शनिवार, 16 मार्च 2013

42 साल के अमेच्योर पालीटिशियन राहुल गांधी


42 साल के अमेच्योर पालीटिशियन राहुल गांधी

(लिमटी खरे)

कांग्रेस में सत्ता की धुरी नेहरू गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी के नुमाईंदे राहुल गांधी की ओर देश के कांग्रेसी देख रहे हैं, उन्हें लगता है कि कांग्रेस का अगर कुछ हो सकता है तो वह राहुल गांधी के कर कमलों से ही संभव है। राहुल गांधी को जयपुर के चिंतन शिविर में बड़ी फिकर के साथ उपाध्यक्ष के पद पर महिमामण्डित किया गया है। राहुल के उपाध्यक्ष बनने के साथ ही सोई पड़ी कांग्रेस में उत्साह का संचार परिलक्षित हो रहा था। अचानक ही पिछले दिनों राहुल गांधी ने यह कहकर सभी को चौंका दिया कि वे प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते हैं। कांग्रेस के सिपाहियों के साथ ही साथ थिंक टेंक्स भी चिंता में पड़ गए हैं कि आखिर राहुल गांधी का गुरू कौन है जो इस तरह की अनर्गल बयानबाजी करवा रहा है। अगर राहुल को पीएम नहीं बनना है तो फिर कांग्रेस की सत्ता की धुरी क्यों संभाल रहे हैं वे!

आजादी के पहले मोती लाल नेहरू, फिर पंडित जवाहर लाल नेहरू, इसके उपरांत इंदिरा नेहरू जो फिरोज गांधी की अर्धांग्नी बनने के उपरांत इंदिरा गांधी बनीं, के बाद राजीव गांधी और अब राहुल गांधी कांग्रेस की सत्ता की धुरी बने हुए हैं। आजादी के उपरांत कांग्रेस का किला शनैः शनैः दरकता चला गया। आज कांग्रेस के संगठन की नींव काफी हद तक कमजोर हो चुकी है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।
राहुल गांधी के महिमा मण्डन के लिए चतुर सुजान कांग्रेस के प्रबंधकों और रणनीतिकारों ने पैसे को पानी की तरह बहाया। राहुल गांधी का रोड़ शो प्रहसन हो या फिर उनका दलितों की झोपड़ी में रात गुजारने का मामला। हर मामले में कांग्रेस की मानसिकता वाले मीडिया को जमकर उपकृत करने की बातें सामने आती रही हैं। कभी प्रियंका वढ़ेरा में स्व.इंदिरा गांधी की छवि दिखा देता है यह जरखरीद मीडिया।
मीडिया इस बात को रेखांकित कभी नहीं करता है कि नेहरू से गांधी उपनाम देने वाले फिरोज गांधी को आखिर क्यों भूल जाती हैं नेहरू परिवार की वर्तमान पीढ़ी। फिरोज गांधी एक पत्रकार और राजनेता थे। फिरोज गांधी को भारतीय पत्रकारिता में एक नया आयाम जोड़ने के लिए सदा याद किया जाएगा। आजादी के उपरांत संसदीय कार्यवाही की रिपोर्टिंग में पत्रकारों को अपनी रिस्क पर ही छापना होता था।
1956 में एक फिरोज गांधी के प्रयासों से एक कानून अस्तित्व में आया जिसमें विधायिका से संबंधित मामलों की रिपोर्टिंग बेहद आसान हो गई। इसके तहत संसदीय कार्यवाही को पत्रकार निर्भीक होकर प्रकाशित कर सकता था। भ्रष्टाचार के खिलाफ फिरोज गांधी ने जमकर आवाज बुलंद की। जिस कोने में फिरोज गांधी बैठा करते थे, उसे फिरोज कार्नर नाम दिया गया था।
फिरोज गांधी ने एलआईसी के घोटाले के खिलाफ आवाज बुलंद की, तो हंगामा मच गया। शेयर दलाल हरिदास मूंदड़ा को पुलिस ने धर दबोचा और नेहरू कैबनेट के बड़े कद्दावर मंत्री टी.टी.कृष्णमाचारी को पद छोड़ना पड़ा। बताते हैं कि जवाहर लाल नेहरू पर यह पहला आरोप था, जिसके साथ ही नेहरू की तल्खी फिरोज के लिए बढ़ी और इंदिरा गांधी तथा फिरोज गांधी के बीच दूरियां बढ़ना आरंभ हो गया।
