बुधवार, 19 दिसंबर 2012

पार्टी के आगे छोटे पड़ते संवैधानिक पद!



पार्टी के आगे छोटे पड़ते संवैधानिक पद!

(लिमटी खरे)

देश में हर समय कहीं ना कहीं चुनाव होते ही रहते हैं कभी लोकसभा, तो कभी विधानसभा, या स्थानीय निकाय, मंडी, पंचायत आदि के चुनाव सतत होते ही रहते हैं। इन चुनावों में नैतिकता को अब महज भाषणों तक ही सीमित कर दिया गया है। राज्यों में पार्टियों के बेनर पोस्टर्स या प्रोग्राम्स के विज्ञापनों में विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के फोटो लगाकर संवैधानिक मर्यादाओं को तार तार किया जा रहा है। एक समय था जब दिल्ली में चरतीलाल गोयल विधानसभा के अध्यक्ष हुआ करते थे, उस दौरान उन्होंने पार्टी के प्रचार आदि कार्यों को तिलांजली देकर संवेधानिक पद की गरिमा बरकरार रखी थी। उसी दौरान विधानसभा उपाध्यक्ष आलोक कुमार को अपने पद से इसलिए त्यागपत्र देना पड़ा था, क्योंकि उपाध्यक्ष रहते हुए वे वकालत कर रहे थे. . .


क्या लोकसभा या विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष किसी दल विशेष के लिए चुनाव प्रचार कर सकते हैं? इस संबंध में कानूनविदों की विभिन्न प्रकार की राय सामने आ रही है। इन संस्थाओं के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को वस्तुतः दल विशेष के लिए चुनाव प्रचार नहीं करना चाहिए।
जिस तरह भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति का चुनाव किसी राजनैतिक दल के सदस्य का ही किया जाता है, किन्तु जब वह शपथ ग्रहण करता है, उसके बाद वह किसी दल विशेष का सदस्य नहीं रह जाता है, फिर वह समूचे राष्ट्र का हो जाता है। ठीक इसी तरह विधानसभा या लोकसभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का चयन किसी दल से ही किया जाता है, पर शपथ ग्रहण के उपरांत वह सदन का नेता होता है।
लोकसभा या विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही पद संवैधानिक होते हैं, इस मान से इन पर आसीन नेताओं को किसी भी तरह के राजनैतिक कार्यक्रमों में शिरकत करने से अपने आप को बचाकर रखना चाहिए। संविधान के जानकारों का मानना है कि इस तरह के संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को किसी दल या राजनीति से उपर ही माना जाता है। अमूमन माना जाता है कि इस तरह के संवैधानिक पदों पर बैठे नेताआंे पर यह जवाबदारी स्वतः ही आ जाती है कि जब तक वे उस पद पर रहंे तब तक वे किसी राजनैतिक पार्टी का चुनाव प्रचार न करें।
इस तरह कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्तियों में वर्ष 2009 में दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष योगानंद शास्त्री ने पिछले दिनांे कांग्रेस के पक्ष में खुलकर प्रचार किया। वहीं दूसरी ओर दिल्ली के ही विधानसभा उपाध्यक्ष अमरीश गौतम भी योगानंद शास्त्री के कंधे से कंधा मिलाकर कांग्रेस के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार में जुटे रहे। जब देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा का यह आलम है तो अन्य प्रदेशों की स्थिति समझी जा सकती है। हाल ही में मध्य प्रदेश में हो रहे मण्डी चुनावों में भी विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की सक्रियता किसी से छिपी नहीं है।
पार्टी के कार्यक्रमों में विधानसभा अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी और विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के फोटो देखकर लगता है मानो संवैधानिक मर्यादाएं तार तार हो चुकी हैं। चूंकि रोहाणी भाजपा के और हरवंश सिंह कांग्रेस के हैं अतः दोनों ही दल एक दूसरे का विरोध करने में अपने आप को सक्षम नहीं पाते हैं। पिछले दिनों हरवंश सिंह ठाकुर ने तो बाकायदा पार्टी के एक प्रोग्राम में सिवनी में शिरकत कर मंच से ‘‘कहां गए कमल नाथ का पुतला जलाने वाले‘‘ तक कहकर परोक्ष रूप से जनमंच को ललकारा था। वस्तुतः देखा जाए तो ईश्वर दास रोहाणी और हरवंश सिंह को नैतिकता के आधार पर कांग्रेस और भाजपा के अधिकृत कार्यक्रमों में जाना ही नहीं चाहिए, किन्तु नैतिकता अब बची ही कहां है?
वैसे तो नैतिकता यही कहती है कि महामहिम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, महामहिम राज्यपाल, लोकसभा एवं विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को राजनैतिक दलों के प्रचार प्रसार से अपने आप को दूर ही रखा जाना चाहिए। 2009 में राजस्थान में चुरू विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी अरूण चतुर्वेदी ने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ.बलराम जाखड़ के फोटो होने पर चुनाव आयोग के समक्ष आपत्ति दर्ज करवाई थी।
सच ही है जब कोई राजनैतिक दल का नेता संवैधानिक पद पर विराजमान हो जाए तो उसे कम से कम उस पद की गरिमा का विशेष ख्याल रखना चाहिए। देश भर में अमूमन हर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल के विधानसभाध्यक्ष अथवा उपाध्यक्षों के फोटो से चुनावी विज्ञापन अटे पड़े हैं। इस तरह संवैघानिक मर्यादाएं भी तार तार हुए बिना नहीं हैं।
याद पड़ता है कि संवैधानिक गरिमाओं को बरकरार रखने के लिए अनेक नेताओं ने निहित और पार्टीगत स्वार्थों को तिलांजली ही दी है। दिल्ली में जब चरतीलाल गोयल विधानसभा के अध्यक्ष हुआ करते थे, उस दौरान उन्होंने पार्टी के प्रचार आदि कार्यों को तिलांजली देकर संवेधानिक पद की गरिमा बरकरार रखी थी। उसी दौरान विधानसभा उपाध्यक्ष आलोक कुमार को अपने पद से इसलिए त्यागपत्र देना पड़ा था, क्योंकि उपाध्यक्ष रहते हुए वे वकालत कर रहे थे।
कानूनविदों के अनुसार लोकसभा और विधानसभाओं के अध्यक्ष पद को संवैधानिक पद का दर्जा दिया गया है। उक्त दोनों ही पद दलगत राजनीति से उपर माने जाते हैं। इसलिए इन पदों पर आसीन व्यक्तियों को पार्टी के क्रियाकलापों और बैठकांे से दूर रहना चाहिए।
जिस तरह राष्ट्रपति (किसी पार्टी के नेता को ही इस पद पर बैठाया जाता है, किन्तु निर्वाचन के उपरान्त वह समूचे देश का प्रमुख होता है) दलगत राजनीति से उपर हो जाता है, उसी तरह लोकसभा या विधानसभा के अध्यक्षों को दलगत राजनीति से उपर ही होना चाहिए। कानून के जानकार यह भी कहते हैं कि अगर पार्टी उन्हें कोई राजनैतिक जवाबदारी देती है, तो वे अपने विवेक के अनुसार पद या जवाबदारी में से एक चुनें, और अगर जवाबदारी चुनते हैं तो पहले पद से त्यागपत्र देकर उक्त कार्य निष्पादित करें।
वर्तमान में कांग्रेस के संकटमोचक प्रणव मुखर्जी देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर विराजमान हैं। आज रायसीना हिल्स से कांग्रेस के लिए संजीवनी जड़ी आने की बातें भी सुनाई दे जाती हैं। प्रणव मुखर्जी जब कांग्रेसनीत संप्रग सरकार में मंत्री थे तब उनके सामने भ्रष्टाचार के अनेक मामले सामने आए। उस वक्त नैतिकता के आधार पर भले ही प्रणव मुखर्जी के सामने देश हित के बजाए पार्टी या सरकार हित प्रमुख रहा होगा, किन्तु आज वे देश के महामहिम हैं, इस नाते उन्हें कांग्रेस से मोह त्यागकर निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार पर वार करते हुए कदम उठाने चाहिए। विडम्बना यह है कि आज भी नैतिकता की बातें नेताओं तो छोड़िए संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के भाषणों तक ही सीमित रह गई हैं।
केंद्र सरकार को एक कानून बनाना चाहिए जिसमें देश के संवैधानिक पदों की गरिमा अक्क्षुण रखने के लिए आदर्श आचरण संहिता को सार्वजनिक तौर पर हर विधानसभा या लोकसभा चुनाव के उपरांत मुनादी पिटवानी चाहिए, ताकि देशवासी भी संवैधानिक पदों पर बैठने वालों पर नियंत्रण रख सकें, और इसकी गरिमा बरकरार रह सके। (साई फीचर्स)

