गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

पलनिअप्पम की सक्सेसर हो सकतीं हैं शीला


पलनिअप्पम की सक्सेसर हो सकतीं हैं शीला

शीला संदीप के खिलाफ रोष भड़का

शीला की दिल्ली से बिदाई तय

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनावों में पस्त पड़ी कांग्रेस की इस हालत के लिए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वहीं शीला पुत्र सांसद संदीप दीक्षित की बयानबाजी से कांग्रेस के अंदर रोष और असंतोष की खिचड़ी खदबदाने लगी है। माना जा रहा है कि जल्द ही शीला दीक्षित को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाकर कांग्रेस में संगठन स्तर पर महती जवाबदारी दी जाकर उन्हें मनमोहन मंत्रीमण्डल में लाल बत्ती से नवाजा जा सकता है।
एमसीडी में कांग्रेस की हार पर नेताओं की बयानबाजी को लेकर कांग्रेस के भीतर काफी असंतोष है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र और पूर्वी दिल्ली के सांसद संदीप दीक्षित के बयान कांग्रेस के नेताओं को नागवार गुजर रहे हैं। पार्टी के आला नेताओं का मानना है कि संदीप की अनर्गल बेवजह बयानबाजी से विपक्ष के हाथ एक मुद्दा बैठे बिठाए ही लग सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार संदीप दीक्षित द्वारा टूजी के मामले ओर कांग्रेस के नेताओं को जनता से ना जोड़ पाना ही हार का प्रमुख कारक बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री के सांसद पुत्र की इस दलील से कांग्रेस में एक नई बहस आरंभ हो गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में चल रही चर्चाओं के अनुसार अगर दिल्ली प्रदेश की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उनके सांसद पुत्र संदीप दीक्षित ही जनता से संपर्क बनाने में असफल रहे हैं तो इसका दोष आखिर दूसरों के सर मढ़कर संदीप क्या साबित करना चाह रहे हैं। जबकि संदीप दीक्षित अपने संसदीय क्षेत्र में ही कांग्रेस की लाज नहीं बचा पाए हैं।
उधर कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि शीला दीक्षित को जल्द ही नई और बेहतरीन जवाबदारी से नवाजा जाने वाला है। शीला लगभग डेढ़ दशक से दिल्ली की निजाम की कुर्सी पर हैं इसलिए पार्टी उनकी वरिष्ठता, लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें कांग्रेस का नया ब्राम्हण चेहरा बनाने पर विचार कर रही है।
सूत्रों की मानें तो राजनीति में अब चतुर सुजान हो चुकी कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा अपने परमप्रिय नेता ए.के.अंटोनी के विवादस्पद होते ही नंबर टू यानी पलनिअप्पम चिदम्बरम को रायसीना हिल्स पर काबिज करने का मन बना लिया है। अगले राष्ट्रपति चुनावों में चिदम्बरम पर कांग्रेस दांव खेल सकती है। चिदम्बरम से खाली हुई देश के गृह मंत्री की महत्वपूर्ण आसनाी को श्रीमति शीला दीक्षित के लिए सुरक्षित रखने की तैयारी भी लगभग पूरी हो चुकी है।

