सोमवार, 22 अगस्त 2011

युवराज का युवा भारत अण्णा के लिए सड़कों पर!

युवराज का युवा भारत अण्णा के लिए सड़कों पर!

   

युवराज का युवा भारत अण्णा के लिए सड़कों पर!
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की नजर देश के युवा वोट बैंक पर है। वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा तादाद में युवा कांग्रेस से जुड़ें। इसके लिए उन्होंने बाकायदा पहल और प्रयास भी किए हैं। कांग्रेस के सियासी प्रबंधकों ने युवराज की मंशाआंे पर पानी फेर दिया है। युवा सड़कों पर भारी तादाद में आया है पर कांग्रेस या राहुल गांधी अथवा बाबा रामदेव के लिए नहीं वरन् इक्कीसवीं सदी के गांधी की खातिर। जी हां किशन बाबूराव यानी अण्णा हजारे के आव्हान पर सड़कें युवाओं से पट गईं। समूचे देश में अण्णा हजारे के हाथों को मजबूती देने की बयार चल पड़ी है। 74 साल के इस बुजुर्गवार में लोग बापू की छवि देख रहे हैं। इसका कारण है कि अण्णा की कोई राजनैतिक महात्वाकांक्षा नहीं है, साथ ही वे राहुल गांधी या बाबा रामदेव के आडम्बरों और वातानुकूलित जगहों से परहेज करते हैं। अण्णा को मिले समर्थन से सभी राजनैतिक दलों की आंखें फटी की फटी रह गई हैं।

दिग्गी के पर कतरे सोनिया ने
अनाप शनाप बयानबाजी कर सुर्खियों में रहने के आदी कांग्र्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के लगता है दुर्दिन आरंभ हो गए हैं। अपना आपरेशन कराने विदेश जाने के पहले कांग्रेस की बागडोर एक शीर्ष समिति के हाथों में सौंप गईं सोनिया। इसमें उन्होंने अपने पुत्र राहुल गांधी को स्थान देकर परिवार वाद का नायाब उदहारण पेश किया है, पर इस समिति में 10 जनपथ और 12 तुलगक लेन के करीबी राजा दिग्विजय सिंह को नहीं रखा गया है। सियासी गलियारों में इसके निहितार्थ खोजे जा रहे हैं। कहा जा रहा है िकि कांग्रेस की नजरों में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी के अघोषित राजनैतिक द्रोणाचार्य राजा दिग्विजय सिंह के धुर विरोधियों अहमद पटेल और जनार्दन द्विवेदी ने चाल चलकर राजा का कद कम कर दिया है। सोनिया की अनुपस्थिति में अब राहुल की मजबूरी होगी कि वे दिग्गी के बाजए पटेल और द्विवेदी के साथ ज्यादा समय बिताएं।

मनमोहन नहीं राहुल के लिए है लोकपाल
इस वक्त देश भर में एक ही चर्चा चल रही है। और वह है सरकारी लोकपाल और जनलोकपाल। टीम अण्णा की मांग है कि इसके दायरे में प्रधानमंत्री को भी लाया जाना चाहिए। उधर सरकार इस मांग से इत्तेफाक रखती नहीं दिख रही है। दरअसल विपक्ष को डर है कि आने वाले समय में अगर राहुल गांधी को देश की बागडोर सौंप दी गई तो युवाओं का खासा वोट बैंक कांग्रेस के पाले में जा सकता है। यही कारण है कि टीम अण्णा के कांधों का उपयोग कर विपक्ष विशेषकर भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री को इसके दायरे में लाने का प्रयास कर रही है। सियासी गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार इस तीर से गांधी परिवार को हाशिए मंे ढकेलने का उपक्रम किया जा रहा है। अगर पीएम लोकपाल के दायरे में आ गए और राहुल पीएम बने तब राहुल अपने पिता राजीव की तरह ही अनुभव हीन ही होंगे। जिस तरह बोफोर्स मामले में राजीव गांधी की फजीहत हुई थी उसी तरह राहुल गांधी को आसानी से घेरा जा सकेगा।

