शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012

12 तक रहेगी किंगफिशर में तालाबंदी


12 तक रहेगी किंगफिशर में तालाबंदी

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। खरबपति विजय माल्या के स्वामित्व वाले और आर्थिक खस्ताहाली से जूझ रही किंगफिशर एयरलाइंस ने अपनी आंशिक तालाबंदी १२ अक्तूबर तक बढ़ा दी है। कम्पनी प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच वेतन का भुगतान न होने के मुद्दे पर चल रहा गतिरोध अभी तक खत्म नहीं हो पाया है।
कर्मचारियों को पिछले सात महीने से वेतन नहीं मिला है जिसके विरोध में वे हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों के एक वर्ग की हड़ताल को अवैध बताते हुए किंगफिशर प्रबंधन ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि अभी तक कम्पनी का कामकाज सामान्य नहीं हो पाया है इसलिए आंशिक तालाबंदी १२ अक्तूबर तक बढ़ानी पड़ी है।
यह तालाबंदी सोमवार शाम से शुरू हुई थी। कम्पनी के बढ़ते संकट से चिंतित किंगफिशर के कर्जदाताओं की मुंबई में आपात बैठक हुई जिसमें स्थिति पर चर्चा की गई। इस बीच, किंगफिशर एयरलाइंस को कुछ राहत देते हुए बैंकों ने कुछ और कर्ज देना मंजूर कर लिया है।

एफडीआई का बढ़ गया दायरा


एफडीआई का बढ़ गया दायरा

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। आर्थिक सुधारों के दूसरे दौर को आगे बढ़ाते हुए केन्द्र सरकार ने बीमा और पेंशन क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के महत्वपूर्ण विधेयकों में संशोधनो को मंजूरी दे दी है। बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को बढ़ावा देने तथा तेज और समावेशी विकास के अन्य उपायों को भी केंद्र की हरी झंडी मिल गई है। प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में उनके निवास ७ रेसकोर्स रोड पर कल शाम हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिये गये।
मंत्रिमंडल ने बीमा कानून संशोधन विधेयक, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण विधेयक तथा प्रतिस्पर्धा कानून में आवश्यक संशोधनों को मंजूरी दे दी है। बैठक के बाद वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने पत्रकारों को बताया कि बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अधिकतम सीमा मौजूदा २६ प्रतिशत से बढ़ाकर ४९ प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है।
चिदम्बरम ने कहा कि हमें लगता है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को ४९ प्रतिशत तक बढ़ाना चाहिए। पिछले दिनों बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा था कि बीमा क्षेत्र में काफी पूंजी की जरूरत है और यह तभी संभव हो सकता है, जब हम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को ४९ प्रतिशत तक बढ़ाए।
उन्होंने कहा कि हमने एफडीआई सीमा को ४९ प्रतिशत तक बढ़ाने का पुरजोर समर्थन किया है। श्री चिदंबरम ने कहा कि इससे निजी बीमा कंपनियों की पूंजी की बढ़ती ज$रूरते पूरी की जा सकेंगी । प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की जो सीमा बीमा क्षेत्र के लिए रखी गई है वह पेंशन क्षेत्र पर भी लागू होगी।
