मंगलवार, 17 जुलाई 2012

वाजपेयी का अक्स दिख रहा है गड़करी में!

वाजपेयी का अक्स दिख रहा है गड़करी में!

भाजपा में नए युग के आगाज के संकेत

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी में नए युग का आगाज होने जा रहा है। अटल बिहारी बाजपेयी के सक्रिय राजनीति से किनारा करने के उपरांत एल।के।आड़वाणी उस कमी को पूरा करने में असफल ही साबित रहे हैं। भाजपा में आई इस रिक्तता (वेक्यूम) से संघ के आला नेता चिंतित नजर आ रहे थे। नितिन गड़करी के अध्यक्ष बनने के उपरांत अब संघ नेतृत्व के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ दिखाई पड़ने लगे हैं।
ज्ञातव्य है कि 2004 में शारीरिक तौर पर असमर्थ हो वाले भाजपा की नैया के खिवैया अटल बिहारी बाजपेयी ने धीरे धीरे राजनैतिक बिसात से अपने आपको समेटना आरंभ कर दिया था। 2006 के बाद अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने आप को घर में ही मानो कैद कर लिया हो। इसके बाद भाजपा में नंबर टू पोजीशन वाले एल।के।आड़वाणी ने अति उत्साह दिखाया, पर वे कामयाब ना हो सके।
कहा जा रहा है कि 2009 के आम चुनावों के पहले ही आड़वाणी ने खुद को पीएम इन वेटिंग बनवाकर अपनी मिट्टी खराब कर ली। पीएम इन वेटिंग के विवादस्पद बयान और क्रिया कलापों ने उन्हें पार्श्व में ही ढकेल दिया। दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि आड़वाणी के असफल रहने के उपरांत संघ के शीर्ष नेतृत्व की पेशानी पर चिंता की लकीरें उभर आईं थीं।
सूत्रों ने कहा कि संघ नेतृत्व ने इसके उपरांत महाराष्ट्र की सूबाई राजनीति से नितिन गड़करी को उठाकर भाजपा का देश भर का सिरमौर बना दिया। गड़करी के अध्यक्ष बनने की बात से ही काफी बवाल मचा। संघ नेतृत्व चुपचाप सब कुछ देखता रहा। आरंभिक कदम ताल के बाद गड़करी ने काफी हद तक सही और सटीक कदम उठाकर अपने आप को संघ के सामने साबित कर ही दिया।
सूत्रों की मानें तो संघ अब गड़करी में वाजपेयी का ही अक्स देख रहा है, क्योंकि वाजपेयी के उपरांत गड़करी ही हैं, जिनकी कांग्रेस में भी स्वीकार्यता है। यह बात सियासी फिजां में तैरते ही भाजपा के उन नेताओं की रातों की नींद हराम हो गई जो दिल्ली के ताज पर नजरें गड़ाए बैठे थे।
भाजपा नेता उस वक्त आवक रह गए जब गड़करी के छोटे पुत्र के रिसेप्शन में आयोजित भोज में होटल अशोका में कांग्रेस के आला नेताओं ने आमद दी। भाजपा नेताओं को उम्मीद नहीं थी कि कांग्रेस भी भाजपा के निजाम के इस निजी प्रोग्राम में शिरकत करेगा। इससे भाजपाई नेताओं का वह मिथक टूटा की कांग्रेस के लिए भले ही आड़वाणी और नरेंद्र मोदी के साथ ‘‘सुरिक्षत अंतर ठेवा‘‘ यानी सुरक्षित दूरी बनाए रखें का जुमला नीति वाक्य हो पर गड़करी उनके लिए इस श्रेणी से प्रथक ही हैं।
गड़करी पुत्र के रिसेप्शन में भारत गणराज्य के वज़ीरे आज़म डॉक्टर मनमोहन सिंह का पहुंचना सबसे बड़ा अजूबा ही माना जा रहा है। इतना ही नहीं कांग्रेसनीत संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी भी गड़करी के भोज में जा पहुंचे। इस प्रोग्राम में कांग्रेस के अनेक मंत्रियों ने भी अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज करवाकर सभी को चौंका दिया।
इस भोज में उपस्थित भाजपा के आला नेता भी हैरानी से सब कुछ देख सुन रहे थे। संघ तो नितिन गड़करी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की छाया देख रहा है, वहीं भाजपा के नेता गड़करी के रिसेप्शन में यह कहते सुने गए कि लगता है भाजपा को वाजपेयी के उपरांत गड़करी के रूप में नया खिवैया मिल ही गया है।

