शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2012

कृष्णा की हो गई बिदाई

कृष्णा की हो गई बिदाई

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र सरकार के संभावित मंत्रीमण्डल फेरबदल की अब तैयारियां मुकम्मल हो गई हैं। केंद्रीय विदेश मंत्री सोमनहल्ली मलैया कृष्णा की बिदाई की खबरों के साथ अब मंत्रियों की धड़कने भी बढ़ गई हैं। पता नहीं किसे रविवार को अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका यह इस्तीफा केंद्रीय मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल से ठीक पहले आया है। खबर है कि रविवार को मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है। इस्तीफे के कारणों का अभी पता नहीं चला है लेकिन माना जा रहा है कि रविवार को होने वाले फेरबदल में उन्हें पद से हटाया जा सकता था।
कांग्रेस पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक कृष्णा को कर्नाटक कांग्रेस में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। कृष्णा वोक्कालिगा हैं जो प्रदेश के जातिगत समीकरणों के लिहाज से खासी ताकतवर जाति मानी जाती है। कृष्णा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस में उनकी भूमिका पार्टी के लिए खासी अहम साबित हो सकती है।
कृष्णा के अलावा अब और भी मंत्रियों के पर कतरने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। इस बार के मंत्रीमण्डल विस्तर में राहुल की छाया दिखने की उम्मीद जताई जा रही है। राहुल गांधी द्वारा मनमोहन सिंह को सर बोला जाएगा या नहीं यह बात अभी भविष्य के गर्भ में ही है।

छिंदवाड़ा नैनपुर ब्राडगेज पर मंदी का ग्रहण!


छिंदवाड़ा नैनपुर ब्राडगेज पर मंदी का ग्रहण!

भारतीय रेल के नक्शे से गायब हो जाएगी मोगली की कर्मभूमि

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रसिद्ध ब्रितानी घुमंतू और पत्रकार रूडयार्ड किपलिंग की जंगल बुकके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हीरो मोगलीकी कर्मभूमि एवं सनातन पंथी हिन्दु धर्म के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती की जन्मभूमि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले को एक बार फिर छलने की तैयारी पूरी हो चुकी है। ब्राडगेज के नाम पर सालों से झुनझुना बजाने वाले जनसेवकों की अनदेखी से अब रेल्वे की मंदी की मार छिंदवाड़ा से बरास्ता सिवनी, नैनपुर नेरोगेज के अमान परिवर्तन पर पड़ने वाली है।
वित्त मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जनसेवकों, नौकरशाहों की विलासिता से देश का खजाना खाली हो रहा है। वित्त मंत्रालय की बार बार की फिजूलखर्ची रोकने की चेतावनियां भी फिजूलखर्ची रोकने में नाकायमयाब ही साबित हो रही हैं। मजबूरी में अब वित्त मंत्रालय को विकास की योजनाओं को रोकने की कवायद करनी पड़ रही है।
उधर, रेल्वे बोर्ड के एक उच्चाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि भारतीय रेल की उन परियोजनाओं को जिनकी घोषणा तो हो गई है पर उन पर काम आरंभ नहीं हुआ है, की समीक्षा कर उन नस्तियों को बंद करने का मशविरा वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने रेल मंत्री को दिया है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि पिछले साल एक अप्रेल को आरंभ हुए वित्तीय वर्ष तक भारतीय रेल की 304 परियोजनाएं लंबित पड़ी हुई हैं। इन परियोजनाओं को अगर आज की दर से अमली जामा पहनाया जाए तो इनमें लगभग सवा लाख करोड़ रूपयों की वित्तीय इमदाद आवश्यक होगी।
उल्लेखनीय होगा कि भारत के महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी पिछले साल रेल्वे की परियोजनाओं में देरी के लिए भारतीय रेल को आड़े हाथों लिया था। कैग ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि चार दर्जन से ज्यादा नई रेल लाईन और लगभग दो दर्जन अमान परिवर्तन में सर्वेक्षण का काम ही दस साल से ज्यादा समय से लंबित पड़ा हुआ है। इन परियोजनाओं में अब तक लगभग दस हजार करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं, पर इन परियोजनाओं के पूरा होने पर से कुहासा अभी छट नहीं सका है।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में ब्रितानी हुकूमत के दरम्यान बिछाई गई नैरोगेज रेल की पातों को ब्राडगेज में तब्दील करवाने के लिए सालों साल जनता ने मांग की है, किन्तु विडम्बना यह है कि इस रेल लाईन के अमान परिवर्तन के लिए अब तक के किसी भी सांसद ने (सिवनी संसदीय क्षेत्र के) इस मामले को लोकसभा में नहीं उठाया है, जो आश्चर्य जनक ही माना जा रहा है।
यहां उल्लेखनीय होगा कि छत्तीसगढ़ के कैबनेट मंत्री और बिलासपुर के तत्कालीन सांसद पुन्नू लाल माहोले 25 अगस्त 2005 को (छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के उपरांत) लोकसभा में अतरांकित प्रश्न क्रमांक 4502 के माध्यम से रेल मंत्रालय से यह प्रश्न पूछा था कि बिलासपुर से मध्य प्रदेश के मण्डला और नैनपुर और नैनपुर से छिंदवाड़ा के बीच रेल लाईन का अमान परिवर्तन का कोई सर्वेक्षण किया गया है?
चार कंडिकाओं में विभक्त इस प्रश्न के जवाब में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री आर.वेलु ने अपने लिखित उत्तर में कहा था कि बिलासपुर से मण्डला फोर्ड और मण्डला फोर्ड से नैनपुर खण्ड के रेलखण्ड के अमान परिवर्तन परिवर्तन के लिए वर्ष 2003 - 2004 में सर्वेक्षण करवाया गया था। इस परियोजना की लागत ऋणत्मक प्रतिफल के साथ उस वक्त 736.96 करोड़ रूपए आंकी गई थी।
इसके अलावा नैनपुर से छिंदवाड़ा के बीच सिवनी होकर 139.6 किलोमीटर के खण्ड की छोटी लाईन से बड़ी लाईन में परिवर्तन हेतु वर्ष 2003 - 2004 में कराए गए सर्वेक्षण में यह परियोजना भी ऋणात्मक प्रतिफल के साथ 228.22 करोड़ रूपए (उस समय की दरों के अनुसार) आंकी गई थी। अंत में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री आर.वेलु ने उपयुक्त प्रस्तावों को अलाभकारी प्रवृत्ति, चालू परियोजनाओं के भारी थ्रो फारवर्ड एवं संसाधनों की अत्याधिक तंगी को देखते हुए अस्वीकार कर दिया गया था।
इसके उपरांत तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और ममता बनर्जी ने भी छिंदवाड़ा नैनपुर के अमान परिवर्तन की बात बजट में घुमाफिरा कर करके सिवनी के लोगों को भरमाने का जतन किया था। अब जबकि वित्त मंत्रालय ने रेल मंत्रालय को आनगोईंग परियोजनाओं जिनकी घोषणा के बाद काम आरंभ नहीं हुआ है को बंद करने का मशविरा दे दिया है तब छिंदवाड़ा से नैनपुर के रेलखण्ड के अमान परिवर्तन का काम खटाई में पड़ता दिख रहा है।
रेल्वे बोर्ड के सूत्रों ने साफ तौर पर सांसदों की अर्कमण्यता की ओर इशारा करते हुए कहा कि सिवनी के सांसदों के.डी.देशमुख और बसोरी सिंह मसराम द्वारा सिवनी में अमान परिवर्तन की बात रेल मंत्रालय को पुरजोर और वजनदार तरीके से नहीं रखने का ही नतीजा है कि इस परियोजना में अब तक सिर्फ आश्वासन और घोषणाएं ही हो सकी हैं, इसका काम आरंभ नहीं हो पाया है। अब जबकि वित्त मंत्रालय ने पुरानी परियोजनओं के लिए रेड सिग्नल दिखा दिया है तब छिंदवाड़ा से सिवनी होकर नैनपुर के अमान परिवर्तन के काम को अमली जामा पहनाए जाने में संशय ही प्रतीत हो रहा है।
यहां एक बात का उल्लेख करना लाजिमी है कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले को जगतगुरू शंकराचार्य की जन्म भूमि के बतौर देखा जाता है। इसके साथ ही साथ भेडिया बालक मोगली की कर्मभूमि भी है सिवनी। सिवनी के साथ षणयंत्र कर जनसेवकों ने यहां से होकर गुजरने वाली उत्तर दक्षिण की जीवन रेखा (स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण सड़क गलियारा) को रोकने के षणयंत्र का ताना बाना बुना जिससे यह सड़क वर्ष 2008 के उपरांत बड़े बड़े गड्ढ़ों में तब्दील हो गई है। अब अगर रेल्वे के नक्शे से भी सिवनी का नाम गायब हो जाएगा तो सिवनी जिला देश में एक एसे टापू में तब्दील हो जाएगा जहां सड़क या रेल मार्ग से जाना दुष्कर ही साबित होगा।

