शनिवार, 29 जून 2013

एसीएम कालेज में रजिस्ट्रेशन जारी

एसीएम कालेज में रजिस्ट्रेशन जारी

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। जिले का शैक्षिक गुणवत्तायुक्त एक मात्र संस्थान एसीएम कॉलेज ऑफ एजुकेशन स्व. अशोक चंद मालू शिक्षण संस्थान समिति द्वारा संचालित एसीएम कॉलेज ऑफ एजुकेशन सिवनी सत्र 2009-2010 से संचालित महाविद्यालय है। अल्प समय में ही महाविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में तीव्र विकास की ओर अग्रसर है। उच्च स्तरीय शैक्षिक सुविधाओं के साथ महाविद्यालय में बीएससी, बीकॉम एवं बीएड की कक्षाएं संचालित है।
विगत वर्षाे का महाविद्यालय का परीक्षा परिणाम विश्वविद्यालय स्तर पर उत्कृष्ट रहा है, जिसमें सत्र 2009-10 बीएड पाठ्यक्रम की छात्रा कु.दीप्ती सिंह ने विश्वविद्यालय स्तर पर उच्चतम अंक प्राप्त कर महाविद्यालय के साथ साथ जिले का नाम भी गौरान्वित किया है।
संस्था के संरक्षक अभिषेक मालू एवं संचालक अमित मालू ने बताया कि हमारा लक्ष्य सिवनी जिले में उच्च स्तरीय सुविधाओं के साथ गुणवत्ता आधारित शिक्षा उपलब्ध कराना है। महाविद्यालय में छात्र- छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिये न केवल शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, वरन नैतिक विकास हेतु उच्च शैक्षिक योग्यता वाले प्राध्यापकों द्वारा शिक्षण कार्य संपन्न कराया जा रहा है। महाविद्यालय में संपूर्ण सुविधायुक्त भवन, वृहद खेल का मैदान, व्यवस्थित लायब्रेरी एवं प्रयोगशाला उपलब्ध है।
सत्र 2013-14 से महाविद्यालय में बीएससी एवं बीकॉम के विभिन्न पाठ्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। महाविद्यालय संचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि सत्र 2013-14 में ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन एवं प्रवेश से वंचित छात्रों को हताश होने की आवश्यकता नहीं है।
ऐसे छात्र- छात्राएं जिनका किन्ही कारणवश रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है अथवा जिन्हें उनकी स्वेच्छा का महाविद्यालय नहीं प्राप्त हुआ है, वे महाविद्यालय में अतिशीघ्र सीधे प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। प्रवेश हेतु स्वयं महाविद्यालय पहुंचकर जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 

66 साल से बिजली को तरस रहे सिवनी के वाशिंदे!

66 साल से बिजली को तरस रहे सिवनी के वाशिंदे!

शिवराज की अटक ज्योति अभियान की जमीनी हकीकत

(इंजीनियर उदित कपूर)