एक अदद मकान नहीं बन पाया पेंसठ साल में!


एक अदद मकान नहीं बन पाया पेंसठ साल में!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या कहा जाएगा कि आजादी के छः दशकों बाद भी भारत गणराज्य की सरकारें देश के प्रथम नागरिक के लिए एक अदद मकान नहीं बना पाई है। आज भी रायसीना हिल्स पर दासता के प्रतीक ब्रिटिश वायसराय के लिए बने सरकारी आवास में आज भी देश की सरकारों द्वारा देश के प्रथम नागरिक को ससम्मान निवासरत किया हुआ है।
इन छः दशकों में देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली लगभग सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के सरमायादार भले ही देश को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर निरूपित करती आई हो, सियासतदारों ने अपने खुद के रहने के लिए एक से एक बढ़िया मंहगी आधुनिक अट्टालिकाएं खड़ी कर लीं हों पर भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को गुलाम भारत में बनी इन इमारतों में ही चैन की नींद आ रही है।
यहां उल्लेखनीय होगा कि मध्य प्रदेश की स्थापना के साथ ही वहां सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से वल्लभ भवन का निर्माण करवाया गया जो आज देश के हृदय प्रदेश के मंत्रालय के रूप में आन, बान और शान से खड़ा हुआ है। एमपी में ब्रितानी हुकूमत के मिंटो हाल जो विधानसभा हुआ करता था के स्थान पर नब्बे के दशक के अंतिम सालों में नया विधानसभा भवन बनकर तैयार कर लिया गया।
देश के प्रथम नागरिक के सरकारी कार्यालय और आवास को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पी।ए।संगमा ने कबाडखानाजरुर कह दिया हो लेकिन देश के जिस आलीशान भवन में रहने का गौरव प्रथम नागरिक को मिलता है उसकी भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चार मंजिला इस भवन में 340 कमरे हैं और सभी कमरों का उपयोग किया जा रहा है।
इस शानदार इमारत के मुख्य शिल्पकार थे एडविन लैंडसोर लुटियंस। राष्ट्रपति भवन के बारे में लुटियंस ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि इस भवन के निर्माण में दो युद्धपोतों से कहीं कम राशि खर्च हुई है। इस भवन का निर्माण कार्य मात्र डेढ़ करोड़ रुपये से कम लागत में 17 वर्षाे में पूरा किया गया।
लगभग दो लाख वर्ग फुट में बना राष्ट्रपति भवन आजाद से पहले तक ब्रिटिश वायसराय का सरकारी आवास था। करीब 70 करोड़ ईटों और 30 लाख घन फुट पत्थर से बने इस भवन के निर्माण में एक करोड चालीस लाख रुपये खर्च हुए थे। राष्ट्रपति पद के लिए संप्रग के उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि, ‘‘ मुझे सुबह टहलने की आदत है। मैं अपने लॉन में 30, 40 चक्कर लगाता हूं। राष्ट्रपति भवन का लॉन काफी बडा है। किसी को इतने चक्कर लगाने की जरुरत नहीं होगी।’’
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति भवन की देखरेख के कार्य के लिए 439 कर्मचारियों के पद मंजूर किये गए हैं जिनमें से 334 कर्मचारी अभी कार्यरत हैं। राष्ट्रपति सचिवालय में काम करने वाले कर्मचारियों एवं अधिकारियों के 347 पद मंजूर हैं जिसमें से 285 कर्मचारी अभी कार्यरत हैं।
राष्ट्रपति भवन के स्तंभों पर उकेरी गई घंटियां, जैन और बौद्ध मंदिरों की घंटियों की अनुकृति है। भवन के स्तंभों के निर्माण की प्रेरणा थी कर्नाटक में मूडाबिर्दी स्थित जैन मंदिर। हालांकि लुटियंस ने कहा था कि भवन के गुंबद रोम के मंदिर पैन्थियन आफ रोम की याद दिलाता है। राष्ट्रपति भवन में बने चक्र, छज्जे, छतरियां और जालियां भारतीय पुरातत्व पद्धति की याद दिलाते हैं।
1911 में दिल्ली दरबार में फैसला किया गया कि भारत की तत्कालीन राजधानी कलकता से दिल्ली स्थानान्तरित की जायेगी। उसके बाद यह निर्णय भी लिया गया कि दिल्ली में ब्रिटिश वायसराय के रहने के लिए एक शानदार इमारत का निर्माण किया जाए। राष्ट्रपति भवन के प्रमुख इंजीनियर हक कीलिंग थे जबकि इस भवन का अधिकतर निर्माण कार्य ठेकेदार हसल अल राशिद ने कराया था। भारत के गर्वनर जनरल के तौर पर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी राष्ट्रपति भवन में रहे थे। 26 जनवरी 1950 को प्रथम राष्ट्रपति के रुप में यह भवन डा। राजेन्द्र पसाद का आवास बना, तभी से यह देश के राष्ट्रपति का सरकारी आवास बना हुआ है।
राष्ट्रपति भवन का खास आकर्षण मुगल गार्डन है। मुगल गार्डन के साथ राष्ट्रपति भवन के बगीचे की देखरेख के लिए सवा दो सौ से अधिक माली लगे हैं। मुगल गार्डन में 110 विभिन्न प्रजातियों के औषधीय पौधे, 200 गुलाब की प्रजातियां और रंग बिरंगे फूल हैं। राष्ट्रपति भवन में काफी संख्या में पशु पक्षी भी हैं।