देखा जाए तो भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए इंदिरा, राजीव, सोनिया, राहुल को गांधी उपनाम देने वाले फिरोज गांधी ही कृत संकल्पित थे। विडम्बना देखिए गांधी नाम का उपयोग करने वाली सोनिया और राहुल आज भ्रष्टाचार पर मौन साधे हुए हैं। ना केवल ये मौन साधे हैं वरन् फिरोज गांधी के जन्म दिवस 12 सितम्बर को कोई भी कांग्रेस का नेता उन्हें याद नहीं करता है। सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस में अब भाटचारण को ही मूल मंत्र बना दिया गया है।
हाल ही में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने संसद के कें्रद्रीय कक्ष में कहा कि उन्हें पीएम बनने की लालसा नहीं है। युवराज के उपाध्यक्ष बनाए जाने से उत्साहित कांग्रेसियों की मानो हवा ही निकल गई। पंचर गुब्बारे जमीन पर आ गिरे। सोनिया विदेशी मूल के चलते प्रधानमंत्री नहीं बन पाईं तो उन्होंने मनमोहन सिंह पर दांव लगाया। अब राहुल स्वदेशी होते हुए पीएम पद से दूर भाग रहे हैं तो चर्चा चलना स्वाभाविक ही है कि राहुल का मनमोहन कौन होगा?
अब कांग्रेस के आम कार्यकर्ता के मन में यह प्रश्न कौंधना स्वाभाविक ही है कि कांग्रेस की बागडोर पंद्रह सालों से सोनिया गांधी के हाथ में है। वंशवाद का राहुल गांधी विरोध करते आए हैं। वे अक्सर कहा करते हैं कि अगर वे कांग्रेस में सिस्टम से आए होते तो इतने उपर नहीं पहुंच पाते, वैगरा वैगरा। ये सारी बातें वे दिल से नहीं करते, जाहिर है कि उन्हें जो भाषण में लिखकर दिया जाता है वे वही कहते हैं।
अगर एसा नहीं होता तो कांग्रेस या देश के आम नागरिक के मन में यह प्रश्न कतई नहीं घुमड़ता कि वंशवाद का विरोध करने वाले राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनने कैसे राजी हो गए। जाहिर है उन्हें उनकी माता श्रीमति सोनिया गांधी के उत्तराधिकारी के बतौर चुना गया है। वे इस बात को भली भांति जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं की पार्टी नहीं वरन नेहरू गाध्ंाी परिवार प्राईवेट लिमिटेड बनकर रह गई है। इस पार्टी पर उनके परिवार का पूरा पूरा नियंत्रण है।
कांग्रेस का अगर चार दशकों का इतिहास देखा जाए तो स्वर्गीय श्रीमति इंदिरा गांधी के उपरांत गांधी परिवार के उत्तराधिकारियों ने इस पार्टी के साथ मनमाना व्यवहार किया है। कांग्रेस में वरिष्ठता या वजनदारी का पैमाना सिर्फ और सिर्फ 10, जनपथ से निकटता के अधार को ही माना जाता रहा है, इसका कारण यह है कि कांग्रेस के अंदर अहम से अहम फैसला भी इसी बंग्ले के अंदर से होता है जिसमें कभी राजीव गांधी रहा करते थे और अब श्रीमति सोनिया गांधी को यह आवास आवंटित है।
राहुल गांधी 42 के हो गए पर उनमें परिपक्वता का अभाव साफ दिखाई पड़ता है। उनके अंदर विरोधाभास भी कूट कूट कर भरा है। जब वे शिक्षा के बारे में बात करते हैं तो लगता है उनकी जुबान में वामपंथी दल बैठ गए हैं। भ्रष्टाचार की बात आते ही मानो उन्हें सांप सूंध जाता है। मनमोहन सिंह के नेतृत्व में देश पूरी तरह लुट चुका है पर राहुल गांधी ने एक शब्द भी नहीं बोला इस मामले में।
लगता है मानो राहुल गांधी के अलग अलग शिक्षक उन्हें अलग अलग दिशा में खींच रहे हों। पार्टी में उस हाईकमान संस्कृति के खिलाफ वे आवाज बुलंद कर रहे हैं जिसके वे एक अभिन्न अंग हैं। पार्टी के अंदर चल रही चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा पूरी तरह चरमरा चुका है, वे जानते हैं कि अगली बार पार्टी का बहुमत में आना संभव नहीं है, इसलिए उन्होंने साफ साफ इस पद के प्रति अपनी बेरूखी जाहिर कर दी है। यह प्रश्न आज भी अनुत्तरित है कि अगर उन्हें पीएम नहीं बनना है तो फिर अपनी मां के अध्यक्ष रहते हुए वे सत्ता की धुरी क्यों संभाल रहे हैं। (साई फीचर्स)

