रविवार, 26 फ़रवरी 2012

किसको दें धन्यवाद. . . .


किसको दें धन्यवाद. . . .



(लिमटी खरे)

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर हृदय प्रदेश के अंतिम जिले सिवनी के नामकरण के बारे में अनेक धारणाएं प्रचलित हैं। कोई कहता है सेवन के वृक्षों की अधिकता के कारण इसका नाम सिवनी पड़ा तो कोई इसे भगवान शिव की नगरी के बतौर सिवनी कहता है। इक्कीसवीं सदी के पहले ही दशक में सिवनी को किसी की नजर लग गई थी। एक के बाद एक यहां की सौगातें छिन रही थीं। परिसीमन में नेताओं की जुगलबंदी के चलते सिवनी लोकसभा और घंसौर विधानसभा का झटका बहुत ही बड़ा घाव दे गया था सिवनी को। इस रिसते घाव में एक और चीरा लगा जब स्वर्णिम चतुर्भुज के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे में सिवनी जिले से गुजरने वाले हिस्से में फच्चर फंसा दिया गया। माननीय न्यायालय का डर बताकर सिवनी जिले के लखनादौन से लेकर खवासा तक के मार्ग का न केवल निर्माण रोका गया वरन् इसका रखरखाव भी नहीं किया गया। जर्जर गड्ढे वाली सड़कों में न जाने कितनी दुर्घटनाओं में लोग घायल हुए और प्राण तजे, पर किसी की नींद नहीं खुली। आज न्यायालयीन स्थिति कमोबेश पहले के मानिंद ही है, किन्तु अब पांच बरस के उपरांत गड्ढ़े भरने के काम को अंजाम दिया जा रहा है। पांच सालों से कांग्रेस केंद्र में सत्ता की मलाई चख रही है। मतलब साफ है कि कांग्रेस ही चाह रही थी लोग जर्जर सड़कों पर चलकर असमय ही काल कलवित हों, हाथ पैर तुड़वाएं और अपने वाहनों का सत्यानाश करवाएं. . .। गड्ढ़े भरने की औपचारिकताएं आरंभ हो गई हैं, सिवनी वासी सोच रहे हैं कि इसके लिए धन्यवाद ज्ञापित करें तो आखिर किसको?