रविवार को फेंट सकते हैं मनमोहन अपने पत्ते


रविवार को फेंट सकते हैं मनमोहन अपने पत्ते

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार, अनाचार का पर्याय बन चुकी केंद्र सरकार अब अपनी छवि सुधारने की गरज से केंद्रीय मंत्रीमण्डल में फेरबदल करने जा रही है। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह रविवार को मंत्री मण्डल फेरबदल को अंजाम दे सकते हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी केंद्रीय मंत्रिमंडल में होने वाले फेरबदल को अंतिम रूप देंगे। दोनों नेताओं की मुलाकात कांग्रेस कोर समूह की बैठक के दौरान होगी और वे इस मौके का इस्तेमाल बहुचर्चित मंत्रिमंडल फेरबदल पर अलग से बातचीत करने में कर सकते हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में अगले कुछ दिनों में पर्याप्त फेरबदल होने की संभावना है जिसमें मंत्रिमंडल में कुछ नये चेहरों को शामिल करने के साथ ही कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है। सियासी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मंत्रिमंडल में फेरबदल रविवार को होने की संभावना है जिसमें एक से अधिक प्रभार संभाल रहे मंत्रियों से अतिरिक्त जिम्मेदारी वापस ली जा सकती है।
मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की काफी समय से चर्चा चल रही है। यह चर्चा विशेष रूप से तृणमूल कांग्रेस के मंत्रियों के कैबिनेट और राज्य मंत्री स्तर से हटने के बाद से जारी है। पिछले दो सालों के दौरान 2जी घोटाले में नाम सामने आने के बाद द्रमुक प्रतिनिधियों ए राजा और दयानिधि मारन की ओर से मंत्रिपदों से त्यागपत्र दिये जाने के बाद मंत्रिपद खाली पड़े हैं।
हालांकि द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने हाल में स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी मंत्री सीट पर फिर से दावा करना पसंद नहीं करेगी। गुरुवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने करुणानिधि से चेन्नई स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। यह इस महीने में उनकी तीसरी मुलाकात थी।

एमपी सहित चार सूबों के लिए साढ़े 31 अरब रूपए की मदद


एमपी सहित चार सूबों के लिए साढ़े 31 अरब रूपए की मदद

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बिहार, ओडीशा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के पिछडे. क्षेत्रों के विकास के लिए ३१ अरब पचास करोड़ रूपये के पैकेज को मंजूरी दे दी है। समिति ने बिहार में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष के तहत राज्य के हिस्से के तौर पर वर्ष २०१२-१३ में १५ अरब रूपये के आवंटन को जारी रखने को मंजूरी दी।
ओड़िशा के कालाहांडी-बोलांगीर-कोरापुट जिलों के लिए विशेष योजना जारी रखने के लिए दो अरब ५० करोड़ के आवंटन को मंजूर किया गया। मंत्रिमंडलीय समिति ने चालू वित्त वर्ष के दौरान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुन्देलखंड क्षेत्र में सूखे पर काबू पाने के लिए चौदह अरब रूपये की अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता को मंजूरी दी।
सुरक्षा मामलों संबन्धी मंत्रिमंडलीय समिति ने सेना के लिए रूस से दस हजार टैंक रोधक मिसाइल कोंकुर्स-एम खरीदने के लिए बारह अरब रूपये के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत को इलेक्ट्रानिक सिस्टम और डिजाइन तथा मैन्युफैक्चरिंग-(ई एस डी एम) क्षेत्र के अग्रणी निर्माण केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति को भी मंजूरी दे दी है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने राष्ट्रीय खनिज विकास निगम में चुकता शेयर पूंजी की दस प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश को स्वीकृति दे दी है।
बुनियादी ढांचे पर मंत्रिमंडलीय समिति ने ४४ अरब ४४ करोड. रूपये की लागत की इम्फाल रोड (तूपुल) से इम्फाल तक बड.ी लाइन बिछाने के रेलवे के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। इस लाइन से इंफाल का देश के साथ रेल संपर्क जुड. जाएगा ।
वहीं दूसरी ओर, प्रधानमंत्री ने विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत लाभार्थियों को सीधे नकदी हस्तान्तरण के लिए तालमेल के वास्ते एक राष्ट्रीय समिति बनाई है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में यह समिति सीधे नकदी हस्तान्तरण के तौर-तरीके तय करेगी। यह उन सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की पहचान भी करेगी जिनके लिए सीधे नकदी हस्तान्तरण को लागू किया जा सकता है। इससे सरकारी योजनाएं लागू करने में पारदर्शिता, कुशलता ओर जवाबदेही बढ़ाई जा सकेगी। यह समिति प्रत्येक मामले में सीधे नकदी हस्तान्तरण की संभावना और सीमा के बारे में सुझाव भी देगी।

किसान व्यवसाई ले जा सकेंगे ज्यादा रकम


किसान व्यवसाई ले जा सकेंगे ज्यादा रकम

(जलपन पटेल)

अहमदाबाद (साई)। निर्वाचन आयोग ने ढाई लाख रूपये से ज्यादा ले जाई जा रही नकदी को जब्त करने के बारे में आदर्श आचार संहिता के नियमों में ढील दी है। मुख्य चुनाव अधिकारी विजय नेहरा ने कल यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि अब से किसानों और व्यावसायियों को नकदी लाने ले जाने की अनुमति होगी। लेकिन, उन्हें नकदी की वैधता के लिए एक कानूनी दस्तावेज दिखाना होगा।  स्वप्रमाणित फॉर्मेट-ए दिखाने पर निगरानी दल के साथ तैनात  कार्यकारी मजिस्ट्रेट को अब इन किसानों और व्यावसायियों को नकदी ले जाने की अनुमति देने के लिए प्राधिकृत किया गया है, चाहे ये नकदी निर्धारित ढाई लाख रूपये से ज्यादा ही क्यों न हो।
इसके साथ ही साथ निर्वाचन आयोग ने नागरिकों को बिना किसी कठिनाई के चुनाव से जुड़ी सूचनाओं और सेवाओं की जानकारी देने के लिए अपनी वेबसाइट पर एक नई सेवा शुरू की है। इसके तहत लोग आयोग की वेबसाइट पर लॉग ऑन कर मतदान केन्द्रों, मतदाता सूचियों और चुनाव अधिकारियों के नाम तथा संपर्क संख्या की जानकारी हासिल कर सकते हैं।

दुर्गापूजा के दौरान तनाव


दुर्गापूजा के दौरान तनाव

(पुरबालिका हजारिका)

गोवहाटी (साई)। असम के धुबरी जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हिंसा के कारण स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है। प्रशासन ने धुबरी थाना क्षेत्र में कल शाम आठ बजे से अनिश्चितकाल का कर्फ्यू लगा दिया है। राज्य के गृह सचिव जी. डी. त्रिपाठी ने बताया कि सेना आज फ्लैगमार्च करेगी। उन्होंने बताया कि उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास बहाली के लिए कदम उठायेगा।
प्रशासनिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रशासन ने शरारती तत्वों के लिए खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए सुरक्षाबलों को निर्देश दिए हैं। शहर में शांति बनाए रखने के लिए असम पुलिस, सीआरपीएफ और सीमा सुरक्षाबल के अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न समुदायों के बीच शांति बहाली के कदम उठाए जाएंगे। अब स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है।

