शुक्रवार, 8 मार्च 2013

झाबुआ पावर का मामला उठेगा ध्यानाकर्षण में: शशि ठाकुर


0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 14

झाबुआ पावर का मामला उठेगा ध्यानाकर्षण में: शशि ठाकुर

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। देश के नामी गिरामी उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले क्राम्पटन ग्रीव्ज, शराब के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम प्रीस्टीज वाईन, थापर यूनिवर्सिटी और अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकास खण्ड में बनाए जा रहे 1260 मेगावाट के पावर प्लांट में मजदूरों की मौत का सिलसिला थम ही नहीं पा रहा है। गत दिवस प्लेट ढहने से हुई दो लोग बुरी तरह जख्मी हो गए। इस संबंध में क्षेत्रीय विधायक श्रीमति शशि ठाकुर का कहना है कि वे इस मामले को विधानसभा में ध्यानाकर्षण में जरूर उठाएंगी।
संयंत्र प्रबंधन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि संयंत्र में मजदूरों की सुरक्षा के इंतजामात ना के बराबर ही हैं। संयंत्र में अब तक लगभग दो दर्जन लोगों की असयम मौत हो चुकी है। इसके पहले नवंबर माह में भी दो लोगों की मृत्यु हो चुकी है। बताया जाता है कि अधिकांश मजदूर बिहार और उत्तर प्रदेश के हैं। मजदूरों की मौत के बाद संयंत्र प्रबंधन द्वारा पुलिस के साथ मिलकर मामले को रफा दफा करने की जुगत लगाते ही दिखता है।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि बृहस्पतिवार को बरेला स्थित निर्माणाधीन संयंत्र में बायलर की प्लेट टूटकर गिर गई। इस प्लेट के नीचे दबकर दो मजदूर बुरी तरह घायल हो गए हैं। संयंत्र के अंदर मीडिया का प्रवेश लगभग बैन ही बताया जाता है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो ने बताया कि मीडिया जब भी कोई जानकारी लेने का प्रयास करता है तो गुडगांव में एमजी रोड स्थिति वाटिका सिटी प्वाईंट के कार्यालय में और दूरभाष नंबर 014 4392000 पर किसी को भी यह नहीं पता है कि एमपी के सिवनी में डलने वाले इस पावर प्लांट के बारे में किससे चर्चा की जाए।
इस संबंध में जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने क्षेत्रीय विधायक श्रीमति शशि ठाकुर से संपर्क किया गया तो उन्होने दूरभाष पर कहा कि उनके संज्ञान में यह बात लाई गई है और महिला दिवस के मौके पर वे आज घंसौर में ही हैं अतः वे इस संबंध में पूरी जानकारी लेकर इसे विधानसभा के चालू सत्र में ध्यानकर्षण में अवश्य ही लगाएंगी।

करीने से धमकाता भी है जनसंपर्क


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 69

करीने से धमकाता भी है जनसंपर्क

(डी.एस.राजावत)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग में लूट मची है। कारण यह कि उसने चुनिंदा अफसरों को विज्ञापन देने से लेकर पैकेज देने के अधिकार दे रखे हैं। ऐसा कहते हैं कि घर की लाज पत्नी बचाती है, बड़े से लेकर छोटे अखबार के सभी संपादक अच्छी तरह जानते है जनसंपर्क की लाज लाजपत आहूजा के हाँथ में है और आहूजा जी इज्जत देने वालों की इज्जत केसे उतार लेते है सब वाफिक है।
शिवराज सिंह अपने सलाहकारों के कहने पर समय-समय पर प्रकारांतर से मीडिया को चमकाते रहते हैं। देश का सबसे बड़ा अखबार समूह जब जरा-सी भी सरकार विरोधी चलता है तो उसकी ऑइल फैक्ट्री पर खाद्य विभाग के अधिकारी पहुंच जाते हैं। उसके माल की नपती होने लगती है। वहां टीएनसीपी और सिटी प्लानर पहुंच जाते हैं।
राजस्थान से मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाले एक नए-नवेले अखबार के आते ही उसमें सत्ता-विरोधी खबरें लगीं तो वह जनसंपर्क विभाग के विज्ञापन के रेट के लिए तरसता रहा। जब रेट आ गए तो उसे विज्ञापन नहीं दिए गए। विज्ञापन बंद कर दिए गए। इसे कहते हैं, सोफिस्टिकेटेड-वे में धमकाना। शिवराज सिंह को यह सीख स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने तो नहीं दी होगी।
दरअसल, यह सीख जनसंपर्क विभाग के लज्जाजनक आहूजा ने दी. सभी अखबारात को और इलेक्ट्रॉनिक चौनलों को सरकारी विज्ञापन लेने का मौलिक अधिकार है। प्रसार संख्या के अनुसार राज्य सरकार को विज्ञापन देना ही होगा, ऐसा मैं नहीं कहता। कुछ माह पूर्व कुछ अखबार मालिकों ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू से यह शिकायत की थी कि हमारे विज्ञापनों का पेमेंट राज्य सरकारों के जनसंपर्क विभाग द्वारा इसलिए रोक दिया गया है कि हमने सत्ता-विरोधी खबरें छापी थीं।
इस पर श्री काटजू की दलील थी कि विज्ञापन लेना अखबारों का अधिकार है और सत्ता-विरोधी खबरों के कारण सरकारें विज्ञापन न दें, यह गलत है। अब अखबार मालिकों के विवेक पर है कि वे राज्य सरकार के अघोषित आपातकाल को झेलकर और अपमानित होकर धनबल के हस्तिनापुर से बंधे रहें अथवा मुखर हों। यह मैं उनके विवेक पर छोड़ता हूं।