मनी लांड्रिग में घिर सकते हैं बाल किसन
इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू राम किशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के राईट हेण्ड नेपाली मूल के बाल किसन की परेशानियों में इजाफा होने की उम्मीद है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बाल किसन के खिलाफ अवैध धन को वैध बनाने अर्थात मनी लांड्रिंग निषेध कानून के तहत कार्यवाही की तैयारियां की जा रही हैं। एसी स्थिति में बाल किसन के स्वामित्व वाली कंपनियों की संपत्ति जप्त की जा सकती है। योग गुरू बाबा रामदेव के विश्वस्त सहयोगी बाल किसन की आस्था चेनल सहित अनेक कंपनियों में सौ फीसदी की भागीदारी तक हैै। गौरतलब है कि बाबा रामदेव के मन में राजनैतिक महात्वाकांक्षाएं जोर मार रही हैं और वे सीधे सरकार से टकरा रहे हैं। सरकार के वारों ने बाबा के कस बल ढीले कर दिए हैं। इन दिनों बाबा रामदेव और बाल किसन दोनों ही सिर्फ आस्था चेनल के माध्यम से ही अपनी बात कह पा रहे हैं बाकी समाचार चेनल्स और मीडिया से दोनों ही गायब हैं।

थरूर का रोग लगा सुषमा को!
सोशल नेटवर्किंग वेवसाईट ट्वीटर पर ट्वीट करके अपनी लाल बत्ती गवां चुके सांसद शशि थरूर का रोग अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज को भी लग गया है। सुषमा स्वराज के चाहने वालों की तादाद तत्कालीन ‘ट्वीटर मिनिस्टर थरूर‘ की तरह एक लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है। मजे की बात यह है कि अपने समर्थकों प्रशंसकों तक बात पहुंचाने के लिए नेताओं द्वारा अब पार्टी के मुखपत्र या समाचार पत्र चेनल्स, वेब मीडिया का सहारा लेने के बजाए सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स का उपयोग जमकर किया जा रहा है। थरूर के अलावा सुषमा स्वराज, उमर अब्दुल्ला, अजय माकन, सुब्रम्णयम स्वामी, भी इस वेब साईट पर मौजूद हैं। इन सबमें थरूर के बाद एक लाख प्रशंसकों का जादुई आंकड़ा पार करने वाली सुषमा स्वराज दूसरी राजनेता बन गई हैं।

संसद में ‘बेघर‘ हैं सांसद
देश की सबसे बड़ी पंचायत में पंचों के बीच कमरों को लेकर मारामारी मची है। 22 सांसदों वाली त्रणमूल कांग्रेस चाहती है कि संसद में उसे बड़ा कमरा मिले। इसे पहले टीडीपी के कब्जे वाला भूतल का कमरा आवंटित हुआ था, बाद में इसे तीसरे माले पर कमरा मिला। लालू के आरजेडी के पास दो कमरों वाला कार्यालय है, जबकि उसके महज पांच सदस्य होने से आरजेडी कमरे की पात्रता खो चुका है। लोकसभाध्यक्ष ने इस बार यह तय कर दिया था कि कम से कम सात सांसदों वाले दलों को कमरा मिल सकेगा। संसद में राजनैतिक दलों की तादाद तो बढ़ी पर कमरों की संख्या सीमति रहने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लालू यादव से कमरा खाली करवाने का साहस कांग्रेस नहीं जुटा पा रही है। वहीं त्रणमूल और द्रमुक जैसे दल बड़े कमरों की जुगत में दिन रात एक किए हुए हैं।

सांसदों को नहीं परवाह महामहिम की
राष्ट्र के भाल पर सुशोभित होने वाले देश के हृदय प्रदेश के प्रतीक पुरूष डॉ.शंकर दयाल शर्मा की पुण्य तिथि पर ‘कर्मभूमि‘ जाकर श्रृद्धांजली अर्पित करने वालों की फेहरिस्त में महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, वजीरेआजम डॉ.एम.एम.सिंह, मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के नाम प्रमुख थे। इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के 11 राज्य सभा तो 29 लोकसभा सदस्यों ने जाकर डॉ.शर्मा को श्रृद्धांजली अर्पित करना मुनासिब नहीं समझा। मध्य प्रदेश कोटे से मंत्री बने कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कर्मभूमि जाकर झांकना उचित नहीं समझा। मध्य प्रदेश सरकार के दिल्ली स्थित जनसंपर्क विभाग द्वारा भी दोपहर तक इस कार्यक्रम की खबर जाने करने की जहमत नहीं उठाई। शाम को निकलने वाले अखबारों को बमुश्किल फोटो नसीब हो सकी।

कर्ज में दबे हैं वायलर रवि!
नागरिक उड्डयन मंत्री वायलर रवि की किस्मत इन दिनों खराब ही चल रही है। पिछले दिनांे वे विदेश प्रवास से वापस आए तो बाथरूम के चिकने फर्श पर फिसल गए और हास्पिटलाईज्ड हो गए। इसके साथ ही साथ एयर इंडिया ने उनकी नाक में दम कर रखा है। वायलर रवि यानी एयर इंडिया पर इतना कर्ज है कि उसका दम फूला जा रहा है। कुछ मदद की गुहार जब उन्होंने वित्त मंत्री से लगाई तो कैबनेट में सवाल उठा कि मदद सिर्फ एयर इंडिया को ही क्यों? और कितनी बार? यह आम जनता की पहुंच से दूर है, इसका मंहगा सफर है और अपने कर्मों से ही यह कर्ज में गया है। रवि भला पीछे कहां रहने वाले थे, उन्होने कहा कि सरकार से आठ अरब रूपए लने हैं वे तो दिलवा ही दिए जाएं। इस पर बात कुछ बनती दिखी और सरकार ने अपने खजाने से साढ़े पांच अरब रूपए ढीले करने का मन बना लिया।

चालान काटा तो दी वर्दी उतरवाने की धमकी!
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अवस्थित गुड़गांव में पिछले दिनों यातायात निरीक्षक रघुवीर सिंह द्वारा आल्टो कार नंबर एचआर 51 - 6501 पर नीली बत्ती देख रोका और पूछताछ करने के बाद उसका चालान काट दिया। फिर क्या था, कार का सारथी अपने आप को जिला अदालत का मजिस्ट्रेट बताते हुए पुलिस कर्मियों की वर्दी उतरवाने की धमकी देने लगा। घबराए वर्दी धारियों ने सकी सूचना यातायात उपायुक्त भारती अरोरा को दी। भारती खुद मौके पर पहुंची और तहकीकात की तो पता चला कि कार चालक मुकेश राव था जो वाकई जिला अदालत का जज था। कहानी में ट्विस्ट महज इतना था कि अपनी परीवीक्षा अवधि के दौरान ही एक मामले में उच्च न्यायालय के एक दल ने उसे दोषी पाकर बर्खास्त कर दिया था। अंत में चालान पर कार्यवाही करनी ही पड़ी पुलिस को और उतर गई बत्ती।

क्या हम गरीब हैं?
भारत देश में क्या कोई गरीब है? क्या कोई गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करता है? अगर है तो जमीनी हकीकत देखने देश को सबसे ज्यादा वजीरे आजम देने वाले उत्तर प्रदेश सूबे में जरूर जाएं। वह इसलिए क्योंकि यहां की निजाम के घर और सुरक्षा में साल भर में ज्यादा नहीं महज आधा अरब रूपया खर्च होगा। यह सच्चाई है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा ने वर्ष 2011 - 2012 के लिए 10899.93 करोड़ रूपयों की अनुदान मांगे पेश की। इन मांगों मंे 49 करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की सुरक्षा और आवास पर ही खर्च के लिए किया गया है। इसके मायने हुए लगभग चार करोड़ रूपए प्रतिमाह। इन परिस्थितियों में कौन कह सकता है कि भारत देश में एक भी गरीब निवास करता है। वह भी तब जब विपक्ष इस पर मौन साधे बैठा रहे।

इतना मुस्तैद है हमारा तंत्र
एक तरफ तो स्वाधीनता दिवस पर आतंकी हमलों के मद्देनजर हाई एलर्ट पर रही दिल्ली। वहीं दूसरी ओर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर लगे साढ़े तीन हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरों में से 1400 से ज्यादा महज शोभा की सुपारी ही बने हुए हैं। इस बात की भनक पिछले दिनों आईजीआई पर श्रीलंका के एक नागरिक काथीनुकुम के गायब होने पर लगी। इसे न्यूयार्क जाने के लिए उड़ान पकड़ना था, किन्तु वह इस पर सवार न होकर 17 घंटे तक एयरपोर्ट के अंदर छिपा बैठा रहा। बाद में जब उसने हैदराबाद के लिए उड़ान पकड़ी तब वह पकड़ में आया। इस श्रीलंकाई नागरिक को खोजने के लिए जब सीसीटीवी कैमरों को खंगाला गया तो पता चला कि आधे से ज्यादा कैमरे तो बेकार ही थे। यह है हाई एलर्ट में हमारे तंत्र की मुस्तैदी! वह भी अंतर्राष्ट्रीय विमानतल पर, धन्य है कांग्रेस धन्य है सरकार।

