होने वाले हैं सास
बहू सीरियल के दिन पूरे
(पियूष भार्गव)
नई दिल्ली (साई)।
इक्कीसवीं सदी के पहले दशक के पूर्वार्ध में बुद्धू बाक्स यानी टीवी पर सास बहू के
सीरियल्स ने अपना कब्जा जमा लिया है। इन सीरियल्स से अनेक घरों में कलह का वातावरण
बना और अनेक परिवार टूटने के कगार पर आ चुके हैं, ना जाने कितने
परिवार इनकी आग में झुलसकर टूट भी चुके हैं।
महिलाओं के प्रति
हो रहे अपराध को रोकने के लिए महिला आयोग ने कमर कस ली है। आयोग का मानना है कि
महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध में टीवी पर प्रसारित सास-बहू सीरियल्स का भी काफी
बडा हाथ है, इसलिए आयोग
इनपर कैंची चलाने के लिए कदम उठानेवाली है।
रात के आठ बजते ही
ज्यादातर घरों में सास-बहू की साजिश भरे किस्से देखने के लिए टीवी के रिमोट
महिलाओं के हाथों मंे आ जाते हैं। महिला हों या पुरुष सभी अपने जरूरी काम निपटाकर
बस तैयारी में रहते हैं कि आज बहू किस बात पर सास को पटखनी देगी और सास किन बातों
पर ताना सुनाएगी या बहू को आहत करने के लिए रणनीति बनाएगी?
महिला आयोग के
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि आयोग दहलीज के अंदर सास-बहू या
दूसरी महिलाओं की कुटिल चालों को धारावाहिकों में दिखाने के बढ़ते चलन से नाराज है।
वहीं उसकी नाराजगी विवाहेतर संबंधों पर आधारित धारावाहिकों से भी है।
सूत्रों का कहना है
कि आयोग का मानना है कि टीवी का असर आम लोगों के रिश्तों पर भारी पड़ रहा है।
महिलाओं की नकारात्मक छवि को तड़के के साथ परोसे जाने से न केवल रिश्तों में दरार
बढ़ रही है, बल्कि न
चाहते हुए भी इन धारावाहिकों से प्रभावित लोग करीबी रिश्तों को संदेह की नजर से
देखने लगे हैं।
टीवी शो के कारण कई
घरों में आम महिलाओं का जीना मुश्किल हो रहा है। इसलिए ऐसे धारावाहिकों पर लगाम
कसना जरूरी है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि आयोग की अध्यक्ष
ममता शर्मा ने बताया कि वे सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी से जल्द मुलाकात
कर ऐसे धारावाहिकों पर लगाम कसने की गुहार लगाएंगी।
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