शिंदे का सेमीफायनल
है होम मिनिस्ट्री में
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
आधे देश को अंधेरे में ढकेलने वाले केंद्रीय उर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे को
उसी दिन पदोन्नत कर देश का सबसे महत्वपूर्ण गृह विभाग सौंप दिया गया है। भारी
विरोध के बाद भी शिंदे ने अंततः गृह मंत्री की शपथ ली और अपने गृह सूबे महाराष्ट्र
में वे पूणे में एक प्रोग्राम में शिरकत करने जा ही रहे थे कि सीरियल धमाकों से
उनका स्वागत भी हो गया। माना जा रहा है कि वज़ीरे आज़म डॉ।मनमोहन सिंह के सक्सेसर के
रूप में सुशील कुमार शिंदे को देखा जा रहा है।
कांग्रेस के सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को
आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस जल्द ही दलितों
को लुभाने के लिए अब दलित नेता सुशील कुमार शिंदे को अहम जिम्मेदारी से नवाजने जा
रही है। सूत्रों ने कहा कि ग्रिड फेल होने के अपवाद को छोड़ दिया जाए तो शिंदे का
कार्यकाल काफी हद तक निर्विवादित ही रहा है। सूत्रों की मानें तो शिंदे द्वारा
अवंथा समूह के मालिक गौतम थापर के साथ उर्जा क्षेत्र में निभाई गई अपनी यारी से
कांग्रेस के कुछ नेता खफा हैं जिसकी शिकायत सोनिया और राहुल से की जा चुकी हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष
के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि शिंदे की ताजपोशी गलत
समय में की गई। दरअसल जब उनके नाम की घोषणा हुई उस वक्त आधा देश अंधेरे में डूबा
हुआ था। ग्रिड फेल होने की जिम्मेदारी अंत तक शिंदे द्वारा नहीं ली गई। इसके
उपरांत उनके गृह मंत्री बनते ही उनके गृह सूबेे में पुणे के सीरियल ब्लास्ट से
उनका स्वागत होना भी चर्चित ही रहा है।
सूत्रों का कहना है
कि आला नेताओं के साथ रायशुमारी के बाद यह निष्कर्श सामने आया कि पार्टी का दलित
आधार और वोट बैंक बुरी तरह खिसल और रीत गया है। जो राहुल गांधी की ताजपोशी में
सबसे बड़ा बाधक बनकर सामने आ रहा है। 80 लोकसभा सीटों को अपने में समेटने वाले यूपी
में मायावती ने दलितों को अपने पक्ष में रिझाकर कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया
है।
कांग्रेस के एक
वरिष्ठ नेता ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान पहचान उजागर ना करने की
शर्त पर कहा कि संप्रग एक ने मनरेगा, कर्ज माफी, सूचना का अधिकार
जैसे बड़े लोकलुभावन फैसलों की बैसाखी पर चुनाव जीता था, किन्तु यूपीए टू की
झोली में घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार आदि के
अलावा और कुछ भी नहीं है। यही कारण है कि आम कांग्रेसी का मनोबल गिरा हुआ है।
आज देश की हालत यह
है कि आम आदमी का विश्वास प्रधानमंत्री डॉ।मनमोहन सिंह और उनकी टीम पर से पूरी तरह
उठ ही चुका है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर भी आम आदमी द्वारा कांग्रेस का बुरी
तरह मजाक उड़ाया जा रहा है। कांग्रेस की गिरती साख और पिटती भद्द के चलते उपजी
परिस्थितियों में सोनिया शायद ही राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने का जोखिम उठाएं।
(क्रमशः जारी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें