मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

मीडिया मुगल बनने की जुगत में जिंदल


मीडिया मुगल बनने की जुगत में जिंदल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। जी न्यूज ने उद्योगपति और कांग्रेस के सांसद नवीन जिंदल को बहुत हैरान परेशान कर रखा है। नवीन जिंदल ने भी बाजी पलटते हुए स्टिंग करवाया और जी को चारों खाने चित्त कर दिया। अब नवीन जिंदल का मन मीडिया मुगल बनने का हो रहा है। पहले अंबानीज ने मीडिया क्षेत्र में प्रवेश करना चाहा पर वे असफल रहे अब जिंदल का इस क्षेत्र में प्रवेश लगभग सुनिश्चित ही माना जा रहा है।
नवीन जिंदल के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि जी न्यूज से आहत नवीन जिंदल ने अब खुद को ही इस जमात में शामिल करने का मन बना लिया है। नवीन जिंदल ने अपने ससुर के माध्यम से एक समाचार चेनल की 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का मन बनाया है जिसमें सैद्धांतिक तौर पर उन्हें सफलता मिल चुकी है।
सूत्रों ने कहा कि नवीन जिंदल को यह मशविरा दिया गया कि ब्लेक मेलिंग से बचने का आसान उपाय है मीडिया की जमात में ही शामिल हो जाया जाए। इस सलाह पर गौर करने के बाद नवीन जिंदल ने अपने उद्योगपति ससुर अभय ओसवाल से सलाह कर उन्हें इसके लिए राजी किया कि वे समाचार चेनल में भागीदारी का भावताव पता करें।
अभय ओसवाल ने पहले तो दिल्ली के चेनल्स में पतासाजी की किन्तु भाव बहुत उंचा था या अनेक ने तो हिस्सेदारी बेचने से ही मना कर दिया। इस पर अभय ओसवाल ने देश के अन्य हिस्सों के क्षेत्रीय चेनल्स की पूछ परख आरंभ की। अंततः पूर्वोत्तर का एक समाचार चेनल अभय ओसवाल को 26 फीसदी हिस्सेदारी देने को राजी हो गया बताया जाता है।
सूत्रों ने कहा कि यह चेनल काफी हद तक विवादित है क्योंकि इसमें मालिकाना हक को लेकर असली मालिक पत्नि और पति में काफी विवाद चल रहा है। कहते हैं कि पति कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्र में 1991 से 1996 के बीच नरसिंहराव सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

कुपोषण के प्रति जागरूकता के लिए वजन मेलों का आयोजन


कुपोषण के प्रति जागरूकता के लिए वजन मेलों का आयोजन

(महेंद्र देशमुख)

बालाघाट (साई)। कुपोषण की स्थिति पर नजर रखने एवं ग्रामीण जनता को कुपोषण को दूर करने के प्रति जागरूक बनाने के मकसद से बाल विकास परियोजना कटंगी द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से प्रत्येक केन्द्र में 10 से 15 दिसम्बर तक वजन मेलों का आयोजन किया गया है।
बाल विकास परियोजना अधिकारी पुष्पेन्द्र रानाडे ने बताया कि परियोजना क्षेत्र में आंगनबाड़ी स्तर पर गठित किये गये दलों के द्वारा वजन मेलों का आयोजन कर आंगनवाड़ी केन्द्र के प्रत्येक बच्चे का वजन लिया जा रहा है। इन वजन मेलों में दल की प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित रहकर आंगनबाड़ी में दर्ज प्रत्येक बच्चे का वजन लेना सुनिश्चित करती है तथा उनका वजन ग्रोथ चार्ट में अंकित करती है। इस दौरान बच्चों के उपस्थित अभिभावकों को बच्चे के वजन पोषण स्तर एवं स्वास्थ्य के बारे में समझाईश दी जाती है।
वजन मेलों में उपस्थित अभिभावकों को मानव मस्तिष्क तथा वृद्धि चार्ट के माध्यम से गर्भावस्था के दौरान ही बच्चे के मस्तिष्क विकास के सम्बन्ध में बताया जाता है। कुपोषण एवं उससे होनें वाली हानि के दुष्परिणामों से परिचय कराया जाता है। इस प्रकार के वजन मेले एकीकृत बाल विकास परियोजना कटंगी के प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र में 10 से 15 दिसम्बर 2012 तक आयोजित किये गये।

मतदान दलों की रवानगी एवं वापसी तक सतत सम्पर्क में रहें:- कलेक्टर


मतदान दलों की रवानगी एवं वापसी तक सतत सम्पर्क में रहें:-  कलेक्टर

(नरेद्र ठाकुर)