पासी देंगे सोनिया को टक्कर


पासी देंगे सोनिया को टक्कर

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। रायबरेली। लोकसभा के आगामी चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने आज नेहरू गांधी परिवार की परम्परागत सीट रायबरेली से अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा की दी। दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ती हैं। उप-रजिस्ट्रार के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले चुके पासी समाज के अध्यक्ष राम लखन पासी को बीएसपी ने उम्मीदवार बनाया गया है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के रायबरेली ब्यूरो ने बताया कि राबरेली जिला मुख्यालय पर आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर में राम लखन पासी के नाम का ऐलान किया। केन्द्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को बिना शर्त समर्थन दे रही बीएसपी आगामी लोकसभा चुनाव 2014 को लेकर अभी से रणनीति बनाने में जुट गई है। उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की बीएसपी की रणनीति के तहत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी घेरने की योजना तैयार की गई है।

राजेश दुबे “डूबेजी” कृत कार्टूनलीला


राजेश दुबे डूबेजीकृत कार्टूनलीला

(सुरेंद्र जायस्वाल)

जबलपुर (साई)। त्रैमासिक-पत्रिका के प्रवेशांक का लोकार्पण 28 अक्टूबर 2012 को रानीदुर्गावती संग्रहालय कला वीथिका में कार्टूनलीला परिवार एवम सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित है। कार्यक्रम के मुख्य  अतिथि इरफ़ान (जनसत्ता)  विशिष्ठ अतिथि श्री राजीव मित्तल (लखनऊ) होगें। साहित्यकार श्री ग्यानरंजन,श्री अमृत लाल वेगड़, श्री दिनेश अवस्थी, चित्रकार श्री सुरेश श्रीवास्तव कार्टून विधा पर वक्तव्य देंगे।
कार्टूनिष्ट राजेश दुबे डूबेजीका मानना है कि विज़ुअलिटी एवम समय की कमी से जूझते पाठकों को रेखाचित्र,कैरीकेचर,कार्टून, व्यंग्यचित्र के ज़रिये गुदगुदाते हैं। तक़नीकी एवम कला के संयुक्तिकरण का प्रयोग इश्तहारों एवम फ़िल्मों तक में किया जा रहा है। कार्टून दिलो दिमाग़ पर गहरा असर छोड़ते हैं। कार्टून विधा को आर के लक्ष्मण, सुधीर दर , अबू अब्राहम, काक, सुधीर तैलंग, अजीत नैनन, इरफ़ान, इस्माइल लहरी, देवेंद्र, अविषेक जयपुर, पवन पटना, हरिओम भोपाल, हाड़ा जयपुर  त्रियंबक शर्मा रायपुर,ने जीवंतता प्रदान की है। इस क्रम में कार्टूनिष्ट राजेश दुबे डूबेजीभी एक खास मुक़ाम पर हैं। इंटरनेट के पाठक में राजेश  डूबेजीके नाम से लोकप्रिय है।
श्री राजेश दुबे द्वारा बनाए कार्टूनों की प्रदर्शनी दिनांक 28 से 29 अक्टूबर 2012 तक आम जनता के लिये निरूशुल्क खुली रहेगी। सव्यसाची कला ग्रुप के अध्यक्ष सतीष बिल्लोरे,के।के।बैनर्जी, नितिन अग्रवाल, एवम कार्टूनलीला परिवार के सदस्यों ने उपस्थिति की अपील की है।

दिमाग के साथ ताकत का मेल!


राजनीति का नया ट्रेंड

दिमाग के साथ ताकत का मेल!

(सुरेंद्र सेठी)

नीमच (साई)। देश के भ्रड्ढतंत्र के खिलाफ संघर्ष कर रहे अरविन्द केजरीवाल अब राजनीति के अखाड़े में भी कुद पड़े है। दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए उनका राजनीतिक दल वहां मजबूती से काम करता ओर दोनों राजनीतिक दलों कांग्रेस / भाजपा को परेशान करता नजर आ रहा है। परिणाम क्या आयेगा। ये बाद की बात है पर, फिलहाल तो अरविन्द केजरीवाल अपने दिमागी कौशल का मसल पॉवर के साथ खुल्ले मेल का नया ट­ेंड दिखाते भी नजर आ रहे है। उनका यह नजरिया लोगो को ओर खासकर युवाओं को लुभाता नजर आ रहा है। केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शद ने ठेठ फर्रूखाबादी लहजे में चुनौती दी तो केजरीवाल भी उस चुनौती का उसी शैली में एक अनुठे ढंग से जवाब देते नजर आ रहे है। केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शद का घरेलु जिला है उत्तरप्रदेश क ा फर्रूखाबाद। उन पर केजरीवाल ने विकलांगों का पैसा खाने का आरोप लगाया तो वे भड़क गये ओर कहने लगे, केजरीवाल फर्रूखाबाद आ तो जाये वापस जा न सकेंगे। कोई दुसरा नेता होता तो डर जाता केन्द्रीय मंत्री की ताकत से। पर, केजरीवाल ने उनको चुनौती देेने का जो रास्ता चुना है वो देश में एक मिसाल है। उनका ये रास्ता अनुठा है। वे वहां जायंेगे पर अपने लठेत समर्थकों के घेरे में। उन्हें अगले महीने फर्रूखाबाद जाकर केन्द्रीय मंत्री के खिलाफ कुछ ओर नये खुलासे करने है। उनका सुरक्षा दस्ता किसान यूनियन तैयार कर रहा है। यूनियन ने मोर्चे के लिए अपने लठेतों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। 14 सो लाठीबध किसानों का दस्ता तैयार किया गया है। पचरोली गांव में इन लठेतों को रोज सूबह दो घंटे लाठी चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन लठेतों का एक दस्ता केजरीवाल के फर्रूखाबाद की सीमा में दाखिल होते ही उन्हें अपने संरक्षण में ले लेगा। दूसरा दस्ता सभा स्थल के पास तैनात रहेगा तो बाकी दस्ते सभा स्थल के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनायेंगे। राजनीति मंे चुनौतियों का उसी शैली में जवाब देने का ये प्रयोग केजरीवाल शुरू तो कर रहे है पर, ये कहां तक जायेगा तब शायद उनका ये प्रयोग देशभर में ब्रांड केजरीवाल के नाम से जाना जाएगा।

