बुधवार, 5 जून 2013

लिमटी खरे को लेकर की गई टिप्पणी निंदनीय: पुनीत कपूर

लिमटी खरे को लेकर की गई टिप्पणी निंदनीय: पुनीत
कपूर

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। वरिष्ठ पत्रकार लिमटी खरे को लेकर बीते दिवस कही गई बातें बहुत ही अशोभनीय और निंदनीय हैं। लिमटी खरे का नाम सिवनी, मध्य प्रदेश ही नहीं वरन् दिल्ली में भी पत्रकार बिरादरी में बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है। घटिया सोच और मानसिकता के धनी व्यक्तियों द्वारा ही लिमटी खरे जैसे व्यक्तित्व पर कीचड़ उछाले जाने की बात सोची जाती होगी।
उक्ताशय की बात देश के पहले समाचार चेनल आज तकके सिवनी ब्यूरो पुनीत कपूर द्वारा कही गई हैं। पुनीत कपूर ने कहा है कि लिमटी खरे निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार हैं। उन्होंने कहा है कि उन्होंने दिल्ली में अपने करियर के शुरुआती दिनों से लेकर आज तक बीते करीब 6 सालों से लिमटी खरे के साथ जुड़ा रहा हूं, इस दौरान पत्रकारिता को लेकर उनकी निर्भीकता और निष्पक्षता को उन्होंने बहुत करीब से देखा है।

श्री कपूर ने कहा कि सिवनी ही नहीं बल्कि दिल्ली में भी पत्रकार बिरादरी में लिमटी खरे का नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है, उनके खिलाफ इस्तेमाल अशोभनीय भाषा से वे स्वयं भी व्यक्तिगत तौर पर आहत हुए हैं।

कांग्रेस में पसरा हुआ है अजीब सा सन्नाटा

कांग्रेस में पसरा हुआ है अजीब सा सन्नाटा

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर के निधन के उपरांत कांग्रेस के अंदर एक अजीब सा सन्नाटा पसर गया है। कांग्रेस के नेता अब अपने आप को दादा ठाकुर के अभाव में असहाय महसूस कर रहे हैं। दादा ठाकुर के बाद उनके कद या उनके समकक्ष कोई भी नेता सिवनी में नहीं बचा है।
कांग्रेस के अंदर हरवंश सिंह के रहते एक उत्साह का संचार होता था, उसकी कमी आज साफ तौर पर देखने को मिल रही है। कांग्रेस के कार्यकर्ता और जिला स्तर के बड़े नेता भी इस बात को कह रहे हैं कि भले ही हरवंश सिंह को वे लाख भला बुरा कह लेते थे, पर उनके रहते एक सरपरस्ती का भाव अवश्य ही लोगों के मन में रहता था जो आज बुरी तरह खल रहा है।
जिला कांग्रेस के जो नेता प्रदेश के क्षत्रपों से जुड़े हुए हैं उन्हें इस बात से बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ रहा है कि आज हरवंश सिंह कांग्रेस में नहीं हैं, किन्तु हरवंश सिंह से सीधे सीधे जुड़े नेता और उनके बताए अनुसार ही राजनीति करने वाले नेता अब अपने आप को मजबूर ही पा रहे हैं।
कांग्रेस के एक खेमे में तो अब यह चर्चा भी तेज हो गई है कि आने वाले समय में अगर कांग्रेस पर कोई हमला किया जाता है तो उससे कांग्रेस किस रणनीति के तहत निपटेगी? आने वाले समय में सिवनी जिले के सियासी समीकरण इस कदर करवट लेने वाले हैं जिसकी उम्मीद शायद ही किसी ने की होगी।
ज्ञातव्य है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और गुजरे समय की कद्दवर नेत्री सुश्री विमला वर्मा के सक्रिय राजनीति से किनारा करने के उपरांत सिवनी में कांग्रेस की कमान हरवंश सिंह ठाकुर के हाथ में परोक्ष तौर पर आ गई थी। हरवंश सिंह ने सभी गुटों के बीच यहां तक कि विपक्षी दलों के साथ भी गजब का सामंजस्य बिठाया हुआ था।
हर चुनाव में पर्यावेक्षक की नियुक्ति से लेकर टिकिट वितरण, भीतराघात के आरोप आदि को सिवनी से भोपाल होकर दिल्ली तक संभालने का माद्दा हरवंश सिंह के पास ही था। हर स्थिति में हरवंश सिंह द्वारा अपने समर्थकों को बचा लिया जाता रहा है, पर आज कांग्रेस के एक बड़े धड़े के सामने यह संकट आ खड़ा हुआ है कि आखिर वे हाथ थामें तो किसका?
उधर, हरवंश सिंह के सिवनी जिले के गृह ग्राम बर्रा की ओर से भी अभी तक स्पष्ट संकेत कांग्रेस को नहीं मिल पाया है कि हरवंश सिंह का उत्तराधिकारी कौन होगा? कांग्रेस के अंदर चल रही चर्चाओं के अनुसार हरवंश सिंह के सुपुत्र रजनीश सिंह या हरवंश सिंह के अनुज रामजियन सिंह उनके उत्तराधिकारी हो सकते हैं।

ज्ञातव्य है कि गत दिवस सूत्रों के हवाले से हिन्द गजट ने इस बात का संकेत दिया था कि केवलारी विधानसभा के विधायक रहे हरवंश सिंह ठाकुर की राजनैतिक विरासत को उनके पुत्र रजनीश सिंह के स्थान पर उनके अनुज रामजियन सिंह संभालने वाले हैं।

जल जनित रोग और जल गुणवत्ता

जल जनित रोग और जल गुणवत्ता

(लिमटी खरे)

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.ठाकुर ने गर्मी के शबाब पर होने के कारण जल जनित रोगों से निपटने के लिए लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री से रोजना जल गुणवत्ता मानीटरिंग रिपोर्ट नियमित तौर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय भेजने की बात कही गई थी। साथ ही साथ सीएमएचओ ने ईई पीएचई से यह भी कहा था कि वे अपने अधीनस्थों को जिले भर से प्रतिवेदन भेजने पाबंद भी करें।
सीएमओ डॉ.ठाकुर की इस पहल के लिए उन्हें साधुवाद दिया जाना चाहिए, कि कम से कम जल जनित रोगों के लिए उन्होंने संबंधित पीएचई विभाग से सामंजस्य तो बनाया, वरना जिले में सरकारी महकमों में आपस में तालमेल के अभाव में नागरिक नारकीय पीड़ा ही भोगने पर मजबूर हैं।
कहा जाता है कि नब्बे फीसदी बीमारियों की जड़ पानी ही होता है। पानी अगर साफ नहीं है तो पेट संबंधी अनेक बीमारियों के होने का खतरा बरकरार रहता है। वैसे भी सिवनी में पेट के रोग से त्रस्त लोगों की तादाद बहुत ही ज्यादा मानी जा सकती है। जिला चिकित्सालय में ही इस तरह के रोगियों की भरमार रहती है। वैसे भी सिवनी के लोगों को अमीबाईसिस की समस्या से जब चाहे तब दो चार होना ही पड़ता आया है।
जिला मुख्यालय सिवनी में नगर पालिका प्रशासन द्वारा प्रदाय किया जाने वाला पेयजल किसी भी दृष्टिकोण से साफ और सीधे पीने योग्य कतई नहीं माना जा सकता है। इसका कारण सिवनी शहर में लगभग 22 किलोमीटर की दूरी से पानी का शोधन किया जाकर पाईप के माध्यम से यहां लाया जाना ही है।
याद पड़ता है कि एक बार प्रदेश सरकार के तत्कालीन आदिवासी विकास विभाग के राज्य मंत्री और सिवनी जिले के प्रभारी मंत्री जब यहां के दौरे पर आए एवं श्रीवनी फिल्टर प्लांट देखा तो वे गदगद हो गए। पर जैसे ही उन्हें पता चला कि वहां से 22 किलोमीटर का लंबा सफर तय करता है साफ पानी तो वे चकित रह गए।
उस वक्त उनके मुंह से एक ही बात निकली थी कि पीएचई विभाग क्या जादूगर है जो इतना लंबा रास्ता फिल्टर किया गया पानी साफ रख पाएगा? प्रभारी मंत्री ने राजनैतिक दबाव के चलते उस वक्त इस मामले को तूल नहीं दिया वरना श्रीवनी का फिल्टर प्लांट सिवनी शहर के आसपास ही लग चुका होता।
पिछले लगभग दस सालों से प्रदेश में भाजपा सत्ता में है और कांग्रेस विपक्ष में। इस फिल्टर प्लांट के बारे में ना तो भाजपा ने और ना ही कांग्रेस ने ही कोई आवाज उठाई है। कांग्रेस इसलिए चुप है क्योंकि यह उसके शासनकाल में बना था और भाजपा आज कुछ करने की स्थिति में नहीं है।
सालों साल सिवनी को दो वक्त पर्याप्त पानी देने वाली बैनगंगा नदी के लखनवाड़ा तट की हालत जर्जर है। इसके बाद दूसरा स्त्रोत बबरिया भी अपनी दुर्दशा पर आंसू ही बहा रहा है। भूजल विशेषज्ञों ने भी महज तीन साल के अंदर सिवनी में पानी को लेकर मचने वाले कोहराम की ओर इशारा किया है।
जब जिला मुख्यालय में पानी की यह हालत है तो बाकी सुदूर ग्रामीण अंचलों के बारे में कौन और क्या कहे। हो सकता है कि जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर पालिका प्रशासन के आला अधिकारियों के घर फायर ब्रिगेड से पानी की आपूर्ति हो रही हो तो उन्हें जनता के दर्द का पता नहीं हो।
संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव अगर किसी दिन किसी भी वार्ड में जाकर सुबह पानी भरने का नजरा देखें तो उनके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। पीने और निस्तार का पानी भरने के लिए लोगों ने दो से चार फिट के गड्ढे खोदकर रखे हैं जिसमें से वे नगर पालिका के नल के माध्यम से पानी भरते हैं।
बहरहाल, डॉ.ठाकुर की इस पहल की प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने जल की गुणवत्ता के बारे में ना केवल सोचा वरन् उसे सुधारने उस पर नजर रखने के लिए संबंधित लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को ताकीद भी किया। पता नहीं पीएचई विभाग डॉ.ठाकुर के इस निवेदन पर कितना संजीदा होता है।
जिला प्रशासन विशेषकर युवा, उर्जावान एवं संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव से अपेक्षा है कि सीएमएचओ डॉ.ठाकुर की इस पहल को अकारत ना जाने दें। जल की गुणवत्ता के लिए वे पीएचई के साथ ही साथ नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों को भी निर्देश जारी करें।

बारिश का मौसम आने को है। बारिश के मौसम में जल जनित बीमारियों की आशंका सबसे अधिक हुआ करती है। जिला प्रशासन के प्रयासों से अगर सिवनी जिले के निवासियों को साफ पानी मुहैया हो सकेगा तो कम से कम वे मंहगी दवाओं और सिवनी में सरेआम अपने कर्तव्यों के बजाए निजी हितों पर ज्यादा ध्यान रखने वाले भगवान धनवंतरी के वंशजों से बचे रहेगें।