देहरदून : सीएम पुत्र घिरे 111 करोड़ के घोटाले में!


सीएम पुत्र घिरे 111 करोड़ के घोटाले में!

(चंद्र शेखर जोशी)

देहरादून (साई)। उत्तराखण्ड की बहुगुणा सरकार  इस समय 3 संगीन आरोपों से घिरती जा रही है, जिससे राज्य सरकार की साख पर जहां प्रतिकूल असर पड रहा है वहीं  इन संगीन आरोपों के मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित होने पर मुख्घ्यमंत्री का मीडिया मैनेजमेन्घ्ट असफल माना जा रहा है। पहला, मुख्घ्यमंत्री के एक पुत्र साकेत बहुगुणा पर 111 करोड रूपये की हेराफेरी का समाचार प्रकाशित हुआ हैद्वितीय भू-कानूनों में संशोधनों की खबर पर भी सरकार की साख पर बहुत गलत असर पड रहा है। तीसरा, सिडकुल की जमीन में किए गए एक हजार करोड़ रुपये का घोटाला प्रमुखता से उठा है।
भाजपा नेता प्रकाश सुमन ध्यागनी ने स्प्ष्ट  आरोप लगाया है कि टिहरी बॉध विस्थाापितों को प्लााट आवंटन में मुख्य मंत्री के पुत्र साकेत बहुगुणा और कुछ कांग्रेस विधायकों ने प्रति प्लातट एक करोड के हिसाब से 111 करोड रूपए की हेराफेरी की। वहीं विजय बहुगुणा सरकार पर भू-माफियाओं और बिल्डरों के साथ प्रदेश की कई एकड़ जमीन खुर्द-बुर्द करने का आरोप लग रहा है।  ज्ञात हो कि 2007 में तत्कालीन भुवन चंद्र खंडूड़ी सरकार ने सत्ता में आते ही भू-कानून में फिर संशोधन किया, जिसके बाद जमीनों की अंधाधुंध खरीद-फरोख्त पर काफी हद तक अंकुश लगा।
गौरतलब है कि भू-कानून में प्रस्तावित संशोधन की खबर मीडिया में जो खबरें प्रकाशित हुई थी, इसे भूमाफिया के अनुकूल संशोधन किये जाने का संदेश गया, संदेश गलत जाते ही चौकन्घ्ने हुए मुख्घ्यमंत्री ने 13 मार्च को आनन फानन में दूसरी बार प्रेस वार्ता सिर्फ इसलिए बुलायी कि भू कानून में संशोधन न करने का समाचार प्रमुखता से जाये। वार्ता में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि सरकार राज्य में भूमि खरीदने-बेचने के कानून में कोई परिवर्तन नहीं करने जा रही है। वहीं उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया कि कैबिनेट में इस पर चर्चा हुई लेकिन फैसला नहीं।  राज्य में भूमि खरीद-बिक्री के कानून में संशोधन प्रस्तावों पर कैबिनेट में चर्चा होने, लेकिन उसे मंजूरी मिलने से मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के इन्कार के बावजूद मंत्रियों का रुख सीएम से अलग रहा है, उन्घ्होंने ही मीडिया में यह खबर लीक की थी कि भू कानून में संशोधन कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यह स्वीकार किया था कि राज्य में भूमि खरीदने और बेचने के कानूनों में संशोधन प्रस्तावित किए गए। इन प्रस्तावों पर बाकायदा चर्चा भी हुई, लेकिन इन्हें मंजूरी मिलने से मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर इन्कार किया। मुख्घ्यमंत्री द्वारा कभी  इन्कार और कभी इकरार को लेकर  कैबिनेट के वरिष्ठ सहयोगियों में मतभेद थे। वरिष्ठ मंत्रियों ने कुछ मीडिया कर्मियों को उक्त अध्यादेश में संशोधन प्रस्तावों को मंजूरी मिलने की बात स्वीकार की। वहीं इसके बाद मुख्यमंत्री के साफ इन्कार से मंत्री भी हैरत में पड गये कि यह क्घ्या है, कैबिनेट में चर्चा हो रही है, बाहर मना किया जा रहा है,   कैबिनेट के कई सहयोगियों ने दबी जुबान में संशोधनों को हरी झंडी मिलने की बात स्वीकार की। परन्घ्तु मुख्यमंत्री का डुलमुल रुख सामने आने के बाद जहां सरकार की विश्घ्वसनीयता पर सवाल उठने लगें वहीं अनेक सवाल उठे, जिन्घ्हें विपक्ष ने लपक लिया और विजय बहुगुणा सरकार के खिलाफ आमजन को जागरूक किया।
इसके अलावा भाजपा ने सिडकुल की जमीन में किए गए एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले को भी आमजन के समक्ष रखा। बजट सत्र के पहले दिन सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अपनाकर व आमजन को लामबंद कर बहुगुणा सरकार को हैरत में डाल दिया। भूमि घोटाला और भूमि कानून में संशोधन के अलावा भाजपा ने अपने तरकश में अनेकों लक्ष्यटभेदी  तीर होने की बात कही। भाजपा ने चुनौती दी कि यदि सरकार पाक साफ है तो वह इस मामले की सीबीआइ जांच कराए।  भू कानून में संशोधन विधेयक प्रवर समिति में होने के बावजूद कैबिनेट में इसकी चर्चा करने के अलावा एक कैबिनेट मंत्री का विदेश यात्रा में बिना अनुमति महिलाओं को ले जाने और बिना मुख्यमंत्री के सूचना के एक अन्य मंत्री द्वारा विभागीय अधिकारी को सेवा विस्तार देने आदि के मुद्दे पर भी भाजपा ने सरकार से जवाब मांगा है।
प्रकाश सुमन ध्याानी द्वारा कहा गया है कि 2012-13 में टिहरी बॉध विस्थाकपितो के नाम पर 59 खेती और 52 आवासीय भूखण्ड  आवटित किये गये, आमबाग पशुलोक ऋषिकेश तथा देहरादून स्थिेत देहराखास स्थिवत आवासीय भूमि खेती भूमि दिखाकर आवटित कर दी गयी, यह जमीनें भू माफियाओं को आवंटित कर दी गयी, इसके अलावा हरिद्वार के शिवालिक नगर में 85 एकड की जगह 120 एकड जमीन आवंटित कर दी गयी, यह जमीन पुनर्वास निदेशालय के नाम पर भी नहीं थी। इस हेराफेरी में टिहरी के जिलाधिकारी जो पुनर्वास निदेशक भी है की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खडे किये गये है।

हैदराबाद : आंध्र में अविश्वास प्रस्ताव गिरा!


आंध्र में अविश्वास प्रस्ताव गिरा!

(ऋतु सक्सेना)

हैदराबाद (साई)। आंध्रप्रदेश में कांग्रेस सरकार के खिलाफ तेलंगाना राष्ट्र समिति का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है। राज्य विधानसभा में १४ घंटे की बहस के बाद कल देर रात हुए मतदान में इस प्रस्ताव के पक्ष में ५८ और विरोध में १४२ मत पड़े। वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी और अन्य ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया था। कांग्रेस के नौ और तेलुगूदेशम पार्टी के ६ विधायकों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया।
विधानसभा के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मुख्य विपक्षी दल तेलगुदेशम के तटस्थ रहने से आंध्र प्रदेश में किरण कुमार रेड्डी की सरकार बच गई है। एमआईएम के नौ और टीडीपी के दो सदस्य मतदान में शामिल नहीं हुए। इससे पहले विधानसभा में लंबी बहस चली। मुख्यमंत्री ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न जनहित के कार्यक्रमों पर जोर दिया, जबकि टीआरएस ने सरकार पर आपने वायदे से हटने का आरोप लगाया है।

नागपुर : बैंक डकैती के दो आरोपी सिवनी से धरे गए!


बैंक डकैती के दो आरोपी सिवनी से धरे गए!

(आशीष कौशल)

नागपुर (साई)। अकोला एक्सिस बैंक के खजाने की डकैती प्रकरण दो आरोपी एमपी के सिवनी से धर दबोचे गए हैं। इस प्रकरण में हर  नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। 2 करोड़ 36 लाख 50 हजार रुपए के इस डकैती में एक सिपाही के शामिल होने की चर्चा थी। गिट्टड्ढीखदान पुलिस ने सोमवार को पुलिस सिपाही (वर्दीवाला गुंडा) शैलेंद्र उर्फ रवि मसराम और उसके खास दोस्त सचिन श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर वर्धा ग्रामीण अपराध शाखा पुलिस के हवाले कर दिया है। गत दिवस दो अन्य आरोपियों को पुलिस ने एमपी के सिवनी से धर दबोचा है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एमपी के सिवनी से धर दबोचे गए दोनों आरोपियों के नाम रियान बेग और शाकिर हुसैन हैं। पुलिस द्वारा इनके कब्जे से चालीस हजार रूपए भी बरामद किए हैं। इन दोनों आरोपियों पर आरोप है कि इन्होंने लूट के मुख्य षणयंत्रकारियों की मदद की है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि रियान बेग कन्हान के बेग फार्म हाउस के मालिक अकरम का पुत्र है। उक्त दोनों ही आरोपी सिवनी में अपने किसी रिश्तेदार के पास छिपे हुए थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार नागपुर पुलिस ने मुखबिर सूचना के आधार पर इनके रिश्तेदार के घर छापा मारकर दोनंों को धर दबोचा और इन्हें लेकर नागपुर आ गई है।
इसके पहले सोमवार को पुलिस ने तीनों आरोपियों से 30 लाख 40 हजार रुपए व लूट के लिए उपयोग में लाई गई तुषार अर्जुने की पजेरो गाड़ी जब्त की है। अब तक 5 आरोपी वर्धा ग्रामीण पुलिस के हत्थे लग चुके हैं। इनमें से 5 आरोपियों को नागपुर की गिट्टड्ढीखदान की पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता पाई है।
पुलिस सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि पुलिस सिपाही शैलेंद्र मसराम के डकैती में शामिल होने की घटना ने नागपुर पुलिस की वर्दी को दागदार कर दिया है।  आला अफसरों से लेकर कर्मचारी भी स्तब्ध हैं।  एक्सिस बैंक की कैश वैन लूट प्रकरण में सोमवार को गिट्टड्ढीखदान पुलिस के सिर पर आरोपी पुलिस सिपाही सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने का सेहरा बंधा, जिसमें एक संदिग्ध है।  पुलिस ने तीनों आरोपियों को काटोल रोड स्थित एक मकान से गिरफ्तार किया। पता चला है कि सिपाही शैलेंद्र दो सप्ताह से ड्यूटी पर गया ही नहीं था। उसने छुट्टड्ढी ले रखी थी।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि शैलेंद्र पुलिस हेडक्वार्टर में कार्यरत है। इससे पहले वह हफ्ता वसूली के मामले मे निलंबित भी किया जा चुका है। उसके खिलाफ सीताबर्डी थाने में हफ्ता वसूली का मामला दर्ज था।  वर्ष 2008 में उसे दोबारा पुलिस हेड क्वार्टर में वापस बुलाया गया। उस पर कई लोगों से धन उगाही का आरोप लगता रहा है। वह 10 वर्ष पहले पुलिस विभाग में भर्ती हुआ। बताया जाता है कि आरोपियों ने 12 करोड़ की डकैती की योजना कस्तूरचंद पार्क के अंदर चारपहिया वाहन में घटना से दो सप्ताह पहले बनाई थी।

रायपुर : सरकारी तीन शेर बने निजी मिल्कियत!


सरकारी तीन शेर बने निजी मिल्कियत!

(राजेश सिंह क्षत्री)

