ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
भाजपा की बैठक बनाम कोर्ट की अवमानना
(लिमटी खरे)
भाजपा की बैठक बनाम कोर्ट की अवमानना
लगता है भाजपा के नए निजाम नितिन गडकरी की ताजपोशी की घोषण महूर्त देखकर नहीं की गई थी। यही कारण है कि उनके अध्यक्ष बनते ही एक के बाद एक आघात प्रतिघात उन्हें सहने पडे। अब जबकि 17 से 19 फरवरी तक इन्दौर में चलने वाली भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनके अध्यक्ष बनने की घोषणा पर मुहर लगने वाली है तब बैठक के स्थल को लेकर ही सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस ने आयोजन स्थल पर अनेक सवाल खडे कर दिए हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के.मिश्रा ने सीधा सीधा आरोप लगाया है कि एमपी की व्यवसायिक राजधानी इन्दौर के ओमेक्स सिटी में होने वाले इस आयोजन के बहाने भाजपा भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है। यहां जमीनों में निवेश का काम नितिन गडकरी के भांजे ही किया करते हैं, और तो और महाराष्ट्र प्रदेश भाजपाध्यक्ष रहते हुए गडकरी ने पिछले साल 25 जनवरी को अधिवेशन स्थल के करीब एक टाउनशिप का उद्घाटन भी किया था। इतना ही नहीं इन्दौर बायपास पर निर्माणाधीन टाउनशिप को लेकर उच्च न्यायालय की इन्दौर खण्डपीठ में दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने इन कालोनियों के प्रवेश द्वार को अवैध करार दिया था और राजमार्ग के अधिकारियों को इन दरवाजों को बन्द करने के आदेश दिए थे। मजे की बात तो यह है कि कोर्ट की रोक के बावजूद भी इन अवैध निकास द्वारों को तोडकर राज्य सरकार के निर्देश पर यहां पक्की सडक का निर्माण भी किया जा रहा है।
थुरूर और विवाद मतलब चोली दामन का साथ
कांग्रेस के नवरत्नों में से एक विदेश राज्य मन्त्री शशि थुरूर और विवादों के बीच क्या नाता है, इस बात का जवाब प्रायमरी का बच्चा भी दे सकता है कि दोनों के बीच चोली दामन का साथ है। कभी मंहगे विलासितापूर्ण जीवन तो कभी अपनी ही पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी के इकानामी क्लास में यात्रा पर उसे मवेशी का बाडा कहने वाले शशि थुरूर एक बार फिर विवादित हो गए हैं। इस बार वे अपने निहित स्वार्थ के मामले में चर्चा में आए हैं। बताते हैं कि पिछले दिनों थुरूर द्वारा लिखित तीन पुस्तकों की डेढ सौ प्रतियां विदेश मन्त्रालय ने खरीदीं हैं। थुरूर के विरोधियों का आरोप है कि अपने आप को ही महिमा मण्डित करने के उद्देश्य से विदेश राज्य मन्त्री शशि थुरूर ने अपने द्वारा ही रचित किताबों को अपने ही मन्त्रालय में सशुल्क बुलाया है। जाहिर है चोरी पकडी जाने पर शशि थुरूर आहत हैं। उन्होंने एक बार फिर प्रोटोकाल को तोडते हुए अपनी पीडा का इजहार पार्टी या सरकारी मंच पर करने के बजाए सोशल नेटविर्कंग वेव साईट ``टि्वटर`` पर किया है। भारत गणराज्य के मन्त्री ने टि्वटर पर कहा है कि मेरे कर्मचारियों और मेरा विदेश मन्त्रालय द्वारा पुस्तकों की खरीद से कोई लेना देना नहीं है, और मुझे बिल्कुल जानकारी नहीं है कि खरीदी गई किताबों में मेरी किताब भी है। है न मजे की बात कि एक के बाद एक कर टि्वटर को थुरूर बिना किसी मोल के प्रमोट करते जा रहे हैं और भारत सरकार मूक दर्शक बनी बैठी है, बेहतर है टि्वटर को खरीदकर उस पर ही सारे सरकारी कामकाज संपादित करने आरम्भ कर दिए जाएं।
यहां चुनाव नहीं होते!
