बुधवार, 12 जनवरी 2011

किसे फिकर है राजमाता के फरमान की

सोनिया की नसीहतों पर धूल डालने के आदी हो चुके हैं कांग्रेसी

(लिमटी खरे)

देष को ब्रितानियों के कब्जे से छुड़ाने में महती भूमिका अदा करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस की वर्तमान निजाम श्रीमति सोनिया गांधी एक के बाद एक करके कांग्रेसियों को सुधरने की बात कहती जा रही हैं, वहीं मोटी चमड़ी वाले कांग्रेस के जनसेवकों को मानो सोनिया की बातों से कोई लेना देना ही नहीं रहा है। हाल ही में सोनिया ने मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को हिदायत दी है कि वे विवेकाधीन कोटे को समाप्त कर दें।

गौरतलब होगा कि इससे पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष ने मंत्रियों विधायकों के साथ ही साथ कांग्रेसियों को तरह तरह की नसीहतें दी हैं। मंदी के दौर में सोनिया ने साफ कहा था कि कांग्रेस के हर जनसेवक को अपनी पगार का बीस फीसदी जमा कराना होगा। देष में कांग्रेस के विधायक, सांसद और अन्य जनसेवकों पर सोनिया गांधी के इस फरमान का कोई असर नहीं हुआ, किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली,, यहां तक कि खुद सोनिया और उनकी मण्डली ने भी। इसी दरम्यान सोनिया गांधी ने सादगी बरतने का संदेष दिया। कांग्रेसियों ने इतनी सादगी बरती कि कांग्रेस के मंत्रियों ने दिल्ली में राज्यों के भवन होते हुए भी मंहगे आलीषान पांच या सात सितारा होटल में रातें रंगीन की, वह भी सरकारी खर्चे पर। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह भी इन मंत्रियों से हिसाब पूछने का साहस नहीं जुटा पाए कि आखिर इन होटल्स का महंगा भोगमान किसने भोगा।

कांग्रेस के भद्रजनों को सादगी का पाठ पढ़ाने के लिए नेहरू गांधी परिवार की बहू सोनिया गांधी ने दिल्ली से मुंबई तक की यात्रा हवाई जहाज की इकानामी क्लास में कर डाली। उनके बेटे सांसद और महासचिव राहुल गांधी ने दिल्ली से चंडीगढ़ का सफर षताब्दी में किया। मीडिया ने इन दोनों ही घटनाओं को बढ़ा चढ़ा कर देष के सामने पेष किया। बाद में इन्हीं मंत्रियों में से कुछेक ने ‘‘ऑफ द रिकार्ड‘‘ कह डाला कि हवाई जहाज में बीस सीटों का किराया भरकर सोनिया गांधी ने, और षताब्दी की पूरी की पूरी एक बोगी बुक करवाकर राहुल गांधी ने कौन सी सादगी की मिसाल पेष की है।

कांग्रेस अध्यक्ष का विवेकाधीन कोटा समाप्त करने का डंडा किस कदर परवान चढ़ सकेगा कहना जरा मुष्किल ही है। कांग्रेस षासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को सोनिया की यह बात गले नहीं उतर रही है। दरअसल विवेकाधीन कोटा ही वह मलाई है, जिसे इनके द्वारा रेवडियों की तरह बांटा जाता है। अब जबकि सोनिया को अपनी नई टीम का गठन करना है, तथा केंद्र में मंत्रीमण्डल में फेरबदल मुहाने पर है तब मंत्रियों ने अवष्य ही सोनिया गांधी की चिट्ठी का जवाब देना आरंभ कर दिया है कि वे अपने विवेकाधीन कोटे का प्रयोग ही नहीं करते हैं। जैसे ही सोनिया की टीम और मंत्रीमण्डल फेरबदल पूरा होगा वैसे ही इन मंत्रियों के असली दांत अपने आप ही सामने आ जाएंगे।

वैसे देखा जाए तो कांग्रेस को इस वक्त महाराष्ट्र में सबसे अधिक ध्यान देने की आवष्यक्ता है, क्योंकि यहां जमीन घोटाले में कांग्रेस को अपने एक मुख्यमंत्री अषोक चव्हाण की बली चढ़ानी पडी है। उनके स्थान पर भेजे गए पृथ्वीराज चव्हाण ने भी अभी तक सोनिया गांधी को यह नहीं बताया है कि वे अपने अधिकारों में कटौती करने की मंषा रख रहे हैं। देखा जाए तो महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान, दिल्ली, हरियाण, आंध्र प्रदेष जैसे राज्यों में कांग्रेस सत्तारूढ़ है, फिर भी यहां के निजामों ने सोनिया गांधी के इस फरमान को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है।

हो सकता है कि कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों द्वारा श्रीमति सोनिया गांधी को यह तर्क दे दिया जाए कि विवेकाधीन कोटा समाप्त करने से जरूरतमंद लोगों की मदद करना ही मुष्किल हो जाएगा। महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, आंध्र प्रदेष, तमिलनाडू आदि राज्यों में जमीन, प्लाट, फ्लेट आदि को गलत तरीके से आवंटित करने के आरोप तेजी से सियासी फिजां में तैर रहे हैं। नब्बे के दषक में मध्य प्रदेष के कांग्रेसी मुख्यमंत्री राजा दिग्जिवय सिंह ने एमपी की राजधानी भोपाल में पत्रकारों को भी तबियत से सरकारी मकान आवंटित किए थे, बाद में कोर्ट के हस्ताक्षेप से यह मामला रूक पाया था। आज भोपाल के पत्रकारों पर सरकारी मकान खाली करवाने की तलवार लटक ही रही है।

एक समय था जब रसोई गैस और टेलीफोन कनेक्षन मिलना बहुत ही मुष्किल होता था। तब सांसदों को निष्चित मात्रा में रसोई गैस के कूपन मिला करते थे, इसके साथ ही साथ सांसदों को टेलीफोन कनेक्षन का कोटा भी निर्धारित था। अनेक सांसदों पर इस कोटे को बेचने के आरोप भी लगा करते थे। बाद में जब गैस और फोन की मारामारी समाप्त हुई तब इन्हें कोई नहीं पूछता है।

इसी तरह केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के लिए उस जिले के जिलाधिकारी और क्षेत्रीय सांसद के पास दो सीट का कोटा हुआ करता है। जब इस कोटे में भी धांधलियों के आरोप आम हुए तब वर्तमान मानव संसाधन और विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इस कोटे को ही समाप्त करने की घोषणा कर डाली। जैसे ही सिब्बल के मुंह से यह बात निकली वैसे ही सारे सांसदों ने सिब्बल को जा घेरा, मजबूरी में बाद में सिब्बल को अपनी बात वापस लेकर इस कोटे को बहाल ही करना पड़ा।

एसा नहीं है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के कानों तक कांग्रेसियों की गफलतों की षिकायतें न जाती हों। सोनिया को सब पता है कि कौन सा मंत्री कितने फीसदी कमीषन लेकर काम कर रहा है, किस सूबे का कांग्रेस अध्यक्ष या महासचिव पैसा लेकर विधानसभा चुनावों की टिकिटें बेच रहा है? पर क्या करें सोनिया गांधी की मजबूरी है, चुप रहना। अगर सोनिया गांधी ने जरा भी आवाज तेज की, ये सारे कांग्रेसी ही सोनिया गांधी का महिमा मण्डन और स्तुतिगान बंद कर देंगे। इन परिस्थितियों में सोनिया गांधी की नसीहत या उनके फरमान को कांग्रेसी बहुत ज्यादा तवज्जो देने वाले नहीं। बेहतर होगा कि सोनिया गांधी इस तरह का प्रलाप करने के पहले सोचें, जब उनकी बात मानी ही नहीं जानी है तो फिर जुबान खराब करने से भला क्या फायदा।

