सोमवार, 10 मई 2010

और ज्ञानी जी को भूल गई कांग्रेस

ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
और ज्ञानी जी को भूल गई कांग्रेस
नेहरू गांधी परिवार को महिमा मण्डित करने के लिए कांग्रेस के प्रबंधकों द्वारा तरह तरह के जतन किए जाते रहे हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा जी, राजीव जी की जयंती हो या पुण्य तिथि कांग्रेस और कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन उन्हें याद करने में न तो कांग्रेस ही कोई कसर रखती है, और न ही संप्रग सरकार। देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाले पहले सिख्ख राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह की जयंती को न केवल कांग्रेस बल्कि संप्रग सरकार भी भूल गई। इस दिन भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने न तो कोई विज्ञापन ही जारी किया और न तो कांग्रेस ने ही कोई प्रोग्राम का आयोजन किया। कृतघ्न राष्ट्र की ओर से दिल्ली विश्वकर्मा सभा के तत्वावधान में ही एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया था। इस संबंध में खबर भी एकाध अखबार ने अपने अंदर के किसी पेज पर छापी। कितने आश्चर्य की बात है कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में देश के पहले नागरिक की आसंदी पर बिराजने वाले ज्ञानी जेल सिंह को कांग्रेस द्वारा इतनी जल्दी ही भुला दिया गया, कांग्रेस भूले बिसरे गीत बजाए भी तो क्यों उसे तो बस नेहरू गांधी परिवार का तराना जो बजाना है।
2 करोड फंूकने के बाद भी नतीजा सिफर
जब भी किसी जनसेवक पर संकट के बादल गहराते हैं, वह अपने सहयोगियों को खुश करने की गरज से उनके सैरसपाटे का इंतजाम कर देता है। यही कुछ दिल्ली की नगर निगम में हुआ। एमसीडी ने पिछले तीन सालों में मेयर और पार्षदों की स्टेडी टूर के नाम पर की गई देश विदेश में की गई सैर सपाटे में दो करोड रूपए व्यय किए गए पर अब तक पार्षद या मेयर ने अपना प्रतिवेदन ही नहीं दिया है। यह बात सूचना के अधिकार के तहत सामने आई है। इसमें बताया गया है कि देश के अंदर यात्रा करने पर एक करोड 32 लाख 70 हजार 973 तो विदेशों की यात्राओं पर 65 लाख 66 हजार 929 रूपए खर्च किए गए हैं। मजे की बात तो यह है कि आदर्शों पर चलने का ढिंढोरा पीटने वाली भारतीय जनता पार्टी एमसीडी पर काबिज है, और वह सदा से ही निगम की माली हालात ठीक नहीं होने का रोना रोती रहती है, जिससे निगम कर्मियों को न तो समय पर वेतन ही मिल पाता है, न ही गरीबों को पेंशन बंट पा रही है, नई योजनाएं पैसों के अभाव में दम तोड रही हैं। सिक्के के दूसरे पहलू के रूप में निमग के मेयर और पार्षद जनता के गाढे पसीने की कमाई के दो करोड रूपए हवा में उडा देते हैं और न तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस ही सूं सां करती है और न ही चाल, चरित्र और चेहरा आधार पर सियासत करने वाली भाजपा के बडे नेता ही देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में अपनी नाक के नीचे होने वाले इस खेल पर कोई टिप्पणी करना उचित समझते हैं।
. . . तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देते शरद पंवार