जनसंपर्क की विज्ञापन शाखा एक मजबूरी लाजपत आहूजा या भाजपा की


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 29

जनसंपर्क की विज्ञापन शाखा एक मजबूरी लाजपत आहूजा या भाजपा की

(न्यूज मेकर इंडिया)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश में भले ही अपराधियों, भ्रष्टाचारियों और बलात्कारियों के मामले हर रोज उजागर हो रहे हैं लेकिन विकास और जन कल्याण के क्षेत्र में व्याप्त भारी निराशा के बाद भी भाजपा ने जनसंपर्क विभाग की पीठ पर सवार होकर चुनाव की वैतरणी पार करने की व्यूह रचना की है। इसी के तहत सबसे पहले अखबारों को सरकारी विज्ञापन का चाबुक दिखाकर अपने कब्जे में करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है। जनसंपर्क विभाग के सर्वाधिक रसूखदार और अमीर अपर संचालक लाजपत आहूजा को इसी रणनीति के अंतर्गत हाल ही में विज्ञापन के साथ-साथ समाचार शाखा का प्रभार भी सौंपा गया है।
दरअसल इन्हीं दो शाखाओं में जनसंपर्क विभाग समाहित है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार इस तरह विज्ञापन और समाचार शाखा एक ही अधिकारी के हाथों में सौंपी जा रही है।
यूं तो जनसंपर्क विभाग में कई अपर संचालक हैं, किंतु लाजपत आहूजा भारतीय जनता पार्टी का सर्वाधिक चहेता अधिकारी है। फर्क इतना ही है कि वह भाजपा के कार्यालय दीनदयाल परिसर की बजाय जनसंपर्क संचालनालय में बैठते है। भाजपा सरकार के नौ वर्ष के कार्यकाल में सरकारी विज्ञापन के कुबेर के खजाने की चाबी कमोबेश आहूजा की जेब में ही रही है। पूर्व मुख्य सचिव राकेश साहनी भी इस अधिकारी के साथ बहुत कृपालु थे। फलस्वरूप अघोषित रिश्तों के कारण उनके कार्यकाल में तो इसकी सभी उंगलिया घी में डूबी रहती थीं। सरकारी विज्ञापनों को एक ‘‘काले धंधे’’ में परिवर्तित करने में लाजपत आहूजा का बड़ा योगदान रहा है। सरकारी विज्ञापन के बल पर कई ‘‘नाकुछ’’ तथाकथित बैठकबाज पत्रकारों को करोड़पति बनाने का श्रेय इसी अधिकारी को है। भाजपा को यह अधिकारी इतना रास आ गया है कि जनसंपर्क विभाग चाहे किसी भी मंत्री के पास क्यों न रहा हो, ढे़र सारी शिकायतों के बाद भी कोई उसके अंगदी पैर को विज्ञापन शाखा से एक इंच भी हिला नहीं पाया। पत्रिका अथवा अखबार की 100 प्रतियां छपवाकर 25 से लेकर 50 हजार तक का सरकारी विज्ञापन झटक लेने का गोरखधंधा आहूजा के कार्यकाल में ही पनपा है और अब तो वह पूरे शबाब पर है। लोग आहूजा को जनसंपर्क विभाग में ‘‘लॉ और आर्डर’’ का जनक भी कहते हैं। अब तो हजारों तथाकथित पत्रकार आहूजा की कृपा की ही रोटी खा-पचा रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे लाजपत आहूजा को विज्ञापन और समाचार शाखा का एक साथ प्रभार भाजपा के मुख्यालय में बनी गुप्त रणनीति के तहत सौंपा गया है। समाचार शाखा के प्रभारी अपर संचालक के रूप में आहूजा अब हर दिन निगरानी रखेगा कि किस अखबार ने भाजपा और उसकी सरकार के बारे में क्या तथा कैसा छापा है। यह निश्चित है कि जो अखबार नकारात्मक समाचारों और टिप्पणियों के द्वारा भाजपा सरकार की विफलताओं को जनता के सामने लाने का दुस्साहस करेंगे, उन्हें आहूजा की विज्ञापनी कृपा के लिए निश्चित ही तरसना पड़ेगा। अब आहूजा के जरिये राज्य सरकार का एक ही सूत्र काम करेगा-‘‘भाजपा और उसकी सरकार के भले की बात छापो, अन्यथा रस्ता नापो।‘‘ भविष्य में रात को दिन और स्याह को सफेद बताने वाले अखबारों को ही सरकारी विज्ञापन मिलेंगे, जनसंपर्क विभाग की इस नई प्रशासनिक व्यवस्था ने बड़ी बेशर्मी के साथ यह तय कर दिया है। कांग्रेस इसको भाजपा सरकार द्वारा लादी गई ‘‘अघोषित सेंसरशिप’’ मानती है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री भूरिया ने आगे कहा है कि जनसंपर्क विभाग के बजट में विज्ञापन मद में हर साल जो अरबों का प्रावधान किया जाता है, वह सरकार की योजनाओं और सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए है। जनसंपर्क विभाग इस बजट से यह बुनियादी काम न करते हुए भारतीय जनता पार्टी को चुनावी लाभ पहुंचाने वाले विज्ञापन जारी करके शासकीय धन का आपराधिक दुरूपयोग कर रहा है। दरअसल यह बजट जनसंपर्क विभाग का खुद का न होकर विभिन्न विकास विभागों के प्रचार मद को काटकर जनसंपर्क विभाग को स्व। अर्जुनसिंह के मुख्य मंत्री काल में सौंपा गया बजट है। इस निर्णय के पीछे उद्देश्य यह था कि जनसंपर्क विभाग योजना मूलक प्रचार करेगा, किंतु विज्ञापनों के जरिए ऐसे प्रचार की बजाय अधिकांश बजट मुख्य मंत्री और मंत्रियों तथा भाजपा की छवि सुधारने पर खर्च हो रहा है। (यह समाचार मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति से है)