सिवनी (साई)। मंडी आम निर्वाचन के दौरान शांतिपूर्वक मतदान एवं मतगणना कायर््ा की चौकसी के लिय्ो निय्ाुक्त जोनल अधिकारिय्ाों की कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में एक संय्ाुक्त बैठक संपन्न हुई। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी (मंडी निर्वाचन) अजीत कुमार ने बैठक में मौजूद सभी जोनल अधिकारिय्ाों से कहा कि वे मतदान दलों की मतदान केन्द्रों की ओर रवानगी, केन्द्र में पहुंचने और मतदान/मतगणना उपरान्त वापसी तक अपने मतदान दलों से आपसी संवाद बनाय्ो रखे। जोनल अधिकारी अपने क्षेत्र्ा के सभी पीठासीन अधिकारिय्ाों, पुलिस अधिकारिय्ाों, सेक्टर मजिस्ट्रेट और रिटर्निग आफिसर्स से सतत सम्पर्क में रहंे। उन्होंने कहा कि सभी जोनल अधिकारी १९ दिसंबर तक उन्हें आवंटित मतदान केन्द्रों का एक-एक राउन्ड अवश्य्ा लगा लें, ताकि कमिय्ाों को दूर किय्ाा जा सकें। जोनल अधिकारी य्ाह देखें कि मतदान केन्द्रों में नाम व रौशनी की पयर््ााप्त व्य्ावस्था है य्ाा नहीं, अगर य्ाह व्य्ावस्था नहीं है तो ग्राम सचिव से य्ो व्य्ावस्थाय्ों करवा लें। जोनल अधिकारी अपने क्षेत्र्ा के सभी मतदान केन्द्रों की सारी व्य्ावस्थाय्ों देख लें, ताकि पोलिंग पार्टी के केन्द्र में पहुंचने पर उन्हें कोई असुविधा न हों । बैठक में अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी (मंडी निर्वाचन) आर.बी.प्रजापति सहित सभी एस.डी.एम./रिटर्निग आफिसर्स एवं ६९ जोनल आफिसर्स उपस्थित थे।
बैठक में कलेक्टर अजीत कुमार ने अधिकारिय्ाों से कहा कि चूंकि २॰ दिसंबर को मतदान एवं मतगणना दोनो कायर््ा संपन्न होना है, इसलिय्ो इस दिन अधिक सजगता और सर्तकता बरतने की जरूरत है। मतदान केन्द्रों के १॰॰ मीटर के दाय्ारे में किसी प्रकार का प्रचार य्ाा उपस्थिति प्रतिबंधित होती है, इस प्रावधान का कडाई से पालन कराय्ों। मंडी निर्वाचन क्षेत्र्ाों में धारा १४४ लगा दी गई है, अतः इस धारा के अधीन प्रतिबंधित गतिविधिय्ाों पर अंकुश लगाय्ो और सभी प्रावधानों का कडाई से पालन कराय्ों। उन्होंने कहा कि कानून व्य्ावस्था न बिगडे, इसके लिय्ो मतदान दल मतगणना सुरक्षित स्थान पर ही कराय्ों। उन्होंने बताय्ाा कि जोनल अधिकारिय्ाों को सेक्टर मजिस्ट्रेट व पुलिस आफिसर्स के नंबर भी दे दिय्ो जाय्ोंगे। शांतिपूर्वक निर्वाचन संपन्न कराने के लिय्ो संवेदनशील मतदान केन्द्रों में जिला पुलिस बल/होमगार्डस निय्ाुक्त किय्ो जाय्ोंगे। जोनल आफिसर्स को १८ दिसंबर की शाम तक वाहन उपलब्ध करा दिय्ो जाय्ोंगे। कलेक्टर ने जोनल अधिकारिय्ाों को उनके कायर््ाो की जानकारिय्ाां देते हुए कहा कि वे अपने पूर्व अनुभवों का लाभ लेकर अपने काम की बारीकिय्ाों का अध्य्ाय्ान कर लें और निष्ठा और समर्पण से अपने पदीय्ा कर्त्तव्य्ाों का पूरी कर्मठता से संपादन करें।
बैठक को संबोधित करते हुए अपर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी (मंडी निर्वाचन) आर.बी.प्रजापति ने मंडी निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य्ा में जोनल अधिकारिय्ाों को उनके द्वारा की जाने वाली सभी कायर््ावाहिय्ाों की जानकारी दी। उन्होंने बताय्ाा कि मतदान संपन्न कराने के लिय्ो रिटर्निग आफिसर्स द्वारा चार सदस्य्ाीय्ा मतदान दल गठित कर लिय्ो गय्ो है। इस दल में एक पीठासीन अधिकारी एवं तीन मतदान अधिकारी होंगे। इसके अलावा सुरक्षा बल भी होगा। गुरूवार, २॰ दिसंबर को प्रातः ७ बजे से अपरान्ह तीन बजे तक मतदान कराय्ाा जाय्ोगा। मतदान के ठीक पश्चात मतगणना कराई जाय्ोगी। परिणाम २१ दिसंबर को घोषित किय्ो जाय्ोंगे। उन्होंने बताय्ाा कि शांतिपूर्वक निर्वाचन संपन्न कराने के लिय्ो समस्त मंडी क्षेत्र्ाों में २१ दिसंबर तक धारा १४४ लागू रहेगी। उन्होंने जोनल अधिकारिय्ाों से कहा कि वे रिटर्निग आफिसर्स, पुलिस आफिसर्स, सेक्टर मजिस्ट्रेट और अपने पीठासीन अधिकारिय्ाों सहित मतदान अधिकारिय्ाों के नम्बर्स भी अपने पास रखें और हर हाल में सभी से संपर्क में रहें। 

मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए पुख्ता व्यवस्थायें


मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए पुख्ता व्यवस्थायें

(संजय कौशल)

नरसिंहपुर (साई)। मंडी आम निर्वाचन 2012 के तहत जिले के सभी 5 मंडी निर्वाचन क्षेत्रों के मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुख्ता व्यवस्थायें की गयी हैं। मंडी क्षेत्र नरसिंहपुर के लिए नरसिंहपुर से, गाडरवारा के लिए गाडरवारा से, करेली के लिए करेली से, गोटेगांव के लिए गोटेगांव से और तेंदूखेड़ा के लिए तेंदूखेड़ा से मतदान सामग्री का मंडी क्षेत्रवार वितरण किया जायेगा।
मतदान सामग्री के लिए मतदान केंद्रवार टेबलें लगायी जायेंगी। इन्हीं टेबिलों से मतदान केंद्रवार सामग्री वितरित होंगी। मतदान दल के कर्मचारी संबंधित टेबिल से मतदान सामग्री ले सकेंगे। नरसिंहपुर मंडी क्षेत्र के मतदान दलों के रूकने के लिए कृषि उपज मंडी नरसिंहपुर में आवास की व्यवस्था की गयी है।
मतदान दलों हेतु नरसिंहपुर से तेंदूखेड़ा के लिए 18 दिसम्बर को बसें जायेंगी:- नरसिंहपुर के जिन कर्मचारियों की ड्यूटी तेंदूखेड़ा के मतदान दलों में लगायी गयी है उनको तेंदूखेड़ा जाने के लिए नरसिंहपुर से बस सुविधा मुहैया करायी जायेगी। नरसिंहपुर से तेंदूखेड़ा के लिए बसें 18 दिसम्बर को अपरान्ह 4 बजे रवाना होंगी। इन बसों से मतदान दल के कर्मचारी तेंदूखेड़ा जा सकेंगे। जो कर्मचारी निजी वाहन से तेंदूखेड़ा जाना चाहते हैं, वो अपने- अपने वाहनों से भी जा सकते हैं, परंतु उन्हें नियत समय पर तेंदूखेड़ा अनिवार्य रूप से पहुंचना अनिवार्य होगा।

मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए पुख्ता व्यवस्थायें


मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए पुख्ता व्यवस्थायें

(संजय कौशल)

