अजब है प्रभु तेरी
माया: कहीं धूप कहीं छाया
(प्रियंका श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)।
मानसून की आमद के बाद भी कहीं तेज धूप, कहीं बाढ़ का तांडव तो कहीं मौसम में उमस
लोगों को हलाकन किए हुए है। एक ओर जहां देश के अधिकतर राज्यों में लोग पानी की
बूंद बूंद को तरस रहे हैं वहीं मॉन सून की पहली बारिश से ही मुंबई को पानी-पानी कर
दिया है।
मुंबई से समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो कार्यालय से तृप्ती जैन ने बताया कि सोमवार को यहां एक
ही घंटे में 34 मिमी
बारिश हुई। हालांकि शहर में फिलहाल बारिश नहीं हो रही है लेकिन मौसम विभाग ने यहां
आज दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर हाई टाइड
आने की चेतावनी दी है। विभाग ने आज भी भारी बारिश की उम्मीद जताई है।
मुम्बई में कल भारी
वर्षा के साथ मॉनसून ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। बारिश की वजह से यातायात बाधित
हुआ और शहर की चार मुख्य बिजली आपूर्ति लाइनें कुछ समय के लिए ठप्प पड़ गई। मुम्बई
के उपनगरीय इलाके अंधेरी में शॉर्ट सर्किट के कारण दो बच्चों की मृत्यु हो
गई।हमारे संवाददाता ने खबर दी है कि भारी बारिश की वजह से कई इलाकों में पेड़ उखड़
गए और पानी जमा हो गया।
वैसे मुंबई में कल
रात हुई तेज वर्षा से मुंबईकरों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली। वहीं तेज वर्षा के
कारण कल रात मुंबई शहर की बिजली सेवाओं में कुछ समय के लिए बाधा आई इसके चलते
मुंबई के सेंट्रल रेलवे की लोकल गाड़ियां १५ से २० मिनटों की देरी से चल रही थी।
मौसम विभाग ने अगले २४ घंटों में मुंबई और उपनगरी इलाकों में बारिश होने की
संभावना जताई है।
देश के उत्तरी
हिस्से के कई राज्यों में बारिश नहीं होने से बुरा हाल है। राजधानी दिल्ली में
गर्मी ने 32 साल का
रिकार्ड तोड़ दिया है। इस साल दिल्ली में मई-जून में औसत अधिकतम तापमान 41.57 डिग्री सेल्सियस
रहा है। यह 1980 के बाद का
सबसे अधिक औसत तापमान है।
मौसम विभाग ने
राजधानी दिल्ली और उत्तर-पश्चिम भारत के अन्य इलाकों में बुधवार या गुरुवार को
मानसूनी बौछारें पड़ने का दौर शुरू होने की संभावना जताई है। गौरतलब है कि पूर्वी
उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम
बंगाल आदि राज्यों में एक बार फिर बारिश का दौर शुरू हो चुका है।
हालांकि मौसम विभाग
दिल्ली में मॉनसून पहुंचने की वास्तिवक तारीख का ऐलान नहीं कर रहा है। मौसम विभाग
के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि यदि जुलाई और अगस्त में बारिश
होती भी है तो इससे जून में बारिश की कमी से हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी।
खेतों में सब्जियां सूख रही हैं। धान की बुवाई पर असर पड़ रहा है।
सफदरजंग स्थित वेदर
स्टेशन के आकंड़ों के मुताबिक मई और जून के 61 दिनों में 49 दिन ऐसे रहे, जब पारा 40 के ऊपर चढ़ा रहा।
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 33 साल में यह नौवीं बार है, जब मई और जून का
औसत तापमान 40 के ऊपर
गया है। 1995 दूसरा ऐसा
साल था जब गर्मी ने ऐसा रुलाया था। तब औसत तापमान 41.25 रहा था। बाकी के
सात सालों के दौरान औसत तापमान 40 से 40.97 के बीच रहा।
उधर, मौसम विभाग ने
उम्मीद जगाई है। विभाग का कहना है कि बारिश की फुहारों का इंतजार ज्यादा लंबा नहीं
खिंचेगा। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 48 घंटे में प्री-मॉनसून बौछारों का सिलसिला
शुरू हो जाएगा और 72 घंटों में
मॉनसून एक्सप्रेस दिल्ली में दस्तक दे सकती है। मौसम विभाग के सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दिल्ली-एनसीआर में दो दिनों के अंदर प्री-मॉनसून
बौछारें पड़ने लगेंगी।
4-5 जुलाई तक मॉनसून यहां आ सकता है। बुधवार से
सावन की शुरुआत हो रही है। मौसम विभाग का अनुमान सही रहा तो सावन के पहले दिन
मॉनसून दिल्ली में दस्तक दे सकता है। सूत्रों का कहना है कि अब तक बारिश कम रहने
से परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आने वाले समय में इसकी कमी पूरी हो
जाएगी। पिछले साल की तरह इस बार भी दिल्ली में अच्छी बारिश होने के आसार हैं।
अगले दो-तीन दिनों
में तापमान में भी भारी गिरावट आएगी। इसका सिलसिला सोमवार से शुरू हो गया है। बीते
24 घंटों में
ही तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि, उमस बढ़ने से राहत
का एहसास नहीं हुआ।
उधर, देश के हृदय प्रदेश
की राजधानी भोपाल से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से नंद किशोर ने खबर दी है
कि मध्य प्रदेश में मानसून के सक्रिय न होने के बावजूद राजधानी भोपाल में तेज
हवाओं के बीच जोरदार बारिश हुई. तेज हवाओं के चलते दर्जनों पेड़ उखड़ गए और बिजली
व्यवस्था चौपट हो गई. आधे से ज्यादा भोपाल अंधेरे में डूबा है।
राजधानी भोपाल में
सोमवार की शाम को आसमान काले घनघोर बादलों से ढक गया और तेज हवाओं के साथ जोरदार
बारिश हुई। एक घंटे से ज्यादा बारिश और हवाओं ने राजधानीवासियों को मुसीबत में डाल
दिया। सड़कों पर आए पानी ने जहां आवागमन को बाधित किया वहीं पेड़ की चपेट में आए
बिजली के खम्भे और तार टूट कर गिर गए। लगभग आधा भोपाल अंधेरे में है और बिजली
व्यवस्था को दुरस्त करने के लिए प्रयास जारी है।
तेज हवाओं ने पेड़ों
को गिराया ही नहीं साथ ही उन कच्चे मकानों की छतों को उड़ा ले गई, जिनमें गरीब परिवार
रहते हैं। झुग्गी-बस्तियों के मकान पूरी तरह तहस-नहस हो गए।