चुनाव में चुनाव पंचायत चुनाव और पंचायतों में लडाई झगडे, रूपया पैसा, दारू शारू का शगल कोई नया नहीं है। पंचायत चुनाव में वैसे भी बात बात पर तलवारें खिंचना, लट्ठ भोंगे निकलना आम बात है। इस सबसे उलट एक गांव की पंचायत के चुनावों की चर्चा दिल्ली में आम हो गई है। यह गांव है छत्तीसगढ प्रदेश की उपनी ग्राम पंचायत। चांपा जांजगीर जिले की यह ग्राम पंचायत प्रदेश की राजधानी से 176 किलोमीटर दूर है। तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में लगभग 18 सौ वोटर हैं। इस ग्राम पंचायत का मुखिया चुनने में प्रदेश सरकार को वोटिंग की माथा पच्ची नहीं करनी पडती है। आश्चर्य के साथ मजे की बात यह है कि यहां पिछले 20 सालों से गांव की चौपाल पर ही बैठकर लोग सर्वसम्मति से अपना मुखिया चुन लेते हैं। इक्कीसवीं सदी में प्रतिस्पर्धा और सत्ता सुख की दौड में सरपंच के साथ ही साथ पंचों का चयन भी सर्व सम्मति से होना वाकई आश्चर्यजनक ही कहा जाएगा। पिछले चारों मर्तबा पंचों के पद रोटेशन में विभिन्न तौर पर आरक्षित होने के बाद भी सामंजस्य में कोई अन्तर नहीं आया है।
जयराम उवाच -``देश में बाघों की कमी, आदमियों की नहीं``
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मन्त्री जयराम रमेश को लगता है कि बस बाघों की ही चिन्ता दिनरात खाए जा रही है। बाघों को बचाने के लिए उन्होंने टाईगरनेट नाम की एक वेव साईट भी लांच की है। उत्तराखण्ड और हिमाचल में बाघों के हमले से संकट में पडे मानव जीवन के बारे जब जयराम रमेश से पूछा गया तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया -``जंगली जानवरों को बचाने की समस्या, मनुष्यों को बचाने से कहीं ज्यादा महात्वपूर्ण है। हम बाघों को बचाने का काम कर रहे हैं, बाघों से लोगों को कैसे बचाया जाए यह हमारा कामन नहीं है। वैसे भी देश में बाघों की कमी है आदमियों की नहीं।`` वन्य जीव अगर इंसानी आबादी में घुस जाए तो वन्य जीव संरक्षण कानून के अनुसार यह वहां के नागरिकों की जवाबदारी है कि उस वन्य जीव को कुछ नुकसान न पहुंचाया जाए। जानवरों से लोगों को सुरक्षा प्रदान करना वन विभाग की जिम्मेदारी में नहीं आता है। एनजीओ के आंकलन के अनुसार हिप्र और उत्तराखण्ड में हर साल लगभग दो सौ मामलों में वन्य जीव इंसानों पर हमला करते हैं। हालात देखकर यही कहा जा सकता है कि जयराम रमेश स्वयं इंसान की योनी में हैं पर उन्हें इंसानों से ज्यादा बाघों की चिन्ता खाए जा रही है।
दारू की बोतल में साहिब पानी भरता है. . .