कांग्रेस और भाजपा के नेताओं का आपसी सामंजस्य गजब का है। देश भर में किसी भी भाग में एसा कही हो या ना हो किन्तु सिवनी जिले में तो कांग्रेस और भाजपा का सामंजस्य देखते ही बनता है। कांग्रेस द्वारा मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्यकर्ताओं, सांसद और विधायकों को तो भाजपा द्वारा केंद्र की कांग्रेस सरकार के नुमाईंदो, सांसद और विधायक को घेरने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है। बावजूद इसके सिवनी में एक इंच भी विकास दर्ज नहीं किया गया है।
सिवनी लोकसभा का अवसान तो इक्कीसवीं सदी का पहला और सबसे बड़ा अजूबा था। सिवनी के विलोपन का प्रस्ताव कहीं भी दूर दूर तक नहीं था। दावे अपत्तियां भी सिवनी के विलोपन को लेकर नहीं लिए गए। अचानक ही सिवनी लोकसभा को विलोपित कर दिया गया। सिवनी के राजनैतिक बियावान के सारे पहलवानों ने उस वक्त घडियाली आंसू अवश्य ही बहाए, किन्तु किसी ने भी ठोस कदम उठाने की जहमत नहीं उठाई। अंत्तोगत्वा सिवनी लोकसभा का अस्तित्व ही समाप्त हो गया।
हमारी नजरों में इसके लिए कांग्रेस और भाजपा कतई जिम्मेवार नहीं कही जा सकती है। इसके लिए जिम्मेवार हैं सिवनी को कर्मभूमि बनाकर राजनैतिक पायदान चढ़ने या चढ़ने का प्रयास करने वाले नेता। इन नेताओं को इतनी भी गैरत नहीं बची कि ये अपनी कर्मभूमि या मातृभूमि की अस्मत बचा सकें। राजनैतिक और आर्थिक स्वार्थों की बलिवेदी पर सिवनी की अस्मत को चढ़ाने में इन्हें गुरेज नहीं है।
तत्कालीन वज़ीरे आज़म पंडित अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने शासनकाल में एक महात्वाकांक्षी परियोजना बनवाई जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना का नाम दिया गया। इसमें दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नई को आपस में सड़क मार्ग से जोड़ना प्रस्तावित था। बाद में जब उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम सीधे जाने वालों के लिए सुलभ और कम दूरी वाले मार्ग की खोज की गई तो अस्तित्व में आया उत्तर दक्षिण और पूर्व पश्चिम गलियारा।
सिवनी के लोगों तब फूले नहीं समाए जब उनके संज्ञान में यह लाया गया कि उत्तर दक्षिण फोरलेन सड़क गलियारा सिवनी जिले से होकर गुजरने वाला है। इस समय महाकौशल के कांग्रेस और भाजपा के क्षत्रपों ने इस मार्ग को अपने अपने जिलों या कर्मभूमि से लेकर जाने के प्रयास किए, किन्तु इसका एलाईंमेंट बदलना बेहद दुष्कर था, इसलिए राजनेताओं के ना चाहने के बाद भी यह सिवनी से होकर ही गुजरने के मार्ग प्रशस्त हो गए।
इसी बीच सिवनी में शहर से बॉयपास की बात सामने आई। उल्लेखनीय है कि पूर्व में जिला मुख्यालय में नगझर से मण्डला, बालाघाट, कटंगी मार्ग को जोड़कर पूर्व दिशा में एक बायपास का निर्माण एस.के.बनर्जी के निर्देशन में करवाया गया था। गुणवत्ता विहीन इस मार्ग में जगह जगह गड्ढे आज भी इस बात को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है कि बीसवीं सदी के अंतिम दशक और इक्कीसवीं सदी के आगाज के साथ ही नेताओं और ठेकेदारों की जुगलबंदी से किस तरह सिवनी को मेहमूद गज़नवी के मानिंद लूटा जा रहा है।
इस दौरान जब बायबास को पश्चिम दिशा से होकर गुजारने का एलाईंमेंट तैयार किया गया तो इसकी राह में अनेक रोढ़े अटकाए गए। रेल्वे के उपर के पुल को लेकर ना जाने कितने माहों तक काम को रोका गया। कांग्रेस और भाजपा की जुगलबंदी फिर एक बार सामने आई। दरअसल, यह देरी इसलिए की जा रही थी ताकि जबलपुर और नागपुर के बीच चलने वाले भारी वाहनों से एस.के.बनर्जी के गुर्गे टोल वसूल कर सकें। इस मामले में कांग्रेस और भाजपा के सियासी ठेकेदार मौन ही साधे रहे।
जैसे तैसे यह बायपास तैयार हुआ। इसके साथ ही साथ लखनादौन से खवास तक के हिस्से का रखरखाव बिना किसी कारण को सामने लाए ही रोक दिया गया। जिसके परिणामस्वरूप सड़क बेहद जर्जर हो गई और इस सड़क पर रोजना ही दुर्घटनाएं होने लगीं। यह सड़क सिवनी जिले में इतनी जर्जर हो चुकी है कि इस पर चलना सर्कस के बाजीगरों के बस की ही बात रह गई है। उल्लेखनीय होगा कि अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में गढ़ी गई स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना का अंग उत्तर दक्षिण गलियारा नेताओं के न चाहने के बाद भी सिवनी जिले से होकर ही गुजरा, क्योंकि सड़क का एलाईमेंट बदलना नेताओं के लिए दुष्कर कार्य था।
इसके बाद इस सड़क में अंड़गों की बौछारे आरंभ हो गईं। तत्कालीन जिलाधिकारी पिरकीपण्डला नरहरि के 18 दिसंबर 2008 के आदेश क्रमांक 3266/फो.ले./2008 जिसे 19 दिसंबर को पृष्ठांकित किया गया था के द्वारा राज्य सरकार से आदेश मिलने की प्रत्याशा में पूर्व कलेक्टर द्वारा सिवनी जिले में मोहगांव से खवासा तक के भाग में सड़क चौड़ीकरण हेतु जारी वन एवं गैर वन क्षेत्रों की वनों की कटाई पर रोक लगा दी थी। इसके उपरांत सड़क की राजनीति के गर्म तवे पर न जाने कितने ही शैफ (मुख्य रसोईए) आए और अपनी अपनी रोटियां सैंकते चले गए। न्यायालयीन प्रक्रियाओं के चलते इस सड़क पर हाथ लगाने से हर कोई घबरा रहा था।
एक एनजीओ द्वारा मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचाया गया। सिवनी का पक्ष भी यहां के समूहों द्वारा न्यायालय में रखा गया। अंत में इसे वर्ष 2011 के आरंभ में माननीय न्यायालय ने मामले को वाईल्ड लाईफ बोर्ड के पास भेज दिया। गौरतलब है कि वाईल्ड लाईफ बोर्ड कोई न्यायिक संस्था नहीं है। यह सब होने के बाद भी जिले की जनता का वोट लेकर विधानसभा और लोकसभा में बैठने वाले जनता के नुमाईंदे खामोश हैं? उनकी खामोशी क्या बयां कर रही है? क्या वे किसी नेता विशेष से भयाक्रांत हैं? क्या नेता विशेष सिवनी की जनता जनार्दन जिसने इन नेताओं को सर आखों पर बिठाया से कद में बड़े हो गए?
इसी दौरान केंद्रीय मंत्री कमल नाथ पर यह आरोप भी लगे कि उन्होंने ही इस काम में अडंगा लगवाया है। वे इस मार्ग को लखनादौन से हर्रई, अमरवाड़ा, छिंदवाड़ा, चौरई के रास्ते नागपुर ले जाना चाह रहे थे। कमोबेश इसी आशय का वक्तव्य उन्होंने राज्य सभा में भी दिया था। फिर फिजां में एक बात तैरी कि यह रास्ता सिवनी से चौरई, छिंदवाड़ा, सौंसर होकर छिंदवाड़ा जाएगा। आज सिवनी से खवासा होकर नागपुर मार्ग इतना जर्जर हो चुका है कि लोग सिवनी से छिंदवाड़ा सौंसर के रास्ते ही नागपुर जाने पर मजबूर हैं।
ज्ञातव्य है कि दो साल पहले सितम्बर माह में सिवनी जिले के कथित विकास पुरूष हरवंश ंिसह ठाकुर ने जिला मुख्यालय सिवनी में एतिहासिक दलसागर तालाब के किनारे इस मार्ग जीर्णोद्वार के काम का बाकायदा भूमिपूजन कर यह जानकारी दी थी कि यह राशि दो माह पूर्व अर्थात जुलाई में ही स्वीकृत करा ली गई थी। बारिश के उपरांत आबादी के अंदर सड़कों का काम तेजी से आरंभ हो जाएगा। हरवंश सिंह की इस पहल से नागरिकों में हर्ष व्याप्त था कि कम से कम शहरों के अंदर की सड़कों का हाल तो सुधर जाएगा। पूरे दो साल बीत गए किन्तु शहरों की सड़कें सुधरना तो दूर अब तो उनके धुर्रे ही उड़ चुके हैं। आलम यह है कि पिछले दिनों कुरई के ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष ने सड़क पर भरे गड्ढ़े के पानी से बाकायदा स्नान किया और इसका वीडियो यूट्यूब पर सुपर डुपर हिट बना हुआ है।