मध्य प्रदेश को नहीं बसों की दरकार

मध्य प्रदेश को नहीं बसों की दरकार

बसों के लिए कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा केंद्र को

(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार से मिलने वाली इमदाद की मध्य प्रदेष सरकार को दरकार नहीं है। यही कारण है कि केंद्र द्वारा बार बार प्रस्ताव भेजने के अनुरोध के बावजूद भी एमपी गर्वमेंट ने कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा है। केंद्र सरकार को मिले छः राज्यों के प्रस्तावों को उसने मंजूरी दे दी है, जिसमें मध्य प्रदेष का नाम षामिल नहीं है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पास किए गए प्रस्तावों में पंजाब, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडू, हिमाचल प्रदेष और कर्नाटक को षामिल किया गया है। गौरतलब होगा कि सूबों की सरकारी या अर्धसरकारी परिवहन व्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली यात्री बसों के लिए केंद्र सरकार द्वारा अब तक कोई मदद नहीं दी जाती थी। पिछले साल मार्च में भूतल परिवहन मंत्रालय के द्वारा एक योजना बनाई थी जिसके मुताबिक अगर सूबों की बसें सूचना प्रौद्योगिकी सुविधाओं से लैस होंगी तो केंद्र सरकार उन्हें मदद उपलब्ध करवाएगा।
सूत्रों का कहना है कि इसके उपरांत केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2010 - 2011 के लिए सूबों से प्रस्ताव मांगे गए थे किन्तु मध्य प्रदेष सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव ही नहीं मिला। इसके अलावा सूबों में निरीक्षण एवं मरम्मत केंद्र की स्थापना के लिए भूतल परिवहन मंत्रालय ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए मध्य प्रदेष, उत्तर प्रदेष, दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेष, हरियाणा, हिमाचल प्रदेष, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि प्रस्ताव मांगे थे, जिनमें से महज हरियाणा और हिमाचल प्रदेष से ही प्रस्ताव आ पाए हैं।

अत्याधुनिक सुविधाओं से जुड़ सकेंगी यात्री बस
सरफेस ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री द्वारा जिन राज्यों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है, उसके लिए तीस करोड़ रूपए की राषि चरणों में प्रदान की जाएगी, जिससे बसों में जीपीएस, जीएसएस प्रणाली के अंतर्गत व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम, इलेक्ट्रानिक टिकिट वैंडिग मषीन, आटोमेटिक फेयर कलेक्षन सिस्टम के साथ ही साथ सूचना प्रोद्योगिकी की अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी, जिससे राज्य परिवहन निगम में परिचालन क्षमता बढ़ने के साथ ही साथ वाहनों के रखरखाव में मदद मिलेगी।

छिंदवाड़ा को मिल गया एक सेंटर
भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में दो करोड़ 55 लाख रूपए की लागत से बनने वाले निरीक्षण और मरम्मत केंद्र मंजूर कर दिया गया है, जिसके लिए स्थान की तलाष युद्ध स्तर पर की जा रही है।

पीएम से मिली चौहान

पीएम से मिली चौहान

प्रदेश में पाला पड़ने से पांच हजार करोड़ की फसलों को नुकसान:केन्द्रीय सहायता की मांग

नई दिल्ली, (ब्यूरो)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां नई दिल्ली में प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह और केन्द्रीय कृषि एवं खाद्य मंत्री श्री शरद पवार से भेंट की। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि वे प्रदेश के लंबित प्रकरणों को हल करने में सहयोग करेंगे। प्रधानमंत्री ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए और फसलों को हुई क्षति के आकलन के लिए शीघ्र केन्द्रीय अध्ययन दल भेजने का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि प्रदेश में चना, मसूर और अरहर सहित अनेक दलहन फसलों में पाला पड़ने के कारण लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र की पांच हजार करोड़ रूपये की फसलों का नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार किसानों को अपने स्तर पर सहायता दे रहा है। इसके लिए केन्द्रीय सहायता की आवश्यकता होगी। श्री चौहान ने प्रधानमंत्री से केन्द्रीय अध्ययन दल भेजकर क्षति का आकलन कर सहायता देने का अनुरोध किया है। श्री चौहान ने फसल बीमा योजना में भी सुधार करने का आग्रह किया है। किसान और एक गांव को यूनिट मानकर बीमा का लाभ दिया जाए। श्री चौहान ने लागत मूल्य बढ़ने के कारण गेहूं के समर्थन मूल्य में 20 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को अपर्याप्त बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग की। मध्यप्रदेश शासन अपने स्तर पर 100 रूपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य दे रहा है। प्रदेश के किसानों को तीन प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार भी ब्याज की दरें कम करे। श्री चौहान ने बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत छतरपुर में एक कृषि विश्वविद्यालय खोलने का अनुरोध किया। प्रदेश सरकार ने इसक्रे लिए जमीन चिन्हित कर ली है।

श्री चौहान ने प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित किया कि प्रदेश को 170 लाख टन कोयले की आवश्यकता है। प्रदेश को 150 टन आवंटित कोयले के विरूद्ध मात्र 130 लाख टन कोयला दिया जा रहा है इससे प्रदेश में विद्युत उत्पादन कम हो रहा है। श्री चौहान ने मध्यप्रदेश के लिए कोयला की आपूर्ति मध्यप्रदेश की कोयला खानों से करने का आग्रह किया। श्री चौहान ने प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित किया कि कोयला आयात करने पर प्रदेश को चार गुना अधिक खर्च होता है। इसलिए कोयला उत्पादक राज्यों को उनके ही राज्यों से कोयला दिया जाए। श्री चौहान ने प्रधानमंत्री जी से कहा कि प्रदेश को गैर आवंटित बिजली में से 350 मेगावाट बिजली कम मिली रही है। इसी प्रकार दामोदर वैली से 200 मेगावाट बिजली प्राप्त नहीं हो रही है। इस दिशा में प्रधानमंत्री पहल करने का आग्रह किया है। प्रदेश के थर्मल पावर प्लांटों के लिए 6 कोल ब्लाक आवंटित किये गये हैं किन्तु वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति नहीं मिलने के कारण थर्मल पावर प्लांट चालू नहीं हो पा रहे हैं। महेश्वर बांध मंें 5 रेडियल गेट लगाने की वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मंजूरी दिलायी जाए। महेश्वर बांध में रेडियल गेट लग जाने से तुरंत 200 मेगावाट बिजली उपलब्ध हो सकेगी।

प्रदेश का 30 प्रतिशत वन क्षेत्र सुरक्षित रखा गया है जिसका लाभ पूरे देश को मिलता है। कैम्पा के अंतर्गत 967 करोड़ रूपये की राशि जमा है। इसमें से मात्र 104 करोड़ रूपये की राशि हमें मिली है। शेष राशि भी राज्य को खर्च करने क्रे लिए प्रधानमंत्री निर्देश दें। वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आदिवासियों को पट्टे देने में प्रदेश अव्वल है। किन्तु वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वन भूमि को डी नोटिफाई करने के आदेश जारी नहीं किये जाने के कारण आदिवासियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया कि प्रदेश में 37 लाख आवासहीन अनुसूचित जाति, जनजाति और कमजोर आय वर्ग के लोग हैं जिन्हें इन्दिरा आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इन्दिरा आवास योजना में मध्यप्रदेश को अधिक लाभ दिलाया जाए। श्री चौहान ने प्रधानमंत्री का इस ओर भी आकर्षित किया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। किन्तु इस वर्ष ग्रामीण सड़कों के लिए बिल्कुल राशि आवंटित नहीं की गयी है। इससे गांवों को जोड़ने का काम प्रभावित होगा। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को लंबित प्रकरणों के निराकरण में सहयोग करने का आश्वासन दिया है।