पलनिअप्पम की सक्सेसर हो सकतीं हैं शीला
शीला संदीप के खिलाफ रोष भड़का
शीला की दिल्ली से बिदाई तय
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनावों में पस्त पड़ी कांग्रेस की इस हालत के लिए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वहीं शीला पुत्र सांसद संदीप दीक्षित की बयानबाजी से कांग्रेस के अंदर रोष और असंतोष की खिचड़ी खदबदाने लगी है। माना जा रहा है कि जल्द ही शीला दीक्षित को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाकर कांग्रेस में संगठन स्तर पर महती जवाबदारी दी जाकर उन्हें मनमोहन मंत्रीमण्डल में लाल बत्ती से नवाजा जा सकता है।
एमसीडी में कांग्रेस की हार पर नेताओं की बयानबाजी को लेकर कांग्रेस के भीतर काफी असंतोष है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र और पूर्वी दिल्ली के सांसद संदीप दीक्षित के बयान कांग्रेस के नेताओं को नागवार गुजर रहे हैं। पार्टी के आला नेताओं का मानना है कि संदीप की अनर्गल बेवजह बयानबाजी से विपक्ष के हाथ एक मुद्दा बैठे बिठाए ही लग सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार संदीप दीक्षित द्वारा टूजी के मामले ओर कांग्रेस के नेताओं को जनता से ना जोड़ पाना ही हार का प्रमुख कारक बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री के सांसद पुत्र की इस दलील से कांग्रेस में एक नई बहस आरंभ हो गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में चल रही चर्चाओं के अनुसार अगर दिल्ली प्रदेश की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उनके सांसद पुत्र संदीप दीक्षित ही जनता से संपर्क बनाने में असफल रहे हैं तो इसका दोष आखिर दूसरों के सर मढ़कर संदीप क्या साबित करना चाह रहे हैं। जबकि संदीप दीक्षित अपने संसदीय क्षेत्र में ही कांग्रेस की लाज नहीं बचा पाए हैं।
उधर कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि शीला दीक्षित को जल्द ही नई और बेहतरीन जवाबदारी से नवाजा जाने वाला है। शीला लगभग डेढ़ दशक से दिल्ली की निजाम की कुर्सी पर हैं इसलिए पार्टी उनकी वरिष्ठता, लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें कांग्रेस का नया ब्राम्हण चेहरा बनाने पर विचार कर रही है।
सूत्रों की मानें तो राजनीति में अब चतुर सुजान हो चुकी कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा अपने परमप्रिय नेता ए.के.अंटोनी के विवादस्पद होते ही नंबर टू यानी पलनिअप्पम चिदम्बरम को रायसीना हिल्स पर काबिज करने का मन बना लिया है। अगले राष्ट्रपति चुनावों में चिदम्बरम पर कांग्रेस दांव खेल सकती है। चिदम्बरम से खाली हुई देश के गृह मंत्री की महत्वपूर्ण आसनाी को श्रीमति शीला दीक्षित के लिए सुरक्षित रखने की तैयारी भी लगभग पूरी हो चुकी है।

आड़वाणी - गड़करी में खिंची तलवारें


आड़वाणी - गड़करी में खिंची तलवारें

(शरद खरे)

नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी का आउटडेटेड हो चुका चेहरा और युवा चेहरे के बीच अघोषित तौर पर तलवारें खिचीं हुईं हैं। भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी को दुबारा अध्यक्ष ना बनने देने के लिए आड़वाणी जुंडाली अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। इसके लिए वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी दो दो हाथ करने को आमदा दिख रही है। इस सबके पीछे मुख्य वजह माना जा रहा है 2014 का आम चुनाव।
भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि भाजपा के आला नेताओं ने अपने अपने स्तर पर अनेक चरणों में सर्वेक्षण करवाया है और पाया है कि आने वाले आम चुनावों में कांग्रेस की हालत घपले घोटालों और भ्रष्टाचार के चलते पतली रहेगी और भाजपा ही सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी बनकर उभरेगी।
इन परिस्थितियों में सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में देश के वज़ीरे आज़म का पद भाजपा की झोली में जाएगा। सालों साल भाजपा में रहकर तपस्या कर स्वयंभू लौह पुरूष बने एल.के.आड़वाणी इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं कि उनके अलावा और किसी को प्रधानमंत्री पद मिल पाए।
उधर, भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी का कार्यकाल इस साल दिसंबर में समाप्त हो रहा है। एक तरफ गड़करी इस बात के लिए आश्वस्त हैं कि उन्हें दूसरी बार भी भाजपा की कमान दी जाएगी, वहीं दूसरी ओर गड़करी के धुर विरोधी आड़वाणी जुंडाली इस पर पानी फेरने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि इस मुद्दे को लेकर टीम आड़वाणी और आरएसएस में तलवारें खिंच गई हैं।
गड़करी विरोधी अब नितिन गड़करी की खामियों को जमकर रेखांकित करने में जुट गए हैं। गड़करी के खिलाफ अंशुमान प्रकरण, उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार, एमपी में भाजपा में मचा द्वंद और भ्रष्टाचार, के साथ ही साथ कैग का वह प्रतिवेदन जिसमें कहा गया है कि गड़करी के नजदीकी और व्यवसायिक साझेदार अजय संचेती को छत्तीसगढ़ में कोयला आवंटन में एक हजार करोड़ रूपए का नुकसान सरकार को उठाना पड़ा है, को प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
उधर, दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके सूत्रों का कहना है कि गड़करी की खिलाफत का संघ पर असर हो इस बात में संदेह ही है, क्योंकि संघ ने 2009 में ही गड़करी की ताजपोशी के पहले ही साफ कर दिया था कि 2014 के आम चुनाव गड़करी के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे।
भाजपा की परंपरानुसार अब तक संघ के निर्देश ही भाजपा के लिए अंतिम और सर्वमान्य हुआ करते आए हैं। भाजपा में पहली बार गड़करी मामले को लेकर विद्रोह के स्वर बुलंद होते दिख रहे हैं। एक ओर गड़करी आश्वस्त हैं कि संघ का निर्देश भाजपा के हर नेता को मानना ही होगा, वहीं दूसरी ओर टीम आड़वाणी अब गड़करी और संघ के खिलाफ तलवारें पजाती नज़र आ रही है।