नपेंगे प्रभात की गणेश परिक्रमा करने वाले



नपेंगे प्रभात की गणेश परिक्रमा करने वाले

प्रभात छेड़ सकते हैं शिव को हटाने मुहिम

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। भाजपा के निवृतमान निजाम प्रभात झा के आसपास रहकर उन्हें सिद्ध करने वाले सरकारी कर्मचारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। भाजपा के आला दर्जे के सूत्रों के अनुसार एसे अफसरान की सूची तैयार करवाई जा रही है जो अपने काम को तवज्जो देने के स्थान पर प्रभात झा की गणेश परिक्रमा कर सरकारी धन का अपव्यय कर रहे थे, एसे सरकारी कर्मचारियों को भी चिन्हित किया जा रहा है जो सेवानिवृति के उपरांत पुर्ननियुक्ति की मलाई चख रहे हैं।
भाजपा के आला दर्जे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रभात झा के कार्यकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनसे बेहद परेशान इसलिए थे, क्योंकि सरकारी कामकाज में कदम कदम पर संगठन हावी हो जाता था। संगठन की सिफारिश पर सरकारी मशीनरी में अफसरों की नियुक्ति पर शिवराज सिंह चौहान को बाध्य होना पड़ता था, जिससे बाद में वे ही सरकारी कर्मचारी सरकार के बजाए संगठन की जी हजूरी में सारा समय बिता देते थे।
भाजपा के एक पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान यह भी कहा कि सत्ता पर संगठन बुरी तरह हावी हो चुका था। आलम यह था कि सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए पाबंद जनसंपर्क महकमा ही संगठन का अघोषित कार्यालय बन गया था। जनसंपर्क विभाग द्वारा शिवराज सिंह चौहान के बजाए संगठन के पदाधिकारियों को ज्यादा तवज्जो देना आरंभ कर दिया गया था।
इतना ही नहीं जनसंपर्क की विज्ञापन एवं अन्य मामलों में अघोषित नीतियों के चलते मीडिया का एक बड़ा वर्ग (भले ही वह बड़ा मीडिया ना हो पर सोशल मीडिया में इस वर्ग की खासी पकड़ है) सरकार से नाराज हो चला था। इसका कारण यह था कि जनसंपर्क विभाग में संगठन के इशारे पर ही विज्ञापन जारी हो रहे थे।
उक्त पदाधिकारी ने बताया कि अनेक बार तो जिलों में विभाग प्रमुखों यहां तक कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक तक की पदस्थापना में संगठन का वीटो चलता था। प्रदेश में बड़े ठेके लेने के मामले में भी सरकार पारदर्शिता इसलिए नहीं अपना पा रही थी क्योंकि राज्य में संगठन से जुड़े बड़े व्यवसाई अपनी टांग इसमें फंसा देते थे। पिछले दिनों संगठन से जुड़े दो पदाधिकारियों की हरकतों के कारण पार्टी को शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ी थी।
उक्त पदाधिकारी ने कहा कि भाजपा से जुड़े दो बड़े बिल्डर्स तो प्रदेश भर में अपना काम पसार चुके हैं। कहा जा रहा है कि वे दोनों ही शिवराज सिंह चौहान के नाम का भरपूर उपयोग अपने व्यापार में कर रहे हैं। इतना ही नहीं उक्त दोनों ही ठेकेदारों द्वारा मीडिया के कुछ कारिंदों के साथ मिलकर शिवराज सिंह चौहान पर ही वार करना आरंभ कर दिया था। कहा जा रहा है कि प्रभात झा के कार्यकाल में संगठन के कुछ तथाकथित मठाधीश पूरी तरह हावी हो चुके थे, यही कारण था कि शिवराज सिंह चौहान की बिदाई की खबरें भी मीडिया में आने लगी थीं।
उक्त पदाधिकारी ने यह भी कहा कि अब प्रभात झा ने अपना नया दांव फेंका है। प्रभात झा ने नरेंद्र सिंह तोमर की ताजपोशी के वक्त अपनी बिदाई के बारे में कहा कि जिस तरह पोखरण विस्फोट की खबर अटल जी ने किसी को लगने नहीं दी उसी तरह उनकी बिदाई की खबर शिवराज सिंह चौहान ने किसी को लगने नहीं दी। अब नरेंद्र सिंह तोमर के अध्यक्ष बनने के साथ ही यह बात भी प्रभात झा की गणेश परिक्रमा करने वाले अफसर फिजां में घोल रहे हैं कि नरेंद्र तोमर ठाकुर हैं और शिवराज सिंह चौहान भी ठाकुर हैं। भाजपा द्वारा प्रदेश में दो ठाकुरों को शीर्ष पद पर बिठाकर आखिर संदेश क्या देना चाहा जा रहा है? माना जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान को हटाने अब प्रभात झा केंद्रीय स्तर पर मुहिम छेड़ सकते हैं।