देश के कृषि मंत्री की आसनी पर विराजमान शरद पवार का कहना है कि सरकार सभी को सस्ता अनाज नही दे सकती है। कंेद्र सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को समान रूप से लागू करने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पंवार ने कहा कि सरकार ने इस साल साढे पांच सौ टन अनाज की रिकार्ड खरीदी की है। खाद्यान सब्सीडी जो 19 हजार करोड रूपए थी, वह बढकर 70 हजार करोड रूपए होने की उम्मीद है। पवार का कहना है कि गरीबी रेखा से उपर जीवन निर्वहन करने वालों को 2002 की कीमतों पर ही अनाज मिल रहा है। पवार साहब के घर पर अनाज शायद खरीदा ही नहीं जाता है, तभी उनको यह नहीं पता है कि 2002 में जो कीमतें थीं, आज वे आसमान छू रहीं हैं। दिल्ली में ही अगर सुबह घर से निकला जाए तो शाम तक सौ के नोट पर बने गांधी मुस्कुराते हुए दूसरे के हाथ में जाकर अगले गांधी के बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त कर देते हैं। अगर आप सुबह की चाय से लेकर रात का खाना तक बाहर खाते हैं तो मान लीजिए कि आपको कम से कम चार गांधी अर्थात चार सौ रूपए खर्च करने होंगे। अगर आप अनाज खरीदने जाएंगे तो आपके होश उड जाएंगे। देश के शासकों का यह धर्म है कि वह हर हाल में अपनी रियाया को खुश रखना है। शासक मां की तरह ही होता है, जिस तरह मां खुद भूखी रहकर अपने बच्चों का पेट भरती है, उसी तरह शासकों को रियाया की क्षुदा शांत करना चाहिए। विडम्बना है कि 21वीं सदी में शासक सिर्फ और सिर्फ अपना पेट भरने की जुगत में ही नजर आते हैं।
भाजपा के गांधी मुश्किल में
भारतीय जनता पार्टी के गांधी यानी वरूण गांधी के तल्ख तेवर कुछ ढीले नजर आ रहे हैं। इलाहबाद में वरूण गांधी द्वारा देश की आजादी में अपनी गजब की भूमिका निभाकर युवाओं के पायोनियर बने चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर चप्पल पहन कर माल्यार्पण करने पर वे विवादों के घेरे में आ गए हैं। इससे पहले भी वरूण ने पिछले साल मुसलमानों के प्रति नफरत भरे बयान कहकर विवादित हो गए थे। पीलीभीत के संसद सदस्य को भाजपा द्वारा यूपी में युवा आईकान बनाने का प्रयास अवश्य ही किया जा रहा है, पर वरूण की सलाकार मण्डली उन्हें हर कदम पर उलझा ही रही है। एक टीवी चेनल ने पहले आजाद की प्रतिमा स्थल के बाहर जूते चप्पल उतार कर ही माल्यापर्ण करने के बोर्ड को दिखाया फिर वरूण गांधी को सेंडल पहनकर माल्यापर्ण करते हुए दिखाया। वरूण की माता मेनका को अब तलाश है भाजपा में एसे सलाहकारों की जो उनकी जठानी सोनिया के पुत्र राहुल गांधी को मात देने की चालें चल सके।
. . . उनका क्या होगा जी जो वोट डाल चुके हैं
देश के गृहमंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम देर से ही सही जागे तो। अवैध तौर पर भारत में रह रहे बंग्लादेशियों को देश से बाहर खदेडने के लिए उन्होंने कठोर रूख अपनाने की बात कही है। कंेद्र सरकार का कहना है कि भारत में अवैध रूप से रह रहे बंग्लादेशियों को उनके देश वापस भेजा जाएगा। साथ ही 1971 की नागरिकता देने संबंधी नीति को बदला नहीं जाएगा। चिदम्बरम ने रहस्योद्घाटन करते हुए कहा कि 2008 तक एक लाख बंग्लादेशियों को वापस भेजा जा चुका है। सदन में जब वाई.पी.त्रिवेदी ने प्रश्न किया कि मुंबई में बडी तादाद में बंग्लादेशी रह रहे हैं, और उनमें से अधिकांश ने राशन कार्ड और चालक अनुज्ञा तक बनवा लिया है, तो इस प्रश्न को बडी ही सफाई से चिमम्बरम टाल गए। देखा जाए तो समूचे देश में लाखों की तादाद में बंग्लादेश से आकर अवैध तौर पर रहने वालों की संख्या बहुत ही अधिक है। देश के हर सूबे में ये तेजी से फैल चुके हैं। कहा जा रहा है कि आम आदमी को राशन कार्ड, ड्राईविंग लाईसेंस, पासपोर्ट बनवाने में मशक्कत कर पसीना बहाना पडता हो, पर इनका काम चुटकियों में हो जाता है। मुंबई में तो इनकी बस्तियों पर अंडर वर्ल्ड सरगनाओं का हाथ भी बताया जाता है, तभी सडकों किनारे ये सीना तानकर मकान बनाकर रह रहे हैं।
