होता है जिसके चलते राहु अशुभ होकर ऐसे जातक की जन्म कुंडली में पित्र दोष बनाते हैं।
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री(मोब.-09024390067 ) के अनुसार  जिन जातकों के पूर्वजों ने राहु महाराज द्वारा प्रदान की गईं विशेषताओं का दुरुपयोग करके अवैध तथा अनैतिक कार्यों से धन कमाया होता है उन जातकों की कुंडली में इस प्रकार का पित्र दोष बन सकता है। उदाहरण के लिए किसी कुंडली के छठे घर में अशुभ राहु से बनने वाले पित्र दोष का अर्थ यह हो सकता है कि जातक के पूर्वजों ने अनेक प्रकार के अनैतिक तथा अवैध कार्यों के माध्यम से धन अर्जित किया था जिसके चलते जातक की कुंडली में इस प्रकार का पित्र दोष बनता है जिसके अशुभ प्रभाव में आने के कारण जातक को एक अथवा एक से अधिक गंभीर रोग हो सकते हैं जो जातक को बहुत कष्ट पहुंचाते हैं तथा जो जातक की मृत्यु का कारण भी बनते हैं। इस प्रकार के पित्र दोष से पीड़ित कुछ जातक अपराधी भी बन सकते हैं तथा ऐसे जातक सामान्यतया अपराध का जीवन आरंभ करने के बाद शीघ्र ही पकड़े जाते हैं तथा इन जातकों को अपने अपराध की तुलना में कहीं अधिक लंबा समय कारावास में व्यतीत करना पड़ सकता है। इस प्रकार के कुछ अन्य जातकों को किसी प्रकार के न्यायालय के निर्णय के चलते धन अथवा संपत्ति की हानि भी उठानी पड़ सकती है।
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री(मोब.-09024390067 ) के अनुसार  जिन जातकों के पूर्वजों ने नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार के माध्यम धन कमाया होता है उनकी कुंडली में भी इस प्रकार का पित्र दोष बन सकता है। उदाहरण के लिए किसी कुंडली के दूसरे घर में बनने वाला इस प्रकार के पित्र दोष का यह अर्थ हो सकता है कि जातक के पूर्वज मादक पदार्थों की अवैध बिक्री करते थे तथा उनका द्वारा बेचे जाने वाले मादक पदार्थों के सेवन से बहुत लोगों को अनेक प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ा था जिसके चलते इस प्रकार का पित्र दोष जातक की कुंडली में बन जाता है जिसके अशुभ प्रभाव के कारण जातक को मादक पदार्थों के सेवन की लत लग सकती है जिसके कारण ऐसे जातक को धन, सम्मान तथा स्वास्थ्य सभी की हानि होती है। इस प्रकार के पित्र दोष से पीड़ित कुछ जातकों को मादक पदार्थों के निरंतर सेवन के कारण गंभीर रोग लग सकते हैं, इनके शरीर के कुछ अंग इन मादक पदार्थों के सेवन के कारण निष्क्रिय हो सकते हैं तथा इस दोष के कुंडली में बहुत प्रबल होने पर जातक की मादक पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करने के कारण मृत्यु भी हो सकती है। जातक को मिलने वाले इस प्रकार के सभी कष्ट वास्तव में जातक अथवा उसके पूर्वजों के पिछ्ले जन्मों के बुरे कर्मों का फल ही होते हैं। (साई फीचर्स)

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