हिल गया लता का साम्राज्य


हिल गया लता का साम्राज्य

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नगर में सट्टा व्यवसाय का संचालन करने वाली और सट्टा क्वीन के नाम से विख्यात प्राप्ति लता कुल्हाड़े देर सही लेकिन पुलिस के जाल में फंस ही गई। पुलिस कार्यवाही में एसआई श्रीमती प्रीति विजय तिवारी ने जाल बिछाकर इसे एक बोरा सट्टा पट्टी और 05 हजार रूपए नगद के साथ रंगे हाथ दबोच लिया।
इस मामले में एसआई प्रीति तिवारी की यह कार्यवाही काबिले तारीफ है, जिसने पुलिस की छवि पर लगते दाग को कुछ हद तक साफ किया है, लेकिन प्रश्र यह उठता है कि क्या इस कार्यवाही में लता के पास बचने के लिए कोई दूसरा उपाय थाए क्योंकि यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि सट्टा क्वीन के नाम से प्रसिद्ध रही यह महिला पुलिस प्रशासन के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों से गहरा तालुक्क रखती है। यहीं नहीं पुलिस प्रशासन के सिपहे सालारों को अपने मकान में किराये से रखना और फिर उन्हीं का संरक्षण लेना इसकी पुरानी फितरत है।
ज्ञातव्य है कि लता बाई ने अपने घर पर एक एसआई को मकान किराये पर दे रखा था। एसआई बैस जो कि लता बाई के यहां किराये से रहते थे। जिले में पहली बार अनुविभागीय पुलिस अधिकारी के रूप में पदस्थ सिद्धार्थ बहुगुणा ने इस सट्टा नगरिया को संज्ञान में लेकर अपने अधीनस्थ अधिकारियों को कार्यवाही के आदेश दिये। तो थाना कोतवाली में कुंभकरणीय नींद पर सोए अधिकारी भी जाग गये और ऐन.केन. प्रकरेण लता के साम्राज्य को हिलाने की कोशिश में लग गये, जिस पर महिला एसआई श्रीमती प्रीति विजय तिवारी ने सफलता भी प्राप्त की।
मजे की बात तो यह है कि अपने धंधे में आंच आते देख और पुलिस शिंकजे में कसी लता बाई ने अपने आपको बचाने के लिए राष्ट्रचंडिका के प्रधान संपादक पर ही झूठा आरोप लगाना प्रारंभ कर दिया, जो सरासर निराधार है। प्रश्र यह उठता है कि लता कुल्हाड़े पर तो पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही करके अपने दाग धोने की कोशिश की है, लेकिन उन पुलिस अधिकारियों का क्या होगा जो सामने से लता बाई के इस सट्टा कारोबार को देखकर भी इसे संरक्षण देते आए हैंघ् क्या उन एसआई और पुलिस कर्मियों पर कभी गाज गिर पायेगीघ् नेट पर अपलोड उस वीडियों पर खाकीधारक पंद्रे और शुक्ला स्पष्ट नजर आ रहे हैंए जो सट्टा क्वीन के साथ चाय की चुश्कियां लेकर क्वीन के व्यवसाय के हाल.चाल जान रहे हैं,
- 5555 की मालकीन पंद्रे
नगर में यह चर्चा जोरों पर है कि किसी समय में कौड़ी को मोहताज लता बाई आज करोड़ों की मालकीन है और देखते ही देखते इसकी आर्थिक स्थिति आसमान छू रही है। कई लाखों का बैंक बैलेंस और नगर में महंगे. महंगे मकानों की मालकिन बन चुकी यह महिला किसी समय में पैदल चलती थी। सट्टे के व्यापार में कमाये काले धन से पहले यह दोपहिया वाहन पर उतरी और फिर देखते ही देखते चारपहिया वाहन में घूमने लगी। एमपी 28, 5555 पर लता बाई को नगर में अक्सर घूमते देखा गया हैए लेकिन पाठकों को यह जानकर हैरानी होगी कि एमपी 28, 5555 एक खाकीधारक की पत्नी के नाम पर है।
आरटीओ विभाग छिंदवाड़ा में यह वाहन एएसआई पंद्रे की श्रीमती के नाम पर रजिस्टर्ड है। इन बातों से स्पष्ट होता है कि लता बाई को पंद्रे का खुला संरक्षण था। यहीं नहीं सूत्र तो यह भी बताते हैं कि पंद्रे लताबाई के साथ सट्टा के इस व्यापार में पार्टनरशिप भी चाहता था। इस पार्टनरशिप के ही लालच के कारण ही वह लताबाई पर इतना मेहरबान था और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को लता के इस कारोबार पर कार्यवाही करने से रोकता था। इन तथ्यों के उजागर होने के बाद अब देखना है कि क्या उच्चाधिकारियों की जांच पंद्रे पर गिरेगीघ् यह भविष्य की गर्त पर है।