हेलीकाप्टर मामले में नोटिस जारी


हेलीकाप्टर मामले में नोटिस जारी

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। रक्षा मंत्रालय ने अगस्तावेस्टलैंड से कहा है कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में जिन कंपनियों की आड़ में रिश्वत दी गई उनके साथ अपने संबंधों के बारे में एक हफ्ते के भीतर स्पष्टीकरण दें। कंपनी को इससे पहले कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था जिसके जवाब को रक्षा मंत्रालय ने खारिज कर दिया।
मंत्रालय ने अगस्तावेस्टलैंड से पूछा है कि ट्यूनिशिया और भारत की फर्मों आईडीएस इन्फोटेक और ऐरोमैट्रिक्स के साथ अपने लेन-देन की सूचना उपलब्ध कराए। इटली के अधिकारियों ने तीन हजार छह सौ करोड़ रूपए के हेलीकॉप्टर सौदे में तीन सौ ६२ करोड़ रूपए की रिश्वत देने के आरोपों की जो जांच की है उसमें आईडीएस इन्फोटेक और ऐरोमैट्रिक्स का नाम भी शामिल है।

पचास लाख टन गेंहू होगा निर्यात


पचास लाख टन गेंहू होगा निर्यात

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। इस साल गेंहूं की बंपर पैदावार हुई है। सरकार ने गेंहू के विशाल भंडार को देखते हुए अपने गोदामों से पचास लाख टन गेंहू निर्यात करने को मंजूरी दी है और निर्यात प्रक्रिया तेज करने के लिए इसमें निजी व्यापारियों को भी शामिल किया है। नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में खाद्य मंत्री प्रोफेसर के वी थॉमस ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से चालू वित्त वर्ष में ९५ लाख टन गेंहू निर्यात करने की अनुमति दी गई है। श्री थॉमस ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक क्षेत्र की कारोबारी कंपनियां गेंहू के निर्यात में भाग नहीं लेंगी। उन्होंने बताया कि मान्यता प्राप्त निजी व्यापारियों को २०११-२०१२ की गेंहू की फसल को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी और इसका आधार मूल्य एक हजार चार सौ अस्सी रुपये प्रति क्विंटल होगा।
उधर, दूसरी ओर भूमि अधिग्रहण विधेयक पर मतभेद सलझाने के लिए कल बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल पाया। अब इस महीने की २० तारीख को फिर बैठक होगी। विधेयक में उन किसानों की चिंताओं का समाधान करने के प्रावधान किए गए हैं जिनकी जमीन सेज जैसी विकास परियोजनाओं के लिए ली जाती है। बैठक का आयोजन संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने किया था।