मध्य प्रदेश सूबे में इन दिनों एक विशेष ब्राण्ड की िव्हस्की पीने वालों की शामत आ गई है। दरअसल नामी गिरामी ब्राण्ड मेक डबल नंबर वन की विस्की के अद्धे (180 मिली लीटर के पैक वाली बोतल) का ढक्कन खोलते ही बोतल का मुंह टूटा ही मिलता है। इसके चलते शराब दुकानों और मयकशों के बीच जमकर वाद विवाद की स्थिति निर्मित होती रहती है। खुली बोतल लेने से ठेकेदार साफ इंकार कर देता है, तो पियक्कड अपनी बात पर अडे रहते हैं। बाद में ठेकेदार के गुर्गे उसे पूरी बोतल खरीदने पर विवश कर ही देते हैं। बताया जाता है कि मेक डबल नंबर वन के हाफ को प्रदेश में कई जगहों पर दुबारा पेक किया जा रहा है। अनाडी कर्मचारियों द्वारा पेकिंग के दौरान मशीन से ज्यादा जोर का झटका लगा देते हैं जिससे बोतल के मुंह की किनारी निकल जाती है। पीने वालों का कलेजा हलक में आ जाता है कि क्योंकि अगर छोटी सी किरची भी उसके पेट में चली गई तो राम नाम सत्य ही समझो। शिकायत दर शिकायत के बाद भी आबकारी महकमा चादर तान पैर पसार कर सो रहा है।
समस्याओं पर बोलीं ममता, मुझे गिटार कब सिखाओगे कबीर
पश्चिम बंगाल सूबे से उठकर राजनीति के राष्ट्रीय परिदृश्य में छाने वाली भारत गणराज्य की रेल मन्त्री ममता बनर्जी के गढ त्रणमूल कांग्रेस में देश पर आजादी के बाद आधी सदी से अधिक राज करने वाली कांग्रेस ने सेंध लगा दी है। ममता बनर्जी के कुनबें में अब उनके संसद सदस्य ही घुटन महसूस करने लगे हैं। बताते हैं कि ममता के कुनबे के सांसदों को कांग्रेस अपनी डोर पर नचा रही है। कांग्रेस की आधुनिक राजनीति के चाणक्य राजा दिग्विजय सिंह के फेंके गए पांसों में फंसकर त्रणमूल सांसदों द्वारा ममता के खिलाफ ही बयानबाजी की जा रही है। हाल ही में यादवपुर संसदीय क्षेत्र के त्रणमूल सांसद कबीर सुमन की व्यथा सार्वजनिक तौर पर सामने आई। उन्होंने कोलकता में संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि माकपा हो या कोई और जो भी सत्ता में आता है, सिर्फ और सिर्फ अपने लिए ही काम करता है। मैं महज एक सांसद के तौर पर काम नहीं कर सकता हूं। में पार्टी का गुलाम बनकर रह गया हूं। मैं घुटन महसूस कर रहा हूं। कबीर ने एक रहस्योद्घाटन करते हुए कहा कि जब भी समस्याओं को लेकर वे ममता बनर्जी से कुछ कहते हैं ममता कहतीं हैं कि मुझे गिटार कब सिखाओगे।
कैसे बनेंगे अन्तर्राष्ट्रीय पखाने!
इस साल के अन्त में देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में कामन वेल्थ गेम्स होना निर्धारित है। हालात देखकर कोई भी कह सकता है कि दिल्ली अभी इसकी मेजबानी के लिए तैयार कतई नहीं है। जिस गति से काम चल रहा है उस गति से तो हो गए खेल। इसी बीच एक महत्वपूर्ण समस्या की ओर किसी का ध्यान न जाना आश्चर्यजनक ही माना जाएगा। दिल्ली में विदेश से आने वाले महमानों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के टायलेट की व्यवस्था कैसे होगी। शौचालय वाकई एक बहुत संवेदनशील मुद्दा है। साफ सुथरा और कीटाणुरहित शौचायल पर्यटक पर अलग प्रभाव डालता है। गौरतलब है कि 2008 में बीजिंग में होने वाले ओलम्पिक के लिए चीन ने 2003 से ही साफ सुथरे टायलेट बनाने का अभियान छेड दिया था, यहां ओलम्पिक के दो साल पहले 2006 में ही यह काम पूरा हो गया था। दिल्ली में महिलाओं के लिए महज डेढ सौ से भी कम वाश रूम हैं, वे भी बहुत गन्दी हालत में। हों भी क्यों न, भारत देश में इस बारे में जागरूकता लाई ही नहीं गई है। आज भी गांव गांव में लोटा परेड और दिशा मैदान जैसे शब्द आम ही हैं।