सिवनी (साई)। इस गांव के किसी भी घर में लाइट नहीं है..., ना ही पंखा है और ना ही कूलर, फ्रिज, यहां किसी के भी घर में टीवी तक नहीं है लेकिन एक चीज़ जो हर घर में मौजूद है, वो है चिमनी यानी कि दीया। जी हां यह हकीकत है, सिवनी जिले में ऐसा ही नजारा है ग्रामीण अंचलों का
फोटो में नज़र आ रहे घुप्प अंधेरे की ये तस्वीरें हैं मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के कुछ गांवों की, जहां आज़ादी के 66 बरस बीत जाने के बाद भी आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। अंधेरे के पीछे छीपा ये सच मध्य प्रदेश सरकार के उस वादे के बिलकुल उलट है जिसमें अटल ज्योति अभियान के तहत सबके घर सदैव बिजली का दावा किया जा रहा है। सिवनी में 22 जून को प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने अटल ज्योति योजना का आगाज कर दिया है, लेकिन यहां के 14 गांवों की ये अंधकारमय तस्वीर मध्य प्रदेश सरकार के दावों को पूरी तरह नकारती नज़र आती है।
ग्राम टकटुआ के ग्रामीण राजेंद्र सिंह ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बिजली के नहीं होने से बच्चों को पढ़ने में बहुत परेशानी हो रही है, कीड़े-करकट का डर लगा रहता है, चिराग की रौशनी में पढ़ने आंखों पर ज़ोर लगाना पड़ता है, गर्मी अलग लगती है, इसलिए बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं
आलम यह है कि लाइट नहीं होने की वजह से गांव वालों के लिए रौशनी का एक मात्र सहारा चिमनी ही है, लेकिन हर रोज़ चिमनी जलाना भी इनके लिए आसान नहीं है।
वहीं ग्राम कोपीझोला के ग्रामीण दीपक विश्वकर्मा ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि लाइट ना रहने से हम लोगों को दिन में भी चिमनी जलाकर रहना पड़ता है, चिमनी में डलने वाले मिट्टी तेल के लिए 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, सोसायटी यहां से 20 किलोमीटर है, जाने के बाद भी कभी मिला नहीं मिला। वैसे बिजली का ना होना यहां के लोगों के लिए तो जैसे अभिशाप बन गया है, गांवों में कुएं भी है और पानी भी है लेकिन मोटर ना चल पाने की वजह से पानी खेतों तक नहीं पहुंच पाता। इसलिए सालभर में एक ही फसल हो पाती है।
ग्राम टकटुआ के ही किसान अशोक कुमार राहंगडाले का कहना है कि साल में एक ही फसल लेते हैं धान की, दूसरी फसल और ले लेते लेकिन बिजली नहीं है, कुएं तो हैं लेकिन पानी का साधन नहीं है, इसलिए दूसरी फसल नहीं ले सकते हैं। देखा जाए तो बिजली ना होने की वजह से ये गांव के लोग बाकी दुनिया से खुद को कटा महसूस करते हैं।
वहीं के एक अन्य ग्रामीण दुर्गा प्रसाद ठाकरे ने साई न्यूज को बताया कि बिजली ना होने की वजह से टीवी नहीं चल पाता है, जिससे हमें बाकी दुनिया में क्या हो रहा है और शासन की योजनाओं का भी पता नहीं चल पाता है। कांग्रेस का शासन रहा हो या भाजपा का या फिर लगातार लंबे समय तक यहां के विधायक हरवंश सिंह ठाकुर रहे हों पर बिजली का ये इंतज़ार इतना लंबा हो गया है कि अब तक गांव के बुज़ुर्ग भी बस एक ही बात कहतें हैं हमें बिजली दिला दो
सिवनी ज़िले की केवलारी विधानसभा के 9 गांवों सुआ, टकटुआ, चिरईडोंगरी, कोपीझोला, पीपरदौन, पाढंरापानी, मशानबर्रा, दामीझोला बंजर, डूंडलखेड़ा और बरघाट विधानसभा के 5 गांवों गुरजई, हाथीगढ़, खिड़की, पंड्रापानी और बावनथड़ी में आज तक कभी बिजली पहुंची ही नहीं, इंसान चांद पर पहुंच गया लेकिन यहां के वाशिंदों के लिए तो उनके गांव में बिजली आना आज भी एक सपने जैसा ही है। कई नेता आए, वायदा किया और चले गए, लेकिन इन गांवों की हालत बीते 66 बरस से जस की तस बनी हुई है तभी तो 4-5 गांवों के लोगों ने इस बार चुनाव के बहिष्कार का ऐलान का कर दिया है।
एक ग्रामीण अमरनाथ ने साई न्यूज से चर्चा में कहा कि हमारे यहां 66 साल से बिजली अभी तक नहीं आई है, इसलिए हम 5-6 गांव के लोगों वे मिलकर निर्णय लिया है  कि जब तक हमारे गांवों में बिजली नहीं आएगी, कोई वोट नहीं डालेगा, इसका फ़ैसला हमारा हो चुका है।
मजे की बात तो यह है कि इस बारे में जब मध्य प्रदेश पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सुपरिन्टेन्डेंट इंजीनियर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है अगर स्वीकृति मिली तो गांवों तक बिजली पहुंच जाएगी

