जूतों की दुकान से
अकूत संपत्ति के मालिक बन गए कांडा
(अमित कौशल)
नई दिल्ली (साई)।
विवादों में आए मंत्री गोपाल कांडा की सफलता की कहानी अपने आप में रोचक ही है। 29
दिसंबर 1965 को जन्मे गोपाल कांडा केवल स्कूल स्तर तक पढ़े हैं। उनके पिता मुरलीधर
कांडा एडवोकेट थे तो मां मुन्नी देवी गृहिणी हैं। पिता के देहांत के बाद घर-परिवार
की जिम्मेदारी गोपाल कांडा और उनके भाई गोबिंद कांडा के कंधों पर आ गई।
कांडा के करीबी
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दोनों भाइयों ने जूतों की दुकान
खोली। यह वो समय था जब सिरसा शहर में गोपाल कांडा नामक युवक को बहुत कम लोग जानते
थे। और जो जानते थे वह भी केवल इतना कि यह युवक अपने छोटे भाई के साथ जूते-चप्पल
की दुकान चलाता है। इसके बाद दोनों भाइयों ने जूतो की फैक्ट्री खोल ली। आज वो
फैक्ट्री तो नहीं है मगर जूतों का शोरूम आज भी हिसारिया बाजार में है। यही शोरूम
आज कांडा बंधुओं का कैंप कार्यालय है।
फिर धीरे-धीरे
दोनों राजनीति में आ गए। शुरू में दोनों इनेलो के करीब आए लेकिन जब वहां ज्यादा
समय तक दाल नहीं गली तो दोनों भाइयों ने इनेलो छोड़ दी। 1998-99 में गोपाल कांडा
गुड़गांव गए और प्रॉपर्टी डीलिंग के कारोबार से जुड़ गए। यह धंधा उन्हें खूब रास
आया। एक के बाद एक संपत्ति जोड़कर वह आम से खास आदमी की श्रेणी में पहुंच गए। गोपाल
कांडा ने 14 मार्च 2007 को एमडीएलआर एयरलाइंस बनाई। तीन साल घाटा उठाने के बाद डेढ़
साल पहले उन्होंने इसे बंद कर गोवा में कैसिनो खोला।
वैसे गोपाल कांडा
खुद को तारा बाबा का अनन्य भक्त बताते हैं और कहते हैं कि उन्हीं की कृपा और
आशीर्वाद से वह आज इस मुकाम पर हैं। तारा बाबा सिरसा के ही संत थे। कांडा ने
2004-05 में करोड़ों रुपये खर्च कर तारा बाबा कुटिया का पुनर्निर्माण कराया और उसे
धार्मिक स्थल का रूतबा दिला दिया। गोपाल कांडा श्री तारा बाबा चौरिटेबल ट्रस्ट के
चेयरमैन हैं। उनके भाई गोबिंद कांडा कुटिया के मुख्य सेवक हैं।
सिरसा में रानियां
रोड पर तारा बाबा कुटिया से लगती जमीन में कांडा ने अपना आलीशान महल बनवाया है। यह
महल देखने में किसी राजा का किला लगता है। इसकी दीवारें इतनी ऊंची हैं कि अंदर
क्या चल रहा है, ये कोई देख
तक नहीं सकता। कुटिया से लगती जमीन पर कांडा बंधुओं ने इसी सत्र से एमडीके
इंटरनेशनल स्कूल भी शुरू किया है। यहां अस्पताल भी बनाया जा रहा है।
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