जी न्यूज बना जिंदल के लिए फंदा


जी न्यूज बना जिंदल के लिए फंदा

(विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस सांसद व उद्योगपति नवीन जिंदल ने आज जी न्यूज पर आरोप लगाया कि जी न्यूज ने उनसे कोयला घोटाले की खबर न दिखाने के एवज में 100 करोड़ रुपए की मांग की थी। उन्होंने इस संबंध में जी न्यूज के संपादकों के साथ हुई बातचीत का टेप भी जारी किया। इस वीडियो में जी न्घ्यूज़ के मैनेजिंग एडिटर सुधीर चौधरी और जी बिजनेस के संपादक समीर आहलूवालिया को जिंदल के अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए दिखाया गया है। इसमें वे पैसों और कोयला घोटाले पर चर्चा कर रहे हैं। जिंदल ने इस मामले में दिल्ली पुलिस में 2 अक्तूबर को एफआईआर दर्ज भी कराई है।
नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिंदल ने जी न्यूज पर आरोप लगाते हुए कहा कि पहली मुलाकात में समीर आहलूवालिया ने 20 करोड़ रुपये मांगे और इस रकम को पांच-पांच करोड़ रुपये की किश्घ्त के रूप में चार साल तक चुकाने के लिए कहा। जिंदल ने कहा कि उनकी टीम ने फैसला लिया कि वे सच को सामने लाएंगे और सबूत जुटाने के लिए अगली बैठक में छिपे हुए कैमरों का सहारा लिया जाएगा। नवीन जिंदल ने कहा कि उन्घ्होंने जी न्घ्यूज़ के साथ 13, 17 और 20 सितंबर को भी मुलाकात की और इस दौरान जी न्घ्यूज़ ने 20 करोड़ की रकम को बढ़ाकर सीधे 100 करोड़ कर दिया।
जिंदल ने बताया कि जी न्यूज़ ने यह कहते हुए रकम बढ़ा दी कि उन्घ्होंने 20 करोड़ नहीं बल्कि 100 करोड़ ही मांगे थे, लेकिन पहली मुलाकात में कॉफी शॉप में शोर ज्घ्यादा होने के कारण सुनने में गलती हुई होगी। 13 सितंबर से बातचीत के दौरान जी न्घ्यूज़ और जी बिज़नेस को भरोसा होने लगा था कि हम उन्घ्हें पैसे दे देंगे और उन्घ्होंने अपने चौनल में हमारी कंपनी के खिलाफ खबरें दिखानी बंद कर दी। लेकिन 19 सितंबर को उन्घ्हें ये साफ हो गया था कि हम पैसे नहीं देंगे और इसके बाद चौनल ने 24 सितंबर से वापस हमारे खिलाफ खबरें दिखानी वापस शुरू कर दीं। जिंदल ने बताया कि उन्होंने इस टेप को ब्रॉडकास्ट एडिटर एसोशियएन को भी दिखाया था। इस टेप को दिल्ली पुलिस को भी सौंप दिया गया है।
इस पूरे मसले पर जी न्यूज ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वे जिंदल का स्टिंग ऑपरेशन कर रहे थे। जिंदल की प्रेस कॉन्घ्फ्रेंस के तुरंत बाद सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया ने अपने चौनल पर आकर कुछ कागज दिखाते कहा कि ये वो कॉन्ट्रेक्ट है जिसे हम चाहते थे कि नवीन जिंदल साइन करें। वो 100 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट साइन करने को तैयार भी थे। अब नवीन जिंदल पूरी तस्वीर का रुख बदलना चाहते हैं। जी न्यूज पर हम लगातार मुहिम चला रहे हैं। हम 1.86 करोड़ के घोटाले में खुलासे कर रहे हैं। नवीन जिंदल चाहते थे कि उनके खिलाफ खबर रुक जाए। जो तस्वीरें उन्होंने दिखाई उनसे छेड़छाड़ की गई है।

