सोमवार, 6 अगस्त 2012

प्रशिक्षित होने के बाद पत्रकारिता नहीं करते एक चौथाई छात्र


प्रशिक्षित होने के बाद पत्रकारिता नहीं करते एक चौथाई छात्र

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। पत्रकारिता पेशे में अपेक्षा के अनुरूप पैसा नहीं मिलने और कामकाज की स्वतंत्रता के अभाव में देश में प्रशिक्षित होने के बाद भी एक चौथाई पत्रकार पत्रकारिता को अपना पेशा नहीं बनाते। मीडिया स्टडीज ग्रुप और जन मीडिया जर्नल ने भारतीय जनसंचार संस्थान के 1984-85 से लेकर 2009-10 शैक्षणिक सत्र के छात्रों की प्रतिक्रिया के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें यह बात निकलकर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय जनसंचार संस्थान से प्रशिक्षित कुल 73.24 प्रतिशत छात्र ही इस पेशे से जुड़े हुए है, जबकि पत्रकारिता के एक चौथाई से अधिक छात्रों का दूसरे क्षेत्रों में पलायन हो चुका है।
जो प्रशिक्षित छात्र अभी मीडिया से जुड़े हुए हैं, उनमें से 32.28 प्रतिशत समाचार पत्र, 25.98 प्रतिशत टेलीविजन, 13.39 प्रतिशत साइबर माध्यम, 8.66 प्रतिशत रेडियो, 7.09 प्रतिशत पत्रिकाओं, 2.88 प्रतिशत विज्ञापन, 5.77 प्रतिशत जनसम्पर्क क्षेत्र में हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि पत्रकारिता से जुड़े काफी संख्या में लोग अपने काम से संतुष्ट नहीं है... इसके कारण इनमें तेजी से नौकरियां बदलने का चलन देखा गया है। सर्वेक्षण में शामिल 24.77 प्रतिशत लोगों ने ही कहा कि वे अपने कामकाज से पूरी तरह से संतुष्ट हैं। 53.21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे मामूली संतुष्ट है जबकि 16.51 प्रतिशत लोग अपने कामकाज से असंतुष्ट हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की माली हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 56.64 प्रतिशत लोगों के पास अपना मकान नहीं है और वे किराए के मकान में रह रहे हैं। 30.97 प्रतिशत मीडियाकर्मियों के पास मकान तो है लेकिन यह उनकी पैत्रिक सम्पत्ति है। 6.19 प्रतिशत मीडियाकर्मियों के पास मध्य आय वर्ग (एमआईजी) मकान हैं वहीं 5.31 प्रतिशत मीडियाकर्मियों के उच्च आय वर्ग (एचआईजी) मकान हैं।
मीडिया स्टडीज ग्रुप के संयोजक अनिल चमड़िया ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़े बड़े सपने लेकर छात्र पत्रकारिता का कोर्स करते हैं। वह इस पेशे में अच्छा पैसा मिलने और लिखने की स्वतंत्रता की उम्मीद के साथ आते हैं। लेकिन यहां आने के बाद उन्हें न तो अच्छा पैसा मिलता है और न ही कामकाज की स्वतंत्रता। इससे असंतुष्ट होकर उनका दूसरे क्षेत्रों में पलायन हो रहा है । इस स्थिति से देश का शीर्ष पत्रकारिता संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।

खतरे के साए में है चव्हाण की कुर्सी


खतरे के साए में है चव्हाण की कुर्सी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। महाराष्ट्र सूबे के निजाम पृथ्वीराज चव्हाण की उल्टी गिनती आरंभ हो चुकी है। किसी भी समय उनकी बिदाई की डुगडुगी बज सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी उन्हें पदच्युत करने के लिए माकूल वक्त के इंतजार में हैं। उधर, चव्हाण अपने पुराने संपर्कों के माध्यम से सोनिया, राहुल और अहमद पटेल को सिद्ध करने की जुगत में लगे हुए हैं।
महाराष्ट्र सूबे में इन दिनों शरद पंवार के नेतृत्व वाली राकांपा चव्हाण के खिलाफ लामबंद हो चुकी है। इसके साथ ही साथ कांग्रेस के सूबाई नेता भी चव्हाण को डाईजेस्ट करने में काफी तकलीफ महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रह चुके चव्हाण के सर पर प्रधानमंत्री का हाथ होने के चलते उन्हें बार बार अभयदान मिलता रहा है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में चव्हाण इन दिनों सोनिया, राहुल और अहमद पटेल के दरबार में बार बार मत्था टेक रहे हैं। उधर, एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों का आरोप है कि चव्हाण की सुस्त चाल के चलते सीएम आफिस में नस्तियों का अंबार लग गया है।
चव्हाण के करीबी सूत्रों का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए चव्हाण द्वारा नस्तियों का निष्पादन भी नहीं किया जा रहा है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साथ चर्चा के दौरान कहा कि पृथ्वीराज चव्हाण और अन्य मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल की तुलना अब आरंभ होने लगी है।
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री रहते हुए विलास राव देशमुख ने 18 अक्टूबर 1999 से 16 जनवरी 2003 के मध्य अपने कार्यकाल में चौदह हजार आठ सौ नस्तियों पर अपनी सही की। दूसरे कार्यकाल में देशमुख ने नवंबर 2004 से दिसंबर 2008 के बीच 41 हजार 6 सौ 45 फाईलें निपटाईं।
वहीं, सुशील कुमार शिंदे ने 18 जनवरी 2003 से 30 अक्टूबर 2004 के मध्य सात हजार नौ सौ 27 नस्तियों को पार लगाया। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के उपरांत पृथ्वीराज चव्हाण ने दिसंबर 2008 से नवंबर 2010 के बीच 15 हजार 101 नस्तियों पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद उनकी कलम खामोश हो गई।
इधर, 10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र सूबे के विधायक चव्हाण के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं। चव्हाण को हटाने हस्ताक्षर अभियान चल चुका है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सोनिया गांधी तक पहुंचे पत्र में 42 विधायकों के हस्ताक्षर हैं।
बताया जाता है कि चव्हाण के खिलाफ चल रहे अभियान को सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार मुकुल वासनिक का वरद हस्त प्राप्त है। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष माणिक राव ठाकरे भी इस मुहिम में सहभागी बताए जा रहे हैं। प्रदेश के प्रभारी महासचिव भी इस बारे में भली भांति जान रहे हैं, कि इन चव्हाण के खिलाफ चमकते इन लट्टुओं को करंट किस बैटरी से मिल रहा है।
सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र के निजाम पृथ्वीराज चव्हाण ने सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल को साध लिया है। संभवतः यही कारण है कि उन्हें कुछ समय के लिए अभयदान मिल गया है। इसी बीच पवार को यह कहते सुना गया है कि चव्हाण को तो जाना ही होगा। यह तय माना जा रहा है कि अगला विधानसभा चुनाव चव्हाण की अगुआई में तो नहीं ही लड़ने वाली है कांग्रेस।

गुरूद्वारे पर हमला: सात की मौत


गुरूद्वारे पर हमला: सात की मौत

(अंकिता रायजादा)

न्यूयार्क (साई)। अमरीका में विसकोन्सिन के एक गुरूद्वारें में रविवार को सवेरे की प्रार्थना के दौरान हुये हमले में सात लोग मारे गए है और २० घायल हो गये हैं। मरने वालों में एक हमलावर भी शामिल है। गोलीबारी की यह घटना विसकोन्सिन के सबसे बड़े शहर मिलवाउकी के ओक क्रीक में स्थानीय समय के अनुसार सवेरे करीब ग्यारह बजे हुई।
मीडिया की खबरों के अनुसार हमले के समय तीन सौ से चार सौ लोग गुरूद्वारे में मौजूद थे। हमलावरों ने बारह बच्चों को बंधक भी बना लिया था। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को इस घटना की जानकारी दी गई। श्री ओबामा ने कहा कि सिख अमरीकी परिवार का हिस्सा हैं।
अमरीका में भारतीय राजदूत निरूपमा राव ने गोलीबारी की इस घटना को अत्यंत दुखद बताते हुए कहा कि भारतीय दूतावास व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् के सम्पर्क में है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक स्थानीय समयानुसार सुबह करीब दस बजे जब ये हमला हुआ तो अफरातफरी मच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कुछ महिलाएं और बच्चे अपनी जान बचाने के लिए अलमारियों में छिप गए।
चार लोग गुरुद्वारे के अंदर और हमलावर समेत तीन लोग बाहर मारे गए। पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि हमलावर ने पहले एक पुलिस अधिकारी को घेरकर कई गोलियां चलाईं। लेकिन कुछ ही देर में एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने हमलावर पर जवाबी फायरिंग की। अधिकारियों के मुताबिक हमलावर मारा गया है।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक गुरुद्वारे पर हमला एक से ज़्यादा बंदूकधारी ने किया था लेकिन पुलिस का मानना है कि वहां एक ही हमलावर मौजूद था। गोलियों से घायल हुए पुलिस अधिकारी समेत दो अन्य लोग भी इस हमले में चोटिल हुए और उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
स्थानीय समाचार चौनलों के मुताबिक हमलावर के घर का पता मिल गया है और पुलिस अपनी टुकड़ी लेकर वहां पहुंच गई है। ये जगह गुरुद्वारे से करीब चार किलोमीटर दूरी पर है। एक बम-निरोधक दस्ता भी वहां भेजा गया है और आसपास की इमारतों को खाली करा दिया गया है।
अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गोलीबारी की इस घटना पर शोक जताया है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी किए गए उनके बयान में उन्होंने कहा है, “मारे गए लोगों के परिजनों और दोस्तों का शोक हम समझते हैं। बयान में कहा गया है कि, “पूजा के स्थान पर हुए इस हमले पर दुख व्यक्त करते हुए हम सिख समुदाय का अमरीका को योगदान याद करना चाहेंगे, ये समुदाय अमरीकी परिवार का ही हिस्सा है।
अमरीका को भारत की राजदूत, निरुपमा राव ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा है कि, “अमरीका के उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन ब्रेनन ने मुझसे बात की और अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा की ओर से शोक व्यक्त किया। एक पत्रकार वार्ता में पुलिस प्रमुख जॉन एडवर्ड्स ने कहा कि वे इस हमले को एक आंतरिक आतंकवादी किस्म की घटनामान रहे हैं और इसकी तहकीकात अब फेडरल ब्यूरो एजंसी यानि एफबीआई को दे दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि वो हमलावर के बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते। हालांकि स्थानीय मीडिया हमलावर को गोरे रंग का एक पुरुष बता रहे हैं। एफबीआई की ओर से जारी एक बयान में भी कोई नए सुराग की चर्चा नहीं है।
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, मिलवाकी के दक्षिण में स्थित ओक क्रीक इलाके में गोलीबारी के समय गुरुद्वारे में 300-400 लोग मौजूद थे। रविवार का दिन होने की वजह से शबद कीर्तन और गुरबाणी सुनने आम दिन के मुकाबले ज्यादा लोग जमा थे। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उन्होंने दो हैंडगन लिए एक हमलावर को गुरुद्वारे में जाते देखा था। मजबूत कद-काठी के गंजे से दिखने वाले गोरे शख्स ने ने टीशर्ट पहन रखी थी।
अचानक सामने आई इस वारदात से इलाके में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंचे एक पुलिस अफसर ने हमलावर को रोकने की कोशिश की मगर गोलीबारी में वह जख्मी हो गया। खबर फैलते ही स्थानीय पुलिस के अलावा एफबीआई और दूसरी एजेंसियों के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। पता चला कि करीब एक दर्जन बच्चों को बंधक बनाया गया है। 5 घंटे की मशक्कत के बाद सुरक्षाकर्मियों ने अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने में सफलता पा ली। दावा किया गया कि हमलावर एक ही था और उसे मार दिया गया है।
स्थानीय चौनलों के मुताबिक हमलावर के घर का पता मिल गया है और पुलिस अपनी टुकड़ी लेकर वहां पहुंच गई है। यह जगह गुरुद्वारे से करीब चार किलोमीटर दूरी पर है। एक बम-निरोधक दस्ता भी वहां भेजा गया है और आसपास की इमारतों को खाली करा दिया गया है।
इस हमले को लकेर दुनियाभर से तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। भारत ने हमले की कड़ी निंदा की है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने गहरा विरोध जाहिर किया है। एसजीपीसी अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ के मुताबिक वह पीएम और अमेरिकी सरकार से अपील करेंगे कि अमेरिका में सिखों को पुख्ता सुरक्षा मुहैया कराई जाए। भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने घटना पर चिंता जताई है। उन्होंने अमेरिका में भारतीय राजदूत निरुपमा राव से घटना की जानकारी ली। राव अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी घटना पर शोक जताया है। अपने संदेश में बराक ओबामा ने कहा,श्विस्कॉन्सिन में हुए हादसे से मैं और मिशल दुखी हैं। इस मुश्किल वक्त में हम उन लोगों के साथ हैं जिनके सगे-संबंधी इस वारदात में मारे गए हैं या फिर जख्मी हुए हैं। सिख अमेरिकी परिवार का हिस्सा हैं और देश की तरक्की में उनका एक अहम योगदान है।श्
इससे पहले 20 जुलाई को कोलोराडो के डेनवर शहर में भी एक सिरफिरे ने सिनेमा हॉल में अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 12 लोगों की जान ले ली थी। सिनेमा हॉल में उस वक्त बैटमैन सीरीज की नई फिल्म श्द डार्क नाइट राइजेजश् का प्रदर्शन चल रहा था।

विवादित मंत्री का त्यागपत्र


विवादित मंत्री का त्यागपत्र

(अनेशा वर्मा)

फरीदाबाद (साई)। हरियाणा के गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा ने कल रात इस्तीफा दे दिया। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ एक पूर्व एयर होस्टेस को आत्महत्या के लिये उकसाने का मामला दर्ज किया था। शनिवार को दिल्ली में आत्महत्या करने वाली २३ वर्षीय गीतिका शर्मा ने कांडा पर आत्महत्या के लिये मजबूर करने का आरोप लगाया था।
उधर, गुड़गांव में अपने निवास पर श्री कांडा ने बताया कि उन्होंने निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिये ही मंत्रिपद से इस्तीफा दिया है। वह हरियाणा के सिरसा से निर्दलीय विधायक हैं। केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने गीतिका की आत्महत्या के बारे में राष्ट्रीय महिला आयोग से रिपोर्ट मांगी है। श्रीमती तीरथ ने बताया कि वह आयोग की रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई करेंगी।

असम में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू जारी


असम में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू जारी

(पुरबालिका हजारिका)