अब असली मरण तो आम जनता की होती है। अब तो लदे फदे ट्रक भी गड्ढ़े बचाने के चक्कर में सड़कों पर लोट रहे हैं। इसके साथ ही साथ रख रखाव के अभाव में यह मार्ग भी अब बली लेने लगा है। गड्ढ़ों में एक के बाद एक दुर्घटनाएं और असमय काल कलवित होने की घटनाओं के बाद भी न तो एनएचएआई ही जागा है और ना ही सांसद विधायक साहेबान भी। सांसद के.डी.देशमुख ने तो इस बात को भी स्वीकारा है कि उन्होने इस मामले को संसद में अब तक नहीं उठाया है। सवाल यह उठता है कि संसद में इस मामले को उठाने की जवाबदेही आखिर किसकी है? देखा जाए तो यह मार्ग सिवनी मण्डला के कांग्रेसी सांसद बसोरी मसराम, सिवनी बालाघाट के सांसद के.डी.देशमुख के साथ ही साथ भाजपा विधायक शशि ठाकुर, नीता पटेरिया, कमल मस्कोले के साथ ही साथ कांग्रेस के क्षत्रप और केवलारी विधायक हरवंश सिंह ठाकुर के विधानसभा क्षेत्र से होकर भी गुजरता है। जनता ने जनादेश देकर इन्हें चुना है, फिर ये जनादेश का अपमान करने का साहस आखिर कैसे जुटा पा रहे हैं?
मध्य प्रदेश के घोषणावीर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि भले ही सूरज पश्चिम से उग आए पर यह सड़क सिवनी से होकर ही गुजरेगी। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय में मध्य प्रदेश सरकार अपना वकील भी खड़ा करेगी। सवोच्च न्यायालय ने इस साल के आरंभ में मामले को खारिज करते हुए वाईल्ड लाईफ बोर्ड के पास भेज दिया है। सूरज आज पूर्व से ही निकल रहा है। न तो शिवराज सरकार का वकील ही सर्वोच्च न्यायालय में गया और न ही सड़क बन पाई।
इतना ही नहीं दो साल पहले ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा द्वारा नेशनल हाईवे की बदहाली के उपरांत सूबे से गुजरने वाले नेशनल हाईवे पर पड़ने गांव, कस्बे और शहरों में हस्ताक्षर अभियान के उपरांत मानव श्रंखला बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद यह योजना टॉय टॉय फिस्स हो गई। इस वक्त भूतल परिवहन मंत्री की आसनी पर प्रदेश के क्षत्रप कमल नाथ काबिज थे। कमल नाथ के रहते शिवराज सिंह चौहान भी सड़कों की दुर्दशा का रोना रोते रहे हैं। कमल नाथ के हटते ही प्रदेश भाजपा और सरकार का एजेंडा मानो बदल ही गया हो। मंत्रीमण्डल फेरदबल के बाद महज जो बार ही सरकार ने सड़कों की बदहाली का रोना रोया है। सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर 10 एनएच वापस मांग लिए हैं। यहां उल्लेखनीय होगा कि भोपाल से महज सत्तर किलोमीटर दूर होशंगाबाद की यात्रा इन दिनों चार से पांच घंटों में पूरी हो पा रही है, जिसमें मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र भी आता है। अब प्रभात झा ने सिवनी में यह बात कह दी कि इस बार नेशनल हाईवे को लेकर मध्य प्रदेश भाजपा का महिला मोर्चा कमान संभालेगा। गौरतलब है कि महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष पद पर सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद और सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया विराजमान हैं।
सिवनी के हितों को यहां के जनप्रतिनिधियों के बजाए बाहर के लोगों ने साधने का प्रयास किया है। ब्राडगेज और रामटेक गोटेगांव नई रेल लाईन के लिए भले ही प्रयास के स्वांग रचे जा रहे हों किन्तु यह बात उतनी ही सच है जितनी कि दिन और रात कि सिवनी के किसी भी सांसद ने सिवनी के ब्राडगेज के बारे में संसद में प्रश्न नहीं उठाया है। इतिहास गवाह है कि 28 अगस्त 2005 को बिलासपुर के सांसद पुन्नू लाल माहोले ने अतारांकित प्रश्न संख्या 4502 के तहत चार बिन्दुओं पर जानकारी चाही थी। इसमें बिलासपुर से मण्डला होकर नैनपुर और नैनपुर से सिवनी होकर छिंदवाड़ा रेलमार्ग के अमान परिवर्तन की जानकारी चाही गई थी। इसके जवाब में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री आर.वेलू ने पटल पर जानकारी रखते हुए कहा था कि नैनपुर से बरास्ता छिंदवाड़ा के 139.6 किलोमीटर खण्ड का छोटी लाईन से बड़ी लाईन में परिवर्तन हेतु 2003 - 04 में सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण प्रतिवेदन के अनुसार इस परियोजना की लागत ऋणात्मक प्रतिफल के साथ 228.22 करोड़ रूपए आंकी गई थी। वेलू ने यह भी कहा था कि इस प्रस्ताव की अलाभकारी प्रकृति, चालू परियोजनाओं के भारी थ्रोफारवर्ड एवं संसाधनों की अत्याधिक तंगी को देखते हुए स्वीकार नहीं किया जा सका। इसके बाद बार बार रेल बजट में छिंदवाड़ा से सिवनी होकर नैनपुर तक अमान परिवर्तन का झुनझुना सिवनी वासियों को दिखाया जाता रहा। कांग्रेस और भाजपा ने इसका पालीटिकल माईलेज लेने की गरज से विज्ञापनों की बौछार कर दी। आज फरवरी 2012 में भी एक इंच काम आरंभ नहीं हो सका है।
बहरहाल, फोरलेन के मामले में सिवनी जिले में लखनादौन से खवास तक की स्थिति कमोबेश आज भी वही है जो पहले थी। बावजूद इसके अब जाकर गड्ढ़े भरने का काम आरंभ किया गया है। जिससे साफ है कि सिवनी के राजनैतिक तौर पर सक्रिय ठेकेदार यही चाह रहे थे कि लोग गड्ढ़ों में चलकर दुख तकलीफ का अनुभव अवश्य करें। अपने वाहनों का नाश करें और लोग हाथ पैर तुड़वाकर असमय ही काल के गाल में समाएं। अगर नहीं तो क्या कारण है कि शहर के अंदर और बाहर गड्ढ़े भरने का काम का  सिवनी के कथित विकास पुरूष हरवंश सिंह ठाकुर के द्वारा दो साल पहले भूमिपूजन करवाने के बाद आरंभ क्यों नहीं करवाया जा सका।
इस संबंध में एक वाक्या याद पड़ता है। नब्बे के दशक में ओला पाला से फसलें तबाह हो गईं। उस समय बैतूल में किसानों पर गोली चालन भी हुआ। राजधानी भोपाल में एक केंद्रीय मंत्री के निज सहायक से चर्चा में हमने कहा कि मंत्री के संसदीय क्षेत्र में मुआवजे की कार्यवाही आरंभ करवाई क्यों नहीं हो रही है। निज सहायक ने मुस्कुराते हुए कहा कि पहले क्षेत्र से मांग तो आने दो, किसान धरना प्रदर्शन तो करें? बिन मांगे दे देंगे तो उन्हें इसकी कीमत समझ में नहीं आएगी। आज फोरलेन की स्थिति भी वही दिख रही है। अगर कष्ट के बिना ही सब कुछ मिल जाता तो सिवनी वाले इसकी कीमत नहीं समझते (हो सकता है नेताओं की यह सोच हो)। अब जबकि सड़क के गड्ढ़े भरने का काम आरंभ हो गया है तो विचारणीय प्रश्न यह है कि इसके लिए धन्यवाद किसका ज्ञापित करें सिवनी वासी? मनमोहन सिंह का, सोनिया गांधी का, जयंती नटराजन का, सीपी जोशी का, सिवनी के कथित विकास पुरूष हरवंश सिंह का, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का, प्रभात झा का या फिर सिवनी के सांसद विधायकों का!
वैसे 2004 से केंद्र में कांग्रेस काबिज है। फोरलेन के रखरखाव का जिम्मा केंद्र सरकार का है, इसलिए यह बात स्थापित हो चुकी है कि कांग्रेस चाहती थी कि सिवनी के लोग गड्ढ़ों में अपने वाहनों का नास कराएं, हाथ पैर तुड़ावाएं इतना ही नहीं अनेक घरों के दिए बुझें। अगर नहीं तो क्या वजह है कि न्यायालयीन स्थिति वही रहने पर अब जाकर सड़कों के गड्ढ़े भरने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं? कांग्रेस में रहकर कांग्रेस के क्षत्रपों, भाजपा में रहकर भाजपा के क्षत्रपों की तलवारें इस मसले में रेत में ही गड़ी हैं। कांग्रेस को लेकर भाजपा तो भाजपा को लेकर कांग्रेस मौन है! रहे क्यों ना नूरा कुश्ती का अद्भुत और अकल्पनीय नजारा जो दिखता है सिवनी में।

