शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

शिंदे का सेमीफायनल है होम मिनिस्ट्री में


शिंदे का सेमीफायनल है होम मिनिस्ट्री में

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। आधे देश को अंधेरे में ढकेलने वाले केंद्रीय उर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे को उसी दिन पदोन्नत कर देश का सबसे महत्वपूर्ण गृह विभाग सौंप दिया गया है। भारी विरोध के बाद भी शिंदे ने अंततः गृह मंत्री की शपथ ली और अपने गृह सूबे महाराष्ट्र में वे पूणे में एक प्रोग्राम में शिरकत करने जा ही रहे थे कि सीरियल धमाकों से उनका स्वागत भी हो गया। माना जा रहा है कि वज़ीरे आज़म डॉ।मनमोहन सिंह के सक्सेसर के रूप में सुशील कुमार शिंदे को देखा जा रहा है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस जल्द ही दलितों को लुभाने के लिए अब दलित नेता सुशील कुमार शिंदे को अहम जिम्मेदारी से नवाजने जा रही है। सूत्रों ने कहा कि ग्रिड फेल होने के अपवाद को छोड़ दिया जाए तो शिंदे का कार्यकाल काफी हद तक निर्विवादित ही रहा है। सूत्रों की मानें तो शिंदे द्वारा अवंथा समूह के मालिक गौतम थापर के साथ उर्जा क्षेत्र में निभाई गई अपनी यारी से कांग्रेस के कुछ नेता खफा हैं जिसकी शिकायत सोनिया और राहुल से की जा चुकी हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि शिंदे की ताजपोशी गलत समय में की गई। दरअसल जब उनके नाम की घोषणा हुई उस वक्त आधा देश अंधेरे में डूबा हुआ था। ग्रिड फेल होने की जिम्मेदारी अंत तक शिंदे द्वारा नहीं ली गई। इसके उपरांत उनके गृह मंत्री बनते ही उनके गृह सूबेे में पुणे के सीरियल ब्लास्ट से उनका स्वागत होना भी चर्चित ही रहा है।
सूत्रों का कहना है कि आला नेताओं के साथ रायशुमारी के बाद यह निष्कर्श सामने आया कि पार्टी का दलित आधार और वोट बैंक बुरी तरह खिसल और रीत गया है। जो राहुल गांधी की ताजपोशी में सबसे बड़ा बाधक बनकर सामने आ रहा है। 80 लोकसभा सीटों को अपने में समेटने वाले यूपी में मायावती ने दलितों को अपने पक्ष में रिझाकर कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि संप्रग एक ने मनरेगा, कर्ज माफी, सूचना का अधिकार जैसे बड़े लोकलुभावन फैसलों की बैसाखी पर चुनाव जीता था, किन्तु यूपीए टू की झोली में घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार आदि के अलावा और कुछ भी नहीं है। यही कारण है कि आम कांग्रेसी का मनोबल गिरा हुआ है।
आज देश की हालत यह है कि आम आदमी का विश्वास प्रधानमंत्री डॉ।मनमोहन सिंह और उनकी टीम पर से पूरी तरह उठ ही चुका है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर भी आम आदमी द्वारा कांग्रेस का बुरी तरह मजाक उड़ाया जा रहा है। कांग्रेस की गिरती साख और पिटती भद्द के चलते उपजी परिस्थितियों में सोनिया शायद ही राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने का जोखिम उठाएं।
(क्रमशः जारी)

कमजोर मानसून की आशंका ने उड़ाई सरकार की नींद


कमजोर मानसून की आशंका ने उड़ाई सरकार की नींद

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश में इस वर्ष दक्षिण पश्चिमी मॉनसून की बारिश में कमी रहेगी। मौसम विभाग की ओर से कल घोषित मॉनसून के नए पूर्वानुमानों में यह बात कही गयी है। विशेषज्ञों ने इसे तीन साल बाद सूखे जैसे हालात होने का शुरूआती लक्षण बताया है। मौसम विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि अगस्त में मॉनसून के सामान्य रहने की संभावना है लेकिन सितम्बर में मध्य प्रशांत महासागर में तापमान बढ़ने से बारिश में कमी के आसार है।
प्रशांत महासागर में तापमान बढ़ने की स्थिति को अलनीनो कहा जाता है। ज्ञातव्य है कि जून-जुलाई में 19 प्रतिशत कम बारिश हुई। विशेषज्ञ इसकी तुलना 2002 या फिर उससे बदतर 1918 के सूखे से करने लगे हैं। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार 2002 में 19 प्रतिशत जबकि 1918 में 28 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी।
उधर, अहमदाबाद से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से जलपान पटेल ने बताया कि बारिश की कमी का सामना कर रहे चार राज्यों के दौरे के तहत कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में एक केंद्रीय दल गुजरात पहुंच गया है। इस दल में ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश भी शामिल हैं जो राज्य में बारिश की कमी और पानी के अभाव के असर का आंकलन करेंगे।
कल शाम अहमदाबाद पहुंचने के बाद श्री पवार ने कहा कि दल के सदस्य हालात का जायजा लेने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इस मंत्री समूह कें सदस्यों में वित्त, खाद्य, जल और ग्रामीण विकास मंत्री शामिल हैं। साई संवाददाता के अनुसार यह दल अतिरिक्त केंद्रीय धन मुहैय्घ्या कराने के राज्यों के अनुरोध पर भी विचार करेगा।
गुजरात पहुंचने के बाद केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार ने कहा कि केन्द्र की सबसे बड़ी प्राथमिकता सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पीने का पानी, पशुओं के लिए चारा और रोजगार की व्यवस्था करना है। कल शाम प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने श्री पवार से मिलकर राज्य को केन्द्रीय सहायता देने की मांग की थी, जबकि आज राज्य सरकार के साथ बैठक में अन्य चीजों के अलावा कृषि बीमा के जल भुगतान पर चर्चा हो सकती है। इस मॉनसून में गुजरात में अब तक सिर्फ बीस प्रतिशत बारिश हुई है, जबकि करीब साठ प्रतिशत क्षेत्र में बुआई हो सकती है। इसमें से भी बीस लाख हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्र में बुआई विफल रहने की आशंका है।
उधर, मॉनसून के बारे में इस साल अपनी भविष्यवाणियों के कारण चर्चा में आए मौसम विभाग का कहना है कि अगस्त में अच्छी बारिश होने के आसार हैं, लेकिन सितंबर में अल नीनो प्रभाव के कारण दिक्कत हो सकती है। मौसम विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साथ चर्चा के दौरान कहा कि अब तक के संकेतों से लग रहा है कि अगस्त में अच्छी बारिश होगी।
सूत्रों ने कहा कि इस साल अब तक मॉनसून की बारिश औसत से करीब 20 फीसदी कम हुई है। इसका असर खरीफ की कई फसलों की बुआई पर पड़ा है। राठौर ने कहा कि सितंबर में प्रशांत सागर के पानी का तापमान सामान्य से 0.5 से 0.7 डिसे तक ज्यादा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो अल नीनो प्रभाव के सक्रिय होने की आशंका पैदा हो जाएगी। इसका असर भारत में होने वाली बारिश पर पडे़गा। राठौर का कहना था कि इस आशंका के बारे में सरकार को पहले ही बता दिया गया था। मंगलवार को कृषि मंत्री शरद पवार ने इस बात से साफ इनकार किया था कि मौसम विभाग ने ऐसी कोई जानकारी सरकार को दी थी।

