शनिवार, 24 नवंबर 2012

चमत्कारिक ही माना जा रहा है मनीष तिवारी का अभ्युदय!


चमत्कारिक ही माना जा रहा है मनीष तिवारी का अभ्युदय!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र सरकार के इस बार के फेरदबल से अनेक नेताओं की लाटरी लगी तो अनेक को हाथ ही मलते रहना पड़ा। सुबोध कांत सहाय, अंबिका सोनी जैसे नेताओं को घर बैठना पड़ा तो मनीष तिवारी धूमकेतू के मानिंद सियासी आकाश पर छा गए। सियासी हल्कों में मनीष तिवारी के अभ्युदय को लेकर अब पतासाजी आरंभ हो गई है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नए सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री मनीष तिवारी का उदय, दरअसल, अंबिका सोनी और राजीव शुक्ला की नाकामी का ही नतीजा है। राजीव शुक्ला पेशे से पत्रकार हैं एवं अंबिका के पास सूचना प्रसारण मंत्रालय था। दोनों ही के रहते हुए भी मीडिया विशेषकर सोशल मीडिया पर पत्रकारों द्वारा केंद्र सरकार विशेषकर कांग्रेस की छवि पर बट्टा लगाने का काम तेजी से किया जा रहा था।
सूत्रों ने आगे कहा कि मनीष तिवारी पांच सालों से कांग्रेस के प्रवक्ता बने हुए हैं। बतौर प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कांग्रेस के लिए सदा ही ढाल का काम किया है। मनीष तिवारी पर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी जमकर मेहरबान हैं। मनीष तिवारी की मीडिया के सामने हाजिर जवाबी की कायल हैं सोनिया गांधी। यही कारण है कि अंबिका सोनी को हाशिए में ढकेलकर युवा मनीष तिवारी को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की कमान सौंपी गई है।
उधर प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सोनिया गांधी के निर्देश पर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह भी मनीष तिवारी को खासा भाव दे रहे हैं। मनीष तिवारी के राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार होने के बाद भी उन्हें कैबनेट की बैठक में जाने की अनुमति प्रदान की गई है। इतना ही नहीं मीडिया के मामलों में बने मंत्री समूह जिसमें कपिल सिब्बल, पलनिअप्पम चिदम्बरम, गुलाम नवी आजाद, अश्विनी कुमार जैसे घाघ नेता हैं उसमें तिवारी को शामिल किया गया है।
कांग्रेस की मीडिया समिति में भी अंबिका सोनी और दिग्विजय सिंह के साथ मनीष तिवारी को स्थान दिया गया है। मनीष तिवारी के उत्थान के पीछे उनकी सीधी और सकारात्मक सोच ही मानी जा रही है। तिवारी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि तिवारी काम में ही विश्वास रखते हैं। वैसे तिवारी के अभ्युदय से जनार्दन द्विवेदी, राजीव शुक्ला, पवन बंसल, अश्विनी कुमार जैसे नेताओं के पेट में दर्द उठने लगा है।

पांच हजार करोड़ से चमकेंगे डाकघर!


पांच हजार करोड़ से चमकेंगे डाकघर!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश में बदहाली चरम पर है, मंहगाई के जिन्न ने भारत गणराज्य की जनता को निगला हुआ है। इन परिस्थितियों में मृत्य शैया पर पड़े भारत के संचार मंत्रालय के डाक विभाग को जिलाने के लिए केंद्र सरकार ने चार हजार नौ सौ करोड़ की मंजूरी दी है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने देश में सभी डाकघरों के आधुनिकीकरण और कम्पयूटरीकरण के लिए चार हजार ९०९ करोड़ रूपये के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। इससे डाकघरों द्वारा डाक भेजने और उसकी बैंकिंग और बीमा सेवा में सुधार लाया जा सकेगा।
समिति ने आवास तथा शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय की कम लागत की एकीकृत मौजूदा स्वच्छता योजना को बारहवीं पंचवर्षीय योजना में जारी रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार चार सौ ८१ करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से शहरी क्षेत्रों में अस्थाई शौचालयों को पूरी तरह समाप्त करने के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय मदद देगी।
मंत्रिमंडल समिति ने एथनोल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के लिए तेल विपणन कंपनियों को बायो एथनोल खरीदने के मूल्य निर्धारण को भी मंजूरी दे दी। इसका खरीद मूल्य तेल विपणन कंपनियां और आपूर्तिकर्ता तय करेंगे।
एक अन्य अहम फैसले में आर्थिक मामलों की समिति ने राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम में ८४ दशमलव पांच प्रतिशत की हिस्सेदारी में से अपने साढे नौ प्रतिशत शेयर बेचने की अनुमति दे दी। आर्थिक मामलों की समिति ने कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड््घ्डे के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए संशोधित अनुमानित लागत दो हजार ३२५ करोड़ रूपये के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी। 

सोमवार को एफडीआई पर सर्वदलीय बैठक


सोमवार को एफडीआई पर सर्वदलीय बैठक

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफ डी आई के मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है। उन्होंने यह कदम इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दलों के कड़े रूख को देखते हुए उठाया है।
भाजपा और वामदल मत विभाजन वाले नियम के तहत इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं। श्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर बातचीत से कोई परहेज नहीं है। उन्होंने कहा कि सराकर नियमों के तहत इस बारे में चर्चा के लिए तैयार है। विपक्ष जब चाहेगा तब चर्चा हो जाएगी।
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार मत विभाजन वाले नियम के तहत चर्चा कराने से कतरा रही है, क्योंकि उसके पास लोकसभा में बहुमत नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि एनडीए के साथ जो विपक्षी दल एफडीआई रिटेल सेक्टर में नहीं आए इसको लेकर जो बयान बाहर दे रहे हैं, वो सब पार्लियामेंट में वोट करेंगे और इसलिए सरकार डर रही है और वो इस पर वोटिंग के प्रावधान से भाग रही है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री को लोकसभा में सभी दलों के नेताओं के साथ अलग से चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वामदल मत विभाजन के साथ चर्चा के अपने रूख से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि ये देश की जनता के लिए यह एक गंभीर मुद्दा है। भारत की आबादी का एक तिहाई हिस्सा जीवन यापन के लिए खुदरा व्यापार क्षेत्र पर निर्भर है। इस क्षेत्र से उनको हटाकर विदेशी निवेश के लिए इसे खोलने से उन लोगों पर बोझ बढ़ेगा जो पहले से ही महंगाई से परेशान हैं।
जनता दल युनाईटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि चाहे नियम-१८४ हो या नियम-१९३, लेकिन इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी सहित सभी राजनीतिक दलों से संसद का कामकाज चलने देने की अपील की।
 एफडीआई के मसले पर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कहा कि पहले सरकार तय करे, उसके बाद उनकी पार्टी संसद के भीतर अपना रूख स्पष्ट करेगी। ये केन्द्र की सरकार को डिसीजन लेना है कि वो किस नियम के तहत पार्लियामेंट में चर्चा कराते हैं। जिस भी नियम के तहत पार्लियामेंट के अंदर चर्चा होगी, हमारे पार्टी का एफडीआई के ऊपर क्या स्ट्रेंड होगा, उसी समय पार्लियामेंट के अंदर स्पष्ट करें।

