मंगलवार, 29 नवंबर 2011

लूट मची है मनरेगा के कामों में


लूट मची है मनरेगा के कामों में

रोजगार गारंटी का कोई लेखा जोखा ही नहीं पंचायतों के पास

अरबों की लूट मची है मनरेगा में

केंद्र की महात्वाकांक्षी योजना में भ्रष्टाचार की सड़ांध

एमपी में मनरेगा का कोई रिकार्ड नहीं!


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना (मनरेगा) में भ्रष्टाचार की कलई धीरे धीरे खुलने लगी है। एसा नहीं कि केंद्र को इसकी जानकारी नहीं है कि उसके द्वारा दी जाने वाली अरबों खरबों रूपयों की इमदाद को दिल खोलकर लूटा जा रहा हो। विडम्बना है कि कांग्रेस और केंद्र सरकार जनता के गाढ़े पसीने की कमाई में भ्रष्टाचार का इस्तेमाल महज चुनावी लाभ को मद्देनजर रखकर किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना तय हैं। इसी के मद्देनजर कांग्रेस में भविष्य के वजीरे आजम ने उत्तर प्रदेश में इस योजना को भ्रष्टाचार की बलिवेदी पर चढ़ने की बातें जोर शोर से उठाई जा रहीं हैं। हालात देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि राहुल गांधी और कांग्रेस द्वारा जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से एकत्र धनराशि पर हो रही बंदरबांट को चुनावी मुद्दा ही बनाया जा रहा है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि भाजपा शासित राज्यों विशेषकर मध्य प्रदेश में इसकी हालत बेहद चिंताजनक है। बावजूद इसके मध्य प्रदेश विधानसभा में शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में इसका जिकर करना भी कांग्रेस ने उचित नहीं समझा। माना जा रहा है कि यह जनता से जुड़ा एक मुद्दा है जिसे कांग्रेस चुनावों के आसपास ही भुनाने का जतन करेगी।

सूत्रों ने कहा कि मध्य प्रदेश में अगर जिला स्तर पर इसकी मानिटरिंग करवा दी जाए तो देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है। गौरतलब है कि राज्य में पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 69 (1) एवं धारा 92 के तहत यह अपराध योग्य मामला बनता है।

सूत्रों ने बताया कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आला अधिकारियों के संज्ञान में यह लाया गया है कि एमपी में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक प्रशिक्षु अधिकारी अभिजीत अग्रवाल द्वारा कांग्रेस के मण्डला सांसद बसोरी सिंह मसराम के संसदीय क्षेत्र में अपनी तैनाती के दौरान एक तहसील में मनरेगा से संबंधित कामों की मानीटरिंग आरंभ की है। उक्त अधिकारी द्वारा मनरेगा योजना के आरंभ होने से वर्तमान तक पूर्ण, अपूर्ण एवं कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी हो चुकी समस्त कार्यों की नस्ती को बुलाया गया है।

इतना ही नहीं प्रशिक्षु आईएएस अग्रवाल ने जॉब कार्ड रजिस्टर, परिसम्पत्ति रजिस्टर, मस्टरोल रजिस्टर, भुगतान पंजी आदि के अलावा अभिलेख तीन जी.पी. 01 से जी.पी. 14 प्रपत्र में अद्यतन जानकारी मंगाई है। उक्त अधिकारी ने उपयंत्रीवार पंचायतों का विवरण जारी कर बैठक निर्धारित कर दी गई है, जिसमें ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सहायक, मेट आदि को आवश्यक प्रपत्र लेकर उपस्थित होना अनिवार्य किया गया है।

इस माह के अंत तक लगातार आहूत बैठकों का क्या निचोड़ निकलकर सामने आता है यह तो वक्त ही बताएगा किन्तु कहा जा रहा है कि अब तक हुई बैठकों में मनरेगा योजना के आरंभ से पिछले साल तक का कोई भी दस्तावेज ही उपलब्ध नहीं हो सका है जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि संबंधित सब इंजीनियर्स द्वारा अपने राजनैतिक संरक्षण में शासकीय धन की जमकर होली खेली है।

सबसे अधिक आश्चर्यजनक तथ्य तो यह उभरकर सामने आया है कि मध्य प्रदेश में जिला स्तर पर हर साल पंचायतों का आडिट निजी तौर पर करवाया जाता है। अगर इनका आडिट हुआ है और सरकार ने निजी तौर पर किए गए इस आडिट का सरकारी भुगतान किया है तो फिर वे सारे प्रपत्र आखिर गए कहां। इसके आलवा जिला पंचायत और जनपद पंचायतों का आडिट हर साल महालेखा परीक्षक ग्वालियर द्वारा भी किया जाता है। इस तरह की गफलत होने पर आडिट विभाग पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक ही है।