टियर टू शहरों में खुलेंगी ग्रामीण बैंकों की शाखाएं


टियर टू शहरों में खुलेंगी ग्रामीण बैंकों की शाखाएं

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय रिजर्व बैंक ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को टियर-टू शहरों में कुछ शर्तों के साथ बिना अनुमति के शाखाएं खोलने की अनुमति दे दी है। २००१ की जनगणना के अनुसार ५० हजार से ९९ हजार नौ सौ ९९ तक की जनसंख्या वाले शहर टियर-टू शहर माने जाते हैं । रिजर्व बैंक के इस फैसले से इन शहरों में बैंकिंग सेवाओं में बढ़ोतरी होगी।
रिजर्व बैंक ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को भी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक खोलने, उनका स्थान बदलने, विलय करने और शाखाऐं बदलने के आवेदनों पर फैसला करने का अधिकार दे दिया है। रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय अब ऐसे आवेदनों को संबधित अधिकार प्राप्त समितियों के पास भेजे बगैर फैसला ले सकते हैं।

सरकारी भूमि हस्तांतरण के नियम हुए सरल


सरकारी भूमि हस्तांतरण के नियम हुए सरल

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री ने सरकारी भूमि हस्तांतरण करने की नीतियों में ढील देने को स्वीकृति दे दी है। इससे निजी-सरकारी-साझेदारी की परियोजनाओं में तेजी आएगी। सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इससे सुनिश्चित होगा कि बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी परियोजनाओं पर प्रक्रियागत देरी का असर न पड़े। 
सरकारी भूमि के हस्तांतरण पर पिछले साल प्रतिबंध लगा दिया गया था। केवल एक सरकारी विभाग से दूसरे सरकारी विभाग को दी जाने वाली जमीन पर छूट दी गई थी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंत्रालयों से वैधानिक प्राधिकरणों या सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को हस्तांतरित की जाने वाली सभी जमीनों पर भी छूट दी गई है।

कहां गए पूर्व संघ प्रमुख!


कहां गए पूर्व संघ प्रमुख!

(श्वेता यादव)

बंग्लुरू (साई)। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के पूर्व प्रमुख केएस सुदर्शन मैसूर में गुरुवार सुबह घर से पांच बजकर 20 मिनट पर सैर के लिए निकले थे और उसके बाद से उनके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है। वह यहां अपने भाई से मिलने आए हुए थे। सूत्रों के अनुसार उनके साथ उनका अंगरक्षक भी नहीं था। सुदर्शन अपने साथ मोबाइल नहीं रखते थे, इसलिए उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है।
कहा जा रहा है कि सुदर्शन को पिछले कुछ अरसे से भूलने की बीमारी है और हो सकता है कि वह रास्ता भूल गए हों या किसी परिचित के पास गए हों। ज्ञातव्य है कि सुदर्शन साल 2000 से 2009 तक आरएसएस के प्रमुख रहे थे।

और, राधे मां को रातोंरात बना दिया गया महामंडलेश्वर


और, राधे मां को रातोंरात बना दिया गया महामंडलेश्वर

(अर्जुन कुमार)

हरिद्वार (साई)। निर्मल बाबा के बाद हाल ही में न्यूज चौनलों की सुर्खियां बटोरनेवाली राधे मां को हरिद्वार के जूना अखाड़े ने गुप्त रूप से रातोंरात महामंडलेश्वर बना दिया है। राधे मां यहां आयीं और समर्थकों के साथ रात में ही हरिद्वार से लौट भी गयीं, लेकिन किसी को पता तक नहीं चला। चर्चा है कि महामंडलेश्वर बनने के लिए राधे मां ने जूना अखाड़े को मोटी रकम दी है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राधे मां गुपचुप तरीके से मंगलवार की शाम मुंबई से हरिद्वार आयीं। उन्हें किसी बड़े होटल में ठहराया गया। रात करीब 10 बजे जूना अखाड़े में उन्हें अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर और प्रसिद्ध संत अवधेशानंद गिरि ने महामंडलेश्वर पद पर आसीन किया गया। इस अवसर पर जूना अखाड़े के सभापति सोहन गिरि, राष्ट्रीय महामंत्री विद्यानंद सरस्वती आदि उपस्थित थे। राधे मां अब प्रयाग कुंभ में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में भाग लेंगी।
बुधवार शाम तक जब सबको भनक लगनी शुरू हुई कि राधे मां महामंडलेश्वर बन गयी हैं, तब अखाड़े के संतों ने इसे स्वीकार किया। रात में गुपचुप तरीके से यह कार्य क्यों किया गया, पूछे जाने पर अखाड़े के महंतों ने बताया कि संन्यास परंपरा में रात में दीक्षा देने का विधान है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। कुंभ आदि पर ऐसा होता रहा है।