भ्रष्ट अफसरों के शिकंजे में जनसंपर्क विभाग


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 18

भ्रष्ट अफसरों के शिकंजे में जनसंपर्क विभाग

(डेविड विनय)

भोपाल (साई)। बस यहीं से इस दलाल की राजनीति चमक गई। तभी से इसका पूरा परिवार जनसंपर्क विभाग में होने वाली लूट के टुकड़ों पर पल रहा है। बाद के अफसरों ने सहज कमाई की ये कहानी सुनी तो उन्होंने भी इस प्रथा को सहज की अपना लिया। सरकारी खजाने से बिल आहरित करने के लिए बनाए गए इस कमीशनखोर के संगठन ने जहां जनसंपर्क विभाग के चंद भ्रष्ट अफसरों के लिए कमाई के नए स्रोत विकसित किए वहीं इस भड़ुए ने पत्रकारों के शोषण के नए तरीके विकसित कर लिए। इसने पत्रकारों की आर्थिक सहायता के बजट पर अपने जहरीले दांत गड़ा दिए। अपने दौरों में ये दलाल पत्रकारों की संख्या के आधार पर सदस्यता राशि सबसे पहले वसूलता है। इसके बाद पत्रकारों को आर्थिक सहायता दिलवाने का प्रलोभन देता है। खासतौर पर कमजोर आर्थिक हालत वाले पत्रकारों को इसका शिकार बनाया जाता है। इसके संगठन के इलाकाई दलाल उन सदस्यों को शारदा के पास भिजवाते हैं। उनके आर्थिक सहायता के फर्जी प्रकरण तैयार कराए जाते हैं फिर उन्हें जनसंपर्क विभाग से पास करा लिया जाता है।
अपने इस कारोबार को विस्तार देने के लिए इस शातिर बदमाश ने भोपाल के जय प्रकाश चिकित्सालय में पूर्व सांसद प्रफुल्ल माहेश्वरी की सांसद निधि से एक वार्ड विकसित करवाया था। इस वार्ड के बहाने ये दलाल जेपी अस्पताल के डाक्टरों को अपने हित साधने में इस्तेमाल करता रहता है। ये डाक्टर इस दलाल के कहने पर प्रदेश भर के उन पत्रकारों के चिकित्सा देयक तैयार करवा देते हैं। डाक्टरों को ये दलीलें देता है कि फलां साथी जरूरत मंद है कृपया उसकी मदद कर दें। डाक्टर इसे पत्रकारों का सेवक समझते हैं और वे फर्जी बिलों पर बगैर कोई विचार किए दस्तखत कर देते हैं। जनसंपर्क विभाग में लगे बिलों से इस तथ्य की पुष्टि की जा सकती है। पत्रकारों की आर्थिक सहायता के प्रकरणों की पैरवी करते करते ये दलाल अपने भी फर्जी चिकित्सा देयकों को पारित करवाने की जुगत भिड़ाता रहता है। कुछ दिनों पहले इसने इंदौर के एक अस्पताल के फर्जी चिकित्सा देयक लगाकर मोटी रकम का भुगतान करवाने की योजना बनाई थी . इस राशि का चौक भी तैयार हो चुका था। बस केवल भुगतान होना था। तभी किसी जानकार ने इस मामले की शिकायत कर दी। जनसंपर्क विभाग के अधिकारी ने उन बिलों की जांच करवाने के लिए इंदौर के उस अस्पताल से संपर्क किया। वहां के चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस नाम के किसी भी मरीज का इलाज उनके असपताल में नहीं हुआ है। उस बिल क्रमांक पर किसी दूसरे मरीज का नाम दर्ज था। इसलिए जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बिल का भुगतान तो रोक दिया पर जालसाजी करने वाले शारदा को दया करके छोड़ दिया।
(विस्फोट डॉट काम से साभार)

दिल्ली में प्लास्टिक पर प्रतिबंध!




दिल्ली में प्लास्टिक पर प्रतिबंध!

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज से प्लास्टिक बैग के निर्माण, बिक्री और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध लागू हो जाएगा। दिल्ली सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम १९८६ के प्रावधान के तहत ये प्रतिबंध लगाया है। इसका उल्लंघन करने वालों को पांच साल तक की कैद और एक लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
दिल्ली के मुख्य सचिव पी के त्रिपाठी ने नगर निगम, एनडीएमसी और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से इस प्रतिबंध को लागू करने को कहा है। अधिसूचना के अनुसार दुकानदारों, थोक और खुदरा विक्रेताओं तथाखोमचे-फेरीवालों सहित किसी भी व्यक्ति को सामान देने के लिए प्लास्टिक थैलियों को बेचने, भंडारण और इस्तेमाल की अनुमति नहीं होगी।


नई दवा नीति सस्ती होंगी दवाएं पर दर्द की दवा होगी मंहगी


नई दवा नीति सस्ती होंगी दवाएं पर दर्द की दवा होगी मंहगी

(महेंद देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र सरकार ने दवा मूल्य नीति को मंजूरी दे दी। इससे 348 जरूरी दवाएं कीमत कंट्रोल के दायरे में आ जाएंगी, जिससे इनकी कीमतों में कमी होगी। सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राष्ट्रीय दवा मूल्य नीति को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इसका मकसद दवाओं के मूल्य के लिए नियामक ढांचे को लागू करना है, जिसकी इनकी उपलब्धता सस्ते दाम पर सुनिश्चित हो सकेगी। वहीं पेनकिलर्स के दामों में बढोत्तरी की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं।
फिलहाल सरकार राष्ट्रीय दवा मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) के जरिए 74 बल्क दवाओं और उनके फॉर्म्युलेशन का मूल्य नियंत्रित करती है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सरकार भारतीय फार्मा उद्योग के विकास के लिए उचित नवप्रवर्तन और प्रतिस्पर्धा के अवसर उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस नीति को अंतिम रूप देने के लिए पिछले महीने 27 नवंबर की समयसीमा तय की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह मौजूदा लागत आधारित दवा मूल्य व्यवस्था में बदलाव न करे।
इससे पहले कृषि मंत्री शरद पवार की अगुवाई वाले मंत्री समूह ने दवाओं का मूल्य विभिन्न ब्रैंडों के औसत मूल्य के आधार पर तय करने का प्रस्ताव किया था। पर इसके लिए किसी भी ब्रैंड की बाजार हिस्सेदारी एक फीसदी से ज्यादा की होनी चाहिए।
मंत्रिमंडल ने वित्त मंत्रालय की आपत्तियों के मद्देनजर इस पर फैसला टाल दिया था। उसके बाद मंत्री समूह की बुधवार को बैठक हुई थी। 348 दवाओं को कीमत कंट्रोल के दायरे में लाने वाली नीति को इससे पहले मंत्री समूह ने 27 सितंबर को मंजूरी दी थी और बाद में इसे मंत्रिमंडल को भेज दिया गया था।
अपने पिछले कार्यकाल के दौरान यूपीए सरकार आवश्यक दवाओं के लिए मूल्य नीति तैयार नहीं कर पाई थी। यूपीए-2 सरकार ने पिछले साल औषध विभाग के जरिये राष्ट्रीय दवा मूल्य नीति, 2011 का मसौदा जारी किया था। हालांकि स्वास्थ्य और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालयों के बीच मतभेदों के चलते इस नीति को अंतिम रूप देने में काफी समय लगा। बाकी अंशधारकों मसलन उद्योग और गैर सरकारी संगठनों ने भी इस तरह के मूल्य मॉडल को लेकर चिंता जताई थी। वित्त वर्ष 2010-11 में भारतीय फार्मा क्षेत्र का उत्पादन कारोबार 105 लाख करोड़ रुपये रहा था। मात्रा के हिसाब से दवा उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है। यहां से करीब 200 देशों को दवाएं एक्सपोर्ट की जाती हैं।
उधर, केंद्र सरकार ने डायबिटीज के मरीजों को बड़ी राहत दी है। उसने इसकी दवा ग्लिपिजाइड के दामों में भारी कमी की है। दूसरी तरफ उसने दर्द कम करने की दवा आइबूप्रोफेन और पार्किंसंस डिजीज की दवा मैडोपार के साथ ही चार बल्क ड्रग्स और 92 ड्रग फॉर्म्यूलेशन के दामों में बढ़ोतरी करके महंगाई की मार से बेहाल लोगों का दर्द भी बढ़ा दिया है।
ये सभी दवाएं मूल्य नियंत्रण के दायरे में आती हैं और नैशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी समय - समय पर इनके दाम तय करती है। अथॉरिटी ने अपने आदेश के जरिये एक किलो ग्लिपिजाइड के मूल्य को 26,114 रुपये से घटाकर 15,946 रुपये कर दिया है। डायबिटीज के मरीज बड़ी तादाद में इस दवा का इस्तेमाल करते हैं। कई भारतीय और मल्टिनैशनल दवाएं इस जेनरिक दवा का निर्माण करती हैं। इससे पहले अप्रैल 2009 में इसके दाम तय किए गए थे।
अथॉरिटी ने इसके दाम कम करने के साथ ही दर्द कम करने की दवा आइबूप्रोफेन के रेट 498 से 527 रुपये प्रति किलो कर दिए हैं। इसे कोल्ड और फ्लू के लक्षणों में भी दिया जाता है। 1960 के दशक में खोजी गई रिफाम्पिसन टीबी की दवा है। इसके रेट 4,111 रुपये से बढ़ाकर 4485 रुपये प्रति किलो कर दिए गए हैं। भारत में टीबी से हर साल करीब साढ़े तीन लाख लोगों की मौत हो जाती है और दुनिया में टीबी के 20 फीसदी मरीज भारत में हैं। इन मरीजों को अब बढ़े हुए रेट पर यह दवा खरीदनी होगी।
कई तरह के बैक्टीरियल और पैरासाइटिक इन्फेक्शन का इलाज करने के लिए मेट्रोनिडाजोल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके रेट 514 रुपये किलो से बढ़ाकर 588 रुपये प्रति किलो कर दिए गए हैं। बल्क ड्रग मेट्रोनिडाजोल बेंजोएट के दाम भी 75 रुपये प्रति किलो बढ़ा दिए गए हैं। अथॉरिटी ने इसके अलावा मल्टिविटामिन्स , ह्युमन इंसुलिन , मूत्र मार्ग के संक्रमण की दवा जेंटामाइसिन और पार्किंसंस डिजीज की दवा मैडोपार के साथ ही 92 दवाओं के दामों में बढ़ोतरी की है। सभी दवाओं के दामों में बढ़ोतरी इनकी लागत बढ़ने का तर्क देते हुए की गई है। 

कसाब वर्सेस अफजल, शुरू हुई धमकियां


कसाब वर्सेस अफजल, शुरू हुई धमकियां

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। 26/11 के इकलौते जिन्दा बचे अपराधी अजमल कसाब को फांसी देने के बाद अब मामला अफजल गुरू को फांसी देने पर आकर टिक गया है। इसी बीच बहस के दौरान ही अब धमकियांे का सिलसिला भी चल पड़ा है। कहीं कसाब को फांसी देने के मामले में भारतीयों को देख लेने की धमकी मिल रही है तो कहीं अफजल गुरू की हिमायत में कोई खड़ा नजर आ रहा है।
कसाब के बाद संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने की मांग के बीच अलगाववादी पार्टी जेकेएलएफ ने आगाह किया है कि यदि केंद्र अफजल के बारे में कोई भी गलत फैसला करता है तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। जेकेएलएफ अध्यक्ष मोहम्मद यासिन मलिक ने कहा कि यदि भारत सरकार अपनी भूल (जेकेएलएफ संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट्ट की फांसी) दोहराती है और अफजल गुरु को लेकर कोई श्गलत फैसलाश् करती है तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट नेता ने कहा कि कसाब को फांसी दिए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) और कांग्रेस के कुछ नेता गुरु को फांसी की अपनी पुरानी मांग उठाने लगे हैं जिससे कश्मीरियों में चिंता पैदा हो गई है। अलगाववादी खेमा के साथ-साथ नैशनल कॉन्फ्रेंस जैसे मुख्यधारा के राजनीतिक दल भी अफजल के बचाव में आ गए हैं। यासिन मलिक के साथ-साथ नैशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव और मुख्यमंत्री के चाचा मुस्तफा कमाल ने अफजल को फांसी दिए जाने पर केंद्र को गंभीर परिणामों की चेतावनी दी है।
गुरुवार शाम को एक टीवी चौनल से इंटरव्यू में कमाल ने कहा कि अफजल को सांप्रदायिकता के आधार पर फांसी की सजा हुई है। कोई गैर-मुस्लिम उसकी जगह होता तो वह आज तक अदालत द्वारा आरोप मुक्त करार दिया गया होता। उन्होंने कहा कि अफजल प्रत्यक्ष रूप से संसद हमले में शामिल नहीं था। हमने उसकी सजा माफी के लिए केंद्र से आग्रह किया है और कहा है कि अगर उसे फांसी हुई तो कश्मीर में फिर से आतंकी हिंसा शुरू हो जाएगी। कमाल इससे पहले भी विवादास्पद बयान देकर सुर्खियों में आ चुके हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान नहीं बल्कि भारत कश्मीरियों का दुश्मन है।
बिहार से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से प्रतिभा सिंह ने बताया कि किस्मत भी कहां से कहां किसे ले जाती है। इसे कहते हैं किस्मत! जो फंदा संसद पर हमले में फांसी की सजा पाए अफजल गुरु के लिए तैयार किया गया था, वह कसाब के गले में पड़ गया। मुंबई हमले के गुनहगार आतंकी अजमल आमिर कसाब को फांसी के अब कुछ अनोखी खबरें हैरान कर रही हैं। बक्सर जेल के अधिकारियों और कैदियों की मानें तो बक्सर जेल में बनी खास श्मनीला रस्सीश् से ही मुंबई पर आतंकवादी हमले के दोषी अजमल कसाब को बुधवार को पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई।
बिहार कारागार विभाग के डायरेक्टर एसबीपी सिंह ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि दिल्ली के तिहाड़ जेल के ऑर्डर पर 2007 में हमने संसद पर आतंकवादी हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने के लिए बक्सर जेल में बनी रस्सी की सप्लाई की थी। उन्होंने कहा कि हालांकि कसाब को फांसी के लिए रस्सी का किसी प्रकार का अनुरोध नहीं किया गया था, लेकिन कैदियों और पदाधिकारियों को लगता है अफजल गुरु के लिए भेजे गए फांसी के फंदे का प्रयोग ही पुणे में कसाब के लिए किया गया है।
सिंह ने कहा, कि हालांकि इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है कि कसाब के लिए बक्सर से भेजी गई रस्सी का प्रयोग किया गया है। लेकिन ऐसा लगता है कि अफजल गुरु को फांसी देने पर लगी रोक के बाद उस फंदे का प्रयोग अफजल के लिए किया गया है।श्
बक्सर सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट सुरेंद्र कुमार अंबष्ठ ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया कि उत्तर और पूर्वी भारत में फांसी के लिए प्रयोग में आने वाले फंदे में बक्सर की ही रस्सी प्रयोग में आती है। अंबष्ठ ने बताया कि साल 2004 में कोलकाता में बलात्कार और हत्या के लिए दोषी करार धनंजय चटर्जी को फांसी के लिए बक्सर से भेजी गई रस्सी का ही प्रयोग किया गया था।
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी तालिबान ने धमकी दी है कि वह 26/11 के गुनहगार अजमल कसाब को फांसी पर चढ़ाने का बदला लेगा और इसके लिए श्कहीं भीश् भारतीयों को निशाना बनाया जाएगा। तालिबान ने कहा कि भारत को कसाब का शव उसके घरवालों को सौंप देना चाहिए। तालिबान की इस धमकी के बाद भारत ने पाक से इस्लामाबाद में भारतीय हाई कमिशन और भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा इंतजाम पुख्ता करने को कहा है। चिंता ज्यादा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तानी तालिबान ने आज तक भारत को सीधी धमकी नहीं दी है।
पूर्व क्रिकेटर और तहरीक ए इंसाफ के प्रमुख इमरान खान की पार्टी ने कसाब को दी गई फांसी के जवाब में पाक जेल में बंद भारतीय कैदी सरबजीत सिंह को भी फांसी देने की मांग की है। मुल्तान में आयोजित एक प्रदर्शन में पार्टी के नेता नईमुल्लाह खान ने कहा कि भारत ने कसाब के मामले में आखिरी फैसला आने के बाद महीने भर में कदम उठा लिया जबकि हम आतंकवादियों को आठ साल से ढो रहे हैं। पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक ने एक न्यूज चौनल से इंटरव्यू में कहा कि पाक सरकार सरबजीत के मामले को कसाब की सजा से नहीं जोड़ेगी। इस मामले में कोई बदला नहीं लिया जाएगा। कसाब को दी गई सजा एक लॉजिकल फैसला है। 

गीतों से दिया अनेकता में एकता का सन्देश


गीतों से दिया अनेकता में एकता का सन्देश

(संदीप दुबे)