आटोमैटिक नहीं मैन्यूअली आपरेटेड है मेट्रो
दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) का दावा है कि राजधानी में सभी लाईनों में मेट्रो रेल गाड़ी आटोमेटिक चलती है। पिछले दिनों विधानसभा मेट्रो स्टेशन पर हुए हादसे ने इन दावों की पोल खोलकर रख दी है। जैसे ही रेल वहां से चलने लगी दरवाजे बंद होते वक्त एक युवक का हाथ और पैर दरवाजे में फस गया। उसने जैसे तैसे पैर तो निकाल लिया किन्तु उसका हाथ अगले स्टेशन तक फसा ही रहा। देखा जाए तो अगर यह रेल आटोमेटिक मोड पर होती तो इसका गेट बंद ही नहीं होता, साथ ही साथ रेल भी नहीं खसकती। गौरतलब है कि वर्ष 2009 में भी एक मर्तबा अदालत में पेशी पर जाते एक आरोपी का पैर दरवाजे में फंस गया था, जिससे वह जख्मी हो गया था। डीएमआरसी को मिली सफलता ने उसके अफसरान का दिमाग सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है, यही कारण है कि अब मेट्रो की सांसे भी फूलती दिख रही हैं।

चौथाई लक्ष्य भी नहीं पाया टिकिट बिक्री में
कामन वेल्थ गेम्स में एक के बाद एक करके सामने आने वाले घोटालों से अनेक परतें उठती जा रही हैं। उस वक्त आपाधापी में जिसके मन में जो आया उसने वही किया किन्तु देर सबेर अब वास्तविकता सामने आती ही जा रही है। गौरतलब है कि कामन वेल्थ गेम्स में टिकिट बिक्री से 100 करोड़ रूपयों की आय का लक्ष्य रखा गया था। इस दौरान कुल 39.17 करोड़ रूपयों की टिकिट बिकीं। इसके लिए प्रबंधन और बिकावली लागत 23.37 करोड़ रूपए आई। इस तरह टिकिटों से शुद्ध राजस्व जो प्राप्त हुआ वह था महज 15 करोड़ अस्सी लाख रूपए। मजे की बात तो यह है कि सितम्बर 2010 तक टिकिट बेचना आरंभ नहीं किया गया था। वेब साईट पर उपलब्ध ही नहीं थी टिकिट। जब टिकिट बेचना बंद कर दिया गया तब इसके विज्ञापन प्रसारित किए गए।

पुच्छल तारा
मैं अण्णा, तुम अण्णा, हम सब अण्णा। इस समय इस तरह के नारों की धूम मची हुई है। हर कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ किशन बाबूराव उर्फ अण्णा हजारे के साथ खड़ा दिख रहा है। जाहिर है एसे मंे इस पर लतीफों का सिलसिला भी आरंभ हो गया होगा। चेन्नई से समीर मिड्ढा ने एक ईमेल भेजा है। समीर लिखते हैं कि एक मर्तबा कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह और पलनिअप्पम चिदम्बरम एक साथ हेलीकाप्टर से जा रहे थे।
सिब्बल ने एक सौ रूपए का नोट नीचे फंेका और बोले -‘‘मैने एक गरीब हिन्दुस्तानी को खुश कर दिया।‘‘
दिग्विजय सिंह ने पचास के दो नोट नीचे फेंके और बोले -‘‘मैने दो गरीब भारतवासियों को खुश कर दिया।‘‘
चिदम्बरम ने एक के सौ सिक्के नीचे फेंके और चहके -‘‘मैने सौ गरीब भारतियों को खुश कर दिया।‘‘
यह सब सुनकर हेलीकाप्टर का पायलट हंसा और बोला -‘‘मैं तुम तीनों को नीचे फेंक देता हूं और 121 करोड़ हिन्दुस्तानियों को हमेशा के लिए खुश कर देता हूं।‘‘
वो पायलट और कोई नहीं अण्णा हजारे ही था।

. . . मन में एक बात उठ रही है: नरेंद्र ठाकुर

. . . मन में एक बात उठ रही है: नरेंद्र ठाकुर

सिवनी। ‘‘भ्रष्टाचार के खिलाफ अण्णा हजारे ने जो अलख जगाई है वह तारीफे काबिल है। इस मामले में सिवनी के निवासियों का बढ़ा हुआ मनोबल साफ दर्शाता है कि वे किसी से कम नहीं हे। सिवनीवासियों के जज्बे को निश्चित तोर पर सलाम किया जाना चाहिए। यह सब देखकर मन में एक बात उठ रही है, जिसे जनता जनार्दन से बांटने की तमन्ना है।‘‘ उक्ताशय की बात भाजपा युवा नेता नरेंद्र ठाकुर ‘‘गुड्डू‘‘ ने यहां जारी विज्ञप्ति में कही है।