कांग्रेस के सांसद बसोरी सिंह मसराम के संसदीय क्षेत्र में अगर केंद्र और कांग्रेस सरकार की महात्वाकांक्षी योजना में अगर भाजपा सरकार के कारिंदों द्वारा इस तरह धन की होली खेली जाती रही और जनता के सच्चे पहरूए खामोशी से सब कुछ देखते रह गए। वैसे मनरेगा की स्थिति कमोबेश संपूर्ण देश में इसी तरह की ही मानी जा रही है।

शक्तिशाली तिकड़ी में खिंच चुकी हैं तलवारें



बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 39

शक्तिशाली तिकड़ी में खिंच चुकी हैं तलवारें

पीएम, एफएम और एचएम के बीच नहीं रहा एका



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश की सबसे ताकतवर तिकड़ी वजीरेआजम (पीएम) डॉ.मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी (एफएम) और गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदंबरम (एचएम) के बीच अब समन्वय नहीं बचा है। वर्चस्व की जंग में तीनों महारथी अब एक दूसरे की जड़ें काटने की जुगत में लग चुके हैं। कांग्रेस की आलाकमान भले ही तीनों के बीच मचे इस घमासान पर पानी डालने के मुगालते में हो पर सच्चाई इससे इतर ही नजर आ रही है। तीनों महारथी अभी भी अंदर ही अंदर तलवारें पजा रहे हैं।

सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार एचएच और एफएम के बीच के रिश्ते अभी भी सामान्य नही नजर आ रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि संसद के शीतकालीन सत्र में ही इनके बीच की रार उभरकर सामने आ सकती है। प्रणव मुखर्जी और चिदम्बरम के बीच की जंग अब उनके पुत्रों की जासूसी पर आकर टिक गई है जिससे लोग भयभीत हैं कि इनके बीच का शीत युद्ध भभक न जाए।

संसदीय इतिहास में पहली बार एसा हो रहा है कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री के बीच संबंध सामान्य न हों। इन तीन संवैधानिक पदों के बीच पहली बार तलवारें खिचीं नजर आ रही हैं। आलम इस कदर बिगड़ चुका है कि सत्ता के संवैधानिक केंद्र तीनों केंद्र एक दूसरे की जासूसी में लगे हुए हों। तीनों के साथ ही साथ कांग्रेस भी इस तथ्य से अनजान ही नजर आ रही है कि अगर इस राज से पर्दा हटेगा तो तीनों के साथ ही साथ कांग्रेस और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ही बेपर्दा नग्न नजर आएगी।

(क्रमशः जारी)

चेकिंग स्कवॉड अब नहीं दिखेगा स्लीपर कोच में!


चेकिंग स्कवॉड अब नहीं दिखेगा स्लीपर कोच में!

आधा दर्जन रेल में ग्रीन टायलेट अगले साल

सुस्त है रेल का अधुनिकीकरण



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कंधे पर बैग टांगे सिविल यूनिफार्म में भारतीय रेल के शयनायन श्रेणी में जनरल टिकिट पर यात्रा करने वालों से जुर्माना वसूलने वाला चलित चेकिंग स्कवॉड आने वाले दिनों मे नहीं दिखाई पड़ेगा। इनके जिम्मे जनरल बोगी में ही बिना टिकिट यात्रा करने वालों की टिकिट चेकिंग की जवाबदारी डाली जा रही है। शयनायन श्रेणी में टिकिट चेकिंग का जिम्मा उसमें तैनात चल टिकिट परीक्षक (टीटीई) के जिम्मे ही होगा। इसके साथ ही साथ मंथर गति से होने वाले रेल्वे के आधुनिकरण के चलते महज छः रेल गाडियों में अगले साल ग्रीन टायलेट लगाने की कार्ययोजना को अंजाम दिया जाएगा।

रेल्वे बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि लंबी या कम दूरी की रेलगाडियों में टीटीई के पास टिकिट की जांच के उपरांत इतना समय होता है कि वे आराम से अपनी तैनाती वाले कोच में बिना आरक्षण के यात्रा करने वाले यात्रियों की टिकिट की जांच कर उनसे जुर्माना वसूल करें। अमूमन ये टीटीई या तो कर्तव्य से अनुपस्थित ही रहते हैं और अगर रहते भी हैं तो ये सामान्य शयनायन श्रेणी में टिकिट चेक कर एसी कूपों में जाकर आराम फरमाते हैं।

सूत्रों ने कहा है कि बोर्ड ने अब नया फरमान जारी किया है जिसमें चेकिंग स्कवॉड का काम आरक्षित बोगी में वहां तैनात टीटीई के कांधों पर डाल दिया गया है। अब चेकिंग स्कवॉड न तो आरक्षित बोगी में टिकिट की जांच कर पाएगा और न ही अवैध वसूली। इन बोगियों में परीक्षण की जवाबदेही टीटीई के जिम्मे कर दी गई है। इस आशय के आदेश भी भारतीय रेल द्वारा जारी कर दिए गए हैं।

