शुक्रवार, 10 मई 2013

इसलिए अभिनंदन विलंब से करवाया हुकुम ने!


अपराधियों को प्रश्रय - - -3

इसलिए अभिनंदन विलंब से करवाया हुकुम ने!

(शरद खरे)

सिवनी (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के एक वेल्डर फिरोज द्वारा गत दिवस चार साल की दुधमुंही बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसके निधन का असर भी हुकुम के मौन वृत पर पड़ता दिख रहा है।
बताया जाता है कि कुंवर शक्ति सिंह जिन्हें लोग हुकुम के नाम से भी जानते हैं का घंसौर विशेषकर मेसर्स झाबुआ पावर प्लांट में इकबाल जमकर बुलंद है। हुकुम अपना मौन वृत समाप्त कर 19 अप्रेल को रामनवमी के दिन सिवनी वापस आ गए थे। उस वक्त घंसौर की गुड़िया का मामला मीडिया की सुर्खियां बन चुका था।
हुकुम के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि छपास का खासा प्रभाव है हुकुम पर। उस समय संभवतः हुकुम ने मीडिया में अपने मौन वृत को जमकर प्रचारित करवाने का मन बनाया था। बताया जाता है कि हुकुम के सलाहकारों ने उन्हें मशविरा दिया कि वह माकूल वक्त नहीं था जबकि वे अपने आप को महिमा मण्डित करते।
संभवतः यही कारण है कि 19 अप्रेल को अपना मौन वृत समाप्त कर सिवनी वापस लौटे हुकुम ने गुड़िया के अंतिम संस्कार के उपरांत मई के पहले सप्ताह में अपना कथित तौर पर अभिनंदन मीडिया के माध्यम से करवाया। इसमें धारा 324 के एक आरोपी जो कि फरारी काट रहा है का नाम उसमें आने से हुकुम की किरकरी हो गई।
कहा जा रहा है कि अगर 19 अप्रेल को मौन वृत समाप्त कर वापस लौटे शक्ति सिंह अगर उसी समय इसे प्रचारित करवाते तो मीडिया उनसे यह अवश्य पूछती कि गुड़िया के लिए वे क्या कर रहे हैं? उनके करीबी सूत्रों का दावा है कि उन परिस्थितियों में शक्ति सिंह के पास कोई जवाब नहीं होता क्योंकि वे सदा से ही मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के बरेला प्लांट के बारे में अपना मुंह खोलने से बचते आए हैं।
चर्चा है कि बरेला प्लांट प्रबंधन द्वारा बार बार आदिवासियों को छला है, ना तो क्षेत्र के लोगों को पर्याप्त मात्रा में रोजगार मिला है, ना ही आदिवासियों और स्थानीय किसानों को उनकी जमीन की वाजिब कीमत मिली है, ना ही क्षेत्र में झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा शिक्षा और स्वास्थ्य की दिशा में कोई ठोस पहल की है। इतना सब होते हुए भी कुंवर शक्ति सिंह का झाबुआ पावर लिमिटेड के खिलाफ मुंह ना खोलना अनेक मिली भगत की ओर इशारा कर रहा है।

स्टार कापीराईट की धमक से बाजार में सन्नाटा


स्टार कापीराईट की धमक से बाजार में सन्नाटा

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। स्टार कापीराईट प्रोटेक्शन नामक संस्था के द्वारा गत दिवस सिवनी में की गई छापेमारी से बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है। शहर के मोबाईल से संबंधित कारोबारियों में स्टार कापीराईट की दहशत मची हुई है। स्टार कापी राईट की ओर से शहर के व्यापारियों को एक पर्चा भी थमाया गया है जिसमें कुछ मोबाईल नंबर्स के साथ समझाईश भी दी गई है।
बताया जाता है कि इस पर्चे में स्टार कापीराईट का मुख्यालय भोपाल के बैरसिया रोड़ पर नारियल खेड़ा स्थित तक्षशिला कालेज के पास की दो नंबर दुकान को दर्शाया गया है। इसका ब्रांच आफिस जबलपुर में होना दर्शाया गया है। इस पर्चे में एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर व्यापार करने का मशविरा दिया गया हैं
इसमें उल्लेख किया गया है कि बिना एनओसी के डाउनलोड़िंग या डाउन लोडेड कार्ड बेचना अपराध है जिसमें संविधान 1957 की कापीराईट एक्ट की धारा 51, 52, 63, 68ए का उल्लंघन होना बताया गया है। इसके लिए छः माह से तीन साल तक की सजा या फिर पचास हजार से तीन लाख रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को जब यह पर्चा मिला तो उस पर उल्लेखित मोबाईल नंबर 9425466972 पर संपर्क किया गया तो वहां स्टार कापीराईट प्रोटेक्शन के कथित कर्मचारी ने बताया कि मुंबई के संगीत समूह द्वारा उन्हें यह अधिकार दिया गया है कि वे कापीराईट एक्ट के तहत उनके उत्पादों की रक्षा सुनिश्चित करें।
जब उनसे यह पूछा गया कि वह कौन सा समूह है और उस समूह में कौन कौन से संगीतकार, म्यूजिक स्टूडियो, फिल्म स्टूडियो आदि शामिल हैं जिन्होंने यह जवाबदारी इस प्रोटक्शन कंपनी को सौंपी है, इस पर उक्त बंदा खामोश ही रहा। जब उनसे यह पूछा गया कि आपसे अगर एनओसी ले ली जाए तो आप एनओसी की राशि का क्या करते हैं? के जवाब में भी उन्होंने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया।
जब उनसे यह पूछा गया कि आपसे एनओसी कितने लोगों ने ली है और आप कितने लोगों की सूची अगर भेजते हैं तो उपर भेजेंगे? इस प्रश्न पर भी स्टार कापीराईट प्रोटेक्शन का कारिंदा ना केवल मौन साधे रहा वरन उसने एक अन्य नंबर 9200007545 पर बात करके सारी जानकारी लेने की बात कह दी।
ज्ञातव्य है कि मुंबई में संगीत कंपनियों द्वारा मोबाईल पर गाने, वाल पेपर आदि डाउनलोड करने के लिए कापी राईट एक्ट को अवश्य ही प्रभावी बनाने की पहल की होगी, किन्तु प्रश्न यह उठता है कि आखिर एक जिले में कितने छोटे बड़े दुकानदार इस काम को अंजाम दे रहे हैं और कितने एनओसी लेकर काम कर रहे हैं इसकी कोई सूची ना तो इंटरनेट पर ही उपलब्ध है और ना ही किसी के पास।
इन परिस्थितियों में यह भी संभव है कि इस तरह की संस्थाएं जिलों में जाकर दुकानदारों को धमकाकर उनसे अवैध वसूली भी करना चालू कर दें। दुकानदारों के अनुसार इस कंपनी के कारिंदों ने यह चेतावनी भी दी है कि मोबाईल या अन्य काम करने वाले व्यवसाई अपने कंप्यूटर में गाने बिना एनओसी के ना रखें वरना उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
सवाल यह उठता है जब इंटरनेट पर निशुल्क गाने या वाल पेपर्स डाउनलोड की सुविधा उलब्ध है तब भला कोई कैसे अपने आपको रोक सकता है। बेहतर होगा कि इस तरह की संस्थाएं पहले इंटरनेट पर मुफ्त डाउनलोडिंग वाली वेब साईट्स को या तो सशुल्क बनाए या बंद करवाए।