खुलने लगीं कोयला घोटाले की परतें


खुलने लगीं कोयला घोटाले की परतें

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। भारत के महालेखापरीक्षक की परफॉर्मेस ऑडिट ऑफ कोल ब्लॉक एलोकेसंसरिपोर्ट के अंश लीक होने के बाद जारी सीबीआइ जांच के दौरान कोयला घोटाले से जुड़ी कई अनकही व अनसुनी बातें सामने आ रही हैं। लीक ड्राफ्ट रिपोर्ट में 2004-2009 के बीच कोल ब्लॉक आवंटन से सरकारी खजाने को 10.67 लाख करोड़ रुपये की चपत लगने की बात कही गयी है।
कोयला मंत्रलय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी आफ इंडिया को बताया कि दस्तावेज बताते हैं कि 2005 से 2010 के बीच सरकार ने 150 कोल ब्लॉक के कैप्टिव यूज के आवेदन मंगाये। करीब 1400 कंपनियों ने आवेदन किया। इनमें 178 कंपनियों को कोल ब्लॉक आंवटित किये गये। कुछ ब्लॉकों को कई कंपनियों की साङोदारी में आवंटित किया गया। इस प्रक्रिया में मूल्य आधारित नीलामी नहीं हुई। आवंटन प्रक्रिया में खामियों का लाभ निजी कंपनियों ने खूब उठाया। दरअसल, कोयला मंत्रलय ने पहले विज्ञापन के जरिये कैप्टिव यूज के लिए कॉल ब्लॉक की उपलब्धता की जानकारी दी।
इसमें कहा गया कि मौजूदा समय में स्टील, सीमेंट, पावर आदि से जुड़ी जो कंपनियां क्षमता बढ़ाना चाहती हैं, वही आवेदन के योग्य होंगी। आवेदक कंपनियों ने तमाम आवश्यक कागजात के साथ आवेदन किये। इसके बाद आवेदनों को संबंधित विभागों और राज्य सरकारों को आवश्यक जांच के लिए भेजा गया। आवंटन के संबंध में फैसला कोयला सचिव की अध्यक्षतावाली स्क्रीनिंग कमेटी ने किया। कमेटी आवेदकों की पूंजी, पिछला रिकॉर्ड, कार्य की गति, तकनीकी अनुभव के अलावा विभागों और राज्य सरकारों की टिप्पणियों पर गौर किया।

मलेरिया के टीके के करीब पहुंचे वैज्ञानिक

मलेरिया के टीके के करीब पहुंचे वैज्ञानिक

(साई इंटरनेशनल डेस्क)

मेलबोर्न (साई)। आस्ट्रेलिया के शोधकर्ता मलेरिया का टीका विकसित करने के काफी नजदीक पहुंच गए हैं। इस बीमारी से लडने में यह बडी कामयाबी होगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि कीनिया में मलेरिया के शिकार वयस्को और बच्चों पर शोध के दौरान मलेरिया की रोकथाम के लिए प्रतिरक्षा तंत्र को विकसित किया गया।
यह मेलबर्न के बर्नेट इंस्टीट्यूट के एक दल ने शोध पाया कि पीएफईएमपी1’ नामक प्रोटीन भविष्य में कारगर टीका विकसित करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। ज्ञातव्य है कि दुनिया भर में हर साल मलेरिया से लाखों लोगों की मौत होती है। भारत में भी मलेरिया से मरने वालों की तादाद काफी अधिक है।

जूतों पर भगवान बुद्धसे बौद्ध समुदाय नाराज


जूतों पर भगवान बुद्धसे बौद्ध समुदाय नाराज

(अंकिता रायजादा)

न्यूयार्क (साई)। अमेरिकी में कैलीफोर्निया की एक कंपनी की ओर से जूतों पर भगवान बुद्ध की तस्वीरें दिखाने से यहां विवाद खडा हो गया है। बौद्ध समुदाय के लोगों ने बुद्ध के इस अपमान पर गुस्से का इजहार किया है। यहां रहने वाले तिब्बतियों और भूटानियों ने कंपनी आइकन शूजको पत्र लिखकर अपने गुस्से से अवगत कराया है। फेसबुक पर कंपनी के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। कंपनी की ओर से फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इंटरनेशनल कैंपेन फार तिब्बतनामक संगठन के भूचुंग सेरिंग ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। बुद्ध की बुनियादी परंपरा यही है कि बुद्ध की तस्वीरों को श्रद्धा से देखा जाता है। जूते में बुद्ध की तस्वीर बौद्ध लोगों का अपमान है।’’ तिब्बती नेता ने कंपनी को लिखे पत्र में कहा, ‘‘क्या आप इस पर विचार करेंगे और इस तस्वीर को हटाने की कृपा करेंगे।’’ तिब्बती संसद के उत्तरी अमेरिकी सदस्य ताशीह नामगयाल ने भी इस मामले को लेकर विरोध जताया है और कंपनी को पत्र लिखा है।

शिक्षक ने किया शिक्षा को कलंकित


शिक्षक ने किया शिक्षा को कलंकित

(विनीता विश्वकर्मा)

पुणे (साई)। गुरू-शिष्य के रिश्घ्ते को हमारे समाज में एक पवित्र रिश्ते के रूप में देखा जाता है। पर आज इस रिश्घ्ते को भी शर्मसार करने वाली घटना महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में देखने को मिली। जयसिंहपुरा तालुका के लक्ष्मीनारायण मालु हाई स्कूल के एक टीचर पर स्कूल की 8वीं क्लास की एक लड़की से गैंग रेप का आरोप लगा है। इस अपराध में उसके साथ स्कूल के 4 पूर्व छात्र भी शामिल थे।
स्कूल टीचर की इस हरकत से पर्दा तब उठा जब पीडित 13 साल की छात्रा ने अपने साथ ज्यादती का जिक्र माता-पिता से किया। परिवार की शिकायत के बाद पुलिस ने सोमवार को आरोपी टीचर देवीदास राउत को गिरफ्तार कर लिया है। गैंग रेप के आरोपी अन्य चार पूर्व छात्रों में से भी एक लड़का पुलिस की गिरफ्त में आ गया है।
पीडित लडकी ने यह भी खुलासा किया है कि देवीदास और उसके अन्य छात्रों ने मिलकर उसके साथ कई मौकों पर गैंग रेप किया। इस घटना के बाद कई एनजीओ और राजनीतिक पार्टीयों ने प्रींसिपल के साथ स्कूल प्रशासन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