नरसिंहपुर (साई)। मंडी आम निर्वाचन 2012 के तहत जिले के सभी 5 मंडी निर्वाचन क्षेत्रों के मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुख्ता व्यवस्थायें की गयी हैं। मंडी क्षेत्र नरसिंहपुर के लिए नरसिंहपुर से, गाडरवारा के लिए गाडरवारा से, करेली के लिए करेली से, गोटेगांव के लिए गोटेगांव से और तेंदूखेड़ा के लिए तेंदूखेड़ा से मतदान सामग्री का मंडी क्षेत्रवार वितरण किया जायेगा।
मतदान सामग्री के लिए मतदान केंद्रवार टेबलें लगायी जायेंगी। इन्हीं टेबिलों से मतदान केंद्रवार सामग्री वितरित होंगी। मतदान दल के कर्मचारी संबंधित टेबिल से मतदान सामग्री ले सकेंगे। नरसिंहपुर मंडी क्षेत्र के मतदान दलों के रूकने के लिए कृषि उपज मंडी नरसिंहपुर में आवास की व्यवस्था की गयी है।
मतदान दलों हेतु नरसिंहपुर से तेंदूखेड़ा के लिए 18 दिसम्बर को बसें जायेंगी:- नरसिंहपुर के जिन कर्मचारियों की ड्यूटी तेंदूखेड़ा के मतदान दलों में लगायी गयी है उनको तेंदूखेड़ा जाने के लिए नरसिंहपुर से बस सुविधा मुहैया करायी जायेगी। नरसिंहपुर से तेंदूखेड़ा के लिए बसें 18 दिसम्बर को अपरान्ह 4 बजे रवाना होंगी। इन बसों से मतदान दल के कर्मचारी तेंदूखेड़ा जा सकेंगे। जो कर्मचारी निजी वाहन से तेंदूखेड़ा जाना चाहते हैं, वो अपने- अपने वाहनों से भी जा सकते हैं, परंतु उन्हें नियत समय पर तेंदूखेड़ा अनिवार्य रूप से पहुंचना अनिवार्य होगा।

मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए पुख्ता व्यवस्थायें


मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए पुख्ता व्यवस्थायें

(संजय कौशल)

नरसिंहपुर (साई)। मंडी आम निर्वाचन 2012 के तहत जिले के सभी 5 मंडी निर्वाचन क्षेत्रों के मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुख्ता व्यवस्थायें की गयी हैं। मंडी क्षेत्र नरसिंहपुर के लिए नरसिंहपुर से, गाडरवारा के लिए गाडरवारा से, करेली के लिए करेली से, गोटेगांव के लिए गोटेगांव से और तेंदूखेड़ा के लिए तेंदूखेड़ा से मतदान सामग्री का मंडी क्षेत्रवार वितरण किया जायेगा।
मतदान सामग्री के लिए मतदान केंद्रवार टेबलें लगायी जायेंगी। इन्हीं टेबिलों से मतदान केंद्रवार सामग्री वितरित होंगी। मतदान दल के कर्मचारी संबंधित टेबिल से मतदान सामग्री ले सकेंगे। नरसिंहपुर मंडी क्षेत्र के मतदान दलों के रूकने के लिए कृषि उपज मंडी नरसिंहपुर में आवास की व्यवस्था की गयी है।
मतदान दलों हेतु नरसिंहपुर से तेंदूखेड़ा के लिए 18 दिसम्बर को बसें जायेंगी:- नरसिंहपुर के जिन कर्मचारियों की ड्यूटी तेंदूखेड़ा के मतदान दलों में लगायी गयी है उनको तेंदूखेड़ा जाने के लिए नरसिंहपुर से बस सुविधा मुहैया करायी जायेगी। नरसिंहपुर से तेंदूखेड़ा के लिए बसें 18 दिसम्बर को अपरान्ह 4 बजे रवाना होंगी। इन बसों से मतदान दल के कर्मचारी तेंदूखेड़ा जा सकेंगे। जो कर्मचारी निजी वाहन से तेंदूखेड़ा जाना चाहते हैं, वो अपने- अपने वाहनों से भी जा सकते हैं, परंतु उन्हें नियत समय पर तेंदूखेड़ा अनिवार्य रूप से पहुंचना अनिवार्य होगा।

मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए पुख्ता व्यवस्थायें


मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए पुख्ता व्यवस्थायें

(संजय कौशल)

नरसिंहपुर (साई)। मंडी आम निर्वाचन 2012 के तहत जिले के सभी 5 मंडी निर्वाचन क्षेत्रों के मतदान दलों के कर्मचारियों के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुख्ता व्यवस्थायें की गयी हैं। मंडी क्षेत्र नरसिंहपुर के लिए नरसिंहपुर से, गाडरवारा के लिए गाडरवारा से, करेली के लिए करेली से, गोटेगांव के लिए गोटेगांव से और तेंदूखेड़ा के लिए तेंदूखेड़ा से मतदान सामग्री का मंडी क्षेत्रवार वितरण किया जायेगा।
मतदान सामग्री के लिए मतदान केंद्रवार टेबलें लगायी जायेंगी। इन्हीं टेबिलों से मतदान केंद्रवार सामग्री वितरित होंगी। मतदान दल के कर्मचारी संबंधित टेबिल से मतदान सामग्री ले सकेंगे। नरसिंहपुर मंडी क्षेत्र के मतदान दलों के रूकने के लिए कृषि उपज मंडी नरसिंहपुर में आवास की व्यवस्था की गयी है।
मतदान दलों हेतु नरसिंहपुर से तेंदूखेड़ा के लिए 18 दिसम्बर को बसें जायेंगी:- नरसिंहपुर के जिन कर्मचारियों की ड्यूटी तेंदूखेड़ा के मतदान दलों में लगायी गयी है उनको तेंदूखेड़ा जाने के लिए नरसिंहपुर से बस सुविधा मुहैया करायी जायेगी। नरसिंहपुर से तेंदूखेड़ा के लिए बसें 18 दिसम्बर को अपरान्ह 4 बजे रवाना होंगी। इन बसों से मतदान दल के कर्मचारी तेंदूखेड़ा जा सकेंगे। जो कर्मचारी निजी वाहन से तेंदूखेड़ा जाना चाहते हैं, वो अपने- अपने वाहनों से भी जा सकते हैं, परंतु उन्हें नियत समय पर तेंदूखेड़ा अनिवार्य रूप से पहुंचना अनिवार्य होगा।