नई दिल्ली (साई)। असम के चिरांग जिले में अनिश्चितकाल का कर्फ्यू जारी है। जिला प्रशासन ने कल चिरांग के बोरतोला में राष्ट्रीय राजमार्ग पर सार्वजनिक बस पर भीड़ के हमले के बाद कर्फ्यू लगा दिया था। इस घटना में तीन लोग घायल हो गए थे। इस बीच कोकराझार और चिरांग जिले से चार शव मिले हैं।
इसके साथ ही असम की हिंसा में मृतकों की संख्या साठ हो गई है। पुलिस ने सार्वजनिक वाहनों पर हमले और अन्य हिंसक गतिविधियों के सिलसिले में ग्यारह लोगों को हिरासत में लिया है। मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के निर्देशानुसार राजस्व मंत्री पृथ्वी माझी के नेतृत्व में मंत्रियों के एक समूह के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्यों का जायजा लेने के लिए जल्द ही पहुंचने की संभावना है।
श्री गोगोई ने मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण किसी की भी मृत्यु न होने पाए। राहत शिविरों में ११७ डॉक्टरों और ऐम्बुलेंस गाड़ियों की टीम रवाना कर दी गई है। अब तक ९४ हजार से ज्यादा लोगों में विभिन्न बीमारियों का पता लगाया जा चुका है। राहत शिविरों में राहत और पुनर्वास कार्यों के जायजे के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक टीम आज असम पहुंच रही है।
असम में ग्वालपाड़ा जिले के गणेशजुली इलाके में कल रात सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में अल्फा के दो कट्टर उग्रवादी मारे गए। पुलिस ने बताया कि सुराग मिलने के बाद असम पुलिस और सेना की संयुक्त कार्रवाई में इन्हें मार गिराया गया। एक घायल उग्रवादी भागने में कामयाब रहा। उसकी धरपकड़ के लिए तलाशी अभियान जारी है।
असम के चिरांग और कोकराझार जिलों में 10 दिनों की शांति के बाद अल्पसंख्यकों और बोडो जनजाति में ताजा हिंसा भड़कने से पांच लोगों की मौत हो गयी जिससे सांप्रदायिक संघर्ष में मरने वालों की संख्या 61 पहुंच गयी है तथा चिरांग में फिर अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया।
पुलिस सूत्रों से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार चिरांग जिले में गोलियों के निशान वाले तीन और कोकराझार जिले में दो शव बरामद किए गए। कोकराझार में एक व्यक्ति के लापता होने की खबर है। हिंसा के पहले दौर सबसे अधिक मार कोकराझार जिले पर ही पड़ी थी और उसमें 56 लोगों की मौत हुई थी।
उधर,, चिरांग के पुलिस अधीक्षक कुमार संजीव कृष्णा ने कहा कि चिरांग जिले के कवातिका गांव में वस्थापित लोगों के लिए बनाए गए शिविर से एक व्यक्ति और उसके दो बेटे कल शाम में बाहर गए थे। आज उनके शव बरामद किए गए। उन्होंने कहा, ‘वे बगैर किसी को सूचना दिए और बिना किसी सुरक्षा के शिविर से बाहर चले गए, तब से उनका अता पता नहीं चल रहा था। आज हमें बारेलांगशू गांव में उनके शव मिले।

उत्तराखण्ड में बाढ़ का तांडव जारी


उत्तराखण्ड में बाढ़ का तांडव जारी

(अर्जुन कुमार)

देहरादून (साई)। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं है। उत्तराखंड में अलकनंदा और यमुना नदियों का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है, लेकिन भागीरथी में पानी का स्तर घटना शुरू हो गया है। रविवार को आई अचानक बाढ़ से हुई तबाही के बाद वहां राहत और बचाव कार्य जोरों पर है।
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कल केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री हरीश रावत के साथ बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। राज्य में बाढ़ से अब तक ३१ लोगों की मौत हो चुकी है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के गोरखपुर संवाददाता ने खबर दी है कि उत्तर प्रदेश में मॉनसून के सक्रिय होने के साथ ही प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभावित जिलों के प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुट गए हैं। राजस्व अधिकारी प्रभावित गांवों में पहुंच गए हैं और बाढ़ के कारण प्रभावित परिवारों को मदद पहुंचा रहे हैं। गोंडा और बाराबंकी में अनेक परिवारों ने तटबंधों पर शरण लेना शुरू कर दिया है।
इन स्थानों पर घाघरा और सरयु नदियां पिछले तीन दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। गोंडा जिले में ३०० गांव पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। चित्रकूट में मंदाकनी नदी ऊफान पर है। कुशीनगर के खड्डा इलाके में बूढ़ी गंढक नदी खतरे के निशान से ऊपर है, लेकिन वहां के जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में बताया है।
हिमाचल प्रदेश में मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात आंशिक रूप से बहाल कर दिया गया है। शुक्रवार की रात को पालचान के निकट व्यास नदी में अचानक बाढ़ आ जाने से इस राजमार्ग को नुकसान पहुंचा है, हालांकि अब भी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है।
इसके साथ ही साथ आईटीबीपी और पुलिस अधिकारियों ने बाढ के कारण तबाह हुए उत्तराखंड में ढह गये मकानों और अन्य जगहों के मलबों से शवों की तलाश का काम जारी रखा। लगातार बारिश और उसके कारण आयी बाढ से राज्य में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढकर 34 हो गयी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तरकाशी जिले में छह लोग अभी तक लापता है। जिला मजिस्ट्रेट आर राजेश कुमार ने कहा कि भारी बारिश के कारण अकेले उत्तरकाशी में 31 लोगों की जान गयी और छह अभी तक लापता है। उत्तरकाशी की उपरी पहाडियों में बादल फटने से शनिवार की सुबह सरकार द्वारा संचालित यूजीवीएन लि के असी गंगा पनबिजली परियोजना के लापता हुए 23 कामगारों को मृत घोषित कर दिया गया है।
कुमार ने कहा, ‘‘हम अब इन 23 लोगों को मृतकों की सूची में शामिल मान रहे हैं।’’ पिछले दो दिनों में भारी वर्षा के कारण यह पर्वतीय राज्य बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। वर्षा के चलते भूस्खलन, बादल फटने और तेज बाढ आयी जिससे मकान नष्ट हो गये और चार धाम की यात्र में शामिल सैकडों तीर्थयात्री फंस गये।
भारी वर्षा के चलते प्राकृतिक आपदा का सबसे अधिक दुष्प्रभाव गढवाल पर पडा है। सरकार ने राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। उत्तराखंड में भारी वर्षा के चलते सेना को भी सतर्क कर दिया गया। शनिवार से हो रही भारी वर्षा के कारण चमोली जिले में तीन लोगों की जान गयी है। सरकार ने राहत एवं बचाव अभियान शुरु किया है तथा प्रभावित लोगों तक खाने के पैकेट पहुंचाये जा रहे हैं। उत्तरकाशी और चमोली जिलों में करीब 250 परिवारों को सुरक्षित स्थलों पर पहुंचा गया है।

लुभा रही है लाड़ली लक्ष्मी योजना


लुभा रही है लाड़ली लक्ष्मी योजना

(सुनील सोनी)