मंत्रिमंडल ने वायदा कारोबार नियमन संशोधन विधेयक में संशोधन की भी मंजूरी दी है। इस संशोधन का उद्देश्य फारवर्ड मार्केट आयोग को एक नियामक के रूप में स्वायत्तता से काम करने का अवसर देना और सार्वजनिक जवाबदेही बढ़ाना है। इन प्रस्तावित संशोधनों से पहली बार वायदा बाजारों में कई विकल्प की अनुमति मिलेगी जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिल सकेगा।
आर्थिक मामलों से संबद्ध मंत्रिमंडलीय समिति ने ढांचागत ऋण कोष गठित करने के त्रिपक्षीय समझौते के मॉडल को भी मंजूरी दे दी है। समिति ने प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन को भी मंजूरी दे दी जिनका प्रस्ताव कॉर्पाेरेट मामलों के मंत्रालय ने किया था। इन संशोधनों में कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के तौर तरीके तय किए हैं। मंत्रिमंडल ने वन्य जीव संरक्षण कानून में संशोधन को भी मंजूरी दे दी है, जिनसे वन्य जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण में ग्राम सभाओं और पंचायतों को अधिक अधिकार मिल जाएंगे। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने १२वीं योजना का दस्तावेज स्वीकार कर लिया है, जिसमें औसत आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य आठ प्रतिशत रखा गया है।
वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने बताया कि यूपीए सरकार के सभी फैसले राष्ट्र हित में है और विदेशी मुद्राओं के मुकाबले भारतीय रुपया स्थिर होता जा रहा है। उन्होंने राजनीतिक दलों और मुख्य रूप से मुख्य विपक्षी दल से समर्थन की अपील करते हुए कहा कि सरकार के फैसलों पर चर्चा की जा सकती है और ये संसद की मंजूरी से ही लागू किये जाएंगे। श्री चिदंबरम ने बताया कि मंत्रिमंडल ने पांच हवाई अड्डों को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किया है।
कैबिनेट ने पांच हवाई अड्डों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने की मंजूरी दी है। इनमें लखनऊ में चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा, वाराणसी में लालबहादुर शास्त्री हवाई अड्डा तथा त्रिचुनापल्ली में मैगंलोर में और कोयम्बटूर के हवाई अड्डे शामिल है। इन हवाई अड्डों में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए आधारभूत ढांचा मौजूद है। मंत्रिमंडल ने २०वें विधि आयोग को तीन वर्ष के लिए गठित करने की भी मंजूरी दे दी है।
श्री पी चिदंबरम ने बताया कि सरकार ने खाद्य तेल के निर्यात पर प्रतिबंध को जारी रखने और सब्सिडी वाली आयातित दलहनों को बीपीएल परिवारों को देने के लिए राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को सस्ते दरों पर आपूर्ति की योजना को भी मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने भारत की लाभ में हिस्सेदारी की पहुंच के लिये नागोया प्रोटोकॉल के समर्थन की भी अनुमति दे दी हैं। भारत ने ११ मई २०११ में नागोया प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये थे।