योन शोषण का आरोप मंत्री बाहर
देश के जनसेवकों के चेहरे किस किस तरह के होते हैं, यह बात पिछले लगभग दो दशकों में बेहतर तरीके से उभरकर सामने आ रही है। कहीं सुखराम घोटाले में फंसते हैं तो कभी हवाला में सांसद उलझे तो कभी पैसा लेकर प्रश्न पूछने की बात सामने आई। इस सबके बाद भी मोटी चमडी वाले जनसेवकों पर कोई असर नहीं हुआ। नैतिकता का लबादा ओढकर अनैतिक काम करने वाले जनसेवकों की फेहरिस्त में कर्नाटक के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री हराथलु हलप्पा का नाम भी जुड गया है। हलप्पा पर आरोप है कि उन्होंने अपने मित्र और एक समाजिक कार्यकर्ता की पत्नि का यौन शोषण किया है। बताते हैं कि एक दिन जब वे अपने उक्त मित्र के घर पर भोजन के लिए आए और रात वहीं ठहर गए। इसके उपरांत आधी रात को उन्हें कुछ बेचेनी हुई तो उन्होंने अपने मित्र को अपने ही सुरक्षा कर्मी के साथ दवा लाने भेज दिया। जब उनका मित्र दवा लेकर लौटा तो उसकी पत्नि लुटी पिटी रोती मिली। जनसेवकों के द्वारा एसे कर्म किए जाने पर अब किससे क्या कहा जा सकता है।
डीएनए टेस्ट से घबराए तिवारी
राजभवन में रंगरेलियां मनाते केमरे में कैद होने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी ने अपना डीएनए टेस्ट कराने से साफ इंकार कर दिया है। यह बात उन्होंने उच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका के जवाब में दिए हलफनामे में कही है। तिवारी के खिलाफ रोहित शेखर नाम के एक युवक ने याचिका दायर कर खुद को उनका जैविक पुत्र बताया है। रोहित का कहना है कि उसकी माता उज्जवला शर्मा के साथ तिवारी के नाजायज ताल्लुकात रहे हैं। कोर्ट ने तिवारी से कहा था कि क्यों न उनका डीएनए परीक्षण करवाया जाए। साथ ही कोर्ट ने एक सौ से ज्यादा तस्वीरों में जिनमे रोहित के जन्म के उपरांत तिवारी को उसकी मा और रोहित के साथ दिखाया गया है, का जवाब भी मांगा है। तिवारी बस अपने आप को निर्दोष बता रहे हैं, वे इन तस्वीरों के मामले में पूरी तरह मौन ही हैं। तिवारी को कौन समझाए कि कोर्ट सबूतों के आधार पर चलती है। वह सरकार नहीं है कि किसी को लाभ या हानी पहुंचाने के लिए अपने फैसले अपनी तरह से दे।
भारतीय रेल को घर का ही समझ लिया था शायद
मध्य प्रदेश के रीवा संसदीय क्षेत्र के संसद सदस्य देवराज सिंह पटेल ने सरकारी संपत्ति आपकी अपनी है, को मूल मंत्र मान लिया है। हुआ यूं कि वे अपनी बेटी के साथ सामान्य श्रेणी का टिकिट लेकर एसी सेकंड क्लास में विन्धयाचल एक्सप्रेस में रीवा से दिल्ली की यात्रा कर रहे थे। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंचने के पहले रेल्वे के चेकिंग दल जीआरपी, आरपीएफ के सदस्यों ने उनकी पुत्री को सामान्य श्रेणी का टिकिट होने पर पकड लिया। सांसद जी भडक गए, और शुरू हो गया हो हल्ला। सांसद जी को तो भारतीय रेल का पास के कारण छोड दिया गया पर टीसी उनकी बेटी के लिए अड गया। टीसी को कर्तव्य पूरा करते देख सांसद जी ने भी आपा खो दिया। उन्होंने अपने रूतबे का इस्तेमाल करते हुए टीसी को हडकाना आरंभ कर दिया। टीसी भी टस से मस नहीं हुआ, और उसने 2883 रूपए की रसीद बना ही दी। उस पर टीसी ने सांसद जी से हस्ताक्षर करने को कहा। सांसद जी भी जनसेवक ठहरे उन्होंने टीसी को देख लेने की धमकी दे डाली। सचल दल ने इसकी जानकारी कानपुर रेल्वे स्टेशन को दे दी। कानपुर रेल्वे स्टेशन पर एसी टू की बोगी को जीआरपी और आरपीएफ ने घेर लिया। फिर क्या था, बात बिगडती देख सांसद जी ने अपनी जेब हल्की की और 2883 रूपए टीसी को अदा किए तब जाकर बात बनी। वैसे भी सांसदों या पूर्व सांसदों के यात्रा के दौरान उनके नहले दहले अन्य पूर्व सांसदों के पास के नंबर पर यात्रा करते पाए जाएं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। टीसी अदना सा सरकारी कर्मचारी है, वह आखिर करे भी तो क्या, बडे बाबू को अपना परिवार भी तो चलाना है।
