केंद्र ने दिया एमपी को जबर्दस्त झटका
नहीं बढ़ सकेंगे एसीएस एमपी में
पांच ही एसीएस होंगे मध्य प्रदेश में
पदोन्नत आईएएस के नए पदों को लेकर उहापोह में हैं शिव
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। एक बाबू उसी पद पर भर्ती होता है और उसी पद पर सेवानिवृत हो जाता है किन्तु अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी अपनी पदोन्नति के रास्ते कहीं से भी प्रशस्त कर लेते हैं, किन्तु इस बार आईएएस लाबी को मुंह की खानी पड़ी है। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग ने एमपी में मुख्य सचिव स्तर के नौ में से पांच पदों को ही स्वीकृति प्रदान की है। विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) में प्रमुख सचिव स्तर के ग्यारह अधिकारियों को पदोन्नति देने पर हरी झंडी के बाद भी महज पांच पदों की अनुमति ही सरकार के पास है, इन परिस्थितियों में शिवराज सरकार के सामने अब सबसे बड़ा संकट यह आन खड़ा हुआ है कि शेष अधिकारियों को किस पद पर पदस्थ किया जाए।
डीओपीटी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के काडर पुर्नरीक्षण हेतु एक प्रस्ताव बनाकर मुख्य सचिव स्तर के दस पदांे की मांग की थी। आईएएस लाबी ने अपनी पदोन्नति के मार्ग सुलभ करते हुए मध्य प्रदेश के 23 प्रमुख सचिव को 33 करने का प्रस्ताव भी केंद्र को भेजा है। डीओपीटी ने इसमें कुछ क्वेरी के साथ वापस कर दिया है। मुख्य सचिव स्तर की पदोन्नति पाने वाले दो अफसर अभी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। 1987 बैच के इन अधिकारियों की 11 जुलाई को डीपीसी हो चुकी है, पर इनकी पदस्थापनाएं अभी तक नहीं हो सकी हैं।
केंद्र सरकार ने राज्य को जबर्दस्त झटका देते हुए दस पदों के एवज में पांच ही पद स्वीकृत किए हैं। आईएएस लाबी के बीच चल रही चर्चा के अनुसार जब पदों की अनुमति ही नहीं देना था तो फिर केंद्र ने प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों को मुख्य सचिव स्तर पर पदोन्नत करने के लिए डीपीसी की सहमति ही क्यों दी? केंद्र के डीओपीटी के पास अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों का पूरा लेखा जोखा होता है, फिर केंद्र ने राज्य के साथ डीपीसी की सहमति देकर आखिर मजाक क्यों किया है?
ये अधिकारी हुए हैं पदोन्नत
मनोज श्रीवास्तव, शिखा दुबे, संजय सिंह, गौरी सिंह, एम.मोहन राव, मनोज झलानी, प्रवीर किशन, आर.के.चतुर्वेदी, अजय तिर्की।