अनेक महत्व का है इस बार हरिद्वार का कुंभ
हरि के घर आंगन में प्रवेश के द्वार ``हरिद्वार`` में इस बार का महाकुंभ मेला अपने आप में अनेक विशेषताओं को समाहित किए हुए है। अव्वल तो यह तीन ऋतुओं के संगम में आयोजित हो रहा है। मान्यता है कि अमृत मन्थन के दौरान नासिक, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार में होने वाले कुंभ में से उज्जैन और नासिक का कुंभ बारिश में आयोजित होता है। प्रयागराज का कुंभ शीतकाल में आयोजित होता है। हरिद्वार के कुंभ में पहला शाही स्नान पंचदाशनाम अखाडे द्वारा ही किया जाता है, जबकि अन्य स्थलों के महाकुंभ में पहले शाही स्नान पर तेरह अखाडों द्वारा एक साथ स्नान की परंपरा है। यहां महाकुंभ का आगाज मकर संक्रान्ति को होता है, यानी शीत ऋतु, इसके उपरान्त बसतं के मौसम में यहां साधु सन्तों का जमावडा देखने लायक होता है। इसके बाद तपती गरमी में स्नान ध्यान के उपरान्त जमावडा धीरे धीरे कम होने लगता है।
राजनैतिक दवाब में बदल न जाए रास्ता
राजनैतिक हस्ताक्षेप और मां लक्ष्मी की माया के आगे सभी नतमस्तक हो जाते हैं। दिल्ली में दिल्ली विकास प्राधिकरण की कुण्डाली द्वारका मास्टर प्लान रोड में कुछ फेरबदल होने के आसान नज़र आने लगे हैं। इस योजना के लिए पूठ खुर्द में सैकडों बीघा जमीन को अब तक कब्जे से मुक्त कराया नहीं जा सका है। बताते हैं कि यह अधिगृहण भी महज कागज पर ही हुआ है। 21 मार्च 2003 को डीडीए ने 1074 बीघा जमीन अधिग्रहीत की थी। इस जमीन पर सौ मीटर चौडे एक्सप्रेस वे का निर्माण प्रस्तावित है। सात सालों बाद भी इस जमीन पर कारखाने और सरकारी कार्यालय बैंक चल रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि यहां 2003 में अवार्ड होने के बाद भी जमीनों पर मकान बनाए जा रहे हैं। बताते हैं कि डीडीए के अधिकारी अब कब्जे से जमीन लेने के बजाए सडक के मार्ग में ही फेरबदल का मन बना रहे हैं। राजनैतिक दबाव और पैसे के प्रभाव के चलते डीडीए के अधिकारी मास्टर प्लान से छेडछाड से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।
क्या मोदी सुनेंगे गडकरी की गर्जना
भाजपा के नए निजाम नितिन गडकरी ने मुसलमानों को लुभाने के लिए एक आश्वासन दिया है कि देश में भाजपा शासित सूबों में मुस्लिम युवाओं को कम्पयूटर शिक्षा सरकारी खर्चे पर दी जाएगी। बताते हैं कि नितिन गडकरी द्वारा मुस्लिम युवक युवतियों को कप्यूटर लिट्रेट बनाने का काम गडकरी द्वारा महाराष्ट्र सूबे में किया जा रहा है। एक गैर सरकारी मुस्लिम संगठन से भेंट के दौरान गडकरी ने कहा कि जिन राज्यों में भाजपा सरकारें हैं वहां मुस्लिम युवक युवतियों को सरकारी खर्चे पर कम्पयूटर शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। जैसे ही गडकरी ने उक्त बात कही, वहां उपस्थित एक साहेबान ने दबी जुबान से कह ही दिया कि गुजरात के निजाम नरेन्द्र मोदी ने अब तक गडकरी को कर्टसी विजिट नहीं दी है वे क्या गडकरी के इस फरमान को अमली जामा पहनाएंगे। मोदी द्वारा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की बात को तवज्जो दी जाती है कि नहीं यह बात तो भविष्य के गर्भ में है, पर राजनैतिक फिजां में मोदी द्वारा गडकरी को एक गुलदस्ता भी भेंट न किया जाना चर्चित आज भी है।
यह है पीएमओ की सुरक्षा