मुश्किल में पड़ सकते हैं अनेक माननीय


मुश्किल में पड़ सकते हैं अनेक माननीय


(शरद)

नई दिल्ली (साई)। संसद की आचार कमेटी की सिफारिश देश की सबसे बड़ी पंचायत के पंचों के लिए मुश्किल का सबब बन सकती है। पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की कोशिश के तहत संसद की एक कमिटी ने लोकसभा के सभी सदस्यों से अपने कारोबारी हितों की घोषणा करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि ऐसा करने से हितों के टकराव को टालने में मदद मिलेगी।
लोकसभा की आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट में सदन को इस बाबत सुझाव दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि इसका मकसद पारदर्शिता लाना है जो संसदीय लोकतंत्र के कामकाज के लिहाज से महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट के मुताबिक, हितों के टकराव का विषय वित्तीय और गैर वित्तीय दोनों हो सकता है। अनुशंसा के मुताबिक, अगर कोई सदस्य डॉक्टर या वकील जैसे पेशेवर काम में लगा है तो उसे इस बात की जानकारी देनी होगी और उसे सलाह के बदले में मिलने वाले भुगतान का ब्यौरा भी बताना होगा। 

रूपए प्रतीक मामले में सरकार 9 को रखे अपना पक्ष


रूपए प्रतीक मामले में सरकार 9 को रखे अपना पक्ष

(प्रदीप)

नई दिल्ली (साई)। रुपये का सिंबल तय करने की प्रक्रिया में अनियमितताएं बरते जाने का आरोप लगाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी मुरुगेसन व जस्टिस आरएस एंडलॉ की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले में न्यायालय ने केंद्रीय गृह सचिव और सांस्कृतिक मंत्रालय के सचिव को 9 जनवरी को अदालत में पेश होकर जवाब दाखिल करने के लिए समन जारी किया है।
राकेश कुमार सिंह ने अधिवक्ता कमल कुमार पांडेय के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है कि रुपये का चिन्ह तय करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर प्रतियोगिता हुई थी। लोगों में देश प्रेम की भावना जोड़ने के लिए सरकार ने रुपये के प्रतीक चिन्ह का डिजाइन मांगा था। इस प्रतियोगिता में अनियमितताएं बरती गई और सैंकड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए उनके बनाए डिजाइन को दरकिनार किया गया, बल्कि पहले से ही तय डिजाइन को विजेता घोषित करने के लिए सरकार ने तय मापदंडों में भी बदलाव कर दिया। यह पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी आरटीआइ एक्ट का चिन्ह तय करने और राष्ट्रमंडल खेल का चिन्ह तय करने के लिए आयोजित प्रतियोगिताओं में ऐसा ही किया गया था। लिहाजा, देशहित में हाइकोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को निर्देश जारी किए जाएं कि वह इस तरह की सार्वजनिक प्रतियोगिताओं के लिए यूनिफॉर्म गाइडलाइन जारी करे। जिससे भविष्य में देश भावना से जोड़ने वाली इस तरह की प्रतियोगिताओं में धांधलेबाजी न हो।

शशांक शेखर के बारे में मौन है सरकार!


शशांक शेखर के बारे में मौन है सरकार!

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश के पूर्व कबीना सचिव शशांक शेखर सिंह की व्यक्तिगत जानकारियों के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार का खाता मौन है। शशांक शेखर सिंह कहां तक पढ़े हैं, कब पैदा हुए हैं, कब सरकारी नौकरी में आए, इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार के पास कोई दस्तावेज ही उपलब्ध नहीं है!
आरटीआई एक्ट तथा शासकीय अभिलेखों के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश को पत्र लिख कर पूर्व कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के सेवा अभिलेख सम्बंधित मामले की जांच कराने की मांग की है। सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत देवेन्द्र कुमार दीक्षित, लखनऊ द्वारा नियुक्ति विभाग और नागरिक उड्डयन निदेशालय से शशांक शेखर सिंह की जन्मतिथि, शैक्षिक योग्यताओं, तकनीकी योग्यताओं तथा उनकी प्रथम नियुक्ति से अंत तक की चरित्र पंजिका जैसी कई जानकारियाँ मांगी गयी थी।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को विभागीय सूत्रों ने बताया कि इस सम्बन्ध में नागरिक उड्डयन निदेशालय के पत्र दिनांक 16 मई 2012 द्वारा बताया गया कि इनमे से कोई भी सूचना निदेशालय में उपलब्ध नहीं है। नियुक्ति विभाग भी कोई सूचना उपलब्ध नहीं करा सका। इसी बीच 19 अप्रैल 1990 का विशेष सचिव, नियुक्ति तथा कार्मिक, उत्तर प्रदेश शासन को लिखा एक शासकीय अभिलेख सामने आया है जिसमे लिखा है कि कैप्टन शशांक शेखर सिंह से अभी तक उनका बायोडाटा तथा चरित्र पंजिका प्राप्त नहीं हुई है। सिंह को अनुस्मारक करने के लिए आलेख सचिव महोदया के अनुमोदनार्थ प्रस्तुत है।
अनुभाग के इस नोट पर उस समय की नियुक्ति सचिव नीरा यादव, का नोट दिनांक 20 अप्रैल 1990 अंकित है- ‘‘मैंने सिंह से पुनः व्यक्तिगत रूप से अनुरोध कर उनको रिमाइन्ड करा दिया है।‘‘ इन तथ्यों के आधार पर ठाकुर ने कहा है कि यह पूरा प्रकरण अत्यंत संदिग्ध दिखता है और उन्होंने शशांक शेखर के सेवा अभिलेख प्रकरण की तत्काल जांच करा कर उचित कार्यवाही किये जाने की मांग की है। 

योजना आयोग ने दिया आरटीआई में गलत जानकारी


योजना आयोग ने दिया आरटीआई में गलत जानकारी

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद को भेजे गए जानकारी में योजना आयोग द्वारा गलत जानकारी दिया गया . जब गोपाल प्रसाद ने प्राप्त जानकारी पर संदेह व्यक्त करते हुए दोबारा पत्र लिखा तो जनसूचना अधिकारी ने टाईपिंग भूल मानते हुए राशि  के बारे में  नई जानकारी दी , जो पिछले जानकारी से सर्वथा भिन्न था।
आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद ने आरटीआई के तहत योजना आयोग के उपाध्यक्ष डा  मोंटेक सिंह अहलुवालिया के विदेशी यात्राओं के खर्चों की जानकारी मांगी थी . योजना आयोग के उप जन सूचना अधिकारी डा वाई प्रभंजन कुमार यादव द्वारा दिनांक 21 अगस्त 2012 को भेजे गए पत्र  के पत्रांक संख्या आरटीआई -1317/2012- आरटीआई सेल के अनुसार क्रमांक संख्या -33 में  डा  मोंटेक सिंह अहलुवालिया द्वारा 21-29 अप्रैल 2007 के मध्य की गई जापान और चीन की विदेश यात्रा का खर्च एक लाख चार हजार ग्यारह रूपए मात्र दर्शाया गया था।
गोपाल प्रसाद द्वारा जब इस खर्च को पुनः सत्यापित करने का अनुरोध किया गया तब योजना आयोग की अंडर सेक्रेटरी सुनीता बेक ने इसे टाईपिंग भूल मानते हुए खर्च की राशि चार लाख उन्नीस हजार चार सौ बाईस रूपए बताया। इस सन्दर्भ में आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद ने कहा की ष्ऐसे में योजना आयोग के उत्तर एवं आंकड़ों की विश्वसनीयता पर संदेह उठाना स्वाभाविक है।ष्
इसी आरटीआई के  एक अन्य  जानकारी के अनुसार वर्ष 2007-11 के मध्य योजना आयोग के वार्षिक रिपोर्ट हिंदी के छपाई पर पांच लाख सैंतालिस हजार चार सौ सोलह रूपए तथा वार्षिक रिपोर्ट अंग्रेजी  पर सात  लाख सतासी हजार चार सौ इकतालीस रूपए खर्च हुए . बर्ष 2011-12 का खर्च अभी तक उपलब्ध नहीं होने की सूचना योजना आयोग ने अपने जबाब में दिया है। 

कंपनी विधेयक पारित


कंपनी विधेयक पारित

(सुमित माहेश्वरी)

नई दिल्ली (साई)। लोक सभा ने कंपनी विधेयक २०११ पारित कर दिया है। इस विधेयक का उद्देश्य कंपनियों के प्रशासन में सुधार लाना है। इसमें कंपनियों और ऑडिट करने वाली फर्मों के नियमों को मजबूत करने का प्रावधान है। यह विधेयक कल रात लोक सभा में पारित हुआ।
इसमें लाभ कमाने वाली कंपनियों को अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में लाभ का दो प्रतिशत सामुदायिक कल्याण के लिए खर्च करना अनिवार्य होगा। विधेयक पेश करते हुए कॉर्पाेरेट मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने कहा कि यह छोटे निवेशकों को कंपनी धोखाधड़ी से संरक्षण प्रदान करेगा।
सचिन पायलट ने आगे कहा कि ऐसा बिल हमने बनाने की कोशिश करी है, जो आने वाले बहुुत लंबे समय तक हम लोगों एक ऐसा रास्ता बना करके देगा, जहां पर हम गवर्नेंस जो बोलते हैं, ऐतिहासिक तौर पर गवर्नेंस सिर्फ सरकार के तहत देखा जाता था, लेकिन अब कॉर्पाेरेट गवर्नेंस एक ऐसा मुद्दा बना है जो समय से पहले हम लोगों को अडॉप्ट और अपनाना पड़ेगा।

पटिया ढहने से 13 की मौत


पटिया ढहने से 13 की मौत

(विनीता विश्वकर्मा)

पुणे (साई)। महाराष्ट्र में कल पुणे से करीब २० किलोमीटर दूर वघोली में एक निर्माणाधीन भवन का पटिया ढहने से १३ मजदूरों की मृत्यु हो गई। पुलिस और दमकल विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि घटना के समय ये मजदूर एक आयुर्वेदिक कॉलेज के भवन की चौथी मंजिल पर काम कर रहे थे।
दमकल कर्मियों ने मलबे में फंसे एक मजदूर को बचा लिया। पुलिस ने बताया कि भवन निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री की गुणवत्ता की जांच की जा रही है, जिसके बाद इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मारे गए ज्यादातर मजदूर महाराष्ट्र से बाहर के थे और ठेके पर काम कर रहे थे। 
ज्ञातव्य है कि भारतीय संस्कृति दर्शन ट्रस्ट की ओर से एक आयुर्वेदिक पंच कर्म अस्पताल का निर्माण हो रहा है और ये इमारत उसी की है। बताया जाता है कि इमारत की छत का कल काम चल रहा था और उस पर करीब १५ मजदूर थे। अचानक ये छत गिरी और ये मजदूर मलबे में फंस गए। प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार मलबे के नीचे दबे लोगों को बाहर निकालने में काफी दिक्कतें आई। आखिर पुलिस और फायर ब्रिगेड के दल ने १३ शव बाहर निकाले और ११ मृतकों की पहचान हो चुकी है। इस मामले की तहकीकात जारी है।

सुचारु रुप से चलेगी दीपा की इंजीनियरिंग की पढ़ाई


सुचारु रुप से चलेगी दीपा की इंजीनियरिंग की पढ़ाई

(राजीव सक्सेना)