फेसबुक पर ममता बनर्जी के एक लाख से ज्यादा फॉलोअर


फेसबुक पर ममता बनर्जी के एक लाख से ज्यादा फॉलोअर

(प्रतुल बनर्जी)

कोलकता (साई)। अलग अलग राजनीतिक दल और उनके नेता इंटरनेट पर अपनी पहुंच बनाने में लगे हुए हैं ऐसे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी को पीछे छोड दिया है और आज फेसबुक पर उनके आधिकारिक पन्ने पर फॉलोअरों की संख्या एक लाख के पार पहुंच गयी।
करीब डेढ महीने पहले ही ममता बनर्जी ने फेसबुक पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। हालांकि इससे पहले वह सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अपने उपर की गयी टिप्पणियों और कार्टूनों को लेकर नाराजगी भी जता चुकी हैं। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता डेरेक ओब्रायन ने कहा कि संचार के इस युग में हम संचार के सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए लोगों से जुडे रहना चाहते हैं।
इनमें नुक्कड सभाओं से लेकर पोस्टर, आयोजनों से लेकर इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया तक रहे हैं। और अब यह दायरा सोशल नेटवर्किंग मंचों तक पहुंच गया है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि ममता बनर्जी दफ्तर से घर लौटने के बाद हर रोज करीब आधा घंटा सोशल मीडिया वेबसाइटों पर खर्च करती हैं। अन्य नेता भी इंटरनेट पर अपनी पैंठ बनाने के प्रयास में लगे हैं लेकिन फिलहाल वे एक तरह से दीदी से बहुत पीछे हैं।

अंडर एचीवर ने रोके मंत्रियों के विदेश दौरे


अंडर एचीवर ने रोके मंत्रियों के विदेश दौरे

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। सर्वाधिक प्रसारित अमरिका की पत्रिका टाईम द्वारा भारत गणराज्य के वज़ीरे आज़म को अंडर एचीवर का खिताब देने की जानकारी शायद पीएमओ को पहले से ही थी। संभवतः यही कारण है कि पीएमओ ने विदेश यात्रा पर जाने वाले मंत्रियों के प्रस्तावों को अनुमति देने से इंकार कर दिया है।
पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विदेश दौरों के लिए भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इजाजत लेना केंद्रीय मंत्रियों के लिए लगातार मुश्किल होता जा रहा है। साल 2009 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने से लेकर अब तक वे 50 मंत्रियों के विदेश जाने के आवेदन ठुकरा चुके हैं।
सूत्रों की मानें तो लेकिन मनमोहन सिंह पीएम शुरू में इतने कठोर नहीं थे। दरअसल पहले कुछ महीनों तक तो वे लगभग सभी को इजाजत दे देते थे। विदेश दौरों के लिए भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इजाजत लेना केंद्रीय मंत्रियों के लिए लगातार मुश्किल होता जा रहा है। साल 2009 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने से लेकर अब तक वे 50 मंत्रियों के विदेश जाने के आवेदन ठुकरा चुके हैं।
सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री की मंत्रियों को इजाजत देने में सख्ती बरतने का कारण कटौती है हालांकि वो अनुमति की मांग को खारिज करते हुए इस शब्द का स्पष्ट तरीके से इस्तेमाल कम ही करते हैं। अधिकतर मामलों में वे मंत्री को बस यही लिखते हैं कि प्रधानमंत्री जरूरी नहीं समझते कि मंत्री इस विदेश यात्रा पर जाएं।
कई मामलों में वे मंत्रियों से दौरा रद्द करने को भी कहते हैं। और कई बार तो टेलीफोन पर ही प्रधानमंत्री की अनुमति न देने की बात कह दी जाती है। मिसाल के तौर पर अप्रैल में जब पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयंती नटराजन ने स्वीडन जाने की अनुमति मांगी तो उनके यह कहा गया कि प्रधानमंत्री समझते हैं कि मंत्री को यह दौरा नहीं करना चाहिए। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद इस साल जिनेवा, स्विटजरलैंड जाना चाहते थे लेकिन उनसे कहा गया कि प्रधानमंत्री को लगता है कि दौरा करने की कोई जरूरत नहीं है।
वो मंत्री जिनकी गुजारिश नहीं मानी गई उनमें प्रवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री व्यालार रवि, श्रम एवं रोजगार मल्लिकार्जुन खड़गे, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री तुषार ए. चौधरी, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल और बिजली मंत्री का कार्यभार संभालकर अभी ही गृह मंत्री बने सुशील कुमार शिंदे शामिल हैं।

टीम अन्ना का सीआईए से रिश्ता खोज रही है सरकार


टीम अन्ना का सीआईए से रिश्ता खोज रही है सरकार

(शेषनारायण सिंह)