नेट ऑन रहने पर कटेगा पैसा, शिकायत करें पाएं रकम वापस



नेट ऑन रहने पर कटेगा पैसा, शिकायत करें पाएं रकम वापस

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। मोबाइल में बैलेंस डलवाया, लेकिन यह क्या. . ., फिर से बैलेंस खत्म? पहली बार लगा शायद नेटवर्क प्रॉब्लम है । बार-बार फोन करने के बाद भी एक ही आवाज आती रही। यू हैव इनसफिशियंट बैलेंस। कस्टमर केयर पर बात करने पर पता चला कि नेट ऑन था।
तो कभी कहा गया कि आपने वॉइस चौट सब्सक्राइब किया है। कभी कुछ तो कभी कुछ। यह कहानी हजारों लोगों की है। पहले इस तरह की शिकायत के बाद लोगों को पैसे वापस नहीं किये जाते, लेकिन जब सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को कानून का हवाला दिया जा रहा है तो फिर उनके पैसे वापस किये जा रहे हैं।
बीएसएनएल का टोल फ्री नंबर 1503
बीएसएनएल में भी इस तरह की गड़बड़ियां सामने आयी हैं। ग्राहकों की परेशानियों को दूर करने के लिए विभाग ने टोल फ्री नंबर 1503 जारी किया है। इस नंबर पर ग्राहक अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

दिल्ली की क्राइम ब्रांच का छापामारकर मुजफ्फरनगर के ग्राम सूजडू से की पांच पिस्टले बरामद


दिल्ली की क्राइम ब्रांच का छापामारकर मुजफ्फरनगर के ग्राम सूजडू से की पांच पिस्टले बरामद

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर। (साई)। स्पेशल क्राइम ब्रांच की टीम ने आज ग्राम सुजडू में छापा मारकर पांच पिस्टलें बरामद की। क्राइम ब्रांच अब तक दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर दर्जनों पिस्टले बरामद कर चुका है। यह पिस्टल बिहार से तस्करी कर दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सप्लाई किये जा रहे थे। पुलिस का दावा है कि हथियारों की तस्करी का यह बड़ा नेटवर्क है। पुलिस के अनुसार दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच की टीम मुजफ्फरनगर पहुंची। एसआई शिवकुमार के नेतृत्व में एएसआई हरद्वारी लाल ने अपनी टीम के साथ सुजडू की दीन मौहम्मद पट्टी निवासी शमशाद उर्फ खुड्डा के घर पर दबिश दी और यहां से पांच पिस्टलें बरामद किी। क्राइम ब्रांच की टीम ने दिल्ली के बाबरपुर निवासी इलियास और सहारनपुर के नागल निवासी तेजपाल को नाइन एमएम के कई पिस्टलों सहित गिरफ्तार किया था जिन्होंने बताया कि बरामद पिस्टल उन्होंने मुजफ्फरनगर के सुजडू निवासी शमशाद से लिये है। शमशाद यह पिस्टल बिहार के मुंगेर के इलाके से लाकर बेचता है। पुलिस ने बताया कि मुंगेर निवासी तारिक इस नेटवर्क का सरगना है जो अभी पुलिस के हाथ नहीं आ सका है। उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे है। क्राइम ब्रंाच की टीम ने सुजडू के अलावा बुढाना, जानसठ, मीरांपुर थाना क्षेत्रों के कई गांवा में भी छापा मारा।

दिल्ली की क्राइम ब्रांच का छापामारकर मुजफ्फरनगर के ग्राम सूजडू से की पांच पिस्टले बरामद


दिल्ली की क्राइम ब्रांच का छापामारकर मुजफ्फरनगर के ग्राम सूजडू से की पांच पिस्टले बरामद

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर। (साई)। स्पेशल क्राइम ब्रांच की टीम ने आज ग्राम सुजडू में छापा मारकर पांच पिस्टलें बरामद की। क्राइम ब्रांच अब तक दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर दर्जनों पिस्टले बरामद कर चुका है। यह पिस्टल बिहार से तस्करी कर दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सप्लाई किये जा रहे थे। पुलिस का दावा है कि हथियारों की तस्करी का यह बड़ा नेटवर्क है। पुलिस के अनुसार दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच की टीम मुजफ्फरनगर पहुंची। एसआई शिवकुमार के नेतृत्व में एएसआई हरद्वारी लाल ने अपनी टीम के साथ सुजडू की दीन मौहम्मद पट्टी निवासी शमशाद उर्फ खुड्डा के घर पर दबिश दी और यहां से पांच पिस्टलें बरामद किी। क्राइम ब्रांच की टीम ने दिल्ली के बाबरपुर निवासी इलियास और सहारनपुर के नागल निवासी तेजपाल को नाइन एमएम के कई पिस्टलों सहित गिरफ्तार किया था जिन्होंने बताया कि बरामद पिस्टल उन्होंने मुजफ्फरनगर के सुजडू निवासी शमशाद से लिये है। शमशाद यह पिस्टल बिहार के मुंगेर के इलाके से लाकर बेचता है। पुलिस ने बताया कि मुंगेर निवासी तारिक इस नेटवर्क का सरगना है जो अभी पुलिस के हाथ नहीं आ सका है। उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे है। क्राइम ब्रंाच की टीम ने सुजडू के अलावा बुढाना, जानसठ, मीरांपुर थाना क्षेत्रों के कई गांवा में भी छापा मारा।

छात्र रहस्यमय हालातों में लापता


छात्र रहस्यमय हालातों में लापता

(ब्यूरो कार्यालय)

मुजफ्फरनगर। (साई)। रूड़की के कालेज से मुजफ्फरनगर के लिए चला छात्र रहस्यमय हालातों में लापता हो गया। उसकी मां ने इस संबंध में पुलिस को सूचना दी है।
प्राप्त समाचार के अनुसार जनपद के थाना कोतवाली क्षेत्र के मौहल्ला रामपुरी निवासी कमलेश देवी पत्नी यशपाल सिंह ने बताया कि उसका अट्टारह वर्षीय पुत्र कमल सिंह रूडकी स्थित एक कालेज में पढ़ता है। उसने बताया कि उसका पुत्र रूडकी से बस में सवार होकर मुजफ्फरनगर के लिए चला था। रास्ते में ही वह गायब हो गया। काफी तलाश करने पर भी उसका कोई सुराग नहंी लगा। पीड़िता ने अनहोनी की आंशका व्यक्त करते हुए पुलिस से अपने पुत्र को तलाशने की गुहार लगाई है।