महिला दिवस पर हो रहे अनेक आयोजन


महिला दिवस पर हो रहे अनेक आयोजन

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। इस अवसर पर दुनिया भर में कई समारोह आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें महिलाओं की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों को रेखांकित किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का केन्द्रीय विषय महिलाओं के खिलाफ हिंसा समाप्त करने का समय दिया है।
महिला दिवस की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएं देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक संदेश में कहा कि आठ मार्च का दिन हमारे लिए महिलाओं की सुरक्षा एवं संरक्षा सुनिश्चित करने में खुद को समर्पित करने का मौका है। राष्ट्रपति आज शाम वर्ष २०१२ के स्त्री शक्ति पुरस्कार प्रदान करेंगे।
आज ही दिल्ली में १६ दिसंबर को सामूहिक दुष्कर्म की पीड़ित छात्रा को मरोणोपरांत स्त्री शक्ति पुरस्कार दिया जाएगा। इस छात्रा के साहस और शक्ति के प्रति सम्मान के रूप में आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यह पुरस्कार दिया जाएगा। महिला और बाल कल्याण मंत्रालय का मानना है कि पीड़ित छात्रा निर्भया के साहस को सम्मान देने के लिये देश की उल्लेखनीय महिलाओं को हर साल स्त्री शक्ति पुरस्कार दिया जाना चाहिये । राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज निर्भया के परिवार को यह पुरस्कार प्रदान करेंगे।
जयपुर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से शैलेन्द्र ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज राजस्थान में महिलाओं को राज्य सड़क परिवहन की सभी बसों में निःशुल्क यात्रा की छूट दी गई है। महिलाएं वॉल्वो सेवाओं सहित सभी श्रेणियों में निःशुल्क यात्रा कर सकेंगी।
वहीं भुवनेश्वर से साई ब्यूरो एस.के.शर्मा ने बताया कि ओड़िसा सरकार ने भी महिलाओं के लिए भुवनेश्वर और कटक के बीच विशेष बस सेवा शुरू की है। सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि केन्द्र महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए जिला स्तर पर सौ से ज्यादा संकट समाधान केन्द्र बना रहा है।
देश के हृदय प्रदेश से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से नंद किशोर ने बताया कि मध्य प्रदेश में बुंलेदखंड के पन्ना जिले में दूरदराज के गांवों में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने अपने लिए जोखिम सुरक्षा कोष स्थापित किया है। सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि इस कोष का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा और बीमा उपलब्ध कराना है।
जिले में पांच हजार महिलाएं जोखिम सुरक्षा फंड से जुड़ चुकी हैं। ये महिलाएं जिला निर्धनता उन्नमूलन परियोजना के सब सहायता समूहों और ग्राम प्रधान समितियों की सदस्य हैं। अभी तक इस फंड में १५ लाख रुपए जमा हो चुके हैं। महिलाओं की इस अभिनव और सामूहिक पहल को साकार रूप देने के लिए जिला स्तर पर कार्यकारिणी समिति गठित की गई है। इसके तहत प्रावधान किया गया है कि सदस्य महिला के पति की मृत्यु होने पर तत्काल पांच लाख रुपए की राशि अंतिम संस्कार के लिए दी जाएगी। वहीं महिला को दस हजार रुपए का ऋण वापसी की शर्त पर दिया जाता है।

यह है आजाद भारत की तस्वीर! 13 करोड़ घरों में नहीं है शौचालय?


यह है आजाद भारत की तस्वीर! 13 करोड़ घरों में नहीं है शौचालय?

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। भारत गणराज्य को आजाद हुए पेंसठ साल होने को आए पर आजाद भार में आज भी तेरह करोड़ घरों में शौचालय की सुविधा ही उपलब्ध नहीं है। आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्री अजय माकन ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के आंकडों के अनुसार, देश में करीब 13.09 करोड परिवारों के घरों के परिसर में शौचालय की सुविधा नहीं हैं इनमें से 1.47 करोड परिवार शहरी क्षेत्र में और 11.62 करोड परिवार ग्रामीण क्षेत्र में हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 की जनसंख्या के आंकडों के मुताबिक, पेयजल की सुविधा से वंचित 4.33 करोड परिवारों में से करीब 63 लाख परिवार शहरी क्षेत्र में और 3.7 करोड परिवार ग्रामीण क्षेत्र में हैं।
माकन ने सी पी नारायण के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि बेघर परिवारों के संबंध में जनगणना 2011 में आंकडे जारी नहीं किए गए हैं। लेकिन जनगणना 2011 के अनुसार, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रो में कुल बेघर परिवार साढे चार लाख थे और दोनों ही क्षेत्रों में कुल बेघर लोगों की संख्या 19 लाख थी।
उन्होंने बताया कि जनगणना 2011 के आंकडों के अनुसार, देश में करीब 21.35 करोड परिवारों के पास अपना मकान है तथा 2.73 करोड परिवार किराये के मकानों में रह रहे हैं। इनमें से शहरी क्षेत्र में 5.45 करोड परिवारों के पास अपना मकान है और 2.17 करोड परिवार किराये के मकानों में रह रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में 15.89 करोड परिवारों के पास अपना मकान है और 56.4 लाख परिवार किराये के मकानों में रह रहे हैं।

