गुरुवार, 28 जून 2012

क्या कपड़ों की तरह गर्ल फ्रेंड बदल रहे हैं युवराज


क्या कपड़ों की तरह गर्ल फ्रेंड बदल रहे हैं युवराज

हिन्दुस्तान की मल्लिका बनने छोड़ा मुस्लिम धर्म!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के 43 साल के युवराज राहुल गांधी आज भी कुंवारे जेठहैं। उनके अनुज वरूण गांधी का ब्याह हो चुका है पर वे आज भी कुंवारे हैं। उनके बारे में ज्योतिषियों ने कहा था कि उनका विवाह 48 की उम्र तक संभव नहीं है। अंग्रेजी का एक शब्द है हयूमेन बीईंग। इस नाते राहुल के सीने में भी एक दिल धड़कता तो होगा। 43 साल को प्रोढ़ावस्था (भारतीय राजनीति में यह टीन एज की शुरूआत है) का आगाज माना जाता है। बावजूद इसके कुंवारे राहुल को लेकर तरह तरह की अफवाहें सियासी फिजां में तैर गई हैं।
भारत गणराज्य की स्थापना में अपनी महती भूमिका निभाने वाली कांग्रेस के युवराज हैं राहुल गांधी। राहुल गांधी का असली नाम राहुल विन्ची बताया जाता है। अगर यह सच है तो राहुल गांधी अपनी असली पहचान छिपाकर भारत के कानून का खुला मजाक उडा रहे हैं, जिस पर कार्यवाही होना चाहिए।
वैसे राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी की जात क्या है? वे कौन सा धर्म अपना रहे हैं? वे 43 बरस से कुंवारे क्यों हैं? उनकी सहचरी कौन है? यह राहुल गांधी का नितांत निजी मामला है, किन्तु जब काई सार्वजनिक जीवन में आता है तो उसके निजी जीवन में भी तांकझांक आरंभ हो जाती है जो उचित नहीं है।
राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी ईसाई हैं या हिन्दू सनातन पंथी यह तो शोध का ही विषय है। हाल ही में राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी ने अपने आप को ब्राम्हण करार दिया था, किन्तु उनके बारे में कहा जाता है कि वे मसीही समाज को मानने वाले हैं। सोनिया गांधी के निवास पर प्रार्थना सभाएं होती रहती हैं। राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी के फोटो उनकी एक मित्र के साथ प्रकाशित हुए हैं।
अब मोस्ट एलिजिबल बैचलर राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी की कोलंबियाई मित्र को लेकर पहले राहुल चर्चित रहे। फिर मीडिया में खबर आई कि उत्तर प्रदेश के एक ब्राम्हण परिवार जिसका नेहरू गांधी परिवार से काफी गहरा नता है, की बाला से उनका विवाह होने वाला है। अब अफगानिस्तान की एक मुस्लिम राजकुमारी के बारे में एक समाचार पत्र ने खुलासा कर सनसनी फैला दी है।
एक भरोसेमंद मीडिया संस्थान के प्रकाशन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी को अब प्यार हो गया है। इस रिपोर्ट में राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी का नाम अफगान के पूर्व शासक मोहम्मद जहीर शाह की पोती से जोड़ा गया है। लेकिन रिपोर्ट में अफगानी राजकुमारी का नाम नहीं दिया गया है।
सियासी फिजां में यह बात तेजी से उभर रही है कि अगर यह खबर सही है तो क्या राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी वेरोनिका को भूल गए? ज्ञातव्य है कि स्पैनिश मूल की वेरोनिकाके साथ राहुल का नाम पहले से जुड़ता रहा है। 1999 के विश्व कप के दौरान दोनों की तस्वीरें सामने आई थीं, जिसके बाद दोनों के करीबीरिश्तों को लेकर कयास लगाए जाते रहे हैं।
देश के एक मशहूर पत्रकार के उक्त प्रकाशन ने यह दावा भी किया है कि अफगानी राजकुमारी ने धर्म परिवर्तन करते हुए ईसाई धर्म भी स्वीकार कर लिया है। इस अखबार के अनुसार यह जोड़ा रविवार को सोनिया गांधी के आवास पर आयोजित होने वाली प्रार्थना सभा होम चौपल में भी साथ-साथ हिस्सा ले चुका है।  रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी और अफगानी राजकुमारी को दिल्ली के अमन होटल में साथ-साथ देखा जा सकता है। दोनों इस होटल में अक्सर आते हैं। राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी होटल के फिटनेस सेंटर में काफी वक्त बिताते हैं।
यहां उल्लेखनीय होगा कि अफगानी राजकुमारी के दादा जहीर शाह ने 1933 से लेकर चार दशकों तक अफगानिस्तान पर राज किया। 1973 में उनके ही चचेरे भाई मोहम्मद दाऊद खान ने उनका तख्तापलट कर दिया। इसके बाद जहीर शाह इटली चले गए और वहां निर्वासित जीवन जीने लगे। लेकिन 2002 में वे फिर अफगानिस्तान लौटे और उन्हें फादर ऑफ नेशन का खिताब दिया गया। 2007 में 93 साल की उम्र में जहीर शाह का निधन हुआ।
उक्त रिपोर्ट को अगर सच माना जाए तो वैरोनिका के बाद इस नई अफगानी मुस्लिम राजकुमारी जिसने हिन्दुस्तान की मल्लिका बनने के लिए अपना धर्म बदलकर मसीही समाज को अपना लिया है। इस तरह राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी ने अपनी पुरानी मित्र वैरोनिका को भुलाकर नई मित्र बना ली है। सियासी गलियारों में यह प्रश्न भी तेजी से उभर रहा है कि भारत गणराज्य की बागडोर संभालने वाले इटली मूल की सोनिया मानियो के पुत्र राहुल विन्ची उर्फ राहुल गांधी कपड़ों की तरह अपनी गर्लफ्रेंड बदल रहे हैं?