ग्वालियर (साई)। कु. दीपा मिश्रा की इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब सुचारु रुप से जारी रहेगी। प्रदेश सरकार की पहल पर आयोजित हो रही ‘‘जनसुनवाई’’ उनकी सहारा बनी है। कलेक्ट्रेट की ‘‘जनसुनवाई’’ में पहुँचकर दीपा ने कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि से गुहार लगाई थी कि एक निजी कॉलेज में उसके द्वारा जमा की गई फीस वापस दिला दी जाए। हमारा परिवार इंजीनियरिंग की पढ़ाई पर होने वाले भारी भरकम खर्च को वहन करने में सक्षम नहीं है। आंतरी निवासी जयप्रकाश मिश्रा की बिटिया दीपा मिश्रा ने शहर के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में इस साल प्रवेश लिया है। कलेक्टर नरहरि ने दीपा की पढ़ाई के प्रति लगन को देखकर कॉलेज प्रबंधन से चर्चा कर उसकी डिग्री तक की पढ़ाई का इंतजाम करा दिया है।
मंगलवार को हुई जनसुनवाई में कलेक्टर नरहरि ने माधौगंज निवासी एक निःशक्त और आर्थिक रुप से कमजोर बालिका अनीता को ट्राइस्किल एवं आर्थिक सहायता भी दिलवाई। इसी तरह उरवाई गेट क्षेत्र से आए श्याम सुंदर, किलागेट क्षेत्र के प्रवीण, सिंधिया नगर से आए निःशक्त श्यामसुंदर गुप्ता तथा शहर की एक अन्य बस्ती से आई श्रीमती परवीन सहित लगभग एक दर्जन जरुरतमंदों को आर्थिक इमदाद और निःशुल्क इलाज का इंतजाम भी कलेक्टर ने कराया।
जनसुनवाई में इस बार लगभग 150 फरियादी पहुँचे। कलेक्टर नरहरि ने इनमें से लगभग 80 आवेदनों को स्वयं के संज्ञान में दर्ज कराया है। शेष आवेदन विभागीय अधिकारियों को एक हफ्ते में निराकरण करने के लिये सौंपे हैं। जनसुनवाई में अपर कलेक्टर सतेन्द्र सिंह, संयुक्त कलेक्टर अनुराग सक्सेना व श्रीमती विदिशा मुखर्जी एवं डिप्टी कलेक्टर अनुज रोहतगी ने भी जन सामान्य से आवेदन प्राप्त किए। 

जादू एवं कठपुतली के कार्यक्रमों से ग्रामीण


जादू एवं कठपुतली के कार्यक्रमों से ग्रामीण

(एम.के.देशमुख)

बालाघाट (साई)। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत विवाहित दम्पŸिायों को परिवार दो बच्चों तक ही सीमित रखने तथा परिवार नियोजन के लिए नसबंदी आपरेशन कराने प्रेरित करने ग्रामों में जादू-मैजिक शो एवं कठपुतली के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा गोंदिया के मशहूर जादूगर जब्बार भाई को जिले के चयनित ग्रामों में जादू-मैजिक शो एवं कठपुतली के कार्यक्रम करने दिये गये है। जब्बार भाई द्वारा विकासखंड लालबर्रा के ग्राम अमोली, लालबर्रा, मानुपर, पांढरवानी, बघोली, साल्हे, चिचगांव, टेकाड़ी, पाथरसाही, सिहोरा तथा विकासखंड वारासिवनी के ग्राम मुरझड़, वारासिवनी, वारा, डोके, मोहगांव, झालीवाड़ा, कौलीवाड़ा, खापा, मेंहदीवाड़ा, खंडवा, उमरवाड़ा, रामपायली, सोनझरा, बिठली, महदुली, देवगांव, सिकन्द्रा, कोस्ते, कायदी, मदनपुर एवं सावंगी में कठपुतली के कार्यक्रम प्रस्तुत किये जायेंगें। जब्बार भाई को विकासखंड किरनापुर के ग्राम हिर्री, किरनापुर, कनेरी, मुरकुड़ा, बिनोरा, जामड़ी, पानगांव, मुंडेसरा, नक्शी, परसाटोला, टिमकीटोला, मोरवाही, दहेदी, सिवनीखुर्द, साल्हे, पिपरटोला, सीतापार, नंदोरा, बड़ागांव, आमगांव, पाला तथा लांजी विकासखंड के ग्राम लांजी, मानपुर, जुनेवानी, टेकरी, घोटी, पौसेरा, नंदोरा, भानुटोला, बोलेगांव, सुलसुली, खुर्सीटोला, नेवरवाही, देवलगांव, सतोना, कंसुली, सर्रा, बेलगांव, लोड़ामा, बीजागढ़, देवरबेली एवं हर्राडेही में जादू-मैजिक शो प्रस्तुत कर ग्रामीण जनता को नसबंदी आपरेशन कराने के लिए प्रेरित किया जायेगा।

बलराम तालाब योजना में 80 हजार से एक लाख रूपये


बलराम तालाब योजना में 80 हजार से एक लाख रूपये

(वैभव)

दमोह (साई)। मध्यप्रदेश में सुनिश्चित खेती के उद्देश्य से वर्षा के अप्रवाहित जल की अधिकतम मात्रा खेतों में रोककर उससे सिंचाई करने के लिए बलराम तालाब योजना प्रारंभ है। उप संचालक कृषि दमोह नामदेव हेड़ाऊ ने बताया है कि सभी वर्गाे के कृषकों को बलराम तालाब योजना अंतर्गत लाभ देने के प्रावधान निहित किये गये है जिसमें तालाब निर्माण हेतु सामान्य वर्ग के कृषकों के लिए 40 प्रतिशत अनुदान या अधिकतम अनुदान राशि 80 हजार रूपये होगी एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति वर्ग के कृषकों के लिए 75 प्रतिशत या अधिकतम एक लाख रूपये का प्रावधान है।
योजना का लाभ पंजीयन प्रकरणों पर देय होगा। प्रथम आये प्रथम पाये के सिद्धांत पर प्रकरण स्वीकृत होंगे। योजना का प्राक्कलन विभाग की भूमि संरक्षण शाखा के अमले की सहायता से कृषकों द्वारा तैयार कराया जायेगा एवं निर्माण के दौरान तकनीकी परामर्श इसी अमले द्वारा दिया जायेगा। कृषक द्वारा बलराम तालाब निर्माण कार्य का मूल्यांकन सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी द्वारा किया जायेगा। मूल्यांकन के आधार पर ही अनुदान की गणना की जायेगी एवं कृषकों को भुगतान किया जायेगा।
उन्होंने बताया है कि वर्ष 2013-14 में जिले में बलराम तालाब का लक्ष्य निर्धारित किया गया जिसके फलस्वरूप सातों विकास खण्ड में समानुपात से लक्ष्य विभाजन कर भेजे गये हैं। कृषक इस योजना अंतर्गत आवेदन फार्म संबंधित विकासखण्ड कार्यालय भूमि संरक्षण अधिकारी एवं कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से प्राप्त करें। कृषकों से आवेदन 15 फरवरी 2013 तक प्राप्त किये जावेंगे। जिससे प्राप्त आवेदनों की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति माह फरवरी में जारी किये जावेंगे। जिससे रबी की फसल कटने के तुरंत बाद कृषक अपने खेतों में बलराम तालाब का निर्माण कर सकेंगे। इच्छुक कृषक समय-सीमा में आवेदन कर योजना का लाभ प्राप्त करें। योजना में लक्ष्य कम होने के कारण पहले आओ पहले पाओ के सिद्धांत पर अनुदान की पात्रता होगी।