अर्जुन ने द्रोणाचार्य को दिया वनवास!


अर्जुन ने द्रोणाचार्य को दिया वनवास!

दिग्विजय सिंह से छिना उत्तर प्रदेश का प्रभार

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह का शनी अभी भारी होता दिख रहा है। मध्य प्रदेश से निकलकर केंद्रीय राजनीति में अपना डंका बजाने वाले दिग्गी राजा की हालत अब पतली होने लगी है। बड़बोलेपन के चलते दिग्विजय सिंह को उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव पद से हटा दिया गया है। दिग्गी राजा के स्थान पर एमपी के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद को यूपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2003 में एमपी के विधानसभा चुनाव के दौरान दो बार लगातार मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह द्वारा यह कसम उठाई गई थी कि अगर वे तीसरी बार प्रदेश में कांग्रेस का परचम नहीं लहरा पाए तो वे दस सालों तक सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगे। इसके बाद दिग्गी राजा का शनि कुछ भारी हुआ और एमपी में कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया।
इसके उपरांत राजा दिग्विजय सिंह ने केंद्र की ओर रूख किया। राजा को एआईसीसी का महासचिव बना दिया गया। राजा के करीबी सूत्रों का कहना है कि दिग्गी राजा ने धीरे धीरे कांग्रेस की नजर में भविष्य के वज़ीरे आज़म राहुल गांधी को साधना आरंभ किया। मुख्यमंत्री रहते हुए अपने संपर्क सूत्रों का उपयोग कर राजा ने अपने आप को राहुल गांधी को अर्जुन और खुद को उनका गुरू द्रोणाचार्य निरूपित करवा दिया।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के पहले राजा दिग्विजय सिंह सिंह और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की जुगलबंदी कांग्रेस के अनेक नेताओं को बुरी तरह खल रही थी। कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश सूबा इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि इसी सूबे में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और उनके पुत्र महासचिव राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है। राजा की तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस अपना अस्तित्व यूपी में नहीं बचा पाई। उल्लेखनीय होगा कि राजा उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव थे।
कुछ समय से राजा दिग्विजय सिंह की अनर्गल बयानबाजी से कांग्रेस के आला नेता खासे नाराज बताए जा रहे थे। कई बार तो दिग्गी राजा की बयानबाजी से सोनिया और राहुल तक असहज दिखाई दिए। हाल ही में उनकी बयानबाजी से आज़िज आकर कांग्रेस ने उनके बोलने पर ही पाबंदी लगा दी थी।
आज कांग्रेस के महासचिव, राहुल गांधी के अघोषित राजनैतिक गुरू, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राघोगढ़ राजपरिवार के सदस्य राजा दिग्विजय सिंह को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रभार से मुक्त कर उनके स्थान पर एमपी के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद को यूपी का प्रभार दे दिया है।
24, अकबर रोड़ यानी एआईसीसी मुख्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस अब राजा की रूखसती के ठोस कारण के लिए जोड़तोड़ की जा रही है। पिछले दिनों राजा अपनी पत्नि आशा सिंह का इलाज करवाने विदेश गए थे। संभवतः इसे ही आधार बनाकर एआईसीसी अपनी और राजा की खाल बचाएगी!