(साई फीचर्स)

गांव हो जाएंगे अभिशिप्त नर्मदा तीरे!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  71

गांव हो जाएंगे अभिशिप्त नर्मदा तीरे!

राख बना देगी पानी को विषैला और जमीन को अनुपजाऊ!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर दौलतमंद उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर में स्थापित किए जाने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट से न केवल पर्यावरणीय खतरा पैदा होने की आशंका है वरन् पुण्य सलिला नर्मदा के विषैले होने और खेतों की उर्वरक क्षमता कम होने की आशंकाएं बलवती होती जा रही हैं।
विकास के नाम पर लगने वाले इस पावर प्लांट से जमीन और जंगल पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। जानकारों का कहना है कि थर्मल कोल पावर प्लांट से निकलने वाली राख आसपास की हजारों एकड़ जमीन की उत्पादन क्षमता को नष्ट कर देगी। गौरतलब है कि अब तक कई अध्ययनों में इस बात का खुलासा हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि बैतूल के समीप सारणी स्थित सतपुड़ा पावर प्लांट से निकलने वाली राख से हजारों पेड़ नष्ट और तवा का पानी प्रदूषित हो गया है। इसी तरह प्रस्तावित झासीघाट प्लांट की जद में आने वाले गांव सिलारी के किसान पुहुपसिंह ने बताया कि उन्हें कंपनी के इंजीनियर ने यह कहकर जमीन छोडऩे की सलाह दी कि प्लांट लगने के बाद इस पर राख की मोटी परत जमा हो जाएगीतब यहां कोई फसल पैदा नहीं होगी।
यहां यह संकट करीब 20 किलोमीटर की परिधि की जमीन पर है। राख से हजारों पेड़वन औषधि और चारा खराब हो जाएगा। इससे पर्यावरण संतुलन बिगडऩे के साथ ही मवेशियों पर भी संकट आएगा। मजे की बात तो यह है कि घंसौर के बरेला में गौतम थापर के स्वामित्व वाले इस पावर प्लांट की प्रस्तावित चिमनी की उंचाई 275 मीटर अर्थात लगभग एक हजार फिट उंची चिमनी से उड़ने वाली राख कितने किलोमीटर की परिधि में कहर बरपाएगी और खेतों पर मोटी राख की परत जमा करेगी इस बात को सोचकर ही रीढ़ की हड्डी में सिहरन पैदा होने लगती है।
कुल मिलाकर केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित सिवनी जिले के घंसौर विकासखण्ड के आदिवासियोंजल जंगल और जमीन को परोक्ष तौर पर दौलतमंद गौतम थापर के पास रहन रख दिया गया है और बावजूद इसके केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालयमध्य प्रदेश सरकारमध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डलजिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरियाकमल मस्कोलेएवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुरकांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