मण्डला (साई)। देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की जयंती 19 नवम्बर से 25 नवम्बर 12 तक जिले में कौमी एकता सप्ताह के रूप में मनाई जा रही है। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय प्रचार कार्यालय, डींएफपी द्वारा मंडला ब्लाक के ग्राम खुर्सिपारा के शासकीय हायर सेकेंडरी विद्यालय में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए। इस मौके पर विद्यार्थियों और स्कूल स्टाफ ने राष्ट्रीय एकता व अखंडता के साथ इसे और अधिक प्रभावशाली और मजबूत करने के लिए समर्पित भाव से कार्य करने की शपथ ली। स्कूल के विद्यार्थियों ने देश भक्ति , राष्ट्रीय सद्भाव के गीतों और कविताओ से सदभावना का सन्देश दिया,और इनाम जीते।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शासकीय हायर सेकेंडरी विद्यालय खुर्सिपार के प्राचार्य आर के चौरसिया मरावी ने कहा कि ‘‘अनेकता में एकता’’ हमारे देश की पहचान है। हमें राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य बोध को समझते हुए एकता, अखंडता एवं भाईचारे की भावना को और अधिक मजबूती प्रदान करने के प्रयासों में सहयोग करना चाहिए। उन्होने कहा कि वर्तमान हालात में हमें जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, अगलाववाद जेसे असंतोष की प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि हम अतीत के गौरव को फिर से हांसिल करने के लिए देश की एकता व अखण्डता को मजबूती प्रदान करें।
क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी समीर वर्मा ने कहा कि संपूर्ण विश्व में एकता एवं भाईचारे का वातावरण बनें, मानव में मानवता आये और जाति, धर्म, सम्प्रदाय के झगडो से उपर उठकर हम प्रेम एवं शांति के मार्ग पर आगे बढे इसी में जीवन की सार्थकता है। आज के दिन हम राष्ट्रीय एकता एवं कोमी एकता के सदेश को जन-जन तक पहुंचाने एवं जनभावना जगाने में भागीदारिता निभाने का संकल्प ग्रहण करें, यही स्व0 इंदिरा जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षा ऐसी ग्रहण करे जिससे समाज में बुराइयों का अंत हो और आपसी भाईचारा सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल बने , देश के विकास में कदम से कदम मिलाने के लिए शिक्षित होना सबसे जरूरी है
कार्यक्रम में उपस्थित समाजसेवी एवं पत्रकार पुहूप सिंह भारत ने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखीनः की भावना के साथ देश को एकता के सुत्र में बाधे रखने के लिए सदेव प्रयासरत रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें जाति, सम्प्रदाय, क्षेत्र, धर्म अथवा भाषा का भेदभाव किए बिना सभी भारतवासियों की भावनात्मक एकता और सद्भावना के लिये कार्य करना चाहिए।
इससे पूर्व क्षेत्रीय प्रचार सहायक अशोक विश्वकर्मा ने राष्ट्रीय एकता व अखंडता की शपथ दिलाई। साथ ही जिम्मेदारी के साथ कर्तव्य निर्वहन पर जोर दिया। इस अवसर पर विश्वकर्मा ने कहा कि स्कूल स्तर पर ऐसे आयोजनों से बच्चों में देश भक्ति की भावना पैदा होती है और उनकी सांप्रदायिक ताकतों से सचेत रहने की क्षमता बढ़ती है।
इस मौके पर राष्ट्रीय गीत , भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गयी जिसमे छात्र छात्राओ ने बढचढ़ कर हिस्सा लिया , विद्यालय की छात्रा महिमा , बबिता बसंत कुमार , सुनीता ,गुनिता सिव्कुमारी, बिर्सो मर्सकोले , फरहीन ,और मनीष कुमार ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता के सन्देश देने वाले स्थानीय भाषा में गीतों की प्रस्तुती देकर मंत्रमुग्ध कर दिया और इनाम जीते ,कार्यक्रम के प्रारंभ में अथितिगणों का स्वागत पुष्प गुच्छ से किया गया , आभार प्रदर्शन क्षेत्रीय प्रचार सहायक अशोक विश्वकर्मा ने किया। इस अवसर पर शासकीय माध्यमिक विद्यालय खुसिपार के हेडमास्टर दादू लाल तुम्राली, अध्यापक श्रीमती राखी चौरसिया , कुर्बान खान ,सदाव कुरैशी, कविता मिश्रा एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे। 

रेल्वे ने नहीं चुकाया 15 अरब का बिल


रेल्वे ने नहीं चुकाया 15 अरब का बिल

(अभय नायक)

रायपुर (साई)। लाभ में जाती भारतीय रेल के उपर छत्तीसगढ़ के विद्युत मण्डल का लाखों नहीं अरबों बकाया है। छत्तीसगढ़ का बिजली विभाग पैसों की कमी का रोना रोता रहता है। लेकिन, इसके काहिल अफसर रेलवे से अरबों की बकाया राशि वसूल नहीं पा रहे हैं। कुछ हजार रूपए के बकाया पर आम लोगों की बिजली काट देने वाले इंजीनियर रेलवे के तीन जोनों से 14 अरब 66 करोड़ 54 लाख रूपए की वसूली करने पर चुप्पी साधे हैं। इतनी बड़ी राशि की वसूली हो जाए तो बिजली विभाग के तमाम अटके काम पूरे हो सकते हैं।
मुफ्त की बिजली से ढाई हजार करोड़ रूपए का रेल राजस्व कमाने वाले दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे और पूर्व तटीय रेलवे पिछले दो सालों से बिजली बिल पटाने में आनाकानी कर रहे हैं। अकेले रायपुर, बिलासपुर, सम्बलपुर व जगदलपुर रेलवे ट्रेक्शन पर ही करीब 16-17 सौ करोड़ रूपए का बकाया है। उधर, विजली विभाग रेलवे को निहायत जरूरी जनसेवा मानकर वसूली में सख्ती नहीं बरत रहा।
प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान विद्युत कम्पनी की रेलवे से लेनदारी का मुद्दा उठा था। वसूली के लिए अपनाए जा रहे तरीकों पर चर्चा भी हुई। लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इसके बाद चुप्पी साध ली। उधर रेल मण्डल के प्रवक्ता कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि रायपुर रेल मंडल पर विद्युत कम्पनी का कोई भुगतान बकाया नहीं है। प्रति माह ट्रेक्शन व नॉन ट्रेक्शन का एवरेज बिल करीब 7.5 करोड़ रूपए है। रेल मंडल बाकायदा उसका भुगतान कर रहा है। 