हरवंश पर भाजपा की चुप्पी संदिग्ध


हरवंश पर भाजपा की चुप्पी संदिग्ध

(शमीम खान)

सिवनी (साई)। साधारण ठेकेदार और स्कूली शिक्षक से हजारों करोड़ो रूपयों का कारोबार करने वाले दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा के धनबलि और बाहुबलि बनने की घटना से ज्यादा रोचक है एक साधारण कृषक के परिवार में जन्मे हरवंश सिंह के द्वारा विराट संपत्ति और धनसंपदा जुटाने की सच्चाई से। हालांकि अपने कुशल मैनेजमेंट के दम पर फिलहाल हरवंश सिंह ने आकृति समूह के कथित संचालक हेमंत सोनी का नाम मीडिया से हटवा लिया है परंतु संघ और भाजपा से जुड़े ईमानदार नेता हरवंश सिंह को घेरने की तैयारी में जुट गये हैं। संदेहास्प्रद रूप से इस मामले में डा. ढालसिंह बिसेन, नरेश दिवाकर से लेकर हरवंश सिंह को पानी पी- पी कर कोसने वाली नीता पटेरिया के होठ सिल गये हैं।
छिंदवाड़ा जिले के बिंदरई गांव से विस्थापित होकर सिवनी जिले के बर्रा गांव में स्थापित होने वाले हरवंश सिंह और उनके परिवार के पास शुरूआती दौर में भले ही एक भी एकड़ जमीन नहीं थी परंतु यदि सूत्रों की माने तो आज हरवंश सिंह के पास सिर्फ सिवनी जिले में पंद्रह सौ एकड़ (डेढ़ हजार एकड़) से ज्यादा जमीन है। आज भी हरवंश सिंह और उनके परिवार के द्वारा जिले में बेशकीमती जमीन खरीदने का सिलसिला जारी है। सूत्रों की माने तो अभी कुछ महीने पहले ही हरवंश सिंह ने अपने पुत्रों के नाम बेशकीमती जमीन खरीदा है। इसी खरीदी में कॉमेडी यह है कि यह जमीन हरवंश सिंह ने बैंक से लोन लेकर खरीदा है।
नब्बे के दशक में हाथकरघा संघ का उपाध्यक्ष बनकर भोपाल में सत्ता के ठेकेदारों के संपर्क में आने के बाद हरवंश सिंह को बड़ा आदमी बनने का वर्षों पुराना सपना साकार होते दिखने लगा। इस दौर में हरवंश सिंह ने जमीन पर निवेश करना प्रारंभ कर दिया। हरवंश सिंह के खेत करोड़ो रूपये मूल्य की सोयाबीन की फसल दर्शाने लगे। हरवंश सिंह और उनके परिवार के द्वारा सोयाबीन समेत अन्य फसलों को बेचकर होने वाली आय की जांच की जाये तो अत्यंत दिलचस्प आंकड़े सामने आ सकते हैं।