पीएमओ में इकबाल बुलंद है पुलक चटर्जी का


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 93

पीएमओ में इकबाल बुलंद है पुलक चटर्जी का

बढ़ता ही जा रहा है पुलक का प्रभुत्व

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सहित देश के मीडिया में सबसे कम समय में धूमकेतू की तरह अगर कोई चमका है तो वह शख्सियत है प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के सबसे विश्वस्त और करीबी पुलक चटर्जी का इकबाल पीएमओ में काफी हद तक बुलंद है।
पीएमओ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पुलक चटर्जी का जादू पीएमओ में सर चढ़कर बोल रहा है। आलम यह है कि अब पीएमओ के आगंतुक वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह से ज्यादा दिलचस्पी पुलक चटर्जी से मिलने में ले रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि गैर राजनैतिक सोच के धनी प्रधानमंत्री के दरबार की अपेक्षा पुलक चटर्जी के दरबारियों की तादाद सौ गुना अधिक है।
सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों वाशिंगटन से आए विश्व बैंक के एक प्रतिनिधिमण्डल को जब प्रधानमंत्री से मिलने का समय मिला तो लोग उस वक्त हैरत में पड़ गए जब उन्हें पता चला कि प्रतिनिधि मण्डल, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बजाए उनके प्रधान सचिव पुलक चटर्जी से मिलने के लिए ज्यादा व्यग्र दिखा। लोगों को लगने लगा है कि अब पुलक चटर्जी का प्रभुत्व चरम पर पहुंच चुका है।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री के मीडिया एडवाईजर रहे हरीश खरे को पुलक चटर्जी की आमद के साथ ही चटर्जी की नाराजगी का शिकार होकर अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। उनके स्थान पर पुलक चटर्जी को यस बॉसकहने से गुरेज नहीं करने वाले पंकज पचौरी को पीएमओ में बतौर पीएम के मीडिया एडवाईजर नौकरी पर रख लिया गया। पुलक चटर्जी को पहले पहल तो पचौरी रास नहीं आए, फिर अचानक ही पचौरी भी मीर बनते दिख रहे हैं।
पीएमओ के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि पंकज पचौरी ने पीएमओ की आबो हवा को पहचानकर अब पीएम के मीडिया मैनेजमेंट से ज्यादा ध्यान पुलक चटर्जी के मीडिया मैनेजमेंट की ओर देना आरंभ कर दिया है। पचौरी के प्रभाव वाले मीडिया ने पुलक चटर्जी का समा बांध दिया है। इन सारी कतरनों आदी को रोजना ही चटर्जी के सामने पेश कर पचौरी अपने नंबर बढ़वाने में कामयाब होते दिख रहे हैं। पीएमओ में पुलक चटर्जी के बढ़ते प्रभुत्व को देखकर उनके सहयोगियों में चटर्जी के प्रति ईष्या के भाव आना स्वाभाविक ही है।

(क्रमशः जारी)

जायस्वाल को कारण बताओ नोटिस


जायस्वाल को कारण बताओ नोटिस

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में केन्द्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के बयान को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए निर्वाचन आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयोग ने उन्हें यह बताने को कहा है कि इसके लिए उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाए।
आयोग ने नोटिस में कहा है कि उसे प्रथम दृष्टतया लगता है कि श्री जायसवाल ने यह बयान देकर छठे और सातवें चरण के मतदान के लिए मतदाताओं को यह धमकी देने की कोशिश की है कि वे या तो कांग्रेस को वोट दें या फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन के लिए तैयार रहें। आयोग ने उनसे सोमवार दोपहर दो बजे तक अपना जवाब भेजने को कहा है।

एनआरएचएम: छापों का दौर जारी


एनआरएचएम: छापों का दौर जारी

(यशवंत श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। सीबीआई ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले के सिलसिले में छापों का दौर जारी रखा है। शनिवार को उत्तर प्रदेश में २३ स्थानों में छापे मारे। प्राप्त जानकारी के अनुसार लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, झांसी सहित बारह जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और उप मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के पद पर रहे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के आवासों पर छापे मारे गये।
सीबीआई ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में दवाईयों और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में कल चार नये मामले दर्ज किए थे और २२ जिलों में छापे मारे थे। सीबीआई ने एनआरएचएम के तहत दी जाने वाली केन्द्रीय राशि की हेराफेरी के सिलसिले में अब तक बारह मामले दर्ज किए हैं। नयी एफआईआर में अनेक डॉक्टरों और दवा आपूर्तिकर्ताओं के नाम लिए गये हैं। कुछ दिन पहले इस घोटाले के प्रमुख आरोपी, राज्य के पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा और उनके सहयोगी बसपा विधायक रामप्रसाद जायसवाल से पूछताछ की गई थी।
उधर, साई के लखनऊ ब्यूरो दीपांकर श्रीवास्तव ने बताया कि सीबीआई ने इस घोटाले में पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एस के समोरिया को हिरासत में लिया है। साई संवाददाता ने बताया है कि डॉ० समोरिया को शनिवार अलह सुब्बह लखनऊ में उनके निवास स्थान से हिरासत में लिया गया।