नई दिल्ली (साई)।केन्द्र की सरकार इस वक्त टीम अन्ना का सीआईए कनेक्शन तलाश रही है। ऐसा वह अपनी मर्जी से नहीं कर रही है बल्कि 30 मई को दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के जवाब में उसे यह काम करना पड़ रहा है क्योंकि 30 अगस्त तक केन्द्रीय गृहमंत्रालय को अपना जवाब दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपना है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा द्वारा दाखिल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि टीम अन्ना के तार सीआईए से जुड़े हुए हैं और भारत में भ्रष्टाचार भगाने की सारी मुहिम सीआईए की योजना अनुसार चलाई जा रही है। जनहित याचिका दाखिल करनेवाले वकील ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि भ्रष्टाचार भगाने की यह मुहिम फोर्ड फाउण्डेशन के पैसे से चल रही है जो कि अमेरिकी खुफिया एजंसी सीआईए का फ्रंट आर्गेनाइजेशन है और दुनिया के कुछ देशों से सिविल सोसायटी नाम से मुहिम चला रही है।
इस पेटीशन में वादी ने बहुत सारे आरोप लगाए हैं जिनमें कुछ तो सहसा अविश्वसनीय लगते हैं। इसी पेटीशन में आरोप है कि टीम अन्ना के कुछ सदस्य सीआईए से सम्बंधित हैं। इस केस में केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाया गया है। 30 मई 2012 को हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर सभी आरोपों की जांच पूरी कर ले। उसके बाद ही मनोहर लाल शर्मा के आरोपों पर माननीय हाई कोर्ट विचार करेगा। ३० अगस्त २०१२ तक जांच के नतीजे हाईकोर्ट में दाखिल किये जाने हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने ३० मई २०१२ के  दिन एक फैसला सुनाया था जिसमें आदेश दिया गया था कि केंद्र सरकार वादी मनोहर लाल शर्मा की याचिका में पेश किये गए आरोपों की जांच करे। इस केस में केंद्र सरकार को प्रतिवादी नंबर  एक पर रखा गया है। केंद्र सरकार के अलावा जो अन्य लोग प्रतिवादी थे  उनके नाम हैं, फोर्ड फाउंडेशन, अन्ना हजारे, मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, शान्ति भूषण और किरण बेदी। माननीय हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पेटीशन में जो भी प्रार्थना की गयी है, उसकी जांच प्रतिवादी नंबर एक (गृह मंत्रालय), अधिक से अधिक तीन महीने में पूरी करके इस अदालत के सामने हाज़िर हों। उसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा। सरकार को जांच करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था।
संविधान के अनुच्छेद २२६ के तहत सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने पी आई एल दाखिल किया था जिसमें भारत सरकार के अलावा टीम अन्ना के कुछ सदस्यों को पार्टी बनाया था। पेटीशन में आरोप लगाया गया है कि फोर्ड फाउंडेशन एक अमरीकन ट्रस्ट है  जो दुनिया भर में सरकार विरोधी आन्दोलनों को समर्थन देता है, फंड देता है और उनके मारफत उन देशों पर अपना एजेंडा लागू करता है। फोर्ड फाउंडेशन ने रूस, इजरायल, अफ्रीका आदि देशों में सिविल सोसाइटी नाम के ग्रुप बना रखे हैं। इनके ज़रिये वे बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, कलाकारों, उद्योगपतियों और नेताओं को अपनी तरफ खींचते हैं। तरह तरह के आकर्षक नारे देकर लोगों को आकर्षित करते हैं और सरकार के खिलाफ आन्दोलन करवाते हैं।
पिटीशन में आरोप लगाया गया है कि फोर्ड फाउंडेशन अमरीकी खुफिया एजेंसी सी आई ए का फ्रंट भी है। पेटीशन में लिखा है कि टीम अन्ना के लोग संयुक्त रूप से फोर्ड फाउंडेशन  से धन लेते रहे हैं,आरोप है कि फोर्ड फाउंडेशन के रीजनल डाइरेक्टर ने कुबूल किया है कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल की श्कबीरश् नाम की एनजीओ को फंड दिया था। फोर्ड फाउंडेशन के वेबसाईट से भी पता चलता है कि २०११ में ही फोर्ड फाउंडेशन ने कबीर को दो लाख अमरीकी डालर दिया था। साथ में सबूत भी पेटीशन के साथ नत्थी है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि एफसीआरए एक्ट के तहत विदेशी पूंजी पाने के लिए भारत सरकार की अनुमति लेना जरूरी होता है लेकिन फोर्ड फाउण्डेशन से पैसा लेने के मामले में टीम अन्ना ने किसी नियम का पालन नहीं किया जिसके दोषी पाये जाने पर टीम अन्ना के सदस्यों को अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है।
इसके साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि भारत के संविधान की धारा 19 (ए) के तहत प्रावधान है कि देश में ऐसी किसी भी गतिविधि को मान्यता नहीं दी जा सकती जो विदेशी पैसे से संचालित होता हो। इसलिए अन्ना का आंदोलन सीधे सीधे संविधान की धारा 19 (ए) का उल्लंघन है क्योंकि खुद अरविन्द केजरीवाल यह स्वीकार कर चुके हैं कि उन्हें फोर्ड फाउण्डेशन, डच एम्बेसी और यूएनडीपी से पैसा लिया है। अब सरकार के जवाब के बाद ही तय होगा कि टीम अन्ना का फोर्ड फाउण्डेशन के रास्ते सीआईए से कोई रिश्ता है या नहीं। बहरहाल, सरकार के लिए यह स्थिति कम दुविधापूर्ण नहीं है। क्योंकि अगर वे अन्ना के आंदोलन को कमजोर करने के लिए सच्चाई स्वीकार कर लेते हैं तो अमेरिका नाराज होता है और अगर वे इंकार कर देते हैं तो निश्चित रूप से अन्ना और उनके साथियों का मनोबल बढ़ जाएगा।

