मंगलवार, 17 जुलाई 2012

मालवा, चंबल के बीच होगा एमपीसीए का युद्ध


मालवा, चंबल के बीच होगा एमपीसीए का युद्ध

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) का अगस्त में होने जा रहा चुनाव राजनीति और क्रिकेट का घालमेल भरा मैच माना जा रहा है। यह मैच इंदौर बनाम ग्वालियर के नेताओं के बीच होगा जिसमें इंदौर टीम के कप्तान हैं राज्य के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और ग्वालियर टीम के कप्तान हैं केंद्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया।
एमपीसीए के प्रेसीडेंट पद के लिए सिंधिया और इंदौर डिवीजनल क्रिकेट संगठन के अध्यक्ष विजयवर्गीय दूसरी बार आमने-सामने हैं। 2010 में सिंधिया ने विजयवर्गीय को लगभग 70 वोटों से हराया था। इससे पहले तक सिंधिया को एसोसिएशन के 240 सदस्यों का निर्विवाद समर्थन मिलता रहा था। लेकिन जब से विजयवर्गीय ने उनके खिलाफ मोर्चा संभाला तब से एसोसिएशन में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए।
विजयवर्गीय खेमे ने आरोप लगाया है कि एमपीसीए इंदौर की बजाए ग्वालियर को तरजीह देता है और इसका कारण है सिंधिया का ग्वालियर प्रेम। एमपीसीए के सदस्य और विजयवर्गीय के निजी सचिव मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि इंदौर में मैच आयोजित करने वाला एमपीसीए मैच से होने वाला लाभ सभी आठ डिवीजनों में बांटता है जबकि ग्वालियर में मैच करवाने वाला ग्वालियर डिवीजनल क्रिकेट 86 प्रतिशत लाभांश खुद लेता है। श्रीवास्तव ने आरोप लगाकर पूछा है कि ग्वालियर में आधारभूत ढांचे के लिए 29 एकड़ जमीन खरीदी गई तो इंदौर के लिए ऐसा कोई प्रयास क्यों नहीं हुआ?
एमपीसीए के सेक्रेटरी नरेंद्र मेनन पलटवार करते हुए कहते हैं, कि इंदौर के लिए जमीन तो खुद विजयवर्गीय मंत्री होने के बावजूद नहीं दिलवा पा रहे। ग्वालियर को ज्यादा लाभांश इसलिए दिया जाता है क्योंकि स्टेडियम के रखरखाव का खर्च वही वहन करता है।
इधर सिंधिया समर्थकों ने भी विजयवर्गीय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एमपीसीए के चेयरमैन डॉ। एम।के। भार्गव और सेक्रेटरी मेनन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की है कि उद्योग विभाग की इकाई रजिस्ट्रार फर्म्स और सोसाइटी एमपीसीए के काम में अनावश्यक दखल दे रही है और नोटिस पर नोटिस जारी कर दबाव  बनाने की कोशिश कर रही है।
इधर, एमपीसीए के चुनाव में अंदरूनी राजनीतिक समीकरण काफी दिलचस्प है। इस चुनावी ग्राउंड पर सिंधिया की तगड़ी फील्डिंग जमी हुई है और बीजेपी के कुछ खिलाड़ी सिंधिया का साथ दे सकते हैं, जो कि विजयवर्गीय के लिए मुसीबत भरा हो सकता है। जब दिल्ली में कॉमनवेल्थ घोटाले की परतें खुल रही थीं तब बीजेपी नेता और बीसीसीआइ के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अरुण जेटली ने उस होल्कर स्टेडियम की जमकर तारीफ की थी जिसे सिंधिया के प्रेसीडेंट रहते एमपीसीए ने नया रूप-रंग दिया था।
बीजेपी के पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्ध भी एमपीसीए की कार्यशैली की तारीफ कर चुके हैं। बीसीसीआइ में सिंधिया का दबदबा है। वे खुद इसकी फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन हैं तो उनके समर्थक संजय जगदाले बीसीसीआइ के सचिव हैं। एमपीसीए में मराठीभाषी सदस्यों का दबदबा है। इससे भी सिंधिया को फायदा मिलता दिखता है। वैसे विजयवर्गीय भी शक्ति प्रदर्शन का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। हाल ही में इंदौर डिवीजनल क्रिकेट एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आमंत्रित किया, जहां चौहान ने उनकी तारीफ के पुल बांधे।

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