भू-जल संरक्षण
कार्यों से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पानी की स्थिति सुधरी
(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। वन
विभाग द्वारा बुन्देलखण्ड पैकेज के अंतर्गत सागर, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना और दतिया
जिले में करवाए जा रहे मृदा एवं जल-संरक्षण के कार्यों से वनांचल में पानी की
स्थिति सुधरी है। यह बात ट्रॉपिकल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (टी।आर।आई।) और
स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, जबलपुर द्वारा पिछले दिनों बुन्देलखण्ड
पैकेज के जरिये करवाए गए कार्यों का मूल्यांकन, अनुश्रवण तथा
प्रोजेक्ट इम्पेक्ट असेसमेन्ट कार्य के दौरान सामने आई। दोनों ही संस्थान ने सभी
कार्य उत्कृष्ट श्रेणी के पाए। क्षेत्र में करवाए गए सर्वे से पता चला है कि इन
क्षेत्रों में लघु वनोपज के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार, कुँओं के जल-स्तर
में बढ़ोत्तरी से कृषि उपज में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
भू-जल संरक्षण
कार्यों से पानी की स्थिति में सुधार का सकारात्मक प्रभाव वहाँ रहने वाले आदिवासी
परिवारों के जीवन और जंगल में उगने वाले पलाश, सागोन आदि वृक्षों
पर भी पड़ा है। जगह-जगह तालाबों में पानी का संग्रहण हुआ है। कहीं-कहीं बरसाती
नालों में भी पानी वर्ष भर रहने लगा है।
बुन्देलखण्ड पैकेज
के तहत मध्य प्रदेश के चयनित जिलों में ‘‘नेशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी’’ के माध्यम से
जल-संरक्षण, कन्टूर
ट्रेन्च, चेक डेम, परकोलेशन टैंक, कैच ड्रेन, ग्रेबियन
स्ट्रक्चर्स, तालाब
निर्माण व जीर्णाेद्धार, परकोलेशन पिट, कन्टूर बंडिंग, पौधरोपण, रिचार्जिंग
स्ट्रक्चर्स, कैच वाल, स्टॉप डैम, गली प्लगिंग, वाटर स्टोरेज, फेंसिंग लाईव हैज, घास बेड निर्माण, लेन्टाना उन्मूलन
आदि कार्य किए जा रहे हैं। पैकेज के तहत कुल 242 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है।
इसमें से 107 करोड़ रुपये अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता के रूप में तथा 20 करोड़ रुपये
राष्ट्रीय वनीकरण योजना के तहत स्वीकृत हुए हैं। इन कार्यों पर वर्ष 2010-11 में
करीब 58 करोड़ रुपये और 2011-12 में 48 करोड़ 63 लाख की राशि खर्च की जा चुकी है। छह
जिलों में करवाए गए कार्यों से 1913 गाँवों के ग्रामवासी लाभान्वित हुए हैं।
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