उत्तराखण्ड में छोटी जल विद्युत परियोजनाएं मंजूर


उत्तराखण्ड में छोटी जल विद्युत परियोजनाएं मंजूर

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र ने प्रदेश में दस से तीस मेगावाट क्षमता की छोटी जल-विद्युत परियोजनाएं लगाने की सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी ने नई दिल्ली में केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात की। इस दौरान श्री शिंदे ने श्री खंडूड़ी को चार हजार मेगावाट क्षमता की चार सौ से लेकर पांच सौ माइक्रो बिजली परियोजनाओं के रोड मैप बनाने की सलाह दी।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि ऐसी छोटी ऊर्जा परियोजनाओं से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है। श्री खंडूडी ने बताया कि प्रदे8ा में ऐसी लगभग पांच सौ परियोजनाओं की स्थापना संभव है। श्री शिंदे ने कहा कि अविभाजित उत्तर प्रदेश के साथ ऊर्जा क्षेत्र से सम्बंधित देनदारियों और परिसंपत्तियों से जुड़े लंबित मामलों के भी शीघ्र निस्तारण की दिशा में कदम उठाये जायेंगे।
बैठक में श्री शिंदे ने श्री खंडूडी द्वारा प्रस्तुत उत्तर प्रदेश पर बकायेदारी से सम्बंधित दस्तावेज केन्द्रीय ऊर्जा सचिव श्री पी. उमाशंकर को देते हुए निर्देश दिए कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ त्रिपक्षीय बैठक करके अतिशीघ्र इस मामले का निस्तारण कराएँ ताकि उत्तराखंड के सामने अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही ऊर्जा क्षेत्र की लंबित देनदारियों की समस्या बाकी न रहे।
उधर, उत्तराखण्ड से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो अर्जुन कुमार ने खबर दी है कि उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिये प्रस्तावित विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण के सम्बन्ध में जन सुनवाई के लिए रुद्रपुर में गोष्ठी आयोजित की।
गोष्ठी में उद्यमियों सहित अन्य उपभोक्ताओं के विद्युत सम्बन्धी लगभग पैंतीस सुझाव दर्ज किये गये, जिसमें विद्युत दर बढाने से पहले विद्युत कटौती में कमी करने और विद्युत आपूर्ति निर्बाध गति से करने के सुझाव शामिल हैं। उपभोक्ताओं ने कहा कि विद्युत की बढती समस्याओं के निराकरण के लिये अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिये और तकनीकी समस्याओं के हल के लिये तकनीकी स्टाफ तैनात किया जाना चाहिये।
जन सुनवाई कार्यक्रम में विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष जगमोहन लाल ने बताया कि विद्युत दरों में वृद्धि के लिये आम लोगों से राय ली जा रही है और विद्युत उत्पादन बढाये जाने के सुझाव भी प्राप्त किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में पूरे राज्य में जन सुनवाई हेतु कैम्प लगाये जा रहे है। कुमाऊॅ गढवाल चैम्बर आफ कामर्स के अध्यक्ष सरदार दरबारा सिंह ने औद्यौगिक आस्थानों कीे विभिन्न विद्युत समस्याओं से अवगत कराया।  

अध्यक्ष प्रवक्ता आमने सामने

मध्यप्रदेश कांग्रेस में कलह

(रवीन्द्र जैन)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश कांग्रेस में भूचाल आने के संकेत मिल रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और पार्टी के प्रवक्ता केके मिश्रा में ठन गई है। उम्मीद है कि जल्दी ही भूरिया, केके मिश्रा को प्रवक्ता पद से हटा सकते हैं। शुक्रवार को भोपाल से इंदौर तक कांग्रेस के कुछ नेताओं ने समझौते का प्रयास भी किया लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। इस पूरी लड़ाई के पीछे भूरिया के पीए प्रवीण कक्कड़ की कांग्रेस संगठन के मामले में बेवजह हस्तक्षेप माना जा रहा है।
पहले केके मिश्रा के बारे में जान लें। केके मिश्रा कांग्रेस में अपने मुखर स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। पहले इंदौर में और उसके बाद भोपाल में उन्होंने विपक्ष में रहकर भाजपा सरकार के खिलाफ कई मामले उठाए। मिश्रा को कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सुभाष यादव भोपाल लेकर आए थे। सुरेश पचौरी ने अध्यक्ष बनने के बाद मिश्रा के कद और पद को बहाल रखा। सरकार के खिलाफ  पचौरी के कार्यकाल मे।भी मिश्रा के हमले जारी रहे। लेकिन कांतिलाल भूरिया के अध्यक्ष बनने के बाद मिश्रा पर लगाम लगा दी गई। पर्दे के पीछे की कहानी यह है कि भूरिया के पीए प्रवीण कक्कड़ के संबंध इंदौर में जिन व्यवसायियों से हैं उन पर मिश्रा लगातार हमले कर रहे थे। इसी बात को लेकर पहले तो कक्कड़ ने समझौते के प्रयास किये लेकिन मिश्रा नहीं झुके तो उन पर संगठनात्मक प्रतिबंध लगा दिए गए। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय ने केके मिश्रा पर नकेल कसने के लिए ही आदेश जारी किया कि कोई भी प्रवक्ता बगैर पूछे किसी के खिलाफ बयान नहीं दे सकते। यही नहीं इस आदेश में केके मिश्रा को केवल विंध्य क्षेत्र के मामलों में ही बयान देने की छूट दी।
केके मिश्रा अपने ऊपर लगी पाबंदियों से पहले ही नाखुश थे। इसी बीच प्रदेश के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र ने खबर छापी कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष भूरिया को साधने के लिए उनके पीए प्रवीण कक्कड़ के पुत्र सलिल कक्कड़ के नाम शराब फैक्टरी का लायसेंस जारी किया है। भूरिया कैंप का शक है कि यह खबर केके मिश्रा के दिमाग की उपज है। इसी बीच मध्यप्रदेश लोकायुक्त पीपी नावलेकर के बेटे सिद्धार्थ नावलेकर के जमीन के धंधे से जुड़ी एक खबर और बिच्छु डांट कॉम ने छापी इसका शक भी केके मिश्रा पर किया जा रहा है। बताते हैं कि यह दोनों खबर छपने से पहले भूरिया और कक्कड़ ने इंदौर के कांग्रेस विधायक के जरिए केके मिश्रा को समझाने का प्रयास किया था। जबाब में मिश्रा ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी मुहिम रुकने वाली नहीं है। मिश्रा ने भूरिया को यह संदेश भी भेजा कि राजनीति उनके परिवार का व्यवसाय नहीं है। वे कुछ सिद्धांतों को लेकर संगठन में काम कर रहे हैं। यदि इन सिद्धांतों पर नहीं चल सकते तो संगठन के पद पर बैठने का कोई अर्थ नहीं है।
भूरिया के खिलाफ हुई अखबारबाजी के बाद प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव रवि जोशी ने मीडिया से ऑफ द रिकार्ड बातचीत में संकेत दिया है कि पार्टी अध्यक्ष भूरिया अब केके मिश्रा को संगठन में नहीं रखना चाहते और इस संबंध में उन्होंने दिल्ली को भी बता दिया है। उम्मीद  की जा रही है कि जल्दी ही केके मिश्रा कांग्रेस के प्रवक्ता पद से बिदा हो जाएंगे।
इस संबंध में केके मिश्रा का कहना है कि संगठन में पद पर रखना न रखना अध्यक्ष का विशेष अधिकार है। लेकिन कांग्रेस और उसकी विचारधारा से मुझे कोई दूर नहीं कर सकता। जोशी और मिश्रा की बातों से लगता है कि आने वाला समय कांग्रेस के लिए भूचाल से कम नहीं होगा। यदि मिश्रा को पद मुक्त किया तो वह पर्दे के पीछे से भूरिया और कक्कड़ को बेनकाब करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