1992-93 में केवलारी विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद हरवंश सिंह की समृद्धि को पंख लग गये थे। प्रदेश की राजनीति से बलशाली नेता अर्जुन सिंह की विदाई हो रही थी। समय को भांपकर हरवंश सिंह ने कमलनाथ के बंगले के चक्कर लगाना शुरू कर दिया था। दिग्विजय सिंह मंत्री मंडल के ताकतवर मंत्री के रूप में पहचान बनाने वाले हरवंश सिंह ने कथित तौर पर कमलनाथ के केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री रहते कई अहम पर्यावरणीय अनुमति दिलाने के मामले में प्रमुख भूमिका निभाया, जिसके परिणाम स्वरूप हरवंश सिंह दुगुनी तेजी से समृद्ध और धनी होने लगे।
बीसवीं सदी के अंतिम दशक में हरवंश सिंह ने विभिन्न व्यवसाय में निवेश करना प्रारंभ कर दिया था। 1993 से 1998 को पहली पंचवर्षीय में हरवंश सिंह ने प्रमुख रूप से जमीन खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाया था। छपारा ब्लाक में भीमगढ़ सड़क से सटी मधुवन फार्म हाऊस को देश- प्रदेश का हर व्यक्ति देखना चाहेगा। लगभग दो सौ एकड़ में फैले इस फार्म हाऊस के मालिक ठाकुर हरवंश सिंह और उनका परिवार है। छपारा के पास फोरलेन बायपास से उक्त फार्म हाऊस में बनाये गये वेयर हाऊस स्पष्ट तौर पर देखे जा सकते हैं। इन वेयर हाऊस में नरसिंहपुर और करेली के शुगर मील से लायी गयी शक्कर और अन्य कृषि उत्पाद रखे जाते हैं।
जमीन के मामले में साधारण जानकारी रखने वाला व्यक्ति भी भीमगढ़ बांध से लगी मधुबन फार्म हाऊस की दो सौ एकड़ जमीन की कीमत का अंदाजा आसानी से लगा सकता है। यदि उक्त जमीन की न्यूनतम कीमत पांच लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से आंकलित की जाये तो मधुबन फार्म हाऊस की वर्तमान न्यूनतम कीमत दस करोड़ रूपये होगी।
सूत्रों की माने तो मधुबन फार्म हाऊस की दो सौ एकड़ जमीन से कहीं ज्यादा जमीन हरवंश सिंह और उनके परिवार ने धनौरा और उसके आसपास के क्षेत्रों में खरीदा है, जिसकी चर्चा हम अगली बार करेंगे साथ ही यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि मात्र दस वर्ष की छोटी अवधि में कोई किसान कैसे एक हजार एकड़ से ज्यादा जमीन खरीद सकता है।

असम मामले में पुलिस के हत्थे चढ़े एक दर्जन आरोपी


असम मामले में पुलिस के हत्थे चढ़े एक दर्जन आरोपी

(जाकिया तस्मिन रहमान)