श्री ठाकुर ने कहा है कि 16 अगस्त से ही अण्णा हजारे के समथ्रन में सिवनी के निवासी चाहे वे रिक्शे वाले हों, मोटर सायकल वाले, कार वाले, विद्यार्थी, राजनेता, धार्मिक ओर सामाजिक संगठन या कारोबारी। सभी ने कंधे से कंधा मिलाकर अण्णा का समर्थन किया है। सिवनी वासियों का अपने अपने तरीके से विरोध का तरीका बहुत ही प्रशंसनीय कहा जा सकता है। उन्होंने सिवनी वासियों को इसके लिए साध्ुावाद दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है और युवाओं के भविष्य से जुड़ा अहम मुद्दा है अतः भ्रष्टाचार का प्रतिकार अत्यावश्यक है, किन्तु जब परिसीमन में सिवनी लोकसभा और घंसौर विधानसभा के विलोपन, ब्राडगेज, फोरलेन आदि की बात आती है तब सिवनी वासियों का यह जज्बा कहां चला जाता है? उन्होंने कहा कि सिवनी वासियों ने सिवनी लोकसभा के विलोपन के वक्त ‘जनता कफर््यू‘‘ लगाकर और फिर फोरलेन के मामले में 21 अगस्त को एकजुटता दिखाकर साबित कर दिया था कि वे सिवनी के विकास में बराबरी के भागीदार हैं।

सिवनी वासियों के सिवनी के विकास के लिए संजीदा होने को उन्होंने सलाम किया है, किन्तु य़़क्ष प्रश्न फिर भी वही खड़ा हुआ है कि आखिर इस तरह के आंदोलन टॉय टॉय फिस्स क्यों हो जाते हैं? इसका सीधा सा जवाब इन आदोलन के नेतत्व कर्ताओं की कार्यप्रणाली पर जाकर टिक जाता है। लोकसभा के विलोपन के दरम्यान भी सिवनी जिले के माहरथी राजनेताओं की अति सक्रियता के उपरांत बली चढ़ गया। इसके बाद परिसीमन में तीस साल पुरानी लोकसभा नक्शे से ही गायब हो गई। इतना ही नहीं जब जब ब्राडगेज की बात आई तब तब एक नई रेल लाईन को बीच में डालकर इन्हीं राजनेता द्वारा छिंदवाड़ा नैनपुर ब्राडगेज को भी लंबित करनवाने में महती भूमिका निभाई है।

यह सब सहने के बाद जब सिवनी के निवासियों के मुंह से फोरलेन का निवाला छीनने का प्रयास किया गया, तब एक बार फिर सिवनी की जनता सड़कों पर आ गई, और गजब के जोश और जुनून के साथ इसका प्रतिकार किया। यह मामला भी वक्त के राजनेताओं ने इसे भी साथ ठण्डे बस्ते में डालने का प्रयास किया। अब आधी अधूरी सड़क पर टोल टेक्स वसूलने का काम आरंभ किया जा रहा है। फिर बारी आई संभाग मुख्यालय की, इसमें भी लोग आंदोलित हुए पर नतीजा सिफर ही रहा।

भाजपा के युवा नेता ने कहा कि आत्मावलोकन पर उन्होंने यह पाया कि कहीं न कहीं इन आंदोलनों में राजनैतिक तौर पर सक्रिय रहने वालों ने सुनियोजित तरीके से इन सारे आंदोलनों का गला घोंटा है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि सिवनी के हित को सर्वोपरि मानने वालों को ही नेतृत्व थमाया जाए। राजनेतिक रोटियां सेकने वालों का बहिष्कार यदि नहीं किया गया तो आने वाले समय में हमारी अगली पीढ़ी शायद ही हमें माफ कर पाए।

गुड्डू ठाकुर ने कहा कि उनके मन में यह बात रह रहकर उभर रही है कि जब अण्णा के समर्थन में सिवनी के हजारों हाथ एक साथ खड़े हो सकते हैं तो फिर हम सब मिलकर नैनपुर छिंदवाड़ा ब्राडगेज ओर फोरलने के लिए इस तरह का आंदोलन क्यों नहीं कर सकते? इसका जवाब शायद यही है कि जब भी आंदोलन में भीड़ दिखाई पड़ती है, तब तब अपना लाभ देखकर राजनेता इसका सूत्र अपने हाथों में लेने का प्रयास करते हैं, और आंदोलन अपने आप ही दम तोड़ देता है।