रायपुर (साई)। छत्तीसगढ़ शासन के निर्माणाधीन तेंदूभाठा-मड़वा पावर प्लांट के सुरक्षा अधिकारी देश की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यहां के सुरक्षा अधिकारी शासन और पुलिस अधिकारियों के नाक के नीचे अपनी वर्दी पर नेशनल प्रतीक तीन शेर सहित अशोक चक्र का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस चिन्ह का इस्तेमाल पुलिस, सेना और पैरामिलिट्री के क्लास वन और उससे उपर के अधिकारी ही कर सकते हैं। पावर प्लांट के सुरक्षा अधिकारियों और पुलिस के जवानों की वर्दी में कोई अंतर नजर नहीं आने से भोले भाले ग्रामीण दिगभ्रमित होते हैं तथा सुरक्षा अधिकारियों की करनी का खामियाजा पुलिस को भुगतना पड़ता है। मार्च में ही ग्रामीण दो बार पुलिस पर पथराव कर चुकी है।
सुपरहिट फिल्म सिंघम में देश के प्रतीक चिन्ह अशोक चक्र की महत्ता समझाते हुए एक स्थान पर फिल्म के हीरो अजय देवगन कहते हैं कि इसे लगाने का अधिकार या तो पुलिस को है या फिर सेना को। देश का प्रधानमंत्री भी इसे नहीं लगा सकता। अपने राष्ट्रीय प्रतीक तीन सिंह सहित अशोक चक्र को देखने भर से ही मन में राष्ट्रप्रेम की भावना उमड़ पड़ती है लेकिन छत्तीसगढ़ में शासन की नाक के नीचे ही शासन से जुड़े हुए लोग जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जांजगीर-चांपा जिले में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से तेंदूभाठा-मड़वा में एक हजार मेगावाट का पावर प्लांट निर्माणाधीन है। उक्त पावर प्लांट के सुरक्षा अधिकारी एस.आर. रात्रे जो खुलेआम अपने कंधे पर अशोक चक्र लगाकर घुम रहे हैं तथा पूछने पर उनका जवाब होता है कि अपने कंधे पर देश के सम्मान के प्रतीक अशोक चिन्ह लगाने का अधिकार उन्हें तत्कालिन मध्यप्रदेश के डीजीपी ने दिया था। उनका कहना है कि प्लांट के सुरक्षा अधिकारियों को भी इसे लगाने का अधिकार है तथा यहंा कार्यरत सीएसपीसीएल के सभी अधिकारी इसी तरह अपने पद के अनुसार से मोनो लगाए हुए हैं। उनके कंधे पर इसी तरह से मेडल शोभायमान है।
जांजगीर-चांपा जिले के पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख स्वयं मानते हैं कि अशोक चक्र इस्तेमाल करने का अधिकारी पुलिस, सेना और पैरामिलिट्री के क्लास वन और उससे उपर के अधिकारियों को ही है। मड़वा पावर प्लांट छत्तीसगढ़ शासन का पावर प्लांट है और इसमें के सुरक्षा अधिकारी भी शासकीय है। वो इन प्रतीक चिन्हों का इस्तेमाल क्यों और किस हैसियत से कर रहे हैं इसे वो जांच का विषय मानते हैं।
भारतीय संविधान में पुलिस और सेना को देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा की जवाबदारी सौंपी गई है तथा देश के स्वाभिमान के प्रतीक अशोक चक्र के इस्तेमाल की इजाजत भी इन्हें ही दी गई है। पुलिस में भी एडिसनल एसपी और उससे उपर का अधिकारी तथा सेना में मेजर या उससे उपर का अधिकारी इस प्रतीक चिन्ह को इस्तेमाल कर सकते हैं। तेंदूभाठा-मड़वा पावर प्लांट छत्तीसगढ़ शासन का है तथा पुलिस अधीक्षक के अनुसार यहां लगे सुरक्षा गार्ड भी शासकीय है। निर्माणाधीन मड़वा पावर प्लांट के ग्रामीण नौकरी की मांग को लेकर 2 मार्च से आंदोलन पर बैठे हुए हैं जिसमें पुलिस और प्रशासन के उच्चाधिकारियों की आवाजाही हमेशा प्लांट में होते रहती है। मतलब साफ है, पुलिस और प्रशासन के नाक के नीचे ही ये लोग देश के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अगर प्लांट के सुरक्षा अधिकारियेां को इसे लगाने का हक है तो क्या भारत के वीर सपूतों के कंधे पर चमचमाने वाले इस प्रतीक चिन्ह को उन्हें लगाने देना चाहिए और अगर नहीं है तो अब अपने ही अधिनस्थों पर देश के स्वाभिमान का मजाक उड़ाने के लिए शासन किसी प्रकार की कार्यवाही करने का साहस दिखा पाती है अथवा नहीं यह देखने वाली बात होगी।
0 मीडिया के सवाल-जवाब के बाद भाग खड़े हुए सुरक्षा अधिकारी
माना जाता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका है, ऐसा ही कुछ अहसास सुरक्षा अधिकारी को अपने पकड़े जाने पर हुआ। तेंदूभाठा-मड़वा पावर प्लांट के भूविस्थापित नौकरी की मांग को लेकर 2 मार्च से आंदोलन कर रहे है जिनको समर्थन देने के लिए शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी मड़वा पंहुचे। उनके कार्यक्रम को देखते हुए वहां भारी संख्या में पुलिस बल की तैनात थे। उन्हीं जवानों के साथ प्लांट की सुरक्षा में लगे सीएसपीसीएल के अधिकारी भी घूम रहे थे। मीडिया के लोगों ने जब उनके सुरक्षा इंचार्ज एस.आर. रात्रे से सवाल-जवाब प्रारंभ किया तो पुलिस की तरह कांधे पर स्टार लगाए घूम रहे प्लांट के अधिकारी धीरे-धीरे वहां से खिसकने लगे तथा मौका देखकर एस.आर. रात्रे भी वहां से नौ दो ग्यारह हो लिए उसके बाद सीएसपीसीएल के सुरक्षा अधिकारी अपने कांधे पर मौजूद तमगे को निकालकर ही वहां फिर से पंहुचे।
0 ग्रामीण हो रहे दिगभ्रमित, पुलिस और ग्रामीणों के संबंध हो रहे खराब
मड़वा पावर प्लांट के सुरक्षा अधिकारी का ड्रेस पूरी तरह से पुलिस के ड्रेस से मिलता जुलता है। पैर के जूते से लेकर सिर में लगाने वाली टोपी ओर शरीर में पहनने वाला ड्रेस सभी चीजें पुलिस से मिलती जुलती है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा स्थानीय पुलिस को भुगतना पड़ रहा। यही वजह है कि यहां के भोले भाले ग्रामीणों के लिए पुलिस और पावर प्लांट के सुरक्षा कर्मचारियों में भेद कर पाना नामुमकिन होता है। प्लांट का कोई कर्मचारी गांव में जाकर ग्रामीणों से दुर्व्यवहार करता है तो लोगों को लगता है कि पुलिस ने उसके साथ ज्यादती की है तथा पुलिस उसके साथ कुछ गलत करती है तो ग्रामीणों को लगता है कि प्लांट के सुरक्षा अधिकारियों ने उनके साथ गलत किया है। पुलिस की माने तो सिर्फ मार्च माह में ही ग्रामीण पुलिस पर दो बार पथराव कर चुकी है इसी महीने पहली बार ग्रामीणों ने 2 मार्च को आंदोलन पर बैठने के तीन-चार दिनों के बाद तब पथराव किया था जब उसे लगा था कि पुलिस वाले प्लांट के लोगों को अपने सुरक्षा घेरे में प्लांट में पंहुचाने की कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी बार बीते सप्ताह में ही पावर प्लांट के दो समर्थकों के परिवारों पर अनशनकारियों का गुस्सा फूट पड़ा था तो उन्हें बचानें गई पुलिस पर भी ग्रामीणों ने पथराव किया था जिसके बाद पुलिस 17 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं मार्च में ही पुलिस पर ग्रामीणों के साथ लाठीचार्ज किए जाने का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों के द्वारा कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया जा चुका है।
0 बढ़ रही नाराजगी, हो रही कार्यवाही की मांग
पावर प्लांट के सुरक्षा अधिकारियों के द्वारा अशोक चक्र के इस्तेमाल को लेकर अब लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। पूर्व विधायक मोती लाल देंवागन का मानना है कि क्षेत्र के भोले भाले गरीब किसानों को भयभीत करने के लिए ही शासकीय पावर प्लांट के सुरक्षा अधिकारी इस तरह से प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की मांग की है।

