अपनी टीआरपी बढ़ाने
में जुटे शिवराज!
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान खुद ही अपनी टीआरपी अर्थात
टेलीवीजन रेटिंग प्वाईंट को बढ़ाने की कवायद में जुट गए हैं। कभी खुद को सांची दूध
का ब्राण्ड एम्बेसडर बनवाने का जतन करते हैं तो कभी किसान पुत्र होने का दावा
मीडिया में प्रचारित करवाते हैं। शिवराज का प्रयास है कि उनका कद नरेंद्र मोदी के
समकक्ष हो जाए ताकि अगले आम चुनावों में वे भी अपनी दावेदारी ठोंक सकें।
विदिशा क्षेत्र में
पांव पांव वाले भईया के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान ने घरों घर तक पहुंच बनाने
के लिए लाडली लक्ष्मी योजना का आगाज किया था। उन्होंने मध्य प्रदेश के हर बच्चे का
खुद को मामा बताकर सूबे के लोगों को मामा बना दिया। प्रदेश में बच्चों के साथ होने
वाले बलात्कार और अन्य संगीन अपराध शिवराज मामा की प्रशासनिक पकड़ का नायाब उदहारण
माना जा सकता है।
भाजपा के प्रोग्राम
में बार बार सरकारी उड़न खटोले से दिल्ली आते हैं शिवराज चौहान। दिल्ली आकर किसी
एकाध केंद्रीय मंत्री से मिलकर फोटो खिचाकर वे अपनी इस यात्रा को निजी से सरकारी
में तब्दील कर लेते हैं। दिल्ली आकर शिवराज सिंह चौहान कांग्रेसीनत केंद्र सरकार
पर गरजकर अपनी भड़ास अवश्य निकाल लेते हैं पर जब वे वापस प्रदेश जाते हैं तो उन
बातों को दिल्ली से भोपाल के रास्ते में पड़ने वाले हरियाणा, राजस्थान या उत्तर
प्रदेश सूबे की किसी नदी में सिरा देते हैं।
उधर, शिवराज सिंह चौहान
के सहयोगी पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर जब भी दिल्ली आते हैं यहां आकर वे
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ से मिलना नहीं भूलते और कमल नाथ से मिलकर मध्य प्रदेश से
कम से कम एक सौ करोड़ की सौगात का समाचार अवश्य ही फोटो के साथ जारी करवा देते हैं
बाबूलाल गौर। यह अलहदा बात है कि मध्य प्रदेश को अब तक (जनसंपर्क की विज्ञप्तियों
के अनुसार) दो ढाई हजार करोड़ रूपए में से भुंजी भांग ना मिली हो पर मीडिया में तो
छा जाते हैं गौर एवं मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार।
मध्यप्रदेश की
लाड़ली लक्ष्मियों के भरोसे 2008 का विधानसभा चुनाव जीती भाजपा 2013 के विधानसभा चुनाव
में प्रदेश के किसानों पर दांव लगाएगी। उर्वरकों की कीमतें बढाए जाने के विरोध में
केन्द्र सरकार के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का धरना, शून्य प्रतिशत पर
प्रदेश के किसानों को कर्ज देने का एलान और अब तक सूबे की बेटियों के मामा कहलाते
रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की किसान पुत्र केतौर पर नई
पहचान। सब कुछ तय रणीनति के अनसार ही हो
रहा है। भाजपा को भरोसा है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में इस प्रदेश का किसान
भाजपा की जीत की प्रस्तावना लिखेगा। मध्यप्रदेश में सत्तर फीसदी वोटर किसान हैं।
इसी तरह किसानों के
हक की खातिर दूसरी बार चौबीस घंटे के उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
और उनकी सरकार ने इतना तो साबित कर दिया है कि मध्यप्रदेश सरकार किसानों की सरकार
है। डेढ़ साल पहले पाला प्रभावित किसानों को उनका मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उपवास पर बैठे थे,अबकि उर्वरकों की
बढी हुई कीमतों के विरोध में शिवराज,ने उपवास किया। लेकिन जैसा प्रचारित किया
गया, ये उपवास
केवल केन्द्र सरकार पर हमला नहीं था। केवल किसानों को ये जताने भर को नहीं किया
गया उपवास कि केन्द्र की यूपीए सरकार को इस प्रदेश और देश के किसानों की परवाह
नहीं है, बल्कि
सरकार के इस अनशन में उसके आगे की राजनीति थी। ये उपवास एक तीर से कई निशाने कर
गया।
सीधा निशाना जो दिखाई
देता रहा,जाहिर तौर
पर, वो निशाना, केन्द्र सरकार पर
था कि किस तरह से केन्द्र की यूपीए सरकार ने खाद के दाम बढा कर किसानों का जीना
मुश्किल कर दिया। लेकिन इसी के बहाने प्रदेश के किसानों में शिवराज सरकार की छवि
को चमकाने का, और सूबे के
किसानों तक उन्हे पहुंचाने का भाजपा को
जरिया भी मिल गया। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के किसानों को ये अहसास दिलाने में
कामयाब रहे कि इस सूबे के किसान की लड़ाई खुद सरकार लड़ती है। चुनाव के डेढ साल पहले
किसान के दिल में शिवराज सरकार के लिए इतना सॉफ्ट कार्नर काफी है।
इसके अलावा शिवराज