15 हजार में एनपी सिस्टम की अधिसूचना जारी
कमल नाथ के नेतृत्व वाले केंद्रीय सडक एवं परिवहन मंत्रालय द्वारा भारी अंतर्विरोध के बाद भी देश भर के ट्रांसपोर्टस को 15 हजार रूपए में नेशनल परमिट देने की अधिसूचना आखिरकार जारी कर ही दी गई। दरअसल ट्रांसपोर्टस द्वारा लंबे समय से इस तरह की मांग की जा रही थी। ट्रांसपोर्टस के दबाव में मंत्रालय ने घोषणा की थी कि 1 मई से नेशनल परमिट महज 15 हजार रूपए में जारी किया जाएगा। कांग्रेसनीत महाराष्ट्र और तमिलनाडू सरकार के द्वारा हाथ खीच लिए जाने पर इसको अमली जामा एक मई को नहीं पहनाया जा सका। एक साल के लिए अब ट्रांसपोर्टस को एक वाहन के लिए 15 हजार रूपए में नेशनल परिमिट जारी किया जा सकेगा। इसके अलावा आवेदन के समय एक हजार रूपए की राशि अतिरिक्त जमा करवाना अनिवार्य होगा, जो उस राज्य के खाते में जाएगी जो राज्य इस परिमट को जारी करेगा। वैसे इस नई व्यवस्था से ट्रांसपोर्टस को अब बार बार राज्यों के झमेले में नहीं पडना पडेगा, पर इससे ट्रांसपोर्ट और पुलिस विभाग की काली कमाई पर डाका पड जाएगा, जिससे उनके चेहरों की रोनक उडना स्वाभाविक ही है।
मोदी को बतौर पीएम प्रस्तुत करने से हटे गडकरी
भाजपा के नए नवेले अध्यक्ष नितिन गडकरी ने पहले तो कहा कि अगले चुनावों में नरेंद्र मोदी को बतौर प्रधानमंत्री प्रस्तुत किया जाएगा, अब वे अपनी बात से ही हट रहे हैं, अब गडकरी का कहना है कि 2014 के आम चुनावों में मोदी को बतौर पीएम प्रस्तुत किया जाएगा यह अभी तय नहीं है। भाजपा के अंदरखाते में चल रही हलचल को अगर सही माना जाए तो गडकरी को मोदी पसंद नहीं हैं। गडकरी की ताजपोशी के पहले देश भर से भाजपा नेता और भाजपा शासित मुख्यमंत्रियांे ने दिल्ली जाकर गडकरी को बधाई दी थी, पर इस लंबी फेहरिस्त में नरेंद्र मोदी का नाम नहीं था। कहा जा रहा है कि उस वक्त राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के. आडवाणी को कमजोर करने के लिए गडकरी द्वारा मोदी का नाम आगे किया गया था। अब जबकि आडवाणी पार्श्व की ओर अग्रसर हैं, तब मोदी ने यू टर्न लेकर मोदी की पीएम बनने की संभावनाओं को क्षीण करना आरंभ कर दिया है। गडकरी जानते हैं कि अगर मोदी को ज्यादा आगे लाया गया तो भाजपा अपने अल्पसंख्यकों के वोट बैंक से हाथ धो बैठेगी।
पूर्व कप्तानों पर फटे बेदी
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी जो अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए सदा ही चर्चित रहे हैं ने एक बार फिर अपना मुंह खोला है। इंडियन प्रीमियर लीग में रूपयों के बंदरबांट की खबरों और प्रमाणों के बाद बेदी ने आईपीएल से जुडे तीन पूर्व कप्तानों सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री और मंसूर अली खां पटौदी की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते हुए उन्हें कटघरे में खडा कर दिया है। एक निजी टीवी चेनल को दिए साक्षात्कार में इन तीनों पूर्व कप्तानों के विवादों के बाद भी आईपीएल से जुडे होने पर बेदी ने कहा है कि इसमें वित्तीय अनियमितताओं के आरोप के बाद कम से कम इन तीनों को अपने आप को आईपीएल से अलग कर लेना चाहिए था, पर एसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि पैसे ने इन तीनों का मुंह बंद कर रखा है। शास्त्री और गावस्कर को कामेंट्र में व्यस्त होने की बात कहकर उन्होंने कहा कि पटोदी तो कुछ नहीं कर रहे हैं। और फिर बिना आर्थिक लाभ के आखिर कोई क्रिकेटर अपने नाम का उपयोग कैसे करने दे सकता है।
