शनिवार, 5 अक्टूबर 2013

कलेक्टर व पीआरओ के बीच समन्वय का अभाव

कलेक्टर व पीआरओ के बीच समन्वय का अभाव


(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। लगता है सिवनी में जिला कलेक्टर भरत यादव और जनसंपर्क विभाग के बीच समन्वय का अभाव चल रहा है। आज देर शाम चुनिंदा मीडिया पर्सन्स को जनसंपर्क कार्यालय (220538) से फोन आया कि जिला कलेक्टर पत्रकार वार्ता लेने वाले हैं।
बताया जाता है कि जिला जनसंपर्क कार्यालय से आज कुछ पत्रकारों को देर शाम फोन किया गया कि जिला कलेक्टर आज शाम सात बजे एक पत्रकार वार्ता लेने वाले हैं। यह पत्रकार वार्ता कलेक्ट्रेट के सभा कक्ष में आयोजित की गई थी। पत्रकार सभा कक्ष में सात बजे पहुंचे और वहां इंतजार करतेे रहे।
बताया जाता है कि कुछ देर बात वहां फोन आया कि कलेक्टर भरत यादव द्वारा उनके चेंबर में ही पत्रकार वार्ता ली जा रही है। जब पत्रकार वहां पहुंचे तो पत्रकार वार्ता समाप्ति की ओर थी। मजे की बात यह है कि सभा कक्ष में इंतजार करने वाले पत्रकारों के साथ जनसंपर्क विभाग का एक मुलाजिम भी था।

जब इंतजार करने वाले पत्रकार कलेक्टर के चेंबर में पहुंचे तो वे आवक रहे गए, क्योंकि वहां जनसंपर्क अधिकारी भी मौजूद थीं। वहीं, देश के ख्याति लब्ध इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों को इस पत्रकार वार्ता की जानकारी न दिया जाना भी आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। गौरतलब है कि इसके पहले 29 सितम्बर को मुख्यमंत्री की जन आर्शीवाद यात्रा के बारे में भी जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा चुन चुन कर चुनिंदा पत्रकारों को ही कव्हरेज के लिए आमंत्रित किया गया था।

भाजपा या निर्दलीय के खिलाफ बोलने से क्यों बच रहे बर्रा हवेली के नए सरदार!

भाजपा या निर्दलीय के खिलाफ बोलने से क्यों बच रहे बर्रा हवेली के नए सरदार!

शिवराज चौहान के इलेक्शन एजेंट बने सीईओ जनपद पंचायत धनौरा, प्रियंका दास ने दिए थे निर्देश!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। केवलारी विधानसभा क्षेत्र पर लगभग दो दशकों तक राज करने वाले बर्रा दरबार के नए सरदार भी पूर्ववर्ती सरदार की ही तर्ज पर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ बोलने से गुरेज ही कर रहे हैं। ममला चाहे लखनादौन नगर परिषद् द्वारा आधी रात तक कानफाडू डीजे बजाने का हो, या भाजपा के अनाचार का, हर मामले में बर्रा दरबार के नए सरदार ने मौन ही साधे रखा है।
ज्ञातव्य है कि कुछ दिन पूर्व लखनादौन में नगर परिषद् द्वारा अपने अध्यक्ष के एक वर्ष के कार्यकाल पूरा करने पर मुंबई के कुछ कलाकारों के साथ नागपुर तथा मुंबई की बार बालाओं को नचवाया गया था। इसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की सरेआम धज्जियां उड़ा दी गईं, पर कांग्रेस के महामंत्री रजनीश सिंह ने मौन ही साधे रखा।

सीएम के इलेक्शन एजेंट बने सीईओ धनौरा
मुख्यमंत्री के 29 सितंबर को संपन्न हुए जन अशीर्वाद यात्रा के कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए जनपद पंचायत धनौरा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा शासकीय स्तर पर पत्र लिखकर सरपंच सचिव को ताकीद किया गया था। 27 सितम्बर को सीईओ के हस्ताक्षरों से जारी पत्र क्रमांक 967 / पंचा.सचिव, स्था / ज.प. / 2013 में जनपद पंचायत धनौरा के सरपंच सचिवों को कहा गया है कि रविवार 29 सितम्बर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन आर्शीवाद यात्रा सिवनी जिले के विधानसभा क्षेत्र लखनादौन के ग्राम आदेगांव में सुबह 11 बजे एवं विधानसभा क्षेत्र केवलारी के ग्राम केवलारी में दोपहर एक बजकर तीस मिनिट पर होना सुनिश्चित हुआ है।
पत्र में आगे समस्त सचिव और सरपंचों को सीईओ जनपद पंचायत धनौरा की ओर से निर्देशित किया गया है कि हर सरपंच और सचिव अपनी अपनी ग्राम पंचायत से 150 - 150 ग्रामीण एवं जनप्रतिनिधियों को निर्धारित दिनांक अर्थात 29 सितम्बर को समय पर वाहन सुविधा बनाते हुए अपनी ग्राम पंचायत की संबंधित विधानसभा क्षेत्र में आयोजित जन आर्शीवाद सभा में लेकर स्वयं भी उपस्थित होना सुनिश्चित करते हुए उपस्थित जनप्रतिनिधि एवं ग्रामीणों की जानकारी इस कार्यालय (सीईओ जनपद पंचायत धनौरा) को अवगत कराना सुनिश्चित करें।
इस पत्र की प्रतिलिपि जिला कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत, एसडीएम घंसौर सहित समन्वयक अधिकारी जनपद पंचायत धनौरा को भेजी गई है। समन्वयक अधिकारी को यह भी निर्देशित किया गया है कि वे अपने अपने पंचायत सेक्टर की प्रत्येक ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव को कम से कम 150 - 150 ग्रामीण एवं जनप्रतिनिधियों को संबंधित पंचायत क्षेत्र की विधानसभा क्षेत्र में आयोजित जन आर्शीवाद यात्रा स्थल पर निर्धारित तिथि एवं समय पर लेकर उपस्थिति कराना सुनिश्चित करते हुए सीईओ जनपद के कार्यालय को अवगत कराना सुनिश्चित करें। पत्र में सीईओ जनपद पंचायत धनौरा द्वारा समन्वयक अधिकारी को यह भी निर्देश दिया गया है कि यह उनकी व्यक्तिगत जवाबदेही होगी।

प्रियंका दास ने दिए थे निर्देश!
इस आशय के निर्देश जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रियंका दास द्वारा दिए गए हैं। इस आशय की पुष्टि जनपद पंचायत धनौरा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के उक्त पत्र से हो रही है। इस पत्र में संदर्भ के स्थान पर अंकित किया गया है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सिवनी द्वारा दूरभाष पर दिए गए निर्देश दिनांक 17 सितम्बर। इससे साफ है कि 27 सितम्बर को जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रियंका दास द्वारा सीईओ जनपद पंचायत धनौरा को इस आशय के निर्देश जारी किए गए थे कि वे यह व्यवस्था सुनिश्चित करें कि उनके अधिकार क्षेत्र में हर ग्राम पंचायत से 150 लोग सीएम के प्रोग्राम में शिरकत करें।

रजनीश का मौन आश्चर्यजनक!
इस मामले में केवलारी विधानसभा क्षेत्र के अनेक ग्रामों से भी भीड़ एकत्र की गई है। इस मामले में केवलारी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी रजनीश सिंह ठाकुर अभी तक मौन साधे हुए हैं। कहा जा रहा है कि अगर रजनीश सिंह केवलारी विधानसभा क्षेत्र से किस्मत आजमाने का विचार रख रहे हैं तो उन्हें कम से कम केवलारी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की गलत बातों का विरोध करने का माद्दा रखना होगा। वैसे वे जिला कांग्रेस के महामंत्री हैं, इस नाते उन्हें सिवनी जिले के बारे में भी चिंता करना ही होगा। वस्तुतः इससे उलट, क्षेत्र और जिले में रजनीश सिंह ठाकुर की यह छवि बनती जा रही है कि वे अपने पिता हरवंश सिंह ठाकुर की तरह ही मनराखनलाल बनते जा रहे हैं। वे भाजपा या निर्दलीय प्रत्याशियों की गलत नीतियों का विरोध करने का साहस भी नहीं जुटा पा रहे हैं।

कांग्रेस में पसरा सन्नाटा!