अबोध लाड़ो के साथ नाबालिग द्वारा दुष्कर्म का प्रयास


अबोध लाड़ो के साथ नाबालिग द्वारा दुष्कर्म का प्रयास

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। बरघाट नाका क्षेत्र में आज दोपहर घटी एक घटना ने शहर में दिन भर रोष और असंतोष का वातावरण बनाकर रखा। दिन भर अफवाहों के दौर चलते रहे, पुलिस की ओर से भी इस संबंध में किसी तरह की आधिकारिक जानकारी नहीं प्रदाय की गई।
रात लगभग साढ़े नौ बजे जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला ने दूरभाष पर बताया कि एक पांच वर्षीय बालिका एवं उसकी माता की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने धारा 375, 376 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना आरंभ कर दी है। उन्होंने बताया कि उक्त बालिका एवं माता ने बताया कि किसी 9 वर्ष के राज नामक बच्चे ने उस बच्ची की गुदा में एक लकड़ी घुसेड़ दी थी।
श्री शुक्ला ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि बच्ची का मुलाहजा जिला चिकित्सालय में करा दिया गया है। उसकी आवश्यक जांच भी लगभग पूरी हो गई हैं। पीड़ित बच्ची के बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष करवा लिए गए हैं, तथा आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
आज अपरान्ह ही जब उक्त बच्ची के मुलाहजा के लिए कोतवाली पुलिस जिला चिकित्साल पहुंची तब वहां देखते ही देखते नागरिकों और मीडिया से जुड़े लोगों की भीड़ जुड़ती चली गई। इसी बीच कुछ लोग कोतवाली और जिला कलेक्टर के कार्यालय पहुंच गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जब मोहल्ले की आक्रोषित महिलाएं जिला कलेक्टर भरत यादव के पास पहुंची तो जिला कलेक्टर ने बच्ची के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए इस मामले की जांच गंभीरता से करवाने की बात महिलाओं से कही। जिला कलेक्टर ने यह भी कहा कि जिस तरह घंसौर की गुड़िया के आरोपी को पकड़ा गया है इसी तरह इस मामले में भी कार्यवाही की जाएगी।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने जब इस संबंध में कोतवाली दूरभाष पर संपर्क किया गया तो वहां उपस्थित सहायक उपनिरीक्षक श्री त्रिपाठी ने बताया कि इस मामले में राज नामक युवक के खिलाफ धारा 375 एवं 376 के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को उप निरीक्षक सुश्री चौहान देख रही हैं अतः विस्तार से जानकारी वे ही दे पाएंगी। सुश्री चौहान का मोबाईल नंबर भी उनके पास नहीं था।
सुश्री चौहान के मोबाईल नंबर के लिए जब पुलिस कंट्रोल रूम फोन लगाया गया तो कंट्रोल रूम से जवाब मिला कि उनकी जानकारी में नहीं है कि कोई चौहान मेडम कोतवाली में पदस्थ हुईं हैं। आज शाम आक्रोशित महिलाओं ने केवटी वार्ड, बारापत्थर क्षेत्र, जिला अस्पताल और कलेक्ट्रेट तक रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज किया।

भूमिहीनों के लिए जमीन का पट्टा


भूमिहीनों के लिए जमीन का पट्टा

(लिमटी खरे)