दुधारू पशुओं पर विशेष ध्यान देंगे


दुधारू पशुओं पर विशेष ध्यान देंगे

(अनेशा वर्मा)

चंडीगढ़ (साई)। भारतीय कृषि अनुसधंान परिषद डेयरी विस्तार विभाग के महानिदेषक के डी के कोकाटे ने कहा है कि भविष्य मे डेयरी के विकास हेतु हमें जेनेटिक विकास और बॉझपन को समाप्त करने की और विषेष ध्यान देना होगा। शनिवार को करनाल के एन. डी. आर. आई सस्ंथान मे आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय डेयरी मेले के उद्धाटन मौके पर उन्होंने कहा कि गांवों मे जहंा दुधारू पषुओं की संख्या अधिक है वंहा उŸाम नस्ल की सीमन उपलब्ध करवाये है , मोडल पषु ग्राम बनाये जाए तो  डेयरी सेक्टर ओर विकसिल होगा।
उन्होंने कहा कि हरियाणा मे इस दिशा मे काफी कार्य हो रहा है तथा यहंा मुहखुर रोग व अन्य बिमारियों पर नियंन्त्रण हुआ है। एक सवाल के जवाब मे उन्होंने कहा कि डेयरी के विकास के लिए आने वाले बजट मे वर्तमान से तीन गुणा वृद्वि हेतु उन्होंने सरकार को प्रपोजल भेजा है जिसे मंजूरी मिलने की पूरी संभावना है।
इस मेले मे हरियाणा के अलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेष ,उत्तर प्रदेष  व राजस्थान सहित अन्य स्थानों से सैंकड़ो किसान अपने उŸाम नस्ल के पषुओं के साथ आये हुए है। किसानों मेे पषुपालन के प्रति जागरूकता लाने, नई तकनीक की जानकारी देने व उन्हे प्रोत्साहित करने के लिए मेले के दौरान दुध व ब्रीडिंग प्रतियोगिता भी करवाई जाएगी।  

सड़क दुर्घटना में 17 मरे


सड़क दुर्घटना में 17 मरे

(अर्जुन कुमार)

देहरादून (साई)। देहरादून जिले में पिछले चौबीस घंटों के दौरान तीन अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में सत्रह लोगों की मृत्यु हो गई हैं, जबकि बीस से ज्यादा व्यक्ति जख्मी हो गए हैं। जिले की त्यूनी तहसील में आज अपराह्न मेनास के निकट एक बस के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से आठ लोगों की मृत्यु हो गई है, जबकि नौ अन्य घायल हो गए हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
सरकारी सूचना के अनुसार बस में छत्तीस लोग सवार थे। इस बीच, मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खण्डूड़ी ने हादसे में शोक व्यक्त करते हुए मजिस्ट्रेटी जांच के आदेष दिए हैं। उन्होंने मृतकों के परिजनों व घायलों को अनुमन्य राहत राशि देने के भी निर्देश दिये है। साथ ही जिला प्रशासन को घायलों के समुचित उपचार की व्यवस्था के भी निर्देश दिए हैं।
उधर, बीती रात ऋषिके8ा थानांतर्गत बडेरना के निकट एक वाहन के पांच सौ मीटर गहरी खाई में गिर जाने से सात लोगों की मृत्यु हो गई है। पुलिस अधीक्षक गिरी8ा चन्द ध्यानी के अनुसार ये लोग वैवाहिक समारोह से लौट रहे थे। उधर, मसूरी से पांच किलोमीटर दूर बाटाघाट के पास एक वाहन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से दो लोगोें की मृत्यु हो गई है। 
इस बीच, आपदा प्रबंधन मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बडेरना के निकट हुए हादसे का जायजा लेने के लिए घटनास्थल पहंुचे और दुर्घटना में मृत लोगों के प्रति दुःख व्यक्त करते हुए घायलों को हर संभव सहायता देने के निर्देश जिला प्रशासन को दिये हैं। उधर, मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी ने वाहन दुर्घटनाओं में मृत लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों और घायलों को अनुमन्य राहत राशि देने के निर्देश जिला प्रशासन को दियें है।  