सिवनी जिले में धनौरा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा शिवराज सिंह चौहान के इलेक्शन एजेंट की तरह काम किया जा रहा है, और विपक्ष में बैठी कांग्रेस अभी तक अपना मुंह सिले बैठी है। महज पांच दिन बाद सिवनी में कांग्रेस के आला नेताओं का आगमन होने जा रहा है, और कांग्रेस के विज्ञप्तिवीर भोंपू अभी भी शांत ही हैं। कांग्रेस के नेताओं ने इस संबंध में भी कोई विज्ञप्ति जारी करना मुनासिब नहीं समझा है। मजे की बात तो यह है कि कांग्रेस द्वारा केंद्रीय मंत्रियों और संगठन के आला नेताओं के आगमन की तैयारियों पर भी कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है।

अतिक्रमण निगल गया सड़कों को

अतिक्रमण निगल गया सड़कों को

(शरद खरे)

सिवनी जिले में अतिक्रमण हर तरफ जोर शोर से फैल रहा है। संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधि मौन ही रहकर सब देख सुन रहे हैं। सिवनी शहर के चारों ओर कैंसर के मानिंद, अतिक्रमण पसर चुका है, जिसकी परवाह किसी को नहीं है। शहर की सीमाओं पर चेचक के मानिंद पसरा अतिक्रमण वाकई दुखदायी साबित होता जा रहा है। महाकालेश्वर टेकरी, जनता नगर, झिरिया, हड्डी गोदाम, डूंडा सिवनी, लूघरवाड़ा आदि क्षेत्रों में जिसका मन जहां चाहा वहां उसने अपना आशियाना या दुकान बना ली। धीरे धीरे ये अतिक्रमणकारी इसे अपनी निजी संपत्ति समझने लगते हैं। एक समय के बाद इन्हें विस्थापित करने में जिला प्रशासन की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक जाती हैं।
सिवनी शहर के अंदर भी अतिक्रमण का यही आलम है। दुकानदारों ने सड़कों को सकरा कर दिया है। नगर पालिका परिषद्् के कार्यालय के सामने ही अतिक्रमण का बुरा हाल है। सालों से सरकारी कार्यालयों के आसपास केंटीन के लिए निर्धारित स्थान न होने के चलते चाय पान की गुमटियां भी वर्षों से यहां लग रही हैं। युवा एवं उत्साही जिला कलेक्टर भरत यादव ने सिवनी शहर को अतिक्रमण से मुक्त करवाने का प्रयास किया था, पर उनकी मुहिम को बीच में ही अपरिहार्य कारणों से रोकना पड़ा है। अब एक बार फिर शहर की सड़कें अतिक्रमण से पट गई हैं, जिससे आवागमन प्रभावित हुए बिना नहीं है। इसके बाद मानो नगर पालिका ने अतिक्रमण विरोधी अभियान को तिलांजली ही दे दी है।
1991-92 में तत्कालीन स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर द्वारा प्रदेश में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया था। उस समय भोपाल की सड़कें देखने लायक हुआ करती थीं। भोपाल सहित प्रदेश भर में सड़कों के हाल इस कदर बेहतर हो गए थे कि लोगों ने दिल से बाबू लाल गौर को धन्यवाद दिया था। उस समय सिवनी के तत्कालीन जिला कलेक्टर पुखराज मारू ने सिवनी में डोजर, बुलडोजर का उपयोग कर अतिक्रमण को ढहाया था। उसके बाद सिवनी में सड़कें कुछ हद तक चलने लायक हो पाई थी। शहर की जीवन रेखा, जीएन रोड भी उस समय काफी साफ सुथरी दिखाई पड़ती थी।
उसके पहले नेहरू रोड पर व्यापारियों द्वारा सड़कों पर सामान फैलाए जाने की शिकायतें आम हुआ करती थीं। उस दौर में कोतवाली के पास एक बड़ा वाहन होता था। कोतवाली का यह डग्गा जब नेहरू रोड पर निकलता तो व्यापारी न केवल अपना सामान अंदर कर लिया करते थे, वरन् साईकिलों के उस दौर में, साईकिल तक दुकानों के अंदर हो जाया करती थीं। शनैः शनैः प्रशासन के ढीले रवैए के चलते जिला मुख्यालय में अतिक्रमण एक बार फिर सुरसा की तरह मुंह उठाने लगा है। शहर में अनेक बैंक ऐसे हैं जिनके पास पार्किंग का अभाव है। किराए के भवनों में लग रहे इन बैंक के सामने, वहां आने वालों की भीड़ लगी होती है जिसके चलते आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है।