पणजिम (साई)। गोवा सरकार के प्रमुख कार्यक्रम लाडली लक्ष्मी योजना से प्रति वर्ष नौ हजार से भी अधिक लड़कियों को लाभ पहुंचने की संभावना है। राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष में इस योजना के लिए डेढ़ अरब रुपये का प्रावधान किया है। इस योजना के अच्छे प्रतिसाद सामने आ रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि गोवा सरकार ने पिछले महीने लाडली लक्ष्मी योजना की शुरुआत की है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार एक लाख रूपए की राशि उस लड़की के बैंक खाते में जमा कराएगी और शादी के समय ये राशि ब्याज के हिसाब से दिया जाना सुनिश्चित करेगी। ये १८ से ४० वर्ष के बीच के महिलाओं पर लागू होगी। राज्य सरकार का अनुमान है कि इस योजना के अंतर्गत राज्य में होने वाले १० हजार विवाहों में से लगभग साढ़े नौ हजार को इसका लाभ मिलेगा।

ऑलंपिक है पूरे शबाब पर


ऑलंपिक है पूरे शबाब पर

(अभिलाषा जैन)

लंदन (साई)। लंदन ओलिंपिक में बॉक्सिंग के ७५ किलो वर्ग के क्वार्टर फाइनल में आज विजेन्दर सिंह का मुकाबला उज्बेकिस्तान के अब्बोस अताएव से होगा। महिलाओं के ५१ किलो वर्ग में एम. सी. मैरीकॉम क्वार्टर-फाइनल में ट्यूनीशिया की मरौवा रहाली की चुनौती का सामना करेंगी। मैरीकॉम ने कल पहले मैच में पोलैंड की कैरोलीना मिशेलज$ुक को १९-१४ से हराया। ओलिम्पिक की पहली बाउट जीतने पर मैरीकॉम बेहद खुश नजर आईं।
निशानेबाजी की ५० मीटर राइफल थ्री पोजीशन के क्वालिफिकेशन में गगन नारंग और संजीव राजपूत निशाने साधेंगे, जबकि ट्रैप स्पर्धा के दूसरे क्वालीफिकेशन राउंड में मानवजीत सिंह संधु शूटिंग रेंज में उतरेंगे। कल पहले राउण्ड में वह ७० अंकों के साथ २५वें स्थान पर रहे।
एथलेटिक्स में, विकास गौड़ा डिस्कस थ्रो में भारतीय चुनौती पेश करेंगे। कल सौ मीटर फर्राटा दौड़ में जमैका के उसैन बोल्ट ने ९ दशमलव छह तीन सेकेंड के ओलिंपिक रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता। जमैका के ही योहान ब्लेक ने रजत और अमरीका के जस्टिन गैटलिन ने कांस्य पदक जीता। जमैका के असाफा पावेल आठवें और अंतिम स्थान पर रहे। इथोपिया की टिकि गेलाना ने ओलिंपिक रेकार्ड के साथ महिलाओं की मैराथन जीती।
बैडमिंटन में चीन ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी पांच स्वर्ण पदक अपने नाम किए। पुरुष सिंगल्स फाइनल में चीन के लेन डान ने मलेशिया के ली चोंग वेई को हराया। टेनिस में ब्रिटेन के एंडी मरे ने पुरुष सिंगल्स का स्वर्ण पदक जीता। फाइनल में मरे ने रोज$र फैडरर को ६-२, ६-१, ६-४ से हराया। अर्जेन्टीना के हुआन मार्टिन डेल पोत्रो ने सर्बिया के नोवाक जोकोविच को हराकर कांस्य पदक जीता।
कल से शुरू हुई कुश्ती स्पर्धाओं में ईरान के पहलवान ने ५५ किलो ग्रीको रोमन का स्वर्ण पदक जीता। ७४ किलो वर्ग का स्वर्ण पदक रूस के खाते में गया। चीन अब ३० स्वर्ण सहित ६१ पदक लेकर पहले स्थान पर आ गया है। अमरीका २८ स्वर्ण पदकों के साथ दूसरे और ब्रिटेन १६ स्वर्ण पदक लेकर तीसरे स्थान पर है। भारत एक रजत और दो कांस्य पदकों के साथ ४१वें स्थान पर है।

बिना वर्ण के सवर्ण


बिना वर्ण के सवर्ण

(संजय तिवारी)