असम के इस्लामीकरण की खतरनाक चेतावनी


असम के इस्लामीकरण की खतरनाक चेतावनी

(नवनीत / विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। भारत के उत्तर-पूर्व का राज्य असम अपने यहां हो रहे हिंसा के वजह से सुर्खियों में है। असम में जो आग जल रही है वह महाविनाश के पहले की चेतावनी की तरह है कि अगर अभी भी हम नहीं सभलें तो एक दिन यह समस्या असम को ले डूबेगी। असम के निचले जिले कोकराझाड़ से जो हिंसा शुरु हुई थी वह फैलकर पास के चिरांग और धुबड़ी जिले में पहुंच गई। असम सरकार की माने तो यह जातीय हिंसा मुस्लिम और बोडो जनजाति के बीच चल रही है। लेकिन असलियत में यह संघर्ष असमी मुस्लिम के साथ नहीं अपितु बोडो जनजाति और असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के बीच चल रही है।
ये बांग्लादेशी घुसपैठिये एक व्यापक साजिश के तहत धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से भारत के विभिन्न हिस्सों विशेषकर उत्तर-पूर्व में अपनी तादात बढाते जा रहे है। हमारे देश का यह दुर्भाग्य है कि राजनीतिक गलियारे में इन्हें वोट बैंक के रुप देखा जाता है। इसके बारे केन्द्र सरकार व राज्य सरकार दोनों ही भलिभाति अवगत है लेकिन वोट बैंक व तुष्टीकरण के राजनीति के कारण वह हमेशा से इस पर परदा डालते आ रहे है लेकिन हालीया संर्घष ने असम में चल रही व्यपाक साजिश का चहेरा सभी के सामने रख दिया है।
दरअसल, बांग्लादेशी घुसपैठिए बड़े पैमाने पर असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, नागालैंड, दिल्ली और जम्मू कश्मीर तक लगातार फैलते जा रहे हैं। जिनके कारण जनसंख्या असंतुलन बढ़ा है। सबसे गंभीर स्थिति यह है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों का इस्तेमाल आतंक की बेल के रूप में हो रहा है, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और कट्टरपंथियों के निर्देश पर बड़े पैमाने पर हुई बांग्लादेशी घुसपैठ का लक्ष्य ग्रेटर बांग्लादेश का निर्माण करना है साथ भारत के अन्य हिस्सों में आतंकी घटनाओ को अंजाम देने के लिए भी इनका प्रयोग किया जा रहा है जिसके लिए भारत के सामाजिक ढांचे का नुकसान व आर्थिक संसाधनों का इस्तेमाल हो रहा है। दैनिक जागरण में छपे खबर के अनुसार सीमा सुरक्षा बल के पूर्व डीआइजी बरोदा शरण शर्मा इन घुसपैठियों को आने वाले समय की बड़ी समस्या मानते हैं। शर्मा सेवाकाल में लंबे समय तक बांग्लादेश सीमा पर तैनात रह चुके हैं।
हिन्दुस्तान सरकार के बोर्डर मैनेजमेण्ट टास्क फोर्स की वर्ष कि 2000 रिपोर्ट के अनुसार 15 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार हिन्दुस्तान में बांग्लादेशी मुसलमानों घुसपैठीयों की संख्या इस प्रकार है रू पश्चिम बंगाल 54 लाख, असम 40 लाख, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि में 5-5 लाख से ज्यादा दिल्ली में 3 लाख हैं; मगर वर्त्तमान आकलनों के अनुसार हिन्दुस्तान में करीब 3 करोड़ बांग्लादेशी मुसलमानों घुसपैठिए हैं जिसमें से 50 लाख असम में हो सकते है।
असम में जिन तीन जिलों में यह संघर्ष चल रहा है तो अगर उन जिलो के जनगणना विशलेषण पर एक नंजर डाले तो स्थिती अपने आप ही साफ हो जाती है। सबसे पहले कोकड़ाझाड जिले पर नंजर डाले 2001-2011 में यहां जनसंख्या मे वृद्धि दर 519ः रही और 2001 के जनगणना के अनुसार इस जिले में  मुस्लिमों की संख्या बढकर लगभग 20ः हो गई है। अगर हम असम मुस्लिम जनंसख्या में वृद्धि दर को देखे तो बंग्लादेश से सटे जिलो में यह सबसे अधिक है जिसके पिछे बंग्लादेशी घुसपैठ मुख्य कारण है। धुबड़ी जिला भी बंग्लादेश के सीमा से सटा हुआ है। 1971 में यहां मुस्लिम जनसंख्या 6446ः थी जो 1991 में बढकर 7045ः हो गई, 2001 के जनगणना के अनुसार बढकर लगभग 75ः हो गई। कमोबेश यही हाल 2004 में बने चिरांग जिले का भी है।  जनसंख्या के बढोतरी का अनुपात देखकर यह साफ प्रतीत होता है कि यह जनसंख्या में सहज हुई वृद्दी नहीं है अपितु यह बंग्लादेश से आये घुसपैठियों  का नतींजा है।
असम इन देश द्रोही तत्वो के लिए के लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योकिं अगर किसी प्रकार से असम पर ये अपना प्रभुत्व स्थापित कर लेते है बाकि उत्तर-पर्व के राज्यों को भारत से अलग किया जा सकता है, असम ही जो उत्तर-पर्व को शेष भारत से जोड़ता है। यहां जरुत है कि हम इस मुद्दो को वोट बैंक के लिए घर्म का चादर न उढाये। यहां विरोध मुस्लमानो से नहीं है लेकिन वोट बैंक की राजनीती के चलते जब भी इस ओर कोई आवाज उठायी जाती है इसे सांप्रदायिकता के रंग में रंग दिया जाता है। बांग्लादेशी घुसपैठ मुस्लमानों के लिए ज्यादा नुकसान देह है इनसे जो जनसंख्या में भारी असंतुलन हो रहा है उससे  बेरोजगारी की समस्या उत्पन हो रही है इसके अलावा  जो सुविधायें हमारी सरकार हमारे अपल्संख्यों को देती है वह उसमें में भी वह धीरे- धीरे हिस्सेदार बनते जा रहे है।

पंचायत ने नाबालिग से रेप की कीमत एक लाख लगाई


पंचायत ने नाबालिग से रेप की कीमत एक लाख लगाई

(सीमा श्रीवास्तव)

गोरखपुर (साई)। शर्मसार कर देने वाली एक घटना में एक नाबालिग लड़की सुमन (बदला हुआ नाम) से गांव के एक अधेड़ आदमी पन्ना लाल ने कई बार रेप किया। जब सुमन प्रेगनेंट हो गई तो पंचायत ने पन्ना लाल से 1 लाख रुपए दिलवाकर मामले को रफा-दफा करना चाहा। लड़की के पिता ने पुलिस केस किया तो आरोपी फरार हो गया।
14 साल की सुमन की मां बचपन में ही गुजर गई थी। पिता कमाने के लिए दिल्ली चले गए। सुमन गांव में अपने बाबा के साथ रहती थी। जब सुमन का पेट बढ़ने लगा तो इस मामले का खुलासा हुआ। सुमन ने गांव की महिलाओं को पूरा मामला बताया। सुमन के पड़ोस में 45 साल का पन्ना लाल अपने परिवार के साथ रहता है। पन्ना अक्सर उसे बुलाकर खाने-पीने की चीज देता था। सुमन ने बताया कि 6 महीने पहले पन्ना लाल ने उसके साथ रेप किया और यह बात किसी से न कहने की धमकी भी दी। उसके बाद से लगातार वह उसके साथ रेप करता रहा।
मामले का खुलासा हुआ तो सुमन के बाबा पुलिस के पास गए लेकिन पुलिस ने गांव में ही मामला निपटाने की सलाह दी। गांव में पंचायत ने पन्ना लाल को एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके लिए पन्ना लाल भी तैयार हो गया लेकिन तभी सुमन के पिता मौके पर पहुंच गए। पंचायत का फैसला न मानते हुए वह थाने गए। गोला पुलिस ने पन्ना लाल के खिलाफ रेप का केस दर्ज कर लिया। केस दर्ज होने के साथ ही आरोपी गांव से भाग निकला।