मंडी चुनाव जिले के 5 मंडी क्षेत्रों में 148 अभ्यर्थी मैदान में


मंडी चुनाव जिले के 5 मंडी क्षेत्रों में 148 अभ्यर्थी मैदान में

(संजय कौशल)

नरसिंहपुर (साई)। मंडी आम निर्वाचन 2012 के तहत जिले के 5 मंडी क्षेत्रों नरसिंहपुर, गाडरवारा, करेली, गोटेगांव एवं तेंदूखेड़ा में कृषक प्रतिनिधि, व्यापारी प्रतिनिधि व हम्माल- तुलैया प्रतिनिधि के कुल 50 पदों के लिए 148 अभ्यर्थी मैदान में है। कृषक प्रतिनिधि के 46 पदों के लिए 139, व्यापारी प्रतिनिधि के 3 पदों के लिए 6 और हम्माल- तुलैया प्रतिनिधि के 1 पद के लिए 3 अभ्यर्थी मैदान में है। चार कृषक प्रतिनिधि, दो व्यापारी प्रतिनिधि और चार हम्माल- तुलैया प्रतिनिधि निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। प्रत्येक मंडी क्षेत्र में 10 कृषक प्रतिनिधि, एक व्यापारी प्रतिनिधि एवं एक हम्मालदृ तुलैया प्रतिनिधि समेत 12 प्रतिनिधियों का चुनाव होगा। इस तरह जिले के 5 मंडी क्षेत्रों में कुल 60 पद होंगे, जिनमें से 10 पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ है।
जिले के 5 मंडी क्षेत्रों में 50 कृषक प्रतिनिधि निर्वाचित होंगे, जिनमें से 4 कृषक प्रतिनिधि निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। शेष 46 कृषक प्रतिनिधियों के लिए 139 अभ्यर्थी मैदान में हैं। कृषक प्रतिनिधि के लिए मंडी क्षेत्र नरसिंहपुर में वार्ड क्रमांक 08 बरहटा, गाडरवारा में वार्ड क्रमांक 02 बम्हौरी और करेली में वार्ड क्रमांक 08 आमगांव बड़ा तथा वार्ड क्रमांक 10 सिमरियाकलां से निर्विरोध निर्वाचन हुआ है।
जिले के 5 मंडी क्षेत्रों से 5 व्यापारी प्रतिनिधि होंगे, जिनमें से 2 व्यापारी प्रतिनिधि निर्विरोध निर्वाचित हो चुके है। गाडरवारा एवं तेंदूखेड़ा मंडी क्षेत्र से एक- एक व्यापारी प्रतिनिधि का निर्विरोध निर्वाचन हुआ है। व्यापारी सदस्य के लिए मंडी क्षेत्र नरसिंहपुर के तहत 2 अभ्यर्थी भूपेश कुमार शर्मा व लाल साहब जाट, करेली के तहत 2 अभ्यर्थी अमित एवं मनोज और गोटेगांव के तहत 2 अभ्यर्थी नारायण प्रसाद व सुरेन्द्र कुमार के बीच मुकाबला होगा। इस तरह 3 मंडी क्षेत्रों नरसिंहपुर, करेली एवं गोटेगांव में व्यापारी प्रतिनिधि के लिए चुनाव होगा। इन मंडी क्षेत्रों में 3 व्यापारी प्रतिनिधियों के लिए 6 अभ्यर्थी मैदान में हैं।
जिले के 5 मंडी क्षेत्रों से 5 हम्माल- तुलैया प्रतिनिधि चुने जायेंगे, जिनमें से 4 मंडी क्षेत्रों नरसिंहपुर, करेली, गोटेगांव और तेंदूखेड़ा में हम्माल दृ तुलैया प्रतिनिधि निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। हम्माल- तुलैया प्रतिनिधि के लिए केवल गाडरवारा मंडी क्षेत्र में चुनाव होगा। गाडरवारा मंडी क्षेत्र के तहत हम्माल- तुलैया प्रतिनिधि हेतु 3 अभ्यर्थी पूरनलाल, भोजराज जाटव व मंगल सिंह मैदान में हैं।
कृषक प्रतिनिधि के लिए मंडी समिति क्षेत्र 211- नरसिंहपुर के वार्ड क्रमांक 01- केरपानी से 3 अभ्यर्थी श्रीमती ममता बाई लोधी, श्रीमती लक्ष्मी बाई पटैल व श्रीमती सुनीता बाई लोधी, 02- उमरिया से 3 अभ्यर्थी केहर सिंह ठाकुर, रामचरन ठाकुर व श्यामलाल गौंड़, 03- नयागांव से 2 अभ्यर्थी बसंती व सत्यवती बाई, 04- नरसिंहपुर से 6 अभ्यर्थी अजय प्रताप सिंह पटैल, चेन सिंह लोधी, बैनीसिंह गुमास्ता, विश्वनाथ सिंह गुमास्ता, सपलेन्द्र सिंह जाट व साहब सिंह, 05- निवारी से 3 अभ्यर्थी बसंत झारिया, मोतीलाल व लखनसिंह, 06- डांगीढाना से 3 अभ्यर्थी केशव जाट, मनु किलेदार व महेश कुमार, 07- बहोरीपार से 2 अभ्यर्थी धनीराम व मालक सिंह, 09- मुंगवानी से 3 अभ्यर्थी कमलेश मिश्रा, कैलाश पटैल व रविन्द्र पटैल और 10- गोरखपुर से 3 अभ्यर्थी कमला बाई, रामाबाई ठाकुर व श्रीमती समदाबाई गौंड़ मैदान में हैं, जबकि वार्ड क्रमांक 08- बरहटा से निर्विरोध निर्वाचन हुआ है। इस तरह मंडी क्षेत्र नरसिंहपुर में 9 कृषक प्रतिनिधि पद के निर्वाचन के लिए कुल 28 अभ्यर्थी शेष हैं।