नई दिल्ली (साई)। भारत में जाति व्यवस्था उतनी ही बड़ी सच्चाई है जितना इसे नकारा जाता है. पिछले सौ डेढ़ सौ सालों में नई विचारधाराओं और नये तरह के पेशों ने इस व्यवस्था को खण्डित करने की कम कोशिश नहीं की है लेकिन यह व्यवस्था विद्यमान है. भले ही पेट के लिए दिमाग का धंधा करनेवाले विद्वान इसे खारिज करते हों लेकिन इसकी अपरिहार्यता इतनी व्यापक है कि इसे पूरी तरह खतुम कर पाना अभी फिलहाल निकट भविष्य में तो बिल्कुल संभव नहीं है. भारत में जाति व्यवस्था तब जटिल स्वरूप अख्तियार कर लेती है जब वह वर्ण के साथ विलय कर लेती है. चार वर्ण और हर वर्ण के अपने गोत्र. उन गोत्र के अलावा वर्ण के साथ जाति का घालमेल. वर्ण और गोत्र का जातियों में विभाजन जाति को एक व्यवस्था बना देता है.
चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र के अपने अपने गोत्र हैं. हर वर्ण के कई कई गोत्र. ऊपरी तौर पर देखने में हमें यह विभाजन दिखता है लेकिन अगर आप गहराई में उतरते हैं यह एक व्यवस्था नजर आती है. आज के समय में हमारी जरूरतों में भले ही यह व्यवस्था उचित न बैएती हो लेकिन इसके व्यवस्था होने से इंकार नहीं किया जा सकता. वर्ण और गोत्र विभाजन में जातियों का समावेश कब और कैसे हो गया, इसे जानने की जरूरत है. कुछ अंग्रेज इतिहासकारों ने ब्रिटिश शासनकाल के दौरान जो अध्ययन किये हैं वे बताते हैं कि जातियों का अस्तित्व बेहद करीब का विकास है. कर्म के आधार पर जातियों का निर्धारण किया गया. जाति को कास्ट शब्द से चिन्हित करने और स्थापित करने का काम भी ब्रिटिश हुक्मरानों ने ही किया. कास्ट शब्द पुर्तगाली के कास्टा शब्द से प्रेरित है जो वास्तव में समाज व्यवस्था थी, कर्म व्यवस्था नहीं. ब्रिटिश हुक्मरानों ने भारत की जाति और वर्ण दोनों को कास्ट से ही परिभाषित करने का परिणाम हुआ कि सौ साल के अंदर ही जाति और वर्ण दोनों ही गाली बन गये. अन्यथा कबीर भी कभी कहते ही थे कि ष्जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान.ष् निश्चित तौर पर कबीर पुर्तगाली कास्टा की बात नहीं कर रहे हैं जो सामाजिक रौब कायम करने के लिए स्थापित की गयी थी.
भारत में इंसान और जानवर ही नहीं पेड़ पौधों की नस्ल को भी आम बोलचाल की भाषा में जाति से ही परिभाषित किया जाता है. यह सोशल हेरारकी नहीं, बल्कि वर्गीकरण के द्वारा सटीक पहचान की एक प्रक्रिया है. कब और कैसे चार वर्णों में ही सारी जातियों को समेट दिया गया यह भी बड़ा सवाल है जिसका जवाब पाने की जरूरत है. एक सवाल और है कि क्या ऐसी जातियां आज भी विद्यमान हैं जो इन चार वर्णों के दायरे में नहीं आती है? देशभर में कुछ जाति व्यवस्थाएं ऐसी भी है जो इन चार वर्णों के दायरे से बाहर है. समूचे उत्तर भारत में पाई जानेवाली कायस्थ जाति वर्ण व्यवस्था के दायरे से बाहर हैं. 1947 के बाद भारत सरकार ने इस जाति को सवर्ण माना है लेकिन यह जाति न तो ब्राह्मण वर्ण में हैं, न क्षत्रिय और न ही वैश्य में. कुछ विद्वानों ने सत् शूद्र नाम से अलग वर्ण निर्धारित करने की कोशिश जरूर की है लेकिन जब खुद सरकार इन्हें सवर्ण मान रही है तो ऐसे दावे अपने आप खारिज हो जाते हैं. कायस्थ समाज के बीच यह बहस बड़ी है कि वे जाति हैं या फिर वर्ण. भारत सरकार उन्हें सिर्फ सवर्ण मानकर इतिश्री कर लेती है लेकिन जातीय अस्मिता सिर्फ सरकार के सवर्ण कह देने से ही साबित नहीं हो जाती. शायद यही कारण है कायस्थ समाज अपने आपको पहले पांचवा वर्ण घोषित करता है उसके बाद जातियों और उपजातियों का वर्गीकरण करता है. यह जाति जो खुद को पांचवा वर्ण मानती है न तो भारतीय जाति व्यवस्था से परे है और न ही इसका आगमन बाहर से हुआ है. फिर आखिर क्या कारण है कि यह वर्ण व्यवस्था से परे है?
कायस्थ समाज की जाति व्यवस्था पर एस ए अस्थाना ने एक अध्ययन किया है. अपने अध्ययन की भूमिका में वे लिखते हैं कि ष्स्मरण करो एक समय था जब आधे से अधिक भारत पर कायस्थों का शासन था। कश्मीर में दुर्लभ बर्धन कायस्थ वंश, काबुल और पंजाब में जयपाल कायस्थ वंश, गुजरात में बल्लभी कायस्थ राजवंश, दक्षिण में चालुक्य कायस्थ राजवंश, उत्तर भारत में देवपाल गौड़ कायस्थ राजवंश तथा मध्य भारत में सतवाहन और परिहार कायस्थ राजवंश सत्ता में रहे हैं। अतरू हम सब उन राजवंशों की संतानें हैं, हम बाबू नने के लिए नहीं, हिन्दुस्तान पर प्रेम, ज्ञान और शौर्य से परिपूर्ण उस हिन्दू संस्कृति की स्थापना के लिए पैदा हुए हैं जिन्होंने हमें जन्म दिया है।ष्
एक घटना का जिक्र करते हुए अस्थाना अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि एक बार स्वामी विवेकानन्द से भी एक सभा में उनसे उनकी जाति पूछी गयी थी. अपनी जाति अथवा वर्ण के बारे में बोलते हुए विवेकानंद ने कहा था ष्मैं उस महापुरुष का वंशधर हूं, जिनके चरण कमलों पर प्रत्येक ब्राह्मण यमाय धर्मराजाय चित्रगुप्ताय वै नमरू का उच्चारण करते हुए पुष्पांजलि प्रदान करता है और जिनके वंशज विशुद्ध रूप से क्षत्रिय हैं। यदि अपनें पुराणों पर विश्वास हो तो, इन समाज सुधारको को जान लेना चाहिए कि मेरी जाति ने पुराने जमानें में अन्य सेवाओं के अतिरिक्त कई शताब्दियों तक आधे भारत पर शासन किया था। यदि मेरी जाति की गणना छोड़ दी जाये, तो भारत की वर्तमान सभ्यता का शेष क्या रहेगा ? अकेले बंगाल में ही मेरी जाति में सबसे बड़े कवि, सबसे बड़े इतिहास वेत्ता, सबसे बड़े दार्शनिक, सबसे बड़े लेखक और सबसे बड़े धर्म प्रचारक हुए हैं। मेरी ही जाति ने वर्तमान समय के सबसे बड़े वैज्ञानिक से भारत वर्ष को विभूषित किया है।
वर्ण व्यवस्था में कायस्थों के स्थान के बारे में विवरण देते हुए वे खुद स्पष्टीकरण देते हुए लिखते हैं कि ष्अक्सर यह प्रश्न उएता रहता है कि चार वर्णों में क्रमशरू ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र में कायस्थ किस वर्ण से संबंधित है। स्पष्ट है कि उपरोक्त चारों वर्णों के खांचे में, कायस्थ कहीं भी फिट नहीं बैठता है। अतरू इस पर तरह-तरह की किंवदंतियां उछलती चली आ रही है। उपरोक्त यक्ष प्रश्न ष्किस वर्ण के कायस्थष् का माकूल जबाब देने का आज समय आ गया है कि सभी चित्रांश बन्धुओं को अपने समाज के बारे में सोचने का अपनी वास्तविक पहचान का ज्ञान होना परम आवश्यक है।ष्