अनाथ हो गई सिवनी, भूल गए राजनेता


अनाथ हो गई सिवनी, भूल गए राजनेता

मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन के नक्शे से गायब हुआ सिवनी!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। पता नहीं पर शायद 1990 के उपरांत सिवनी को किसी ना किसी की तो नजर लगी है। 1990 के उपरांत सिवनी का जीवन मानो ठहर सा गया है। ना उद्योग धंधे और ना विकास। जो उद्योग धंधे आ भी रहे हैं उनमें कुछ नेतानुमा ठेकेदार ही अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। इस सबके बाद भी सिवनी के सांसद विधायक नीरो के मानिंद चैन की बंसी ही बजा रहे हैं, जैसे सब कुछ ठीक ठाक चल रहा हो।
अपने निज और निहित स्वार्थों के चलते कांग्रेस और भाजपा के आला नेता, सांसद और विधायकों ने सिवनी जिले को अपने आकाओं के पास गिरवी रख दिया है। सिवनी के खाते में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा के कार्यकाल के अलावा हरवंश सिंह द्वारा अपने तत्कालीन आका अर्जुन सिंह के संचार मंत्री रहते सिवनी को दिलाई गई एसटीडी सुविधा के अलावा और किसी के खाते में कोई उपलब्धि नहीं है।
हाल ही में एक बार फिर सिवनी को छला गया है। बार बार मध्य प्रदेश सरकार के छलने और कांग्रेस के इसके छद्म विरोध से साफ हो जाता है कि यह कांग्रेस भाजपा की नूरा कुश्ती से कम नहीं है। इसी तरह केंद्र में कांग्रेस द्वारा सिवनी को ठगने पर भाजपा के दिखावटी विरोध से भी षणयंत्र की ही बू आने लगती है।
मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आरंभ की गई अभिनव तीर्थ-दर्शन योजना में 60 वर्ष से अधिक उम्र के तीर्थ-यात्रियों को लेकर 5 अक्टूबर को उज्जैन से और 8 अक्टूबर को जबलपुर से ट्रेन रवाना होगी। उज्जैन से जाने वाली ट्रेन 9 अक्टूबर को और जबलपुर से जाने वाली ट्रेन 12 अक्टूबर को वापस आएगी।
उज्जैन से रवाना होने वाली ट्रेन में जिला उज्जैन के 226, देवास के 177, शाजापुर के 171, रतलाम के 164, मंदसौर के 151 और नीमच के 93 तीर्थ-यात्री जाएँगे। इसी तरह जबलपुर से जाने वाली ट्रेन में जिला जबलपुर के 346, बालाघाट के 239, डिंडोरी के 98, मण्डला के 147 और नरसिंहपुर जिला के 153 बुजुर्ग वैष्णो देवी जाएँगे। तीर्थ-यात्रियों के सहयोग के लिए अन्य कर्मचारी भी जाएंगे।
इस आधिकारिक विज्ञप्ति से साफ हो जाता है कि जबलपुर से जाने वाली रेलगाड़ी में सिवनी जिले के यात्रियों को नहीं जोड़ा गया है। मध्य प्रदेश सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस योजना के तहत अभी रेलगाड़ी संभागीय मुख्यालयों से ही ले जाई जा रही हैं। इस तरह अब मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना में भी सिवनी जिले का तिरस्कार कर दिया गया है।
यह सब देखने सुनने के बाद भी सिवनी का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम और भाजपा के केशव दयाल देशमुख, विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा की श्रीमति नीता पटेरिया, शशि ठाकुर, कमल मस्कोले तो अपना मुंह सिले बैठे ही हैं साथ ही साथ कांग्रेस के महाबली और प्रशंसकों के बीच दादा ठाकुर के नाम से पहचाने जाने वाले हरवंश सिंह ठाकुर ने भी सदा की भांति अपना मौन तोड़ना उचित नहीं समझा है।
सब कुछ देखने सुनने के बाद लगने लगा है कि सिवनी का अब कोई धनी धोरी नहीं रह गया है। एक तरह से सिवनी अब पूरी तरह अनाथ ही हो चुका है। ना सिवनी में ब्राडगेज है और ना ही फोरलेन ही बची है। कांग्रेस भाजपा का झंडा डंडा उठाने वाले 2006 से ब्राडगेज तो 2008 से फोरलेन लाने का दिवा स्वप्न दिखाकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। हालात जनता के सामने हैं। सिवनी को इन नेताओं और उनके लग्गू भग्गुओं ने गिरवी ही रख दिया है।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के दबाव में मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार जल्द ही मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत एक विशेष रैक छिंदवाड़ा से भिजवाने का इंतजाम करने वाली है। जिस तरह से सिवनी में फोरलेन के मामले में कमल नाथ की सांकेतिक शवयात्रा निकालकर उस शवयात्रा के साथ हर तरह का दुर्व्यवहार यहां तक कि जूतों की माला तक पहनाई गई थी, उसके उपरांत छिंदवाड़ा के एक कार्यक्रम में कमल नाथ द्वारा सिवनी के दादा ठाकुर हरवंश सिंह पर व्यंगात्मक लहजे में यह कहा गया कि सिवनी का कितना विकास हुआ पूछ लो हरवंश सिंह से?
इसके जवाब में जब हरवंश सिंह ने सिवनी के हक को मांगने के बजाए हथियार डालते हुए अपने उद्बोधन में यह तक कह डाला कि वे स्वयं भी छिंदवाड़ा के हैं से यह बात भी साफ होने लगी है कि अब हरवंश सिंह ठाकुर का केवलारी से मोहभंग होने लगा  है और वे नए विधानसभा या संसदीय क्षेत्र की तलाश में तेजी से जुट चुके हैं। ज्ञातव्य है कि पिछले दो सालों में केवलारी विधानसभा क्षेत्र की जिस तरह से उपेक्षा हो रही है उससे इन आशंकाओं को बल मिल रहा है कि हरवंश सिंह अब इस सीट से चुनाव लड़ने में इच्छुक नहीं बचे हैं।

दीपा के खिलाफ बनने लगा है माहौल!


दीपा के खिलाफ बनने लगा है माहौल!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। एक समय में कांग्रेस के तारणहार रहे प्रियरंजन दासमुंशी आज कहां हैं यह कम ही कांग्रेस जन जानते हैं। सालों से अचेतावस्था में दिल्ली के मथुरा रोड़ स्थित अपोलो अस्पताल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे दासमुंशी को देखने अब शायद ही कोई जाता हो, यहां तक कि उनकी पत्नि दीपा दासमुंशी ने भी अपने पति से किनारा करने की बातें अब अस्पताल प्रबंधन द्वारा की जा रही हैं।
एक समय में कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रियरंजन दासमुंशी अक्टूबर 2008 में जैसे ही बीमार पड़े थे वे सुर्खियों में थे। उसके उपरांत कांग्रेस ने उन्हें भुला ही दिया। कांग्रेस के आला नेताओ ंने भी अपोलो की ओर रूख नहीं किया। अगर कभी किया भी तो अपने परिजनों या रिश्तेदार परिचितों की तीमारदारी के लिए।
अपोलो अस्पताल प्रबंधन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अब तो कई महीने हो गए प्रियरंजन दास मुंशी से मिलने कोई नहीं आया। उन्हें अपोलो अस्पताल के एक प्राईवेट वार्ड में रखा गया है। सूत्रों की मानें तो सालों से प्रियरंजन दासमुंशी अचेतावस्था में ही जीवन और मौत से संघर्ष कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि अपोलो प्रबंधन भी चाह रहा है कि दासमुंशी को उनके परिजन वापस ले जाएं, क्योंकि दासमुंशी के स्वस्थ्य होने की सारी संभावनाएं समाप्त हो चुकी हैं। दासमुंशी को स्टेम सेल ट्रीटमेंट के लिए जर्मनी भी ले जाया गया था पर इसका कोई फायदा नहीं हुआ है। अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि व्हीव्हीआईपी के चलते दासमंुशी को 2008 में अस्पताल में दाखिल करवाया गया था किन्तु उसके उपरांत लंबा समय बीत जाने के बाद जब उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और उनकी तीमारदारी में भी लोगों ने आना बंद कर दिया है तब अस्पताल प्रबंधन अब इस बात के लिए परेशान चल रहा है कि आखिर उनके कमरे के भाड़े का भोगमान कौन भोगेगा?
पिछले दिनों पश्चिम बंगाल के कुछ समाचार पत्रों में प्रियरंजन दास मुंशी के निरीह दीन हीन अवस्था में पड़े होने की खबरें और फोटो प्रकाशित होने पर कांग्रेस में बवाल मच गया था। प्रियरंजन दासमुंशी की अर्धांग्नी दीपा दासमुंशी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि चूंकि दीपा दासमुंशी ने त्रणमूल कांग्रेस के विरोध का झंडा उठाया हुआ है, अतः त्रणमूल के नेता इस तरह के घिनौने प्रचार को अस्त्र बना रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि दीपा दासमुंशी का नाम केंद्र में मंत्री पद के लिए चल रहा है इसलिए त्रणमूल के नेता इस हथकंडे को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि दीपा दासमुंशी के संज्ञान में इस बात को लाया गया है कि त्रणमूल के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय अपने अभिन्न मित्र कुणाल घोष के साथ अपोलो अस्पताल गए और वहां प्रियरंजन दास मुंशी के कमरे में जाकर उनके ना केवल फोटो ले आए वरन् अस्पताल प्रबंधन की खीझ को भी बेहतर तरीके से बंगाल के अखबारों में रेखांकित करवा चुके हैं।
इस बात में सच्चाई कितनी है यह बात या तो प्रियरंजन दासमुंशी की पत्नि दीपा दासमुंशी जानती होंगी या फिर त्रणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय पर इस बात में काफी सच्चाई नजर आती है कि कांग्रेस की सालों साल सेवा करने वाले प्रियरंजन दासमुंशी की सुध पिछले चार सालों से कांग्रेस द्वारा नहीं ली गई है। अब तो उनकी पत्नि दीपा दासमुंशी ने भी अपोलो की ओर रूख करना कम कर दिया है।