सिवनी : लक्ष्मीनारायण मंदिर प्राणप्रतिष्ठा एवं कलशारोहण की तैयारियां जोरों पर


लक्ष्मीनारायण मंदिर प्राणप्रतिष्ठा एवं कलशारोहण की तैयारियां जोरों पर

(अभिषेक दुबे)

सिवनी (साई)। स्थानीय बस स्टैण्ड में स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में आगामी मई माह में अक्षय तृतीय के अवसर पर त्रिदिवसीय कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर हैं। ज्ञात होवे कि परमपूज्य स्वामी श्री स्वरूपानंद जी शंकराचार्य की गरिमामयी उपस्थिति में दिनांक 10.5.2013 से 12.5.2013 तक भगवान श्री लक्ष्मी नारायण की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा एवं कलशारोहण कार्यक्रम संपन्न होना है। मूर्ति का आदेश परमपूज्य गुरूजी की पसंद के पश्चात जयपुर के ख्यातिलब्ध मूर्तिकार को दे दिया गया है, जिसकी संभावित कीमत लगभग 03 लाख रू. है। वहीं कलशारोहण की जिम्मेदारी नगर के सराफा व्यापारी एवं सोनी समाज के द्वारा ले ली गई है। इसी प्रकार अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी भी मंदिर के भक्तगणों ने उठा ली है। कार्यक्रम की रूपरेखा के लिए समय- समय पर बैठकों का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें कार्यक्रम स्थल, जुलूस,भंडारा, अतिथि सत्कार, सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य विषयों पर भी चर्चा की जा चुकी है। भगवान श्री लक्ष्मीनारायण स्वामी के जिले के इस प्रथम मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है और कार्यक्रम को लेकर सभी में उत्साह है। गुरूधाम दिघौरी में संपन्न भागवत में सिवनी से एक दल महाराजश्री का आर्शीवाद लेने पहुंचा था, जहां उन्होंने सभी को मार्गदर्शन भी प्रदान किया। मंदिर समिति के सदस्यों ने धार्मिक श्रद्धालुओं से तन-मन और धन से इस भव्य आयोजन से जुडऩे की अपील की है, जिससे कार्यक्रम की भव्यता और बढ़ाई जा सके। 

सिवनी : मीटर बदलने के नाम पर एमपीईबी का भ्रष्टाचार


मीटर बदलने के नाम पर एमपीईबी का भ्रष्टाचार

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नगर में चल रहे फीडर कार्यक्रम में भारी भ्रष्टाचार के साथ साथ लापरवाही दिखाई दे रही है। विगत कुछ दिनों से पुराने वायर बदलकर नये वायर और मीटर लगाने का काम चालू है। पिछली बार जो वायर लगाये गये थे, वे रिलायंस कंपनी के तो थे ही साथ ही साथ आईएसआई द्वारा सत्यापित भी थे, जिसके चलते सभी निश्चिंत थे, किंतु इस बार जो वायर लगाये जा रहे हैं, वह न तो किसी नामी कंपनी के है न ही आईएसआई द्वारा सत्यापित। मीटरों को बदलने की प्रकिया में जो मीटर लगाये जा रहे हैं, उनका फाइवर भी घटिया से घटिया क्वालिटी का उपयोग किया गया है। मीटर के साथ ही अर्थिंग का कार्य कर रहे कर्मचारी सही तरीके से अर्थिंग नहीं लगा पा रहे हैं। न तो गड्ढा कर नमक, कोयला, रेत का उपयोग हो रहा है और न ही किसी अन्य चीज का। एक प्रकार से बला टालने के लिए एमपीईबी यह कार्य कर रही है। इस पूरे सिस्टम में सबसे ज्यादा हैरतअंगेज बात यह है कि जो कर्मचारी मीटर अर्थिंग का कार्य कर रहे हैं, वे अपने कार्य में निपुर्ण है हीं नही अर्थात अनुभविहीन लोगों से काम लिया जा रहा है। वायरों की लाईन जितनी चाहे उतनी लंबी खींची गई है, जिसके चलते पूरे वायर झूल रहे हैं और आगामी बारिश के हवा- धूल में 100 प्रतिशत सड़क पर बिछने से इसे कोई नहीं रोक सकता। आखिर किस पैमाने के अंतर्गत इन ठेकेदारों से कार्य करवाया जा रहा है, इसका जवाब विद्युत मंडल के सक्षम अधिकारी मिश्रा और मंडापे को देना ही होगा। कहीं इस पूरे काम में इनके द्वारा भी कोई गोलमाल तो नहीं किया जा रहा..?

