शिव की जेब से भरे
गए 40 करोड़
(राजेश शर्मा)
भोपाल (साई)। कर्ज
लेकर न चुकाने की आदत से मजबूर निजी कंपनी की गारंटी लेना प्रदेश को भारी पड़ रहा
है। एस कुमार्स समूह की महेश्वर बिजली परियोजना को रियायत पर रियायत देने का
परिणाम यह हुआ कि अभी बिजली की एक यूनिट भी नहीं खरीदी गई, लेकिन मप्र बिजली
मैनेजमेंट कंपनी के खाते से 40 करोड़ रूपए निकाल लिए गए। यह राशि उस कर्ज
के एवज में है, जो एस
कुमार्स समूह ने हुडको और आरईसी से लिया, लेकिन चुकाया नहीं।
इस कर्ज के लिए 2005 में पीएफसी ने एस
कुमार्स को 400 करोड़ की
गारंटी, उस पर मप्र
सरकार ने काउंटर गारंटी और एमपीबीई ने एस्क्रो गारंटी दी थी। इसके मायने यह भी हुए
कि एस कुमार्स द्वारा कर्ज नहीं चुकाने पर एमपीबीई के खाते से कर्ज राशि सीधे
निकाल ली जाएगी। इसी के तहत बिजली कंपनी के रेवेन्यू अकाउंट से 40 करोड़ रूपए निकाले
गए।
एस कुमार्स समूह के
प्रवर्तक और संचालक विकास कासलीवाल, मुकुल कासलीवाल, केएन मोडक और एससी
दलाल के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने 24 जुलाई 2004 को एफआईआर दर्ज
की। सभी पर धारा 409
(अमानत में खयानत), 420 (धोखाधड़ी), 120-बी (आपराधिक साजिश)
के तहत मामले की जांच आज भी जारी है।
एफआईआर के अनुसार
मप्र राज्य वित्त विकास निगम द्वारा विभिन्न स्त्रोतों से लोन लेकर राशि एकत्रित
की गई। बिना कोई सावधानी बरते पक्षपातपूर्ण तरीके से एस कुमार्स सहित विभिन्न
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को इंटर कॉरपोरेट डिपाजिट के रूप में उधार दिया गया। इस
ऋण को वापस नहीं किया गया। इस प्रकार एमपीएसआईडीसी को आर्थिक क्षति पहुंची। वहीं
कंपनी ने अपने लिखित जवाब में बताया कि महेश्वर परियोजना से संबंधित किसी भी
अधिकारी या प्रमोटर के खिलाफ आर्थिक अनियमितता का कोई मामला दर्ज नहीं है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें