हर्बल खजाना
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करौंदा: एक अनोखा
फ़ल
(डॉ दीपक आचार्य)
अहमदाबाद (साई)।
जंगलों, खेत
खलियानों के आस-पास कँटली झाडियों के रूप में करौंदा प्रचुरता से उगता हुआ पाया
जाता है, हलाँकि
करोंदा के पेड़ पहाड़ी भागों में अधिक पाए जाते है। इसके पेड़ कांटेदार और 6 से 7 फुट ऊंचे होते
हैं। करौंदे के फ़लों में लौह तत्व और विटामिन सी प्रचुरता से पाए जाते है।
आम घरों में करौंदा
सब्जी, चटनी, मुरब्बे और अ़चार
के लिए प्रचलित है। करौंदे का वानस्पतिक नाम कैरिस्सा कंजेस्टा है। पातालकोट में
आदिवासी करौंदा की जडों को पानी के साथ कुचलकर बुखार होने पर शरीर पर लेपित करते
है और गर्मियों में लू लगने और दस्त या डायरिया होने पर इसके फ़लों का जूस तैयार कर
पिलाया जाता है, तुरंत आराम
मिलता है।
फ़लों के चूर्ण के
सेवन से पेट दर्द में आराम मिलता है। करोंदा भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता
है, प्यास
रोकता है और दस्त को बंद करता है। सूखी खाँसी होने पर करौंदा की पत्तियों के रस
सेवन लाभकारी होता है।
खट्टी डकार और अम्ल
पित्त की शिकायत होने पर करौंदे के फ़लों का चूर्ण काफ़ी फ़ायदा करता है, आदिवासियों के
अनुसार यह चूर्ण भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है। करोंदा के फल खाने
से मसूढ़ों से खून निकलना ठीक होता है, दाँत भी मजबूत होते हैं। फ़लों से सेवन रक्त
अल्पता में भी फ़ायदा मिलता है। (साई फीचर्स)
(लेखक हर्बल मामलों के जाने माने विशेषज्ञ
हैं)
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