रायपुर मुख्य आयकर आयुक्त के यहां सीबीआई का छापा


रायपुर मुख्य आयकर आयुक्त के यहां सीबीआई का छापा

(आंचल झा)

रायपुर (साई)। आयकर विभाग के रायपुर स्थित मुख्य आयकर आयुक्त गिरधारी लाल भगत के यहां सीबीआई ने छापे की कार्रवाई की है। आज सुबह 9 बजे से रायपुर सीबीआई द्वारा छापे की कार्रवाई की गई है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो रायपुर के पुलिस अधीक्षक श्री मांझी ने बताया कि पूर्व में आयकर विभाग रायपुर में पदस्थ संयुक्त आयुक्त ए.डब्ल्यू. अठल्ले को फरवरी 2012 में 15 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था।
सूत्रों के अनुसार अठल्ले ने पूछताछ में मुख्य आयकर आयुक्त के लिए रिश्वत लेने की बात स्वीकार की थी। इसकी जांच के बाद आज सुबह मुख्य आयकर आयुक्त के यहां छापे की कार्रवाई की गई। छापे की कार्रवाई शाम तक जारी रहने की संभावना है।

सरकार के दबाव में मीडिया!


सरकार के दबाव में मीडिया!

(मनोज सिंह राजपूत)