छात्र रहस्यमय हालातों में लापता


छात्र रहस्यमय हालातों में लापता

(ब्यूरो कार्यालय)

मुजफ्फरनगर। (साई)। रूड़की के कालेज से मुजफ्फरनगर के लिए चला छात्र रहस्यमय हालातों में लापता हो गया। उसकी मां ने इस संबंध में पुलिस को सूचना दी है।
प्राप्त समाचार के अनुसार जनपद के थाना कोतवाली क्षेत्र के मौहल्ला रामपुरी निवासी कमलेश देवी पत्नी यशपाल सिंह ने बताया कि उसका अट्टारह वर्षीय पुत्र कमल सिंह रूडकी स्थित एक कालेज में पढ़ता है। उसने बताया कि उसका पुत्र रूडकी से बस में सवार होकर मुजफ्फरनगर के लिए चला था। रास्ते में ही वह गायब हो गया। काफी तलाश करने पर भी उसका कोई सुराग नहंी लगा। पीड़िता ने अनहोनी की आंशका व्यक्त करते हुए पुलिस से अपने पुत्र को तलाशने की गुहार लगाई है।

छात्र रहस्यमय हालातों में लापता


छात्र रहस्यमय हालातों में लापता

(ब्यूरो कार्यालय)

मुजफ्फरनगर। (साई)। रूड़की के कालेज से मुजफ्फरनगर के लिए चला छात्र रहस्यमय हालातों में लापता हो गया। उसकी मां ने इस संबंध में पुलिस को सूचना दी है।
प्राप्त समाचार के अनुसार जनपद के थाना कोतवाली क्षेत्र के मौहल्ला रामपुरी निवासी कमलेश देवी पत्नी यशपाल सिंह ने बताया कि उसका अट्टारह वर्षीय पुत्र कमल सिंह रूडकी स्थित एक कालेज में पढ़ता है। उसने बताया कि उसका पुत्र रूडकी से बस में सवार होकर मुजफ्फरनगर के लिए चला था। रास्ते में ही वह गायब हो गया। काफी तलाश करने पर भी उसका कोई सुराग नहंी लगा। पीड़िता ने अनहोनी की आंशका व्यक्त करते हुए पुलिस से अपने पुत्र को तलाशने की गुहार लगाई है।

गरीबी पूरी फिल्मी है


गरीबी पूरी फिल्मी है

(संजय तिवारी)