सिंह चौहान की किसान पुत्र के बतौर भी ब्रांडिग हो रही है। पिछले चुनाव तक
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की बेटियों के मामा कहलाते थे, रिश्तों की इस राजनीति ने असर भी दिखाया और
भाजपा ने 2008 के
विधानसभा चुनाव में अपनी जीत दोहराई।
लेकिन मामा मुख्यमंत्री की छवि को भरपूर भुना चूकी भाजपा अब शिवराज को नई
पहचान देना चाहती थी। बीते चुनाव की तरह चुनाव के एन डेढ साल पहले से शिवराज सिंह
की नई ब्रांडिंग शुरु कर दी गई।
इत्तेफाक से खाद की
बढी हुई कीमतों ने इस नई ब्रांडिग के लिए शिवराज सिंह चौहान को प्लेटफार्म भी दे दिया। 2013 के विधानसभा चुनाव
के लिए शिवराज की नई ब्रांडिंग किसान पुत्र शिवराज। हांलाकि जिस वक्त शिवराज सिंह
चौहान ने प्रदेश की सत्ता संभाली थी, उस वक्त भी पांव पांव वाले भैय्या के साथ
शिवराज सिंह चौहान को किसान पुत्र की तरह ही प्रचारित किया गया था। लेकिन अबकि ये
सारी ब्रांडिग चुनाव के मद्देनजर की जा रही है। हांलाकि पार्टी ने और सरकार ने
तैयारी अभी शुरु की हो, लेकिन किसानों के बीच शिवराज सिंह की पैठ बढी पुरानी है।
बेहद लो प्रोफाइल
रहने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मीडिया से भले दूरियां बनाएं, लेकिन किसान और आम
आदमी के लिए तो वो हमेशा से सुलभ हैं। भोपाल में चौबीस घंटे के उपवास के दौरान, भोपाल के आस पास के
तमाम किसानों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जीभर के मुलाकात की। पंडाल से बाहर आते कुछ किसानों की
प्रतिक्रिया थी, ये क्या कम
है, कि प्रदेश
के मुख्यमंत्री हमारे लिए उपवास पर बैठे हैं, सरकार का ताम झाम छोड़कर हमसे बात कर रहे हैं, हमारा दुख दर्द जान
रहे हैं।
अब किसानों को
लक्ष्य बनाकर शिवराज सिंह चौहान ने नया पांसा फेंका है। किसानों को टारगेट करके चल
रही भाजपा ने मौका देखकर अपनी रणनीति भी बदली। किसानों की खातिर उपवास पर बैठे
मुख्यमंत्री उपवास से उठे भी तो किसानों को सौगात देकर। जो चुनावी पांसा शिवराज
सिंह चौहान ने चुनावी मौसम के लिए बचा कर रखा था। वो वक्त से काफी पहले ही चल दिया
गया और शिवराज सिंह चौहान ने उपवास स्थल से प्रदेश के किसानों को जीरो प्रतिशत पर
ब्याज देने का एलान कर दिया।
मुख्यमंत्री ने इस
भरोसे के साथ ये दांव खेला है कि बेमौसम किसानों पर हुई मेहरबानी की ये बरसात
किसानों में भाजपा की चुनावी जमीन मजबूत करेगी। किसानों के लिए इस सौगात की घोषणा
करते वक्त शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस सरकार का वो दौर भी याद दिलाया कि किस
तरह से कांग्रेस सरकार में अठारह फीसदी पर ब्याज किसानों को उपलब्ध कराया जाता था।
लेकिन भाजपा की सरकार आते ही लगातार सरकार ने किस तरह से किसानों का बोझ कम किया
और पहले सात फीसदी फिर, तीन फीसदी और फिर एक प्रतिशत ब्याज दर पर किसानों कर्ज देने
का फैसला लिया और अब तो खैर शून्य प्रतिशत ब्याज पर सरकार किसानों को कर्ज देगी।
मध्यप्रदेश में
किसानो ंके सहारे अपनी तीसरी जीत का रास्ता मजबूूत कर रही भाजपा ने भी अगले दो
महीनों के लिए किसानों को टारगेट करके ही कार्यक्रम तैयार किए हैं। संसद के मानसून
सत्र में भाजपा के सांसद खाद की कीमतों
में इजाफे को लेकर तो मुद्दा उठाएंगे ही जमीनी लड़ाई के तौर पर पंद्रह जुलाई को
भोपाल में भाजपा, किसानों का
महाकुंभ करने जा रही है। भोपाल के जंबूरी मैदान में होने जा रहे इस महाकुंभ को
संघर्ष और अभिनंदन का नारा दिया गया है।
पार्टी
प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा के मुताबिक
संघर्ष किसानों के हक में केन्द्र के खिलाफ और अभिनंदन प्रदेश की किसान
हितैषी शिवराज सरकार का। झा कहते हैं, हमारी कोशिश होगी कि किसानों के इस महाकुंभ
में भाजपा के सदस्य कम और किसान सर्वाधिक संख्या में पहुंचे। पंद्रह जुलाई के पहले
26 जून को
भोपाल में प्रदेश भर के पांच हजार से ज्यादा किसान विदेश यात्रा से लौट रहे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगवानी करने स्टेट हैंगर पहुंचेगे और किसानों को
शून्य प्रतिशत ब्याज पर किसानों को कर्ज देने की शिवराज सरकार की घोषणा पर उनका
अभिनंदन करेंगे।
सोची समझी रणनीति
के तहत भाजपा संगठन और सरकार किसानों को टारगेट कर रही है। जैसा कि प्रदेश भाजपा
अध्यक्ष प्रभात झा कहते हैं, झा के मुताबिक मध्यप्रदेश में आगामी चुनाव
का फैसला इस प्रदेश का किसान ही करेगा।
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