दलाई लामा ने भारत को दिया गुरू का दर्जा


दलाई लामा ने भारत को दिया गुरू का दर्जा

(आंचल झा)

रायपुर (साई)। देता ना दशमलव भारत तो यूं चांद पर जाना मुश्किल था . . .।पूरब और पश्चिम चलचित्र के इस गीत की आधारशिला एसे ही नहीं रखी गई थी। भारत वाकई में आध्यात्मिक, शिक्षा ज्ञान आदि के मामलों में सबसे उपर ही है। यह बात दुनिया मान चुकी है कि भारत के स्किल पावर को पाना मुश्किल ही है।
 तिब्बती धर्मगुरु तथा नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा ने कहा है कि भारत अपनी शिक्षा, ज्ञान और आध्यात्म के आधार पर तिब्बत का गुरु रहा है और तिब्बत उसका चेला है। दलाई लामा ने आज यहां कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह में कहा कि भारत बुद्धिमता की भूमि है। भारत की भूमि के साथ तिब्बत का अत्यंत घनिष्ठ एवं विशेष संबंध रहा है। भारत अपनी शिक्षा, ज्ञान और अध्यात्म के आधार पर तिब्बत का गुरु रहा है और तिब्बत उसका चेला है।
उन्होंने कहा कि भारत हजारों सालों से समन्वय और उदारता की भूमि है। यह विश्व का ऐसा जीवंत उदाहरण है जहां अनेक धर्माे जैसे हिन्दू, जैन, बौद्ध आदि जिनका भारत में उदय हुआ और ऐसे अनेक धर्माे जो दूसरे क्षेत्रों से यहां आये जैसे पारसी, इस्लाम, जरस्थ्रु, पश्चियन आदि के नागरिक हजारों वर्षाे से एक दूसरे के साथ प्रेम, समन्वय और उदारता के साथ रहते आये हैं। निश्चय ही भारत एक शांतिमय और अद्भूत देश है।
लामा ने कहा कि वर्तमान शिक्षा पद्धति ऐसी होनी चाहिए जिसमें आधुनिक-पश्चिमी शिक्षा और परम्परागत भारतीय ज्ञान दोनों का समन्वय हो। आधुनिक पश्चिमी शिक्षा के माध्यम से भौतिक विकास तो संभव है, लेकिन यह आंतरिक या मानसिक शांति के लिए पर्याप्त नहीं है। आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों से भी अब यह साबित हो गया है कि केवल भौतिक विकास, मानव जीवन को सुखी बनाने की कुंजी नहीं है। आंतरिक शांति के लिए परम्परागत तथा अध्यात्मिक ज्ञान भी जरुरी है।
तिब्बती धर्म गुरु ने कहा कि वे पिछले 54 वर्षाे से भारत की भूमि पर निवास कर रहे हैं और भारत और भारतीयता ने उनके शरीर और मन दोनों को गहराई से प्रभावित किया है। जब वे सात-आठ वर्षाे के थे, तब से सुप्रसिद्ध बौद्ध चिंतक एवं भिक्षु नागाजरुन ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया है। नागाजरुन का मानना था कि किसी भी अवधारणा के प्रति अपना ज्ञान और समझ बढाओ और तभी उसे अपनाओ। उन्होंने कहा कि आज जब वे छत्तीसगढ के सुप्रसिद्ध स्थल सिरपुर गये तो उन्हें एक पुरातत्ववेत्ता ने सिरपुर से छह किलोमीटर दूर नागाजरुन गुफा होने की जानकारी दी। वे छत्तीसगढ के अगले प्रवास में उस गुफा में जाना चाहते हैं और कुछ समय वहां ध्यान भी करना चाहते हैं।
दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल शेखर दत्त ने कहा कि वर्तमान समय में तकनीक ने तीव्र गति से नए माध्यमों का सृजन किया है। यह देखने की जरुरत है कि हम मीडिया का कैसे उपयोग कर सकते हैं, चाहे वह सूचना प्रसार के क्षेत्र में हो या मनोरंजन अथवा समाचार के रुप में हों, इन्हें भारतीय संदर्भाे में जनसामान्य के लिए पुर्नपरिभाषित किया जाना चाहिये। दत्त ने कहा कि पिछले दो दशक में मीडिया की तकनीक एवं संरचना में हो रहे परिवर्तन देश के प्रजातंत्र और जनचेतना को शक्तिशाली एवं सशक्त बना रहे हैं, लेकिन यह बात सभी के लिए सत्य नहीं है। अभी भी विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों, महिलाओं तथा जनजातियों तक पहुंच नहीं बढी है। अभी भी सामाजिक न्याय प्राप्त करना हमारे लिए एक बडी चुनौती है। महिलाओं तथा जनजातियों का शोषण न हो सके तथा उन्हें सामाजिक न्याय मिले, इस दिशा में काफी कार्य करने की जरुरत है।
विश्वविद्यालय के इस पहले दीक्षांत समारोह में वर्ष 2007 से 2012 तक के 243 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं। इस अवसर पर विभिन्न परीक्षाओं में प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान के लिए 24 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक तथा 46 विद्यार्थियों को प्रावीण्य सूची के लिए स्वर्ण पदक प्रदान किये गये।