तब एक फिल्मी गाने ने शीला की जवानी का ऐसा बखान किया था कि पूरी दुनिया दीवानी हो चली थी। लेकिन दिल्ली प्रदेश की मुख्यमंत्री कोई कम प्रतिभाशाली राजनेता नहीं है कि उनकी दीवानगी में कोई कोर कसर रखी जाए। मिराण्डा हाउस की पोस्ट ग्रेजुएट शीला दी कहानी दा जवाब नहीं। केन्द्र की कैश सब्सिडी को सबसे पहले अपने यहां लागू करवाकर उन्होंने न केवल केन्द्र की नजर में अपनी नाक ऊंची कर दी बल्कि छह सौ रूपये की रेजगारी को अकूत धरोहर बताकर साबित भी कर दिया कि वे जिस दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं उस दिल्ली को कितने तहे दिल से जानती हैं।
उन्हें जानने की जरूरत भी क्या है? जाने वें जिन्हें गांव गरीब की राजनीति करनी हो। वे जिस मेट्रोपोलिटन शहर की राजनीति करती हैं उस शहर में न गांव आते हैं और न ही गरीब। जो आते भी हैं वे शीला दी को नजर नहीं आते। जो नजर आते हैं उन्हें उनकी नजरों से दरबदर कर दिया जाता है। यकीन नहीं होता तो दिल्ली के नये सचिवालय परिसर के बुर्ज पर चढ़कर दिल्ली का नजारा ले लीजिए। कल वहां से जहां जहां तक गरीबी और झोपड़ियां नजर आती थीं आज वहां एक घुमावदार सड़क नजर आती है जो सिर्फ कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान पैसा खाने के लिए बना दी गई है। इसलिए शीला दी से यह उम्मीद कोई क्यों पाले कि वे गरीबी को समझेंगी? गरीबी को उन्हें समझने की जरूरत है। शीला का ताजा संदेश भी यही है। गरीबी वह नहीं है जो होती है गरीबी वह है जिसे शीला दी समझाती हैं।
और यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कपूरथले वाली शीला दी की गरीबी पूरी फिल्मी है। बंगाल के गवर्नर रह चुके स्वतंत्रता सेनानी उमाशंकर दीक्षित के आईएएस बेटे की पत्नी बनकर उन्नाव होते हुए दिल्ली पहुंची शीला दीक्षित ने स्वाभाविक तौर पर गरीबी की वह ट्रेनिंग कभी नहीं ली है जो राजनीति में गरीब और गरीबी को समझने के लिए जरूरी होता है। राजनीति में हाथ आजमाने के लिए उनके पास बेहतर बैकग्राउण्ड था। इसलिए धंधे बिजनेस से निजात पाकर जब राजनीति के धंधे में पग धरा तो सीधे उन्नाव से एमपी का चुनाव लड़ा और 1984 में इंदिरा की हत्या में उठी सहानुभूति लहर में चुनाव जीतकर संसद पहुंच गईं। पहले ही चुनाव की पहली ही जीत में राजीव गांधी के कैबिनेट में जगह मिल गई और संसदीय कार्यमंत्री बन गईं। राजीव गांधी परिवार से शीला की नजदीकियों के कारण ही बाद में उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री का प्रभार दे दिया गया। इसके बाद की राजनीति जगजाहिर है।
अब वे उन्नाव की राजनीति को त्यागकर दिल्ली में सक्रिय हुईं और दिल्ली दरबार के नेताओं को किनारे करते हुए 1998 में दिल्ली की जो मुख्यमंत्री बनीं तो आज तक उस पद पर कायम हैं। इस बीच उनकी दस जनपथ की नजदीकियों के कारण कभी कभी केन्द्रीय मंत्री बनाने की अफवाहें भी उड़ीं लेकिन शीला दी की दिल्ली में ऐसी उपयोगिता सोनिया गांधी को नजर आ रही है कि वे इस पद के लिए हर किसी को अयोग्य ही समझती हैं। रामबाबू शर्मा नाक रगड़कर रह गये लेकिन शीला दी(क्षित) का बाल भी बांका नहीं कर पाये। अब जय प्रकाश अग्रवाल भी रामबाबू शर्मा के नक्शेकदम पर हैं लेकिन सोनिया गांधी शीला की ऐसी दीवानी हैं उन्हें किसी भी कीमत पर दिल्ली की मुख्यमंत्री पद से पदमुक्त नहीं करना चाहती। कहते हैं कामनवेल्थ खेलों के दौरान दस जनपथ द्वारा निर्धारित कामों को शीला दी(क्षित) ने इतनी खूबसूरती से अंजाम दिया कि सबसे बड़ा खेल बजट खर्च करने और सीएजी द्वारा अंगुली उठाये जाने के बाद भी सुरेश कलमाड़ी तिहाड़ पहुंच गये और शीला दी बाहर रहकर दहाड़ती रहीं।
लेकिन शीला दी की इन महानतम उपलब्धियां तब तक अधूरी रह जाएंगी जब तक हम यह न जान लें कि हम उन्हें क्यों जान रहे हैं। शीला दीक्षित कांग्रेस के कैश फॉर वोट प्रोग्राम को आगे बढ़ानेवाली सक्रिय सिपहसालार हैं। कांग्रेस के कैश फॉर वोट प्रोग्राम को आपका पैसा आपके हाथ नाम दिया गया है। क्योंकि इसमें हाथ शब्द को जानबूझकर शामिल किया गया है इसलिए कांग्रेस शासित मुख्यमंत्रियों का पहला कर्तव्य बनता है कि जल्द से जल्द वे इस प्रोग्राम को अपने अपने स्टेट में शुरू करवाएं। रविवार को सोनिया गांधी ने शीला दीक्षित के साथ मिलकर दिल्ली में अन्नश्री योजना का शुभारंभ किया था जिसमें यह प्रावधान है कि हर गरीब के खाते में 600 रूपये की कैश सब्सिडी ट्रांसफर किया जाएगा जिसकी बदौलत एक गरीब परिवार इसी पैसे से महीने भर छककर खायेगा और बचा हुआ पैसा पानी में भी बहाएगा। शीला दी के अध्ययन के अनुसार औसत एक परिवार में अगर पांच सदस्य पकड़ लें तो एक परिवार को प्रतिदिन भोजन में सब्सिडी के लिए 20 रूपये पर्याप्त होगें, बाकी उसकी मेहनत की कमाई और गम खाने की मानसिकता तो मदद करेगी ही।
कहते हैं उम्र बढ़ने के साथ अंतड़ियां कमजोर पड़ जाती हैं और हमारी भोजन करने की क्षमता भी कम हो जाती है। खुद शीला दीक्षित अब 75 पार की हो चली हैं लेकिन क्या माननीय मुख्यमंत्री पूरा दिन 20 रूपये में गुजार सकती हैं? हो सकता है अर्बन पावर्टी उनके लिए पावरोटी जैसे किसी शब्द का अपभ्रंस हो इसलिए कुछ आकंड़े खुद शीला दी के लिए, ताकि जब वे बाजार जाएं तो उन्हें ज्यादा मोलभाव न करना पड़े। 21 नवंबर को दिल्ली सरकार के खुदरा मूल्य सूचकांक पर नजर डालें तो खुद शीला दी की सरकार बता रही है कि दरा गेहूं भी 18.50 रूपये किलो है और परमल चावल पर प्रति किलो 25.50 रूपये खर्च करने पड़ेंगे। फिर अरहर की दाल 80 रूपये किलो है और चीनी 39.50 रूपये किलो। चीनी न भी खाना चाहें तो गुण भी मियां दिल्ली में चालीस रूपये किलो के हिसाब से बिक रहा है। फिर 70 रूपये किलो का वनस्पति घी और नमक भी मुंआ 16 रूपये किलो है, आयोडीन वाला।
दिल्ली सरकार के खुदरा मूल्य को अगर दिल्ली की गरीब बस्ती के साथ मिलान कर दें तो शीला दी को कुछ बातें साफ तौर समझाई जा सकती हैं। मसलन दिल्ली में गरीबों की संख्या एक दशक पहले की जनगणना में भी 10.02 प्रतिशत थी। जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिनिवेशन स्कीम का जो अध्ययन है उसके अनुसार दिल्ली के गरीब परिवारों की औसत आय 1500 से 2500 के बीच है। इस अध्ययन का निष्कर्ष है कि दिल्ली के ये गरीब अपनी आय से भी 5 से 10 प्रतिशत अधिक अपने गुजारे पर खर्च करते हैं। इसमें भी कोढ़ में खाज यह है कि इन 10 प्रतिशत गरीब परिवारों के 45 प्रतिशत के आसपास परिवार 1000 रूपये से कम में अपना गुजारा करते हैं। यानी अगर शीला दी की सब्सिडी भी इसमें जोड़ दिया जाए तो इन 10 प्रतिशत गरीब परिवारों के खाते में 1600 से 3100 रूपये की आय बैठती है। अब जरा गणित लगाकर देखिए कि एक गरीब परिवार को शीला दी क्या मदद कर रही हैं?
पांच सदस्यों का एक औसत गरीब परिवार एक दिन में कितने का खाद्यान्न खरीद सकता है? हम नीचे की आय नहीं बल्कि ऊपर की आय से भी हिसाब लगाये तो 3,000 रूपये की आयवाला परिवार भी इतने पैसे में सरकार द्वारा तय मानक 2300 कैलोरी की जरूरत पूरा करने के हिसाब से महीने भर का राशन नहीं खरीद सकता। पांच सदस्यों के एक मेहनतकश परिवार को पेट भरने के लिए महीने भर में कम से कम 25 किलो चावल (5Û5), 25 किलो आटा, 5 किलो दाल (5Û1) का न्यूनतम आंकड़ा भी निर्धारित कर लें तो अब इसमें दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित खुदरा दर पर जरा इनकी कीमत जोड़िए। सरकार के निर्धारित मानकों और सरकार की ही कीमत पर एक एक पांच सदस्यों का मेहनतकश परिवार बड़े नियम संयम के साथ गुजारा करना चाहे तो सिर्फ चावल, गेहूं, दाल और दूध पर ही महीने में 2400 रूपये खर्च हो जाएंगे। फिर साग सब्जी, तेल नमक और रसोई गैस की बात इसमें शामिल नहीं है। यानी गरीबी रेखा की उच्चतर सीमा पर बैठा हुआ आदमी भी अपनी कमाई से महीने भर भरपेट भोजन नहीं कर सकता। तन ढकना और मनोरंजन करना तो उसके लिए दिन में तारे देखने जैसा ख्वाब है।
तो भला किस आधार पर शीला दी यह कह रही हैं कि इत्ती सी सब्सिडी देकर उन्होंने गरीबों का पूरा पेट भर दिया है? शायद शीला के गरीबों की परिभाषा भी पूरी फिल्मी है। जैसे जड़ समाज से कटी हमारी फिल्में फटे कपड़े पहनाकर गरीब पैदा कर देती हैं वैसे ही शीला दीक्षित जैसी हवा हवाई नेता मनगढ़ंत सरकारी आंकड़ों के सहारे राजनीतिक बयानबाजी कर देते हैं। और हमारी मजबूरी यह है कि हम सन्न मानकर सुनने के अलावा कुछ कर नहीं सकते। आखिर एक सफल लोकतंत्र के समर्पित नागरिक जो ठहरे। (लेखक विस्फोट डॉट काम के संपादक हैं)

