कमजोर मानसून की
आशंका ने उड़ाई सरकार की नींद
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
देश में इस वर्ष दक्षिण पश्चिमी मॉनसून की बारिश में कमी रहेगी। मौसम विभाग की ओर
से कल घोषित मॉनसून के नए पूर्वानुमानों में यह बात कही गयी है। विशेषज्ञों ने इसे
तीन साल बाद सूखे जैसे हालात होने का शुरूआती लक्षण बताया है। मौसम विभाग के
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि अगस्त में मॉनसून के
सामान्य रहने की संभावना है लेकिन सितम्बर में मध्य प्रशांत महासागर में तापमान
बढ़ने से बारिश में कमी के आसार है।
प्रशांत महासागर
में तापमान बढ़ने की स्थिति को अलनीनो कहा जाता है। ज्ञातव्य है कि जून-जुलाई में 19 प्रतिशत कम बारिश
हुई। विशेषज्ञ इसकी तुलना 2002 या फिर उससे बदतर 1918 के सूखे से करने
लगे हैं। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार 2002 में 19 प्रतिशत जबकि 1918 में 28 प्रतिशत कम वर्षा
हुई थी।
उधर, अहमदाबाद से समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से जलपान पटेल ने बताया कि बारिश की कमी का सामना कर
रहे चार राज्यों के दौरे के तहत कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में एक
केंद्रीय दल गुजरात पहुंच गया है। इस दल में ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश भी
शामिल हैं जो राज्य में बारिश की कमी और पानी के अभाव के असर का आंकलन करेंगे।
कल शाम अहमदाबाद
पहुंचने के बाद श्री पवार ने कहा कि दल के सदस्य हालात का जायजा लेने के लिए
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इस
मंत्री समूह कें सदस्यों में वित्त, खाद्य, जल और ग्रामीण विकास मंत्री शामिल हैं। साई
संवाददाता के अनुसार यह दल अतिरिक्त केंद्रीय धन मुहैय्घ्या कराने के राज्यों के
अनुरोध पर भी विचार करेगा।
गुजरात पहुंचने के
बाद केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार ने कहा कि केन्द्र की सबसे बड़ी
प्राथमिकता सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पीने का पानी, पशुओं के लिए चारा
और रोजगार की व्यवस्था करना है। कल शाम प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने श्री पवार से
मिलकर राज्य को केन्द्रीय सहायता देने की मांग की थी, जबकि आज राज्य
सरकार के साथ बैठक में अन्य चीजों के अलावा कृषि बीमा के जल भुगतान पर चर्चा हो
सकती है। इस मॉनसून में गुजरात में अब तक सिर्फ बीस प्रतिशत बारिश हुई है, जबकि करीब साठ
प्रतिशत क्षेत्र में बुआई हो सकती है। इसमें से भी बीस लाख हेक्टेयर से भी अधिक
क्षेत्र में बुआई विफल रहने की आशंका है।
उधर, मॉनसून के बारे में
इस साल अपनी भविष्यवाणियों के कारण चर्चा में आए मौसम विभाग का कहना है कि अगस्त
में अच्छी बारिश होने के आसार हैं, लेकिन सितंबर में अल नीनो प्रभाव के कारण
दिक्कत हो सकती है। मौसम विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साथ
चर्चा के दौरान कहा कि अब तक के संकेतों से लग रहा है कि अगस्त में अच्छी बारिश
होगी।
सूत्रों ने कहा कि
इस साल अब तक मॉनसून की बारिश औसत से करीब 20 फीसदी कम हुई है। इसका असर खरीफ की कई
फसलों की बुआई पर पड़ा है। राठौर ने कहा कि सितंबर में प्रशांत सागर के पानी का
तापमान सामान्य से 0.5 से 0.7 डिसे तक ज्यादा हो
सकता है।
उन्होंने कहा कि
ऐसा हुआ तो अल नीनो प्रभाव के सक्रिय होने की आशंका पैदा हो जाएगी। इसका असर भारत
में होने वाली बारिश पर पडे़गा। राठौर का कहना था कि इस आशंका के बारे में सरकार
को पहले ही बता दिया गया था। मंगलवार को कृषि मंत्री शरद पवार ने इस बात से साफ
इनकार किया था कि मौसम विभाग ने ऐसी कोई जानकारी सरकार को दी थी।
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