कथन

14 गांवों में बिजली पहले तो सोलर पैनल के माध्यम से पहुंचाई गई थी, ये गांव वनबाधित गांव हैं, इन गांवों के विद्युतीकरण के लिए योजना भी स्वीकृत हुई थी, लेकिन फॉरेस्ट की ओर से केबल के माध्यम से विद्युतीकरण के लिए कहा गया, लेकिन डीपीआर में इसका ज़िक्र नहीं था इसलिए वो योजना पूरी नहीं पाई, अब जो शेष बचे हैं उनको दोबारा योजना में शामिल करने के लिए हमने प्रस्ताव बनाकर भेजा है, प्रस्ताव स्वीकृत हो जाएंगे तो विद्युतीकरण हो जाएगा।
एम एल चिकवा, सुपरिन्टेंडेंट इंजीनियर, मध्य प्रदेश पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी

जनसंख्या वहां की जितनी है उस हिसाब से व्यय ज़्यादा आ रहा था, इसलिए मेरे अनुसार जो मुझे लगता है ये गांव छूट गए, विद्युत  विभाग ने इनकों अगले प्लान में लिया हुआ है लेकिन उसमें 5 साल का समय लगना संभावित है। जनप्रतिनिधियों की भी मांग है, जनता की भी मांग है, इसके बाद मैंने समीक्षा की, विद्युत विभाग से एस्टीमेट बनवाया, तो मुझे लगता है कि इसे आईएपी से लेने की डिमांड थी, तो हम इस साल चार गांवों को केवलारी विधानसभा के दो गांव और बरघाट विधानसभा के दो गांवों को  आईएपी में विद्युतीकृत कराने में ले रहे हैं, क्योंकि विद्युत विभाग की क्षमता नहीं है इससे ज़्यादा कराने की, इस साल चार गांव ले रहे हैं, अगले साल फिर चार गांव लेंगे, इस तरह दो तीन सालों में इन गांवों को विद्युतीकृत कर देंगे।

भरत यादव, कलेक्टर, सिवनी

पैसों को लेकर हुए विवाद में आर्मी जवान की हत्या

पैसों को लेकर हुए विवाद में आर्मी जवान की हत्या

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। भारतीय सेना के एक जवान की पैसों के लेनदेन को लेकर हुए विवाद में हत्या कर दी गई। घटना जिला मुख्यालय के पॉश इलाके बारापत्थर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के समीप की बताई जा रही है। घटना में दो लोगों की गिरफ्तारी की खबर है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 24 वर्षीय राजेश पिता रघुवंशी कुमरे पहले सिवनी का निवासी था। बाद में उसका परिवार छिंदवाड़ा में पंचशील कालोनी में जाकर निवास करने लगा। मृतक श्रीनगर में सेना की आर्टलरी में पदस्थ बताया जा रहा है।
पुलिस सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि मृतक राजेश का विवाद 25 जून को अपने पैसा मांगने को लेकर हो गया। सूत्रों ने बताया कि मृतक राजेश के बैंक एकाउंट के एटीएम से अंकित शिववेदी ने 98 हजार रूपए निकाल लिए थे। जब इसकी जानकारी राजेश को लगी तो उसने अंकित से अपना पैसा वापस मांगा, जिससे विवाद गहरा गया।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि आखिर किसी के बैंक एकाउंट के एटीएम से कोई दूसरा पैसे का आहरण कैसे कर सकता है? कहा जा रहा है कि सट्टे जुएं के लेनदेन को लेकर दबंग लोगों द्वारा जिसे पैसा दिया जाता है उसका एटीएम या बैंक की साईन की हुई चेक बुक रख ली जाती है। इस तरह के एटीएम और चैकबुक पूर्व में तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार के समय बड़ी मात्रा में ब्याजखोरों के पास से बरामद हो चुके हैं।
सूत्रों ने आगे बताया कि घटना के दिन गुरूवार को मृतक राजेश जो छिंदवाड़ा से सिवनी आकर अपने मित्र अखिलेश उर्फ गोलू वाघमारे के घर रूका था, वह घर के सामने खड़ा था। इसी बीच अज्जू शिववेदी जो अंकित का भाई बताया जाता है ने उससे कहा कि वह उससे बात करना चाह रहा है और उसे जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के पास ले गया।
बताया जाता है कि घटना स्थल पर पहले से ही खड़े अंकित शिववेदी और विक्की पवार ने मृतक के साथ ना केवल मारपीट की वरन उसे चाकुओं से गोद डाला। मृतक की चीख पुकार सुनकर स्थानीय लोग वहां पहुंचे जिससे हमलावार वहां से भाग खड़े हुए।
घटना के उपरांत घायल राजेश को जिला चिकित्सालय उपचारार्थ लाया गया, जहां सदा की ही भांति प्राथमिक उपचार के उपरांत राजेश को नागपुर रिफर कर दिया गया। नागपुर ले जाते समय रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। पुलिस ने आज राजेश का शव परीक्षण कराकर शव को परिजनों को सौंप दिया है।
इस संबंध में नगर कोतवाल शिवराज सिंह ने बताया कि प्रकरण में अज्जू उर्फ अजय शिववेदी और विक्की पवार को पुलिस ने पकड़ लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है।
इस घटना के उपरांत अनेक सवाल आज भी अनुत्तरित ही रह गए हैं। मसलन, राजेश के एटीएम से किसी ने पैसे का आहरण कैसे कर लिया? क्या पुलिस एटीएम के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से पैसा निकालने वाले से पूछताछ करेगी? अगर पैसे का लेनदेन था तो आखिर किस बात का पैसा था जिसका लेनदेन किया जा रहा था? क्या मृतक जुंए का आदी था?
इन सारी बातों का जवाब तो पुलिस की तफतीश के उपरांत ही सामने आएगा, किन्तु सिवनी में पैसों को लेकर होने वाली मारपीट यहां तक कि हत्या की घटनाओं में इजाफा होने से स्पष्ट होने लगा है कि जुंआ एवं सट्टा तथा अन्य माफिया अब पुलिस पर भारी पड़ता दिख रहा है।