गरीबी पूरी फिल्मी है


गरीबी पूरी फिल्मी है

(संजय तिवारी)

तब एक फिल्मी गाने ने शीला की जवानी का ऐसा बखान किया था कि पूरी दुनिया दीवानी हो चली थी। लेकिन दिल्ली प्रदेश की मुख्यमंत्री कोई कम प्रतिभाशाली राजनेता नहीं है कि उनकी दीवानगी में कोई कोर कसर रखी जाए। मिराण्डा हाउस की पोस्ट ग्रेजुएट शीला दी कहानी दा जवाब नहीं। केन्द्र की कैश सब्सिडी को सबसे पहले अपने यहां लागू करवाकर उन्होंने न केवल केन्द्र की नजर में अपनी नाक ऊंची कर दी बल्कि छह सौ रूपये की रेजगारी को अकूत धरोहर बताकर साबित भी कर दिया कि वे जिस दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं उस दिल्ली को कितने तहे दिल से जानती हैं।
उन्हें जानने की जरूरत भी क्या है? जाने वें जिन्हें गांव गरीब की राजनीति करनी हो। वे जिस मेट्रोपोलिटन शहर की राजनीति करती हैं उस शहर में न गांव आते हैं और न ही गरीब। जो आते भी हैं वे शीला दी को नजर नहीं आते। जो नजर आते हैं उन्हें उनकी नजरों से दरबदर कर दिया जाता है। यकीन नहीं होता तो दिल्ली के नये सचिवालय परिसर के बुर्ज पर चढ़कर दिल्ली का नजारा ले लीजिए। कल वहां से जहां जहां तक गरीबी और झोपड़ियां नजर आती थीं आज वहां एक घुमावदार सड़क नजर आती है जो सिर्फ कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान पैसा खाने के लिए बना दी गई है। इसलिए शीला दी से यह उम्मीद कोई क्यों पाले कि वे गरीबी को समझेंगी? गरीबी को उन्हें समझने की जरूरत है। शीला का ताजा संदेश भी यही है। गरीबी वह नहीं है जो होती है गरीबी वह है जिसे शीला दी समझाती हैं।
और यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कपूरथले वाली शीला दी की गरीबी पूरी फिल्मी है। बंगाल के गवर्नर रह चुके स्वतंत्रता सेनानी उमाशंकर दीक्षित के आईएएस बेटे की पत्नी बनकर उन्नाव होते हुए दिल्ली पहुंची शीला दीक्षित ने स्वाभाविक तौर पर गरीबी की वह ट्रेनिंग कभी नहीं ली है जो राजनीति में गरीब और गरीबी को समझने के लिए जरूरी होता है। राजनीति में हाथ आजमाने के लिए उनके पास बेहतर बैकग्राउण्ड था। इसलिए धंधे बिजनेस से निजात पाकर जब राजनीति के धंधे में पग धरा तो सीधे उन्नाव से एमपी का चुनाव लड़ा और 1984 में इंदिरा की हत्या में उठी सहानुभूति लहर में चुनाव जीतकर संसद पहुंच गईं। पहले ही चुनाव की पहली ही जीत में राजीव गांधी के कैबिनेट में जगह मिल गई और संसदीय कार्यमंत्री बन गईं। राजीव गांधी परिवार से शीला की नजदीकियों के कारण ही बाद में उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री का प्रभार दे दिया गया। इसके बाद की राजनीति जगजाहिर है।
अब वे उन्नाव की राजनीति को त्यागकर दिल्ली में सक्रिय हुईं और दिल्ली दरबार के नेताओं को किनारे करते हुए 1998 में दिल्ली की जो मुख्यमंत्री बनीं तो आज तक उस पद पर कायम हैं। इस बीच उनकी दस जनपथ की नजदीकियों के कारण कभी कभी केन्द्रीय मंत्री बनाने की अफवाहें भी उड़ीं लेकिन शीला दी की दिल्ली में ऐसी उपयोगिता सोनिया गांधी को नजर आ रही है कि वे इस पद के लिए हर किसी को अयोग्य ही समझती हैं। रामबाबू शर्मा नाक रगड़कर रह गये लेकिन शीला दी(क्षित) का बाल भी बांका नहीं कर पाये। अब जय प्रकाश अग्रवाल भी रामबाबू शर्मा के नक्शेकदम पर हैं लेकिन सोनिया गांधी शीला की ऐसी दीवानी हैं उन्हें किसी भी कीमत पर दिल्ली की मुख्यमंत्री पद से पदमुक्त नहीं करना चाहती। कहते हैं कामनवेल्थ खेलों के दौरान दस जनपथ द्वारा निर्धारित कामों को शीला दी(क्षित) ने इतनी खूबसूरती से अंजाम दिया कि सबसे बड़ा खेल बजट खर्च करने और सीएजी द्वारा अंगुली उठाये जाने के बाद भी सुरेश कलमाड़ी तिहाड़ पहुंच गये और शीला दी बाहर रहकर दहाड़ती रहीं।