बीज निगम कर रहा किसानों का शोषण


बीज निगम कर रहा किसानों का शोषण

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। बीज निगम किसानों को उचित कीमत ना देकर किसानों का शोषण कर रहा हैं। पिछले चार सालों में उपार्जन एवं विक्रय दर के अंतर का अनुपात बिगड़ता ही जा रहा हैं। एक किसान पुत्र की किसानों की सरकार में एक शासकीय निगम द्वारा ही किसानों का शोषण किया जाये और पूरी सरकार मूक दर्शक बनी रहें यह अत्यंत शर्मनाक बात हैं। गेहूं की दर बढ़ाकर 1750 प्रति क्विंटल कर इसी अनुपात में अन्य फसलों की दरों का भी पुर्ननिर्धारण करने का कष्ट करें। उक्ताशय की मांग जिले के वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से फ्ेक्स भेजर की हैं जिसकी प्रति कृषि मंत्री कुसमारिया एवं नेता प्रति पक्ष अजय सिंह को भी भेजी हैं।
इंका नेता वर्मा ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में आगे उल्लेख किया है कि पिछले चार सालों से लगातार यह देखा जा रहा हैं कि निगम द्वारा बीज उत्पादक कृषकों को उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा हैं। किसानों को उनके द्वारा उत्पादित बीज की जो कीमत दी जा रही है और निगम द्वारा उसी बीज को किसानों को जिस कीमत में बेचा जाता हैं उसका अनुपात हर साल बढ़कर असंतुलित होता जा रहा हैं। इससे ऐसा प्रमाणित होता है कि निगम को सिर्फ अपना मुनाफा बढ़ाने की चिंता हैं जिसके लिये वो बीज उत्पादक कृषकों का शोषण करने में भी कोई संकोच नहीं कर रहा हैं।
अपने पत्र में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने अनुरोध किया है कि आप बीते चार सालों के बीज निगम द्वारा निर्धारित उपार्जन और विक्रय दरों को देखने का कष्ट करें। इससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि निगम किस तरह से हर वर्ष किसानों को दी जाने वाली कीमत और किसानों से ली जाने वाली कीमत के बीच में अंतर बढ़ाते जा रहा हैं और किसानों का शोषण कर रहा हैं। उदाहरण के लिये मैं पिछले चार सालों गेहूं की बोनी जाति 10 वर्ष से अधिक वाली दरें आपके अवलोकन के लिये दे रहा हूॅं। उपार्जन एवं विक्रय दर वर्ष 2009 में 1295 रु. और 2000 रु., 2010 में 1353 रु. और 2100 रु., 2011 में 1285 रु. और 2050 रु. तथा 2012 में 1425 रु. और 2500 रु. निर्धारित की गयीं हैं। दोनों दरों के बीच का अंतर क्रमशः हर साल बढ़ते ही जा रहा हैं जो कि क्रमानुसार 705 रु., 747 रु., 775 रु. और 1075 रु. हो गया हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि बीज उत्पादक किसानों से लिया जाने वाला बीज ही किसानों को बेचा जाता हैं।
इंका नेता वर्मा ने पत्र में यह भी लिखा हैं कि केन्द्र सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 1285 रू. निर्धारित किया गया था जिसमें राज्य सरकार के बोनस के 100 रु. जुड़ने से किसानों को मिलने वाली कुल राशि 1385 रू. प्रति क्विंटल हो गयी थी। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाला गेहूं एफ.ए.क्यू. (फेयर एवरेज क्वालिटी) लिया जाता हैं जिसमें बारदाना , हमाली और तुलाई के पैसे भी किसानों को नहीं लगते हैं। जबकि बीज निगम किसान को टेगड बीज का भुगतान करती हैं जिसमें अंडर साइज मात्रा,बारदाना,तुलाई,हमाली और सुतली तक किसान को देना पड़ती हैं। इसके अलावा प्रोसेस लॉस भी किसान ही वहन करता हैं। साथ ही किसान को परिवहन का खर्च भी लगता हैं।इसके अलावा किसान को अंतिम भुगतान भी काफी विलंब से मिलता हैैं। इन सब खर्चों को जोड़ा जाये तो किसान को इस किस्म को गेहूं लगभग 1650 रु. प्रति क्विंटल पड़ रहा हैं जबकि निगम किसान को 1425 रु. प्रति क्विंटल की दर से भुगतान कर रही हैं। इसी तरह चने के उपार्जन मूल्य और अनुदान के संबंध सालों से चली आ रही नीति को बदल कर भी निगम ने किसानों के साथ एक क्रूर मजाक किया है जिससे उसे अनुदान की राशि के लिये भी भटकना पड़ रहा हें। 
पत्र के अंत में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने अनुरोध किया है कि एक किसान पुत्र की किसानों की सरकार में एक शासकीय निगम द्वारा ही किसानों का शोषण किया जाये और पूरी सरकार मूक दर्शक बनी रहें यह अत्यंत शर्मनाक बात हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप गेहूं का उपार्जन मूल्य कम से कम 1750 रु. प्रति क्विंटल निर्धारित करायें तथा इसी अनुपात में अन्य फसलों के रेट भी निर्धारित करने का कष्ट करें ताकि किसान को उसकी मेहनत का फल मिल सें।

