‘‘जी‘‘ की महिमा अपरंपार
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
देश में इन दिनों जी का ही नाम जोर शोर से चल रहा है। कभी थ्री जी, कभी टू जी, कभी जीजी जी
(सोनिया के दमाद राबर्ट वढेरा) तो कभी जी न्यूज। जबरिया वसूली के मामले में जी
न्यूज के मालिक सुभाष चंद्रा को फिलहाल राहत मिलती दिख रही है। उंचे राजनैतिक रसूख
वाले जी न्यूज और उनके खिलाफ खड़े नवीन जिंदल के बीच सुलह करवाने में एक उद्योगपति
कांग्रेसी सांसद की भूमिका की चर्चाएं इन दिनों जमकर हो रही हैं। इस मामले में
कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद 10, जनपथ द्वारा भी बराबर रूचि और बारीक नजर रखी
जा रही है।
वैसे नई दिल्ली
स्थित साकेत कोर्ट ने ज़ी ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और उनके बेटे पुनीत गोयनका
की गिरफ्तारी पर 14 दिसंबर तक
रोक लगा दी है। दिल्ली पुलिस द्वारा इनवेस्टिगेशन में शामिल होने के लिए ज़ी ग्रुप
के मालिकों के नाम थर्ड नोटिस जारी किए जाने के बाद साकेत कोर्ट में सुभाष चंद्रा
और पुनीत गोयनका की अग्रिम जमानत की याचिका दायर की गई थी। लेकिन कोर्ट ने अभी
अग्रिम जमानत नहीं दी है।
कोर्ट ने अर्जी को
विचाराधीन रखते हुए 14 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक के लिए ज़ी ग्रुप के
चेयरमैन और उनके बेटे की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इससे पहले सुभाष चंद्रा के
वकील ने पुलिस को सूचना दी थी कि वह जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
ज्ञातव्य है कि ज़ी समूह के संपादक सुधीर चौधरी और समीर अहलूवालिया अभी भी न्यायिक
हिरासत में हैं। ज़ी ग्रुप पर आरोप है कि उन्होंने कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल की
कंपनी को ब्लैकमेल करते हुए अवैध तरीके से 100 करोड़ का एक विज्ञापन हासिल करने की कोशिश
की थी।
वैसे देखा जाए तो
चावल से चैनल तक का सफर तय करने वाले जी न्यूज के मालिक सुभाष चंद्रा का इकबाल
कांग्रेस के अंदर जबर्दस्त तरीके से बुलंद है। कांग्रेस के एक उद्योगपति सांसद का
वरद हस्त चंद्रा पर सदा ही बना रहता है। नवीन जिंदल के साथ पंगा लेने और कथित तौर
पर उगाही के मामले के सामने आने के उपरांत अब कांग्रेस के अंदर बड़ा तबका यह चाह
रहा है कि जी का लाईसेंस ही निरस्त कर देना चाहिए। नवीन जिंदल खुद भी कमोबेश यही
चाह रहे हैं।
नवीन जिंदल के
करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि नवीन जिंदल और
उनकी माता सावित्री जिंदल वैसे सुभाष चंद्रा के काफी करीबी हैं। जब नवीन जिंदल के
खिलाफ मामला जी में उछला तब नवीन और सावित्री दोनों ही ने चंद्रा से चर्चा कर इसे
रोकने की गुहार लगाई। सूत्रों की मानें तो नवीन और चंद्रा के बीच इस मामले को लेकर
हॉट टाक भी हुई।
सूत्रों ने बताया
कि बाद में सावित्री जिंदल के बीच बचाव से मामला सुलटा और फिर चर्चा आरंभ हुई जी
और जिंदल समूल के विश्वस्तों के बीच। कहा जाता है कि जिंदल समूह और जी के बीच चार
सालों के लिए पांच करोड़ रूपए प्रतिवर्ष यानी बीस करोड़ रूपए का कुल समझौता हो गया।
इस समझौते के बाद दोनों ही पक्ष निश्चिंत हो गए।
उधर सुभाष चंद्रा
के एक करीबी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया
कि नवीन जिंदल से रश्क रखने वाले एक उद्योगपति कांग्रेस के सांसद ने परोक्ष तौर पर
चंद्रा को यह बात समझा दी कि इस कोल मामले में जिंदल को अरबों का फायदा हुआ है
इसलिए बीस करोड़ नहीं कम से कम सौ करोड़ की डिमांड करो। अगली ही मीटिंग में जी की ओर
से सौ करोड़ रूपयों की मांग कर डाली गई।
उधर, नवीन जिंदल के खेमे
में जी से निपटने की तैयारियांे को अंजाम दिया जा रहा था। जिंदल समूह के एक सूत्र
ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया कि जिंदल समूह के पास एक खाटी
पत्रकार मुलाजिम है। इस पत्रकार को खासा अनुभव है इन सारी बातों का। उक्त पत्रकार
ने महज दो तीन हजार रूपए के हिडन कैमरे खरीदे, इन कैमरों को
उन्होंने अपने पास कई जगहों पर छिपा लिए।
इसके उपरांत एक
फाईव स्टार होटल के रेस्त्रां में जाकर स्टिंग आपरेशन को अंजाम दिया। उक्त होटल के
सीसीटीवी फुटेज में इन पत्रकारों, संपादकों का आना जाना बकायदा दर्ज होना भी
बताया जा रहा है। जब स्टिंग आपरेशन पूरा हो गया तब तैयारी की गई जी पर मुकदमा दायर
करने की। नवीन जिंदल के करीबी सूत्रों का कहना है कि जैसे ही एफआईआर की बात आई
वैसे ही जिंदल के एक सलाहकार के मशविरे पर यह काम रोक दिया गया।
सूत्रों की मानें
तो इसके उपरांत उक्त सलाहकार के मशविरे पर ही नवीन जिंदल ने इस स्टिंग की सीडी और
होटल के सीसीटीवी फुटेज को फोरहंसिक लेब से जांच करवाकर यह पुष्टि कर ली गई कि
इसमें कहीं छेड़छाड़ नहीं की गई है। इसके उपरांत ही एफआईआर दर्ज कर मामले को पुलिस
को सौंपा गया है।
इस मामले में
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ द्वारा भी
बारीक नजर रखी जा रही है। 10, जनपथ से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर
यकीन किया जाए तो सोनिय गांधी को यह मशविरा दिया गया है कि इस मामले में जी न्यूज
को सबक सिखाकर मीडिया को यह संदेश आसानी से दिया जा सकता है कि मीडिया अपनी हदों
में रहे, वरना अंजाम
भुगतने को तैयार रहे।