शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

हिल गया लता का साम्राज्य


हिल गया लता का साम्राज्य

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नगर में सट्टा व्यवसाय का संचालन करने वाली और सट्टा क्वीन के नाम से विख्यात प्राप्ति लता कुल्हाड़े देर सही लेकिन पुलिस के जाल में फंस ही गई। पुलिस कार्यवाही में एसआई श्रीमती प्रीति विजय तिवारी ने जाल बिछाकर इसे एक बोरा सट्टा पट्टी और 05 हजार रूपए नगद के साथ रंगे हाथ दबोच लिया।
इस मामले में एसआई प्रीति तिवारी की यह कार्यवाही काबिले तारीफ है, जिसने पुलिस की छवि पर लगते दाग को कुछ हद तक साफ किया है, लेकिन प्रश्र यह उठता है कि क्या इस कार्यवाही में लता के पास बचने के लिए कोई दूसरा उपाय थाए क्योंकि यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि सट्टा क्वीन के नाम से प्रसिद्ध रही यह महिला पुलिस प्रशासन के कुछ कर्मचारी और अधिकारियों से गहरा तालुक्क रखती है। यहीं नहीं पुलिस प्रशासन के सिपहे सालारों को अपने मकान में किराये से रखना और फिर उन्हीं का संरक्षण लेना इसकी पुरानी फितरत है।
ज्ञातव्य है कि लता बाई ने अपने घर पर एक एसआई को मकान किराये पर दे रखा था। एसआई बैस जो कि लता बाई के यहां किराये से रहते थे। जिले में पहली बार अनुविभागीय पुलिस अधिकारी के रूप में पदस्थ सिद्धार्थ बहुगुणा ने इस सट्टा नगरिया को संज्ञान में लेकर अपने अधीनस्थ अधिकारियों को कार्यवाही के आदेश दिये। तो थाना कोतवाली में कुंभकरणीय नींद पर सोए अधिकारी भी जाग गये और ऐन.केन. प्रकरेण लता के साम्राज्य को हिलाने की कोशिश में लग गये, जिस पर महिला एसआई श्रीमती प्रीति विजय तिवारी ने सफलता भी प्राप्त की।
मजे की बात तो यह है कि अपने धंधे में आंच आते देख और पुलिस शिंकजे में कसी लता बाई ने अपने आपको बचाने के लिए राष्ट्रचंडिका के प्रधान संपादक पर ही झूठा आरोप लगाना प्रारंभ कर दिया, जो सरासर निराधार है। प्रश्र यह उठता है कि लता कुल्हाड़े पर तो पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही करके अपने दाग धोने की कोशिश की है, लेकिन उन पुलिस अधिकारियों का क्या होगा जो सामने से लता बाई के इस सट्टा कारोबार को देखकर भी इसे संरक्षण देते आए हैंघ् क्या उन एसआई और पुलिस कर्मियों पर कभी गाज गिर पायेगीघ् नेट पर अपलोड उस वीडियों पर खाकीधारक पंद्रे और शुक्ला स्पष्ट नजर आ रहे हैंए जो सट्टा क्वीन के साथ चाय की चुश्कियां लेकर क्वीन के व्यवसाय के हाल.चाल जान रहे हैं,
- 5555 की मालकीन पंद्रे
नगर में यह चर्चा जोरों पर है कि किसी समय में कौड़ी को मोहताज लता बाई आज करोड़ों की मालकीन है और देखते ही देखते इसकी आर्थिक स्थिति आसमान छू रही है। कई लाखों का बैंक बैलेंस और नगर में महंगे. महंगे मकानों की मालकिन बन चुकी यह महिला किसी समय में पैदल चलती थी। सट्टे के व्यापार में कमाये काले धन से पहले यह दोपहिया वाहन पर उतरी और फिर देखते ही देखते चारपहिया वाहन में घूमने लगी। एमपी 28, 5555 पर लता बाई को नगर में अक्सर घूमते देखा गया हैए लेकिन पाठकों को यह जानकर हैरानी होगी कि एमपी 28, 5555 एक खाकीधारक की पत्नी के नाम पर है।
आरटीओ विभाग छिंदवाड़ा में यह वाहन एएसआई पंद्रे की श्रीमती के नाम पर रजिस्टर्ड है। इन बातों से स्पष्ट होता है कि लता बाई को पंद्रे का खुला संरक्षण था। यहीं नहीं सूत्र तो यह भी बताते हैं कि पंद्रे लताबाई के साथ सट्टा के इस व्यापार में पार्टनरशिप भी चाहता था। इस पार्टनरशिप के ही लालच के कारण ही वह लताबाई पर इतना मेहरबान था और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को लता के इस कारोबार पर कार्यवाही करने से रोकता था। इन तथ्यों के उजागर होने के बाद अब देखना है कि क्या उच्चाधिकारियों की जांच पंद्रे पर गिरेगीघ् यह भविष्य की गर्त पर है।

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