किन महिलाओं के लिए हो महिला दिवस


किन महिलाओं के लिए हो महिला दिवस

(साध्वी चिदर्पिता)

नई दिल्ली (साई)। प्रति वर्ष की तरह इस बार भी महिला दिवस आ गया है और साथ ही शुरू हो गयी है खोज, उन महिलाओं की जिन्हें आगे करके इसे मनाया जा सके। अखबार हो या टीवी चनैल, या फिर सामाजिक संगठन, सब बेतहाशा जुटे हैं। इन सबकी खोज में एक बड़ी समानता यह है कि लगभग सभी पहले से ही चर्चित महिलाओं को चुनते हैं। वह महिलायें जो पुरुषों से जूझ रही हैं, वे महिलाएं जिन्होंने व्यावसायिक क्षेत्र में परचम लहराया है और वे महिलायें जो सामाजिक या राजनैतिक क्षेत्र में सक्रीय हैं।
इस कवायद को देखकर मैं सोचती हूँ, कि क्या पुरुषों के क्षेत्र में दखल देना ही एक महिला की सफलता का मापदंड है। इस खोज में वे महिलायें क्यों खो जाती हैं जिन्होंने अपना जीवन होम करके अपने परिवार को आगे बढ़ाया है? महिला दिवस क्या उन अस्सी प्रतिशत महिलाओं का दिन नहीं है जो परिवार की धुरी बनकर नित्य एक नयी यातना से गुज़रती हैं? मैं ऐसी बहुत सी महिलाओं को जानती हूँ जो हर दृष्टि से अपने पति से अधिक काबिल हैं, पर परिवार के लिए अपने कैरियर की बलि दे चुकी हैं। एक महिला के बिना क्या दुनिया के किसी भी परिवार की कल्पना की जा सकती है? परिवार में कितने ही सदस्य क्यों न हो एक महिला के बिना वे सभी सदस्य अनाथ ही होते हैं। न कोई उन्हें पानी देने वाला होता है और न ही खाना पूछने वाला।
इतने महत्त्व के स्थान पर होने के बावजूद महिलाओं की स्तिथि दयनीय है। अधिकाँश महिलायें आज भी शोषण सहने को मजबूर हैं और यह शोषण करने वाले और कोई नहीं उनके अपने हैं। वे अपने जिनके जीवन की वह धुरी हैं, वे अपने जिनके लिए उसका जीवन समर्पित है। उसकी इच्छा का घर के फैसलों में कोई महत्त्व नहीं। वह आगे बढ़कर अपनी इच्छा ज़ाहिर कर भी दे तो उसकी कोई गिनती नहीं। बेहद व्यक्तिगत ज़रूरतों के लिए आज भी उसे पति का मुंह निहारना पड़ता है, भीख की तरह पैसे मांगने पड़ते हैं और उनका समुचित हिसाब भी देना पड़ता है। यह हाल केवल घरेलु महिलाओं का ही नहीं है। कामकाजी महिलाओं की भी कमोबेश यही स्तिथि है। अपनी मेहनत की कमाई से भी अपनी पसंद की छोटी से छोटी चीज़ लेने से पहले उसे पति की आज्ञा लेनी पड़ती है और आज्ञा न मिलने पर अपना इरादा बदलना पड़ता है। पति उसकी कमाई और उसकी चीज़ों का पूरा हिसाब रखता है पर घर सँभालने वाली का घर की किसी चीज़ पर हक नहीं होता। उसके साथ मार-पीट और गाली-गलौज तो रोज़मर्रा की बात है।
पढ़े-लिखे वर्ग के बहुत से लोग मेरी इन बातों से सहमत नहीं होंगे। नौकरीपेशा पत्नी का घर के कामों में हाथ बंटाने वाले इसे मेरी कल्पना कहेंगे, पर समाज के बड़े हिस्से का सच आज भी यही है। जब तक हम इसे मानेंगे नहीं, तब तक इस दिशा में सुधार भी संभव नहीं है।
इस बात को मानने के बाद ही महिला दिवस सार्थक होगा, क्योंकि आज भी महिलाओं के एक बड़े वर्ग की स्तिथि पराश्रित की है। इंदिरा नुई, शहनाज़, मायावती और सोनिया गाँधी जैसी महिलाओं के लिए महिला दिवस मनाने का कोई अर्थ नहीं है। महिला दिवस है उन महिलाओं के लिए, जो धरती की सहनशीलता के साथ अपने परिवारों में दोयम दर्जा रखते हुए जी रही हैं। जो नदी की तरह चुपचाप बहते हुए हर गन्दगी को अपने में समेटकर खेतों को सींचती जा रही हैं। जो एक-एक रूपया गुल्लक में डालकर अपने घर की छत बनाती हैं। जो जड़ों की भांति अनाम जी ज़मीन के नीचे रहकर ऊपर चमकने वाले पेड़ों को फलदार बनाती हैं।
धरास्वरूपा ऐसी सभी देवियों को मेरा प्रणाम और इस महिला दिवस पर कामना कि अर्द्धनारीश्वर की कल्पना साकार हो और इन्हें इनका स्थान मिले। ऐसा हो तभी महिला दिवस की सार्थकता है।