बीज निगम कर रहा किसानों का शोषण


बीज निगम कर रहा किसानों का शोषण

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। बीज निगम किसानों को उचित कीमत ना देकर किसानों का शोषण कर रहा हैं। पिछले चार सालों में उपार्जन एवं विक्रय दर के अंतर का अनुपात बिगड़ता ही जा रहा हैं। एक किसान पुत्र की किसानों की सरकार में एक शासकीय निगम द्वारा ही किसानों का शोषण किया जाये और पूरी सरकार मूक दर्शक बनी रहें यह अत्यंत शर्मनाक बात हैं। गेहूं की दर बढ़ाकर 1750 प्रति क्विंटल कर इसी अनुपात में अन्य फसलों की दरों का भी पुर्ननिर्धारण करने का कष्ट करें। उक्ताशय की मांग जिले के वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से फ्ेक्स भेजर की हैं जिसकी प्रति कृषि मंत्री कुसमारिया एवं नेता प्रति पक्ष अजय सिंह को भी भेजी हैं।
इंका नेता वर्मा ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में आगे उल्लेख किया है कि पिछले चार सालों से लगातार यह देखा जा रहा हैं कि निगम द्वारा बीज उत्पादक कृषकों को उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा हैं। किसानों को उनके द्वारा उत्पादित बीज की जो कीमत दी जा रही है और निगम द्वारा उसी बीज को किसानों को जिस कीमत में बेचा जाता हैं उसका अनुपात हर साल बढ़कर असंतुलित होता जा रहा हैं। इससे ऐसा प्रमाणित होता है कि निगम को सिर्फ अपना मुनाफा बढ़ाने की चिंता हैं जिसके लिये वो बीज उत्पादक कृषकों का शोषण करने में भी कोई संकोच नहीं कर रहा हैं।
अपने पत्र में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने अनुरोध किया है कि आप बीते चार सालों के बीज निगम द्वारा निर्धारित उपार्जन और विक्रय दरों को देखने का कष्ट करें। इससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि निगम किस तरह से हर वर्ष किसानों को दी जाने वाली कीमत और किसानों से ली जाने वाली कीमत के बीच में अंतर बढ़ाते जा रहा हैं और किसानों का शोषण कर रहा हैं। उदाहरण के लिये मैं पिछले चार सालों गेहूं की बोनी जाति 10 वर्ष से अधिक वाली दरें आपके अवलोकन के लिये दे रहा हूॅं। उपार्जन एवं विक्रय दर वर्ष 2009 में 1295 रु. और 2000 रु., 2010 में 1353 रु. और 2100 रु., 2011 में 1285 रु. और 2050 रु. तथा 2012 में 1425 रु. और 2500 रु. निर्धारित की गयीं हैं। दोनों दरों के बीच का अंतर क्रमशः हर साल बढ़ते ही जा रहा हैं जो कि क्रमानुसार 705 रु., 747 रु., 775 रु. और 1075 रु. हो गया हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि बीज उत्पादक किसानों से लिया जाने वाला बीज ही किसानों को बेचा जाता हैं।
इंका नेता वर्मा ने पत्र में यह भी लिखा हैं कि केन्द्र सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 1285 रू. निर्धारित किया गया था जिसमें राज्य सरकार के बोनस के 100 रु. जुड़ने से किसानों को मिलने वाली कुल राशि 1385 रू. प्रति क्विंटल हो गयी थी। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाला गेहूं एफ.ए.क्यू. (फेयर एवरेज क्वालिटी) लिया जाता हैं जिसमें बारदाना , हमाली और तुलाई के पैसे भी किसानों को नहीं लगते हैं। जबकि बीज निगम किसान को टेगड बीज का भुगतान करती हैं जिसमें अंडर साइज मात्रा,बारदाना,तुलाई,हमाली और सुतली तक किसान को देना पड़ती हैं। इसके अलावा प्रोसेस लॉस भी किसान ही वहन करता हैं। साथ ही किसान को परिवहन का खर्च भी लगता हैं।इसके अलावा किसान को अंतिम भुगतान भी काफी विलंब से मिलता हैैं। इन सब खर्चों को जोड़ा जाये तो किसान को इस किस्म को गेहूं लगभग 1650 रु. प्रति क्विंटल पड़ रहा हैं जबकि निगम किसान को 1425 रु. प्रति क्विंटल की दर से भुगतान कर रही हैं। इसी तरह चने के उपार्जन मूल्य और अनुदान के संबंध सालों से चली आ रही नीति को बदल कर भी निगम ने किसानों के साथ एक क्रूर मजाक किया है जिससे उसे अनुदान की राशि के लिये भी भटकना पड़ रहा हें। 
पत्र के अंत में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने अनुरोध किया है कि एक किसान पुत्र की किसानों की सरकार में एक शासकीय निगम द्वारा ही किसानों का शोषण किया जाये और पूरी सरकार मूक दर्शक बनी रहें यह अत्यंत शर्मनाक बात हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप गेहूं का उपार्जन मूल्य कम से कम 1750 रु. प्रति क्विंटल निर्धारित करायें तथा इसी अनुपात में अन्य फसलों के रेट भी निर्धारित करने का कष्ट करें ताकि किसान को उसकी मेहनत का फल मिल सें।

बीज निगम कर रहा किसानों का शोषण


बीज निगम कर रहा किसानों का शोषण

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। बीज निगम किसानों को उचित कीमत ना देकर किसानों का शोषण कर रहा हैं। पिछले चार सालों में उपार्जन एवं विक्रय दर के अंतर का अनुपात बिगड़ता ही जा रहा हैं। एक किसान पुत्र की किसानों की सरकार में एक शासकीय निगम द्वारा ही किसानों का शोषण किया जाये और पूरी सरकार मूक दर्शक बनी रहें यह अत्यंत शर्मनाक बात हैं। गेहूं की दर बढ़ाकर 1750 प्रति क्विंटल कर इसी अनुपात में अन्य फसलों की दरों का भी पुर्ननिर्धारण करने का कष्ट करें। उक्ताशय की मांग जिले के वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से फ्ेक्स भेजर की हैं जिसकी प्रति कृषि मंत्री कुसमारिया एवं नेता प्रति पक्ष अजय सिंह को भी भेजी हैं।
इंका नेता वर्मा ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में आगे उल्लेख किया है कि पिछले चार सालों से लगातार यह देखा जा रहा हैं कि निगम द्वारा बीज उत्पादक कृषकों को उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा हैं। किसानों को उनके द्वारा उत्पादित बीज की जो कीमत दी जा रही है और निगम द्वारा उसी बीज को किसानों को जिस कीमत में बेचा जाता हैं उसका अनुपात हर साल बढ़कर असंतुलित होता जा रहा हैं। इससे ऐसा प्रमाणित होता है कि निगम को सिर्फ अपना मुनाफा बढ़ाने की चिंता हैं जिसके लिये वो बीज उत्पादक कृषकों का शोषण करने में भी कोई संकोच नहीं कर रहा हैं।
अपने पत्र में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने अनुरोध किया है कि आप बीते चार सालों के बीज निगम द्वारा निर्धारित उपार्जन और विक्रय दरों को देखने का कष्ट करें। इससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि निगम किस तरह से हर वर्ष किसानों को दी जाने वाली कीमत और किसानों से ली जाने वाली कीमत के बीच में अंतर बढ़ाते जा रहा हैं और किसानों का शोषण कर रहा हैं। उदाहरण के लिये मैं पिछले चार सालों गेहूं की बोनी जाति 10 वर्ष से अधिक वाली दरें आपके अवलोकन के लिये दे रहा हूॅं। उपार्जन एवं विक्रय दर वर्ष 2009 में 1295 रु. और 2000 रु., 2010 में 1353 रु. और 2100 रु., 2011 में 1285 रु. और 2050 रु. तथा 2012 में 1425 रु. और 2500 रु. निर्धारित की गयीं हैं। दोनों दरों के बीच का अंतर क्रमशः हर साल बढ़ते ही जा रहा हैं जो कि क्रमानुसार 705 रु., 747 रु., 775 रु. और 1075 रु. हो गया हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि बीज उत्पादक किसानों से लिया जाने वाला बीज ही किसानों को बेचा जाता हैं।
इंका नेता वर्मा ने पत्र में यह भी लिखा हैं कि केन्द्र सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 1285 रू. निर्धारित किया गया था जिसमें राज्य सरकार के बोनस के 100 रु. जुड़ने से किसानों को मिलने वाली कुल राशि 1385 रू. प्रति क्विंटल हो गयी थी। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाला गेहूं एफ.ए.क्यू. (फेयर एवरेज क्वालिटी) लिया जाता हैं जिसमें बारदाना , हमाली और तुलाई के पैसे भी किसानों को नहीं लगते हैं। जबकि बीज निगम किसान को टेगड बीज का भुगतान करती हैं जिसमें अंडर साइज मात्रा,बारदाना,तुलाई,हमाली और सुतली तक किसान को देना पड़ती हैं। इसके अलावा प्रोसेस लॉस भी किसान ही वहन करता हैं। साथ ही किसान को परिवहन का खर्च भी लगता हैं।इसके अलावा किसान को अंतिम भुगतान भी काफी विलंब से मिलता हैैं। इन सब खर्चों को जोड़ा जाये तो किसान को इस किस्म को गेहूं लगभग 1650 रु. प्रति क्विंटल पड़ रहा हैं जबकि निगम किसान को 1425 रु. प्रति क्विंटल की दर से भुगतान कर रही हैं। इसी तरह चने के उपार्जन मूल्य और अनुदान के संबंध सालों से चली आ रही नीति को बदल कर भी निगम ने किसानों के साथ एक क्रूर मजाक किया है जिससे उसे अनुदान की राशि के लिये भी भटकना पड़ रहा हें। 
पत्र के अंत में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने अनुरोध किया है कि एक किसान पुत्र की किसानों की सरकार में एक शासकीय निगम द्वारा ही किसानों का शोषण किया जाये और पूरी सरकार मूक दर्शक बनी रहें यह अत्यंत शर्मनाक बात हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप गेहूं का उपार्जन मूल्य कम से कम 1750 रु. प्रति क्विंटल निर्धारित करायें तथा इसी अनुपात में अन्य फसलों के रेट भी निर्धारित करने का कष्ट करें ताकि किसान को उसकी मेहनत का फल मिल सें।