शिव आसरे अस्थाना ने इस संबंध में जो तथ्य जुटाएं है और अध्ययन किया है वे महत्वपूर्ण हैं. अहिल्या कामधेनु संहिता और पद्मपुराण पाताल खण्ड के श्लोकों और साक्ष्यों से वे साबित करते हैं कि कायस्थ सिर्फ जाति नहीं बल्कि पांचवा वर्ण है. नीचे दिये गये उदाहरण देखिए-
ब्राहस्य मुख मसीद बाहु राजन्यरू कृतरू।
उरुतदस्य वैश्य, पद्यायागू शूद्रो अजायतरू।। (अहिल्या कामधेनु संहिता)
अर्थात् नव निर्मित सृष्टि के उचित प्रबन्ध तथा समाज की सुव्यवस्था के लिए श्री ब्रह्मा जी ने अपनें मुख से ब्राह्मण, भुजाओं से क्षत्रिय, उदर से वैश्य तथा चरणों से शूद्र उत्पन्न कर वर्ण चतुष्टय (चार वर्णों) की स्थापना की। सम्पूर्ण प्राणियों के शुभ-अशुभ कार्यों का लेखा-जोखा रखनें व पाप-पुण्य के अनुसार उनके लिये दण्ड या पुरस्कार निश्चित करने का दायित्ंव श्री ब्रह्मा जी ने श्री धर्मराज को सौंपा। कुछ समय उपरान्त श्री धर्मराज जी ने देखा कि प्रजापति के द्वारा निर्मित विश्व के समस्त प्राणियों का लेखा-जोखा रखना अकेले उनके द्वारा सम्भव नहीं है। अतरू धर्मराज जी ने श्री ब्रह्मा जी से निवेदन किया कि श्हे देव! आपके द्वारा उत्पन्न प्राणियों का विस्तार दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। अतरू मुझे एक सहायक की आवश्यकता है। जिसे प्रदान करनें की कृपा करें।
अधिकारेषु लोका नां, नियुक्तोहत्व प्रभो।
सहयेन बिना तंत्र स्याम, शक्तरू कथत्वहम्।। (अहिल्या कामधेनु संहिता)
श्री धर्मराज जी के निवेदन पर विचार हेतु श्री ब्रह्मा जी पुनरू ध्यानस्त हो गये। श्री ब्रह्मा जी एक कल्प तक ध्यान मुद्रा में रहे, योगनिद्रा के अवसान पर कार्तिक शुल्क द्वितीया के शुभ क्षणों में श्री ब्रह्मा जी ने अपने सन्मुख एक श्याम वर्ण, कमल नयन एक पुरूष को देखा, जिसके दाहिने हाथ में लेखनी व पट्टिका तथा बायें हाथ में दवात थी। यही था श्री चित्रगुप्त जी का अवतरण।
सन्निधौ पुरुषं दृष्टवा, श्याम कमल लोचनम्।
लेखनी पट्टिका हस्त, मसी भाजन संयुक्तम्।। (पद्मपुराण-पाताल खण्ड)
इस दिव्य पुरूष का श्याम वर्णी काया, रत्न जटित मुकुटधारी, चमकीले कमल नयन, तीखी भृकुटी, सिर के पीछे तेजोमय प्रभामंडल, घुघराले बाल, प्रशस्त भाल, चन्द्रमा सदृश्य आभा, शंखाकार ग्रीवा, विशाल भुजाएं व उभरी जांघे तथा व्यक्तित्व में अदम्य साहस व पौरूष झलक रहा था। इस तेजस्वी पुरूष को अपने सन्मुख देख ब्रह्मा जी ने पूछा कि आप कौन है? दिव्य पुरूष ने विनम्रतापूर्वक करबद्ध प्रणाम कर कहा कि आपने समाधि में ध्यानस्त होकर मेरा आह्नवान चिन्तन किया, अतरू मैं प्रकट हो गया हूं। मैं आपका ही मानस पुत्र हूं। आप स्वयं ही बताये कि मैं कौन हूं ? कृपया मेरा वर्ण- निरूपण करें तथा स्पष्ट करें कि किस कार्य हेतु आपने मेरा स्मरण किया। इस प्रकार ब्रह्माजी अपने मानस पुत्र को देख कर बहुत हर्षित हुये और कहा कि हे तात! मानव समाज के चारों वर्णों की उत्पत्ति मेरे शरीर के पृथक-पृथक भागों से हुई है, परन्तु तुम्हारी उत्पत्ति मेरी समस्त काया से हुई है इस कारण तुम्हारी जाति कायस्थ होगी।
मम् कायात्स मुत्पन्न, स्थितौ कायोऽभवत्त।
कायस्थ इति तस्याथ, नाम चक्रे पितामहा।। (पद्म पुराण पाताल खण्ड)
काया से प्रकट होनें का तात्पर्य यह है कि समस्त ब्रह्म-सृष्टि में श्री चित्रगुप्त जी की अभिव्यक्ति। अपनें कुशल दिव्य कर्मों से तुम कायस्थ वंश के संस्थापक होंगे। तुम्हें समस्त प्राणि मात्र की देह में अर्न्तयामी रूप से स्थित रहना होगा। जिससे उनकी आंतरिक मनोभावनाएं, विचार व कर्म को समझने में सुविधा हो।
कायेषु तिष्एतति-कायेषु सर्वभूत शरीरेषु।
अन्तर्यामी यथा निष्एतीत।। (पद्य पुराण पाताल खण्ड)
ब्रह्माजी ने नवजात पुत्र को यह भी स्पष्ट किया कि आप की उत्पत्ति हेतु मैने अपने चित्त को एकाग्र कर पूर्ण ध्यान में गुप्त किया था अतरू आपका नाम चित्रगुप्त ही उपयुक्त होगा। आपका वास नगर कोट में रहेगा और आप चण्डी के उपासक होंगे।
चित्रं वचो मायागत्यं, चित्रगुप्त स्मृतो गुरूवेरू।
सगत्वा कोट नगर, चण्डी भजन तत्पररू।। (पद्य पुराण पाताल खण्ड)
अपने इन उदाहरणों के जरिए वे साबित करते हैं कि कायस्थ पांचवा वर्ण है. अगर यह सच है तो कम से कम यह किताब भारत की वर्ण व्यवस्था को बड़ी चुनौती देती है. अभी तक की स्थापित मान्यताओं के उलट यह एक पांचवे वर्ण को सामने लाती है जिसका उल्लेख खुद स्वामी विवेकानन्द ने भी किया है. शिव आसरे अस्थाना मानते हैं कि वे खुद जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं करते हैं लेकिन इसकी उपस्थिति और प्रभाव को खारिज नहीं किया जा सकता.
लेकिन उनके इस अध्ययन से वह सवाल और जटिल हो जाता है जो वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था में घालमेल करता है. कायस्थ वर्ण का अस्तित्व कोई आज का नहीं है. यह हजारों साल पुराना है. उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार से लेकर कश्मीर तक किसी न किसी काल में कायस्थ राजा रहे हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि अयोध्या में रघुवंश से पहले कायस्थों का ही शासन था. अगर पुरातन भारत में इस जाति/वर्ण का स्वर्णिम इतिहास रहा है तो आधुनिक भारत में डॉ राजेन्द्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चंद्र बोस और विवेकानंद इसी वर्ण या जाति व्यवस्था से आते हैं. लेकिन यहां सवाल इन महापुरुषों का जाति निर्धारण करना नहीं है बल्कि उस चुनौती को समझना है जो जाति और वर्ण का घालमेल करता है. जाति के नाम पर नाक भौं सिकोड़नेवाले लोग भले ही तात्विक विवेचन से पहले ही अपना निर्णय कर लें लेकिन शिव आसरे अस्थाना का यह काम निश्चित रूप से भारतीय जाति व्यवस्था को समझने के लिए लिहाज से एक बेहतरीन प्रयास है.
(लेखक विस्फोट डॉट काम के संपादक हैं)