गुवाहाटी (साई)। असम पुलिस ने एक लड़की के साथ दुर्व्यव्हार के मामले में कल पांच और गिरफ्तारियां की। इसके साथ ही सोमवार की इस घटना के सिलसिले में गिरफ्तार होने वालों की संख्या बढ़कर १२ हो गई है। हालांकि मुख्य आरोपी अब तक फरार है। पुलिस ने उसे पकड़ने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के आवास के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पीड़िता ने कल असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई से उनके सरकारी आवास पर भेंट की। मुख्यमंत्री ने पीड़ित लड़की को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। गोगोई ने ये भी कहा कि घटना से जुड़े सभी आरोपियों को जल्दी पकड़ा जाएगा।
बताया जाता है कि घटना की शिकार लड़की एक ब्यूटीपार्लर खोलना चाहती है। असम सरकार ने इसलिए शुरू में पचास हजार रुपये देने की बात कही। अतिरिक्त मुख्य सचिव अमीली चौधरी ने मुख्यमंत्री के आदेश पर इस घटना की जांच शुरू कर दी है और १५ दिन के भीतर वो अपना रिपोर्ट सौपेंगे। गोगोई ने साथ में ये भी कहा कि जरूरत पड़ने पर घटना की जांच सीआईडी को सौंप दिया जाएगा।
उधर, गुवाहाटी में एक लड़की से सरेआम छेड़छाड़ मामले की जांच करने गई राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम से सदस्य रहीं अल्का लांबा को उनके एक विवादास्पद बयान के बाद पद से हटा दिया गया है। लांबा पर आरोप है कि उन्होंने मीडिया के सामने उक्त बाला की पहचान उजागर की थी। नियम के मुताबिक अलका लांबा को भी लड़की की पहचान के बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहना चाहिए था लेकिन गैर ज़िम्मेदाराना तरीके से उन्होंने मीडिया के सामने लड़की का नाम और पहचान बता दिया।
चौदह तारीख को महिला आयोग की जांच टीम गुवाहाटी पहुंची थी अलका और उनकी टीम ने स्थानीय अधिकारियों से मुलाकात की और बाद में मीडिया को जब इस बात की जानकारी देने के लिए बैठी तो उनको ख्याल ही नहीं रहा कि वो क्या बोल रही हैं। अगर एक बार मुंह ने नाम निकलता तो समझ में आता है कि गलती से निकल गया होगा, लेकिन अलका ने पत्र वार्ता में कई बार पीड़ित लड़की के नाम का जिक्र किया। बीजेपी लीडर स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया था कि नाम का खुलासा करके अलका ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है। उधर, गुवाहाटी के शहर एसएसपी अपूर्व जीवन बरुआ का ट्रांसफर कर दिया गया है।
नौ जुलाई की रात को गुवाहाटी में लड़की से छेड़छाड़ की घटना हुई थी। पुलिस इस मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी हैं। महिला आयोग की टीम गुवाहाटी घटना की जांच के लिए पहुंची थी लेकिन अलका लंबा ने जिस गैर ज़िम्मेदाराना तरीके से जांच की है उससे उनकी काबिलियत सवालों के घेरे में है।
इस बीच समचार एजेंसी ऑफ, इंडिया को सूत्रों से पतासाजी पर ज्ञात हुआ है कि नाबालिग को सरेआम बेइज्जत करने की घटना का मुख्य आरोपी भुवनेश्वर में है। साई समाचार की इस बात पर खुद असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने मोहर लगाई है। सोमवार को असम विधानसभा के बाहर गोगोई ने पत्रकारों से कहा कि मुख्य आरोपी अमरज्योति कालिता के मोबाइल फोन की ट्रैकिंग से उसके भुवनेश्वर में मौजूद होने का पता चला है। उसे पकडऩे की कोशिशें जारी हैं। हमारी पुलिस ओडिशा पुलिस से संपर्क में है और जल्द उसके पकड़े जाने की उम्मीद है।
पुलिस ने कालिता को पकड़वाने वाले को एक लाख रुपये की नकद मदद का ऐलान किया है। बाकी फरार आरोपियों की तलाश में भी असम और पड़ोसी राज्यों में सर्च ऑपरेशन हो रहा है। अब तक सात लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि 9 को पकड़ा जाना है।