नर्मदा की सुध ली शिव सरकार ने


नर्मदा की सुध ली शिव सरकार ने
इंदौर (साई)। नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये 10 वर्षीय नर्मदा शुद्धीकरण परियोजना शुरू की जाएगी। ये जानकारी नगरीय प्रशासन और विकास मंत्री बाबूलाल गौर ने कल इन्दौर में सरकारी एजेंसी के साथ चर्चा के दौरान कही। उन्होंने बताया कि प्रदेश के ढ़ाई हजार किलोमीटर क्षेत्र में फैली नर्मदा नदी में जहां भी दूषित जलधाराएं शामिल हो रही हैं, उन्हें दूसरी दिशा में मोड़ा जाएगा।
इसके लिये नर्मदा तट पर बसे छोटे-बड़े 52 शहरों को 25 तथा 50 लाख रूपये प्रतिवर्ष दिये जाएंगे। श्री गौर ने बताया कि ये राशि कस्बों और नगरों के स्थानीय निकायों को प्रदान की जाएगी। शहरों से नदी की ओर बहने वाले नालों एवं जल के शुद्धीकरण के लिये जल संशोधन संयंत्र भी स्थापित किये जाएंगे।
चर्चा में श्री गौर ने बताया कि नर्मदा की परिक्रमा के लिये आने वाले श्रद्धालुओं को प्रदेश सरकार खाने एवं ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराएगी। इन्दौर में केन्द्र सरकार की जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के कार्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत बनने वाले आवासों, मार्गों और अन्य निर्माण कार्यों को समय-सीमा के भीतर पूरा किया जाएगा।

मुद्रा स्फीती की दर बढ़ी


मुद्रा स्फीती की दर बढ़ी
भोपाल (साई)। दैनिक उपयोग की वस्तुओं, दूध व दुग्ध उत्पादों, सब्जियों, मांस, खाद्य तेल तथा ईंधन की कीमतों में तेजी के चलते खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि दर्ज की गई है। केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति की दर 9 दशमलव चार-सात प्रतिशत रही। इसकी दर फरवरी में 8 दशमलव आठ-तीन प्रतिशत रही थी।
खुदरा मूल्य सूचकांक-सीपीआई के आधार पर खुदरा मूद्रास्फीति की दर तय होती है। उधर रिजर्व बैंक द्वारा रैपो रेट कम किए जाने के एक दिन बाद आईडीबीआई बैंक में कर्ज पर ब्याज दर में शून्य दशमलव पांच प्रतिशत तक की कटौती की है। नई दरें 20 अपै्रल से लागू होंगी।
रिजर्व बैंकी की घोषणा से शेयर बाजार में भी तेजी देखी गई कल मुंबई शेयर बाजार का संेसेक्स 34 अंक बढ़ाकर 17 हजार 3 सौ 92 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 10 अंक बढ़कर 4 हजार 300 हो गया। रूपया डॉलर के मुकाबले 31 पैसे कमजोर हुआ और एक डालर की कीमत 51 रूपये 78 पैसे दर्ज हुई। सोने का मूल्य दिल्ली में 28 हजार 8 सौ 90 रूपये प्रति दसग्राम पर ज्यों का त्यों बना रहा, लेकिन चांदी 4 सौ 25 रूपये मंहगी होकर 56 हजार 600 रूपये प्रति किलो पर जा पंहुची।