पेयजल संकट में पानी माफिया की पौ बारह
जीवन दायनी यमुना के मैले होने के बाद देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली पेयजल संकट से कराह रही है। गरमी के मौसम में लोगों के साथ ही साथ पशु पक्षियों के कंठ भी सूखने लगे हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दिल्ली में अस्सी फीसदी जनता पानी खरीदकर ही पीती है, क्योंकि नगर निगम के द्वारा नलों के माध्यम से प्रदाय किया जाने वाला पानी पीने योग्य है या नहीं इस पर सदा ही प्रश्न चिन्ह लगते रहे हैं। इस सबके चलते दिल्ली में पानी माफिया ने जगह जगह निजी बोर और आर ओ प्लांट लगा रखे हैं। आलम यह है कि दिल्ली वासी 25 से 75 रूपए में विभिन्न ब्रांड या अनब्रांडेड पानी के 20 लीटर के जार खरीदकर पानी पीने को मजबूर है। इसके अलावा ठंडे पानी के 20 लीटर के जार 15 से 25 रूपए में धडल्ले से बिक रहे हैं। दिल्ली में हर एक किलोमीटर में दर्जनों एसी मशीन जिसमें रेफरीजरेटेड ठंडे पानी की मशीन जिस पर एक रूपए में एक गिलास पानी मिलता है, दिखाई पड जाती हैं। देश की राजधानी में कांग्रेस की शीला दीक्षित और केंद्र की कांग्रेसनीत सरकार के सामने अगर रियाया की यह हालत है तो सुदूर ग्रामीण अंचलों की कल्पना कर ही रोंगटे खडे होना स्वाभाविक ही है।
लो साहेब आ गई एक और लखटकिया
टाटा की लखटकिया कार नैनो बाजार में अपना वांछित असर नहीं दिखा सकी। नैनो को लखटकिया कार जरूर कहा जाता है, पर वास्तविकता यह है कि नैनो सडक पर आते आते डेढ लाख तक पहुंच जाती है। आम आदमी की कार का सपना टाटा ने दिखाया अवश्य पर इसके इंजन की आवाज और सुरक्षा के मापदंडों के चलते यह आम आदमी की कार नहीं बन सकी। इसी बीच फ्रांस की एक कार कंपनी रैनो ने बजाज आटो लिमिटेड के साथ मिलकर एक और सस्ती कार जिसकी कीमत लगभग 25 हजार डालर अर्थात एक लाख दस हजार रूपए है, के भारत के बाजार में उतारने पर सहमति बना दी है। यह कार इसी साल भारत की सडकों का सीना चीरना चाह रही थी, पर कुछ कारणों के चलते इसे 2012 तक टाल दिया गया है। इसे तीन रूप में उतारा जाएगा, जिसमें एक लाख दस हजार, एक लाख 23 हजार और एक लाख 72 हजार में सकडों पर उतारा जाएगा। एक ओर टाटा कंपनी अपनी लखटकिया कार में कम कीमत के चलते उत्पादन में कठिनाई का समाना कर रही है, वहीं दूसरी ओर बजाज द्वारा इस तरह की घोषणा निश्चित तोर पर चौंकाने वाली ही कही जाएगी।
पुच्छल तारा
कसाब को बिरयानी परोसने की खबरों से आम भारतीय का दिल भारत सरकार की दरियादिली पर उसे कोसने पर मजबूर है। कसाब को जो सुविधाएं दी जा रहीं हैं, उससे आम भारतीय आहत है। दिल्ली से यशवंत श्रीवास्तव एक ईमेल भेजकर इस बात को रेखांकित करने का प्रयास कर रहे हैं। बकौल यशवंत -‘‘मीडिया ने कसाब से पूछा कि वह हिन्दुस्तान के बारे में क्या कहना चाहता है।‘‘ कसाब ने कुटिल मुस्कान के साथ जवाब दिया -‘‘हां, अब में उस वाक्य का अर्थ समझा हूं जो जगह जगह लिखा होता है। ‘अतिथि देवो भव‘‘ मानते हैं यह है अतुलनीय भारत।‘‘

कांग्रेस में फरबदल