भोपाल (साई)। आयकर छापों के बाद सरकार के दबाव में मीडिया ने कांग्रेस विधायक दल से दूरी बना ली है। दरअसल नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह द्वारा मुख्यमंत्री से पूछे गए 11 सवालों से संबंधित एक विज्ञापन मंगलवार को जारी किया गया था। इस विज्ञापन को कुछेक छोटे अखबारों को छोड़कर किसी ने प्रकाशित नहीं किया। यहां तक कि सरकार के खिलाफ मुखर होने का दावा करने वाले एक बड़े अखबार ने भी इस विज्ञापन को जारी नहीं किया।
आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा द्वारा सत्ता से जुड़े ठेकेदार दिलीप सूर्यवंशी और माइनिंग किंग सुधीर शर्मा के यहां छापे की कार्रवाई के बाद कांग्रेस पर चुप रहने का इल्जाम मीडिया द्वारा लगाया जा रहा था। इस इल्जाम के बाद नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह श्राहुल्य ने न सिर्फ प्रेसनोट जारी कर सरकार को कटघरे में खड़ा किया, बल्कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए राज्यपाल रामनरेश यादव को ज्ञापन भी सौंपा। इसके बाद कांग्रेस विधायक दल की ओर से मुख्यमंत्री से पूछे गए 11 सवालों से संबंधित एक विज्ञापन सभी अखबारों के लिए जारी किया गया। इस विज्ञापन को छापना तो दूर अखबारों ने नेता प्रतिपक्ष के 11 सवाल तक नहीं प्रकाशित किए। यहां तक कि सरकार की पोल खोलने का दावा करने वाले एक दैनिक अखबार ने भी विज्ञापन छापने से परहेज किया। इससे लगता है कि अब अखबार भी सरकार के दबाव में काम करने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार सरकार के खिलाफ कांग्रेस विधायक दल द्वारा होर्डिंग भी लगाए गए थे, जिन्हें रातोंरात उतरवा दिया गया।
0 कांग्रेस विधायक दल की दोहरी भूमिका
आयकर छापों से पहले कांग्रेस विधायक दल ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा को कटघरे में खड़ा किया था। इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने इस लड़ाई को संगठन के माध्यम से सड़कों पर लडने का ऐलान किया था। आज जब आयकर विभाग ने इन व्यवसायियों पर शिकंजा कसा है तब कांग्रेस संगठन लगभग चुप्पी साधे बैठा हुआ है। उधर कांग्रेस विधायक दल जिसका काम विधानसभा में सरकार को घेरना है वह सड़कों पर पैदल मार्च कर विरोध प्रदर्शित कर रहा है। इस स्थिति में अब भूरिया पर सवालिया निशान भी लगने लगे हैं।
0 व्यक्तिगत थे विज्ञापन
मीडिया द्वारा कांग्रेस विधायक दल के विज्ञापन प्रकाशित न करने के पीछे इनका व्यक्तिगत होना बताया जा रहा है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ मीडिया से जुड़े लोगों ने बताया कि यह विज्ञापन दिलीप और सुधीर के खिलाफ व्यक्तिगत था इसलिए इसे नहीं छापा गया। दरअसल सत्ता और विपक्ष की लड़ाई में मीडिया मोहरा नहीं बनना चाहती है। वहीं कुछ मीडिया कर्मियों का कहना था कि कांग्रेस के लोग सड़क पर उतरने के बजाए एयरकंडीशन में बैठकर सिर्फ बयानबाजी करते रहते हैं। ऐसे बयानों को मीडिया कहां तक तवज्जो दे। 

अपनी टीआरपी बढ़ाने में जुटे शिवराज!