देश में आम आदमी कितना सुरक्षित है इसकी परवाह किसी को भी नहीं है, सारे सुरक्षा बल व्हीव्हीआईपी और व्हीआईपी के लिए ही फिकरमन्द प्रतीत होते हैं। देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति प्रधानमन्त्री का आवास अभैद्य ही होता है। प्रधानमन्त्री के आवास के इर्दगिर्द की सुरक्षा कितनी पुख्ता है, इस बात का खुलासा गणतन्त्र दिसव के दो दिन बाद 28 जनवरी को सुबह चार बजे तब हुआ जबकि गणतन्त्र दिवस के चलते देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली रेड अलर्ट पर थी। इस हाई सिक्यूरिटी जोन में प्रधानमन्त्री आवास से महज सौ मीटर दूर स्थित होटल अशोक के बाहर एक व्यक्ति द्वारा सरेआम फायरिंग कर दी। प्रधानमन्त्री का आवास कोई बस स्टेण्ड या बाग बगीचा नहीं है। यह बहुत संवेदनशील और हाई सिक्यूरिटी जोन माना जाता है। अगर इसके इर्दगिर्द कोई फायर करे तो सुरक्षा तन्त्र की पोल खुल ही जाती है। यद्यपि स्विफ्ट में सवार उक्त युवक को चाणक्यपुरी पुलिस ने धर पकडा है, फिर भी इस तरह के मामलों से सुरक्षा तन्त्र को सबक लेना ही चाहिए।
और फंस गए गृह मन्त्री
देश के गृहमन्त्री लगातार दो घंटों तक एक विमान में कैद रहे। यह गासिप नहीं हकीकत है जनाब! भारण गणराज्य के गृहमन्त्री, तमिलनाडू की मन्त्री पी.गीताजीवन सहित 64 यात्री चेन्नई से मदुरई जाने वाले विमान में चैन्नई के एयरपोर्ट पर विमान में आई तकनीकि खराबी के चलते दो घंटे तक विमान के अन्दर फंसे रहे। दरअसल सुबह छ: बजकर 40 मिनिट पर उक्त विमान को उडान भरनी थी, किन्तु तकनीकि खराबी के चलते विमान उडान नहीं भर सका। कुछ समय के बाद जब विमान ठीक हुआ तब वह फिर रनवे पर आया, किन्तु इस बार उसके पहिए ही जाम हो गए। फिर क्या था इसे ठीक किया गया। इस दौरान लगभग एक सौ बीस मिनिट तक देश के गृह मन्त्री पलनिअप्पम चिदम्बरम को विमान के अन्दर ही बिताने पडे।
विधायक असली, मेडिकल बिल फर्जी
देश के जनसेवकों की नीयत पर सवालिया निशान अनेकों मर्तबा लगे हैं, किन्तु हाल ही में महाराष्ट्र सूबे में विधायकों द्वारा मेडीकल देयकों का जो फर्जी वाडा किया है, उससे लोगों द्वारा दिए गए जनादेश का सरासर अपमान ही हुआ है। महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा अपने विधानसभा सदस्यों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की गरज से उनका मेडीक्लेम बीमा करवाया था। महाराष्ट्र के सोलह विधायकों ने फर्जी मेडीकल बिल के जरिए लाखों रूपए का मेडीकल फर्जी वाडा किया है। इनमें से नौ कराडपति तो सात लखपति विधायक हैं। इन विधायकों की जुर्रत तो देखिए जिस दिन उन्होंने सार्वजनिक तौर पर चर्चा में हिस्सा लिया उसी दिन वे अस्पताल में भी भर्ती थे। बीमा करने वाली कंपनी ने जब अपने रिकार्ड को खंगाला तो उसके होश उड गए कि जनसेवक इस तरह से फर्जीवाडा भी कर सकते हैं। एक गैर सरकारी संगठन द्वारा सूचना के अधिकार में यह जानकारी निकालकर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। इस तरह के जनसेवकों की सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जानी चाहिए।
पुच्छल तारा
इन्दौर से सचिन कुमार ईमेल करते हैं कि जैसे ही सानिया मिर्जा और सोहराब की सगाई टूटने की खबर जैसे ही आई वैसे ही सानिया मिर्जा के फैन्स उत्साहित और उद्वेलित दोनों ही हो गए। इस पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं। सबसे शानदार प्रतिक्रिया यह थी जिसमें कहा गया था कि वाह सानिया मिर्जा, वाह, इस बैक हैण्ड शॉट का तो हमें कब से इन्तेजार था . . .।