लालकृष्ण आडवाणी का ब्लॉग बम


लालकृष्ण आडवाणी का ब्लॉग बम

(सिद्धार्थ शंकर गौतम)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग के जरिए जो भावी राजनीतिक तस्वीर पेश की है उस पर बवाल मचना तय था। आडवाणी का मानना है कि मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता के दौर को देखते हुए २०१४ के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को १०० सीटें भी नहीं मिलेंगी। यहां तक कि उनकी अपनी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने के आसार नहीं हैं। जहां तक तीसरे मोर्चे की सरकार का सवाल है तो उसको भी आडवाणी ने नकार दिया है। हां, उनका यह मानना जरूर है कि जो भी पार्टी सरकार गठन की स्थिति में होगी उसे बाहरी समर्थन की आवश्यता होगी और ऐसे में कोई भी प्रधानमंत्री पद की कुर्सी को सुशोभित कर सकता है।
आडवाणी के लिखे पर लाख बवाल मचे पर उन्होंने जो कहा है उसे यूहीं नकारा भी नहीं जा सकताद्य यूपीए-२ के वर्तमान कार्यकाल की नाकामयाबियों को देखते हुए और पिछले एक वर्ष में हुए विधानसभा, लोकसभा उपचुनाव के परिणामों का कांग्रेस के खिलाफ जाना इस बात की पुष्टि करता है कि कांग्रेस की राह २०१४ में और कठिन होने वाली हैद्य देशहित से लेकर तमाम आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर फजीहत करवा चुकी यूपीए २ के कर्णधार भी यह बात जानते हैं कि भावी राह उनके लिए कठिन होगी लिहाजा वे तो डैमेज कंट्रोल करने का भरसक प्रयास करेंगे पर मुख्य विपक्षी दल होने के नाते भाजपा को अधिक मेहनत करनी होगीद्य कुछ राजनीतिज्ञों के अनुसार आडवाणी का यह ब्लॉग एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से उनका नाम बाहर करने की खीज भी हो सकता हैद्य हो सकता है मोदी से अपनी नाराजगी को ज़ाहिर न कर सकने की बजाए उन्होंने ब्लॉग का सहारा लिया हो ताकि मोदी की दावेदारी को चुनाव पूर्व ही मद्धम किया जा सकेद्य हालांकि इसकी संभावना कम ही है पर आडवाणी की प्रधानमंत्री बनने की लालसा उनसे जब ८२ वर्ष की उम्र में गांधीनगर के जिम ने डमबल्स उठवा सकती है, भ्रष्टाचार के विरुद्ध रथयात्रा निकलवा सकती है तो मोदी की पीएम इन वेटिंग की संभावनाओं को धूमिल क्यूँ नहीं कर सकती? हालांकि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा वे ही जाने किन्तु आडवाणी ने अपने ब्लॉग में जो लिखा वह हकीकत में भी बदल सकता है पर क्या इससे भाजपा, कांग्रेस समेत तमाम दल इत्तेफाक रखेंगे?
कांग्रेस के कमजोर संगठन व उसकी अगुवाई वाली सरकार की नाकामयाबियों ने भाजपा के समक्ष यह अवसर दिया था कि वह आम जनमानस की नज़रों में खुद को कांग्रेस से बेहतर विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर सकती थी पर पार्टी नेताओं पर प्रधानमंत्री बनने का ऐसा भूत सवार हुआ कि बिना जनाधार वाले उच्च सदन के नेता या अपने गृहप्रदेश को छोड़ दूसरे शासित प्रदेशों से चुनाव मैनेज कर संसद पहुँचने वाले कथित महारथी भी प्रधानमंत्री की रेस में शामिल होकर पार्टी की छवि को जनता की नज़रों में नकारा साबित कर गएद्य वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष का नागपुर पर अत्यधिक रूप से निर्भर होना व गुटबाजी पर लगाम न लगा पाना भी कमजोर नेतृत्व को उजागर कर गयाद्य रही सही कसर अन्ना आंदोलन और बाबा रामदेव के अनशनों ने पूरी कर दीद्य जनता की जिस लड़ाई को मुख्य विपक्षी दल होने के नाते भाजपा को लड़ना चाहिए था, उसे यदि अन्ना और बाबा का सहारा मिले तो यह पार्टी की सबसे बड़ी कमजोरी हैद्य निश्चित रूप से इसका दूरगामी परिणाम देखने को मिलेगाद्य भाजपा को कांग्रेस की कमजोरियों का लाख फायदा मिलता रहे उसके कर्णधार कभी सर उठा कर यह नहीं कह पायेंगे कि हमने जनता की लड़ाई लड़कर सत्ता पाई हैद्य यदि आडवाणी की माने तो भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने से रहा, सच साबित हो सकता हैद्य
साम्प्रदायिकता का चोला व मोदी की प्रधानमंत्री पद हेतु दावेदारी भाजपा को गैर-कांग्रेसी दलों से दूर कर सकती हैद्य हां, जयललिता, नवीन पटनायक, बाल ठाकरे जैसे साथी मोदी का उत्साह तो बढ़ा सकते हैं किन्तु उन्हें प्रधानमंत्री पद तक नहीं पहुंचा सकतेद्य वैसे भी उनकी इस पद हेतु दावेदारी पर यदा-कदा संशय के बादल छाए रहते हैं और ताजा समाचार के अनुसार गडकरी-नीतीश मुलाक़ात के दौरान भाजपा अध्यक्ष ने उन्हें यह विश्वास दिलाया है कि एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद का दावेदार गठबंधन धर्म का निर्वहन कर तय होगाद्य कुल मिलाकर भाजपा में इस कदर दुविधाओं ने घर कर लिया है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी फैसले लेने में स्वयं को असहाय महसूस कर रहा हैद्य पार्टी की नई चिंता का विषय टीम अन्ना का राजनीतिक दल के रूप में परिवर्तित होना है जिसके लिए कहा जा रहा है कि टीम अन्ना यदि सक्रिय राजनीति में आती है तो उसका वोट बैंक भाजपा की कीमत पर बनेगाद्य
जहां तक कांग्रेस की बात है तो उसकी ८ वर्षों की नाकामी के बारे में कहाँ तक लिखा जाए? वाम दल इस लायक नहीं बचे हैं कि उनपर तीसरे मोर्चे का दारोमदार उठाने की नौबत आएद्य बाकी क्षेत्रीय क्षत्रपों में मुलायम, मायावती, ममता, लालू यादव आदि का कांग्रेसी खेमे में आना संभावित है हीद्य तो तीसरे मोर्चे की अगुवाई करेगा कौन? देखा जाए तो तीसरे मोर्चे की संभावना नगण्य ही हैद्य इतना अवश्य है कि चंद्रशेखर, इंद्रकुमार गुजराल, वीपी सिंह, एचडी देवगौड़ा जैसी ही किस्मत किसी की चमक जाए और वह एनडीए या यूपीए का समर्थन लेकर प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने लगेद्य यदि ऐसा हुआ तो यह भाजपा-कांग्रेस दोनों के गाल पर करारा तमाचा होगाद्य आखिर क्षेत्रीय दलों का आधार क्षेत्रीय ही होता है भले की उनकी राजनीतिक ताकत दिल्ली दरबार तक क्यूँ न पहुँच जाए?
नीतीश कुमार का मोदी विरोध इसी रणनीति के तहत है और कांग्रेस के भावी समर्थन के दम पर उनकी छुपी आशंका फलीभूत भी हो सकती है पर नीतीश को कांग्रेस की गोद में बैठने से पहले लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान जैसे नेताओं का हश्र देख लेना चाहिएद्य २०१४ आने में अभी समय है और यह भी संभव है कि लोकसभा के चुनाव तय समय से पूर्व ही हो जाए, अतः सियासी दलों की ओर से जोड़तोड़ की राजनीति का चरण शुरू हो चुका है। इस परिपेक्ष्य में देखें तो आडवाणी आशंका या भविष्यवाणी पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी ही होगा पर राजनीति में अपनी पूरी ज़िन्दगी खपा देने वाले अनुभवी व्यक्ति के व्यक्तिगत विचार को यूँ नकारा भी नहीं जा सकताद्य वैसे भी भावी राजनीति पर वर्तमान में जो प्रश्न-चिन्ह लगा है उसे देखते हुए कुछ भी संभव है।

संघ के कारण हिट हुए थे अण्णा: दिग्विजय सिंह


संघ के कारण हिट हुए थे अण्णा: दिग्विजय सिंह

(विजय सिंह राजपूत)

इंदौर (साई)। अपनी चिरपरिचित शैली में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि अन्ना हजारे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के बिना जीरो हैं। इंदौर दौरे पर आए सिंह ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि अन्ना हजारे के राजनीतिक दल बनाने के फैसले का वह स्वागत करते हैं और उन्हें नया दल बनाए जाने का इंतजार है।
उन्हें आशंका है कि अन्ना हिमाचल, गुजरात व कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन करेंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि संघ के बिना अन्ना जीरो हैं। अन्ना हजारे ने कहा था कि चुनाव में एक उम्मीदवार पर 15 से 20 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। उनकी इस बात का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि इतनी राशि खर्च करने वाले ईमानदार उम्मीदवार अन्ना कहां से लाएंगे।