गोगोई ने आरोप लगाया कि जिस टीवी चौनल के रिपोर्टर ने टीनएजर पर हमले का विडियो बनाया उसका रोल अनैतिक था। घटना का विडियो बनाना उसकी पत्रकारीय जिम्मेदारी थी पर पुलिस को बुलाने की उसकी सामाजिक जिम्मेदारी भी बनती थी। मीडिया हर मौके पर सरकार और पुलिस को ब्लेम करता है मगर पत्रकारों की भी समाज के प्रति जिम्मेदारी बनती है। गोगोई ने कहा कि मैं खुद भी पीड़ित लड़की से मिलकर उसे मदद का भरोसा देना चाहता हूं। उधर, असम पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, विडियो बनाने वाले पत्रकार और कैमरापर्सन से भी पूछताछ की जाएगी। इस बारे में राज्य सरकार ने केंद्र को भी बता दिया है।
प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन अल्फा के वार्ता विरोधी धड़े ने सोमवार को लोगों से अपील की कि वे गुवाहाटी की घटना का विरोध जारी रखें। इसकी जितनी निंदा की जाए, कम है। मुट्ठी भर लोगों ने, जिन्हें इंसान कहलाने का भी हक नहीं, असम की जनता का सिर दुनिया के सामने शर्म से झुका दिया है।
इस सवाल पर कि मामले की जांच कर रही महिला आयोग की टीम से वह क्यों नहीं मिले, गोगोई ने कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वह सीएम से मिलें। मैं मिलने को तैयार था। राज्य में क्राइम की स्थिति का विश्लेषण करने के लिए मैंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से डेटा मांगा है और उसके मुताबिक ही कार्रवाई की जाएगी। उधर, इस मसले पर विधानसभा में भी हंगामा हुआ। अध्यक्ष की ओर से कार्यस्थगन प्रस्ताव को नामंजूर किए जाने के बाद एआईयूडीएफ, असम गण परिषद और बीजेपी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया।
एक 82 साल के बुजुर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर गुवाहाटी में छेड़छाड़ की शिकार लड़की को मुआवजा दिए जाने की गुहार लगाई है। मध्य प्रदेश के रहने वाले याचिकाकर्ता ने अर्जी में कहा है कि लड़की को 27 लाख रुपये मुआवजा दिलवाया जाए। इस मामले में असम सरकार पर सवाल उठाया गया और कहा गया कि सरकार संविधान के तहत काम करने में नाकाम रही है।
इसके साथ ही साथ समाचार एजेंसी, ऑफ इंडिया की सेंट्रल न्यूज डेस्क से मणिका सोनल ने नई दिल्ली से बताया कि गत दिनों गुवाहाटी में एक किशोरी से छेड़छाड़ करने और उसके कपड़े फाड़ने का मामला सोमवार को सर्वाेच्च न्यायालय पहुंच गया। एक याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सर्वाेच्च न्यायालय से कहा कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह राष्ट्रपति को असम सरकार बर्खास्त करने की सलाह दें। याचिकाकर्ता सत्यपाल आनंद ने कहा कि असम में तरुण गोगोई की सरकार कानून का राज कायम रखने में विफल रही है। उन्होंने साथ ही पीड़ित युवती के लिए मुआवजे की भी मांग की।
याचिकाकर्ता ने कहा कि असम सरकार संविधान में प्रदत्त प्रावधानों के अनुसार काम करने में विफल रही है। याचिकाकर्ता के मुताबिक यह सीधे तौर पर मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला है। आनंद ने अपनी याचिका में यह भी अपील की है कि दोषियों और दोषी पाए गए अधिकारियों से मुआवजे की रकम वसूली जाए।
एक अन्य मामले में न्यायमूर्ति डी.के. जैन और न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। यह याचिका भी आनंद की ही थी। आनंद ने अपनी इस याचिका में इंदौर जिले के बेतमा शहर में दो स्कूली छात्राओं के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में पीड़ित लड़कियों को 7.5 लाख रुपये की अंतरिम सहायता दिए जाने की मांग की थी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पीड़ित छात्राओं को मुआवजा देने संबंधी याचिका खरिज कर दी थी।