अपनी टीआरपी बढ़ाने में जुटे शिवराज!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान खुद ही अपनी टीआरपी अर्थात टेलीवीजन रेटिंग प्वाईंट को बढ़ाने की कवायद में जुट गए हैं। कभी खुद को सांची दूध का ब्राण्ड एम्बेसडर बनवाने का जतन करते हैं तो कभी किसान पुत्र होने का दावा मीडिया में प्रचारित करवाते हैं। शिवराज का प्रयास है कि उनका कद नरेंद्र मोदी के समकक्ष हो जाए ताकि अगले आम चुनावों में वे भी अपनी दावेदारी ठोंक सकें।
विदिशा क्षेत्र में पांव पांव वाले भईया के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान ने घरों घर तक पहुंच बनाने के लिए लाडली लक्ष्मी योजना का आगाज किया था। उन्होंने मध्य प्रदेश के हर बच्चे का खुद को मामा बताकर सूबे के लोगों को मामा बना दिया। प्रदेश में बच्चों के साथ होने वाले बलात्कार और अन्य संगीन अपराध शिवराज मामा की प्रशासनिक पकड़ का नायाब उदहारण माना जा सकता है।
भाजपा के प्रोग्राम में बार बार सरकारी उड़न खटोले से दिल्ली आते हैं शिवराज चौहान। दिल्ली आकर किसी एकाध केंद्रीय मंत्री से मिलकर फोटो खिचाकर वे अपनी इस यात्रा को निजी से सरकारी में तब्दील कर लेते हैं। दिल्ली आकर शिवराज सिंह चौहान कांग्रेसीनत केंद्र सरकार पर गरजकर अपनी भड़ास अवश्य निकाल लेते हैं पर जब वे वापस प्रदेश जाते हैं तो उन बातों को दिल्ली से भोपाल के रास्ते में पड़ने वाले हरियाणा, राजस्थान या उत्तर प्रदेश सूबे की किसी नदी में सिरा देते हैं।
उधर, शिवराज सिंह चौहान के सहयोगी पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर जब भी दिल्ली आते हैं यहां आकर वे केंद्रीय मंत्री कमल नाथ से मिलना नहीं भूलते और कमल नाथ से मिलकर मध्य प्रदेश से कम से कम एक सौ करोड़ की सौगात का समाचार अवश्य ही फोटो के साथ जारी करवा देते हैं बाबूलाल गौर। यह अलहदा बात है कि मध्य प्रदेश को अब तक (जनसंपर्क की विज्ञप्तियों के अनुसार) दो ढाई हजार करोड़ रूपए में से भुंजी भांग ना मिली हो पर मीडिया में तो छा जाते हैं गौर एवं मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार।
मध्यप्रदेश की लाड़ली लक्ष्मियों के भरोसे 2008 का विधानसभा चुनाव जीती भाजपा 2013 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के किसानों पर दांव लगाएगी। उर्वरकों की कीमतें बढाए जाने के विरोध में केन्द्र सरकार के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का धरना, शून्य प्रतिशत पर प्रदेश के किसानों को कर्ज देने का एलान और अब तक सूबे की बेटियों के मामा कहलाते रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की किसान पुत्र केतौर पर नई पहचान।  सब कुछ तय रणीनति के अनसार ही हो रहा है। भाजपा को भरोसा है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में इस प्रदेश का किसान भाजपा की जीत की प्रस्तावना लिखेगा। मध्यप्रदेश में सत्तर फीसदी वोटर किसान हैं।
इसी तरह किसानों के हक की खातिर दूसरी बार चौबीस घंटे के उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार ने इतना तो साबित कर दिया है कि मध्यप्रदेश सरकार किसानों की सरकार है। डेढ़ साल पहले पाला प्रभावित किसानों को उनका मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उपवास पर बैठे थे,अबकि उर्वरकों की बढी हुई कीमतों के विरोध में शिवराज,ने उपवास किया। लेकिन जैसा प्रचारित किया गया, ये उपवास केवल केन्द्र सरकार पर हमला नहीं था। केवल किसानों को ये जताने भर को नहीं किया गया उपवास कि केन्द्र की यूपीए सरकार को इस प्रदेश और देश के किसानों की परवाह नहीं है, बल्कि सरकार के इस अनशन में उसके आगे की राजनीति थी। ये उपवास एक तीर से कई निशाने कर गया।
सीधा निशाना जो दिखाई देता रहा,जाहिर तौर पर, वो निशाना, केन्द्र सरकार पर था कि किस तरह से केन्द्र की यूपीए सरकार ने खाद के दाम बढा कर किसानों का जीना मुश्किल कर दिया। लेकिन इसी के बहाने प्रदेश के किसानों में शिवराज सरकार की छवि को चमकाने का, और सूबे के किसानों तक उन्हे पहुंचाने का  भाजपा को जरिया भी मिल गया। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के किसानों को ये अहसास दिलाने में कामयाब रहे कि इस सूबे के किसान की लड़ाई खुद सरकार लड़ती है। चुनाव के डेढ साल पहले किसान के दिल में शिवराज सरकार के लिए इतना सॉफ्ट कार्नर काफी है।