सामान्य बोगी में बिना टिकिट यात्रा करने वालों की टिकिट जांच का काम चेकिंग स्कवॉड करेगा। माना जा रहा है कि इससे इस स्कवॉड में शामिल कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है। गौरतलब है कि स्कवॉड को हर साल जुर्माने से वसूली जाने वाली रकम का एक टारगेट दिया जाता है। साल भर सोने वाले इस स्कवॉड के सदस्य दिसंबर से मार्च तक पूरी सक्रियता दिखाकर जुर्माना वसूलकर अपना लक्ष्य पूरा करते हैं। इस स्क्वॉड के हाथ से अगर स्लीपर बोगी ले ली जाएगी तब इन्हें अपना लक्ष्य पूरा करने में काफी कठिनाई महसूस होगी।

उधर दूसरी ओर स्वयंभू प्रबंधन गुरू और तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल में एक सदी पुराने डायरेक्ट डिस्चार्ज टॉयलेट सिस्टम को बदलने की मंशा व्यक्त की थी। इससे जल मल निकासी सीधे प्लेटफार्म पर होने से गंदगी फैला करती है। रेल्वे ने सात सालों में भी इस व्यवस्था को बदला नहीं जा सका। भारतीय रेल में अभी भी चुनिंदा बोगियों में ही ग्रीन टायलेट की सुविधा उपलब्ध है।

सूत्रों ने बताया कि भारतीय रेल ने आईआईटी कानपुर से जीरो डिस्चार्ज का डिजाईन तैयार करवाया है। वर्तमान में ग्रीन टायलेट के लगभग दो सौ सेट के डीआरडीओ ने सफल परीक्षण किए हैं। रेल्वे की योजना है कि आने वाले दो सालों में आठ हजार से ज्यादा कोच में ग्रीन टायलेट लगाया जाए। रेल्वे के रिसर्च डेवलपमेंट एण्ड स्टेंडर्ड आर्गनाईजेशन ने अगले साल महज छः रेल गाडियों मं ग्रीन टायलेट लगाने की योजना बनाई है।

पटरी से उतर सकती है दिनेश त्रिवेदी की रेल


पटरी से उतर सकती है दिनेश त्रिवेदी की रेल

बदले जा सकते हैं रेल मंत्री त्रिवेदी

ममता हैं दिनेश से खासी खफा





(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। त्रणमूल खाते वाले देश के रेल मंत्रालय को जल्द ही नया निजाम मिल सकता है। इसके वर्तमान निजाम दिनेश त्रिवेदी और पश्चिम बंगाल की निजाम ममता बनर्जी के बीच रिश्तों में आई तल्खी से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि दिनेश त्रिवेदी की रेल कभी भी पटरी पर से उतर सकती है। रेल्वे से जुड़े उद्योगपतियों से दिनेश त्रिवेदी का मंत्रालय के बजाए घर पर मिलना ममता को रास नहीं आ रहा है। साथ ही त्रणमूल के सांसदों को त्रिवेदी भाव नहीं दे रहे हैं।

रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के करीबी सूत्रों का कहन है कि पूर्व रेल मंत्री और त्रणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी और वर्तमान रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बीच रिश्तों में खटास आ चुकी है। ममता के संज्ञान में यह लाया गया है कि दिनेश त्रिवेदी जानबूझकर त्रणमूल के सांसदों को तवज्जो नहीं दे रहे हैं। दिनेश त्रिवेदी पर आरोप है कि उन्होंने ममता कोटरी को दूध में से मख्खी की तरह निकालकर बाहर कर दिया है।

सूत्रों के मुताबिक दिनेश त्रिवेदी ने ममता के करीबी रहे अशोक सुब्रहमण्यम, रतन मुखर्जी, जयंतो साहा आदि के लिए अपने मंत्रालय के दरवाजे बंद करवा दिए हैं। इतना ही नहीं दिनेश त्रिवेदी ने अपनी पीएस भी बंगाल काडर की एक भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी को बनाया है पर वे हैं पंजाबी। ममता को यह नागवार गुजर रहा है। उक्त अधिकारी भी त्रणमूल की सिफारिशों पर कान नहीं दे रही हैं।

उधर ममता के करीबी सूत्रोें का कहना है कि पिछले दिनों जब रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पश्चिम बंगाल प्रवास पर थे तब उन्होंने कलकत्ता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सोजन्य भेंट की थी। इस सोजन्य भेंट में ममता बनर्जी काफी उग्र नजर आईं। ममता ने दो टूक शब्दों में इस बात पर आपत्ति दर्ज कराई कि आखिर क्या वजह है कि दिनेश त्रिवेदी उद्योगपतियों से अपने रेल मंत्रालय के सरकारी कार्यालय में मिलने के बजाए अपने घर पर क्यों मिला करते हैं। सूत्रों ने संकेत दिए कि रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने अपना रवैया नहीं बदला तो उनकी रेल कभी भी पटरी से उतर सकती है।