आदिवासियों को छलने
में लगे गौतम थापर . . . 2
प्रतिवर्ष 32 लाख टन कोयला
जलेगा पावर प्लांट में
थापर ग्रुप के लिए
सजेगा रीवा लखनादौन राजमार्ग
रेल्वे में लोडिंग
अनलोडिंग की है समस्या
(ब्यूरो कार्यालय)
घंसौर (साई)। देश
की ख्यातिलब्ध थापर गु्रप की सहयोगी कंपनी झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा सिवनी जिले
की आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के बरेला में डाले जा रहे पावर प्लांट में अनूपपुर
से प्रतिवर्ष 32 लाख टन
कोयला आपूर्ति की जाएगी। वैसे तो कोलकता के दसवीं ओसी गांगुली सारनी, के मेकमेट हाउस की
सातवीं मंजिल में मूल कार्यालय वाले झाबुआ पावर प्लांट ने अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट
में कोयले का परिवहन रेल मार्ग से होना दर्शाया है किन्तु कोयला ब्राडगेज से
जबलपुर आकर फिर नेरो गेज से घंसौर पहंुचता है तो जबलपुर में लोडिंग अनलोडिंग में
कंपनी की जेब ढीली हो जाएगी।
कंपनी की इस
प्रोजेक्ट रिपोर्ट में अनेक तकनीकि पेंच हैं, जिन्हें पूरी तरह से नज़र अन्दाज ही किया गया
है। अव्वल तो यह कि अगर ब्राड गेज से कोयला अनूपपुर से ढुलकर जबलपुर आ भी गया तो
जबलपुर के ब्राड गेज के यार्ड से उसे नेरो गेज के यार्ड तक कैसे लाया जाएगा। या तो
उन्हें ब्राड गेज के यार्ड से नैरो गेज के यार्ड तक लाईन बिछानी पडेगी या फिर ट्रक
के माध्यम से नैरो गेज तक ढोना पडेगा। इतना ही नहीं आने वाले समय में जब बालाघाट
से जबलपुर अमान परिवर्तन का काम आरम्भ हो जाएगा तब नैरो गेज की पटरियां उखाड दी
जाएंगी, एसी
परिस्थिति में फिर कोयला परिवहन का वैकल्पिक साधन बच जाएगा सडक मार्ग। वैसे भी
लोडिंग अनलोडिंग की प्रक्रिया झाबुआ पावर लिमिटेड के लिए काफी खर्चीली और समय की
बरबादी वाली ही होगी।
उधर रेल्वे के
सूत्रों का दावा है कि अवंथा गु्रप द्वारा अपने एक व्यवसायी कम राजनेता मित्र के
माध्यम से रेल्वे पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि जबलपुर से बालाघाट बरास्ता नैनपुर
के रेल खण्ड का अमान परिवर्तन तत्काल जबलपुर के सिरे से आरंभ करवा दिया जाए ताकि
झाबुआ पावर के कोयले के रेक सीधे घंसौर तक पहुंच सकें जिसमें उनका परिवहन व्यय कम
हो सके। इसके लिए जबलपुर से घंसौर तक लाईन तुरंत ही डालने का काम भी आरंभ किया
जाने वाला है।
घंसौर से जबलपुर के
बीच जगह जगह पर स्लीपर भी गिरा दिए गए हैं। रेल्वे बोर्ड की हरी झंडी मिलते ही यह
काम युद्ध स्तर पर जारी हो जाएगा। घंसौर से नैनुपर और बालाघाट तक का काम किस सन तक
पूरा किया जा सकेगा इस मामले मं रेल्वे बोर्ड के सूत्र मौन हैं पर उनका कहना है कि
अवंथा गु्रप के राजनैतिक और व्यवसायी मित्र ने रेल मंत्री पर इस काम को तत्काल
अंजाम देने के लिए दबाव बना दिया है।
सूत्रों ने तो यहां
तक कहा कि इस मामले में मण्डला सिवनी संसदीय क्षेत्र के सांसद बसोरी सिंह मसराम से
भी रेल मंत्री पर दबाव बनवाया गया है, कि उनके संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले
आदिवासी विकासखण्ड मुख्यालय घंसौर को तत्काल ही संभागीय मुख्यालय जबलपुर से रेल से
जोड़ा जाए। घंसौर से नैनपुर तक का रेलखण्ड भी मसराम के संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा
है पर उसके लिए सांसद मसराम ने मौन ही साध रखा है। मसराम ने इस काम को नैनपुर वाले
सिरे से आरंभ करवाने की बात पर भी जोर न दिया जाना आश्चर्यजनक ही माना जाएगा।