अमानवीय होते चिकित्सक, पिसते मरीज

अमानवीय होते चिकित्सक, पिसते मरीज

(शरद खरे)

अस्सी के दशक तक सिवनी में स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त मानी जाती थीं। सिवनी को विकसित करने प्रदेश सरकार की कैबनेट मंत्री रहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा ने जितने प्रयास किए उतने शायद ही किसी ने किए हों। एक के बाद एक सिवनी को सौगातें देने वाली सुश्री विमला वर्मा के प्रयासों से सिवनी में आई विकास की किरण को भी उनके सक्सेसर जनसेवकों द्वारा संभाल कर नहीं रखा जा सका है।
सिवनी के लिए उनकी अमूल्य धरोहर है विशालकाय क्षमता वाला जिला चिकित्सालय। प्रियदर्शनी के नाम से सुशोभित इस जिला अस्पताल का नाम जबलपुर संभाग में बहुत ही सम्मान के साथ इसलिए लिया जाता था, क्योंकि यहां हर तरह की सुविधाएं और चिकित्सक मौजूद थे। चिकित्सक घरों के बजाए अस्पताल में ही जाकर ईलाज को प्राथमिकता देते थे। याद पड़ता है कि उस दौर में शहर में महज चार या पांच मेडीकल स्टोर्स ही होते थे। मरीजों को दवाएं अस्पताल से ही मिला करती थी। कमोबेश हर मरीज या उसके परिजन के हाथ में एक कांच की बोतल अवश्य होती थी। इस बोतल में मिक्सचर (लिक्विड फार्म में दवा का मिक्चर) दिया जाता था। पीली, हरी या लाल गोली देते वक्त कंपाउंडर मरीजों को दवा का चिकित्सक द्वारा लिखा डोज बताया करते थे। उस समय चिकित्सक अक्सर जीभ देखकर ही रोग का अंदाजा लगाया करते थे।
कालांतर में सुविधाएं बढ़ीं। जांच के तौर तरीके उन्नत हुए। इसके साथ ही चिकित्सकों के मन में भी लोभ जागा। जिला चिकित्सालय की ओर ध्यान ना दिए जाने से यहां चिकित्सकों ने अस्पताल के बजाए घरों पर ही निजी चिकित्सा पर ज्यादा ध्यान देना आरंभ कर दिया। आलम यह हो गया कि अस्पताल परिसर में निर्मित रेड क्रास की दुकानों में ही पैथालाजी सेंटर और एक्सरे का काम यहां पदस्थ चिकित्सकों ने आरंभ कर दिया।
सिवनी के सांसद विधायक मंत्रियों ने इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा। याद पड़ता है कि अंतिम बार 1992 में भाजपा की सुंदर लाल पटवा सरकार के विधि विधायी मंत्री और सिवनी विधायक पंडित महेश प्रसाद शुक्ला ने इस चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। इसके बाद किसी विधायक, सांसद या मंत्री ने चिकित्सालय की ओर रूख नहीं किया है। चिकित्सालय में दुकाने लग रही हैं। एक बजे तक मरीजों को देखने के स्थान पर चिकित्सक साढ़े बारह बजे ही अस्पताल छोड़ देते हैं। अपने अपने घरों या फिर प्राईवेट बस स्टेंड में बने हाउसिंग बोर्ड के शापिंग काम्पलेक्स में इन चिकित्सकों की दुकानों पर मरीजों की भीड़ देखते ही बनती है। एक बार पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी चौहान ने इन दुकानों की तालाबंदी की पर इन चिकित्सकों ने अपने अफसर को ही धता बताकर दुकाने फिर खोल लीं।