कैथल शिक्षा भरती है जीवन में रोशनी एडीसी


शिक्षा भरती है जीवन में रोशनी एडीसी

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। यहां इंडस पब्लिक स्कूल में बुधवार को विद्यालय का वार्षिकोत्सव व सीनियर विंग का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्यातिथि अतिरिक्त उपायुक्त दिनेश यादव ने मां सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्ज्वलित करके की।
एडीसी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का दीप ऐसा दीप है जिसकी रोशनी सब दीपों से बढ़कर है और यह जीवन में रोशनी भर देता है। उन्होंने अध्यापकों से आह्वान किया कि वे अपनी संस्था में बच्चों शिक्षा व खेल के साथ-साथ संस्कार भी दें ताकि बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा सामाजिक ज्ञान भी प्राप्त हो। इसके बाद स्कूली छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।
बच्चों को प्रस्तुत किए गए रंगारंग कार्यक्रमों ने सबका मनमोह लिया। सबसे पहले छोटे बच्चों ने गणेश वंदना करके सबका दिल जीता। इसके बाद कक्षा तीसरी व चौथी के बच्चों ने योग व कराटे की प्रस्तुति दी तथा इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है, योग के जरिए यह भी दर्शाया। प्री नर्सरी के छात्रों ने रंग बिरंगे गुब्बारे गीत पर नृत्य करके सभी का मनमोह लिया। के.जी कक्षा के बच्चों ने कार्टून वर्ल्ड डोरी मोन, छोटा भीम, मोगली आदि पर नृत्य करके अपनी प्रस्तुति दी। कक्षा दूसरी व तीसरी के बच्चों ने देशभक्ति गीत हम भारत की शान पर नृत्य पर करके अपनी देशभक्ति की भावना को उजागर किया। इंडस पब्लिक स्कूल की की प्रिंसिपल दिव्या ने स्कूल की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और इंडस ग्रुप के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्रीमति विमला सुरजेवाला ने समारोह में आए सभी लोगों का आभार प्रकट किया। इससे पूर्व कुलवीर छिकारा, डा. एकता सिंधु, सुभाष श्योराण, रवि दलाल, अरुणा शर्मा, रोहित गर्ग ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस मौके पर उनके साथ  के दौरान विष्णु प्रसाद, डीजी बत्तरा, राजकुमार, अनिल खुराना, धर्मवीर सहारन, रवि सिंघल, रोहित खुरानिया, सुनील चुघ सहित स्कूल का शिक्षक व गैर शिक्षक स्टाफ भी उपस्थित था।