अब तत्काल का वेटिंग टिकट भी होगा कंफर्म


अब तत्काल का वेटिंग टिकट भी होगा कंफर्म

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। क्या आप रेल से सफर करने वाले हैं? अगर हां तो इस खबर को जरूर पढें क्योंकि सरकार ने तत्काल में टिकट लेने वालों को एक और सुविधा देने का मन बना लिया है। रेलवे कुछ ऐसी गाड़ियां चुन रहा है जिनमें यात्री यदि तत्काल का वेटिंग टिकट लेंगे तो उनकी बर्थ 100 फीसदी कन्फर्म होगी। बहुत ज्यादा वेटिंग होने पर आधे-एक घंटे में स्पेशल ट्रेन चलाएंगे।
यह बात मुंबई में हुई जोनल रेल उपयोगकर्ता सलाहकार समिति (जेडआरयूसीसी) की बैठक में महाप्रबंधक महेश कुमार और अन्य अधिकारियों ने कही। इसमें बताया गया कि पश्चिम रेलवे इंदौर-अजमेर ट्रेन को पूरी क्षमता से चलाने का प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेजेगा। फिलहाल यह ट्रेन सिर्फ सात कोच से चल रही है और उज्जैन में भोपाल-अजमेर ट्रेन से जुड़कर अजमेर जाती है।

17 रुपये से कम पर जीते हैं 10 फीसदी लोग


17 रुपये से कम पर जीते हैं 10 फीसदी लोग

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। सुधारों के दो दशक और वृद्धि का लाभ निचले तबके तक पहुंचाने के जोर शोर से किये जा रहे प्रचार प्रसार के बावजूद लगता है ग्रामीण भारत की तसवीर नहीं बदली है। यहां आज भी 10 फीसदी आबादी रोजाना 17 रुपये से कम पर गुजर-बसर को मजबूर है।
औसत मासिक खर्च 503.49 रुपये आंका गया है। वित्त वर्ष 2011-12 के लिए पारिवारिक उपभोक्ता खर्च से जुड़े सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक ग्रामीण भारत की 10 फीसदी सबसे गरीब आबादी का औसत प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 50349 रुपये है। इस लिहाज से ग्रामीण भारत की इस 10 फीसदी आबादी का दैनिक खर्च 17 रुपये से भी कम बैठता है।
शहर में मासिक खर्च 702.26 रुपये आंका गया है। शहरी गरीबों की हालत उनसे कुछ ही बेहतर है। शहरी गरीबों का प्रति व्यक्ति दैनिक खर्च 23.40 रुपये आंका गया है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के जुलाई 2011 से जून 2012 की अवधि के दौरान किये गये 68वें दौर के सर्वेक्षण के मुताबिक सबसे गरीब 10 फीसदी शहरी आबादी का औसत प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 702.26 रुपये है।
इससे पहले योजना आयोग ने 2009 से 11 की अवधि के लिए मार्च में जारी अपनी रिपोर्ट में शहरी क्षेत्र के गरीबों के लिये प्रति व्यक्ति 28.65 रुपये की दैनिक खर्च सीमा बतायी और ग्रामीण क्षेत्रों में 22.42 रुपये प्रतिव्यक्ति दैनिक खर्च को गरीबी की सीमा रेखा बताया था। बहरहाल, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सबसे गरीब 10 प्रतिशत आबादी का औसत दैनिक खर्च इस सीमा से काफी नीचे है। रिपोर्ट में कहा गया कि शहरी इलाकों में 70 फीसदी आबादी करीब 43.16 रुपये प्रति दिन व्यय करती है।
एक आंकलन के अनुसार 20 प्रतिशत का खर्च सौ रुपये से ज्यादा है। जनसंख्या की 20 फीसदी आबादी ऐसी भी है जो कि प्रतिदिन 100 रुपये से ज्यादा खर्च करती है। ग्रामीण इलाकांे की आधी आबादी रोजाना 34.33 रुपये प्रति व्यक्ति पर गुजर बसर करती है। सर्वेक्षण के अनुसार ग्रामीण इलाकों में आधी आबादी ऐसे परिवारों से जुड़ी है जहां मासिक प्रति व्यक्ति खर्च 1,030 रुपये से कम है जबकि 40 फीसदी ग्रामीण आबादी का मासिक खर्च 922 रुपये प्रति व्यक्ति से कम है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के सर्वेक्षण का यह अनंतिम नतीजा है और यह 7,391 गांवों के 59,070 परिवारों और 5,223 शहरी ब्लॉक के 41,602 परिवारों के सर्वेक्षण पर आधारित है।

बेटियों को स्कूल भिजवाओ, ईनाम पाओ


बेटियों को स्कूल भिजवाओ, ईनाम पाओ

(अनेशा वर्मा)