नेताजी ने कार्यकर्ताओं की दी समन्यव की नसीहत


नेताजी ने कार्यकर्ताओं की दी समन्यव की नसीहत

(दीपांकर श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पार्टी नेताओं को सरकार और आम जनता के बीच पुल का काम करने की सलाह देते हुए कहा कि जनता की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान सुनिश्चित करना चाहिये। मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के जिला एवं महानगर इकाइयों के पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘पार्टी के नेता आम जनता और सरकार के बीच पुल बनकर काम करें तथा आम लोगों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचायें एवं उनके समाधान को प्राथमिकता दें।
सपा मुखिया ने वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिये अभी से जुटकर काम करने की सलाह देते हुए कहा, ‘कार्यकर्ताओं को सरकार की नीतियों को सामने रखकर काम करना होगा और ऐसे किसी भी आचरण से बचना होगा जिससे सरकार और संगठन की छवि बिगड़ती हो।
उन्होंने कहा, ‘जनता के दुरूख दर्द में कार्यकर्ताओं एवं नेताओं की भागीदारी से संगठन को मजबूती मिलती है। उन्हें सरकार की उपलब्धियों की जानकारी होनी चाहिए और उन्हें गांव-गांव, घर-घर तक पहुंचाना चाहिए।यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को आश्वासन दिया, ‘जिन कार्यकर्ताओं ने पांच साल संघर्ष में तकलीफें उठाई हैं उन्हें पूरा सम्मान दिया जायेगा। सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करेगी, मगर उन्हें सार्वजनिक हित के कार्याे को प्राथमिकता देनी होगी ताकि जिस जनता ने पार्टी पर भरोसा करके बहुमत दिया है ,हम उसकी कसौटी पर खरे उतर सकें।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, ‘सरकार और संगठन दोनों के काम-काज में समन्वय जरूरी है, तभी विकास का काम तेजी से हो पायेगा।उन्होंने विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार चुनावों में पार्टी द्वारा जनता से किये गये वादों को तेजी से लागू कर रही है और इसमें पार्टी संगठन का सहयोग जरूरी है।
पार्टी ने अपने दिवंगत राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जनेश्वर मिश्र के 80वें जन्मदिन पर उन्हें याद किया। इस अवसर पर मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव एवं सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों तथा पदाधिकारियों ने स्वर्गीय मिश्र के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए उनके बताये आदर्शाे पर चलने का संकल्प लिया।

बारिश के बीच नदियों ने शुरु किया कहर ढाना


बारिश के बीच नदियों ने शुरु किया कहर ढाना

(सीमा श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश में मानसूनी बारिश के कारण तटीय तथा तराई इलाकों में नदियों ने कहर ढाना शुरु कर दिया है। प्रदेश के प्रभावित इलाकों में सैकडों गांव तथा मजरे बाढ के पानी से घिर गये हैं। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गंगा, रामगंगा, घाघरा, सरयू, शारदा, राप्ती, बूढी राप्ती तथा क्वानो नदियां रौद्र रुप अख्तियार करती जा रही हैं। बाढ तथा कटान के कारण प्रभावित क्षेत्रों से लोगों का पलायन शुरु हो गया है।
घाघरा का जलस्तर एल्गिनब्रिज (बाराबंकी) तथा अयोध्या में लगातार खतरे के निशान से उपर बना हुआ है, जबकि तुर्तीपार (बलिया) में भी वह लाल निशान के नजदीक पहुंच चुका है। शारदा नदी का जलस्तर पलियाकलां (लखीमपुर खीरी) में खतरे के चिह्न से उपर बरकरार है, वहीं बूढी राप्ती भी ककरही (सिद्धार्थनगर) में लाल निशान को पार कर चुकी है। राप्ती नदी काकरधारी (बहराइच), भिनगा (श्रवस्ती) तथा बलरामपुर में जबकि क्वानो चंद्रदीपघाट (गोंडा) में खतरे के निशान के नजदीक पहुंच गयी है।
इस बीच, गोंडा से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिले में घाघरा तथा सरयू नदियां लाल निशान पार कर गयी हैं। घाघरा की बाढ के कारण बहुवनमदार मांझा तथा कमियार ग्राम पंचायतों के 300 से ज्यादा मजरे पानी से घिर गये हैं। प्रभावित लोगों का सुरक्षित स्थानों पर पलायन शुरु हो गया है। मांझा रायपुर तथा परसावल गांव के पास एल्गिन-चरसडी बांध में कटान तेज हो गयी है। कमियार ग्राम पंचायत में करीब 22 ग्राम पंचायतों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है जबकि बहुवनमदार मांझा में करीब 400 मकानों में बाढ का पानी घुस गया है।

जूतों की दुकान से अकूत संपत्ति के मालिक बन गए कांडा


जूतों की दुकान से अकूत संपत्ति के मालिक बन गए कांडा

(अमित कौशल)

नई दिल्ली (साई)। विवादों में आए मंत्री गोपाल कांडा की सफलता की कहानी अपने आप में रोचक ही है। 29 दिसंबर 1965 को जन्मे गोपाल कांडा केवल स्कूल स्तर तक पढ़े हैं। उनके पिता मुरलीधर कांडा एडवोकेट थे तो मां मुन्नी देवी गृहिणी हैं। पिता के देहांत के बाद घर-परिवार की जिम्मेदारी गोपाल कांडा और उनके भाई गोबिंद कांडा के कंधों पर आ गई।
कांडा के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दोनों भाइयों ने जूतों की दुकान खोली। यह वो समय था जब सिरसा शहर में गोपाल कांडा नामक युवक को बहुत कम लोग जानते थे। और जो जानते थे वह भी केवल इतना कि यह युवक अपने छोटे भाई के साथ जूते-चप्पल की दुकान चलाता है। इसके बाद दोनों भाइयों ने जूतो की फैक्ट्री खोल ली। आज वो फैक्ट्री तो नहीं है मगर जूतों का शोरूम आज भी हिसारिया बाजार में है। यही शोरूम आज कांडा बंधुओं का कैंप कार्यालय है।
फिर धीरे-धीरे दोनों राजनीति में आ गए। शुरू में दोनों इनेलो के करीब आए लेकिन जब वहां ज्यादा समय तक दाल नहीं गली तो दोनों भाइयों ने इनेलो छोड़ दी। 1998-99 में गोपाल कांडा गुड़गांव गए और प्रॉपर्टी डीलिंग के कारोबार से जुड़ गए। यह धंधा उन्हें खूब रास आया। एक के बाद एक संपत्ति जोड़कर वह आम से खास आदमी की श्रेणी में पहुंच गए। गोपाल कांडा ने 14 मार्च 2007 को एमडीएलआर एयरलाइंस बनाई। तीन साल घाटा उठाने के बाद डेढ़ साल पहले उन्होंने इसे बंद कर गोवा में कैसिनो खोला।
वैसे गोपाल कांडा खुद को तारा बाबा का अनन्य भक्त बताते हैं और कहते हैं कि उन्हीं की कृपा और आशीर्वाद से वह आज इस मुकाम पर हैं। तारा बाबा सिरसा के ही संत थे। कांडा ने 2004-05 में करोड़ों रुपये खर्च कर तारा बाबा कुटिया का पुनर्निर्माण कराया और उसे धार्मिक स्थल का रूतबा दिला दिया। गोपाल कांडा श्री तारा बाबा चौरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन हैं। उनके भाई गोबिंद कांडा कुटिया के मुख्य सेवक हैं।
सिरसा में रानियां रोड पर तारा बाबा कुटिया से लगती जमीन में कांडा ने अपना आलीशान महल बनवाया है। यह महल देखने में किसी राजा का किला लगता है। इसकी दीवारें इतनी ऊंची हैं कि अंदर क्या चल रहा है, ये कोई देख तक नहीं सकता। कुटिया से लगती जमीन पर कांडा बंधुओं ने इसी सत्र से एमडीके इंटरनेशनल स्कूल भी शुरू किया है। यहां अस्पताल भी बनाया जा रहा है।