कृषक प्रतिनिधि के लिए मंडी समिति क्षेत्र 212- गाडरवारा के वार्ड क्रमांक 01- सांईखेड़ा से 2 अभ्यर्थी गोविंद प्रसाद व हरि सिंह, 03- पलोहा से 3 अभ्यर्थी चंद्रभान, बाबूलाल दीक्षित व सुजान सिंह गूजर, 04- गाडरवारा से 4 अभ्यर्थी बेजनाथ, मंझा बाई, राजा लाल देवी सिंह व सम्मर सिंह, 05- आमगांव छोटा से 6 अभ्यर्थी गंगाराम, बृजमोहन, रोहित कुमार, विनोद कुमार तिवारी, संतोष व हाकम, 06- बाबई कलां से 2 अभ्यर्थी गयाप्रसाद व छोटेलाल, 07- बारहाबड़ा से 2 अभ्यर्थी कमला बाई व त्रिवेणी बाई, 08- चीचली से 2 अभ्यर्थी मंग्गोबाई व सुषमा बाई, 09- कल्याणपुर से 3 अभ्यर्थी इमरत लाल, नंदकिशोर पालीवाल व भैयाजी और 10- करपगांव से 3 अभ्यर्थी देवी सिंह, देवेन्द्र व धाधू प्रसाद मैदान में हैं, जबकि वार्ड क्रमांक 02- बम्हौरी से निर्विरोध निर्वाचन हुआ है। इस तरह मंडी क्षेत्र गाडरवारा में 9 कृषक प्रतिनिधि पद के निर्वाचन के लिए कुल 27 अभ्यर्थी शेष हैं।
कृषक प्रतिनिधि के लिए मंडी समिति क्षेत्र 213- करेली के वार्ड क्रमांक 01- बम्हनी से 3 अभ्यर्थी धनुष कुमारी, पार्वती बाई व मुलाम बाई, 02- रीछई से 3 अभ्यर्थी धनसिंह, पूरन व शरद, 03- हिरनपुर से 2 अभ्यर्थी मथुराबाई व सावित्री बाई, 04- बरमानकलां से 4 अभ्यर्थी कुमेर सिंह, राव नेतराज सिंह, भगवान व सत्येन्द्र, 05- रांकई-पिपरिया से 2 अभ्यर्थी जुम्मी बी व लक्ष्मीबाई, 06- करेली से 2 अभ्यर्थी राजा राम व मो. समद, 07- भुगवारा से 2 अभ्यर्थी कृष्णकुमार व संतोष और 09- बारहाछोटा से 2 अभ्यर्थी मातवर सिंह व संतोष और मैदान में हैं, जबकि वार्ड क्रमांक 08- आमगांव बड़ा तथा 10- सिमरिया कलां से निर्विरोध निर्वाचन हुआ है। इस तरह मंडी क्षेत्र करेली में 8 कृषक प्रतिनिधि पद के निर्वाचन के लिए कुल 20 अभ्यर्थी शेष हैं।                          
कृषक प्रतिनिधि के लिए मंडी समिति क्षेत्र 214- गोटेगांव के वार्ड क्रमांक 01- बढ़ैयाखेड़ा से 4 अभ्यर्थी दीपा बाई, प्रभाबाई लोधी, बेटीबाई व लक्ष्मीबाई, 02- कमोद से 3 अभ्यर्थी करन गौड, नवलकिशोर उर्फ गवलकिशोर व प्यारेलाल/ सुम्मा, 03- खमरिया से 3 अभ्यर्थी चमेली बाई, चंदाबाई उर्फ चंद्राबाई व रूकमणीबाई, 04- कुकलाह से 3 अभ्यर्थी नीमाबाई, सुमंत्राबाई व त्रिवेणी, 05- गोटेगांव से 4 अभ्यर्थी नरेन्द्र सिंह/ भूपत सिंह, राजकुमार पटैल, शरदनारायण/ मोहन सिंह व हरिराम, 06- करकबेल से 4 अभ्यर्थी तुलसाबाई, दुर्गाबाई, प्यारीबाई व शीलाबाई, 07- देवनगर-पुराना से 6 अभ्यर्थी अंजनी बाई, गनेशीबाई, मीराबाई, मुन्नीबाई, लक्ष्मीबाई व श्यामबाई/ कुसुमबाई, 08- बगासपुर से 2 अभ्यर्थी अरसद मोहम्मद व महेश/ छत्रर कुर्मी, 09- श्रीनगर से 4 अभ्यर्थी गोविन्द सिंह, चंदगुप्ता उर्फ चंद्रगुप्त, नेमचंद/ हुकुमचंद व हाकम सिंह/ रूपसिंह और 10- उमरिया से 5 अभ्यर्थी कालूराम/ कढ़ोरीलाल, गोपाल, डेलनसिंह/ कोदूलाल, पूरन चौधरी व मैथिलीशरण पाण्डेय मैदान में हैं। इस तरह मंडी क्षेत्र गोटेगांव में 10 कृषक प्रतिनिधि पद के निर्वाचन के लिए कुल 38 अभ्यर्थी शेष हैं।
कृषक प्रतिनिधि के लिए मंडी समिति क्षेत्र 215- तेंदूखेड़ा के वार्ड क्रमांक 01- तेंदूखेड़ा से 4 अभ्यर्थी कीरत सिंह, बलराम पटैल, राजू व रामजी गौंड़, 02- बिलहरा से 2 अभ्यर्थी श्रीमती उर्मिलाबाई व दशोदाबाई, 03- भामा से 2 अभ्यर्थी ममताबाई व सरजूबाई, 04- डोभी से 2 अभ्यर्थी रामेश्वर पटैल व विश्वनाथ सिंह, 05- चांवरपाठा से 3 अभ्यर्थी ओंकार प्रसाद, श्यामलाल व सीताराम, 06- कौंड़िया से 2 अभ्यर्थी अनूप कुमार व राजेश/ मोहनलाल, 07- बोहानी से 3 अभ्यर्थी कुंवर शैलेश सिंह, नर्मदीप्रसाद व राजेश, 08- सिहोरा से 3 अभ्यर्थी रमेश कुमार, सुदर्शन पेठिया/ घनश्यामदास व संतोष कुमार/ खेमकरनदास, 09- भौंरझिर से 3 अभ्यर्थी मुन्नालाल/ दल्ला, यशवंत सिंह जूदेव व हेमराज और 10- मड़ेसुर से 2 अभ्यर्थी क्रांतिबाई व शीलाबाई मैदान में हैं। इस तरह मंडी क्षेत्र तेंदूखेड़ा में 10 कृषक प्रतिनिधि पद के निर्वाचन के लिए कुल 26 अभ्यर्थी शेष हैं।