प्रदेश सरकार ने इन चिकित्सकों और दवा कंपनियों की जुगलबंदी तोड़ने के लिए जैनरिक नेम से ही दवाएं लिखने का फरमान जारी कर दिया पर प्रदेश सरकार का खौफ किसे है। यहां तो धड़ल्ले से जिस कंपनी के एरिया मैनेजर से सौदा पट गया उसकी दवाएं लिखी जा रही हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि चिकित्सकों का पिन टू प्लेन तक का खर्च इन दवा कंपनियों द्वारा उठाया जा रहा है। धनवंतरी के वंशज कहे जाने वाले इन चिकित्सकों की मानवीयता शायद मर चुकी है। जिला चिकित्सालय में व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची है।
जिला चिकित्साल में कमोबेश नब्बे फीसदी चिकित्सक बीस पच्चीस साल से अधिक समय से पदस्थ हैं। इनकी ठेकेदारी इस अस्पताल में चल रही है। मरीजों के साथ पशुओं से बुरा व्यवहार करने में भी इन्हें गुरेज नहीं है। अस्पताल में खून का धंधा जोरों पर है। दवाओं की खरीद में भी घाल मेल है। पेंशनर्स को मिलने वाली दवाओं का बुरा हाल है। अगर किसी को ब्लड प्रेशर की कोई दवा लग रही है तो उसे वहां उपलब्ध दवा चाहे लोसार या एटेन ही मिलेगी। इसके साथ ही साथ जनरल पूल मेें खरीदी जाने वाली मल्टी विटामिन भी पेंशनर्स के लिए खरीदी जा रही हैं।
इतना ही नहीं एनआरएचएम में क्या कार्य हो रहे हैं इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। एनआरएचएम के तहत कितना फंड आता है और उसका अब तक क्या उपयोग हुआ है इस बारे में भी स्वास्थ्य महकमा खामोश ही है। गाहे बेगाहे चिकित्सकों द्वारा मरीजों से पैसा मांगने की शिकायतें भी आम हैं। इसी तरह की एक शिकायत जिला कलेक्टर की जनसुवाई में आई है। सिवनी में सालों से पदस्थ रहने वाले चिकित्सकों ने अपनी अपनी विशाल अट्टालिकाएं खड़ी कर ली हैं। इन अट्टालिकाओं को बनाने के लिए उनके पास पैसा कहां से आया यह पूछने के लिए कोई भी सरकारी महकमा तैयार नहीं है। चिकित्सालय में कर्मचारियों चिकित्सकों और पेरामेडीकल स्टाफ का रोना जब तब रोया जाता है। दो दो विधायकों के पति सिवनी में पदस्थ हैं। सीएमओ अपने लिए ईयर मार्क आवास के बजाए पुराने अस्पताल में रह रहे हैं। जिला कलेक्टर ने अस्पताल का भ्रमण किया और कुछ दिशा निर्देश दिए हैं जिसे अच्छी पहल कहकर इसका स्वागत किया जाना चाहिए। अभी प्रशासन को इस बीमार अस्पताल को पटरी पर लाने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।