इसके अलावा शिवराज सिंह चौहान की किसान पुत्र के बतौर भी ब्रांडिग हो रही है। पिछले चुनाव तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की बेटियों के मामा कहलाते  थे, रिश्तों की इस राजनीति ने असर भी दिखाया और भाजपा ने 2008 के विधानसभा चुनाव में अपनी जीत दोहराई।  लेकिन मामा मुख्यमंत्री की छवि को भरपूर भुना चूकी भाजपा अब शिवराज को नई पहचान देना चाहती थी। बीते चुनाव की तरह चुनाव के एन डेढ साल पहले से शिवराज सिंह की नई ब्रांडिंग शुरु कर दी गई।
इत्तेफाक से खाद की बढी हुई कीमतों ने इस नई ब्रांडिग के लिए शिवराज सिंह चौहान को  प्लेटफार्म भी दे दिया। 2013 के विधानसभा चुनाव के लिए शिवराज की नई ब्रांडिंग किसान पुत्र शिवराज। हांलाकि जिस वक्त शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की सत्ता संभाली थी, उस वक्त भी पांव पांव वाले भैय्या के साथ शिवराज सिंह चौहान को किसान पुत्र की तरह ही प्रचारित किया गया था। लेकिन अबकि ये सारी ब्रांडिग चुनाव के मद्देनजर की जा रही है। हांलाकि पार्टी ने और सरकार ने तैयारी अभी शुरु की हो, लेकिन किसानों के बीच शिवराज सिंह की पैठ बढी पुरानी है।
बेहद लो प्रोफाइल रहने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मीडिया से भले दूरियां बनाएं, लेकिन किसान और आम आदमी के लिए तो वो हमेशा से सुलभ हैं। भोपाल में चौबीस घंटे के उपवास के दौरान, भोपाल के आस पास के तमाम किसानों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जीभर के  मुलाकात की। पंडाल से बाहर आते कुछ किसानों की प्रतिक्रिया थी, ये क्या कम है, कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हमारे लिए उपवास पर बैठे हैं, सरकार का ताम झाम छोड़कर हमसे बात कर रहे हैं, हमारा दुख दर्द जान रहे हैं।
अब किसानों को लक्ष्य बनाकर शिवराज सिंह चौहान ने नया पांसा फेंका है। किसानों को टारगेट करके चल रही भाजपा ने मौका देखकर अपनी रणनीति भी बदली। किसानों की खातिर उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री उपवास से उठे भी तो किसानों को सौगात देकर। जो चुनावी पांसा शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी मौसम के लिए बचा कर रखा था। वो वक्त से काफी पहले ही चल दिया गया और शिवराज सिंह चौहान ने उपवास स्थल से प्रदेश के किसानों को जीरो प्रतिशत पर ब्याज देने का एलान कर दिया।
मुख्यमंत्री ने इस भरोसे के साथ ये दांव खेला है कि बेमौसम किसानों पर हुई मेहरबानी की ये बरसात किसानों में भाजपा की चुनावी जमीन मजबूत करेगी। किसानों के लिए इस सौगात की घोषणा करते वक्त शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस सरकार का वो दौर भी याद दिलाया कि किस तरह से कांग्रेस सरकार में अठारह फीसदी पर ब्याज किसानों को उपलब्ध कराया जाता था। लेकिन भाजपा की सरकार आते ही लगातार सरकार ने किस तरह से किसानों का बोझ कम किया और पहले सात फीसदी फिर, तीन फीसदी और फिर एक प्रतिशत ब्याज दर पर किसानों कर्ज देने का फैसला लिया और अब तो खैर शून्य प्रतिशत ब्याज पर सरकार किसानों को कर्ज देगी।
मध्यप्रदेश में किसानो ंके सहारे अपनी तीसरी जीत का रास्ता मजबूूत कर रही भाजपा ने भी अगले दो महीनों के लिए किसानों को टारगेट करके ही कार्यक्रम तैयार किए हैं। संसद के मानसून सत्र में भाजपा के सांसद  खाद की कीमतों में इजाफे को लेकर तो मुद्दा उठाएंगे ही जमीनी लड़ाई के तौर पर पंद्रह जुलाई को भोपाल में भाजपा, किसानों का महाकुंभ करने जा रही है। भोपाल के जंबूरी मैदान में होने जा रहे इस महाकुंभ को संघर्ष और अभिनंदन का नारा दिया गया है।
पार्टी प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा के मुताबिक  संघर्ष किसानों के हक में केन्द्र के खिलाफ और अभिनंदन प्रदेश की किसान हितैषी शिवराज सरकार का। झा कहते हैं, हमारी कोशिश होगी कि किसानों के इस महाकुंभ में भाजपा के सदस्य कम और किसान सर्वाधिक संख्या में पहुंचे। पंद्रह जुलाई के पहले 26 जून को भोपाल में प्रदेश भर के पांच हजार से ज्यादा किसान विदेश यात्रा से लौट रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगवानी करने स्टेट हैंगर पहुंचेगे और किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर किसानों को कर्ज देने की शिवराज सरकार की घोषणा पर उनका अभिनंदन करेंगे।
सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा संगठन और सरकार किसानों को टारगेट कर रही है। जैसा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा कहते हैं, झा के मुताबिक मध्यप्रदेश में आगामी चुनाव का फैसला इस प्रदेश का किसान ही करेगा।