शिव की जेब से भरे गए 40 करोड़


शिव की जेब से भरे गए 40 करोड़

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। कर्ज लेकर न चुकाने की आदत से मजबूर निजी कंपनी की गारंटी लेना प्रदेश को भारी पड़ रहा है। एस कुमार्स समूह की महेश्वर बिजली परियोजना को रियायत पर रियायत देने का परिणाम यह हुआ कि अभी बिजली की एक यूनिट भी नहीं खरीदी गई, लेकिन मप्र बिजली मैनेजमेंट कंपनी के खाते से 40 करोड़ रूपए निकाल लिए गए। यह राशि उस कर्ज के एवज में है, जो एस कुमार्स समूह ने हुडको और आरईसी से लिया, लेकिन चुकाया नहीं।
इस कर्ज के लिए 2005 में पीएफसी ने एस कुमार्स को 400 करोड़ की गारंटी, उस पर मप्र सरकार ने काउंटर गारंटी और एमपीबीई ने एस्क्रो गारंटी दी थी। इसके मायने यह भी हुए कि एस कुमार्स द्वारा कर्ज नहीं चुकाने पर एमपीबीई के खाते से कर्ज राशि सीधे निकाल ली जाएगी। इसी के तहत बिजली कंपनी के रेवेन्यू अकाउंट से 40 करोड़ रूपए निकाले गए।
एस कुमार्स समूह के प्रवर्तक और संचालक विकास कासलीवाल, मुकुल कासलीवाल, केएन मोडक और एससी दलाल के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने 24 जुलाई 2004 को एफआईआर दर्ज की। सभी पर धारा 409 (अमानत में खयानत), 420 (धोखाधड़ी), 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामले की जांच आज भी जारी है।   
एफआईआर के अनुसार मप्र राज्य वित्त विकास निगम द्वारा विभिन्न स्त्रोतों से लोन लेकर राशि एकत्रित की गई। बिना कोई सावधानी बरते पक्षपातपूर्ण तरीके से एस कुमार्स सहित विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को इंटर कॉरपोरेट डिपाजिट के रूप में उधार दिया गया। इस ऋण को वापस नहीं किया गया। इस प्रकार एमपीएसआईडीसी को आर्थिक क्षति पहुंची। वहीं कंपनी ने अपने लिखित जवाब में बताया कि महेश्वर परियोजना से संबंधित किसी भी अधिकारी या प्रमोटर के खिलाफ आर्थिक अनियमितता का कोई मामला दर्ज नहीं है। 

रोजाना 6000 कदम पैदल चलिए हार्ट अटेक दूर भगाईए


रोजाना 6000 कदम पैदल चलिए हार्ट अटेक दूर भगाईए

(अभिलाषा जैन)

लंदन (साई)। अगर महिलाएं रोजाना 6,000 कदम पैदल चले तो ये उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। जो महिलाएं रोजाना 6000 कदम पैदल चलती हैं उनको दिल का दौरा पडऩे का खतरा कम होता है। इस संबंध में ब्राजील में किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि पैदल चलने वाली महिलाओं में उनके मधुमेह की चपेट में आने का जोखिम भी कम होता है।
ब्राजील के पास्सो फूंदो में 45 से 72 साल की 292 महिलाओं के बीच किए गए इस अध्ययन में इस बात का रिकार्ड रखा गया कि ये महिलाएं रोजाना कितने कदम चलती हैं। इस क्रम में जो महिलाएं प्रतिदिन 6000 कदम से कम चलीं उन्हें कम सक्रिय और जो इतना या इससे ज्यादा चलीं उन्हें सक्रिय माना गया। इस अध्ययन में हिस्सा लेने वाली वैरोनिका कोलपानी ने बताया कि सक्रिय महिलाओं के मोटापे से ग्रस्त होने की आशंका भी कम रही।