कैथल : चार दिवसीय बलवंत सिंह बल्लू मैमोरियल वालीबाल प्रतियोगिता सम्पन्न


चार दिवसीय बलवंत सिंह बल्लू मैमोरियल वालीबाल प्रतियोगिता सम्पन्न

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। वालीबाल सम्राट के नाम से प्रसिद्ध अर्जुन अवार्डी स्वर्गीय बलवंत सिंह बल्लू की याद में कौल में करवाई गई चार दिवसीय आल इंडिया बलवंत सिंह बल्लू मैमोरियल वालीबाल प्रतियोगिता विधिवत रूप से सम्पन्न हो गई। प्रतियोगिता के अंतिम दिन खिलाडिय़ों ने दमखम दिखाया और बड़े रोचक मुकाबले देखने को मिले। बलवंत सिंह स्टेडियम में आल इंडिया बलवंत सिंह बल्लू मैमोरियल वालीबाल प्रतियोगिता के फाइनल मैच में एचएचसी कौल व ओएनजीसी देहरादून के अंतर्राष्ट्रीय खिलाडिय़ों ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए खूब तालियां बटोरी । मुकाबले इतने रोचक था कि प्रतियोगिता का आनंद लेने के लिए न केवल आसपास के दर्जनों गांवों के लोग पहुंचे थे बल्कि कई पड़ोसी जिलों के लोग भी इन मुकाबलों का आनंद लेने के लिए लगातार स्टेडियम में जमे रहे और टकटकी लगाकर उन्होंने इन मुकाबलों का भरपूर लुफ्त उठाया। प्रतियोगिता के समापन अवसर पर समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के चीफ डवेल्पमेंट आफिसर सुशील कुमार आईएएस व मुख्य संसदीय सचिव सुल्तान जडौला ने शिरकत की और चल रहे मुकाबलों का आनंद किया। प्रतियोगिता के मुख्य संरक्षक वालीबाल एशियन गेम के भीम अवार्डी मेहर सिंह ने बताया कि फाइनल में पहुंची एचएचसी कौल व ओएनजीसी देहरादून की टीम के बीच मुकाबला हुआ। ओएनजीसी देहरादून ने एचएचसी कौल की टीम को 25-23, 26-24, 25-20 से हराया। ओएनजीसी देहरादून ने एचएचसी कौल की टीम को पराजित कर ट्राफी पर अपना कब्जा किया। जडौला ने बलवंत सिंह बल्लू ट्रस्ट को 2 लाख 11 हजार रुपए की राशि का योगदान देकर ट्रस्ट के सदस्यों का हौसला बढ़ाया। ओएनजीसी की विजेता टीम को जडौला और सुशील कुमार ने एक लाख रुपए की नकद राशी और उप विजेता एचएचसी कौल की टीम को 71 हजार रुपए की नकद राशी देकर सम्मानित किया। इससे पूर्व मुख्यातिथि ने अर्जुन अवार्डी स्वर्गीय बलवंत सिंह बल्लू की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनकी याद में दो मिन्ट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की।  इस अवसर पर अर्जुन अवार्डी सुरेश कुमार मिश्रा राजस्थान, राजस्थान वालीबाल एसोशियन के उप प्रधान बलदेव सिंहपूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी दलबीर सिंह, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी अरुण सूद आदि मौजूद रहे।

कैथल : प्रशासन कर रहा भट्ठा मालिकों की अनदेखी


प्रशासन कर रहा भट्ठा मालिकों की अनदेखी

(ब्यूरो कार्यालय)

कैथल (साई)। हाईकोर्ट के आदेशानुसार भट्ठों पर बी.पी.एल. कार्ड बनाकर मजदूरों को सस्ता राशन देना था, लेकिन आधा सीजन बीत जाने के बाद भी मजदूरों को कुछ नहीं मिला है। ये कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन और मजदूरों के साथ अन्याय है। यह आरोप लाल झंडा भट्ठा मजदूर यूनियन के जिला सचिव कामरेड़ नरेश रोहेड़ा ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में लगाए। उन्होंने चेतावनी दी अगर जल्दी से मजदूरों को भट्ठों पर सस्ता राशन व इस सीजन 2013 का नया रेट नहीं मिला तो यूनियन आंदोलन करने पर मजबूर होगी। नरेश रोहेड़ा ने बताया कि किसी भी भट्ठे पर न तो आंगनवाड़ी केंद्र खोले गए हैं और न ही पाठशालाएं शुरू हुई हैं। यहां तक कि भट्ठों पर मजदूरों का चौकअप व दवाई भी नहीं दी गई, जिससे पता लगता है कि प्रशासन मजदूरों के हितों के प्रति कितना गंभीर है। इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष साहब ङ्क्षसह, बिल्लू गुलियाणा, सहसचिव राजेंद्र धूंधरेहड़ी, सदस्य चांदी तारागढ़, धर्मपाल, सुभाष, सुलतान, रामफल खरक, मनफूल आदि भी उपस्थित थे। 

मुजफ्फरनगर : किसानों के बुलंद हौंसले के आगे बौखला उठा प्रशासन


किसानों के बुलंद हौंसले के आगे बौखला उठा प्रशासन

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर (साई)। मेरठ के पिछले 18 दिनों से गन्ने के अन्तर मूल्य व ब्याज पाने के लिए चल रहे धरने पर किसानों के बुलंद हौंसलों को देखते हुए प्रशासन बौखला उठा है। किसानों के धरने को समाप्त कराने के लिए प्रशासन धरने से जुडे किसान नेताओं पर दबाव बनाने का काम शुरू कर दिया है। जबकि धरने को लेकर प्रशासन के हाथ-पैर फूले हुए है।
उल्लेखनीय है कि किसानों के धरने पर मेरठ कमीशनरी पार्क स्थित चौ. चरण सिंह पार्क में होने वाली 16 मार्च को महापंचायत में किसी कोई बडा निर्णय लिया जा सकता है। जिसके चलते किसानों की महापंचायत में वेस्ट यूपी से लाखों की संख्या में किसानों के पहुंचने वाले है। धरने के 18 दिन के बाद प्रशासन के धरने के हाथ-पैर फूल गये हुए है। प्रशासन किसी भी तरह से धरना समाप्त कराने की योजना बना रहा है ताकि किसानों के धरने को समाप्त कराया जा सके। सरकार किसानों की ओर कोई ध्यान नहीं देना चाहती है क्योंकि सरकार को प्रदेश के 55 लाख किसानों के सामने मात्र 55 मिल मालिकों सर्वोच्च दिखाई दे रहे है। सरकार सरकार की नजरों में प्रदेश केे 55 लाख किसानों का कोई मौल नहीं दिखाई दे रहा है। जिसके चले प्रदेश सरकार 55 मिल मालिकों के हाथों में खेलती दिखाई दे रही है। वहीं सूत्रों की माने तो शासन प्रशासन धरने से जुडे किसान नेताओं पर धरना समाप्त करने का दबाव बनाया जा रहा है। धरना समाप्त कराने के लिए प्रशासन विभिन्न चल चलने की योजनाएं बनारहा है। सूत्रों का कहना है कि सरकार मिल मालिकों के दबाव में है और किसानों की कोई बात सुनने वाली नहीं है जिस कारण प्रशासन धरना समाप्त कराने की योजनाएं बनाने में जुटा हुआ है और धरने से जुडे नेताओं को भी धरना समाप्त कर अपने घर लौट जाने का दबाव बनाने में लगा हुआ है।