लेकिन शीला दी की इन महानतम उपलब्धियां तब तक अधूरी रह जाएंगी जब तक हम यह न जान लें कि हम उन्हें क्यों जान रहे हैं। शीला दीक्षित कांग्रेस के कैश फॉर वोट प्रोग्राम को आगे बढ़ानेवाली सक्रिय सिपहसालार हैं। कांग्रेस के कैश फॉर वोट प्रोग्राम को आपका पैसा आपके हाथ नाम दिया गया है। क्योंकि इसमें हाथ शब्द को जानबूझकर शामिल किया गया है इसलिए कांग्रेस शासित मुख्यमंत्रियों का पहला कर्तव्य बनता है कि जल्द से जल्द वे इस प्रोग्राम को अपने अपने स्टेट में शुरू करवाएं। रविवार को सोनिया गांधी ने शीला दीक्षित के साथ मिलकर दिल्ली में अन्नश्री योजना का शुभारंभ किया था जिसमें यह प्रावधान है कि हर गरीब के खाते में 600 रूपये की कैश सब्सिडी ट्रांसफर किया जाएगा जिसकी बदौलत एक गरीब परिवार इसी पैसे से महीने भर छककर खायेगा और बचा हुआ पैसा पानी में भी बहाएगा। शीला दी के अध्ययन के अनुसार औसत एक परिवार में अगर पांच सदस्य पकड़ लें तो एक परिवार को प्रतिदिन भोजन में सब्सिडी के लिए 20 रूपये पर्याप्त होगें, बाकी उसकी मेहनत की कमाई और गम खाने की मानसिकता तो मदद करेगी ही।
कहते हैं उम्र बढ़ने के साथ अंतड़ियां कमजोर पड़ जाती हैं और हमारी भोजन करने की क्षमता भी कम हो जाती है। खुद शीला दीक्षित अब 75 पार की हो चली हैं लेकिन क्या माननीय मुख्यमंत्री पूरा दिन 20 रूपये में गुजार सकती हैं? हो सकता है अर्बन पावर्टी उनके लिए पावरोटी जैसे किसी शब्द का अपभ्रंस हो इसलिए कुछ आकंड़े खुद शीला दी के लिए, ताकि जब वे बाजार जाएं तो उन्हें ज्यादा मोलभाव न करना पड़े। 21 नवंबर को दिल्ली सरकार के खुदरा मूल्य सूचकांक पर नजर डालें तो खुद शीला दी की सरकार बता रही है कि दरा गेहूं भी 18.50 रूपये किलो है और परमल चावल पर प्रति किलो 25.50 रूपये खर्च करने पड़ेंगे। फिर अरहर की दाल 80 रूपये किलो है और चीनी 39.50 रूपये किलो। चीनी न भी खाना चाहें तो गुण भी मियां दिल्ली में चालीस रूपये किलो के हिसाब से बिक रहा है। फिर 70 रूपये किलो का वनस्पति घी और नमक भी मुंआ 16 रूपये किलो है, आयोडीन वाला।
दिल्ली सरकार के खुदरा मूल्य को अगर दिल्ली की गरीब बस्ती के साथ मिलान कर दें तो शीला दी को कुछ बातें साफ तौर समझाई जा सकती हैं। मसलन दिल्ली में गरीबों की संख्या एक दशक पहले की जनगणना में भी 10.02 प्रतिशत थी। जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिनिवेशन स्कीम का जो अध्ययन है उसके अनुसार दिल्ली के गरीब परिवारों की औसत आय 1500 से 2500 के बीच है। इस अध्ययन का निष्कर्ष है कि दिल्ली के ये गरीब अपनी आय से भी 5 से 10 प्रतिशत अधिक अपने गुजारे पर खर्च करते हैं। इसमें भी कोढ़ में खाज यह है कि इन 10 प्रतिशत गरीब परिवारों के 45 प्रतिशत के आसपास परिवार 1000 रूपये से कम में अपना गुजारा करते हैं। यानी अगर शीला दी की सब्सिडी भी इसमें जोड़ दिया जाए तो इन 10 प्रतिशत गरीब परिवारों के खाते में 1600 से 3100 रूपये की आय बैठती है। अब जरा गणित लगाकर देखिए कि एक गरीब परिवार को शीला दी क्या मदद कर रही हैं?
पांच सदस्यों का एक औसत गरीब परिवार एक दिन में कितने का खाद्यान्न खरीद सकता है? हम नीचे की आय नहीं बल्कि ऊपर की आय से भी हिसाब लगाये तो 3,000 रूपये की आयवाला परिवार भी इतने पैसे में सरकार द्वारा तय मानक 2300 कैलोरी की जरूरत पूरा करने के हिसाब से महीने भर का राशन नहीं खरीद सकता। पांच सदस्यों के एक मेहनतकश परिवार को पेट भरने के लिए महीने भर में कम से कम 25 किलो चावल (5Û5), 25 किलो आटा, 5 किलो दाल (5Û1) का न्यूनतम आंकड़ा भी निर्धारित कर लें तो अब इसमें दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित खुदरा दर पर जरा इनकी कीमत जोड़िए। सरकार के निर्धारित मानकों और सरकार की ही कीमत पर एक एक पांच सदस्यों का मेहनतकश परिवार बड़े नियम संयम के साथ गुजारा करना चाहे तो सिर्फ चावल, गेहूं, दाल और दूध पर ही महीने में 2400 रूपये खर्च हो जाएंगे। फिर साग सब्जी, तेल नमक और रसोई गैस की बात इसमें शामिल नहीं है। यानी गरीबी रेखा की उच्चतर सीमा पर बैठा हुआ आदमी भी अपनी कमाई से महीने भर भरपेट भोजन नहीं कर सकता। तन ढकना और मनोरंजन करना तो उसके लिए दिन में तारे देखने जैसा ख्वाब है।
तो भला किस आधार पर शीला दी यह कह रही हैं कि इत्ती सी सब्सिडी देकर उन्होंने गरीबों का पूरा पेट भर दिया है? शायद शीला के गरीबों की परिभाषा भी पूरी फिल्मी है। जैसे जड़ समाज से कटी हमारी फिल्में फटे कपड़े पहनाकर गरीब पैदा कर देती हैं वैसे ही शीला दीक्षित जैसी हवा हवाई नेता मनगढ़ंत सरकारी आंकड़ों के सहारे राजनीतिक बयानबाजी कर देते हैं। और हमारी मजबूरी यह है कि हम सन्न मानकर सुनने के अलावा कुछ कर नहीं सकते। आखिर एक सफल लोकतंत्र के समर्पित नागरिक जो ठहरे। (लेखक विस्फोट डॉट काम के संपादक हैं)