विलय दिवस पर मुक्ति का संकल्प


विलय दिवस पर मुक्ति का संकल्प

(वीरेंद्र सिंह राजपूत/विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। 26 अक्टूबर कश्मीर के इतिहास में विलय दिवस के रूप में याद किया जाता है क्योंकि इसी दिन कश्मीर के राजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के लिए संबंधित दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये थे। तब से लेकर आज तक कश्मीर में 26 अक्टूबर को विलय दिवस के रूप में याद किया जाता है। इस बार विलय दिवस के मौके पर वीरेन्द्र सिंह चौहान मानते हैं कि कश्मीर में एक संकल्प दिवस के रूप में भी मनाया जाना चाहिए। वह संकल्प दिवस होना चाहिए कि कश्मीर के जो टुकड़े हमसे छीनकर चीन और पाकिस्तान के हिस्से में चले गये हैं उन्हें वापिस हासिल करके अधूरे विलय को पूरा किया जाना चाहिए।
26 अक्तूबर को कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह ने 1947 में अपनी रियासत के भारत में विलय के लिए विलय पत्र पर दस्तखत किए थे। राज्याध्यक्ष के नाते माउंटबेटन ने 27 अक्तूबर को इसे मंजूरी दी। इसका खाका हूबहू वही था जिसका भारत में शामिल हुए अन्य सैंकड़ों रजवाड़ों ने अपनी अपनी रियासत को भारत में शामिल करने के लिए इस्तेमाल किया था। न इसमें कोई शर्त शुमार थी और न ही रियासत के लिए विशेष दर्जे जैसी कोई मांग। इस वैधानिक दस्तावेज पर दस्तखत होते ही समूचा जम्मू कश्मीर, जिसमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला इलाका भी शामिल है, भारत का अभिन्न अंग बन गया। भारत में जम्मू कश्मीर के विलय से संबंधित दस्तावेजों में यह सर्वाधिक वजनदार और मौलिक दस्तावेज हैं। राज्य में इसके बाद के घटनाचक्र और भारतीय संघ के साथ उसके रिश्तों को लेकर जितने भी सवाल रह रह कर उठते रहे हैं, यह दस्तावेज उनका सच्चा और सटीक उत्तर है। भारतद्रोहियों व पाकपरस्तों के पास इसकी कोई काट नहीं।
लिहाजा, विलय दिवस पर देशवासियों को महान देशभक्त और समाज सुधारक हरि सिंह को स्मरण कर उनके प्रति कृतज्ञता जतानी चाहिए। कटु सत्य है कि स्वतंत्र भारत ने इस विभूति के साथ न्याय नहीं किया। विलय के बाद तुच्छ तात्कालिक सियासत के चलते इन्हें अपनी ही रियासत से बाहर रहने के लिए विवश कर दिया गया था। महाराजा हरि सिंह संभवतः पहले भारतीय शासक थे जिन्होंने अपने राज्य में छुआछूत के खिलाफ आधिकारिक रूप से अभियान छेड़ा, कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पुरजोर प्रयास किए और दीनबंधु सर छोटू राम से भी पहले भूमि सुधारों की वकालत करते हुए अपने यहां इस दिशा में पहलकदमी की।
विलय दिवस के अवसर पर 1947 में विभाजन के समय के घटनाचक्र पर एक निगाह डाल लेना भी ठीक रहेगा। दो सौ बरस भारत को लूटने के बाद फिरंगी अपना यूनियन जैक लपेट कर लंदन लौटने की प्रक्रिया में थे। लाल किले पर पंद्रह अगस्त को तिरंगी पताका फहराने के बाद देश आजादी के जश्न में मग्न था। उधर देश का एक बड़ा हिस्सा बंटवारे की उस विभीषिका से रूबरू हो रहा था जिसमें किसी भी साधारण लुटेरे की भांति फिरंगी जाते जाते भारतभूमि को झोंक गए थे। अपने सीधे नियंत्रण वाले भारत के भाग, जिसे कि वे ब्रिटिश इंडिया कहते थे, को उन्होंने बरसों पहले अपनी चतुराई से चली चाल के आखिरी चरण के रूप में मजहबी आधार पर बांट दिया था। परंतु ब्रिटिश इंडिया  के दायरे से बाहर सैंकड़ों रजवाड़ों के मातहत भी तो भारत बिखरा पड़ा था। रजवाड़ों को उन्होंने अपना भविष्य कुछ नियमों के दायरे में खुद तय करने के लिए अधिकृत कर दिया था। इसके पीछे भी फिरंगी की मंशा यही थी कि उनके लौटने के बाद यहां अव्यवस्था, बिखराव और अराजकता का माहौल कायम रहे।
भारत के साथ जिन रियासतों और रजवाड़ों को जुड़ाव संभव था, उनकी संभाल सरदार पटेल ने बहुत कायदे से की। साम-दाम-दंड-भेद , जिस भी उपकरण की आवश्यकता पड़ी, उन्होंने उसका बखूबी उपयोग करते हुए मौजूदा भारत को दुनिया के मानचित्र पर उकेरने में अनूठी भूमिका निभाई। मगर जम्मू कश्मीर के संबंध में विभिन्न कारणों से ऐसा नही हुआ। इसकी एक वजह यह भी मानी जाती है कि पंडित नेहरू जम्मू कश्मीर के मामले में व्यक्तिगत तौर पर बहुत रूचि रखते थे। अन्य कारणों में रियासत की भौगोलिक और आतंरिक स्थितियों को शुमार कर सकते हैं। जम्मू कश्मीर एक ऐसा बड़ा राज्य था जिसकी सीमाएं पांच देशों को छूती थीं। यहां अधिक आबादी मुस्लिम थी और राजा हिंदू था। रियासत के अलग अलग हिस्सों मसलन गिलगित बाल्टिस्तान,कश्मीर, जम्मू और लद्दाख के लोगों की आकांक्षाएं भी भिन्न भिन्न थी। महाराजा को इनके बीच संतुलन कायम करते हुए निर्णय लेना