फरीदाबाद (साई)। हरियाणा सरकार ने नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक नयी पहल की है। अब बेटियों को पढ़ाने वाली पंचायतों को पुरस्कृत किया जाएगा। इनाम भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि पूरे एक लाख रु पये का मिलेगा। हरियाणा सरकार ने नारी शिक्षा और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीइ) को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह कवायद शुरू की है।
पिछले दिनों शिक्षा विभाग की ओर से कराये गए हाउस होल्ड (घरेलू) सर्वे में यह बात सामने आयी कि अब भी बहुत से गांवों में जहां लड़कियों की शिक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। ऐसे गांवों में लड़कियों की शिक्षा के लिए पंचायतों की जिम्मेदारी तय करते हुए प्रदेश सरकार ने पंचायतों को इनाम देने का फैसला किया है ताकि लड़कियों के मामले में किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। जिला शिक्षा अधिकारी (डीइओ) डॉ मनोज कौशिक ने बताया कि आरटीइ के तहत 6 से 14 साल तक के बच्चों की शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। इसी कड़ी में लड़कियों की शिक्षा पर खास जोर दिया जा रहा है। यही कारण है कि सरकार नयी-नयी योजनाओं के तहत बालिका शिक्षा पर पूरा ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि हाउस होल्ड सर्वे में अभी तक की रिपोर्ट में कई गांव ऐसे हैं जहां शत-प्रतिशत लड़कियां शिक्षित नहीं हैं।
गांवों में बड़ी संख्या में आज भी लड़कियां शिक्षा से वंचित हैं। लिहाजा लड़कियों की शिक्षा के लिए पंचायतों की जिम्मेदारी तय की गयी है। गांव में 6 से 14 साल तक की लड़कियां शत-प्रतिशत शिक्षित मिलने पर उस पंचायत को एक लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। लड़कियों की शिक्षा के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए सरकार ने पंचायतों को एक लाख रु पये देने की घोषणा की है।
गांवों में चलाया जाएगा अभियान रू इस बाबत पंचायतों को जागरूक करने के लिए गांवों में विशेष अभियान भी चलाया जाएगा। डीइओ ने बताया कि प्रदेश के दूसरे जिलों की अपेक्षा गुड़गांव की स्थिति इस मामले में ठीकठाक है। सर्वे की रिपोर्ट अभी एकत्रित नहीं की गयी है। रिपोर्ट एकत्रित करने के बाद इसे जारी किया जाएगा। रिपोर्ट के बाद गांवों में बालिका शिक्षा के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग की ओर से अभियान चलाया जाएगा।

किन्नरों को प्रतिमाह एक हजार रूपये पेंशन


किन्नरों को प्रतिमाह एक हजार रूपये पेंशन

(प्रीति सक्सेना)

चेन्नई (साई)। किन्नर समुदाय से जुडने की कोशिश के तहत तमिलनाडु सरकार ने एक योजना की घोषणा की कि जिसके तहत उन्हें प्रतिमाह एक हजार रूपये का भत्ता दिया जायेगा। मुख्यमंत्री जे जयललिता द्वारा प्रस्तावित किन्नर पेंशन योजनाके मुताबिक चालीस से अधिक उम्र के गरीब किन्नरों को हर माह एक हजार रूपये पेंशन दी जायेगी।
एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने इस उद्देश्य के लिये 1.17 करोड रूपये आवंटित किये हैं। राज्य के 54 हजार आंगनवाडी केंद्रों को धुंआ मुक्तबनाने के लिये सरकार इस दिशा में योजना का दूसरा चरण शुरु करेगी जिस पर तीन करोड 20 लाख रुपये का खर्चा आयेगा।

शराब का ख्याल मात्र ही आपको बनायेगा आकर्षक


शराब का ख्याल मात्र ही आपको बनायेगा आकर्षक

(निधि श्रीवास्तव)

लंदन (साई)। अब न सिर्फ शराब, बल्कि उसका ख्याल ही आपको पहले से ज्यादा आकर्षक महसूस करने में मदद कर सकता है। फ्रांसीसी, अमेरिकी और नीदरलैंड के शोधकर्ताओं का मानना है कि ग्लैमरस सितारों को शराब पीते हुये देखने से हम भी खुद को आकर्षक मानने लगते हैं।
शोध के दौरान एक बार में 19 पुरुषों और महिलाओं से खुद को आकर्षक महसूस करने के बारे में पूछताछ की गयी। डेली मेल के अनुसार, पूछताछ में पाया गया कि जिन्होंने ज्यादा नशा कर रखा था वे ही खुद को ज्यादा आकर्षक महसूस कर रहे थे।
अगले शोध में पाया गया कि सिर्फ शराब का ख्याल ही लोगों को खुद के बारे में ज्यादा आकर्षक महसूस करा सकता है। इसमें कुछ लोगों को बताया गया कि उन्हें जो पेय पदार्थ दिया गया है उसमें मादक पदार्थ शामिल हैं। इसके बाद पाया गया कि जिन लोगों को यह झूठ बताया गया था वह खुद को ज्यादा आकर्षक महसूस कर रहे थे। इस शोध को जर्नल ऑफ इंडिविजियुअल डिफरेंसेजमें प्रकाशित किया गया है।

करौंदा: एक अनोखा फ़ल

हर्बल खजाना ----------------- 7

करौंदा: एक अनोखा फ़ल

(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। जंगलों, खेत खलियानों के आस-पास कँटली झाडियों के रूप में करौंदा प्रचुरता से उगता हुआ पाया जाता है, हलाँकि करोंदा के पेड़ पहाड़ी भागों में अधिक पाए जाते है। इसके पेड़ कांटेदार और 6 से 7 फुट ऊंचे होते हैं। करौंदे के फ़लों में लौह तत्व और विटामिन सी प्रचुरता से पाए जाते है।
आम घरों में करौंदा सब्जी, चटनी, मुरब्बे और अ़चार के लिए प्रचलित है। करौंदे का वानस्पतिक नाम कैरिस्सा कंजेस्टा है। पातालकोट में आदिवासी करौंदा की जडों को पानी के साथ कुचलकर बुखार होने पर शरीर पर लेपित करते है और गर्मियों में लू लगने और दस्त या डायरिया होने पर इसके फ़लों का जूस तैयार कर पिलाया जाता है, तुरंत आराम मिलता है।
फ़लों के चूर्ण के सेवन से पेट दर्द में आराम मिलता है। करोंदा भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है, प्यास रोकता है और दस्त को बंद करता है। सूखी खाँसी होने पर करौंदा की पत्तियों के रस सेवन लाभकारी होता है।
खट्टी डकार और अम्ल पित्त की शिकायत होने पर करौंदे के फ़लों का चूर्ण काफ़ी फ़ायदा करता है, आदिवासियों के अनुसार यह चूर्ण भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है। करोंदा के फल खाने से मसूढ़ों से खून निकलना ठीक होता है, दाँत भी मजबूत होते हैं। फ़लों से सेवन रक्त अल्पता में भी फ़ायदा मिलता है। (साई फीचर्स)

(लेखक हर्बल मामलों के जाने माने विशेषज्ञ हैं)