मानव सेवा ही परम: प्रज्ञानानंद जी महाराज


मानव सेवा ही परम: प्रज्ञानानंद जी महाराज

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। पांच तत्वों से मिलकर हुए इस सृष्टि के निर्माण में जल, आकाश, जमीन, वायु और अग्नि का अपना महत्व है जब तक ये पांचों तत्व सुरक्षित हैं त ी तक यह सृष्टि विद्यमान है और उसमें जीवात्माओं का निवास है. सृष्टिकर्ता, पुष्टिकर्ता और संहारक इस सृष्टि के 03 ऐसे स्वरूप हैं जो अपना-अपना कार्य करते रहते हैं. आज वन वि ाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने जंगल याने की जमीन की सुरक्षा के नाम पर ी मानव सेवा का जो अनूठा कार्य किया है वह अनुकरणीय है.
यह बात जिला चिकित्सालय में आज वन कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में उपस्थित हुए द्विपीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के परम शिष्य एवं जयपुर आश्रम प्र ारी राष्ट्र संत स्वामी प्रज्ञानानंद द्वारा कही गयी है.
आपने कहा कि जबसे सृष्टि का निर्माण हुआ है अग्नि जलाने का कार्य करती आ रही है. वायु ी लोगों को प्राण दे रही है. पृथ्वी अन्न उपार्जन कर लोगों का उदर-पोषण कर रही है वहीं नदियाँ और सरोवर अपना धर्म नि ाते हुए लोगों को अपेक्षित जल प्रदान कर रहे हैं. इन्होंने अब तक अपने धर्म और कर्तव्य का त्याग नहीं किया है. इसके विपरीत सृष्टि का ही स्वरूप मानव आज प्रकृति के ही इन स्वरूपों के विनाश में जुट गया है. वह जंगलों को काटने, नदियों को प्रदूषित करने और वायु में प्रदूषण फैलाने का कार्य कर रहा है.
स्वामी जी ने कहा कि हम अपने धार्मिक आयोजनों में धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो, इन नारों का उद्घोष ले ही करते हों लेकिन हमारा आचरण इसके विपरीत ही होता है. वास्तव में देखा जाये तो प्रत्येक जीवात्मा में परमात्मा का निवास है. जिस दिन हम अपने परम तत्व को जान लेंगे उस दिन हम किसी के विनाश की कल्पना ही नहीं कर सकते. आज आवश्यकता अपने उसी परम तत्व को जानने की है.
वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी जिन्होंने आज वन रक्षा के साथ ही मानव सेवा के संकल्प के साथ रक्त दान करने का यह आयोजन किया है वह निश्चित ही बधाई और आशीर्वाद के हकदार है. आज उनके द्वारा दिया गया रक्त जिस किसी ी व्यक्ति को लगेगा रक्तदाता यह जान लें कि वह व्यक्ति पूर्व जन्म का उनका अपना कोई सगा संबंधी ही है.
स्वामी जी ने कहा कि आज देश में जंगल काटे जा रहे हैं. पहाड़ खोदे जा रहे हैं. नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है. जब हमें जंगल कटने के कारण शुद्ध वायु नहीं मिलेगी, पहाड़ों के खोदे जाने से पर्यावरण प्र ावित होगा और नदियों का प्रदूषित जल नहीं रोका गया तो फिर हमारे धर्म की जय कैसे होगी इस पर हमें चिंतन मनन की आवश्यकता है. प्रकृति को बचाकर ही हम अपने आपको स्वस्थ्य और सुरक्षित रख सकते हैं.आपने कहा कि हम सनातन धर्मावलंबी विश्व कल्याण की कामना करते हैं. विश्व का यह कल्याण प्रकृति को सुरक्षित रखकर ही किया जा सकता है और इसके लिए हमें प्रकृति के नियमों का पालन करना ी जरूरी होगा. अपने लो के लिए हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करें तो फिर उसे हम कैसे सुरक्षित रख सकते हैं. पेड़ों और जंगलों का काटा जाना किसी ी दृष्टि से उचित नहीं है.
आज इस वन वि ाग के अधिकारी-कर्मचारी अपना रक्त दान कर ले ही मानव सेवा के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं लेकिन उन्हें वनों, वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण और संवर्धन की दिशा में ी प्रयास करना होगा त ी उनका यह रक्तदान सार्थक होगा.
इस शिविर में वन वि ाग के 02 वन मंडलाधिकारियों सहित अन्य अधिनस्थ अधिकारी-कर्मचारियों जिनकी संख्या 103 थी ने अपना रक्तदान देकर इस शिविर को सार्थक बनाया.स्वामी  जी के जन्म दिवस के अवसर पर गत वर्ष से उनके शिष्यों द्वारा रक्त दान किये जाने की परम्परा प्रारं की गयी थी और गत वर्ष ही वन कर्मचारी संघ द्वारा इस बात का संकल्प लिया गया था कि स्वामी जी के 2013 में महाशिवरात्रि पर पड़ने वाले जन्मोत्सव पर वन वि ाग के अधिकारी कर्मचारी रक्त दान देकर मानव सेवा में अपना सहयोग प्रदान करेंगे.आज आयोजित इस कार्यक्रम में वन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के अलावा अजय मिश्रा अज्जू, प्रशांत शुक्ला का विशेष योगदान रहा.