जाट आंदोलन से रेल यातायात प्रभावित


जाट आंदोलन से रेल यातायात प्रभावित

(शैलेन्द्र कुमार)

जयपुर (साई)। हरियाणा के हांसी और सात रोड़ रेलवे स्टेशनों के बीच चल रहे जाट आरक्षण आन्दोलन के कारण उत्तर पश्चिम रेलवे की कई गाड़ियां आज भी प्रभावित हुई है। जयपुर-अमृतसर, भिवानी-रेवाडी और रेवाड़ी-भिवानी सवारी गाड़ियों को आज रद्द कर दिया गया। इसके अलावा सात अन्य गाड़ियां आंशिक रूप से रद्द कर दी गई।
रेल्वे सूत्रों का कहना है कि अगर आंदोलन जारी रहा तो कल 9 रेलगाड़ियां आंशिक तौर पर रद्द रहेगी। वहीं हिसार-जयपुर, रेवाडी-गंगानगर सहित 9 गाडियों को आंशिक तौर पर रद्द किया गया है। दूसरी ओर जोधपुर-मेडता रेलखण्ड पर अण्डर ब्रिज निर्माण के कारण इस मार्ग पर 11 रेलगाडियां कल देरी से चलेंगी। 

स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती होगी


स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती होगी

(स्वाति सिंह)

शिमला (साई)। प्रदेश में शीघ्र ही 4 सौ 58 महिला स्वास्थ्य कर्ता और 4 सौ 8 स्टाफ नर्सों की भर्ती की जाएगी। ये जानकारी स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री राजीव बिंदल ने सिरमौर जिला की ग्राम पंचायत धगेड़ा में सामुदायिक भवन के उद्घाटन अवसर पर दी। बिंदल ने बताया कि सिरमौर जिला में अटल स्वास्थ्य सेवा 108 के अंतर्गत 11 एंबुलेंस कार्यरत्त है जिनके माध्यम से अब तक लगभग 11 हजार रोगियों को लाभ मिला हैं।
उन्होंने धगेड़ा में चिकित्सा विभाग के आवासीय कमरों की मररम्मत के लिए दस लाख रुपए की राशि भी स्वीकत की। उन्होंने कहा कि जिला के दूरदराज क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सड़कों के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 

पक्षियों को खरीदा या बेचा तो उसे तीन साल की जेल


पक्षियों को खरीदा या बेचा तो उसे तीन साल की जेल

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। यदि तोता, मुनिया और प्रवासी पक्षियों को किसी ने खरीदा या बेचा तो उसे तीन साल की जेल और 25 हजार रुपए का जुर्माना हो सकता है। यदि किसी के पास कोई पक्षी है तो वो अभी वन विभाग को सौंप दे। उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। वन विभाग के अधिकारियों की इस चेतावनी शनिवार को जहांगीराबाद स्थित मुर्गी बाजार में वन विभाग और भोपाल बर्ड संस्था द्वारा पक्षियों के अवैध व्यापार के संबंध में जागरुकता शिविर में दी। वन विभाग के उडऩदस्ते के रेंजर एनडी शर्मा ने बताया कि वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत कई पक्षियों का व्यापार करना अवैध है। ये पक्षी लुप्त पक्षियों की श्रेणी में आ गए हैं। इनमें पहाड़ी व कंठी वाला तोता, जंगली कबूतर, सभी प्रकार की मुनिया, उल्लू, जल मुर्गियां, बतख टुनियां, बुलबुल, सिंच और सभी प्रकार के प्रवासी पक्षी शामिल हैं।

बुखार में कारगर है सप्तपर्णी


हर्बल खजाना ----------------- 31

बुखार में कारगर है सप्तपर्णी



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। सप्तपर्णी एक पेड है जिसकी पत्तियाँ चक्राकार समूह में सात - सात के क्रम में लगी होती है और इसी कारण इसे सप्तपर्णी कहा जाता है। इसके सुंदर फ़ूलों और उनकी मादक गंध की वजह से इसे उद्यानों में भी लगाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम एल्सटोनिया स्कोलारिस है।
पातालकोट के आदिवासियों का मानना है कि प्रसव के बाद माता को यदि छाल का रस पिलाया जाता है तो दुग्ध की मात्रा बढ जाती है। इसकी छाल का काढा पिलाने से बदन दर्द और बुखार में आराम मिलता है। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार जुकाम और बुखार होने पर सप्तपर्णी की छाल, गिलोय का तना और नीम की आंतरिक छाल की समान मात्रा को कुचलकर काढा बनाया जाए और रोगी को दिया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिलता है।
आधुनिक विज्ञान भी इसकी छाल से प्राप्त डीटेइन और डीटेमिन जैसे रसायनों को क्विनाईन से बेहतर मानता है। पेड से प्राप्त होने वाले दूधनुमा द्रव को घावों, अल्सर आदि पर लगाने से आराम मिल जाता है। छाल का काढा पिलाने से दस्त रुक जाते है। दाद, खाज और खुजली में भी आराम देने के लिए सप्तपर्णी की छाल के रस का उपयोग किया जाता है।


(साई फीचर्स)