फेरबदल से क्या अलीबाबा . . . . 7
दिखने लगा कमल नाथ का जादू
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। देश के उद्योगपति सांसद और केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के प्रबंधन कौशल का हर कोई मुरीद है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी रहे हों या प्रियदर्शनी श्रीमति इंदिरा गांधी, हर किसी ने कमल नाथ के प्रबंधन कौशल की जमकर तारीफ की है। सरकार चाहे भाजपा की हो, कांग्रेस की या किसी अन्य दल की, कमल नाथ अपने संसदीय क्षेत्र मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के लिए हर बार कुछ ना कुछ सौगात लेकर ही जाते रहे हैं।
प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के विरोध वाले वीटो के बावजूद भी मनमोहन सिंह ने केंद्रीय शहरी विकासा मंत्री कमल नाथ को कमजोर ना करते हुए शहरी विकास मंत्रालय के साथ ही साथ संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय साथ में सौंपा है। सूत्रों ने बताया कि मनमोहन सिंह को उम्मीद है कि कमल नाथ के प्रबंधन कौशल के चलते भाजपा द्वारा केद्र सरकार का मुखर विरोध नहीं किया जा सकेगा।
पीएमओ के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कमल नाथ की इस सफलता पर बेहद प्रसन्न नजर आ रहे हैं कि अभी सत्र आरंभ भी नहीं हुआ है और विपक्षी दलों द्वारा कमल नाथ के जयकारे लगाकर मंगल गान आरंभ कर दिया गया है। नवनियुक्ति संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ ने अपनी सफलता को पुरजोर तरीके से साबित कर दिया है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमति सुषमा स्वराज जो कि पूर्व संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल को पानी पी पी कर कोसती थीं अब कमल नाथ की लगभग आरती उतारती नजर आ रही हैं। सुषमा स्वराज को कमल नाथ की प्रशंसा करते यह कहते भी सुना जा रहा है कि जब कमल नाथ भूतल परिवहन मंत्री थे, तब कमल नाथ द्वारा राज्य से संबंधित मामलों और परियोजनाओं में सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास किया गया था।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने ही कमल नाथ के भूतल परिवहन मंत्री रहते हुए उनका घोर विरोध किया था। भाजपा संगठन को कमर कसने की हिदायत देकर सूबे के भाजपाई निजाम प्रभात झा द्वारा दो बार कमल नाथ को घेरा गया और दो बार उन्होंने एनएच पर पड़ने वाले गांवों में कभी मानव श्रंखला तो कभी हस्ताक्षर अभियान की तिथि भी निश्चित की। एमपी भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इन दोनों ही बार कमल नाथ का विरोध फीका पड़ने का कारण भी कमल नाथ का प्रबंधन कौशल ही था।
भारतीय जनता पार्टी की शीर्ष नेता को अपने पक्ष में करने के साथ ही साथ कमल नाथ द्वारा यूपी की बसपा क्षत्रप मायावती को भी शीर्षासन करने पर मजबूर किया हुआ है। वहीं वामदलों में कमल नाथ की गहरी पैठ होने के साथ ही साथ पश्चिम बंगाल में परचम फहराने वाली त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ भी कमल नाथ के मधुर संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। त्रणमूल कोटे से मंत्री रहे एक सांसद तो कमल नाथ के साथ उनके संसदीय क्षेत्र की सैर भी कर चुके हैं।
पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि केंद्रीय मंत्री कमल नाथ की सभी राजनैतिक दलों में स्वीकार्यता और मान सम्मान, भाजपा शासित राज्यों में प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर सहयोग के चलते एक के बाद एक चुनाव जीतने की वजह से ही कमल नाथ को संसदीय कार्यमंत्री की महत्वपूर्ण आसनी सौंपी गई है। अपनी जवाबदेही का संधारण करने के बाद कमल नाथ ने सत्र के पहले ही सरकार के पक्ष में काफी हद तक माहौल बना ही दिया है।