मध्य प्रदेश सरकार की योजना के तहत प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में भूमिहीन व्यक्तियों का जमीन का पट्टा देने की योजना है। इसके तहत जिनके पास सर छिपाने की जगह नहीं है उन्हें जमीन का टुकड़ा दिया जाता है। 1984 में बने इस कानून के तहत हर जगह जरूरतमंद लोगों को चिन्हित कर उन्हें जमीन का पट्टा दिया जाता है। शहर के अंदर या उपनगरीय क्षेत्रों में नजूल की भूमि को अमूमन इस काम के लिए उपयोग में लाया जाता है।
भूमिहीन चिन्हित करने के काम में सरकारी सेवकों की मदद में जनसेवा करने वाले सदा से ही आगे आते रहे हैं। नेताओं की इस मामले में विशेष दिलचस्पी इसलिए होती है कि सरकार की योजना को अपने प्रयास से किया जाना बताकर वे इन भूमिहीनों की हमदर्दी जीत लेते हैं। यही लोग बाद में पार्टी विशेष के वोट बैंक बनकर सामने आते हैं। इसमें अंधा बांटे रेवड़ी चीन्ह चीन्ह कर देय की कहावत भी चरितार्थ होती आई है।
प्रदेश में अनेक उदहारण ऐसे भी हैं जिनमें भूमिहीनों ने सरकार से पट्टा लेकर उसे बेच दिया और फिर दुबारा भूमिहीन बनकर पात्रों की फेहरिस्त में अपना नाम जुड़वा लिया। कहते हैं शातिर लोगों के लिए तो यह व्यवसाय और आजीवीकोपार्जन का अच्छा साधन बनकर उभरा है। नेताओं की चरण वंदना कर अनेक लोगों यहां तक कि छुटभैया नेताओं ने भी बिना लागत के इस धंधे को अपना लिया है। अपने, अपने मित्रों परिचितों आदि को भी भूमिहीन बताकर पट्टे ले लिए गए हैं और फिर उन्हें बेच दिया गया है।
चूंकि यह मामला शहरी सीमा के अंदर का होता है अतः भूमाफिया भी इस मामले में पूरी तरह सक्रिय रहता है। भूमाफिया अपने गुर्गों के माध्यम से जमीन पर कब्जा करवाकर उसे बेच देता है। इस काम में स्थानीय जनप्रतिनिधि भी जाने अनजाने उनका साथ देते ही नजर आते हैं। नेताओं की करीबी का एहसास कराकर इस तरह के छुटभैया नेता अफसरों पर दबाव बना लेते हैं और अपना उल्लू सीधा करने से नहीं चूकते हैं।
सिवनी के वर्तमान जिलाधिकारी भरत यादव की पहल स्वागतयोग्य है कि उन्होंने भूमि के पट्टों के वितरण के पहले ना केवल बैठक बुलवाई वरन उसमें विधायकों से रायशुमारी भी की। इस बैठक में विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ.ढाल सिंह बिसेन, जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह चंदेल, नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी, उपाध्यक्ष राजिक अकील सहित वार्ड के पार्षद उपस्थित थे।
जहां तक सिवनी शहर की बात है तो इस बैठक में उपस्थित प्रतिनिधि अपने अपने क्षेत्र के पात्र लोगों से भली भांति परिचित होंगे। अब यह उनके उपर ही निर्भर करता है कि वे पात्रों के चयन में दिलचस्पी दिखाएंगे या अपात्रों को इस योजना का लाभ दिलवाएंगे। जिला कलेक्टर ने इनसे अपील की है कि पात्र लोगों को पट्टे मिलें, पिछली बार जिन्हें मिल चुके हैं, उन्हें दुबारा ना मिल पाएं यह अवश्य सुनिश्चित किया जाए।
देखा जाए तो एक विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र, पार्षद अपने निर्वाचन क्षेत्र के एक एक व्यक्ति को भली भांति जानता है। जब कोई जानकारी देता है तो वह जानकारी सत्य है अथवा असत्य इस बारे में पार्षद ही बेहतर बता सकते हैं। चूंकि पार्षदों के सर पर बड़ी जिम्मेदारी होती है और पालिका में उन्हें पूरी तवज्जो नहीं मिल पाती है अतः उनके अंदर रोष होना स्वाभाविक ही है। पार्षदों की इस काम में जवाबदेही सबसे अधिक है अतः पार्षदों को इस काम को दलगत भावना से उठकर करना होगा।
जिला कलेक्टर भरत यादव वाकई बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने इस काम को अंजाम देने के पूर्व पात्र अपात्र के चयन की बात फिजां में उठा दी है। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि इस बार पट्टे का लाभ उन लोगों को कतई ना मिल पाए जो पहले पट्टा लेकर इसे बेच चुके हैं। इस तरह भरत यादव ने सरकारी पट्टे की लूट पर अंकुश लगाने का मन बनाया है। उनकी इस पहल का आम जनता में तो तहे दिल से स्वागत होगा किन्तु सियासी दलों के नेता मन मसोसकर रह जाएंगे, क्योंकि उनके गुर्गों की रोजी रोटी पर इससे ग्रहण लग सकता है। हो सकता है सिवनी में भाजपा के कुछ नेता कलेक्टर की इस अभिनव और अच्छी पहल के पारितोषक के बतौर आला नेताओं से उनकी शिकायत भी कर दें।
देखा जाए तो जिला कलेक्टर भरत यादव की इस अभिनव पहल का नेताओं द्वारा तहे दिल से स्वागत किया जाना चाहिए। तब जबकि सरकारी सिस्टम में खुली लूट मची हो, जनसेवक सामने से सरकारी खजाना लुटते देख रहे हों, उस वक्त एक नौजवान उर्जावान अधिकारी द्वारा इस तरह की पहल की जाती है तो उसका स्वागत ही होना चाहिए। वस्तुतः भ्रष्टाचार में आकंठ डूब चुके सरकारी सिस्टम और भारत के लोकतंत्र में अब ईमानदारी का स्थान शायद नहीं बचा है।
फिर भी अगर इस तरह की पहल हुई है और वह परवान चढ़ती है तो निश्चित तौर पर यह नजीर साबित होगी, जिसका अनुपालन अन्य अफसरान द्वारा भी आगे की जाने की उम्मीद की जा सकती है। भरत यादव का यह छोटा सा कदम भ्रष्टाचार की अंधेरी काल कोठरी में सूरज की एक रोशनी से कम नहीं दिखाई दे रहा है।