आईएमएफ ने आर्थिक वृद्धि दर घटाई


आईएमएफ ने आर्थिक वृद्धि दर घटाई

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, आईएमएफ ने दुनिया में बिगड़ती आर्थिक स्थिति को देखते हुए २०१२ के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को शून्य दशमलव ७ प्रतिशत घटाकर ६ दशमलव एक प्रतिशत कर दिया है। आईएमएफ ने किसी देश की वृद्धि दर के अनुमान में यह सबसे बड़ी कटौती की है।
आईएमएफ ने विश्व के आर्थिक परिदृश्य की नई रिपोर्ट में २०१३ के लिए भी भारत की वृद्धि दर के अनुमान को इसी अंतर से घटाकर ६ दशमलव ५ प्रतिशत कर दिया है।मुद्राकोष ने २०१२ के लिए वैश्विक वृद्धि दर का अनुमान ३ दशमलव ६ से घटाकर ३ दशमलव ५ प्रतिशत कर दिया है।
इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने सोमवार को कैलेंडर वर्ष 2012 के लिए भारत की ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया। उसने कहा कि कमजोर डोमेस्टिक डिमांड और विदेश में मुश्किल हालात के चलते ऐसा किया गया। आईएमएफ ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू घटने और बड़े फिस्कल डेफिसिट के चलते भारत की फाइनैंशल स्टेबिलिटी को लेकर चिंता बढ़ गई है।
आईएमएफ ने अपने वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक (डब्ल्यूईओ) में ग्लोबल इकॉनमी को बढ़ते रिस्क और चीन में अचानक ग्रोथ कम हो जाने को लेकर आगाह किया। समाचार एजेंसी, आफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार फंड ने दो अन्य रिपोर्ट्स ग्लोबल फाइनैंशल स्टैबिलिटीऔर फिस्कल मॉनिटर भी जारी की। फंड को 2012 में भारतीय इकॉनमी की ग्रोथ सिर्फ 6.1 फीसदी रहने की उम्मीद है। इससे पहले अप्रैल में उसने 6.8 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया था। इसके अलावा, उसे 2013 में खास रिकवरी की उम्मीद भी नहीं है।
आईएमएफ ने 2013 में सिर्फ 6.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया है, जो पहले के 7.2 फीसदी के अनुमान से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि कई उभरते बाजार खासकर ब्राजील, चीन और भारत में भी ग्रोथ मोमेंटम कम हुआ है। यह आंशिक रूप से विदेश में कमजोर हालात का संकेत देता है, लेकिन पिछले एक साल में पॉलिसी में सख्ती और क्षमता विस्तार में बाधा के चलते भी डोमेस्टिक डिमांड सुस्त हुई है।
कई प्राइवेट इकनॉमिस्ट्स ने फाइनैंशल ईयर 2012-13 में ग्रोथ के अनुमान को पहले ही घटाकर करीब 6 फीसदी कर दिया है। आईएमएफ ने 2012 में ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान को 0.1 फीसदी घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया है। उसे 2013 में ग्रोथ बढ़कर 3.9 फीसदी रहने की उम्मीद है। यह भी उसके पहले के अनुमान से कम है। वर्ल्ड इकॉनमी के मिड-ईयर एसेसमेंट में कहा गया है, कि गिरावट का काफी ज्यादा जोखिम बना हुआ है।
रिपोर्ट में चीन में ग्रोथ अचानक घटने को लेकर आगाह किया गया है। इसमें कहा गया है कि चीन में कई सेक्टरों में ओवरकैपेसिटी को देखते हुए इनवेस्टमेंट स्पेंडिंग में और तेज गिरावट आ सकती है। उसने कैलेंडर वर्ष 2012 में चीन की ग्रोथ 8 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है। डब्ल्यूईओ में सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से पॉलिसी फ्रंट पर तुरंत कदम उठाने और यूरो क्राइसिस के जल्द समाधान की जरूरत बताई गई है। आईएमएफ ने कहा है कि अमेरिका को टैक्स में कटौती जारी रखने की जरूरत पड़ सकती है। उसने कहा कि ऐसा नहीं होने पर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अगले साल ग्रोथ रुकने का रिस्क है।