बड़े जैन मंदिर के बाजू में महाराष्ट्र बैंक के सामने तो सड़क पर खड़े वाहनों के चलते आवागमन दिन में कई बार अवरूद्ध हो जाता है, इसके अलावा कचहरी चौक पर स्टेट बैंक की शाखा के सामने भी यही आलम रहता है। मजे की बात तो यह है कि अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यालय के बाहर मुख्य सड़क पर अतिक्रमण कर साईकल स्टैंड बना दिया गया है जिससे कलेक्टोरेट, सिंधी कॉलोनी और कचहरी जाने आने वालों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। गांधी भवन से पोस्ट ऑफिस तक के हिस्से में सड़कों पर ही वाहन सुधारने का काम धड़ल्ले से होता है। वहीं गांधी भवन से गणेश चौक तक के मार्ग में सड़कों पर भवन निर्माण सामग्री, टेंकर, ट्रेक्टर, डंपर आदि की भीड़ से आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है। कुछ दिन पूर्व दिखावे के लिए ही सही यातायात पुलिस ने सड़कों पर खड़े वाहनों को उठा लिया था, पर यह कार्यवाही भी मात्र दिखावे की ही कार्यवाही साबित हुई।
बारापत्थर क्षेत्र में भी भारी वाहन, डंपर, दस चका से बड़े वाहनों की रेलमपेल भी दुर्घटनाओं को न्योता देती नजर आती है। पता नहीं शहर के नाकों पर यातायात पुलिस के कारिंदे होने के बाद भी ये वाहन शहर के अंदर नो एंट्री वाले समय में कैसे घुस आते हैं? शहर में न जाने कितने बस स्टैंड बन चुके हैं। मुख्य बस स्टैंड, प्राईवेट बस स्टैंड, बरघाट नाका, कचहरी चौक, मिशन स्कूल के सामने, गणेश चौक, सर्किट हाउस, छिंदवाड़ा चौक, शंकर मढ़िया, न जाने कहां कहां, निजी वाहन रूक रूककर सवारी भरते नजर आते हैं। पर इन्हें देखने की फुर्सत यातायात पुलिस के पास शायद नहीं है। शहर में जहां देखो वहां यात्री बस खड़ी दिखाई दे जाती है। ज्यारत नाके के पास, पोस्ट ऑफिस से भैरोगंज पहुंच मार्ग, दलसागर तालाब के मुहाने से हनुमान मंदिर होकर भैरोगंज पहुंच मार्ग आदि स्थानों पर यात्री बस, डम्पर, निजी वाहन यातायात को प्रभावित करते नजर आते हैं। शहरों में सुबह आठ से रात्रि आठ तक भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित है। इसको धता बताकर भारी वाहन, दस चका डंपर आदि यमराज बनकर सड़कों पर बेलगाम दौड़ रहे हैं। नाकों पर तैनात नगर सेना के कर्मी महज दस से बीस रूपए लेकर इन वाहनों को प्रवेश दिलवा रहे हैं, क्या यह सब कुछ आला अधिकारियों से छिपा है? जाहिर है नहीं, पर इसके बाद भी वाहनों के प्रवेश पर अंकुश आखिर क्यों नहीं लग पा रहा है यह शोध का ही विषय है।

जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने की गई प्रभावी पहल को पुनः आरंभ किया जाए, एवं शहर भर में बेतरतीब तरीके से खड़े होने वाहनों को रोकने के लिए यातायात पुलिस को निर्देश दिए जाएं। साथ ही साथ शहर में प्रवेश के समस्त स्थानों पर तैनात पुलिस या नगर सेना के नुमाईंदों को स्पष्ट तौर पर ताकीद किया जाए कि नो एंट्री वाले समय में शहर में प्रतिबंधित वाहनों का प्रवेश रोका जाए।