था। इस वजह से वे पंद्रह अगस्त तक कोई निर्णय नहीं ले सके। लिहाजा उन्होंने 14 अगस्त को भारत और पाकिस्तान दोनों को अलग अलग यथास्थिति समझौते के प्रस्ताव भेजे। पाकिस्तान के साथ वे अंतिम निर्णय होने तक यातायात और संचार के संबंध कायम रखने के साथ अनाक्रमण की संधि चाहते थे। पाक ने इसे तत्काल मान लिया चूंकि उसके हुकमरानों को लगता था कि ब्रिटेन के दबाव में महाराजा आखिर पाकिस्तान में विलय को राजी हो जाएंगे। भारत को हरि सिंह ने यथास्थिति समझौते का जो प्रस्ताव भेजा उसमें भारत के साथ उन्हीं संबंधों को कायम रखने की बात कही गई थी जैसे कि उनके ब्रिटिश इंडिया के साथ थे। भारत ने यह कह कर इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया कि हम परस्पर बातचीत के बाद ही ऐसा कोई करार करेंगे। फिर इस बातचीत के लिए कोई पहल दिल्ली ने की नहीं। इस बीच महाराजा भारत के नेतृत्व के साथ रियासत के भविष्य को लेकर लगातार विमर्श कर रहे थे।
चूंकि महाराजा के प्रति पंडित नेहरू का रवैया दोस्ताना कभी नहीं रहा था और वे विलय से पहले अपने मित्र शेख अब्दुल्ला को रियासत की सत्ता का साझीदार बनाने पर अडे़ थे, इसलिए महाराजा ने इस दिशा में भी पहलकदमी की। शेख सरकार का हिस्सा सितंबर में बना दिए गए।  इस पर पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर हाथ से खिसकता नजर आया। इसी बौखलाहट में पाकिस्तान ने 22 अक्तूबर को कबाइलियों के वेश में फौज भेज कर जम्मू कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। पाकिस्तानियों ने रियासत में घुस कर जो कत्लोगारत मचायी उसका सामना करने में महाराजा की फौज को दिक्कत आनी ही थी। उन्होंने भारत से मदद मांगी। दिल्ली ने विलय से पूर्व सेना भेजने से इनकार कर दिया तो महाराजा ने राज्य के भारत में विलय को मंजूरी देने में भी कतई देरी नहीं की।
26 अक्तूबर को विलय पत्र पर महाराजा के दस्तखत हुए। 27 को माउंटबेटन की कलम चली और इसी दिन भारतीय फौज संकटग्रस्त कश्मीर में दाखिल हुई। जिस दिन भारतीय फौज वहां पंहुची, उस दिन वह भारतीय जम्मू कश्मीर था। उस दिन तक लगभग साढे़ चार हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर ही पाकिस्तान का कब्जा हुआ था। विलय से पहले चूकी दिल्ली विलय के बाद भी बहुत चौकस नहीं थी। कायदे से मामले को संभाला गया होता तो पाकिस्तान फौज की बढ़त को तत्काल रोका जा सकता था।हमलावर पाकिस्तान को पूरी तरह बाहर खदेडे़ बिना युद्धविराम की बात दिल्ली की बड़ी भूल थी।
जम्मू कश्मीर के मोर्चे पर भारत ने देशविभाजन से लेकर आज तक कई रणनीतिक गलतियां कीं। यह सिलसिला अभी जारी है। इस पर अलग से चर्चा फिर कभी करेंगे। मगर विलय दिवस की पृष्ठभूमि में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जम्मू कश्मीर को लेकर दिल्ली से जितनी भूलें हुई, उतने ही भ्रम भी हमारे अपनों और परायों ने फैलाए। उनमें से पहला भ्रम यह है कि राज्य का भारत में विलय सर्शत था। हकीकत यह है कि भारत में विलीन हुई तमाम रियासतों को विलय बिना शर्त हुआ। सर्शत विलय का तो कोई प्रावधान ही नहीं था। दूसरा भ्रम यह कि महाराजा ने विलय में देरी की। वस्तुतःमहाराजा हरि सिंह रियासत की स्थितियों के अनुसार सबसे विमर्श कर राज्य को भारत में मिलाना चाहते थे। उन्होंने वैसा ही किया भी। भारत के तत्कालीन नेतृत्व को इस बात का बखूबी एहसास भी था।
तीसरा भ्रम यह फैलाया जाता है कि भारत में राज्य का विलय अंतिम और पूर्ण नहीं है। वस्तुस्थिति यह है कि तमाम तकनीकी और कानूनी पक्षों के दृष्टिगत विलय निर्विवाद, वैधानिक और संपूर्ण है। बाद में राज्य की निर्वाचित संविधान सभा ने इसका अनुमोदन किया और यह भी कहा कि इस पर पुनर्विचार नहीं हो सकता। तथ्य यह है कि विलय पर फैसला लेने का हक केवल और केवल महाराजा को था। उन्होंने विधिवत इस काम को अंजाम भी दिया। रही बात बाद में मामले के यूएनओ में जाने की और इस संबंध में यूनाइटेड नेशन्स के कुछ प्रस्तावों कीए तो अपने जन्म से लेकर आज तक जम्मूकश्मीर के लिए जीभ लपलपा रहे पाकिस्तान समेत सारी दुनिया को पता है कि उन तथाकथित प्रस्तावों की कोई महत्ता और उपयोगिता नहीं है।
हां,राज्य के भारत के साथ एकीकरण के मामले में अगर कोई अधूरा काम बचा है तो वह है पाक और चीन के अवैध कब्जे वाली हमारी जमीन और जनता की मुक्ति का कार्य। हमारी संसद 1994 में सर्वसम्मत प्रस्ताव पास कर यह बात दुनिया को बता चुकी है। रक्षा मंत्री एंटनी ने कुछ हफ्ते पहले कुछ ऐसे ही शब्दों में संसद के संकल्प को दोहराया भी था। अब यह काम कूटनीति से हो या किसी अन्य तरीके से, यह देश के नेतृत्व को तय करना है।